क्या हमारे देश का कानून बेहद कमजोर नहीं है ???
4 साल से प्रशिक्षु शिक्षक अपनी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं , उनका गुनाह क्या है ।
और जो लोग इनकी मुश्किलों के लिए दोषी हैं , वो आराम से जी रहे हैं ।
शिक्षा मित्र मामले में प्रथम दृष्टया केस था की बगैर टेट शिक्षक कैसे बने , और उस पर डेट पर डेट लग रही थी ।
वो तो सुप्रीम कोर्ट का असर था की सुनवाई जल्द करनी पडी ।
वरना उमर गुजर जाती और हाई कोर्ट डेट पर डेट लगाती रहती ।
बात यह की शिक्षा मित्रों का या टेट पास वालों का कॅरियर बेहतर होना चाहिए , और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का अच्छे से पालन होना चाहिए , जिससे आर टी ई अधिनियम का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो सके ।
शिक्षा मित्रों को व टेट पास जो भी हों सही रास्ते से गुणवत्ता परक शिक्षक बनाया जाना चाहिए ।
अब कानून की बात करते हैं - देश के कानून में भुगतता बेगुनाह ही है , और आराम कानून तोड़ने वाला उठाता है ।
जब तक कानून दोषियों को सजा नहीं देगा , तब तक कानून तोडा जाता रहेगा ।
जब भी कानून अपना फैसला दे तो साथ में उसके दोषियों के उचित दंड भी दे , चाहे उनकी सैलरी से रिकवरी की जाये या कुछ और ।
यहाँ टेट पास लाखों की संख्या में थे , वरना आम इंसान कहाँ तक कोर्ट में लड़ता और इसका खर्च उठाता ।
अब यह कोर्ट का खर्च किस से मिले , जाहिर से बात है की जो भी दोषी हों उनकी सेलरी से मुआवजा की राशि इन टेट पास वालों को दिलवा दो , इसके बाद
अपने आप कानून में सुधार आने लगेगा ।
बात सिर्फ टेट पास वालों की नहीं है , हिंदुस्तान में भ्रस्टाचार अपने आप समाप्त होने लगेगा जब कानून तेजी से प्रथम दृष्टया केसों में फैसला देने लगे ,
और अन्य केसेस भी त्वरित गति निबटाए ।
साथ ही न्याय सस्ता हो और आसान प्रक्रिया बनाई जाए
आसान प्रक्रिया ऐसी हो सकती है - आप केस ऑनलइन दर्ज कर सकें , और उसके सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट ऑनलाइन अपलोड कर सकें ,
उसके बात प्रथम दृष्टया बातों पर पहले ध्यान दिया जाए ।
दोनों पक्षों की हियरिंग ऑनलाइन चेट के माध्यम से दर्ज की जा सकती है , उसके बाद जैसा जज चाहें उनके लिखित दस्तावेज के प्रिंट आउट को हस्ताक्षर सहित अपने न्यायलय में मंगवा लें ।
उसके बाद केवल ख़ास मुद्दों पर सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को पर्सनल हियरिंग के लिए बुलाया जा सकता है ।
हमारे देश के आर टी आई सिस्टम भी गन्दा है , ऑनलाइन आर टी आई का प्रावधान नहीं है , सी आई सी ने ऐसा प्रबंध कर रखा है की वह जो चाहे फैसला दे ओरल आधार पर , बाद में भले ही किसी पक्ष को गलत भी लगे लेकिन वह उसका रिव्य अपील नहीं फाइल कर सकता , यह सब सी आई सी ने अपनी सुरक्षा के लिये कर रखा है ।
और उसके बाद फिर आदमी को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे ।
2009 -10 के काल में अन्ना आंदोलन के दौरान आर टी आई मजबूत थी , लेकिन दिनों दिन यह कमजोर होती चली गई और कमजोर होती जा रही है ।
उस दौरान कुछ महत्वपूर्ण फैसले ऐसे थे -
देश का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी अधिकारी की ए सी आर / वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट ( जो की प्रमोशन के लिए उपयोग की जाती है ) मांग सकता है ,
इस से पारदर्शिता बढ़ी और प्रमोशन में चापलूसी और हेरा फेरी पर रोक लगने लगी , बड़े अधिकारी और नेताओं के हाथ बंधने लगे ।
नेताओं और अधिकारियों को यह सब पसंद नहीं आ रहा था , तो उन्होंने आर टी आई कानून में बदलाव करके गोपनीयता के नाम पर यह सब बंद करवा दिया ।
सी आई सी अपने फैसलों को रिव्य करती है , मगर सरकारी पक्ष को बचाने के लिए , उसने अपने गलत फैसले आम आदमी के सूचना के अधिकार के पक्ष में कभी रिव्यू नहीं किये ।
अगर कोई जन सूचना अधिकारी अधिकारी झूठ में यह भी कह दे की उसने मांगी गयी सूचनाएँ मुहैया करा दी , तो आप दोबारा से उस डॉक्यूमेंट को नहीं मांग सकते ।
रिपीटेड इंफोर्मेशन मांगना सूचना के अधिकार में अलाउ नहीं है ।
अंत में यही कहना है , की जब तक देश का कानून व् सिस्टम मजबूत नहीं होगा ।
तब तक देश का आम नागरिक गुलामी की तरह ही जीता रहेगा ।
लोगो को कजरीलाल नाम की गिरगिट से बहुत आशा थी , लेकिन वो सुपर गिरगिट निकला ।
वो वी आई पी कल्चर ख़त्म करने की बात कहता था , लेकिन आज खुद बंगले में रहता है , उसका खुद का जन लोक पाल भी नहीं आ पाया , और आज तक उसमे भी कोई चूहा नहीं पकड़ा गया । अन्ना का जान लोक पाल भी फुस्स हो गया ।
बाबा राम देव रातों रात काला धन पर कानून बनाने को कोंग्रेस सरकार से कह रहे थे , की सारा काला धन जो भी देश विदेश में हो उसको राष्ट्रिय संपत्ति घोषित कर दी जाए ।
लेकिन अब उनके कानून बनाने की योजना फुस्स हो चुकी है ।
बड़े बड़े पावर फुल लोगो के हाथ में देश का सिस्टम है , और राजनीती काले धन से ही चलती है ।
तो फिर काले धन पर कानून क्यों और कैसे बनेगा ।
कुल मिलाकर सीधी और सच्ची बात - जब तक देश का सिस्टम अच्छा नहीं बनेगा तब तक देश का आम गरीब इंसान कुचला जाता रहेगा
4 साल से प्रशिक्षु शिक्षक अपनी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं , उनका गुनाह क्या है ।
और जो लोग इनकी मुश्किलों के लिए दोषी हैं , वो आराम से जी रहे हैं ।
शिक्षा मित्र मामले में प्रथम दृष्टया केस था की बगैर टेट शिक्षक कैसे बने , और उस पर डेट पर डेट लग रही थी ।
वो तो सुप्रीम कोर्ट का असर था की सुनवाई जल्द करनी पडी ।
वरना उमर गुजर जाती और हाई कोर्ट डेट पर डेट लगाती रहती ।
बात यह की शिक्षा मित्रों का या टेट पास वालों का कॅरियर बेहतर होना चाहिए , और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का अच्छे से पालन होना चाहिए , जिससे आर टी ई अधिनियम का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो सके ।
शिक्षा मित्रों को व टेट पास जो भी हों सही रास्ते से गुणवत्ता परक शिक्षक बनाया जाना चाहिए ।
अब कानून की बात करते हैं - देश के कानून में भुगतता बेगुनाह ही है , और आराम कानून तोड़ने वाला उठाता है ।
जब तक कानून दोषियों को सजा नहीं देगा , तब तक कानून तोडा जाता रहेगा ।
जब भी कानून अपना फैसला दे तो साथ में उसके दोषियों के उचित दंड भी दे , चाहे उनकी सैलरी से रिकवरी की जाये या कुछ और ।
यहाँ टेट पास लाखों की संख्या में थे , वरना आम इंसान कहाँ तक कोर्ट में लड़ता और इसका खर्च उठाता ।
अब यह कोर्ट का खर्च किस से मिले , जाहिर से बात है की जो भी दोषी हों उनकी सेलरी से मुआवजा की राशि इन टेट पास वालों को दिलवा दो , इसके बाद
अपने आप कानून में सुधार आने लगेगा ।
बात सिर्फ टेट पास वालों की नहीं है , हिंदुस्तान में भ्रस्टाचार अपने आप समाप्त होने लगेगा जब कानून तेजी से प्रथम दृष्टया केसों में फैसला देने लगे ,
और अन्य केसेस भी त्वरित गति निबटाए ।
साथ ही न्याय सस्ता हो और आसान प्रक्रिया बनाई जाए
आसान प्रक्रिया ऐसी हो सकती है - आप केस ऑनलइन दर्ज कर सकें , और उसके सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट ऑनलाइन अपलोड कर सकें ,
उसके बात प्रथम दृष्टया बातों पर पहले ध्यान दिया जाए ।
दोनों पक्षों की हियरिंग ऑनलाइन चेट के माध्यम से दर्ज की जा सकती है , उसके बाद जैसा जज चाहें उनके लिखित दस्तावेज के प्रिंट आउट को हस्ताक्षर सहित अपने न्यायलय में मंगवा लें ।
उसके बाद केवल ख़ास मुद्दों पर सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को पर्सनल हियरिंग के लिए बुलाया जा सकता है ।
हमारे देश के आर टी आई सिस्टम भी गन्दा है , ऑनलाइन आर टी आई का प्रावधान नहीं है , सी आई सी ने ऐसा प्रबंध कर रखा है की वह जो चाहे फैसला दे ओरल आधार पर , बाद में भले ही किसी पक्ष को गलत भी लगे लेकिन वह उसका रिव्य अपील नहीं फाइल कर सकता , यह सब सी आई सी ने अपनी सुरक्षा के लिये कर रखा है ।
और उसके बाद फिर आदमी को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे ।
2009 -10 के काल में अन्ना आंदोलन के दौरान आर टी आई मजबूत थी , लेकिन दिनों दिन यह कमजोर होती चली गई और कमजोर होती जा रही है ।
उस दौरान कुछ महत्वपूर्ण फैसले ऐसे थे -
देश का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी अधिकारी की ए सी आर / वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट ( जो की प्रमोशन के लिए उपयोग की जाती है ) मांग सकता है ,
इस से पारदर्शिता बढ़ी और प्रमोशन में चापलूसी और हेरा फेरी पर रोक लगने लगी , बड़े अधिकारी और नेताओं के हाथ बंधने लगे ।
नेताओं और अधिकारियों को यह सब पसंद नहीं आ रहा था , तो उन्होंने आर टी आई कानून में बदलाव करके गोपनीयता के नाम पर यह सब बंद करवा दिया ।
सी आई सी अपने फैसलों को रिव्य करती है , मगर सरकारी पक्ष को बचाने के लिए , उसने अपने गलत फैसले आम आदमी के सूचना के अधिकार के पक्ष में कभी रिव्यू नहीं किये ।
अगर कोई जन सूचना अधिकारी अधिकारी झूठ में यह भी कह दे की उसने मांगी गयी सूचनाएँ मुहैया करा दी , तो आप दोबारा से उस डॉक्यूमेंट को नहीं मांग सकते ।
रिपीटेड इंफोर्मेशन मांगना सूचना के अधिकार में अलाउ नहीं है ।
अंत में यही कहना है , की जब तक देश का कानून व् सिस्टम मजबूत नहीं होगा ।
तब तक देश का आम नागरिक गुलामी की तरह ही जीता रहेगा ।
लोगो को कजरीलाल नाम की गिरगिट से बहुत आशा थी , लेकिन वो सुपर गिरगिट निकला ।
वो वी आई पी कल्चर ख़त्म करने की बात कहता था , लेकिन आज खुद बंगले में रहता है , उसका खुद का जन लोक पाल भी नहीं आ पाया , और आज तक उसमे भी कोई चूहा नहीं पकड़ा गया । अन्ना का जान लोक पाल भी फुस्स हो गया ।
बाबा राम देव रातों रात काला धन पर कानून बनाने को कोंग्रेस सरकार से कह रहे थे , की सारा काला धन जो भी देश विदेश में हो उसको राष्ट्रिय संपत्ति घोषित कर दी जाए ।
लेकिन अब उनके कानून बनाने की योजना फुस्स हो चुकी है ।
बड़े बड़े पावर फुल लोगो के हाथ में देश का सिस्टम है , और राजनीती काले धन से ही चलती है ।
तो फिर काले धन पर कानून क्यों और कैसे बनेगा ।
कुल मिलाकर सीधी और सच्ची बात - जब तक देश का सिस्टम अच्छा नहीं बनेगा तब तक देश का आम गरीब इंसान कुचला जाता रहेगा