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Sunday, July 14, 2013

UP Teacher Transfer Procedure Batayun

UP Teacher Transfer Procedure Batayun




Source : Facebook




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  1. पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में अपने संबोधन के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े किए. उन्होंने 'आधुनिकता चाहिए, पश्चिमीकरण नहीं' का मंत्र दिया और कहा कि अगर हम अपनी शिक्षा पद्धति अपनाते तो आज कहीं आगे होते.
    नरेंद्र मोदी ने कहा कि सावरकर और सीवी रमन के कॉलेज की रज को माथे से लगाने की तमन्ना उन्हें पहले से थी. सावरकर के कमरे में उन्होंने देश के लिए कुछ करने की ताकत महसूस की. यहां बोलना उनके लिए सौभाग्य की बात है.

    मोदी ने कहा कि लोग 'पावर' चाहते हैं, पर मैं 'एंपावरमेंट' चाहता हूं. उन्होंने मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर जमकर कटाक्ष किए. उन्होंने कहा कि शिक्षा पहले 'मैन मेकिंग मशीन' थी, अब 'मनी मेकिंग मशीन' हो गई है. मोदी ने कहा कि वह सावरकर की 'पवित्र भूमि' से कोई सियासी टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन टिप्पणियां तो उन्होंने खूब कीं, हालांकि किसी पार्टी का नाम नहीं लिया.

    उन्होंने कहा कि देश के शीर्ष संस्थानों की स्थापना में हमारे महापुरुषों का योगदान है, शासन-व्यवस्था का नहीं. 1835 के एक गजेट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उस समय बंगाल में 100 फीसदी साक्षरता थी. लेकिन खराब नीतियों की वजह से साक्षरता घटती गई.

    लगे हाथ वह केरल की साक्षरता का श्रेय कांग्रेस से छीनने से भी नहीं चूके. उन्होंने कहा कि केरल देश में सबसे ज्यादा साक्षरता वाला राज्य है तो इसमें शासन व्यवस्था नहीं, बल्कि शिवगिरि मठ के नारायण गुरु स्वामी का योगदान है. जिन्होंने सौ साल से भी पहले राज्य में शिक्षा की बुनियादी व्यवस्था की थी.

    मोदी ने बताया कि सोशल साइट्स पर उन्होंने सुझाव आमंत्रित किए थे. जिसके बाद देश भर से उन्हें 2500 युवाओं के संदेश मिले हैं. उन्होंने सोशल साइट पर सक्रिय रहने वाले युवाओं और परोक्ष रूप से अपने समर्थकों का भी शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी सिर्फ जींस पैंट पहनने और लंबे बाल रखने वाली नहीं है, वह मुद्दों पर सोचती है और बात करना चाहती है.

    मोदी ने कहा कि हम विश्व के सबसे युवा देश हैं. हमारा भविष्य अंधकारमय नहीं हो सकता. हमें निराशा के माहौल से निकलना होगा. लोकमान्य तिलक का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि गुलामी के दौर में अंग्रेजों का ललकारने का साहस तिलक ने दिखाया था. उन्होंने कहा कि स्थिति बदली जा सकती है, पर इसके लिए विजन की जरूरत है.



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