UPTET : बेसिक शिक्षा सेवा नियमावली में संशोधन सही
दिसंबर-11 का विज्ञापन रद्द करने के निर्णय पर हाईकोर्ट की मुहर
अखिलेश त्रिपाठी और सैकड़ों अन्य अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरुण टंडन ने कहा, यह स्थापित विधि है कि राज्य सरकार चयन प्रक्रिया को किसी भी समय संशोधित या रद्द कर सकती है। बशर्ते कि वह नियमों के विपरीत या मनमाने तरीके से न किया गया हो। कोर्ट ने कहा कि यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि सरकार द्वारा 30 दिसंबर 2011 के विज्ञापन को रद करने का फैसला मनमाना और अवैध नहीं है।
याचीगण का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे और अन्य वकीलों ने कहा कि सरकार द्वारा अपनाई गई नई प्रक्रिया एनसीटीई रेग्युलेशन के विपरीत है। क्योंकि एनसीटीई ने टीईटी को महत्व देने की बात कही है। जबकि राज्य सरकार ने अपने नए भर्ती नियम में टीईटी को मात्र अर्हता माना है। अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने कहा कि पूर्व में जारी शासनादेश एवं विज्ञाप्ति एनसीटीई के प्रावधानों के विपरीत थी क्योंकि उसमें प्रशिक्षु अध्यापकों की भर्ती का कोई प्रावधान नहीं था। इसे अब संशोधित कर लिया गया है। मौजूदा विज्ञापन विपरीत नहीं है। एनसीटीई के वकील रिजवान अली अख्तर ने कहा कि एनसीटीई ने शिक्षा के निशुल्क एवं अनिवार्य अधिकार अधिनियम की धारा 23(1) में विहित अधिकारों का प्रयोग करते हुए परिषदीय विद्यालयों में अध्यापकों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित की। इसके बाद एनसीटीई ने टीईटी के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए।
News Source : Amar Ujala (12.1.13)
**********************
Next hearing will be on 15th Jan 2013.
Where it may be possible that many candidates who applied earlier in old advt, and again dispatch their application information to SCERT , Lucknow then their application will consider or not.