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Tuesday, November 8, 2011

Muslims shows anger over Departmental Recruitment of 1400 IPS Officers

1400 आईपीएस की विभागीय भर्ती के फैसले से नाराज हैं मुस्लिम .
(Muslims shows anger over Departmental Recruitment of 1400 IPS Officers )

नई दिल्ली। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1400 अधिकारियों की सीधी भर्ती की बजाय विभागीय परीक्षा से नियुक्ति करने के फैसले पर मुस्लिम संगठनों के ऐतराज से केंद्र सरकार के सामने नई उलझन पैदा हो गई है। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस मुसलमानों की नाराजगी मोल लेने का जोखिम नहीं उठा सकती है, लिहाजा जल्द ही इस पर कोई फैसला होने की उम्मीद है। मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों का मानना है कि पहले से ही सरकारी नौकरियों में नगण्य उपस्थिति में सिमटे मुस्लिम समुदाय को इसमें कोई मौका नहीं मिलेगा। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का दरवाजा खटखटाया है और कहा है कि इससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि वे देश की कुल आबादी का 13.4 फीसदी हैं मगर आईपीएस सहित बाकी सरकारी नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्व मात्र 3.2 फीसदी है। सेना में तो उनकी भागीदारी 1 फीसदी से भी कम है। ऐसे में सरकार 1,400 आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति सेना के मेजर/कैप्टन स्तर के अधिकारियों तथा पुलिस के असिस्टेंट कमांडेंट/डिप्टी सुपरिटेंडेंट स्तर के अधिकारियों से विभागीय परीक्षा के जरिए करने जा रही है, जिसमें मुस्लिमों सहित बाकी अल्पसंख्यक समुदाय को कोई भी जगह नहीं मिल पाएगी। इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखने तथा इस मामले में सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर जानकारी हासिल करने वाले कात फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. सयैद जफर महमूद ने बताया कि केंद्र सरकार का यह फैसला संविधान की धारा 16 का उल्लंघन करता है। महमूद का कहना है कि अगर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो वह कोर्ट का रास्ता भी अख्तियार कर सकते हैं। जफर महमूद का कहना है कि सरकार कुछ नियुक्तियां तो विभागीय परीक्षा के जरिए करती रही है लेकिन यहां मामला 1,400 आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति का है और इतने बड़े पैमाने पर पिछले दरवाजे से भर्ती करने की कोई आपातकालीन वजह भी नहीं बताई गई है। कात फाउंडेशन के साथ जमात-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुश्वरात के साथ-साथ पीयूसीएल के जस्टिस राजेंद्र सच्चर ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस फैसले को बदलने को कहा है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के सचिव मोहम्मद अहमद ने बताया कि एक तरफ सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की बात केंद्र सरकार करती है वहीं दूसरी तरफ जो मौके सामान्य नागरिक की तरह मुसलमानों को मिलने चाहिए उनसे भी महरूम किया जा रहा है।
News Source : http://www.pratahkal.com/hindi-news/national/7012-1400----------.html
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