बेसिक हेल्थ वर्कर महिला भर्ती में धांधली का आरोप
लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक हेल्थ वर्कर महिलाओं की भर्ती में धांधली के आरोप लग रहे हैं। एनएचएम में संविदा पर कार्य कर रही कर्मचारियों का आरोप है कि अनुभव को दरकिनार कर जुगाड़ और घूस देने वालों को चुना गया है। अधिकारियों ने कोर्ट के आदेशों को भी ध्यान में नहीं रखा। बीएसडब्लू महिलाएं इस परिणाम को कोर्ट में चुनौती देंगी। बुधवार को परिवार कल्याण महानिदेशालय का घेराव भी होगा।
बीएसडब्लू महिलाओं ने बताया कि भर्ती के लिए निकाले गए आवेदन में 5 वर्ष या उससे अधिक के अनुभव को वरीयता देने की बात थी। लेकिन छह माह से एक वर्ष वालों या फ्रेशर्स का चयन कर लिया गया है। यहां तक कि राजकीय संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं को भी नियुक्ति में वरीयता नहीं दी गई है। 10 मई 2013 को परिवार कल्याण महानिदेशालय ने रिक्तियों का विज्ञापन निकाला था। इसमें सभी ने आवेदन किया लेकिन यह कहते हुए महानिदेशालय ने आवेदन स्वीकार नहीं किया कि शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट नहीं है जबकि विज्ञापन में शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल दी गई थी।
इसके विरोध में आवेदनकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आवेदनकर्ताओं के पक्ष में फैसला दिया लेकिन सरकार ने इसे डबल बेंच में चुनौती दे दी। 17 दिसंबर 2013 को डबल बेंच ने विशेष अपील रद्द कर दी। इसकेबाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की लेकिन 4 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मात खाने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने नियुक्ति में गड़बड़ी की।
अनुभव को दरकिनार कर नए अभ्यर्थियों का चयन
कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने की मनमानी
महानिदेशक ने नहीं की बात
इस मामले में महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण डॉ. विजयलक्ष्मी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने पूछे गए सवाल का भी जवाब नहीं दिया।
सोमवार को घोषित परिणाम में सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, एससी व एसटी की अलग-अलग जारी मेरिट सूची में कुल 3281 अभ्यर्थियों के नाम हैं। इन्हें जिलोें में रिक्त पदों के सापेक्ष मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सूचना पर नियुक्तियां दी जाएंगी। सामान्य वर्ग की सूची में 1665, अन्य पिछड़ा वर्ग में 899, अनुसूचित जाति में 699 व अनुसूचित जनजाति में 18 महिला अभ्यर्थियों की मेरिट सूची जारी की गई है
लखनऊ (ब्यूरो)। बेसिक हेल्थ वर्कर महिलाओं की भर्ती में धांधली के आरोप लग रहे हैं। एनएचएम में संविदा पर कार्य कर रही कर्मचारियों का आरोप है कि अनुभव को दरकिनार कर जुगाड़ और घूस देने वालों को चुना गया है। अधिकारियों ने कोर्ट के आदेशों को भी ध्यान में नहीं रखा। बीएसडब्लू महिलाएं इस परिणाम को कोर्ट में चुनौती देंगी। बुधवार को परिवार कल्याण महानिदेशालय का घेराव भी होगा।
बीएसडब्लू महिलाओं ने बताया कि भर्ती के लिए निकाले गए आवेदन में 5 वर्ष या उससे अधिक के अनुभव को वरीयता देने की बात थी। लेकिन छह माह से एक वर्ष वालों या फ्रेशर्स का चयन कर लिया गया है। यहां तक कि राजकीय संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं को भी नियुक्ति में वरीयता नहीं दी गई है। 10 मई 2013 को परिवार कल्याण महानिदेशालय ने रिक्तियों का विज्ञापन निकाला था। इसमें सभी ने आवेदन किया लेकिन यह कहते हुए महानिदेशालय ने आवेदन स्वीकार नहीं किया कि शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट नहीं है जबकि विज्ञापन में शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल दी गई थी।
इसके विरोध में आवेदनकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आवेदनकर्ताओं के पक्ष में फैसला दिया लेकिन सरकार ने इसे डबल बेंच में चुनौती दे दी। 17 दिसंबर 2013 को डबल बेंच ने विशेष अपील रद्द कर दी। इसकेबाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की लेकिन 4 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मात खाने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने नियुक्ति में गड़बड़ी की।
अनुभव को दरकिनार कर नए अभ्यर्थियों का चयन
कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने की मनमानी
महानिदेशक ने नहीं की बात
इस मामले में महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण डॉ. विजयलक्ष्मी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने पूछे गए सवाल का भी जवाब नहीं दिया।
सोमवार को घोषित परिणाम में सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग, एससी व एसटी की अलग-अलग जारी मेरिट सूची में कुल 3281 अभ्यर्थियों के नाम हैं। इन्हें जिलोें में रिक्त पदों के सापेक्ष मुख्य चिकित्सा अधिकारी की सूचना पर नियुक्तियां दी जाएंगी। सामान्य वर्ग की सूची में 1665, अन्य पिछड़ा वर्ग में 899, अनुसूचित जाति में 699 व अनुसूचित जनजाति में 18 महिला अभ्यर्थियों की मेरिट सूची जारी की गई है
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