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Tuesday, July 9, 2013

UPTET : 72825 Recruitment Matter, TET Morcha Petitioner Was Beaten

UPTET : 72825 Recruitment Matter, TET Morcha Petitioner Was Beaten Yesterday


Shyam Dev Mishra ji :
संक्षिप्त घटनाक्रम:
टेट संघर्ष मोर्चा के अग्रणी-सक्रिय सदस्य एस के पाठक को कल रात लगभग दस बजे किसी अनजान व्यक्ति ने अदालती कार्यवाही की बातें करते हुए बाइक पर लिफ्ट दी, बाइक के अपेक्षाकृत सुनसान स्थान पर पहुचने पर पाठक जी को शंका हुई और एक मोड़ पर बाइक के धीमे होते ही वे कूद पड़े, तब तक दो अन्य बाइकों से आये चार अन्य लोगो ने पहले व्यक्ति के साथ मिलकर उनपर हमला कर दिया और उन्हें घायल कर भाग निकले। इलाहाबाद में मौजूद मोर्चे के साथियों ने तत्काल उनके निवास पर पहुचकर थाना-पुलिस-मेडिकल-उपचार आदि का काम निपटाया। पाठक जी शीघ्र ही पूर्णतः स्वस्थ-सक्रिय हो जायेंगे, यही कामना और विश्वास है।

अपील:
यह घटना 72825 पदों पर भर्ती की लड़ाई में टेट संघर्ष मोर्चे की की अबतक की मजबूती और सफलता से हताश-निराश लोगों की ओछी हरकत है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। इलाहाबाद में सक्रिय साथियों ने पुलिस में इस घटना की तहरीर देकर यह तय करने की कोशिश की है कि ऐसे तत्वों को उनके कृत्य का दंड अवश्य मिले। देर-सबेर इन पांच व्यक्तियों मे से किसी एक के चिह्नित होते ही शेष आरोपी भी धर लिए जायेंगे। इस बात का भी ध्यान रखें कि किसी सक्रिय सदस्य के साथ भी अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह इन पाँच में से या इनसे सम्बद्ध हो सकता है। इस घटना में शामिल व्यक्तियों का अपने स्तर से पता लगायें, ऐसे तत्वों को चिह्नित करें, इलाहाबाद के साथियों को अविलम्ब सूचित करें। सक्षम और समर्थ होने पर भी खुद ही इनका पब्लिक ट्रायल करने के बजाय इनके लीगल ट्रायल की व्यवस्था करें क्यूंकि आप को न सिर्फ अपनी गरिमा और स्तर बनाये रखना है बल्कि ये भी सुनिश्चित करना है कि ऐसी गलीज हरकत करने वाले व्यक्तियों के हिस्से में मात्र दो-चार लात-घूँसे नहीं, दो-चार साल की जेल जरुर आये

******************

ब्लॉग संपादक की अपील -
सभी अभ्यार्थीयों को सलाह दी जाती है कि किसी भी असंवेधानिक कृत्य से बचें , ऐसे कृत्य समाज में तो आपको बुराई का पात्र बनायेंगे ही साथ ही आपका केरियर भी ख़राब हो जायेगा क्योंकि सरकारी सेवाओं के लिए चरित्र पर किसी तरह का दाग  नहीं आना चाहिए  


45 comments:

  1. nishit rup se yah nindneeya kritya hai

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  2. ye nindney kam hai..... par jaise karni, vaise bharni!!

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  3. श्री नरेन्द्र मोदी जी एक ईमानदार , समाज सेवक , विकाश पुरुष , योग्य , कर्मठ , राष्ट्रवादी , व्यक्ति हैं. उन्हें पद नहीं , सिर्फ सेवा करने की शौक है, इच्छा है . हिद्नुस्तान को जरुरत है मोदी जी की. और बीजेपी की. हिंदुस्तान के सभी हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैन बुध पारसी सिन्धी सभी धर्मो के राष्ट्रवादी जनता से अनुरोध है को , वो बीजेपी और नरेन्द्र मोदी जी को भरी मतों से विजयी बनावे . जय हिन्द जय बीजेपी जय नरन्द्र मोदी जी , जय हिंदुस्तान की जनता की , वन्दे मातरम .


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  4. Jaisa ki aap sabhi logo ko Kapil Dev ne pahle he suchit kiya tha ki Ye case ab
    Harkauli nahi sunege. Aur jab unhone case dalna chaha to kai logo ne ye kaha ki
    jab decision 8th July ko aa raha hai to kyu case kar ke mamla fasa rahe ho. Ab
    mujhe lagta hai ki aap log samjh he gaye hoge ki kya scha tha aur kaun galat. Hum
    sabhi log is baat ko lekar ek writ HC me dalna chahte hai ki Sabhi aspirants
    paershan hai, vo kai private jobs jo bonds se related hai nahi bahr sakte , log
    suicide kar rahe hai. Aise kai thahyo ko lekar bharti priakriya ko jaldi suru kiya
    jaye. Sirf hath par hath dhare baithe rahne se kuch nahi hoga aur na he fb par
    ladte rahne se. Sabhi ichhuk log aage aaye aur Allahababd me hui meeting me
    shamil logo se sampark kare aur writ me yachikarta bane taki uska sahi prabhav
    pade aur bharti jaldi prakriya jaldi suru ho. Waqt nikalta ja raha hai. Ab aage aane
    ka waqt hai. Gharo me sirf baithe rahne se kuch nahi hoga. Apne ister se is kaam
    me jo ho sakta hai vo shayog kare. Chotte chootte prayash he ek badi kamyabi ka
    aadhar hote hai.

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  5. Jisne v ye bujdali wala kam kiya hai unhe bandhkar pahle itna mara jaye ki wo pitne ke bad ghagade ke nam se v kaap jaye aur itna sidha ho jaye sir hamesha niche karke chale aur bad me jel bhej diya jaye.
    jai bajarang bali.

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  6. Agar cmt kareke ba salo to sahi cmt aur news karo na to gali aija sabke aawela.agar kuch na aawela to chup chap dusaro ka cmt pado.

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  7. tere liye to jete ji maut se v battar saja honi chahiye jaisi karni waisi bharni ki bat karne wale danav yadav.aaj tak jo bura hua hai sab teri karni ke karan hi hai.
    Lekin bure waqt ki ak achchi baat ye hoti hai ki wo v gujar jata hai lekin tu aur teri sarkar v jald gujaregi.jai hanuman

    ReplyDelete
  8. tere liye to jete ji maut se v battar saja honi chahiye jaisi karni waisi bharni ki bat karne wale danav yadav.aaj tak jo bura hua hai sab teri karni ke karan hi hai.
    Lekin bure waqt ki ak achchi baat ye hoti hai ki wo v gujar jata hai lekin tu aur teri sarkar v jald gujaregi.jai hanuman

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  9. Bharti honi chahiye sirf tet merit se,nahi to yahan ki nyay vyawastha se yakeen hamesha k liye khatm. Earlier or latest tet merit is the best.

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  10. Tet morcha ke member upar hath utha kar logon ne apne najayaz hone ka saboot de diya hai,kyunki tet merit ki ladai ladne wale insaaf,haque, jayaz,sach aur pratibha k samman ki ladai lad rahe hai, this is universal truth.

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  11. aaj tak suna tha jaise karni waise bharni... aaj dhekh. b liya

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  12. Bench confirm mahapatra &rakesh srivastava by
    sujeet jee

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  13. Navin Srivastava >>

    Mitro! Bench clear ho chuki hai aur date bhi.

    Next
    hearing date 15 july.@

    L K MAHAPATRA AND
    RAKESH SRIVASTAVA

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  14. Something Personal about me @>>> ......


    My Name >>… MOHAMMAD SHAKEEL

    [ ALI is my nick name ]


    Vill >>… HARCHANDPUR


    DISTRICT >>… RAEBARELI


    UTTAR PRADESH


    UP TET (1-5) >> 122

    UPTET ( 6-8 ) >> 114

    CTET 2011 ALSO QUALIFIED

    ACD GUDANK >> 60.94 ( OBC )

    CONTACT NO. >> 96 48 20 73 47

    81 82 80 33 09


    [ YOU CAN CHECK MY PROFILE ]

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  15. Dosto- Abhi abhi Sujeet bhai se baat huyi bench
    confirm ho gai hai

    ab apna case Justice
    Mahapatra and Justice Rakesh Shrivastava sunege

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  16. अब परीक्षण इस बात का हो रहा है कि क्या एक
    नई गठित सरकार अपनी पूर्ववर्ती सरकार के
    संवैधानिक फैसलों को किसी काल्पनिक आधार
    या विद्वेष के आधार पर बदल सकती है या नहीं ????

    इसका जबाब आप सब को पता है|

    धांधली जो कि आज तक
    साबित ही नहीं हुई, को पहले ही कोर्ट स्पष्ट कर
    चुका है कि अगर ऐसा हुआ है तो सही गलत को छांटकर
    पूर्ववत प्रक्रिया को पूर्ण
    करें,,,उस्मानी कमेटी की चीड़ फाड़ भी सब लोग
    देख चुके हैं,,,विज्ञापन को भी हरी झंडी मिल
    चुकी है खंडपीठ से,,,तो अब बाधा क्या है????


    मै कल से एक ही बात सोच रहा हूँ कि आखिर अब जब
    पूरी बात आईने की तरह हरकौली ने साफ कर
    दी है तो कैसे कोई द्वि खंडपीठ अन्तरिम आदेशों मे
    लिखे गए शब्दों को ठीक उसके विपरीत
    (नकारात्मक) शब्दों मे बदल सकती है ????

    सर्वोच्च
    न्यायालय अपने परीक्षण मे देखेगा कि जब तक
    पहली खंडपीठ मामले को देख रही थी मामला एक
    दिशा मे चल रहा था और जैसे ही दूसरी खंडपीठ मे
    गया मामले की दिशा विपरीत कैसे हो गई ???


    क्या इसीलिए खंडपीठ बदली गई थी और जज
    साहब अन्तरिम आदेशों के विपरीत जाकर फैसला देने
    का आधार क्या बताएँगे ???? बताइये,,,,क्या ये
    कि सरकारी दबाब था या ये कि मुझे
    ऐसा करना अच्छा लगता है?

    सनद रहे केवल पीठ
    बदली है भारत का संविधान और न्यायिक
    प्रक्रिया नहीं,,,,,,,न ही बदले हैं न्याय देने के
    नियम|

    संघीय व्यवस्था मे अधिकारों और
    शक्तियों का विकेन्द्रीकरण होता है जिससे
    किसी को भी उन अधिकारों और शक्तियों के
    दुरुपयोग की आजादी नहीं मिलती,,,,,

    अधिका
    रों और शक्तियों का मतलब
    निरंकुशता कदापि नहीं है|

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  17. कौन हराएगा हमे ??? हमे जीतने के लिए
    किसी जज की क्रपा की आवश्यकता न कल
    थी और न आज है । हमारे केस पर 4
    फरवरी को जो हरकौली जी ने किया अगर
    अखिलेश यादव भी जज की कुर्सी पर होते तो उन्हे
    भी वही सब लिखना पड़ता जो हरकौली जी ने
    लिखा । दुनिया का कोई जज prospective
    amendment का प्रभाव retrospective
    होना स्वीकार नही कर सकता । दुनिया का कोई
    जज किसी चलती हुई प्रक्रिया के नियम बदलने
    को सही नही ठहरा सकता और न किसी सरकार
    को ऐसा करने की छूट या अनुमति दे सकता है ।
    नियमावली मे प्रशिक्षु शब्द न लिखा होना भूषण
    जी हरकौली जी और फिर पूर्ण पीठ मे
    शाही जी अंबानी जी और बघेल जी महत्वहीन
    स्वीकार कर चुके है । दुनिया का कोई जज
    धाँधली धाँधली चिल्लाने मात्र से
    धाँधली होना स्वीकार नही कर सकता हर जज सबूत
    माँगेगा और जो हुआ ही नही उसका सबूत कहाँ से
    आएगा । झूठे सबूत छोटे मोटे कोर्ट मे पेश कर दिए जाते
    है लेकिन इतने महत्वपूर्ण केस मे ऐसा करने की कोई
    हिम्मत भी नही कर सकता । उक्त बातों के
    अलावा हमारे केस मे कोई नया बिंदु परिभाषित
    नही होना है ।


    बेँच और जज बदलने से
    फैसला नही बदलता । सभी जजो के लिए कानून
    की किताब एक है । संविधान
    की रक्षा करना ही उनका धर्म है ।

    बिना वजह
    अपना BP मत बढाइए । जरूरत महसूस हो तो 4
    फरवरी 12 मार्च और 31 मई का आदेश खुद पढ़िए
    और अकेडमिक वालों को भी पढ़वाइए । टैंसन लेने
    की बजाय देने की ताकत हर टेट सपोर्टर मे कूट
    कूट कर भरी है । उसे बाहर लाने भर की जरूरत है ।

    15 अगस्त आप
    अपने अपने स्कूलो मे ही मनाएँगे ।

    ReplyDelete
  18. अभी फेसबुक पर देख रहा था... एक लडकी ने अपने
    बॉयफ्रेंड
    की फोटो अपलोड की और साथ
    में लिखा "
    AALLLUBBBUUU ".
    . . कसम खुदा की समझने में बीस मिनट लग गये कि
    .
    .
    .
    . .उसका मतलब था "I love you".
    . .
    पता नहीं इतने स्टाइल में क्यूं लिखते हैं
    इंल्गिश... .
    .
    मेरे जैसा अनपढ तो क्या समझेगा.. मुझे तो लगता है
    शेक्सपीयर ही कन्फ्यूजिया जाये...

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  19. Ali khan (bc) tet 2011 ka vigyapan nikalne ke baad hi sansodhan kiya tha maya ke dwara aur tet patrta ko arhta banadiya tha .aur ap kahte ho ki game start ho jane ke bad niyam nahi badalte to batao kya ye sahi tha.agar unhe niyam badalna hi tha to vigyapan nikalne ke pahle sansodhan karna chahiye tha teu teu jawab do??

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  20. दरोगाओं की शारीरिक भर्ती परीक्षा पर रोक
    Updated on: Tue, 09 Jul 2013 07:46 PM (IST)
    - कोर्ट में तर्क-'खेल के नियमों में बीच में बदलाव नहीं किया जा सकता'

    - राज्य सरकार से जवाब तलब,11 जुलाई को फिर सुनवाई

    जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय नेप्रदेश में दरोगाओं की भर्ती के लिए चल रही शारीरिक दक्षता परीक्षा पररोक लगा दी है। अदालत ने यहआदेश याचियों के इस तर्क पर दिया कि खेल के नियमों में बीच में बदलाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगाहै। सुनवाई 11 जुलाई को होगी।
    न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने यह आदेश राजेश कुमार व अन्य तथा यज्ञ नारायण यादवव अन्य की याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याची का कहना है कि सरकार ने भर्ती के दौरान शारीरिक दक्षता परीक्षा केनियमों बदलाव किया है जबकिऐसा नहीं होना चाहिए था। ऐसा करना विज्ञापन में बदलाव माना जाएगा। तर्क दिया कि खेल के बीच में नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता। यह विधि सम्मत नहीं है। याची के अधिवक्ता रंजीत कुमार यादवका कहना था कि चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में परिवर्तन नहीं होना चाहिए था। अदालतने कहा कि याचियों के तर्क में दम है और इस पर विचार किया जाना जरूरी है। गुरुवार को अदालत इस मामलेमें विचार करेगी।
    उल्लेखनीय है कि उप निरीक्षक नागरिक पुलिस एवंप्लाटून कमांडर प्रादेशिक आम्डना कांस्टेबिलरी-2011परीक्षा के लिए प्रदेश मेंशारीरिक दक्षता परीक्षा शुरू की गई थी। इस दौरान एकयुवक की दौड़ के बीच ही मौत हो जाने के बाद प्रदेश सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद दौड़ के नियमों में बदलाव किया गयाऔर पुरुषों के लिए 35 मिनटमें 4.8 किमी और महिलाओं केलिए 20 मिनट में 2.4 किमी दौड़ के मानक तय किए गए। इससे पहले यह मानक पुरुषोंके लिए 60 मिनट में दस किमी और महिलाओं के लिए 35मिनट में 4.8 किमी था। याचियों का कहना था कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से हजारों अभ्यर्थी प्रभावित होंगे क्योंकि वेपुराने मानक के अनुसार दौड़में शामिल हो चुके हैं।




    ye baat court aur govt. ko ab tak kyon samajh me nahi aa rahi hai
    ??????????????????????????????

    ReplyDelete
  21. जब 70-80 रुपैय का सीमेंट 350-375 रुपये और 5 रुपये की अंग्रेजी दवाओ 150 रुपये में बेचीं जाती है तो भारत सरकार क्यों नहीं मूल्य निर्धारक अधिकरण बनाती जिससे जनता को लुट से बचाया जा सके...पढ़े....

    १- भारत में कम्पनिया अपना सामान लागत से 8 से 25 गुना दामो पर बेचती है जब की कृषि उत्पादों का दाम लागत भी नहीं दे रहा है, जैसे घर बनाने के लिए सीमेंट 70-80 रुपये में बनकर तैयार हो जाता है परन्तु बाज़ार में वह 350-375 रुपये में बेचीं जाती है जब की यह सब मिटटी को पीसकर बनाया जाता है. यह एक उदहारण है. इसका दाम कंपनी तय करती है.

    २- जान बचाने केलिए बनाई गयी अंग्रेजी दवाओ की कीमत लागत की २५ गुनी पर बेचीं जा रही है और इसमे किसी प्रकार का मोलभाव नहीं किया जा सकता है इसके लिए चाहे घर बेचना पड़े.

    ३- खेतों में डाला जाने वाला कीट नाशक भी 15-50 गुने दाम पर बेचा जाता है जिसमे सभी विदेशी कमापनिया शामिल है जिसकी बजह से खेती की लागत बहुत ज्यादा हो गयी है.

    ४- कहने का मतलब कारखानों में बनने वाले सामानों की कीमत इतना ज्यादा क्यों रखा जाता है जिसे भारत की जनता मजदूरी और अनाज बेचकर खरीदती है जिससे खेती लागत बढ़ने से किसान गरीब हो जाता है उसके खेती की उपज सस्ते में बिकने से किसान दरिद्र हो जाता है.

    उस पर तुर्रा यह की किसानो के उपज का दाम सरकार तय करती है और कारखानों की उपज का दाम लुटेरी कम्पनिया, इसलिये बाबा रामदेव जी ने सरकार से हर सामान का मूल्य निर्धारण अधिकरण बनाने की माग की है जो की लागत पर आधारित होगा जिसका हम सबको समर्थन करना चाहए...!!!

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  22. क्या संघर्ष भी कभी सुखद होता है?
    क्या कोई इसी आशा में था?
    यह पोस्ट केवल उन चुनिन्दा लोगो के
    लिए हैं जो खास हैं, खुद को संघर्षशील
    मानते हैं, संघर्ष को कठिन मानते हैं,
    कठिनाई के किसी भी रूप में आने से
    विचलित नहीं होते बल्कि उसका डटकर
    सामना करते हैं।

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  23. बाकियों के लिए बस
    इतना कहूँगा कि इन 72825 पदों के
    अलावा और भी नौकरियां हैं,
    जिनकी हिम्मत इस संघर्ष में जवाब दे गई
    है, वे उनके लिए प्रयास करें और अपने
    परिजनों-प्रियजनों के प्रति अपने
    उत्तरदायित्व का निर्वाह करें।
    पर जिन्हें अपने हक़ का भरोसा है,
    अपनी मजबूती पर भरोसा है, लड़कर
    अपना हक़ लेने का जज्बा है और इस लड़ाई
    की बड़ी से बड़ी बाधा पार कर जाने
    का इरादा है, वे लड़ रहे हैं, आगे भी लड़ेंगे
    और जीतेंगे भी। संभव हुआ तो इलाहाबाद
    में, अन्यथा सर्वोच्च न्यायालय में, आज
    नहीं तो कल, पर जीतेंगे जरूर!!

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  24. कल खंडपीठ में जो हुआ, अप्रत्याशित हुआ,
    पर कोई अनहोनी नहीं।
    हालिया घटनाक्रम से लोग सकते में
    इसलिए भी हैं क्यूंकि पहले लार्जर बेंच के
    निर्णय की लम्बी प्रतीक्षा और फिर जून
    की छुट्टियों में उबाऊ इंतज़ार के बाद,
    यानि अपने मामले की 12 मार्च
    को खंडपीठ में हुई सुनवाई के बात अब
    जाकर 8 जुलाई को अपने केस की सुनवाई
    का नुम्बर आया, और मिला क्या,
    "सभी सम्बद्ध अपीलें किसी अन्य बेंच में
    सुनवाई के लिए अगली कॉज-लिस्ट में
    सूचीबद्ध की जाएँ!" का वन-लाइनर
    आर्डर!

    ReplyDelete
  25. निश्चित रूप से तो नहीं कह सकता, पर
    अपने मामले को अन्य किसी बेंच को भेजे
    जाने के कई कारण हो सकते हैं।
    हो सकता है कि पहले उन्होंने मामले
    को किसी भूलवश या जानबूझकर अपने पास
    रखा हो और बाद में इसे गलत, मुश्किल
    या अव्यवहारिक मानकर अन्य बेंच
    को भेजने का आदेश दिया हो। जज भी एक
    आम इंसान है, जो गलतियाँ करता है, उसे
    सुधारता है, एक विचार बनाता है और
    सही न लगने पर उसे बदलकर नया विचार
    बनाता है, अपनी बची हुई
    छुट्टियाँ लेना चाहता है, उतने उतने
    ही काम हाथ में रखना चाहता है जितने
    सेवा-निवृत्ति के पूर्व आसानी से संपन्न
    हो जाएँ, नहीं चाहता कि कोई ऐसा काम
    हाथ में रह जाये
    जिसकी औपचारिकता पूरी करने के लिए
    उसे सेवा- निवृत्ति के अंतिम क्षण तक
    या उसके बाद भी कार्यालय में बैठना पड़े।
    इस तरह के मामलों में अगर मौजूदा पीठ
    ही सुनवाई करती तो आर्डर भी उसे
    ही लिखवाना पड़ता और निश्चित रूप से
    वरिष्ठ होने के कारण निर्णय लिखवाने के
    दुरूह, समयसाध्य और गंभीर कार्य में
    हरकौली जी को ही समय देना पड़ता,
    जो शायद आसन्न सेवा-निवृत्ति के
    मद्देनज़र, संभवतः उनके लिए मुश्किल हो।

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  26. जो साथी पीठ-परिवर्तन को एक षड़यंत्र
    मानकर आशंकित हैं, वो भी समझ चुके होंगे
    कि उनकी आशंका सही होने की स्थिति में
    भी आपकी जीत केवल विलंबित
    हो सकती है, हार नहीं बन सकती।
    इस मामले में तो जीत की पटकथा 4
    फ़रवरी को ही जस्टिस हरकौली और
    जस्टिस मिश्रा ने लिख दी थी। अपने
    आदेशों में उन्होंने "प्रशिक्षु शिक्षक"
    पदनाम के आधार पर, चयन के आधार में
    सुधार के लिए किये संशोधन के प्रभाव से
    और तथाकथित धांधली के प्रभाव को कम
    करने के लिए भर्ती को रद्द करने के
    सरकार के अबतक निर्णय, यानि मामले के
    सभी पहलुओं को न सिर्फ उठाया,
    बल्कि तार्किक और विधिसम्मत
    आधारों पर उनकी समीक्षा करते हुए
    स्पष्ट रूप से उन्हें औचित्यहीन और गलत
    ठहराया। अपने निष्कर्षों और निर्णय
    की वैधता और सत्यता पर खंडपीठ को इस
    सीमा तक विश्वास था कि सरकार
    द्वारा बदले यानि गुणांक-आधार वाले नए
    विज्ञापन के अनुसार शुरू
    हो रही काउन्सलिंग को यह कहकर रोक
    दिया कि अपीलकर्ताओं की अपील
    स्वीकार होने की स्थिति में यह एक
    निरर्थक प्रक्रिया भर रह जाएगी।
    तथाकथित धांधलीबाजों को बाहर
    निकाले जाने की सम्भावना तलाशे जाने
    की मंशा से खंडपीठ द्वारा बार-बार
    मौका दिए जाने भी सरकार ने जो और जैसे
    सबूत पेश किये, खंडपीठ ने उन्हें विचार-
    योग्य ही स्वीकार नहीं किया।

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  27. केवल
    नॉन-टेट अभ्यर्थियों के भर्ती के लिए
    अयोग्य होने के लार्जर बेंच के औपचारिक
    आदेश की प्रतीक्षा में रोका गया निर्णय
    आना बाकी था, और अब
    भी वही बाकी है।
    एक बात स्पष्ट कर दूँ कि मामला अन्य
    किसी बेंच को ट्रान्सफर हो रहा है आगे
    की सुनवाई/कार्यवाही के लिए, न
    कि अबतक की कार्यवाही के रिव्यु/
    समीक्षा के लिए! जो भी खंडपीठ मामले
    को देखेगी, वह अबतक की कार्यवाही और
    अबतक के निष्कर्षों के आधार पर आगे
    सुनवाई/निर्णय करेगी।
    क्या किसी को ऐसा लगता है कि नई बेंच
    मामले को हाथ में लेते ही कहेगी कि अबतक
    खंडपीठ द्वारा निकाले गए सभी निष्कर्ष
    गलत हैं और हम स्टे हटाते हैं? ऐसा ख्वाब
    तो कोई दीवाना अकादमिक समर्थक
    भी नहीं देखता। सबसे ज्यादा संतोषजनक
    बात ये है कि वृहत दृष्टिकोण वाले खंडपीठ
    के अबतक के आदेश औरन्यायसम्मत निष्कर्ष,
    सिर्फ जुबानी जमा-खर्च नहीं, लिपिबद्ध
    न्यायिक दस्तावेज है, और इन्हें
    अनदेखा करना या इनके विरुद्ध जाना,
    हमारे , आपके और सरकार तो क्या, खुद
    न्यायाधीशों के लिए भी भारी पड़
    जायेगा। "कैसे?" अब ये न पूछिए!! यह पूछने-
    बताने नहीं, करने-देखने की बात है। वैसे
    इसकी नौबत न ही आये तो सबके लिए
    अच्छा!!
    चलते-चलते इतना और बता दूँ
    कि इलाहाबाद में आपके साथी निराशा से
    दूर, बुलंद इरादों के साथ इस केस
    की औपचारिकतायें लगभग पूरी करवा चुके
    हैं और जहां अपना केस
    प्राथमिकता के आधार पर,
    यानी "अनलिस्टेड केस" के तौर पर
    सुना जायेगा, फ्रेश केस के तुरंत बाद।

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  28. राकेश भाई और सुजीत भाई ने हमारे मामले के न्यायमूर्ति महापात्रा और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की बेंच में जाने की पुष्टि कर दी है ,,अब हमारा मामला वहां टाइड अप हो जाएगा,,,, यदि बहुत ज्यादा ही देर लग गई तो भी अगस्त के पहले मंगलवार तक निर्णय आ जाएगा,,इतना भी समय लगने की बात इसलिए लिखी है कि ज्यादा जल्दी निर्णीत होने की अपेक्षाएं किसी संकट की घड़ी में संकटवर्धक का ही काम करती हैं,,,, अभी हमारा मामला 15 की advance cause list में है,कल शाम तक daily cause list आने के बाद यह निश्चित हो पायेगा कि 15 को हमारी सुनवाई होगी या नहीं,,

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  29. बहुत से साथियों को यह गलतफहमी रहती है कि किसी नए जज को केस समझने में वक्त लगता है,,,उन्हें याद करना चाहिए कि चार फरवरी को हरकौली साहब ने सिर्फ स्टे ही नहीं दिया था बल्कि अपने आदेश में उस मामले में और कुछ समझने लायक छोड़ा ही नहीं था,,उन्होंने हमारा मामला कब और कितनी देर में समझा था? मैं बताता हूँ,,उन्होंने सुनवाई की डेट से पूर्व न्यायमूर्ति अरुण टण्डन की सिंगिल बेंच का आदेश पढ़ा और सब समझ लिया ,, महापात्रा साहब को सारा मामला समझने के लिये टण्डन और हरकौली साहब का आदेश समझना है बस..... अपने केस में सारी कागजी कार्यवाही पूरी हो चुकी है और यदि जरूरत समझी जायेगी तो हमारे वकील अपने-अपने rejoinder पर बहस करेंगे ,,टेट के सिर्फ पात्रता होने के बारे में सवाल को वृहद पीठ पहले ही दफ़न कर चुकी है ,,

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  30. ,आप अगर चाहें तो कल कोर्ट में जो कुछ भी हुआ उसे इस रूप में कल्पना सकते हैं कि कल हमारे केस का नंबर नहीं आया या शाम को हरकौली साहब सेवानिवृत हो गये फिर हमारा मामला महापात्रा साहब के पास भेज दिया गया जिसे उन्होंने टाइड अप कर लिया ,,,,,एक बात का ध्यान रखते हुए नकारात्मक सोचने का प्रयास करें कि कुर्सी पर बैठा व्यक्ति नहीं बल्कि कुर्सी ,,,कुर्सी के बारे में अगर ऐसा सोचने की आदत ना हो तो कम से कम न्याय के सिंहासन के बारे में तो सोच ही सकते हैं,,,,,साथ भी इस बात का भी ध्यान रखियेगा कि हरकौली साहब हमारा फेवर नहीं कर रहे थे,,,वो जो भी कह या लिख रहे थे वो क़ानून सम्मत था इसलिए ,,,,, ......

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  31. कौन हराएगा हमे ??? हमे जीतने के लिए किसी जज की क्रपा की आवश्यकता न कल थी और न आज है । हमारे केस पर 4 फरवरी को जो हरकौली जी ने किया अगर अखिलेश यादव भी जज की कुर्सी पर होते तो उन्हे भी वही सब लिखना पड़ता जो हरकौली जी ने लिखा । दुनिया का कोई जज prospective amendment का प्रभाव retrospective होना स्वीकार नही कर सकता । दुनिया का कोई जज किसी चलती हुई प्रक्रिया के नियम बदलने को सही नही ठहरा सकता और न किसी सरकार को ऐसा करने की छूट या अनुमति दे सकता है । नियमावली मे प्रशिक्षु शब्द न लिखा होना भूषण जी हरकौली जी और फिर पूर्ण पीठ मे शाही जी अंबानी जी और बघेल जी महत्वहीन स्वीकार कर चुके है । दुनिया का कोई जज धाँधली धाँधली चिल्लाने मात्र से धाँधली होना स्वीकार नही कर सकता हर जज सबूत माँगेगा और जो हुआ ही नही उसका सबूत कहाँ से आएगा । झूठे सबूत छोटे मोटे कोर्ट मे पेश कर दिए जाते है लेकिन इतने महत्वपूर्ण केस मे ऐसा करने की कोई हिम्मत भी नही कर सकता । उक्त बातों के अलावा हमारे केस मे कोई नया बिंदु परिभाषित नही होना है । बेँच और जज बदलने से फैसला नही बदलता । सभी जजो के लिए कानून की किताब एक है । संविधान की रक्षा करना ही उनका धर्म है । बिना वजह अपना BP मत बढाइए । जरूरत महसूस हो तो 4 फरवरी 12 मार्च और 31 मई का आदेश खुद पढ़िए और अकेडमिक वालों को भी पढ़वाइए । टैंसन लेने की बजाय देने की ताकत हर टेट सपोर्टर मे कूट कूट कर भरी है । उसे बाहर लाने भर की जरूरत है । और 15 अगस्त आप अपने अपने स्कूलो मे ही मनाएँगे ।

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  32. <<>>
    एकेडमिक भाइयोँ के लिए बुरी खबर...
    इलाहाबाद हाईकोर्ट से...
    खेल के बीच मेँ नियम बदलना गलत इस आदेश को आये अभी 1 घंटा भी नही हुआहै अब दरोगा भर्ती भी रुकी..

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  33. dear tetian
    humara case 15 july ko court 3 mai luxmi mahapatra jo katak odisa ke retairment 2016 hai & rakesh srivastava lucknow university se padhe retairment 2022 ke d.b. mai hogi.
    jai tet

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  34. यहाँ भी पिट रही है उ.प्र.
    सरकार.....कोर्टने यहाँ भी फ़ट्कार
    लगाई सरकार पर कि खेल का नियम
    बीच मे नही बदला जा सकता.....पर
    सरकार है कि कमीनागीरी पर उतारू
    है.......टेट मेरिट जिंदाबाद.....

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  35. हमारी बेंच बदल जाने को बहुत ज्यादा नकारात्मक रूप में ना लें ,,,ऐसा क्यों हुआ इस बारे में सिर्फ तुक्केबाजी ही की जा सकती है ,,और इसका क्या परिणाम होगा यह पन्द्रह तारीख को ही समझ में आना शुरू हो पायेगा यदि उस दिन हमारा केस सुना जा सका तो,,,,, अगर किसी को इस सबमें हेराफेरी की बू आ रही हो तो मैं उससे यह कहना चाहता हूँ कि हमारा केस जिस भी जज के पास जाएगा उसकी पहली जिम्मेदारी आपकी बू सूंघ लेने और उसे विभिन्न माध्यमों द्वारा विसर्जित करने की आपकी क्षमताओं से अपना बचाव करने की होगी ,,इतने हाई-प्रोफाइल मामले में कल अचानक आया यह ट्विस्ट किसी के भी कान खड़े कर देने के लिए पर्याप्त है,,, सुजीत भाई एवं राकेशमणि के द्वारा जो सूचना आई है उसके अनुसार हमरे केस की फ़ाइल आफिस में चल नहीं रही है बल्कि उड़ रही है

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  36. अब हमारे मामले में आने वाले नए जज की इलाहाबाद उच्च न्यायालय की विश्वसनीयता को बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी और यदि उन्होंने हमारे मामले को टाइड अप करके अनलिस्टेड कर दिया तो हम उम्मीद से कम समय में जीतने की उम्मीद कर सकते हैं,,

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  37. ,इलाहाबाद के हमारे सभी साथी अपनी समस्त इच्छाशक्ति और जीतने की जिद के साथ कोर्ट में मौजूद हैं ,,,,,, गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद एस.के.पाठक आज भी कोर्ट गये जिसके लिए सभी टेट मेरिट चाहने वालों की ओर से मैं उनके जज्बे को सलाम करता हूँ ,,,,

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  38. अंत में हरकौली साहब के बारे में बस इतना कहना चाहता हूँ कि भले ही किन्हीं कारणोंवश वो हमारी जीत पर अंतिम मोहर ना लगा पाए हों लेकिन स्टे वाले दिन और बाद की टेट 2011 को धांधली के झूठे आरोपों से मुक्त कराने वाले अपने आदेशों के साथ वो हमेशा हमारे दिलो पर राज करेंगे ,,चार तारीख को जब काउंसिलिंग शुरू हो चुकी थी और हमारी टेट मेरिट एकैडमिक मेरिट के सामने बेबस नजर आ रही थी उस दिन जो खुशी उनके मुखमंडल से निकले शब्दों ने हम सबको दी थी वो शायद जीतने का आदेश सुनने से मिलने वाली खुशी से भी ना मिल पाए ,,शायद ईश्वर ने श्वेत बालों वाले संत के रूप में हरकौली साहब को हमारी रक्षा के लिए भेजा था ,,अब हमें ईश्वर के अगले चुनाव का इन्तजार करना है जिसे उसने हमें मंजिल तक पहुँचाने के लिए नियुक्त किया होगा ,,,,

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  39. MANAV SHRI G


    1 baat ko bar bar likhne/ kahne ka ye matlab hota hai ki aapki baaton par koi dhyaan nahi deta hai ya fir aapki baaton me koi asar nahi hai.

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  40. Bhai yetians, S.K.Pathak ji ko kyo mohra banaa rahe ho......?????
    Shukra hai unko kam chot aai.....,agar agar bhagwan na kare.........!!!!!to aap logon ke pass koi jabab hota......???? Jis par beet ti hai wo hi janta hai...... JAKE PAIR NA PHATE BIWAI,WO KYA JANE PEER PARAYI.......?????
    muh chalaane se........badi badi baten karne se koi sher nhi ban jata.......balki "JAHAN NADI GAHRI HOTI HAI,WAHAN JAL PRAWAH ATYANT SHANT AUR GAMBHEER HOTA HAI."

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  41. Avi v akd nhi gyi to eska anjam socho kya ho rha hai.

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  42. wish a great job for all tet supporters

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