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Saturday, February 27, 2016

बाबर और राणा सांगा में भयानक युद्ध चल रहा था । बाबर ने युद्ध में पहली बार तोपों का इस्तेमाल किया था । उन दिनों युद्ध केवल दिन में लड़ा जाता था, शाम के समय दोनों तरफ के सैनिक अपने अपने शिविरों


बाबर और राणा सांगा में भयानक युद्ध चल रहा था ।
बाबर ने युद्ध में पहली बार तोपों का इस्तेमाल किया था । उन दिनों युद्ध केवल दिन में लड़ा जाता था, शाम के समय दोनों तरफ के सैनिक अपने अपने शिविरों
में आराम करते थे । फिर सुबह युद्ध होता था !
लड़ते लड़ते शाम हो चली थी , दोनों तरफ के सैनिक अपने शिविरों में भोजन तैयार कर रहे थे ।
बाबर टहलते हुए  अपने शिविर के बाहर खड़ा दुश्मन सेना के कैम्प को देख रहा था तभी उसे राणा सांगा की सेना के शिविरों से कई जगह से धुँआ उठता दिखाई दिया।
बाबर को लगा कि दुश्मन के शिविर में आग लग गई है, उसने तुरंत अपने सेनापति मीर बांकी को बुलाया और पूछा कि देखो दुश्मन के शिविर में आग लग गई है क्या ? शिविर में पचासों जगहों से धुँआ निकल रहा हैं ।
सेनापति ने अपने गुप्तचरों को आदेश दिया -जाओ पता लगाओं कि दुश्मन के सैन्य शिविर से इतनी बड़ी संख्या में इतनी जगहों से धुँओ का गुब्बार क्यों निकल रहा है ?
गुप्तचर कुछ देर बाद लौटे उन्होंने बताया हुजूर दुश्मन सैनिक सब हिन्दू हैं वो एक साथ एक जगह बैठकर खाना नहीं खाते ।सेना में कई जात के सैनिक है जो
एक दूसरे का छुआ नहीं खाते इसलिए सब अपना अपना भोजन अलग अलग बनाते हैं अलग अलग खाते हैं ।एक दूसरे
का छुआ पानी तक नहीं पीते।
यह  सुनकर बाबर खूब जोर से हँसा काफी देर हँसने के बाद उसने अपने सेनापति से कहा .मीर बांकी फ़तेह हमारी ही होगी !
ये क्या हमसे लड़ेंगे, जो सेना एक साथ
मिल बैठकर खाना तक नहीं खा सकती, वो एक साथ मिलकर दुश्मन के खिलाफ कैसे लड़ेगी ?
बाबर सही था।
तीन दिनों में राणा सांगा की सेना मार दी गई और बाबर ने मुग़ल शासन की नीव रखी।

विषय आज भी चिन्तनीय है !

                  «सत्य यही है»


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