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Thursday, September 3, 2015

News : आपको भावुक कर देंगे शीना बोरा की डायरी के ये पन्ने

News : आपको भावुक कर देंगे शीना बोरा की डायरी के ये पन्ने

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पीटर मुखर्जी के वकील - महेश जेठमलानी  बोल रहे हैं की खुद मुंबई पोलिस कमिश्नर इस इन्द्राणी केस की जांच कर रहे हैं ,
ये बहुत गलत है , क्या ये केस बहुत जटिल है , कमिश्नर खुद इस केस की जांच क्यों कर रहे हैं

कह रहे हैं की इन्द्राणी ने जब अपना जुर्म कबूल कर लिया तो पोलिस को अब उनको छोड़ देना चाहिए
और अब हम कोर्ट में देखेंगे इस केस को , वो कहते हैं पुलिस के सामने तो बहुत कुछ कह देते हैं , असली मामला तो कोर्ट के ट्रायल में होगा
हमें तो पोलिस अभी तक इन्द्राणी से मिलने ही नहीं दे रही

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नई दिल्ली
शीना बोरा के स्कूली दिनों की एक डायरी के पन्ने बचपन में उसकी तनहाई को बयां करते हैं। डायरी के इन पन्नों में मां इंद्राणी के लिए जहां बेइंतहा नफरत है, वहीं अपने पिता सिद्धार्थ दास से मिलने की तड़प। शीना को इंद्राणी से इस कदर नफरत थी कि उसने डायरी में अपनी मां के लिए चुड़ैल शब्द का इस्तेमाल किया है। शीना की इस डायरी से यह भी पता चलता है कि स्कूली दिनों में वह अपने पिता सिद्धार्थ दास के संपर्क में थी और उन्हें चिट्ठियां लिखा करती थी। न्यूज वेबसाइट डीनए ने शीना की इस डायरी के कुछ नोट्स पब्लिश किए हैं। पढ़िए, शीना की कहानी उसकी की जुबानी...

'वह मां नहीं चुड़ैल है...'
'ओह! मुझे जन्मदिन मुबारक हो! लेकिन मैं खुश नहीं हूं। मुझे ऐसा लगता है कि जैसे मैंने जीवन में कुछ पाया ही नहीं है। कुछ भी नहीं! मुझे अपना भविष्य अंधकारमय नजर आता है। मुझे चारों ओर से बस हताशा ने घेर लिया है। बड़ी घृणित सी जिंदगी है यह। मुझे अपनी मां से नफरत है... b***h... वह मां नहीं है। वह चुड़ैल है...'

'भगवान करे वह नरक में सड़े'
डायरी में एक पन्ना ऐसा भी है, जिसमें शीना मां इंद्राणी की पीटर मुखर्जी से शादी पर बेहद गुस्सा है। वह लिखती है, 'और अब उसने उस बूढ़े आदमी (पीटर मुखर्जी) से शादी रचा ली है। उसकी यह हरकत नाना-नानी को बहुत समझदारी भरा कदम लगता है, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानती। भगवान करे वह नरक में सड़े। मैं बहुत दुखी हूं और रोना चाहती हूं, लेकिन किसके सामने।'

डायरी में पिता सिद्धार्थ दास के लिए शीना का प्यार, गुस्सा और इंतजार झलकता है....
वही लिखती है, 'डैडी मैं आपसे बहुत नाराज हूं.. ओके... मेरे पास आपको चिट्ठी लिखने के लिए समय नहीं रहता है, लेकिन आपको तो लिखना चाहिए ना। आप बहुत स्वार्थी हो ना..। ठीक है, चलिए आपको चिट्ठी न लिखने के लिए मैं ही माफी मांगती हूं। दसवीं में हमें बहुत मेहनत करने की जरूरत होती है। हमें सुबह 7.30 बजे स्कूल जाना होता है। इसके बाद शाम को तीन से 4.30 बजे तक मैथ्स कोचिंग और इसके बाद फिर छह से आठ बजे तक साइंस कोचिंग क्लास। मैं रात साढ़े आठ बजे घर पहुंचती हूं। उम्मीद है आप समझ रहे होंगे कि मैं कितनी मेहनत कर रही हूं।'

'पापा मैं आपसे बहुत नाराज हूं'
'प्यारे पापा, आप कैसे हैं? मैं यहां पर कुशल हूं। पापा आपके लिए के खबर है। मेरे हाई स्कूल के एग्जाम खत्म हो गए हैं। इसलिए अब मुझे पढ़ाई नहीं करनी होती है और हां मुझे आपका नए साल का कार्ड मिल गया था। आपको इतने महीने तक चिट्ठी न लिखने के लिए माफी चाहती हूं। पिछले मार्च में ही मेरे एक्जाम खत्म हुए है। लेकिन आपने मुझे एक बार भी फोन नहीं किया, मैं आपसे बहुत नाराज हूं। सितंबर से मेरी क्लास शुरू हो रही है। आपको बहुत मिस करती हूं। उम्मीद है आप भी मुझे मिस करते होंगे। मैं आपकी चिट्ठी का इंतजार करूंगी। आपको शीना की तरफ से ढेर सारा प्यार।' '

'मैंने आपकी सलाह मान ली पापा'
एक और चिट्ठी में शीना लिखती है, 'डैडी, मैंने अपने नाखून काट लिए हैं और अब उन्हें नहीं बढ़ाऊंगी। मैंने आपकी सलाह मान ली है कि पहले पढ़ाई फिर स्टाइल। पापा मुझे पता है कि आप मुझसे ढेर सारी बातें करना चाहते हैं, लेकिन पापा ये बातें चिट्ठी में मत लिखना। मुझे उम्मीद है कि आप मेरे हाई स्कूल के एग्जाम से पहले एक बार मुझसे मिलेंगे। आप दिसंबर में गुवाहाटी आने का प्लान क्यों नहीं बनाते? तब आप मुझे वह सब कह सकते हैं जो आप मुझसे जानना चाहते हैं।'

News sabhar: नवभारतटाइम्स.कॉम| Sep 3, 2015, 05.31 PM IST