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Tuesday, June 12, 2012

UPTET : Pics of Dharna Pradarshan at Jantar Manta Delhi

UPTET : Pics of Dharna Pradarshan at Jantar Manta Delhi


From: rashid azad <rashid.khurshid@gmail.com>
Date: Tue, Jun 12, 2012 at 7:14 AM
Subject: UPTET NEWS FOR MEDIA -JANTAR-MANTAR DHARNA PRADARSHAN 12-6-12
To: sachin1314feb@gmail.com, jitender.cc@gmail.com, tyagiamit5@yahoo.co.in, dknoida@gmail.com, dev02019654@gmail.com







































































































28 comments:

  1. पूरी रात के लिए मचलता है

    आधा समुद्र

    आधे चांद को मिलती है पूरी रात

    आधी पृथ्वी की पूरी रात

    आधी पृथ्वी के हिस्से में आता है

    पूरा सूर्य


    आधे से अधिक

    बहुत अधिक मेरी दुनिया के करोड़ों-करोड़ लोग

    आधे वस्त्रों से ढांकते हुए पूरा तन

    आधी चादर में फैलाते हुए पूरे पांव

    आधे भोजन से खींचते पूरी ताकत

    आधी इच्छा से जीते पूरा जीवन

    आधे इलाज की देते पूरी फीस

    पूरी मृत्यु

    पाते आधी उम्र में।


    आधी उम्र, बची आधी उम्र नहीं

    बीती आधी उम्र का बचा पूरा भोजन

    पूरा स्वाद

    पूरी दवा

    पूरी नींद

    पूरा चैन

    पूरा जीवन


    पूरे जीवन का पूरा हिसाब हमें चाहिए


    हम नहीं समुद्र, नहीं चांद, नहीं सूर्य

    हम मनुष्य, हम--

    आधे चौथाई या एक बटा आठ

    पूरे होने की इच्छा से भरे हम मनुष्य।

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  2. चीज़ों के गिरने के नियम होते हैं। मनुष्यों के गिरने के
    कोई नियम नहीं होते।
    लेकिन चीज़ें कुछ भी तय नहीं कर सकतीं
    अपने गिरने के बारे में
    मनुष्य कर सकते हैं

    बचपन से ऐसी नसीहतें मिलती रहीं
    कि गिरना हो तो घर में गिरो
    बाहर मत गिरो
    यानी चिट्ठी में गिरो
    लिफ़ाफ़े में बचे रहो, यानी
    आँखों में गिरो
    चश्मे में बचे रहो, यानी
    शब्दों में बचे रहो
    अर्थों में गिरो

    यही सोच कर गिरा भीतर
    कि औसत क़द का मैं
    साढ़े पाँच फ़ीट से ज्यादा क्या गिरूंगा
    लेकिन कितनी ऊँचाई थी वह
    कि गिरना मेरा ख़त्म ही नहीं हो रहा

    चीज़ों के गिरने की असलियत का पर्दाफ़ाश हुआ
    सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी के मध्य,
    जहाँ, पीसा की टेढ़ी मीनार की आख़री सीढ़ी
    चढ़ता है गैलीलियो, और चिल्ला कर कहता है
    इटली के लोगो,
    अरस्त्‌ का कथन है कि, भारी चीज़ें तेज़ी से गिरती हैं
    और हल्की चीज़ें धीरे-धीरे
    लेकिन अभी आप अरस्तू के इस सिद्धांत को
    गिरता हुआ देखेंगे
    गिरते हुए देखेंगे, लोहे के भारी गोलों
    और चिड़ियों के हल्के पंखों, और काग़ज़ों और
    कपड़ों की कतरनों को
    एक साथ, एक गति से, एक दिशा में
    गिरते हुए देखेंगे
    लेकिन सावधान
    हमें इन्हें हवा के हस्तक्षेप से मुक्त करना होगा,
    और फिर ऐसा उसने कर दिखाया

    चार सौ बरस बाद
    किसी को कुतुबमीनार से चिल्ला कर कहने की ज़रूरत नहीं है
    कि कैसी है आज की हवा और कैसा इसका हस्तक्षेप
    कि चीज़ों के गिरने के नियम
    मनुष्यों के गिरने पर लागू हो गए है

    और लोग
    हर कद और हर वज़न के लोग
    खाये पिए और अघाए लोग
    हम लोग और तुम लोग
    एक साथ
    एक गति से
    एक ही दिशा में गिरते नज़र आ रहे हैं

    इसीलिए कहता हूँ कि ग़ौर से देखो, अपने चारों तरफ़
    चीज़ों का गिरना
    और गिरो

    गिरो जैसे गिरती है बर्फ़
    ऊँची चोटियों पर
    जहाँ से फूटती हैं मीठे पानी की नदियाँ

    गिरो प्यासे हलक में एक घूँट जल की तरह
    रीते पात्र में पानी की तरह गिरो
    उसे भरे जाने के संगीत से भरते हुए
    गिरो आँसू की एक बूंद की तरह
    किसी के दुख में
    गेंद की तरह गिरो
    खेलते बच्चों के बीच
    गिरो पतझर की पहली पत्ती की तरह
    एक कोंपल के लिये जगह खाली करते हुए
    गाते हुए ऋतुओं का गीत
    कि जहाँ पत्तियाँ नहीं झरतीं
    वहाँ वसंत नहीं आता'
    गिरो पहली ईंट की तरह नींव में
    किसी का घर बनाते हुए

    गिरो जलप्रपात की तरह
    टरबाइन के पंखे घुमाते हुए
    अंधेरे पर रोशनी की तरह गिरो

    गिरो गीली हवाओं पर धूप की तरह
    इंद्रधनुष रचते हुए

    लेकिन रुको
    आज तक सिर्फ इंद्रधनुष ही रचे गए हैं
    उसका कोई तीर नहीं रचा गया
    तो गिरो, उससे छूटे तीर की तरह
    बंजर ज़मीन को
    वनस्पतियों और फूलों से रंगीन बनाते हुए
    बारिश की तरह गिरो, सूखी धरती पर
    पके हुए फल की तरह
    धरती को अपने बीज सौंपते हुए
    गिरो

    गिर गए बाल
    दाँत गिर गए
    गिर गई नज़र और
    स्मृतियों के खोखल से गिरते चले जा रहे हैं
    नाम, तारीख़ें, और शहर और चेहरे...
    और रक्तचाप गिर रहा है
    तापमान गिर रहा है
    गिर रही है ख़ून में निकदार होमो ग्लोबीन की

    खड़े क्या हो बिजूके से नरेश
    इससे पहले कि गिर जाये समूचा वजूद
    एकबारगी
    तय करो अपना गिरना
    अपने गिरने की सही वज़ह और वक़्त
    और गिरो किसी दुश्मन पर

    गाज की तरह गिरो
    उल्कापात की तरह गिरो
    वज्रपात की तरह गिरो
    मैं कहता हूँ
    गिरो

    ReplyDelete
  3. ऊर्जा से भरे लेकिन
    अक्ल से लाचार, अपने भुवन भास्कर
    इंच भर भी हिल नहीं पाते
    कि सुलगा दें किसी का सर्द चूल्हा

    ठेल उढ़का हुआ दरवाज़ा
    चाय भर की ऊष्मा औ रोशनी भर दें
    किसी बीमार की अन्धी कुठरिया में

    सुना सम्पाती उड़ा था
    इसी जगमग ज्योति को छूने
    झुलस कर देह जिसकी गिरी धरती पर
    धुआँ बन पंख जिसके उड़ गए आकाश में

    अपरिमित इस ऊर्जा के स्रोत
    कोई देवता हो अगर सचमुच सूर्य तुम तो
    क्रूर क्यों हो इस कदर

    तुम्हारी यह अलौकिक विकलांगता
    भयभीत करती है ।

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  4. सूर्य से अलग होकर पृथ्वी का घूमना शुरू हुआ
    शुरू हुआ चुंबकत्व
    धातुओं की भूमिका शुरू हुई

    धातु युग से पहले भी था धातु युग
    धातु युग से पहले भी है धातु युग
    कौन कहता है कि धातुएं फलती-फूलती नहीं हैं
    इन दिनों
    फलों और फूलों में वे सबसे ज़्यादा मिलती हैं
    पानी के बाद

    मछलियों और पक्षियों में होती हुई
    वे आकाश-पाताल एक कर रही हैं

    दफ़्तर जाते हुए या बाज़ार
    या घर लौटते हुए वे हमें घेर लेती हैं धुंए में
    और ख़ून में घुलने लगती हैं

    चिंतित हैं धातुविज्ञानी
    कि असंतुलित हो रहे हैं धरती पर धातु के भंडार
    कि वे उनके जिगर में, गुर्दों में, नाखूनों में,
    त्वचा में, बालों की जड़ों में जमती जा रही हैं

    अभी वे विचारों में फैल रही हैं लेकिन
    एक दिन वे बैठी मिलेंगी
    हमारी आत्मा में
    फिर क्या होगा
    गर्मी में गर्म और सर्दी में ठंडी
    खींचो तो खिंचती चली जायेंगी
    पीटो तो पिटती चली जायेंगी

    ऐसा भी नहीं है
    कि इससे पूरी तरह बेख़बर हैं लोग
    मुझसे तो कई बार पूछ चुके हैं मेरे दोस्त
    कि यार नरेश
    तुम किस धातु के बने हो!

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  5. नफ़रत पैदा करती है नफ़रत
    और प्रेम से जनमता है प्रेम
    इंसान तो इंसान, धर्मग्रंथों का यह ज्ञान
    तो मिट्टी तक के सामने ठिठककर रह जाता है

    मिट्टी के इतिहास में मिट्टी के खिलौने हैं
    खिलौनों के इतिहास में हैं बच्चे
    और बच्चों के इतिहास में बहुत से स्वप्न हैं
    जिन्हें अभी पूरी तरह देखा जाना शेष है

    नौ बरस की टीकू तक जानती है ये बात
    कि मिट्टी से फूल पैदा होते हैं
    फूलों से शहद पैदा होता है
    और शहद से पैदा होती है बाक़ी कायनात
    मिट्टी से मिट्टी पैदा नहीं होती

    ReplyDelete
  6. नफ़रत पैदा करती है नफ़रत
    और प्रेम से जनमता है प्रेम
    इंसान तो इंसान, धर्मग्रंथों का यह ज्ञान
    तो मिट्टी तक के सामने ठिठककर रह जाता है

    मिट्टी के इतिहास में मिट्टी के खिलौने हैं
    खिलौनों के इतिहास में हैं बच्चे
    और बच्चों के इतिहास में बहुत से स्वप्न हैं
    जिन्हें अभी पूरी तरह देखा जाना शेष है

    नौ बरस की टीकू तक जानती है ये बात
    कि मिट्टी से फूल पैदा होते हैं
    फूलों से शहद पैदा होता है
    और शहद से पैदा होती है बाक़ी कायनात
    मिट्टी से मिट्टी पैदा नहीं होती

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  7. sathio ab aap jitne bhi tet pas apke area mai ho sab ek dusre se mile unity banaye aur merit acd ka chakkar chord ke kewal sabhi tet pass walo ki niyukti satra aur age wise mang kare taki sabka bhala ho ske plz apne lia nahi sabke lia lade hamesha dusro ka bhala soche apka bhala apne aap ho jaiga to ab sabhi log milker ek sur mai gov. se sabhi tet pass walo ke job ki mang kare

    ReplyDelete
    Replies
    1. "UPTET PASS MORCHA" ke member bane. membersip ke rule ke lia contect kare

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    2. Age aur year wise niyukti ki maang kare????
      Naya sangharsh morcha???

      Delete
    3. Age wise bharti wale govt se pension ke mang karo ne ke teaches banane ke !

      Delete
  8. Vigyapn radd karke gov bihar ke tarj par new add nikale...
    Dhanyvad

    ReplyDelete
  9. सेनाएँ जब सेतु से गुज़रती हैं
    तो सैनिक अपने क़दमों की लय तोड़ देते हैं
    क्योंकि इससे सेतु टूट जाने का ख़तरा
    उठ खड़ा होता है

    शनैः-शनै: लय के सम्मोहन में डूब
    सेतु का अन्तर्मन होता है आन्दोलित
    झूमता है सेतु दो स्तम्भों के मध्य और
    यदि उसकी मुक्त दोलन गति मेल खा गई
    सैनिकों की लय से
    तब तो जैसे सुध-बुध खो केन्द्र से
    उसके विचलन की सीमाएँ टूटना हो जाती हैं शुरू
    लय से उन्मत्त
    सेतु की काया करती है नृत्त
    लेफ़्ट-राइट, लेफ़्ट-राइट, ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे
    अचानक सतह पर उभरती है हल्की-सी रेख
    और वह भी शुरू करती है मार्च
    लगातार होती हुई गहरी और केन्द्रैन्मुख
    रेत नहीं रेत । लोहा, लोहा अब नहीं
    और चूना और मिट्टी हो रहे मुक्त
    शिल्प और तकनीकी के बन्धन से
    पंचतत्त्व लौट रहे घर अपने
    धम्म...धम्म...धम्म...धम्म...धम्म...धड़ाम

    लय की इस ताक़त को मेरे शत-शत प्रणाम

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  10. Dear Friends aaj vidhansabha satra me ye baat kahi gayi-
    कोर्ट की हरी झंडी मिलते ही रखे जाएंगे शिक्षक: सरकार ने कहा है कि जैसे ही उच्च न्यायालय का स्थगनादेश समाप्त होगा, परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। कांग्रेस के मुकेश श्रीवास्तव के सवाल पर मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने बताया कि सहायक अध्यापकों के पद पर सीधी भर्ती के लिए 30 नवंबर 2011 को 72,825 पदों का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था लेकिन कोर्ट द्वारा उक्त भर्तियों को अग्रिम आदेशों तक प्रतिबंधित किया गया है। कोर्ट के स्थगनादेश को समाप्त करने के लिए प्रभावी पैरवी कीजा रही है। भाजपा के हुकुम सिंह, कांग्रेस के अखिलेश सिंह, संजय कपूर ने शिक्षकों द्वारा निजी तौर पर दूसरे शिक्षकों को रखकर उनसे शिक्षक का कार्य कराने, 30-40 साल से एक ही स्कूल में शिक्षकों के तैनात रहने, शिक्षकों के स्कूल ही न जाने व योजना आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सूबे में शिक्षा के गिरते स्तर की बात उठायी। मंत्री ने कहा कि खुद स्कूल न जाने वाले शिक्षकों के खिलाफकड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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  11. Dear Friends aaj vidhansabha satra me ye baat kahi gayi-
    कोर्ट की हरी झंडी मिलते ही रखे जाएंगे शिक्षक: सरकार ने कहा है कि जैसे ही उच्च न्यायालय का स्थगनादेश समाप्त होगा, परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। कांग्रेस के मुकेश श्रीवास्तव के सवाल पर मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने बताया कि सहायक अध्यापकों के पद पर सीधी भर्ती के लिए 30 नवंबर 2011 को 72,825 पदों का विज्ञापन प्रकाशित किया गया था लेकिन कोर्ट द्वारा उक्त भर्तियों को अग्रिम आदेशों तक प्रतिबंधित किया गया है। कोर्ट के स्थगनादेश को समाप्त करने के लिए प्रभावी पैरवी कीजा रही है। भाजपा के हुकुम सिंह, कांग्रेस के अखिलेश सिंह, संजय कपूर ने शिक्षकों द्वारा निजी तौर पर दूसरे शिक्षकों को रखकर उनसे शिक्षक का कार्य कराने, 30-40 साल से एक ही स्कूल में शिक्षकों के तैनात रहने, शिक्षकों के स्कूल ही न जाने व योजना आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए सूबे में शिक्षा के गिरते स्तर की बात उठायी। मंत्री ने कहा कि खुद स्कूल न जाने वाले शिक्षकों के खिलाफकड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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  12. कितना कोयला होगा मेरी देह में
    कितनी कैलोरी कितने वाट कितने जूल
    कितनी अश्वशक्ति
    (मैं इसे मनुष्यशक्ति कहूंगा)
    कितनी भी ठंडक हो बर्फ़ हो
    अंधेरा हो
    एक आदमी को गर्माने भर के लिए एक बार
    तो होगा ही काफ़ी
    अब एक लपट की तलाश है
    कोयले के इस छोटे से गोदाम के लिए।

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  13. MEMBER BNE MEMBER BNE

    "UPTET PASS MORCHA" KE MEMBER BNE

    MEMBER SIP RULE KE LIA CONTECT KARE 9452061561

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  14. सर्दियों की सुबह, उठ कर देखता हूँ[1]
    धूप गोया शहर के सारे घरों को
    जोड़ देती है

    ग़ौर से देखें अगरचे
    धूप ऊँचे घरों के साये तले
    उत्तर दिशा में बसे कुछ छोटे घरों को
    छोड़ देती है ।

    पूछ ले कोई
    कि किनकी छतों पर भोजन पकाती
    गर्म करती लान,
    औ ‘बिजली जलाती धूप आखिऱ
    नदी नालों के किनारे बसे इतने ग़रीबों से क्यों भला
    मुँह मोड़ लेती है.

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  15. Dear friends ab es bharti ko koi nahi rok sakta kyoki ye matter ab vidhansabha me chala gaya hai jisse state gov ko vipaksh wale sawalo se gherate huye nazar aa rahe hai.

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  16. Dear friends ab es bharti ko koi nahi rok sakta kyoki ye matter ab vidhansabha me chala gaya hai jisse state gov ko vipaksh wale sawalo se gherate huye nazar aa rahe hai.

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  17. कल तुम्हें सुनसान अच्छा लग रहा था
    आज भीड़ें भा रही हैं
    तुम वही मन हो कि कोई दूसरे हो

    गोल काले पत्थरों से घिरे उस सुनसान में उस शाम
    गहरे धुँधलके में खड़े कितने डरे
    कँपते थरथराते अंत तक क्यों मौन थे तुम

    किस तिलस्मी शिकंजे के असर में थे
    जिगर पत्थर, आँख पत्थर, जीभ पत्थर क्यों हुई थी
    सच बताओ, उन क्षणों में कौन थे तुम
    कल तुम्हें अभिमान अच्छा लग रहा था
    आज भिक्षा भा रही है
    तुम वही मन हो कि कोई दूसरे हो ।

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  18. बीएड वालों के लिए केंद्र से मांगी अनुमति : भाजपा के सुरेश खन्ना के सवाल पर बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने बताया कि नियमावली के मुताबिक बीएड उपाधि परिषदीय अध्यापक के लिए निर्धारित योग्यता नहीं है। पूर्व की भांति बीएड वालों को विशिष्ट बीटीसी की छह माह की ट्रेनिंग देकर परिषदीय स्कूलों में नियुक्त किए जाने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है

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  19. बीएड वालों के लिए केंद्र से मांगी अनुमति : भाजपा के सुरेश खन्ना के सवाल पर बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने बताया कि नियमावली के मुताबिक बीएड उपाधि परिषदीय अध्यापक के लिए निर्धारित योग्यता नहीं है। पूर्व की भांति बीएड वालों को विशिष्ट बीटीसी की छह माह की ट्रेनिंग देकर परिषदीय स्कूलों में नियुक्त किए जाने के संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अनुमति मांगी गई है

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  20. UP TET SE ATTACHED HAR SWALO KE JAWAB PANE KE LIA MEMBER BNE MEMBER BNE

    "UPTET PASS MORCHA" KE MEMBER BNE

    MEMBER SIP RULE KE LIA CONTECT KARE 9452061561

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  21. mere khayal se ab 3 july ko court k samne dharna dena chahie k jab tak hume nyay nai milega hm yahan se nahin hatenge....

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  22. janter manter par hue dharna pardarsan ko safal banane ke liye aap sabhi tetian ka hardik aabhar aap logo ne u p ke kone kone se aakar is dharne etihasik bana diya .yadi hum tetian ko teacher banne ko mauka mila to ye dharna hame jindgi bhar yaad rahega .sabhi logo se milkar unke vichar sunkar bahut achcha laga realy great experiance. ab hum apni manjil kr behud karib hain lekin hame apne sangathan ko majboot karna hai isme aur logo ko jodna hai tatha shikshak bharti purn hone tak savendhanik dhang se apna aandolan chalana hai . satyamev jayte jay tet sangharsh morcha. ashish rajvanshi 9927756345

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  23. V K YADAV G please update today's news of UMAR UJALA.

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    Replies
    1. @sanjeev ji amar ujala ki news same like dainik jagran aur dainik ki news maine post ki hai link milte hi amar ujala ki news bhi publish karunga.thanks

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  24. tet se related news tv pe aani chahiye isse jayada log jodeingein

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