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Monday, April 13, 2015

News : लाइन से घबराने की जरूरत नहीं, ट्रेन में भी मिलेंगे टिकट

News : लाइन से घबराने की जरूरत नहीं, ट्रेन में भी मिलेंगे टिकट

लाइन से घबराने की जरूरत नहीं, ट्रेन में भी मिलेंगे टिकट

 एक तरफ टिकट काउंटर पर लंबी लाइन और दूसरी ओर प्लेटफार्म पर खड़ी ट्रेन। टिकट लेना भी जरूरी है मगर इस फेर में ट्रेन छूटने की टेंशन भी है। ऐसी दुविधा लगभग हर यात्री के सामने अक्सर आती है।

अब ये दिन गए, ऐसे दिन आ रहे हैं जो यात्रियों के लिए टिकट के मामले में बेहद राहत भरे हैं। उन्हें टिकट विंडो पर लंबा इंतजार नहीं करना होगा। ट्रेन का टिकट ट्रेन में ही मिल जाएगा। फिलहाल, सुपरफास्ट ट्रेनों में यह व्यवस्था लागू कर दी गई है। जल्द ही बाकी ट्रेनों में भी यही व्यवस्था होगी। इसके लिए टीटीई को टिकट शीन (हैंड-हेल्ड) मिलनी शुरू हो चुकीं हैं।

रेलवे ने प्रथम चरण में सुपरफास्ट ट्रेन लखनऊ मेल, गरीब रथ, अर्चना सुपरफास्ट, राजधानी सुपरफास्ट आदि के टीटीई को हैंड-हेल्ड मशीन दी है। मशीन रेलवे के पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) सर्वर से कनेक्ट रहेगी। इससे ट्रेन के हर कोच में खाली बर्थ और किस स्टेशन पर मुसाफिर उतरेगा, इसकी जानकारी मिलती रहेगी।



ये होगा फायदा
बिना टिकट लिए ट्रेन में चढ़ने वाले यात्री सीधे टीटीई से मिलेंगे। तय किराये से दस रुपये अतिरिक्त लेकर टीटीई इसी मशीन से टिकट देंगे। इसके अलावा मशीन के जरिये ही वेटिंग टिकट वाले मुसाफिरों को बर्थ खाली होते ही मिल जाएगी।

टीटीई की मनमानी होगी खत्म
ट्रेन छूटने की जल्दी में सवार होने वाले मुसाफिरों से टीटीई और स्क्वायड के सिपाही मनमाना जुर्माना एवं रुपयों की वसूली करते हैं। इसके साथ ही वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को बर्थ न होने की बात कहकर बर्थ नहीं देते थे। मगर हैंड-हेल्ड मशीन से यात्री भी अपनी बर्थ की पोजीशन देख सकेंगे।

ट्रेन में चढ़ते ही टीटीई को बताना होगा
यात्री को ट्रेन में सवार होते ही टीटीई को बताना होगा कि उसने टिकट नहीं लिया है। मशीन से टिकट बनवाना है। चेकिंग के दौरान यदि टीटीई ने बिना टिकट पकड़ा तो जुर्माना पड़ेगा।


ट्रेनों में यात्रियों को अधिक से अधिक सुविधा देने का प्रयास है। इसीलिए टीटीई को हैंड-हेल्ड मशीन दी जा रही हैं। सुपरफास्ट ट्रेनों में यात्री सवार होने के बाद भी टीटीई से टिकट ले सकेंगे। - नीरज शर्मा, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर रेलवे



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Saturday, March 21, 2015

Tumhare Liye To Jan Bhee Hajir Hai Doston*

Tumhare Liye To Jan Bhee Hajir Hai Doston*

*Sharten Lagu







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Friday, March 13, 2015

सुकन्या समद्धि योजना -- (Beti Bachao Beti Padhao campaign)

सुकन्या समद्धि योजना -- (Beti Bachao Beti Padhao campaign)

बैंक या पोस्ट ऑफिस में 10 वर्ष से कम तक की बेटी का सुकन्या समद्धि योजना के तहत 1000से A/Cखुलाया जा सकता है , जिस पर 9.1%intrest+टैक्स बेनिफिट मिलेगा , एक साल में अधिकतम 1.5लाख जमा किया जा सकता है, 18 साल की बेटी होने पर 50% पैसा ( higher education expenses)निकाला जा सकता है ,21 साल में सभी पैसा निकाला जा सकता है । ये एक ऐसी योजना है जिस पर PPF(8.7%)से अधिक ब्याज मिलता है
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Monday, March 9, 2015

Share #Like - Aapke Pitaji Ki Jageer Nahin Hai Desh Ka Dhan

#Share #Like  - Aapke Pitaji Ki Jageer Nahin Hai Desh Ka Dhan

Aapke Pitaji Ki Jageer Nahin Hai Desh Ka Dhan,
Ham Par Aapka Thopa Hua Tax Hai,
1 Rs Kilo Genhu , 2 Rs Kilo Chaval,
Bijlee Choree Aadha Paisa Maaf,
Jo Benko Ka Paisa Kha Jaye Uska Karj Maaaf,

Band Karo Ye Yojnayen,
Logon Ko Saksham Banao , Kamchor Makaar Nahin ,

Kab Tak Vote Bank Kee Rajneeti Hogee

Dam Hai To Party Fund Se Karke Dikhaao,
Sabhee Partiyan Dhyaan Den, 
Yadi Sehmat Hon To Share Karen, 
Daren Nahin Janta Kee Aaavaj Banayen.

Note : Har Insaan Is Samay Sale Tax (Bajaar Se Jo Bhee Khareedta Hai Us par Sale Tac , Excise Duty etc Lagta Hai) , Entertainment Tax / Manoranjan Kar ( Yadi Aap Cinema Hall Jaten hain to manoranjan Kar Ityadi Lagte hain), Sale  tax n Excise Duty (Yadi aap Petrol Khareedyte hain Ityadi),
House Tax, Water Tax, Road Tax , Service Tax, Education Cess Ityadi De Raha Hai.









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Thursday, March 5, 2015

होली खेले पर ज़रा सावधानी से MUST #Share #SafeHoli

#होली खेले पर ज़रा सावधानी से MUST #Share #SafeHoli

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होली की मस्ती से वैसे तो चूकना नहीं चाहिए पर होली खेलने से पहले कुछ सावधानियां अगर बरत ली जायें तो त्वचा और रासायनिक रंगों से होने वाले नुक्सान से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है। एक पुराना समय था जब लोग हल्‍दी, चदंन, गुलाब और टेसू के फूल से रंग बनाया करते थे पर आजकल तो रासायनिक रंगों का ही बोलबाला है। ऐसे मे सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है। ऐसे रंगों मे कई तरह के रासायनिक और विषैले पदार्थ मिले होते हैं, जो त्वचा, नाखून व मुंह से शरीर मे प्रवेश कर अदंरूनी हिस्सों को क्षति पहुंचा सकते हैं।

चलिए जानते हैं कि होली खेलने से पहले हमें क्‍या-क्‍या सावधानियां बरतने की जरुरत है
कुछ साव‍धानियां-

1.होली के दिन आप पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनिए। अच्‍छा होगा कि कपड़े के अंदर कोई स्‍विंम सूट पहन लें जिससे होली का रसायनयुक्‍त रंग अंदर जाने से बच जाए।

 



2.होली खेलने से पहले अपने शरीर पर खूब सारा तेल या फिर मॉस्‍चोराइज़र लगाएं और 15 मिनटों तक उसे अपने शरीर दा्रा सोखने दें। इसके बाद अपने शरीर पर वाटरप्रूफ सनस्‍क्रीन लगा कर होली खेलने निकल पड़ें।

 







3.इस दिन बालों पर विषेश ध्‍यान देना जरुरी है। अपने बालों पर एक अच्‍छा तेल लगाएं जिससे नहाने के समय बालों पर रंग चिपके ना और आसानी से धुल भी जाए। चाहें तो टोपी भी पहन सकते हैं। तेल के अलावा अपने होंठों को हानिकारक रंगों से बचाने के लिए उस पर लिप बाल्‍ब लगाना न भूलें।

 





4.नाखूनों पर जब रंग चढ़ जाते हैं तो जल्‍दी साफ नहीं होते। इसके लिए नाखूनों और उसके अंदर भी वैसलीन लगाएं। इससे नाखूनों और उसके अंदर रंग नहीं चढेगा। इसके अलावा महिलाएं नेलपॉलिश भी लगा सकती हैं।

5.जब भी रंग खरीदने जाएं तो कोशिश हमेशा यही होनी चाहिए कि हरा, बैगनी, पीला और नारंगी रंग न लेकर लाल या फिर गुलाबी रंग खरीदें। वह इसलिए क्‍योंकि इन सब गहरे रंगों में ज्‍यादा रसायन मिले हुए होते हैं।

6.अपनी आखों का विशेष ध्यान रखें। आंखों को रंग, गुलाल, अबीर आदि से बचाएँ क्‍योंकि इनमें मौजूद पोटेशियम हाईक्रोमेट नामक हानिकारक तत्व आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। यदि कुछ रंग आँख मे चला जाए तो आंखों को तब तक पानी से धोएं जब तक रंग ठीक से निकल न जाए।

7.रंग खेलने के बाद त्‍वचा रुखी हो जाती है, तो इसकेलिए शरीर पर मलाई या बेसन का पेस्‍ट बना कर लगाया जा सकता है। जिन व्यक्तियों के शरीर पर कोई घाव या चोट आदि है तो उन्हें होली नहीं खेलनी चाहिए। इससे रंगों में मिले रासायनिक तत्व घाव के माध्यम से शरीर के रक्त में मिलकर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अगर आप यह उपरोक्‍त सावधानियां बरतते हुए होली खेलेगें तो आपकी होली इस साल की सबसे अच्‍छी और सुरक्षित होली कहलाएगी।

HOLI, news, Useful Information
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Tuesday, February 17, 2015

NEWS साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ? #SABDANA

#NEWS साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ?  #SABDANA

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SABUDANA KE BAARE MEIN MENE YEH POST FACEBOOK SE LEE,
KUCH BATEN JANNNE SE BADA DUKH HUAA,
AGAR ISMEN JARA BHEE JHOOTH HAI TO SARKAR MEDIA KO ISKO SANGYAN MEIN LENE CHAIHYE, AURLOGO KO SACH SE AVGAT KARANA CHAHIYE.
AGAR YEH BAAT SACH HAI TO BHEE LOGO KE HAQIQAT SE WAKIF KARAYAA JAANA CHAHIYE,
VRAT / UPVAS KE DORAAN LOG SAHEE VA UCHIT CHEEJEN LE SAKEN, VA CHALE NA JAYEN IS BAAT KA DHYAN RAKHNA CHAHIYE
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साबूदाना- शाकाहारी है या मांसाहारी ?
आइये देखते हैं आपके पंसदीदा साबूदाना बनाने के तरीके को। यह तो हम सभी जानते हैं कि साबूदाना व्रत में खाया जाने वाला एक शुद्ध खाद्य माना जाता है, पर क्या हम जानते हैं कि साबूदाना बनता कैसे है?


आमतौर पर साबूदाना शाकाहार कहा जाता है और व्रत, उपवास में इसका बहुतायत में प्रयोग होता है, लेकिन शाकाहार होने के बावजूद भी साबूदाना पवित्र नहीं है। अब आपके मन में यह प्रश्न भी उठा होगा कि भला यह कैसे हो सकता है?


आइए देखते हैं साबूदाने की हकीक़त को, फिर आप खुद ही निश्चय कर सकते हैं कि आखिर साबूदाना शाकाहारी है या मांसाहारी।

 

साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं उगत। यह कासावा या टैपियोका नामक कंद से बनाया जाता है। कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है, लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। केरल में इस पौधे को ‘कप्पा’ कहा जाता है। इस पौधे की जड़ को काट कर साबूदाना बनाया जाता है जो शकरकंदी की तरह होती है। इस कंद में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है। यह सच है कि साबूदाना टैपियोका  कसावा के गूदे से बनाया जाता है, परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे किसी भी सूरत में शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता।

तमिलनाडु प्रदेश में सालेम से कोयम्बटूर जाते समय रास्ते में साबूदाने की बहुत सी फैक्ट्रियाँ पड़ती हैं, यहाँ पर फैक्ट्रियों के आस-पास भयंकर बदबू ने हमारा स्वागत किया।
तब हमने जाना साबूदाने कि सच्चाई को। साबूदाना विशेष प्रकार की जड़ों से बनता है। यह जड़ केरला में होती है। इन फैक्ट्रियों के मालिक साबूदाने को बहुत ज्यादा मात्रा में खरीद कर उसका गूदा बनाकर उसे 40 फीट से 25 फीट के बड़े गड्ढे में डाल देते हैं, सड़ने के लिए। महीनों तक साबूदाना वहाँ सड़ता रहता है।


 

साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले कसावा को खुले मैदान में पानी से भरी बड़ी-बड़ी कुंडियों में डाला जाता है और रसायनों की सहायता से उन्हें लंबे समय तक गलाया-सड़ाया जाता है। इस प्रकार सड़ने से तैयार हुआ गूदा महीनों तक खुले आसमान के नीचे पड़ा रहता है। रात में कुंडियों को गर्मी देने के लिए उनके आस-पास बड़े-बड़े बल्ब जलाए जाते हैं। इससे बल्ब के आस-पास उड़ने वाले कई छोटे-मोटे जहरीले जीव भी इन कुंडियों में गिर कर मर जाते हैं।


 यह गड्ढे खुले में हैं और हजारों टन सड़ते हुए साबूदाने पर बड़ी-बड़ी लाइट्स से हजारों कीड़े मकोड़े गिरते हैं। फैक्ट्री के मजदूर इन साबूदाने के गड्ढो में पानी डालते रहते हैं, इसकी वजह से इसमें सफेद रंग के कीट पैदा हो जाते हैं। यह सड़ने का, कीड़े-मकोड़े गिरने का और सफेद कीट पैदा होेने का कार्य 5-6 महीनों तक चलता रहता है। 


दूसरी ओर इस गूदे में पानी डाला जाता है, जिससे उसमें सफेद रंग के करोड़ों लंबे कृमि पैदा हो जाते हैं। इसके बाद इस गूदे को मजदूरों के पैरों तले रौंदा जाता है। आज-कल कई जगह मशीनों से भी मसला जाता है। इस प्रक्रिया में गूदे में गिरे हुए कीट-पतंग तथा सफेद कृमि भी उसी में समा जाते हैं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराई जाती है। पूरी प्रक्रिया होने के बाद जो स्टार्च प्राप्त होता है उसे धूप में सुखाया जाता है। धूप में वाष्पीकरण के बाद जब इस स्टार्च में से पानी उड़ जाता है तो यह गाढ़ा यानी लेईनुमा हो जाता है। इसके बाद इसे मशीनों की सहायता से इसे छन्नियों पर डालकर महीन गोलियों में तब्दील किया जाता है। यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही होती है, जैसे बेसन की बूंदी छानी जाती है


 इन गोलियों के सख्त बनने के बाद इन्हें नारियल का तेल लगी कढ़ाही में भूना जाता है और अंत में गर्म हवा से सुखाया जाता है। 

फिर मशीनों से इस कीड़े-मकोड़े युक्त गुदे को छोटा-छोटा गोल आकार देकर इसे पाॅलिश किया जाता है

इतना सब होने के बाद अंतिम उत्पाद के रूप में हमारे सामने आता है मोतियों जैसा साबूदाना।  बाद में इन्हें आकार, चमक और सफेदी के आधार पर अलग-अलग छांट लिया जाता है और बाजार में पहुंचा दिया जाता है, परंतु इस चमक के पीछे कितनी अपवित्रता छिपी है वह तो अब आप जान ही चुके होंगे।



आप लोगों की बातों में आकर साबूदाने को शुद्ध ना समझें। साबूदाना बनाने का यह तरीका सौ प्रतीषत सत्य है। इस वजह से बहुत से लोगों ने साबूदाना खाना छोड़ दिया है।

तो चलिये उपवास के दिनों में (उपवास करें न करें यह अलग बात है) साबूदाने की स्वादिष्ट खिचड़ी या खीर या बर्फी खाते हुए साबूदाने की निर्माण प्रक्रिया को याद कीजिए कि क्या साबूदाना एक खद्य पदार्थ है। ये छोटे-छोटे मोती की तरह सफेद और गोल होते हैं। यह सैगो पाम नामक पेड़ के तने के गूदे से बनता है। सागो, ताड़ की तरह का एक पौधा होता है। ये मूलरूप से पूर्वी अफ्रीका का पौधा है। पकने के बाद यह अपादर्शी से हल्का पारदर्शी, नर्म और स्पंजी हो जाता है।

भारत में इसका उपयोग अधिकतर पापड़, खीर और खिचड़ी बनाने में होता है। सूप और अन्य चीजों को गाढ़ा करने के लिए भी इसका  उपयोग होता है। भारत में साबूदाने का उत्पादन सबसे पहले तमिलनाडु के सेलम में हुआ था। लगभग 1943-44 में भारत में इसका उत्पादन एक कुटीर उद्योग के रूप में हुआ था। इसमें पहले टैपियाका की जड़ों को मसल कर उसके दूध को छानकर उसे जमने देते थे, फिर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सेंक लेते थे। टैपियाका के उत्पादन में भारत अग्रिम देशों में है। लगभग 700 इकाइयां सेलम में स्थित हैं। साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट की प्रमुखता होती है और इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।

साबूदाना की कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। उनके बनाने की गुणवत्ता अलग होने पर उनके नाम बदल और गुण बदल जाते हैं अन्यथा यह एक ही प्रकार का होता है, आरारोट भी इसी का एक उत्पाद है


जब आपको साबूदाना का सत्य पता चल गया है, तो इसे खाकर अपना जीवन दूषित ना करें। कृपया इस पोस्ट को समस्त सधर्मी बंधुओं के साथ शेयर करके उनका व्रत और त्यौहार अशुद्ध होने से बचाएँ



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Friday, February 13, 2015

#JOKE : Facebook par Ajeeb Mansikta Se Ek Post Share Kee Gayee Thee, Jisem Kiran Bedi (BA, LLB n Ph D Philosophy Sponsored by Govt ko Kejriwa B. Tech IIT se Behtar Bataya Hai

#JOKE : Facebook par Ajeeb Mansikta Se Ek Post Share Kee Gayee Thee, Jisem Kiran Bedi (BA, LLB n Ph D Philosophy Sponsored by Govt ko Kejriwa B. Tech IIT se Behtar Bataya Hai

Sabse Pehlee Baar Hindustan Mein Sabse Kada Sangharsh IIT B Tech ke Entrance Ke Liye Hotaa Hai (Suvidhayen Bhee Selection Mein Role Play Kartee hain.

Baki IIT Kee Degree Log Sirf Naam Ke Liye / Thappa Lagaane Ke Liye Lene Bhaagte Hain.Jismen  Competition Bahut Kam Hotaa Hai. 
Dusre Kiran Bedi ne Ph D Philosophy se IIT 1993 Mein. kee , us Doaran Jab Ve Sarkari Sewa mein thee. Jab Aap Sarkari Sewa Mein Hote Hain to Kayee Jaghe Asanee Se Sponsor kar Diyaa Jaata hai.
Sachin Tendulkar bhee Jo High School Tak Pade Hain ko Bhee Ph D kee Degree Milee Huee hai.
Sabse Badee Baat Hai Ki Degree Vegree Politics mein Itnee Mehtvpoorn nahin, Jitna Imaandaar Pryas.
Lekin Kuch Log Moorkhta poorn Tulna kar Rahe hain to Likhnaa Padaa.


Kiran Bedi ki Ek Ghatna bhee kafee mashoor hai ki Unhone Apnee Ladkee Ko North East Kote se Delhi Medical College Mein Dhakhila Kara Diyaa, Jabki Unkee Ladkee ki Ruchi Kahin Aur Thee Aur Usne Baad Mein Journalism Mein Admission Le Liyaa. Medical kee ek ek seat hamaare desh mein achhaa sthan rakhtee hai, Aur Samanyta log sakht competition se gujar kar achhe college mein dhakhila mushkil se paate hain.

Kiran Bedi Ek Avsar Vadee Mahila hain, Unkee Haal Kee baton se to BJP vaale Bhee Khafaa Honge.
Kiran Bedi ne BJP tab join kee jab Unhe CM banne ka Laalach Milaa.

Abhee Haal mein Kiran Bedi ki haar huee aur jab mein unka Interview sun rahee thee to uska Ghatnakram is prkaar hai -

Kiran Bedi ji Aap Apnee Haar par Kya Pratikria Dengee, to Unhone Kaha Mein nahin haree, 
Ye BJP kee Haar hai.

I haven't lost, BJP has lost: Kiran Bedi's post-defeat message

 (Additional Source : http://www.rediff.com/news/report/delhi-polls-i-havent-lost-bjp-has-lost-kiran-bedi/20150210.htm, http://www.hindustantimes.com/newdelhi/not-my-loss-says-bedi-who-now-faces-diminished-role-in-bjp/article1-1315521.aspx )

Aur Haar ka Theekra BJP par fod rahee thee.
 
 Ye Vahee Kiran Bedi hain - Jo Kamjor Lokpal ke Liye BJP ko kos Rahee thee. Aur BJP ko RTI ke Dayre Mein Laane par Jor De rahee thee. 
Lekin Jab Unko CM banne ka Laalach Milaa to Sab Bhool Gayee.

 Kiran Bedi aur Kejriwal Dono Hee Satta Mein Aana Chahate the, ye baat pehle hee inke satta mein aane se pehle leak huee thee.
Anna Hazare Ek Imaandar Vyakti The, Jinhe Satta Ke Lobh Laalach se Koee Matlab nahin Thaa.

Ab Aate hain sabse mehtvpoorn baat par -
Hame Na Kejriwal se Matlab Hai Na Kiran Bedi se.

Bas System Imaandaar Aur Achhaa Hona Chahiye, Sab Log Apne Aap Sudhar Jayenge.

Ab Kejriwal Achha Kaam karte Hain, to Aage Badenge Warna Unke Bhee Kiran Bedi Jaisaa Hee Hasra Hogaa.
Avsar vadee Jyada Samay Nahin TikTe









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Monday, December 1, 2014

Recommended books for the preparation of UPSC IAS,HPPSC HPAS 2014 Pre and Mains Examination ;HPPSC Himachal Pradesh Administrative Service : Best books for Preparation and question papers of previous years

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Sunday, November 30, 2014

ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी

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!==ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी==!!
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1. प्याज को काट कर बल्ब या ट्यूब लाईट के साथ बाँधने से मच्छर व
छिपकिली और मोर का पंख घर में कहीं भी लगाने से केवल छिपकिली
नही आती यह आजमाए हुए हैं.
2. दही को जल्दी और अच्छी जमाने के लिए रात को जमाते वक्त दूध में
हरी मिर्च का डंठल तोड़ कर डाल दे ! दही जबरदस्त जमेगी !
3. अगर सब्जी में नमक ज्यादा हो गया हो तो आटे को गूंथ कर उसके
छोटे - छोटे पेड़े ( लोइयां ) बना कर डाल दे नमक कम हो जायेगा.
4. यदि फ्रिज में कोई भी खुशबू या बदबू आती है तो आधा कटा हुआ निम्बू
रखने से ख़त्म हो जायेगी एक हज़ार बार अजमाया हुआ है जी.
5. चावल के उबलने के समय २ बूँद निम्बू के रस की डाल दे चावल खिल जायेंगे और चिपकेंगे नही
6. चीनी के डब्बे में तीन या चार लौंग डालने से चींटी नहीं आती ।
7. बरसातों के दिनों में अक्सर नमक सूखा नही रह पाता वह सिल ( गीला गीला सा)
जाता है आप नमक की डिबिया में ४-५ चावल के दाने डाल दें बहुत कम उसमे सीलापन आता है तब.
8. मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर के लिये
अलग रख दें।
9. आटा गूंधते समय पानी के साथ थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे रोटी और पराठे
का स्वाद बदल जाएगा।



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Friday, October 24, 2014

गोवर्धन पूजा व् अन्नकूट पूजा

गोवर्धन पूजा व् अन्नकूट पूजा




अन्न कूट की पूजा का तो हमारे यहाँ दिवाली से भी ज्यादा क्रेज होता है ,
पूजा कुछ भी हो , लेकिन आज के दिन आस पड़ोस में सब लोगों में  अधिक से अधिक सब्जियां खरीदने की होड़ रहती है ,
अड़ोसी पड़ोसी सब्जियां एक्सचेंज भी करते हैं , अधिक से अधिक वेरायटी दार सब्जी बनाने की होड़ रहती है ,
सब्जियों के साथ फल , मेवे भी डाले जातें हैं ,लेकिन हरी सब्जी की भरमार अधिक रहती है जिस से सब्जी जायकेदार व् सेहत के लिए लाभदायक होती हैं 





गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है। शुक्रवार को गोवर्धन पूजा की जाएगी। यह पूजा भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति प्रदर्शित करने का एक जरिया है।
भोपाल। ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार यह उत्सव कृष्ण की भक्ति व प्रकृत्ति के प्रति उपासना व सम्मान को दर्शाता है। भारत के लोकजीवन में इस त्यौहार का महत्व प्रत्यक्ष दिखाई पड़ता है। यह पर्व जीवन के हर क्षेत्र में प्रेम व समर्पण का भाव दर्शााता है।
गोवर्धन पूजन 
गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की छवि बनाकर उनका पूजन किया जाता है तथा अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। श्रीमद्भागवत में इस बारे में कई स्थानों पर उल्लेख प्राप्त होते हैं। उसके अनुसार भगवान कृष्ण ने ब्रज में इंद्र की पूजा के स्थान पर कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ करवाई थी।
भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन इन्द्र का अहंकार धवस्त करके पर्वतराज गोवर्धन जी का पूजन करने का आह्वान किया था। इस विशेष दिन मन्दिरों में अन्नकूट किया जाता है तथा संध्या समय गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है। इस दिन अग्नि देव, वरुण, इन्द्र, इत्यादि देवताओं की पूजा का भी विधान है। इस दिन गाय की पूजा की जाती है फूल माला, धूप, चंदन आदि से इनका पूजन किया जाता है।
प्रकृति की उपासना है गोवर्धन पूजा 
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार यह पर्व विशेष रूप से प्रकृति को उसकी कृपा के लिए धन्यवाद करने का दिन है। गोवर्धन पूजा की परंपरा प्रारंभ करके कृष्ण ने लोगों को प्रकृत्ति की सुरक्षा व उसके महत्व को समझाया। 
गोवर्धन पूजा का महत्व 
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई मानी जाती है। ब्रजवासी देवराज इन्द्र की पूजा किया करते थे, क्योंकि देवराज इन्द्र प्रसन्न होने पर वर्षा का आशीर्वाद देते। इससे अन्न पैदा होता। किंतु इस पर भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि इससे अच्छे तो हमारे पर्वत हैं, जो हमारी गायों को भोजन देते हैं। ब्रज के लोगों ने श्री कृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी प्रारम्भ कर दी। जब इन्द्र देव ने देखा कि सभी लोग उनकी पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा कर रहे हैं, तो उनके अंहकार को ठेस पहुंची।
क्रोधित होकर उन्होंने मेघों को गोकुल में जाकर खूब बरसने का आदेश दिया। आदेश पाकर मेघ ब्रजभूमि में मूसलाधार बारिश करने लगे। ऐसी बारिश देखकर सभी भयभीत हो गए तथा श्री कृष्ण की शरण में पहुंचे। श्री कृ्ष्ण से सभी को गोवर्धन पर्वत की शरण में चलने को कहा। जब सब गोवर्धन पर्वत के निकट पहुंचे, तो भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्का अंगुली पर उठा लिया। सभी ब्रजवासी भाग कर गोवर्धन पर्वत की नीचे चले गए। ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं गिरा। यह चमत्कार देखकर इन्द्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे श्री कृष्ण से क्षमा मांगी। सात दिन बाद श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत नीचे रखा और ब्रजबासियों को प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व मनाने को कहा। तभी से यह पर्व मनाया जाता है।
पूजन से होते हैं धन्य-धान्य
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार गोवर्धन पूजा करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत की रचना की जाती है। गोवर्धन देव से प्रार्थना की जाती है कि पृथ्वी को धारण करने वाले भगवन आप हमारे रक्षक हैं। मुझे भी धन-संपदा प्रदान करें। यह दिन गौ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन गायों की सेवा करने से कल्याण होता है।
जिन क्षेत्रों में गाय होती हैं, वहां गायों को प्रात: स्नान करा कर, उन्हें कुमकुम, अक्षत, फूल-मालाओं से सजाया जाता है। गोवर्धन पर्व पर विशेष रूप से गाय-बैलों को सजाने के बाद गोबर का पर्वत बनाकर इसकी पूजा की जाती है। गोबर से बने श्री गोवर्धन पर रुई और करवे की सीके लगाकर पूजा की जाती है। गोबर पर खील, बताशे ओर शक्कर के खिलौने चढ़ाये जाते हैं तथा सायंकाल में भगवान को छप्पन भोग चढ़ाया जाता है।
अन्नकूट पर्व 
अन्नकूट पर्व भी गोवर्धन पर्व से ही संबंधित है। इस दिन भगवान विष्णु जी को 56 भोग लगाए जाते हैं। इस महोत्सव के विषय में कहा जाता है कि इस पर्व का आयोजन व दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को अन्न की कमी नहीं होती है। उस पर अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहती है। अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का दिन होता है। इस दिन परिवार के सदस्य एक जगह बनाई गई रसोई को भगवान को अर्पण करने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।




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