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Sunday, October 2, 2011

शिक्षकों की भारी कमी ( shortage of teachers is very high)

शिक्षकों की भारी कमी ( shortage of teachers is very high)

क्या लागु हो पायेगा -  शिक्षा का अधिकार कानून (Right to Education Act)
पूरे देश के सरकारी स्कूलों में करीब 13 लाख शिक्षकों की कमी तो पहले से है।
लेकिन जो शिक्षक हैं भी उनमें से करीब सात लाख ऐसे हैं जो पढ़ाने के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते।

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जब गुरु ही नाकाबिल तो चेले कैसे बनें काबिल


नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। जब गुरु ही नाकाबिल हो तो चेले से काबिलियत की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अनिवार्य और गुणवत्तापूर्ण मुफ्त शिक्षा का कानून तो सरकार ने बना दिया, लेकिन उसे अमल में लाने के लिए उसके पास शिक्षक ही नहीं हैं। पूरे देश के सरकारी स्कूलों में करीब 13 लाख शिक्षकों की कमी तो पहले से है। लेकिन जो शिक्षक हैं भी उनमें से करीब सात लाख ऐसे हैं जो पढ़ाने के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं रखते।
यह स्थिति तब है जब शिक्षा का अधिकार [आरटीई] कानून को अमल में आए लगभग डेढ़ साल हो गए हैं। पिछले महीने तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में 6.70 लाख शिक्षक आरटीई कानून के मापदंडों के लिहाज से जरूरी योग्यता पूरी नहीं करते। कम पढ़े-लिखे शिक्षकों के सहारे शिक्षण कार्य करा रही सरकार तर्क दे रही है कि मानदंड पूरा न करने वाले शिक्षकों को आरटीई लागू होने के बाद पांच साल के भीतर खुद को योग्य बनाने का मौका दिया गया है।
दरअसल, सर्वशिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षण दिए जाने का भी प्रावधान है। इसके तहत पहले से कार्यरत शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना है। हालांकि, इस दिशा में डेढ़ साल बीतने के बाद भी उत्साहपूर्ण नतीजे नहीं मिले। छह से चौदह साल के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून अमल में आने के साथ ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद [एनसीटीई] ने शिक्षकों के लिए न्यूनतम अहर्ताएं भी तय कर दी हैं। जिनके मुताबिक कक्षा एक से पांच तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक का बारहवीं पास और कक्षा छह से आठ तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए स्नातक व अन्य मापदंडों के अलावा शिक्षक पात्रता परीक्षा [टीईटी] पास करना जरूरी होगा।
केंद्र सरकार के अधीन स्कूलों के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड [सीबीएसई] ने इस साल पहली बार केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा [सीटीईटी] कराई। लेकिन उसमें बमुश्किल 14 प्रतिशत अभ्यर्थी ही पास हो पाए। राज्य सरकारों को भी इसी तर्ज पर अपने यहां शिक्षक पात्रता परीक्षा करानी है।

शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए जरूरी मापदंड
1- परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए 60 प्रतिशत अंक जरूरी
2- सर्टिफिकेट अधिकतम सात साल तक वैध होगा
3- निश्चित अवधि में शिक्षक न बन पाने पर फिर से पास करनी होगी परीक्षा
4- केंद्र और राज्य सरकारों को साल में कम से कम एक बार टीईटी कराना अनिवार्य
5- कोई भी अभ्यर्थी किसी भी राज्य या केंद्र के अधीन आयोजित टीईटी में शामिल हो सकता है। उत्तीर्ण अभ्यर्थी का टीईटी सर्टिफिकेट सभी राज्यों में मान्य होगा
News Source : Denik Jagra E News Paper 9 September 2011