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Tuesday, March 15, 2016

बिल्डरों पर कसेगा शिकंजा, संसद से रीयल एस्टेट बिल को मिली मंजूरी Real estate Bill Approved in Parliament, It Is already passed in Upper House (Rahya Sabha)

बिल्डरों पर कसेगा शिकंजा, संसद से रीयल एस्टेट बिल को मिली मंजूरी

Real estate Bill Approved in Parliament, It Is already passed in Upper House (Rahya Sabha)

उपभोक्ता को ‘किंग’ बनाने वाले रियल इस्टेट संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी




 रियल इस्टेट क्षेत्र के उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करने और इस क्षेत्र के विनियमन वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक आज संसद ने अपनी मंजूरी दे दी.
राज्यसभा से पिछले हफ्ते पारित हो चुके इस विधेयक को आज लोकसभा ने भी चर्चा के बाद अपनी मंजूरी दे दी. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने इस विधेयक को समय की जरूरत बताया और कहा कि इससे बिल्डर और उपभोक्ता दोनों के हितों का संरक्षण होगा.
‘भू-संपदा (विनियमन और विकास) विधेयक, 2016’ पर लोकसभा हुई चर्चा का जवाब देते हुए नायडू ने कहा कि यह विधेयक सभी हितधारकों और संसद की समितियों में पर्याप्त अध्ययन के बाद लाया गया है.
उन्होंने कहा कि यह उपभोक्ता को ‘किंग’ बनाने वाला विधेयक है. कानून बनने के बाद बिल्डर और ग्राहक दोनों ही इसके दायरे में आएंगे.
नायडू ने कहा कि विधेयक पारित होने के बाद एक नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा जिसमें बिल्डर को किसी भी परियोजना की शुरूआत से पहले उसमें पंजीकरण कराना होगा और उसकी जमीन खरीदने से लेकर अन्य सभी मंजूरी संबंधित दस्तावेज आदि का ब्योरा जमा करना होगा. यह जानकारी उपभोक्ताओं के लिए सार्वजनिक होगी और वे अपनी पसंद की परियोजना चुन सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि रियल इस्टेट क्षेत्र बढ़े. हम इस क्षेत्र के लोगों को विकास में साथ लेकर चलना चाहते हैं. इस क्षेत्र में कुछ लोग अनुचित तरीके से काम करने वाले हो सकते हैं लेकिन अच्छे लोग भी हैं जिनकी एक साख है और जो अच्छा काम कर रहे हैं. हम उनकी अनदेखी नहीं कर सकते.’’ नायडू ने कहा कि इस विधेयक को संप्रग सरकार लेकर आई थी और उचित विचार-विमर्श और कुछ संशोधनों के बाद राजग सरकार इसे आगे बढ़ा रही है.
नायडू ने कहा यह विधेयक बिल्डरों के खिलाफ नहीं है लेकिन यह सुनिश्चित करने वाला जरूर है कि वे उपभोक्ताओं से किए गए वायदों को पूरा करें. अपने विज्ञापनों में जो सपने वह दिखाते हैं उन्हें वास्तिवकता में भी दें. उन्होंने कहा कि हम बिल्डरों की समस्याएं सुनने को तैयार हैं और हम उन्हें देश की विकास का भागीदार बनाना चाहते हैं, वे भी देश के विकास का अभिन्न हिस्सा हैं.
शहरी विकास मंत्री ने इन आंशकाओं को भी गलत बताया कि इस विधेयक से मकानों के दाम बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि इसके उलट इस क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और दामों में कमी आएगी. अन्नाद्रमुक के एक सदस्य को छोड़ कर सभी दलों ने विधेयक का आमतौर पर समर्थन किया.
विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मौजूदा सरकार स्वीकार कर रही है कि यह विधेयक हमारी सरकार लाई थी यह अच्छी बात है. उन्होंने घर खरीदने वाले उपभोक्ताओं के हित वाले विधेयक का स्वागत करते हुए कहा भाजपा के प्रहलाद पटेल ने कहा कि हर साल 10 लाख लोग आवास खरीदते हैं लेकिन अब तक उन्हें बिल्डरों के झूठे वादे समेत अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.. इस भूसंपदा संशोधन कानून के अमल में आने के बाद आम लोगों को काफी राहत मिलेगी.
अन्नाद्रमुक के ए पी मरूथराजा ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का विरोध करती है क्योंकि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप है.

नई दिल्ली । रियल एस्टेट बिल को संसद से मंजूरी मिल गयी है। इससे पहले बिल को राज्यसभा से मंजूरी मिल चुकी थी। लोकसभा में सदन में इस बिल पर चर्चा हुई। बिल्डरों पर नकेल कसनेवाले इस बिल को कांग्रेस ने भा समर्थन दिया। शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने लोकसभा में बिल की महत्वपूर्ण बातों को सदस्यों से साझा की। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से ग्राहकों के हित की बात सोचती है।

वेंकैया नायडू ने कहा कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार इस बिल के माध्यम से देश में व्यापार करनेवाले लोगों को सहुलियत देना चाहती है'। उन्होंने कहा 'बिना सुधारों के हम आगे नहीं बढ़ सकते'। नायडू ने सदन को बताया कि साल 2013 से यह बिल संसद में लंबित है। 10 मार्च को इसे राज्यसभा से मंजूरी मिली। इस बिल में ग्राहकों के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि बिल्डरों को कारपेट एरिया के हिसाब से दाम तय करने होंगे न कि सुपर बिल्ट-अप एरिया से। बिल में साफ किया गया है कि कारपेट एरिया में किचन और टॉयलेट भी शामिल होंगे। 'रियल एस्टेट रेगुलेटर बिल' सभी रेजीडेंशियल व कॉमर्शियल प्रोजेक्ट पर लागू होगा। साथ ही उन सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट पर लागू होगा जिनमें 500 वर्ग मीटर जमीन या आठ फ्लैट वाला अपार्टमेंट हो।



यदि किसी प्रोजेक्ट की रजिस्ट्ररी नहीं की जाती है तो इस पर जुर्माने का प्रावधान है। यह जुर्माना पूरे प्रोजेक्ट की कीमत का 10 प्रतिशत होगा या फिर तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। नायडू ने कहा कि इस बिल का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।


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