मेरठ: कॉन्वेंट स्कूल को टक्कर देता प्राइमरी स्कूल
News Source आईबीएन-7 | 20-Nov 2014
उमेश श्रीवास्तव
मेरठ। मेरठ के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल ने अपने प्रयास से स्कूल का कायाकल्प कर दिया। स्कूल न सिर्फ साफ सुथरा हो गया बल्कि अब यहां बच्चे ड्रेस पहन कर आते हैं तो टीचर भी आई कार्ड के साथ नजर आती हैं। प्रिंसिपल डॉ कौसर जहां की कोशिश है कि उनका स्कूल कान्वेंट स्कूलों से बेहतर साबित हो। उनका दावा है कि शैक्षिक गुणवतता के लिहाज से सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक बेहतर होते हैं, लिहाजा यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं है।
फूफंडा प्राइमरी नाम के इस स्कूल में बच्चे न सिर्फ ड्रेस के साथ टाईबेल्ट लगाकर स्मार्ट बनकर आते हैं। बल्कि पढ़ाई में भी उतने ही स्मार्ट हैं। ये करिश्मा कर दिखाया मेरठ में सबसे कम उम्र की प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर कौसर जहां ने।
डॉक्टर कौसर ने दो महीने पहले ही प्रिंसिपल पद पर इस स्कूल का कार्यभार संभाला और प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर बदलकर रख दी।
प्रिंसिपल डॉक्टर कौसर ने सरकारी स्कूलों को कॉनवेन्ट के टक्कर में लाने की ठान रखी थी। यहां सब कुछ वैसा ही है जैसा कॉनवेन्ट स्कूलों में होता है। बच्चों को घंटे के मुताबिक पढ़ाया जाता है। उन्हें साफ-सफाई के लिए प्रेरित किया जाता है।
प्राथमिक विद्यालय फफूंडा आज कॉनवेन्ट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। ऐसे प्रयासों ने आम जनता में प्राइमरी स्कूल को लेकर बना भ्रम तोड़ा है। ऐसे ही अगर सारे प्रिंसिपल और अध्यापक ठान लें तो हर स्कूल आदर्श बन जाए।
News Source आईबीएन-7 | 20-Nov 2014
उमेश श्रीवास्तव
मेरठ। मेरठ के एक सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल ने अपने प्रयास से स्कूल का कायाकल्प कर दिया। स्कूल न सिर्फ साफ सुथरा हो गया बल्कि अब यहां बच्चे ड्रेस पहन कर आते हैं तो टीचर भी आई कार्ड के साथ नजर आती हैं। प्रिंसिपल डॉ कौसर जहां की कोशिश है कि उनका स्कूल कान्वेंट स्कूलों से बेहतर साबित हो। उनका दावा है कि शैक्षिक गुणवतता के लिहाज से सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक बेहतर होते हैं, लिहाजा यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं है।
फूफंडा प्राइमरी नाम के इस स्कूल में बच्चे न सिर्फ ड्रेस के साथ टाईबेल्ट लगाकर स्मार्ट बनकर आते हैं। बल्कि पढ़ाई में भी उतने ही स्मार्ट हैं। ये करिश्मा कर दिखाया मेरठ में सबसे कम उम्र की प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल डॉक्टर कौसर जहां ने।
डॉक्टर कौसर ने दो महीने पहले ही प्रिंसिपल पद पर इस स्कूल का कार्यभार संभाला और प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर बदलकर रख दी।
प्रिंसिपल डॉक्टर कौसर ने सरकारी स्कूलों को कॉनवेन्ट के टक्कर में लाने की ठान रखी थी। यहां सब कुछ वैसा ही है जैसा कॉनवेन्ट स्कूलों में होता है। बच्चों को घंटे के मुताबिक पढ़ाया जाता है। उन्हें साफ-सफाई के लिए प्रेरित किया जाता है।
प्राथमिक विद्यालय फफूंडा आज कॉनवेन्ट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। ऐसे प्रयासों ने आम जनता में प्राइमरी स्कूल को लेकर बना भ्रम तोड़ा है। ऐसे ही अगर सारे प्रिंसिपल और अध्यापक ठान लें तो हर स्कूल आदर्श बन जाए।