एनबीटी न्यूज ॥ नोएडा
मुन्ना भाई की तर्ज पर फर्जी तरीके से डॉक्टर, वकील बनने के के मामलों में अभी तक लड़के ही दोषी पाए जाते थे, लेकिन दनकौर पुलिस कोतवाली में दो लड़कियों के खिलाफ फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज हुई है। यह दोनों लड़कियां महज आठवीं पास हैं और फर्जी डॉक्युमेंट्स के सहारे वह टीचर बनने चलीं थीं। उन्होंने 10 वीं, 12वीं और गै्रजुएशन तक की फर्जी मार्कशीट तैयार भी करा ली थी। कमाल की बात ये है कि इन फर्जी डॉक्युमेंट्स के सहारे दोनों का चयन बीटीसी-2010 के लिए हो भी गया। लेकिन इससे पहले कि वह टीचर बनकर राज्य के नौनिहालों का भविष्य खराब करती, उनका फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। इसके बाद दोनों लड़कियों के खिलाफ दनकौर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है।
बीटीसी-2010 के लिए पिछले दिनों 50 कैडिंडेट्स का चयन किया गया था। दनकौर स्थित डायट में सभी के डॉक्युमेंट जमा करा लिए गए। ट्रेनिंग शुरू करने से पहले डायट की प्रिंसिपल मंजू सिंह ने सभी के डॉक्युमेंट की जांच कराई। चयनित आवेदकों में दादरी निवासी राजकुमारी और जेवर निवासी मधू भी थीं। दोनों की 10 वीं, 12 वीं और ग्रैजुएशन की मार्कशीट वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की थीं। डायट की तरफ से अधिकारी डॉक्युमेंट्स जांच के लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय भेजे गए। जांच में अधिकारियों ने दोनों लड़कियों के सभी एजुकेशनल डॉक्युमेंट्स को जाली पाया। डायट की प्रिंसिपल मंजू सिंह ने दनकौर कोतवाली में राजकुमारी और मधू के खिलाफ फर्जीवाड़े़ की रिपोर्ट दर्ज करा दी है। पुलिस दोनों की तलाश कर रही है।
News : Navbharat Times (5.1.12)
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बीटीसी फर्जीवाड़ा 2010: सीबीसीआइडी जांच से अभ्यर्थियों में
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश भर की डायटों पर पकड़े गए फर्जी प्रमाणपत्र धारकों की सीबीसीआइडी से जांच कराई जा रही है। बड़ौत डायट से इतर मवाना, मुजफ्फरनगर, हापुड़ सहित प्रदेश की कई डायटों से संबंधित सैकड़ों अभ्यर्थियों पर जांच की तलवार लटकी है। हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित तीन महीने की समय सीमा के मद्देनजर सीबीसीआइडी की कई टीमें गठित कर छानबीन कार्य युद्धस्तर पर है।
बड़ौत डायट से संबंधित 13 अभ्यर्थियों की जांच इंस्पेक्टर आरपी सिंह कर रहे हैं। गोपनीय रूप से जारी जांच में मंगलवार और बुधवार को संबंधित अभ्यर्थियों के घर-घर जाकर उनके ब्यान दर्ज किए गए। डायट पहुंचे इंस्पेक्टर आरपी सिंह को बुधवार को भी शैक्षिक प्रमाण पत्रों की प्रमाणित छायाप्रति प्राप्त नहीं हो सकी। जब उनसे केस के संबंध में बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने गोपनीयता का हवाला देते हुए कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
कई प्रदेशों से जुड़े हैं तार
इस फर्जीवाड़े के तार दूसरे प्रदेशों से भी जुड़े होने के कारण यह जांच सीबीआइ को सौंपे जा सकती है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इसकी संभावना भी जताई थी। कूटरचित शैक्षिक प्रमाणपत्र मध्य प्रदेश के भोपाल बोर्ड, दिल्ली के संस्कृत महाविद्यालयों, उत्तराखंड के महाविद्यालयों से बनवाए गए थे। प्रदेश में लखनऊ विवि, आगरा विवि, संपूर्णानंद संस्कृत विवि वाराणसी का काफी स्टाफ इस गड़बड़झाले में सीधे तौर पर जुड़ा है। इनमें संपूर्णानंद विवि के दो कर्मचारी तो फिलहाल जेल में बंद हैं।
News : Jagran (05.1.12)
फर्जी डिग्री लेकर बने शिक्षक
फीरोजाबाद, निज प्रतिनिधि: फर्जी प्रमाण पत्र से बेसिक शिक्षा विभाग में नौैकरी पाने वाले दो और गुरुजी की सेवा समाप्ति पर मंगलवार को शिक्षाधिकारियों की मुहर लग गई। उक्त दोनों शिक्षकों ने संपूर्णानंद विवि वाराणसी की अंकतालिका लगाई थीं, लेकिन डायट द्वारा कराए गए सत्यापन में यह फर्जी पाई गई हैं। इन दोनों की बर्खास्तगी आदेश के साथ में एबीएसए को इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश ने मंगलवार को जारी कर दिए गए।गत दिनों डायट से आई सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर बीएसए नरेश वर्मा ने इन दोनों शिक्षकों से जवाब तलब भी किया, लेकिन इनमें से एक शिक्षक ने फिर से जांच कराने की मांग की। नियम के अनुरुप जवाब न मिलने पर बीएसए ने दोनों शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दीं।
एफआईआर होगी
इस संबंध में बीएसए नरेश वर्मा ने कहा कि उक्त दोनों शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश एबीएसए को दिए गए हैं।
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बीटीसी फर्जीवाड़ा : डायट पर पहुंची सीबीसीआइडी
शासन ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से बनाई गई फर्जी डिग्रियों की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी है। छानबीन के सिलसिले में बुधवार को कानपुर से सीबीसीआइडी इंस्पेक्टर रामपाल सिंह बड़ौत डायट पर पहुंचे और फर्जी प्रमाण-पत्रधारकों सहित इस रैकेट में शामिल शिक्षा माफिया के संबंध में दस्तावेज एकत्र किए। खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर रामपाल सिंह ने बताया कि वाराणसी के संपूर्णानंद विवि से जांच शुरू की गई है। वहां जांच में फर्जीवाडे़ रैकेट में शामिल लोगों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। मामले में लिप्त विवि के रजिस्ट्रार कार्यालय के दो लिपिकों विजयशंकर शुक्ल और मेहर मिश्र की गिरफ्तारी हो चुकी है। रिमांड पर की गई पूछताछ में उन्होंने इस मामले में बागपत जिले के मां अंबा बालिका महाविद्यालय के ब्रजपाल शास्त्री, श्री दादू बलराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य साधुराम शास्त्री और तेजपाल शास्त्री का शामिल होना स्वीकारा है। इसके अलावा इस फर्जी रैकेट में मथुरा के पातीराम शास्त्री और अभय शास्त्री का नाम भी सामने आया है।
लगातार जांच जारी रहेगी
बड़ौत : इंस्पेक्टर आरपी सिंह ने बताया कि अभी तक की जांच में दो अभ्यर्थियों रेखा तोमर और शमा प्रवीण के प्रमाणपत्र फर्जी सिद्ध मिले हैं। इनके अलावा संपूर्णानंद विवि से संबंधित कुल 146 अभ्यर्थियों ने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र बनवाए थे। इनकी जांच प्रगति पर है। बड़ौत डायट के बाद मवाना, हापुड़ डायटों पर जांच की जाएगी। वहीं बागपत में खेकड़ा, ग्वालीखेड़ा और मेरठ के संस्कृत महाविद्यालयों के रिकार्ड भी खंगाले जाएंगे। अधिकतर फर्जी प्रमाण-पत्र यहीं से बनवाए गए हैं।
अभी सिर्फ बीटीसी 2010 के फर्जियों की जांच
बड़ौत : शासन के निर्देश में संपूर्णानंद संस्कृत विवि वाराणसी से संबंधित सिर्फ बीटीसी 2010 के फर्जी प्रमाण-पत्रधारकों पर जांच केंद्रित की गई है। बड़ौत डायट पर ऐसे 59 अभ्यर्थियों का नाम प्रकाश में आया है। इनके खिलाफ पूर्व में एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। इस जांच के पूरी हो जाने के बाद यहां से पूर्व के सालों में बनवाए गए फर्जी प्रमाण-पत्रधारकों पर शिकंजा कसा जाएगा।
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जांचा तो मिले 12 नटवर लाल
कुशीनगर : इस जिले में 12 शिक्षक प्रशिक्षु फर्जी पाये गये हैं। विशिष्ट बी.टी.सी. 2008 सामान्य व विशेष चयन में चयनित और यहां के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षित इन शिक्षकों में 11 देवरिया तथा 1 गोरखपुर जनपद का निवासी है। जांच में उजागर इनके चौकाने वाले कारनामों को देख सभी के दांत खट्टे हो रहे हैं। लगता है नटवर लाल की पूरी टीम उतर आई है।आइये कुछ बानगियां देखें। चयनित होने के बाद बाकायदा सैद्धांतिक व क्रियात्मक प्रशिक्षण ले चुके 12 पुरुष व महिला प्रशिक्षुओं ने कुशीनगर के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद की नौकरी के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को आवेदन किया। नियुक्ति के पूर्व गहन जांच में फर्जी पाये गये देवरिया के दो अभ्यर्थी प्रमोद कुमार यादव पुत्र चन्द्रिका यादव ने सामान्य तो दूसरे प्रमोद कुमार यादव पुत्र चन्द्रिका यादव ने विशेष चयन के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इन दोनों ने जिस मूल व्यक्ति के अंक पत्र व प्रमाण पत्रों का प्रयोग किया है वह बलिया जनपद स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है। इसी तरह का दूसरा मामला देवरिया के शिवेन्दु त्रिपाठी पुत्र सीताराम त्रिपाठी का है। इस प्रशिक्षु ने जिस व्यक्ति के शैक्षिक अभिलेखों का प्रयोग किया है जांच में वह सतीश चन्द्र महाविद्यालय बलिया में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत पाया गया। देवरिया की ही धारणा आर्या पुत्री मकसूदन आर्या नाम की महिला प्रशिक्षु भी फर्जी निकली। इस नाम की मूल महिला दिल्ली में नौकरी कर रही है। देवरिया के ही सुरेन्द्र प्रताप सिंह पुत्र मयन बहादुर सिंह नाम का प्रशिक्षु भी फर्जी मिला। सुरेन्द्र ने जिसका अंक पत्र व प्रमाण पत्र प्रयोग कर चयन पाया है इस नाम का मूल व्यक्ति जौनपुर जनपद स्थित प्राथमिक विद्यालय में बतौर शिक्षक कार्यरत है। देवरिया के अमरेन्द्र नाथ तिवारी पुत्र हीरम नाथ तिवारी का हाईस्कूल से लेकर बी.एड. तक का अंक पत्र व प्रमाण पत्र जांच में फर्जी पाया गया। इसी क्रम में देवरिया के राजेश कुमार पाण्डेय पुत्र जनार्दन पाण्डेय, धीरेन्द्र कुमार यादव पुत्र लालता प्रसाद यादव, अर्चना त्रिपाठी पुत्री सुदामा राम त्रिपाठी के अंक पत्र व प्रमाण पत्र फर्जी मिले। देवरिया के शैलेन्द्र कुमार यादव एवं संगीता यादव आपस में भाई-बहन हैं। इन दोनों का बी.ए. का अंक पत्र फर्जी पाया गया है। गोरखपुर जनपद निवासी राजन पुत्र जवाहिर का अंक पत्र व प्रमाण पत्र भी फर्जी मिला।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आर.पी. पाल ने कहा कि श्री पाल ने कहा कि ऐसे नटवर लाल जेल जायेंगे। फर्जीवाडे़ में चिह्नित सभी 12 अभ्यर्थियों को मूल अभिलेखों के साथ 20 दिसम्बर को बेसिक कार्यालय में स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए एक मौका दिया जा रहा है।
News : Jagran Epaper
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फर्जीवाडा की शुरू हुई जांच, हड़कम्प
विशिष्ट बी.टी.सी. 2008 सामान्य चयन में दूसरों के उच्च प्राप्तांक अंक पत्र के आधार पर चयन कराने वाले कई नटवर लाल के पुख्ता प्रमाण होने के बाद एक महिला अभ्यर्थी द्वारा शपथ पत्र पर मण्डलायुक्त से की गयी शिकायत अब रंग लायी है। कमिश्नर पी.के. महान्ति ने डायटों में संचालित हो रहे फर्जीवाड़ों की गम्भीरता पर त्वरित एक्शन लेते हुए 1 सितम्बर को त्रिस्तरीय जांच टीम गठित कर दी थी। जिसमें शीतला प्रसाद अपर आयुक्त प्रशासन गोरखपुर, डा. राम नरायण क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी गोरखपुर तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी कुशीनगर को नामित किया। साथ डायट पहुंच पत्रावलियों की गहन जांच करने, शिकायत कर्ता का बयान दर्ज करते हुए 25 सितम्बर तक दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम का उल्लेख करते हुए आख्या देने का निर्देश दिया था। जांच शुरू न होने पर दोबारा शिकायत पर जांच टीम रविवार को डायट पहुंची और चयन से जुड़ी सारी पत्रावलियों को खंगालना शुरू कर दिया। शीतला प्रसाद की देखरेख में शुरू हुई जांच सभी सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिविनि व डायट से जुड़े कर्मचारी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अंक पत्र, प्रमाण पत्र, गुणांक आदि की गहन जांच की जा रही है। शीतला प्रसाद बताते हैं कि पंचायत चुनाव के कारण जांच में थोड़ा विलम्ब हुआ लेकिन अब जांच शुरू हो गयी है। दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान फर्जीवाड़ा में संलिप्तता पाये जाने पर दोषी चाहे जो भी हो निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी।
इनसेट
संदिग्धों का प्रशिक्षण रोका गया : जिविनि
पडरौना : जिला विद्यालय निरीक्षक व डायट के प्रभारी प्राचार्य रामचेत कहते हैं कि विशिष्ट बी.टी.सी. 2008 सामान्य चयन में कुल 800 अभ्यर्थियों का चयन होना था जिसमें 360 सीट पुरुष व 360 महिला तथा 80 शिक्षा मित्रों के लिए आरक्षित था। उन्होंने बताया कि प्रथम बैच के 158 की नियुक्ति हो चुकी है। द्वितीय बैच के 289 अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। जिनकी सूची नियुक्ति के लिए बेसिक कार्यालय भेजी गयी है। जबकि तृतीय बैच के 45 अभ्यर्थी ट्रेनिंग ले रहे हैं और 4 प्रशिक्षण छोड़ चुके हैं। जिविनि बताते हैं कि चयन के बाद संदिग्ध पाये जाने पर तमाम अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण रोक दिया गया है।
इनसेट
27 के फर्जी होने का आरोप
पडरौना : महिला अभ्यर्थी द्वारा मण्डलायुक्त पी.के. महान्ति को शपथ पत्र पर की गयी फर्जीवाड़ा की शिकायत में 14 पुरुष व 13 महिला अभ्यर्थियों के नाम तो सूचीबद्ध कर दिये गये हैं। जिसमें कई तो ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं और उनके अंक पत्र व प्रमाण पत्र पर यहां चयन करा लिया गया है।
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फर्जी साबित हुए तो पड़ेगा महंगा
डायट पर बीटीसी चयन प्रक्रिया 2010 में फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर चयनित होने के सपने देखने वालों पर प्राचार्य कड़ी नजर रखे हुए हैं। वर्तमान में डायट पर शासन से बढ़ी पचास सीटों पर काउंसिलिंग का कार्य प्रगति पर है। पूर्व में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से डिग्री प्राप्त करने वाले अधिकतर अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए थे। इसी के चलते वर्तमान काउंसलिंग में ऐसे अभ्यर्थियों पर पैनी नजर रखी जा रही है और इनके प्रमाण-पत्रों की गोपनीय जांच कराई जा रही है। इस बार प्राचार्य डा. राजकुमार दुबे ऐसे अभ्यर्थियों को सस्ते में छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे और सबूतों के साथ इन पर कड़ी कार्रवाई करना चाहते हैं। ऐसे में अगर डायट पर काउंसलिंग के दौरान जमा सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के प्रमाण-पत्र फर्जी निकले तो इन अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण से तो हाथ धोना ही पड़ेगा और मुकदमा भी झेलना पडे़गा। मगर अभी तक सभी अभ्यर्थी अपने प्रमाण-पत्रों को सही होने का दावा कर रहे है और अपने प्रमाण-पत्रों को जांच विश्वविद्यालय से कराए जाने की बात कर रहे हैं।
शिक्षा माफिया की साठगांठ से बने प्रमाण-पत्र
बड़ौत : जनपद में सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से संबद्ध तीन संस्कृत महाविद्यालय हैं। इनमें ग्वालीखेड़ा, खेकड़ा, किरठल शामिल हैं। इनसे छात्रों को बीए, एमए में क्रमश: शास्त्री और आचार्य की उपाधि लेते हैं। इनसे प्राप्त डिग्री को अधिकतर विश्वविद्यालय मान्यता देते हैं। मगर शिक्षा माफिया की साठगांठ के चलते सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से हाईस्कूल से लेकर बीए तक के फर्जी प्रमाण-पत्र धड़ल्ले से बनवाए जा रहे हैं। इन माफिया के झांसे में आकर अभ्यर्थी फर्जी प्रमाण-पत्रों सहारे बीटीसी में चयनित होना चाहते हैं। ज्ञात रहे सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के बीएड कॉलेज भी संचालित हैं।
aise hote hain high merit wale .
ReplyDeletejo chillate jyada hain .
PARESHAN NA HO TET BHARTI JARUR HOGI.
bharti chahe acd. ya tet marit se ho bus bharti ho jaye...
bhai mai kahta hu ki bherti ho to kaval tet merit per nahi to vacancy cancil ker di jai kio ki jinone ferji marksheet banwai hai wva sab gunde mawali hai ye bacho ka bavisya karab kar denge, aye din primary school mai aslil herkate sunne ko milti hai app sabhi comments ke duara de ki app ka jamir ijajad deta ...ya anne wale dino mai btc,vbtc..etc. mai bhi tet ki tarah exam kara ke yogaya aur imandar log lie jaye plse...
ReplyDeleteशिक्षकों की भर्ती पर स्थिति स्पष्ट करेगी प्रदेश सरकार-
ReplyDeleteलखनऊ। प्रदेश में होने वाली 72 हजार 825 बेसिक शिक्षकों की भर्ती के विज्ञापन पर रोक संबंधी आदेश पर राज्य सरकार हाईकोर्ट में स्थिति स्पष्ट करेगी। इस मामले की सुनवाई 11 जनवरी को होगी। सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत ने कहा है कि हाईकोर्ट में यह स्पष्ट किया जाएगा कि विज्ञापन किस आधार पर निकाला गया है। गौरतलब है कि शिक्षकों की भर्ती के लिए सचिव बेसिक शिक्षा की ओर से विज्ञापन जारी किया गया है।
सभी न्यूज़ से पता चल रहा है कि एकेडमिक मेरिट से भर्ती होने पर क्या क्या फायदे हैं . उत्तर प्रदेश सरकार को एक नया डिपार्टमेंट खोलना पड़ेगा जो मुन्नाभाईयो कि जाँच करता रहेगा फिर इनको दी गयी पेमेंट को वसूलने में सालो लग जायेंगे जब कि टेट से भर्ती होने पर ऐसे लोगो को रोका जा सकता है,और ऐसे लोगो को मौका मिलेगा जो वास्तव में इस नौकरी के हकदार हैं
aise hi bhai logo positive bane rahe...chinta se sarir ka nuksan ho sakta hai ..sab kuch thik ho jayega ager app sachet hai to der ho sakti hai lakin andher nahi..ferjiwada group(saitan) kabhi safal nahi ho sakta hai...last mai imandari aur mehnat ki vijai Sri hogi..."satya mav jaite" ka matlab hai satya ko paresan kia ja sakta ya satya mai deri ho sakti hai lakin satya ko kabhi haraya nahi ja sakta hai....
ReplyDeletesir,koi mujhe bataega ki other state candidate ka kitna %quota hota hai
ReplyDeletesir bharti ki prikriya chalegi ya ccancel ho jayegi
ReplyDeleteMerit TET se hi banni chaiye..
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