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Sunday, February 7, 2016

लहसुन अमृत फल के लाभ की पूरी जानकारी Garlik - Nectar on Earth

लहसुन अमृत फल के लाभ की पूरी जानकारी 
Garlik - Nectar on Earth


Lahsun ke Gharelu Nuskhe :लहसुन (अमृत फल) के  उपयोगी घरेलू नुस्खे

Lehsun ke Gharelu Nuskhe in Hindi


 लहसुन की उपयोगिता की पैरवी करने वाले कम से कम 4245 रिसर्च शोध पत्र हैं, जो दुनिया भर के तमाम अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स (शोध पत्रिकाओं) में प्रकाशित हो चुके हैं। इन तमाम शोध पत्रों के अध्ययन से पता चलता है कि लहसुन कम से कम 150 तरह के रोगों या लक्षणों जैसे कैंसर से लेकर डायबिटीज और दिल के रोगों, रेडिएशन के साईड इफेक्ट्स आदि के नियंत्रण में कारगर साबित हुआ है।

Home Remedies of Garlic in Hindi


खाली पेट लहसुन खाने से होते हैं ये चमत्‍कारी फायदे


लहसुन हर प्रकार के भोजन में प्रयोग किया जाता है। आप सोच भी नहीं सकते कि लहसुन की एक कली हमारे अंदर पैदा होने वाले अनेको रोगों का नाश कर सकती है। यह कई बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार में प्रभावी है




जब आप कुछ भी खाने या पीने से पहले लहसुन खाते हैं तो आपकी ताकत बढ़ती है, तथा यह एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक एंटीबायोटिक की तरह कार्य करता है।
सुबह खाली पेट लहसुन खाने से यह अधिक प्रभावकारी क्यों होता है? इससे बैक्टीरिया ओवरएक्सपोज़्ड हो जाते हैं तथा लहसुन की शक्ति से वे अपनी रक्षा नहीं कर पाते। इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभों की सूची कभी ख़त्म न होने वाली है


लहसुन बवासीर, कब्ज़ और कान दर्द के उपचार में भी सहायक है। यदि आप बवासीर और कब्ज़ के उपचार में इसका प्रयोग करना चाहते हैं तो कुछ पानी उबालें तथा इसमें अच्छी मात्रा में लहसुन डालें

खाली पेट लहसुन खाना क्यों अच्छा होता है -
हाई बीपी से बचाए
कई लोगों का मानना है कि लहसुन खाने से हाइपरटेंशन के लक्षणों से आराम मिलता है। यह न केवल रक्त के प्रवाह को नियमित करता है बल्कि यह हृदय से संबंधित समस्याओं को भी दूर करता है तथा लीवर और मूत्राशय को भी सुचारू रूप से काम करने में सहायक होता है



डायरिया दूर करे
पेट से संबंधित समस्याओं जैसे डायरिया आदि के उपचार में भी लहसुन प्रभावकारी होता है। कुछ लोग तो यह दावा भी करते हैं कि लहसुन तंत्रिकाओं से संबंधित बीमारियों के उपचार में बहुत प्रभावकारी होता है, परंतु केवल तभी जब इसे खाली पेट खाया जाए।


भूख बढाए
यह पाचन प्रक्रिया को उत्तेजित करता है तथा भूख भी बढ़ाता है। लहसुन आपके तनाव को भी कम करने में सहायक होता है। जब भी आपको घबराहट होती है तो पेट में एसिड बनता है। लहसुन इस एसिड को बनने से रोकता है



वैकल्पिक उपचार
जब डिटॉक्सीफिकेशन की बात आती है तो वैकल्पिक उपचार के रूप में लहसुन बहुत प्रभावी होता है। लहसुन इतना अधिक शक्तिशाली है कि यह शरीर को परजीवियों और कीड़ों से बचाता है, विभिन्न बीमारियों जैसे डाइबिटीज़, ट्युफ्स, डिप्रेशन तथा कुछ प्रकार के कैंसर की रोकथाम में सहायक सहायक होता है।


श्वसन तंत्र में मजबूती लाए
लहसुन श्वसन तंत्र के लिए बहुत लाभदायक होता है: यह ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक), अस्थमा, निमोनिया, ज़ुकाम, ब्रोंकाइटिस, पुरानी सर्दी, फेफड़ों में जमाव और कफ़ आदि रोकथाम तथा उपचार में बहुत प्रभावशाली होता है।


ट्यूबरक्लोसिस में लाभकारी
ट्यूबरक्लोसिस (तपेदिक) में लहसुन पर आधारित इस उपचार को अपनाएँ। एक दिन में लहसुन की एक पूरी गाँठ खाएं। इसे कुछ भागों में बाँट लें तथा आपको जिस प्रकार भी पसंद हो इसे खाएं। यदि आप इसे कच्चा या ओवन में हल्का सा भूनकर खायेंगे तो अधिक अच्छे परिणाम मिलेंगे।

फेफड़े की बीमारी के लिये
यदि आपको ब्रोंकाइनल बीमारी से संबंधित किसी उपचार की आवश्यकता है तो यह अर्क बनायें। 7 औंस / 200 ग्राम लहसुन, 24 औंस / 700 ग्राम ब्राउन शुगर और 33 औंस/ 1लीटर पानी। पानी को लहसुन के साथ उबालें तथा फिर शक्कर मिलाएं। दिन में तीन चम्मच इसका सेवन करें।


सावधानी
यदि आपको लहसुन से किसी प्रकार की एलर्जी है तो दो महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें: कभी भी इसे कच्चा न खाएं तथा फिर भी यदि आपको त्वचा से संबंधित कोई समस्या आती है, बुखार आता है या सिरदर्द होता है तो इसका सेवन करना छोड़ दें।


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लहसुन के कुछ उपयोगी घरेलू नुस्खे (Lahsun ke Upyogi Gharelu Nuskhe)

1. एक कप तिल के तेल में 8 लहसुन की कलियां डालकर गर्म करें और ठंडा होने पर कमर से लेकर जांघों तक इससे मालिश करें। इससे साइटिका में काफी फ़ायदा होता है।

2. आदिवासी अंचलों में इसे गैस और दिल के रोगों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। सूखे लहसुन की 15 कलियां 1/2 लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबाल लें। इस पानी को इतनी देर उबालें कि पानी आधा रह जाए। इस पाक को जब गैस और दिल के रोग से ग्रसित रोगियों को दिया जाता है तो आराम मिल जाता है।

3. जिन लोगों को जोड़ों का दर्द या आमवात जैसी शिकायतें हो, लहसुन की कच्ची कलियां चबाना उनके लिए बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) होने की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20-30 बूंद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।

4. सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को पीसकर उबाला जाए और घावों पर लेप किया जाए तो घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते हैं।

5. हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो उन्हें रोजाना सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए, नमक और लहसुन का सीधा सेवन खून साफ करता है।

6. ब्लड में प्लेटलेट्स की कमी होने पर भी नमक और लहसुन का समान मात्रा में सेवन करना चाहिए।

7. लहसुन के एंटीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, इसका सेवन बैक्टीरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है।

8. लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाएं। इसके आधे घंटे बाद आधा चम्मच मुलेठी पाउडर का सेवन करें। यह उपाय दो महीने तक लगातार करें। मान्यता है इससे दमा रोग जड़ से खत्म हो जाता है।

9. लौकी 50 ग्राम और लहसुन की कलियां 10 ग्राम लेकर पीस लें और इसे आधे लीटर पानी में उबालें।जब आधा पानी रह जाए तो छानकर कुल्ला करें। इससे दांत दर्द दूर होता है।

10. कान में कीड़ा चला जाने पर डांग- गुजरात के आदिवासी सूरजमुखी के तेल में लहसुन की दो कलियां डालकर गर्म करते है और फ़िर इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालते है, इनका मानना है कि इससे कीट बाहर निकल आता है
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लहसुन


वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: Plantae
(अश्रेणिकृत) Angiosperms
(अश्रेणिकृत) Monocots
गण: Asparagales
कुल: Alliaceae
उपकुल: Allioideae
ट्राइब: Allieae
प्रजाति: Allium
जाति: A. sativum


लहसुन (Garlic) प्याज कुल (एलिएसी) की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है, तथा स्वाद तीखा होता है जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ (बल्ब), जिसे आगे कई मांसल पुथी (लौंग या फाँक) में विभाजित किया जा सकता इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग (कच्चे या पकाया) और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत (छिलका) जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि। लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में।

लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं



आयुर्वेद और रसोई दोनों के दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। भारत का चीन के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें प्रोटीन 6.3 प्रतिशत , वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोज 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत लोहा 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक ऐलीसिन भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया-रोधक, फफूंद-रोधक एवं एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना , जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है। यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्त्रोत होता है। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिये।

लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावा, भारत 17,852 मीट्रिक टन (जिसका मूल्य 3877 लाख रुपये है) का निर्यात करता है। पिछले 25 वर्षों में भारत में लहसुन का उत्पादन 2.16 से बढ़कर 8. 34 लाख टन हो गया है


Allium sativum, known as garlic from William Woodville, Medical Botany, 1793.




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