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Sunday, February 21, 2016

लहसुन के बाद दूसरा अमृत फल अलसी के बीज हैं Flexseeds is 2nd Nectar / Elixir of Life after Garlic

लहसुन के बाद दूसरा अमृत फल अलसी के बीज हैं
Flexseeds is 2nd Nectar / Elixir of Life after Garlic

ओमेगा 3 एसिड का  सस्ता और बेहतरीन स्रोत है , ओमेगा 3  बादाम में भी पाया जाता है 

ओमेगा 3 बेड कोलेस्ट्रोल से लड़ने में सबसे असरकारी होता हो 

बाजार में यह 12 /14 रूपए प्रति 100 ग्राम मिलते हैं , और स्वाद भी अच्छा है । 

सुबह शाम एक एक चम्मच अलसी के बीज खाने से डायबिटीस , उच्च कोलेस्ट्रोल , हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर,सेक्स समस्यों   आदि तमाम बीमारियों से निजात मिलती है और 

शरीर का वजन नियंत्रण में भी बेहद उपयोगी है

अलसी से शरीर को होने वाले फायदे 

कुछ का मानना है कि अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए हैं।

आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया


अलसी को 3000 ईसा पूर्व बेबीलोन में उगाया गया था। 8वीं शताब्दी में राज चार्लेमगने अलसी से शरीर को होने वाले फायदों पर इतना ज्यादा यकीन करते थे कि उन्होंने इसे खाने के लिए एक कानून भी पारित करा दिया था। आज 1300 साल बाद विशेषज्ञों ने प्राथमिक शोध के आधार पर कहा कि चार्लेमगने का अंदेशा बिल्कुल सही था।
वैसे तो अलसी में सभी तरह के स्वस्थ तत्व पाए जाते हैं, पर इनमें से तीन ऐसे हैं, जो बेहद खास हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह फैट अच्छा होता है और दिल को सेहतमंद रखता है। एक चम्मच अलसी में करीब 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है।


See Flex Seeds Report Here ->>> http://ndb.nal.usda.gov/ndb/foods/show/3716?fgcd=&manu=&lfacet=&format=Abridged&count=&max=25&offset=&sort=&qlookup=flaxseeds

अलसी के बीज
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 530 किलो कैलोरी   2230 kJ
कार्बोहाइड्रेट    28.88 g
- शर्करा 1.55 g
आहारीय रेशा  27.3 g  
वसा42.16 g
संतृप्त  3.663
एकल असंतृप्त  7.527  
बहुअसंतृप्त  28.730  
प्रोटीन18.29 g
थायमीन (विट. B1)  1.644 mg  126%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.161 mg  11%
नायसिन (विट. B3)  3.08 mg  21%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.985 mg 20%
विटामिन B6  0.473 mg36%
फोलेट (Vit. B9)  0 μg 0%
विटामिन C  0.6 mg1%
कैल्शियम  255 mg26%
लोहतत्व  5.73 mg46%
मैगनीशियम  392 mg106% 
फॉस्फोरस  642 mg92%
पोटेशियम  813 mg  17%
जस्ता  4.34 mg43%
Source US DA Nutrient Database - http://ndb.nal.usda.gov/



अलसी से होने वाले स्वास्थ लाभ

1. कैंसर: हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अलसी में ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाने का गुण पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन कैंसर से बचाता है। यह हार्मोन के प्रति संवेदनशील होता है और ब्रेस्ट कैंसर के ड्रग टामॉक्सीफेन पर असर नहीं डालता है।

2. कार्डियो वेस्कुलर डिजीज: शोध से पता चला है कि अलसी में पाया जाने वाला प्लांट ओमेगा-3 जलन को कम और हृदय गति को सामान्य कर कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है। कई शोध से यह बात सामने आई है कि ओमेगा-3 से भरपूर भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड वेसल के आंतरिक परत पर चिपका देता है, जिससे धमनियों में प्लैक कम मात्रा में जमा होता है।

3. मधुमेह: प्राथमिक शोध से पता चला है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड सुगर लेवल बेहतर होता है।

4. जलन: फिट्जपैट्रिक की मानें तो अलसी में पाए जाने वाले एएलए और लिगनन जलन को कम करता है, जो कि पार्किंनसन डिजीज और अस्थमा को जन्म देता है। दरअसल यह कुछ प्रो-इंफ्लैमटॉरी एजेंट के स्राव को बंद कर देता है।जलन का कम होना धमनियों में जमा होने वाले प्लैक से संबंधित है। यानी कि अलसी हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स को भी रोकने में मदद करता है।

5. हॉट फ्लैश: 2007 में महिलाओं के मासिक धर्म पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इसमें कहा गया था कि दो चम्मच अलसी को अनाज, जूस या दही में मिला कर दिन में दो बार लेने से हॉट फ्लैश आधा हो जाता है। साथ ही हॉट फ्लैश की तीव्रता में भी 57 प्रतिशत तक की कमी आती है। सिर्फ एक हफ्ते तक लगातार अलसी का सेवन करने पर महिलाएं फर्क देख सकती हैं और दो हफ्ते में सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल किया जा सकता है



घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी, दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी



तेल तड़का छोड़ कर नित घूमन को जाय,
मधुमेह का नाश हो जो जन अलसी खाय.
नित भोजन के संग में, मुट्ठी अलसी खाय.
अपच मिटे, भोजन पचे, कब्जियत मिट जाये..
घी खाये मांस बढ़े, अलसी खाये खोपड़ी.
दूध पिये शक्ति बढ़े, भुला दे सबकी हेकड़ी..
धातुवर्धक, बल-कारक, जो प्रिय पूछो मोय.
अलसी समान त्रिलोक में, और न औषध कोय..
जो नित अलसी खात है, प्रात पियत है पानी.
कबहुं न मिलिहैं वैद्यराज से, कबहुँ न जाई जवानी..
अलसी तोला तीन जो, दूध मिला कर खाय.
रक्त धातु दोनों बढ़े, नामर्दी मिट जाय..


1952 में डॉ. योहाना बुडविग ने ठंडी विधि से निकले अलसी के तेल, पनीर, कैंसररोधी फलों और सब्ज़ियों से कैंसर के उपचार का तरीका विकसित किया था जो बुडविग प्रोटोकोल के नाम से जाना जाता है. यह कर्करोग का सस्ता, सरल, सुलभ, संपूर्ण और सुरक्षित समाधान है. उन्हें 90 प्रतिशत से ज्यादा सफलता मिलती थी. इसके इलाज से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज नहीं बचा है, वे एक या दो धंटे ही जी पायेंगे सिर्फ दुआ ही काम आयेगी. उन्होंने सशर्त दिये जाने वाले नोबल पुरस्कार को एक नहीं सात बार ठुकराया.
अलसी सेवन का तरीकाः- हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये. 30 ग्राम आदर्श मात्रा है. अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये. डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें. कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये. इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं.
अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .

अलसी की पुल्टिस का प्रयोग गले एवं छाती के दर्द, सूजन तथा निमोनिया और पसलियों के दर्द में लगाकर किया जाता है. इसके साथ यह चोट, मोच, जोड़ों की सूजन, शरीर में कहीं गांठ या फोड़ा उठने पर लगाने से शीघ्र लाभ पहुंचाती है. यह श्वास नलियों और फेफड़ों में जमे कफ को निकाल कर दमा और खांसी में राहत देती है.
इसकी बड़ी मात्रा विरेचक तथा छोटी मात्रा गुर्दो को उत्तेजना प्रदान कर मूत्र निष्कासक है. यह पथरी, मूत्र शर्करा और कष्ट से मूत्र आने पर गुणकारी है. अलसी के तेल का धुआं सूंघने से नाक में जमा कफ निकल आता है और पुराने जुकाम में लाभ होता है. यह धुआं हिस्टीरिया रोग में भी गुण दर्शाता है. अलसी के काढ़े से एनिमा देकर मलाशय की शुद्धि की जाती है. उदर रोगों में इसका तेल पिलाया जाता हैं.

अलसी के तेल और चूने के पानी का इमल्सन आग से जलने के घाव पर लगाने से घाव बिगड़ता नहीं और जल्दी भरता है. पथरी, सुजाक एवं पेशाब की जलन में अलसी का फांट पीने से रोग में लाभ मिलता है. अलसी के कोल्हू से दबाकर निकाले गए (कोल्ड प्रोसेस्ड) तेल को फ्रिज में एयर टाइट बोतल में रखें. स्नायु रोगों, कमर एवं घुटनों के दर्द में यह तेल पंद्रह मि.ली. मात्रा में सुबह-शाम पीने से काफी लाभ मिलेगा.

इसी कार्य के लिए इसके बीजों का ताजा चूर्ण भी दस-दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रयोग में लिया जा सकता है. यह नाश्ते के साथ लें.


बवासीर, भगदर, फिशर आदि रोगों में अलसी का तेल (एरंडी के तेल की तरह) लेने से पेट साफ हो मल चिकना और ढीला निकलता है. इससे इन रोगों की वेदना शांत होती है.

अलसी के बीजों का मिक्सी में बनाया गया दरदरा चूर्ण पंद्रह ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री बीस ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए तीन सौ ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें. तीन घंटे बाद छानकर पीएं. इससे गले व श्वास नली का कफ पिघल कर जल्दी बाहर निकल जाएगा. मूत्र भी खुलकर आने लगेगा.

इसकी पुल्टिस हल्की गर्म कर फोड़ा, गांठ, गठिया, संधिवात, सूजन आदि में लाभ मिलता है.

डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा व ज्यादा फाइबर खाने की सलाह दी जाती है. अलसी व गैहूं के मिश्रित आटे में (जहां अलसी और गैहूं बराबर मात्रा में हो)

- स्वर्गीय राजीव दीक्षित

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1. अलसी
अलसी
अलसी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें ओमेगा 3  एसिड पाया जाता है, जो कि दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। एक चम्मच अलसी में 1.8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है। इसके प्रयोग से जुड़ें फायदों और नुकसान के बारे में हम आगे की स्लाइड में आपको विस्तार से जानकारी देंगे।

2. कैंसर से बचाव
कैंसर से बचाव
एक अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि अलसी के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाव करता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन हार्माेन के प्रति संवेदनशील होता है।

3. हृदय से जुड़ी बीमारियां
हृदय से जुड़ी बीमारियां
अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा-3 जलन को कम करता है और हृदय गति को सामान्य रखने में मददगार होता है। ओमेगा-3 युक्त भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स को ब्लड धमनियों की आंतरिक परत पर चिपका देता है।

4. मधुमेह को नियंत्रित रखता है
मधुमेह को नियंत्रित रखता है
अलसी का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। अमेरिका में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर रिसर्च से यह सामने आया है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।

5. कफ पिघलाने में मददगार
कफ पिघलाने में मददगार
अलसी के बीजों का मिक्सी में तैयार किया गया दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। इस रस को तीन घंटे बाद छानकर पिएं। इससे गले व श्वास नली में जमा कफ पिघल कर बाहर निकल जाएगा। आगे हम अलसी के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बात करेंगे...

6. पेट की समस्याएं
पेट की समस्याएं
अलसी या कोई भी फ्लैक्सीड्स अधिक मात्रा में खाना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसी तरह अलसी में मौजूद लैक्सेटिव दस्त, सीने में जलन और बदहजमी जैसी पेट की समस्याएं भी बना सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आप प्रतिदिन 30 ग्राम अलसी से ज्यादा सेवन न करें।

7. घाव भरने में देरी
घाव भरने में देरी
यदि आप अलसी का सेवन करते हैं और आपको कोई चोट लग जाती है तो अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा -3 खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। ऐसे में आपके कोई चोट लगने पर खून बहना रुक नहीं नहीं पाता।

8. गैस की समस्या बढ़ जाती है
गैस की समस्या बढ़ जाती है
अलसी में फाइबर ज्यादा मात्रा में पाये जाने के कारण कई बार यह पेट में गैस या ऐंठन जैसी समस्या होने का भी कारण होती है। कई बार इसे बिना तरल पदार्थ के लेने से कब्ज की भी समस्या हो जाती है।

9. एलर्जी का कारण
एलर्जी का कारण
अलसी का अधिक मात्रा में सेवन एलर्जिक रिऐक्शन का कारण भी बन सकता है। इसके कारण पेट दर्द, मितली आना और उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैंद्ध इसके सेवन से सांस लेने में समस्या और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती है।

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अलसी के लाभ जानकर हैरान रह जाएंगे आप


अलसी के बीजों की विलक्षणता के तीन पहलू हैं और ये तीनों हमें इस खाद्य के स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। पहला है ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स, दूसरा प्लांट एस्ट्रोजन/एंटी ऑक्सीडैंट्स और तीसरा फाइबर।

- अलसी हमारी पाचन शक्ति बढ़ाती है और हमारे शरीर को ऊर्जा देने में सहायता करती है।

- ये बीज शरीर में ताप पैदा करते हैं, जो सर्दी तथा बरसात में जुकाम-खांसी से राहत देने में सहायक होता है।

- अलसी के बीजों में फाइबर, विटामिन्स तथा प्रोटीन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। प्रोटीन्स शरीर के सही विकास  में सहायक होते हैं। अलसी में फाइबर की मात्रा उच्च होने के कारण कोलोन का स्वास्थ्य बरकरार रहता है और आंतडिय़ों की गतिविधि में सुधार होता है।

- अलसी के बीजों में ओमैगा थ्री फैटी एसिड्स मौजूद होते हैं जो छाती में सूजन को कम करते हैं, हृदय रोगों से बचाते हैं और जोड़ों के दर्द, अस्थमा, डायबिटीज तथा कई किस्मों के कैंसर को भी रोकते हैं।

- अलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडैंट्स रक्त को शुद्ध करते हैं, त्वचा  तथा बालों को चमक देते हैं। ये शरीर की कई रोगों से सुरक्षा भी करते हैं।

- अलसी के बीजों में मौजूद फाइटो-एस्ट्रोजैन्स महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद के लक्षणों से लडऩे में सहायक होते हैं। माहवारी के दौरान जिन महिलाओं को अत्यधिक पेट दर्द होता है, वे अलसी के बीजों से इस दर्द से राहत पा सकती हैं।

- एक छोटा चम्मच अलसी के बीजों को चबाने से आपको पेट संबंधी समस्याओं तथा पैप्टिक अल्सर से छुटकारा मिल सकता है।


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