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Saturday, October 13, 2012

पैन कार्ड से शुरू होगी पत्नियों की पगार योजना हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया

पैन कार्ड से शुरू होगी पत्नियों की पगार योजना
हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया


नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा


News Source : http://www.jagran.com/news/national-pan-card-starting-salary-scheme-wives-9656755.html
*********************
If part of salary directly credited in wife's account then it can be a good step.
It can increase social security of women in India and empower women.

86 comments:



  1. dosto b.tc. ke liye age hai 18-30 aur reserve cat. obc 33 aur sc\st 35 but iske chayan ka jo process hai usme matr below 20 ya 22 year age wale ka hi chayan ho pata hai kyonki jo bhi naye student pass hokar aa rahe hain unka acd.pichle walo ki tulna mai adhik hota hai.sochiye jara ki yadi kisi bhi acd. based bharti mai yadi 2012 high school,inter wale shamilho jaye tokya 2010 mai pass hone walo ka kahi chance ho sakta hai.mai yae kahna chahta hun ki gov. jab b.tc. ya v.b.tc ke liye age 35-40 kar rahi hai to uska process bhi eaisa hona chahiye ki ye log parkirya mai matr aavedak hi na rahe.aur eaisa exam ke through bharti karke hi sambhav ho sakta hai.nahi to age ko 25 hi kar dena chahiye koi fayda nahi in logo ka aarthik aur mansik sosan karne se.moh.istyak rampur


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  2. Are ishtyak tum kon se rampur se ho aaj tak kisi meeting me nahi dekha kyun chutiya bana rahe ho ghar baitho

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  3. Are ishtyak tum kon se rampur se ho aaj tak kisi meeting me nahi dekha kyun chutiya bana rahe ho ghar baitho

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  4. Kya add 1 ya 2 din me aa sakta hai muskan ji to wahi purani dainik wali news publish kar di kuch naya nahi dikh raha hai 3-4 dino ke andar

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  5. ab add tet2012 k bad hi ane ki sambhabna hai mujhe to aisa hi lag raha h

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  6. Reena ji good evg.blong pr aayie.kahai gayab ho gayi ho?

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  7. saleem bhai mai hisar ke ek b.ed. college mai job karta hun isliye meeting mai nahi aa pata hun lekin dehli aur lucknow aandolno mai main samil hua hun .mujhe vaqt mila tojila level par hone wali meeting maibhi samil hounga.moh istyak rampur

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  8. tet 2012 ka add lagbhag 10 din ke andar aa jayega lekin unka results etna jaldi nahi ayega

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  9. Yar aap log vishwash kyno nahi karte ho mai pahle fi bata chuka hu ki ADD to gov 9Oct. Ko hi de chuki hai.ab to cort ka faisla aana baki hai.or vakency fi 125000 ho chuki hai So don't warry.jyda jankari ke liye call kar sakte hai=919510607233

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  10. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  11. aaphavaho ka adda ban gaya hai so good buy jab tak aad nahi aa jata hai aab false statements se ub gaye hai

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  14. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  15. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  16. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  17. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  18. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  19. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  20. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  21. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  22. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  23. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  24. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  26. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  27. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

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    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  28. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  29. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  30. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  31. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  32. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  33. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  34. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  35. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  36. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  37. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  38. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  39. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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    1. benchod ab ek hi baat dubara post ke to teri gaand maar loonga

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  40. abey pagal ho gaya hai kaya jaat sing

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  41. jaat sing aap pagal ho gaye jaker koi kaam danda karey

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  42. jaat sahab app kyo comment bar bar lik raha hai

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  46. lagta hai jatt ke hatho me bharti roknewalo ki bahan ki choonchiya deni hongi sala ek hi comment bar -bar pele para hai

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  47. abe o jhant ke chhilan , jhade land ke rayte, chood ke phate hue doodh , kabjiyat ki dast , sadi pyaz ke pakode farji news dena band karo warna maa chod dunga bhosdi walo tumhari maa ka bhosda

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  48. abe kaha mar gaye sab ke sab, koi to bat karo mujhse

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  49. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  50. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  51. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  52. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  53. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  54. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  55. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  56. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  57. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  58. नई दिल्ली। पत्नियों को पगार दिलाने की योजना की शुरुआत उनके पैन कार्ड और बैंक अकाउंट बनाने से होगी। इस बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर चुका है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने कहा कि देश में गृहिणियों को पगार देने के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। सबसे पहले, हर तबके की गृहिणियों के लिए पैन कार्ड बनवाने का काम शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पैन कार्ड होने पर सभी महिलाओं का बैंक अकाउंट खोला जा सकेगा ताकि पति अपनी पत्नी के अकाउंट में पगार के नाम पर हर माह पैसा जमा करा सकें।

    घरेलू काम करने वाली महिलाओं का सर्वे-

    योजना लागू करने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विश्व बैंक के साथ मिलकर गृहणियों की स्थिति पर देशव्यापी सर्वे कराने जा रहा है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार घरेलू महिलाओं को पगार दिलाने के लिए तैयार होने वाले कानून को अमलीजामा पहनाने से पहले इस बड़े सर्वे से उनकी स्थिति का सटीक अनुमान लगाया जाएगा। इसमें खास तौर से विभिन्न कार्यो के लिए घर में हर महीने दिया जाने वाला पैसा, ग्रामीण और शहरी परिवारों में महिलाओं के निजी कामों के लिए खर्च और अमीर-गरीब परिवारों में गृहणियों का स्थिति का अनुमान लगाया जाएगा।

    हाउस-इंजीनियर कही जाएं गृहणिया-

    पत्नियों को हर माह पगार देने के प्रस्ताव पर आ रही प्रतिक्रियाओं के बावजूद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अपने नए कानून को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। भास्कर से बातचीत में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने बेबाकी कहा कि गृहिणियों को असल में हाउस-वाइफ नहीं, हाउस इंजीनियर कहा जाना चाहिए। पति के दफ्तर या दिहाड़ी में काम करने के मुकाबले भारतीय गृहिणिया घरेलू कामों में कहीं ज्यादा घटे बिताती हैं, जिसका कोई मूल्यांकन नहीं करता। अगर पति अपने मासिक वेतन से कुछ हिस्सा पत्नियों को देता भी है तो महिलाएं इसे खुद पर नहीं बल्कि परिवार पर ही खर्च करेंगी। यह महिलाओं के सशक्तीकरण को भी मजबूत करेगा। नए प्रस्तावित कानून को दापत्य जीवन में दरार नहीं मानना चाहिए। जो पति अपनी पत्नी को प्यार करते हैं उन्हें मासिक पगार से कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इससे दोनों के बीच में प्यार और बढ़ेगा

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  59. ye kaun mere nam se ek hi comment ko bar bar publish kar raha hai ....... Maderchod apni bahan ko mere pas bhej phir dekh kaise mai kuwari chood ki seal todta hoo . Maderchod bhosdi wale tumhare pure khandan ki gand mar loonga jhant ke laude maderchod bhosdi ke

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  60. This comment has been removed by the author.

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    1. maaderchod bhosdi ke teri bahan ki chut me hug du bhosdi ke mere nam se kyo comment dal raha hai

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  61. Santa: Yaar Sooraj Raat Ko Kyu Nahi Nikalta?
    yeda: Kya Pata Nikalta Bhi Ho Andhera Itna Hota Hai Ki Dikhai Kuch Nahi
    Deta….
    Raat ko ek ladki ne Santa ki car ko rukne ka ishara kia
    : Oh, Im Sorry! Main samjhi taxi hai.
    Santa: Main bhi yehi samjha tha.Banta: Wo ladki deaf lagti hai.
    Main kuch kehta hoon, woh kuch aur hi bolti hai.

    Santa: Kaise?

    Banta: Maine kaha I Luv U,
    to woh boli ‘Maine kal hi Nayi Sandal kharidi hain’Banta was the official driver of a minister.
    Once the minister asked him, “Banta let me drive the car today.”
    Banta: “Sirji, it is a car and not the sarkar which anyone can drive.
    Titanic K Saath Santa Bhi Doob Raha Tha,
    Or Hans Bhi Raha Tha,
    Banta:Oye Hans Kyun Raha Hai?
    Santa:Shukar Hai Mainay Return Ticket Nahi kharida.
    Santa Helmet Pehen K Bahar Nikla To
    Police Ne Kaha-Nikaal 50rs..

    Santa-Abe Maine Helmet Pehni To He_

    Police-Abe, Par Scooter Kaha He ?

    Banta Sing! u get marry with Santa after my death,
    Wife!, but why? He is ur no 1 enemy,
    Banta!, this is only way to take revenge with santa sing.Pappu, while filling up a form: Dad, what should I write for mother
    tongue.?
    Santa: Very long!
    Lucky: Yaar mujhey kuch nahi aata tha main paper khali chor aya hon.
    Banta: Main bhi!
    Santa: Shit yaar, teacher samjhe gi hum ne cheating ki hay.
    Santa ne apne papa ko father’s day par CAR gift di or ek sher likha.
    “phool to bahut hai par Gulab sa nahi,
    Papa to bahut hai par aap sa nahi”
    Santa ne apne papa ko father’s day par CAR gift di or ek sher likha.
    “phool to bahut hai par Gulab sa nahi,
    Papa to bahut hai par aap sa nahi”

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  62. Santa: Yaar Sooraj Raat Ko Kyu Nahi Nikalta?
    yeda: Kya Pata Nikalta Bhi Ho Andhera Itna Hota Hai Ki Dikhai Kuch Nahi
    Deta….
    Raat ko ek ladki ne Santa ki car ko rukne ka ishara kia
    : Oh, Im Sorry! Main samjhi taxi hai.
    Santa: Main bhi yehi samjha tha.Banta: Wo ladki deaf lagti hai.
    Main kuch kehta hoon, woh kuch aur hi bolti hai.

    Santa: Kaise?

    Banta: Maine kaha I Luv U,
    to woh boli ‘Maine kal hi Nayi Sandal kharidi hain’Banta was the official driver of a minister.
    Once the minister asked him, “Banta let me drive the car today.”
    Banta: “Sirji, it is a car and not the sarkar which anyone can drive.
    Titanic K Saath Santa Bhi Doob Raha Tha,
    Or Hans Bhi Raha Tha,
    Banta:Oye Hans Kyun Raha Hai?
    Santa:Shukar Hai Mainay Return Ticket Nahi kharida.
    Santa Helmet Pehen K Bahar Nikla To
    Police Ne Kaha-Nikaal 50rs..

    Santa-Abe Maine Helmet Pehni To He_

    Police-Abe, Par Scooter Kaha He ?

    Banta Sing! u get marry with Santa after my death,
    Wife!, but why? He is ur no 1 enemy,
    Banta!, this is only way to take revenge with santa sing.Pappu, while filling up a form: Dad, what should I write for mother
    tongue.?
    Santa: Very long!
    Lucky: Yaar mujhey kuch nahi aata tha main paper khali chor aya hon.
    Banta: Main bhi!
    Santa: Shit yaar, teacher samjhe gi hum ne cheating ki hay.
    Santa ne apne papa ko father’s day par CAR gift di or ek sher likha.
    “phool to bahut hai par Gulab sa nahi,
    Papa to bahut hai par aap sa nahi”
    Santa ne apne papa ko father’s day par CAR gift di or ek sher likha.
    “phool to bahut hai par Gulab sa nahi,
    Papa to bahut hai par aap sa nahi”

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    1. aa gaye aukat me jams wat ki aulad mere nam se kyo comment publish kar rahe the dubara es kiya to dunga ek kaan ke neeche ...... Haker khi ka

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  63. Santa Apni GF ko I Love You kehta or Gir Jata
    Girl- Ye Kya Kar Rahe Ho?
    Santa- I M Falling in Love.

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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Kya Main Agle Janam Mein
    Gadha Ban Sakta Hoon?
    Bhagwan Ne Jawab Diya-
    Ek Hi Facility Baar Baar Nahi Mil Sakti.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Kya Main Agle Janam Mein
    Gadha Ban Sakta Hoon?
    Bhagwan Ne Jawab Diya-
    Ek Hi Facility Baar Baar Nahi Mil Sakti.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Police man
    Police man: Stop, stop, tumhari headlights kaam nahi kar rahi,wo bandh hai.
    Santa: Jaldi se hat jao! brakes bhi kam nahi kar rahe.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Santa ka ladka-Im a Complan boy
    Santa ka ladka-Im a Complan boy
    Snta K ladki-Im a Complain Girl
    Snta:Ye kya Chakkar he Peda mene kra name kisi orka?
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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Snta Ki Beti Ko SMS Aaya
    Snta Ki Beti Ko SMS Aaya-”I LOVE YOU”
    Snta Gusse Me Beti Se-
    Jisne sms Kiya Hai Usse To Mai Dekh Luga
    Filhal Tum Uska Sms Usse Wapis Bhejo.
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  64. Santa Apni GF ko I Love You kehta or Gir Jata
    Girl- Ye Kya Kar Rahe Ho?
    Santa- I M Falling in Love.

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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Kya Main Agle Janam Mein
    Gadha Ban Sakta Hoon?
    Bhagwan Ne Jawab Diya-
    Ek Hi Facility Baar Baar Nahi Mil Sakti.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Kya Main Agle Janam Mein
    Gadha Ban Sakta Hoon?
    Bhagwan Ne Jawab Diya-
    Ek Hi Facility Baar Baar Nahi Mil Sakti.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Police man
    Police man: Stop, stop, tumhari headlights kaam nahi kar rahi,wo bandh hai.
    Santa: Jaldi se hat jao! brakes bhi kam nahi kar rahe.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Santa ka ladka-Im a Complan boy
    Santa ka ladka-Im a Complan boy
    Snta K ladki-Im a Complain Girl
    Snta:Ye kya Chakkar he Peda mene kra name kisi orka?
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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Snta Ki Beti Ko SMS Aaya
    Snta Ki Beti Ko SMS Aaya-”I LOVE YOU”
    Snta Gusse Me Beti Se-
    Jisne sms Kiya Hai Usse To Mai Dekh Luga
    Filhal Tum Uska Sms Usse Wapis Bhejo.
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  65. Santa Ki Maa ki Tabiyat Kharab Thi
    Hospital Gaye To Dr. Ne Kaha ki TEST honge
    SANTA:-Inaki Umar Zyada Hai.TEST Nahi 1 Day Ya T-20 Karwa lo.
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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    1 Aadmi train se utar k
    1 Aadmi train se utar k
    puchta he:Ye konsa
    station he?
    santa ne bahut socha
    Or bola
    ye Railway-Station he.
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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Doctor: which soap u use?
    Doctor: which soap u use?
    Santa: Gopal soap,Gopal paste,Gopal brush
    Dr: Is gopal an international company
    Santa: No gopal is my
    room mate.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Banta Sing! u get marry with Santa afte
    Banta Sing! u get marry with Santa afte
    Banta Sing! u get marry with Santa after my death, Wife!, but why? He is ur no 1 enemy,Banta!, this is only way to take revenge with santa sing. By Kalsoom
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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Santa Banta Jokes
    Santa at an Art Gallery: I suppose this horrible looking thing is what you call Modern art?
    Art dealer: I beg your pardon sir, that's a mirror!
    Santa's wish: When I die, I wana die like my grandpa who died peacefully in his sleep?
    Not screaming like all the passengers in the car he was driving..
    Santa! Your daughter has died! Depressed, he jumps from the 10

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  66. jai kumar madar chod kyo muge begjat kar raha tha repeat comment tere maa key bosade may ja raaha tha

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  67. jai kumar madar chod kyo muge begjat kar raha tha repeat comment tere maa key bosade majai kumar madar chod kyo muge begjat kar raha tha repeat comment tere maa key bosade may ja raaha thay ja raaha tha

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  68. jai kumar madar chod kyo muge begjat kar raha tha repeat comment tere maa key bosade may ja raaha tha

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  69. jai kumar aap ko sharam nahi hati hai gandi gandi gali blog per likate hai

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  70. kedarsing jatt aap bhi gali de ray hai aap dono teacher bane ja rahe hai kuch tho sharam karo yehn ladkiyo ka mudda hai yaha ladko ka kaam nhahi hai

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  71. maderchod unknown maine tujhe tress kar liya hai agar tum kisi ke bhi nam ka sahara lega to bhi bach nahi payega . Tu mujhe khub galiya de koi problum nahi par agar mere nam se koi bhi farji comment dali to mai teri complain cyber cell lucknow aur bungluru dono jagah kar dunga phir khana jail ki hawa

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  72. Santa at an Art Gallery: I suppose this horrible looking thing is what you call Modern art?
    Art dealer: I beg your pardon sir, that's a mirror!
    Santa's wish: When I die, I wana die like my grandpa who died peacefully in his sleep?
    Not screaming like all the passengers in the car he was driving..
    Santa! Your daughter has died! Depressed, he jumps from the 100th floor
    At the 50th floor, he remembers he doesn't have a daughter!
    At the 25th flr: He's unmarried!
    At the 10th: He's Banta not Santa.
    Santa was filling up an application form for a job. He was not sure as to what was to be filled in the column "Salary Expected".
    After much thought he wrote : Yes!
    Santa recently found the answer to the most difficult question ever.
    What came first, the Chicken or the Egg?
    O Yaar, what ever u order first will come first.
    19 Sardars went to watch a film.
    On being questioned about the big group, they replied that the film was only for above 18...
    A Sardar went to a bank to open a S.B. A/C. After Seeing he went to Delhi. Guess why?
    The FORM said "FILL UP IN CAPITAL ".
    A street dog was chasing Santa and he was laughing.
    A bystander: why are u laughing? Santa: I have an Airtel phone, but still Hutch network is following me.
    On a romantic date Santa's girl friend asks him "Darling on our engagement, will you give me a ring?
    He said "Ya, sure what's your phone number?
    Santa was standing below a tube light with mouth wide open.........WHY?
    Because his doctor advised him "Today's dinner should be light".
    Santa: I hav'nt slept all nite in the train.
    Banta: Y?
    Santa: Got upper berth.
    Banta: Y did'nt u try to Xchnge?

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  73. kedarsing jatt , james watt , anarkali etc. Ki bajay tum UNKNOWN ke nam se comment karte huye jyada achchhe lagte ho

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  74. JAI KUMAR JI APP NEHAI ACHE PAKAD LIYA TODI AUR KOSHIS KAREY

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  75. Santa goes to a hotel and eats heartily. After eating he goes to wash his hands but starts washing the basin instead. The manager comes running and asks him, 'Prahji, aap kya kar rahe ho?' To this the man replies,
    ' Oye, tumne hi to idhar board lagaya hai,'Wash Basin'.
    Banta without a licence was going in the two wheeler. The traffic police caught him and asked for the licence. He told I know the IG. All police saluted him. After some time he says but the IG DOES not know me.
    Santa: Why do you take your wife to night clubs only?

    Laloo: By the time she gets ready no other place is open.
    Titanic was sinking.

    Santa: How much the earth is far from here?

    Banta: 1 kilo meter.

    Santa jumped into the sea and asked again: "...In which direction?"

    Banta: Downwards !!
    Santa child - mere papa bahut darpok hain.
    Banta child - how?
    Santa child - jab bhi road cross karten hain, meri ungli pakad lete hain !
    anta & banta sit in a coffee house…
    1st: “Jaldi pee yaar, coffee thandi ho jayegi”
    2nd: To kya?
    1st: Arre Bevkoof, menu card padha!!!
    HOT COFFEE Rs.20/- & COLD COFFEE Rs.40/-

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  76. james watt chutukule like ache lage aap kay chutukule

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