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Saturday, June 22, 2013

सोमनाथ की तरह केदारनाथ फिर बसाने का मोदी संकल्प


सोमनाथ की तरह केदारनाथ फिर बसाने का मोदी संकल्प


सोमनाथ का पुनरुद्धार कर अमर हो गए सरदार पटेल के नक्शे कदम पर चलते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है। प्रकृति की विनाशलीला में तबाह हुए बाबा केदारनाथ धाम को दोबारा बसाने के प्रस्ताव से मोदी की प्रखर हिंदुत्व की छवि पर भगवा रंग और गाढ़ा हो गया है।




गुजरात में अरब सागर स्थित सोमनाथ के उद्धारक सरदार पटेल की दुनिया में सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित करने का काम मोदी पहले ही शुरू कर चुके हैं। इसके लिए उन्होंने देश के हर गांव से खेती-किसानी के काम में इस्तेमाल किया हुआ थोड़ा-थोड़ा लोहा मांगा है। इस लोहे को गलाकर ही लौहपुरुष की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई जानी है। लौहपुरुष पटेल की ही तर्ज पर मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से गुजरात सरकार की तरफ से केदारनाथ पुनरुद्धार की पेशकश की है।

बहुगुणा से मुलाकात के बाद मोदी ने कहा कि चारों धामों में एक बाबा केदारनाथ मंदिर परिसर पूरी तरह बर्बाद हो गया है। गुजरात सरकार उसका फिर से निर्माण करेगी। अगर उत्तराखंड सरकार हमें जिम्मेदारी सौंपेगी तो हम अत्याधुनिक तरीके से उसका निर्माण कराएंगे। करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े बाबा केदारनाथ स्थल का हाल भी आजादी के समय बाबा सोमनाथ मंदिर से कुछ जुदा नहीं है। आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल 13 नवंबर 1947 में सोमनाथ गए थे। तब वह एकदम ध्वस्त था। उसके पुनर्निर्माण का बीड़ा उन्होंने उठाया और 11 मई 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की।

सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर अब हिमालय की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ के पुनरुद्धार के मोदी के संकल्प पर उत्तराखंड और केंद्र सरकार का रुख देखना है। वैसे केदारनाथ धाम समिति के संत और उसके सदस्य पुनर्निर्माण पर फैसला लेंगे। चूंकि आपदा राहत कार्यो के बीच बाबा केदारनाथ को बसाने का सबसे पहला प्रस्ताव मोदी ने ही दिया है इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड या केंद्र की कांग्रेस शासित सरकारें क्या फैसला लेती हैं? करोड़ों देशवासियों की भावनाओं से जुड़े बाबा केदारनाथ के पुनरुद्धार की पेशकश को यूं ही ठुकराना उनके लिए आसान नहीं होगा। खुद ही केंद्र सरकार इसकी कमान संभाले या फिर कोई दूसरा रास्ता निकालेगी, यह देखना होगा



News Source / Sabhaar : Jagran (22 Jun 2013 )

7 comments:

  1. Neelesh Purohit (posted on facebook)

    Subhash Chandra >

    YA TRUE HA,,,,,,,,,,, LO SAB
    PADHO,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


    टण्डन साहब के आदेश में
    retrospective Effect से
    नियमावली में संशोधन के आधार पर
    पूर्व विज्ञापन को रद्द
    किया जाना अवैध करार
    दिया गया था और साथ ही यह
    भी कहा गया था कि चयन
    प्रक्रिया निर्धारित करना सरकार
    का अधिकार है,,चूँकि हमारे
    पदों की चयन प्रक्रिया भी एक वैध
    सरकार द्वारा ही निर्धारित कि गई
    थी इसलिए टेट के बैड पार्ट को अलग
    करके टेट मेरिट से
    नियुक्ति की जानी चाहिए,,लेकिन
    अपने फैसले के अंत में उन्होंने हमारे
    विज्ञापन को प्रशिक्षु अध्यापक
    का मानते हुए उसका नियमावली में
    जिक्र ना होने की वजह से उसे रद्द
    कर दिया एवं यह मानते हुए कि नए
    विज्ञापन से जुड़े 72825 पद
    चूँकि पूर्व विज्ञापन के हैं इसलिए
    आयु सीमा वाले आदेश द्वारा उन्होंने
    परोक्ष रूप से नए विज्ञापन परपूर्व
    विज्ञापन की शर्तें लाद दीं,,इससे
    पहले पूर्व विज्ञापन के
    फार्मों का विवरण SCERT भेजेजाने
    वाले आदेश द्वारा भी उन्होंने नए
    विज्ञापन पर पूर्व विज्ञापन के
    फार्मों को आरोपित कर दिया था,,,,
    उसी दिन न्यायमूर्ति भूषण ने
    विशिष्ट बी.टी.सी.और बी.टी.सी.
    वालों की टेट से मुक्ति कि याचिका पर
    reserve अपने फैसले में विज्ञापन
    के नामकरण को महत्वपूर्ण ना मानते
    हुए प्रशिक्षु अध्यापक के विज्ञापन
    को सारतः सहायक अध्यापक
    का विज्ञापन माना और साथ ही नए
    विज्ञापन में नॉन टेट
    वालों को भी शामिल करने का निर्देश
    दे दिया,,ध्यान देने वाली बात यह है
    कि यह मामला उनकी अदालत में
    विचाराधीन ही नहीं था,,,, इस आदेश
    के विरूद्ध अपील करके सरकार नॉन
    टेट वालों की भारी संख्या से
    दुश्मनी नहीं ले सकती थी और
    ना ही नॉन टेट को शामिल करने के
    निर्देश को मान ही सकती थी,,,नॉन
    टेट के आदेश की व्याख्या करतेहुए
    टण्डन ने उसे निर्देश माना और
    कहा कि जब टेट वाले ना मिलें तब नॉन
    टेट वालों को शामिल
    किया जा सकता ह

    ReplyDelete
  2. जबकि दूसरी अदालत ने उस आदेश के
    पालन में विफल रहने पर 24 अप्रैल
    को सचिव को तलब करने का आदेश
    कर दिया,,,
    जबकि न्यायमूर्ति शाही ने टेट
    को ग्रीन कार्ड बताते हुए उसे
    अनिवार्य बताया और
    न्यामूर्ति भूषण के आदेश
    की संवैधानिकता का परीक्षण करने
    के लिए संविधान पीठ के गठन
    की अनुशंसा कर दी,,,, संविधान पीठ
    में उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ
    केन्द्र सरकार और NCTE
    को भी पार्टी बनाया गया तथा उसको
    प्रश्नों में टेट की अनिवार्यता के
    साथ-साथ job on the training के
    बारे में स्पष्टीकरण को शामिल
    किया गया,,केन्द्र सरकार ने अपने
    जवाब में यह स्पष्ट कर
    दिया कि बी.एड
    डिग्रीधारकों की प्राथमिक के
    सहायक अध्यापक पद पर
    नियुक्ति के पश्चात उनकी ट्रेनिंग
    होगी,,,
    आज के संविधान पीठ के आदेश के
    बाद टण्डन के आदेश में प्रशिक्षु
    अध्यापक के सबंध में हमारे विरूद्ध
    लिखा एकमात्र पैराग्राफ
    निष्प्रभावी हो जाता है,,,,उधर
    हरकौली साहब ने स्टे देने के बाद
    हुयी सुनवाइयों में टेट के बैड पार्ट
    को तलाश करने के
    सरकारी प्रयासों की कलई खोल
    दी और प्रथम द्रष्टया ही यह साबित
    कर दिया कि सरकार का मकसद
    मात्र टेट मेरिट से चयन
    को रोकना था और कुछ नहीं,,,,,अब
    यदि तीनों अदालतों(टण्डन,संविधान
    पीठ और हरकौली साहब) के
    फैसलों को एक साथ रखकर पढ़ा जाए
    तो चारों ओर जय टेट मेरिट ,जय
    ओल्ड एड के ही नारे की गूँज सुनाई
    देगी,,,,,

    ReplyDelete
  3. आदेश के विरूद्ध
    सरकार अपील नही कर सकती और
    जब तक यह आदेश प्रभावी है तब तक
    हरकौली साहब
    द्वारा हमारा विज्ञापन बहाल किये
    जाने वाले संभावित आदेश के विरूद्ध
    भी अपील नहीं की जा सकती,,,,,
    इसी के साथ पूर्व विज्ञापन सेजुड़े
    सारे विवाद समाप्त हो गये हैं,,,,,

    अब अखिलेश यादव इस भीषण
    गरमी में ए.सी. बंद करके पसीनेसे
    भीगे हुए ठन्डे दिमाग से यह सोचें
    कि नए विज्ञापन का उन्हें
    करना क्या है,,,उसकी फीस वापस
    करना पसंद करेंगे
    या गुणाकधारियों के लिए नवीन
    पदों का सृजन करेंगे ,,,

    जो भी करना हो हरकौली साहब के
    कोर्ट तक मामला जाने से पहले
    ही सोच लें वरना उस्मानी के लिए
    जुर्माने का प्रबंध कर लें ,,,,,

    मेरे ख्याल से अखिलेश यादव कोएक
    बार फिर से उस्मानी को इस मामले
    पर सलाह देने के लिए बुलाना चाहिए ,,
    अगर उस्मानी इस बार टेट मेरिटके
    पक्ष में सलाह दे तो उसे इस आधार
    पर तुरंत निलंबित कर दें कि पहले
    सही सलाह क्यों नहीं दी थी,,अगर
    उस्मानी अब भी एकैडमिक से
    भर्ती की संभावना जताए तो उसेइस
    आधार पर निलंबित कर दिया जाए
    कि वो अखिलेश यादव को बेवकूफ
    समझ भी रहा है और बना भी रहा ह

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  4. Wakai up me andher nagri hai, tet me itni dhandli hui, 36 bar result sansodhn hua, 1 hafte pahle base of selection badla gya, paper pattarn k anurup nhi tha, centro me jb kr setting hui, sanjy mohan jail gye.... Phir b in bhrtachriyo ko sharm nhi aati aur tet merit banane ki bat krte hai..

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  5. Jo vaykti kud highschool, inter, graduation me thrid division pass hai wo bhla prt k baccho ko kya shiksh dega ?

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  6. Agar tet mrt hi banvana hai to tet ke vigyapan ko pad lo usake bad court me jana

    ReplyDelete
  7. selection keval tet merit ke adhar par hoga nahin to yeh bharti nahin hone di jayegi

    ReplyDelete

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