Gujarat High-court : 'आरक्षण ने किया तबाह, लोग पिछड़ा कहलाने की करते हैं कामना'
कहा आरक्षण और भ्रष्टचार मुख्य समस्या हैं
अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने न्यायाधीश जेएस पारदीवाला ने देश की तरक्की के रास्ते में आरक्षण व्यवस्था को बड़ी बाधा बताया। साथ ही इस व्यवस्था की खुलकर आलोचना की। पारदीवाला ने कहा कि यदि कोई मुझसे पूछे कि दो ऐसी चीजों के नाम बताओ, जिन्होंने देश को तबाह किया है या देश को सही तरक्की करने से रोका है तो यह है आरक्षण और भ्रष्टाचार। बरसों की आजादी के बावजूद आरक्षण मांगना इस देश के किसी भी नागरिक के लिए बेहद शर्मनाक है। पारदीवाला हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह व सरकार के खिलाफ जंग छेडऩे संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
वैमनस्य के बीज बो रहा आरक्षण
कोर्ट ने कहा कि आरक्षण केवल एक सुरसा की तरह मुंह फैलाकर लोगों में वैमनस्य के बीज बो रहा है। किसी भी साज में मेरिट का महत्व कम कर नहीं आंका जा सकता। हास्यास्पद है कि भारत ही केवल ऐसा देश होगा, जहां कुछ नागरिक पिछड़ा कहलाने की कामना करते हैं।
हार्दिक को राहत
हाईकोर्ट ने हार्दिक पर सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे का आरोप रद्द कर दिया, लेकिन देशद्रोह का आरोप बरकरार रखा। सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे के आरोप में संभावित मौत की सजा का प्रावधान है, जबकि देशद्रोह में उम्रकैद तक हो सकती है।
कहा आरक्षण और भ्रष्टचार मुख्य समस्या हैं
अहमदाबाद। गुजरात हाईकोर्ट ने न्यायाधीश जेएस पारदीवाला ने देश की तरक्की के रास्ते में आरक्षण व्यवस्था को बड़ी बाधा बताया। साथ ही इस व्यवस्था की खुलकर आलोचना की। पारदीवाला ने कहा कि यदि कोई मुझसे पूछे कि दो ऐसी चीजों के नाम बताओ, जिन्होंने देश को तबाह किया है या देश को सही तरक्की करने से रोका है तो यह है आरक्षण और भ्रष्टाचार। बरसों की आजादी के बावजूद आरक्षण मांगना इस देश के किसी भी नागरिक के लिए बेहद शर्मनाक है। पारदीवाला हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह व सरकार के खिलाफ जंग छेडऩे संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
वैमनस्य के बीज बो रहा आरक्षण
कोर्ट ने कहा कि आरक्षण केवल एक सुरसा की तरह मुंह फैलाकर लोगों में वैमनस्य के बीज बो रहा है। किसी भी साज में मेरिट का महत्व कम कर नहीं आंका जा सकता। हास्यास्पद है कि भारत ही केवल ऐसा देश होगा, जहां कुछ नागरिक पिछड़ा कहलाने की कामना करते हैं।
हार्दिक को राहत
हाईकोर्ट ने हार्दिक पर सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे का आरोप रद्द कर दिया, लेकिन देशद्रोह का आरोप बरकरार रखा। सरकार के खिलाफ युद्ध छेडऩे के आरोप में संभावित मौत की सजा का प्रावधान है, जबकि देशद्रोह में उम्रकैद तक हो सकती है।