अन्न कूट की पूजा का तो हमारे यहाँ दिवाली से भी ज्यादा क्रेज होता है ,
पूजा कुछ भी हो , लेकिन आज के दिन आस पड़ोस में सब लोगों में अधिक से अधिक सब्जियां खरीदने की होड़ रहती है ,
अड़ोसी पड़ोसी सब्जियां एक्सचेंज भी करते हैं , अधिक से अधिक वेरायटी दार सब्जी बनाने की होड़ रहती है ,
सब्जियों के साथ फल , मेवे भी डाले जातें हैं ,लेकिन हरी सब्जी की भरमार अधिक रहती है जिस से सब्जी जायकेदार व् सेहत के लिए लाभदायक होती हैं
गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की छवि बनाकर उनका पूजन किया जाता है तथा अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। श्रीमद्भागवत में इस बारे में कई स्थानों पर उल्लेख प्राप्त होते हैं। उसके अनुसार भगवान कृष्ण ने ब्रज में इंद्र की पूजा के स्थान पर कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ करवाई थी।
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार यह पर्व विशेष रूप से प्रकृति को उसकी कृपा के लिए धन्यवाद करने का दिन है। गोवर्धन पूजा की परंपरा प्रारंभ करके कृष्ण ने लोगों को प्रकृत्ति की सुरक्षा व उसके महत्व को समझाया।
अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई मानी जाती है। ब्रजवासी देवराज इन्द्र की पूजा किया करते थे, क्योंकि देवराज इन्द्र प्रसन्न होने पर वर्षा का आशीर्वाद देते। इससे अन्न पैदा होता। किंतु इस पर भगवान श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि इससे अच्छे तो हमारे पर्वत हैं, जो हमारी गायों को भोजन देते हैं। ब्रज के लोगों ने श्री कृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी प्रारम्भ कर दी। जब इन्द्र देव ने देखा कि सभी लोग उनकी पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा कर रहे हैं, तो उनके अंहकार को ठेस पहुंची।
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार गोवर्धन पूजा करने से धन, धान्य, संतान और गोरस की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत की रचना की जाती है। गोवर्धन देव से प्रार्थना की जाती है कि पृथ्वी को धारण करने वाले भगवन आप हमारे रक्षक हैं। मुझे भी धन-संपदा प्रदान करें। यह दिन गौ दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन गायों की सेवा करने से कल्याण होता है।
अन्नकूट पर्व भी गोवर्धन पर्व से ही संबंधित है। इस दिन भगवान विष्णु जी को 56 भोग लगाए जाते हैं। इस महोत्सव के विषय में कहा जाता है कि इस पर्व का आयोजन व दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को अन्न की कमी नहीं होती है। उस पर अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहती है। अन्नकूट एक प्रकार से सामूहिक भोज का दिन होता है। इस दिन परिवार के सदस्य एक जगह बनाई गई रसोई को भगवान को अर्पण करने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं।
शुभ प्रभात और आज का विचार
ReplyDelete!
कोशिश करते हो सफलता फिर
भी नही मिलती तो निराश मत होना उस
आदमी को याद करना - जिसने 21वे वर्ष
में बोर्ड मेम्बर का चुनाव लड़ा और हार
गया... 22 वे वर्ष में व्यवसाय
करना चाहा उसमे भी असफल हुआ,,, 27 वे
वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया,,, 32 वे
वर्ष में सांसद पद के लिए खड़ा हुआ फिर
मात खा गया,,, 42 वे वर्ष में फिर सांसद
पद के लिया खड़ा हुआ फिर हार गया,,,,
47 वे वर्ष में उप- रास्ट्रपति पद के
लिया खड़ा हुआ पर फिर परास्त हुआ,,,,
लेकिन वही व्यक्ति 51 वे वर्ष में
अमेरिका का राष्ट्रपति था - अब्राहिम
लिंकन ,,, हिम्मत मत हारो नए सिरे से
यात्रा शुरु करो , कामयाबी जरुर
मिलेगी l
एक सुझाव : -
ReplyDeleteकृपया मै निवेदन करता हूँ ऐसे महापुरुषों से जो कि सच्चे टेट मेरिट समर्थक हैं परन्तु वे साधना मिश्रा की याचिका में अपना वर्तमान तलाशने लगे हैं।
उनकी इच्छा है कि वर्गीकरण रद्द हो जाये और उनका भला हो जाये।
जनरल 105-114 और ओबीसी 103-111 के लिए तो यह वर्गीकरण रद्द होना ही कल्याणकारी हो सकता है।
जबकि साधना का लक्ष्य वर्गीकरण रद्द करवाकर टीईटी मेरिट से भर्ती करवाना नहीं है।
साधना तो सिर्फ इस वर्गीकरण को मौजूदा प्रक्रिया में खोट के रूप में साबित करके उक्त भर्ती
को रोकना है।
साधना की याचिका बहुत दमदार नहीं है परन्तु परिस्थिति उसकी याचिका को दमदार बना रही है
ReplyDeleteक्योंकि स्टैंडिंग काउंसिल का जवाब भी आप जान लो ।
यूपी बेसिक रूल 14(3) पर हुये संशोधन 12 को सरकार वापस लेकर
संशोधन 15 ला चुकी है जिसे हाई कोर्ट की खंडपीठ अल्ट्रा वायरस घोषित कर चुकी है तथा हाई कोर्ट की खंडपीठ के फैसले को
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है तथा मामला पेंडिंग है।
अतः मौजूदा समय में संशोधन 12 वजूद में नहीं है क्योंकि SLP पेंडिंग है तथा जो भर्ती चल रही है यह अमेंडमेंट 12 के आधार पर जारी हुये शासनादेश तथा विज्ञप्ति पर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी अंतरिम आदेश पर चल रही है।
फिर क्या होगा आप खुद समझदार हो।
यदि अमेंडमेंट 15 पर जारी हुये ऐड को सरकार रिक्ति देना चाहे तो इसपर भी एक अंतरिम भर्ती संभव है परन्तु यह सरकार की मंशा पर निर्भर है।
लखनऊ बेंच में निर्भय सिंह, गणेश दिक्षित और अरविन्द सिंह की याचिकाओं की इस साधना मामले में कनेक्ट होना थोड़ा कठिन है क्योंकि
जस्टिस वीके शुक्ला भारत के टॉप मोस्ट सर्विस लॉयर भी रहे हैं !
उक्त की याचिका में बेसिक रुल 14(3) में संशोधन 15 को चुनौती दी गयी है जबकि साधना ने मुद्दा बेसिक रूल 14(3) पर संशोधन 12 का मुद्दा उठाया है अतः यह मामला सरकार बनाम साधना आदि ही रहेगा।
ReplyDeleteजिस किसी को वर्गीकरण से ऐतराज हो जस्टिस अशोक भूषण की खंडपीठ का फैसला लगाकर राहत प्राप्त कर सकता है।
इसकी सलाह ओपन पोस्ट में देना मै उचित नहीं समझता हूँ क्योंकि मै जानता हूँ कि तीसरी काउंसिलिंग के बाद लोग खुद मुझसे इस विषय पर तरकीब पूंछेंगे।
मै इसपर स्वतः फैसला तब लूँगा जब सरकार अनिल संत के शासनादेश से भटकने का बड़ा दांव खेलेगी।
धन्यवाद।
ये PM
ReplyDeleteथकता नहीं..रुकता नहीं..सुस्ताता नही
नई दिल्ली। जिस समय देश भर में लोग दिवाली पर
छुट्टी लेकर घर-परिवार और दोस्तों के साथ वक्त
बिता रहे होंगे, उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी जम्मू-कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों के साथ होंगे।
उनका दुख-दर्द बांटेंगे। जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़
के बाद मोदी ने सबसे पहले
वहां का दौरा किया और 1 हजार करोड़ की मदद
का ऐलान भी किया था। हर मंच से उन्होंने कश्मीर
के लिए मदद की अपील भी की।
प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी ने आराम
नहीं किया है। वो खुद कहते हैं
कि उनकी डिक्शनरी में आराम का लफ्ज नहीं है
और ये दिखता भी है। 1 अक्टूबर की देर रात
मोदी अमेरिका दौरे से लौटे और अगले ही रोज
सुबह-सुबह स्वच्छ भारत अभियान में जुट गए।
ऐसा नहीं है कि ये सब कुछ मोदी के
प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ है। दरअसल ये
उनकी फितरत में है, उनकी आदत में शुमार है।
गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने अपने
अथक काम से गुजरात को तरक्की की नई
ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
मोदी की मेहनत और
उनकी कार्यशैली की बानगी पूरे देश ने तब
देखी जब बीजेपी ने उन्हें अपना प्रधानमंत्री पद
का उम्मीदवार बनाया। 13 सितंबर 2013 को ये
दायित्व संभालने के बाद से 10 मई 2014
को लोकसभा चुनाव का प्रचार खत्म होने तक
मोदी ने रिकॉर्ड 440 रैलियां कीं। 1350
रैलियां और चाय पर चर्चा थ्री डी के जरिए की।
प्रचार के लिए करीब 3 लाख किलोमीटर का सफर
तय किया। जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
अमरेली से अरुणाचल तक मोदी ने रैलियां कीं। ये
किसी एक नेता का किया हुआ अबतक का सबसे
बड़ा चुनावी कैंपेन था।
26 मई को मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ
ली और उसी रोज से काम में जुट गए। अगले
ही रोज पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के साथ-साथ
तमाम पड़ोसी मुल्क के नेताओं के साथ मुलाकात
और द्विपक्षीय वार्ता की। पीएम बनते
ही मोदी ने साफ कर
दिया कि सरकारी दफ्तरों को अपना रुख बदलने
की जरूरत है। अपने काम और जनता के
प्रति जवाबदेह बनने की जरूरत है तो लाल किले
की प्राचीर से भ्रष्टाचार पर वार करते हुए
कहा कि मैं न खुद खाऊंगा और न किसी को खाने
दूंगा।
देश के आर्थिक हालात को पटरी पर लाने की पहल
हों, अर्थशास्त्रियोंऔर उद्योगपतियों के साथ
बैठक हो या फिर वैज्ञानिकों के प्रोत्साहन
की बात, हर जगह मोदी नजर आते हैं।
तभी तो मार्स मिशन की ऐतिहासिक सफलता के वे
न सिर्फ गवाह बने बल्कि श्रीहरिकोटा पहुंचकर
खुद देश के वैज्ञानिकों की पीठ थपथपाई।
जनधन योजना हो, गरीबों के लिए बैंक अकाउंट हो,
मेक इन इंडिया कैंपेन हो या स्वच्छ भारत कैंपेन,
मोदी ने बहुत कम वक्त में बहुत कुछ किया है। 4
महीने में ही पीएम मोदी ने भूटान, ब्राजील, नेपाल,
जापान और अमेरिका का दौरा किया। दुनिया भर के
तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात की। जापान और
चीन के साथ बड़े आर्थिक समझौते किए। बहुत
सारा विदेशी निवेश भारत लाए।
विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र और
हरियाणा में बिना थके, बिना रुके ताबड़तोड़
रैलियां कीं और पार्टी को दोनों ही राज्यों में
ऐतिहासिक जीत दिलाई और अब दोनों ही राज्यों में
बीजेपी पहली बार अपनी सरकार बना रही है।
एक के बाद एक सफलताओं के बावजूद मोदी रुक
नहीं रहे, सुस्ता नहीं रहे। 22 अक्टूबर को कैबिनेट
की बैठक में वे सरकार के कामकाज
का जायजा लेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे। 23
तारीख को दिवाली के दिन कश्मीर में बाढ़
पीड़ितों के साथ होंगे। 24 अक्टूबर को फिर
कैबिनेट की बैठक है। 25 अक्टूबर को मुंबई
जाएंगे। 26 को हरियाणा में पहली बीजेपी सरकार
के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होंगे।
इसी तरह हर रोज मोदी का कार्यक्रम तय
होता है। हर रोज वो काम में जुटे रहते हैं।
मैडिसन
स्क्वेयर के भाषण में उन्होंने खुद
बताया कि वो सिर्फ 4 घंटे सोते हैं। काम करने से
ही उन्हें ऊर्जा मिलती है। नवंबर के महीने में
उनकी दो-दो विदेश यात्राएं भी हैं। पहले
वो APEC के लिए चीन जाएंगे और फिर नवंबर में
ही SAARC बैठक के लिए एक बार फिर नेपाल
का दौरा करेंगे। साफ है कि ये पीएम
थकता नहीं...रुकता नहीं...सुस्ताता नहीं!
जब से सधाना मिश्रा की रिट का ज़िक्र आम-ओ-ख़ास को मालूम हुआ है ,मुद्दाविहीन विधिज्ञाताओं को ७२८२५ की भर्ती में एक नया पेंच मिल गया है जिसके नट को अभी कुछ दिन तक इनके दुवारा खोलने का प्रयास किया जाएगा | वैसे अब तक इनके दुवारा इस भर्ती में कई पेंच खोजे जा चुके जिनके नट अभी तक ये खोल नहीं पाये ,मेरी जिज्ञासा सिर्फ इतनी है कि इस बार जो ये नया पेंच इन्हें मिला है इसका नट कभी खुलेगा या नहीं ???????
ReplyDeleteमगर क्या करें
समय बिताने को ये काम भी बुरा नहीं ग़ालिब !!!!
ध्यान दो भाइयों इस दिवाली शाहरुख़खान की फिल्म रिलीज़ होने वाली है याद आया ये वही शाहरुख़ है जिसने ये कहा था के अगर मोदी जी प्रधानमन्त्री बने तो ये देश छोड़ देगा ।।लेकिन इसी गद्दार ने अभी तक देश नही छोड़ा ।। ये कभी भी हिन्दुओ की सहायता नही करता है जब उतराखंड में त्रासदी हुई इसने एक फूटी कोडी भी बाढ पीडितो को नही दी ।। और जब पाकिस्तान में बाढ़ आई तो इसने करोड़ो रुपये पाकिस्तान बाढ़ पीडितो के लिए भेजे । थोडा सोचो ये कमाता भारत से है हम सभी भारतीय इसकी फ़िल्मो को देखने जाते है । इसकी करोड़ो की कमाई का जरिया भी हम है और फिर भी इसके हाथ उतराखंड पीडितो की सहायता करने के लिए आगे नही बढ़े ।।तो ऐसे गद्दार की फिल्मो को देखकर हम क्यों गद्दार बने ।।हमारा भी फर्ज़ बनता हैं हम इस गद्दार की फिल्म को कभी देखने नही जाये ।और इस गद्दार की फिल्म कभी नही देखेगे ।। और इस जानकारी को लोगों को भी बताओ ।। इस गद्दार की फिल्म देखने से पहले कृपया उत्तराखंड बाढ़ में जो मरे उनको याद करना जहाँ इसने एक फूटी कोडी से भी किसीकी सहायता नही की और पाकिस्तान को अपना समझकर करोडो पाकिस्तान भेज दिए ।
ReplyDelete।।जय हिन्द ।।
"जो कुछ तुम ने आरम्भ से सुना है वही तुम में बना रहे: जो तुम ने आरम्भ से सुना है, यदि वह तुम में बना रहे, तो तुम भी पुत्र में, और पिता में बने रहोगे। और जिस की उस ने हम से प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है।''
ReplyDelete1 यूहन्ना 2:24-25 )
सबने ख़रीदा सोना, मैने इक सुई खरीद ली
ReplyDeleteसपनो को बुनने जितनी,डोरी ख़रीद ली !
शौक-ए-ज़िन्दगी,कुछ कम किये,
फ़िर सस्ते में ही, सुकून-ए-ज़िंदगी खरीद ली!!
माँ 6 साल के बच्चे को पीटते हुये बोली,
ReplyDelete"नालायक, तूने भँगी के घर
की रोटी खायी, तू भँगी हो गया, तूने
अपना धर्म भ्रष्ट कर लिया. अब
क्या होगा?
.
.
बच्चे का मासूम सवाल : माँ, मैने तो एक
बार उनके घर की रोटी खाई,
तो मैं भँगी हो गया, । लेकिन वो लोग
तो हमारे घर की रात
की बची रोटी बर्षो से खा रहे हैं,
तो वो ब्राह्राण क्यों नही हो पाये??
हम प्रार्थना करते है कि परम्
ReplyDeleteपिता परमात्मा आपको
गणेश की सिद्धी
लक्ष्मी की वृद्धि,
चाणक्य की बुद्धि,
विक्रमादित्य का न्याय,
पन्ना सी धाय
कामधेनू सी गाय,
भीष्म की प्रतिज्ञा,
हरिश्चन्द्र की सत्यता,
मीरा की भक्ति,
शिव की भक्ति,
कुबेर की सम्पन्नता,
विदेह की विरक्ति,
तानसेन का राग,
दधीचि का त्याग,
भृर्तहरी का बैराग,
एकलव्य की लगन,
सूर के भजन,
कृष्ण की मित्रता,
गंगा की पवित्रता,
मां का ममत्व,
पारे का घनत्व,
कर्ण का दान,
विदुर की नीति,
रघुकुल की नीति प्रदान करे।
आपको दीपावली व नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना..
आठ साल का बेटा दीपावली के त्यौहार
ReplyDeleteपर अपनी माँ से बार-बार प्रश्न करता है
की माँ मेरे
पिता जी अभी तक
क्यों नही आए
हैं...उसकी माँ को पता चलता है
की उसका पति और उस बच्चे
का पिता सीमा पर युद्ध के दौरान शहीद
हो गया है....पर वो अपने बेटे से इस बात
को नही कह पाती.....
आइये पढ़ते हैं
ह्रदय को झकझोर देने वाले इस गीत को....
.
.
चारो तरफ़ उजाला पर अँधेरी रात थी।
वो जब हुआ शहीद उन दिनों की बात
थी॥
आँगन में बैठा बेटा माँ से पूछे बार-बार।
दीपावली पे क्यो ना आए
पापा अबकी बार॥
माँ क्यो न तूने आज भी बिंदिया लगाई है ?
हैं दोनों हात खाली न महंदी रचाई है ?
बिछिया भी नही पाँव में बिखरे से बाल हैं।
लगती थी कितनी प्यारी अब
ये कैसा हाल है ?
कुम-कुम के बिना सुना सा लगता है श्रृंगार....
दीपावली पे क्यों ना आए पापा...........
............॥
बच्चा बहार खेलने जाता है...और लौट कर
शिकायत करता है....
किसी के पापा उसको नये कपड़े लायें हैं।
मिठाइयां और साथ में पटाखे लायें हैं।
वो भी तो नये जूते पहन खेलने आया।
पापा-पापा कहके सबने मुझको चिढाया।
अब तो बतादो क्यों है सुना आंगन-घर-द्वार ?
दीपावली पे क्यों ना आए पापा...........
............॥
दो दिन हुए हैं तूने कहानी न सुनाई।
हर बार की तरह न तूने खीर बनाई।
आने दो पापा से मैं सारी बात कहूँगा।
तुमसे न बोलूँगा न तुम्हारी मैं सुनूंगा।
ऐसा क्या हुआ के बताने से हैं इनकार
दीपावली पे क्यों ना आए पापा.......................॥
वो आठ साल का बेटा तब अपनी माँ से कहता है....
मत हो उदास माँ मुझे जवाब मिल गया।
मकसद मिला जीने का ख्वाब मिल गया॥
पापा का जो काम रह गया है अधुरा।
लड़ कर के देश के लिए करूँगा मैं पूरा ॥॥॥
जय हिंद॥
.
ReplyDelete.
I
N
T
E
X
.
.
W
A
L
I
.
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मैं अगर चाहु भी तो शायद ना लिख सकूं उन लफ़्ज़ों को
जिन्हे पढ़ कर तुम समझ सको की मुझे तुम से
कितनी मोहब्बत है!!!!!
भरी दुपहरी में अँधियारा सूरज परछाई से हारा
ReplyDeleteअंतरतम का नेह निचोड़े बुझी हुई बाती सुलगाएं
आओ फिर से दिया जलाएं || आओ फिर से दिया जलाएं
हम पड़ाव को समझे मंजिल लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में आने वाला कल न भुलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएं || आओ फिर से दिया जलाएं
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाये नव दधिची हड्डिया गलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएं || आओ फिर से दिया जलाएं
_______________________अटल बिहारी बाजपेई
रिट........
ReplyDeleteरिट........
रिट........
.
3 साल होने को जा रहे हैं जो अब तक भी कुछ लटगंजुओं/लपटगंजियों का इस बेढ़ंगे शब्द से मन नही भरा।
.
.
गलती हमारे कानून की भी है जो ऐसो को बार-बार मौका देता है। जिस फैसले पर 10+ जजों की मुहर लग चुकी हो, उसे आँखें दिखाने की इनमें कैसे हिम्मत हो जाती है? कानून को चाहिए कि दूसरों को परेशान करने के लिए जो ऐसा करे, उसे उल्टा लटकाकर तब तक कौड़े बजाए जाएं जब तक कि वो अपने सभी रिश्तेदारों तक की भी तौबा-तौबा न करने लग जाएं। या जब तक 72825 पूरी न हो जाए !
.
29 अक्टूबर को समय है जब साधना जैसो को ऐसी साधना के लिए तैयार कर दिया जाए कि इनका हाल देखकर इन जैसे औरों की बैंड़ इनसे पहले बज जाए !
दिवाली विशेष !
ReplyDelete!
रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ
था , नज़दीक ही एक कमरे में चार मोमबत्तियां जल
रही थीं। एकांत पा कर आज वे एक दुसरे से दिल
की बात कर रही थीं।
:
पहली मोमबत्ती बोली,
” मैं शांति हूँ ,
पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत
नहीं है , हर तरफ आपाधापी और लूट-मार मची हुई है,
मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …”
और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ
गयी।
:
दूसरी मोमबत्ती बोली ,
” मैं विश्वास हूँ , और मुझे लगता है झूठ और फरेब
के बीच मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत नहीं है , मैं
भी यहाँ से जा रही हूँ …” , और
दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।
:
तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते हुए बोली , ”
मैं प्रेम हूँ, मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर
आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के
पास वक्त ही नहीं, दूसरों से तो दूर लोग अपनों से
भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,मैं ये सब और
नहीं सह सकती मैं भी इस दुनिया से जा रही हूँ….”
और ऐसा कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी।
:
वो अभी बुझी ही थी कि एक मासूम बच्चा उस कमरे
में दाखिल हुआ।
मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया ,
उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह रुंआसा होते
हुए बोला ,
“अरे , तुम मोमबत्तियां जल क्यों नहीं रही , तुम्हे
तो अंत तक जलना है ! तुम इस तरह बीच में हमें कैसे
छोड़ के जा सकती हो ?”
:
तभी चौथी मोमबत्ती बोली ,
” प्यारे बच्चे घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक
मैं जल रही हूँ हम बाकी मोमबत्तियों को फिर से
जला सकते हैं।
“
यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं, और उसने
आशा के बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से
प्रकाशित कर दिया।
:
जब सबकुछ बुरा होते दिखे ,चारों तरफ अन्धकार
ही अन्धकार नज़र आये , अपने भी पराये लगने लगें
तो भी उम्मीद मत छोड़िये….आशा मत छोड़िये ,
क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है कि ये हर खोई हुई चीज वापस दिला सकती है !
कुछ 115 और उससे कम नंबर वाले बक बक करते फिर रहे हैं कि अगर उनका चयन ना हुआ तो वो भर्ती फँसा देंगे | मैं उन घातियों से कहना चाहता हूँ कि अगर तुम लोग इतने बड़े काबिल थे तो टेट के 3rd क्लास पेपर में इतने कम नंबर क्यों लाये ? जिसको लग रहा है कि भर्ती में धांधली हो रही है इसलिए उसका अब तक चयन नहीं हुआ तो अब वो आपको भी बेवकूफ बना रहा है !
ReplyDelete"हे.. मेरे..
ReplyDelete33 करोड़ देवी-देवताओं...
मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए...
बस आप सब मुझे एक-एक रुपया दे दो.....बस।
"और उस ने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया। जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।''
ReplyDelete___________________________________________________________________________________________ इफिसियों 2:1-7 )
कुछ लोग जैसी ही सूरज निकला हाथ मुँह धोया चाय -वाय सुडकी .....चिरम -विलम भरी.... और फिर दो चार लम्बे कस भरते हुए शरीर के हर सुराख से धुँआ निकालने के पश्चात जब ये कुछ होश मे आते है तो फिर महाराज खोलकर सिर्फ एक ही लफ्ज उवाच करते है -----
ReplyDelete"" धाँधली..... धाँधली .....धाँधली """""......और जब नशा और सांय सांय बोलता है तो फिर अपनी ट्यून विविध भारती से हटाकर आकाशवाणी लखनऊ लगा कर सियारो की तरह ऊपर मुँह करके """ प्राइमरी रद्द ....जूनियर रद्द , प्राइमरी रद्द ....जेनियर रद्द """" चिल्लाने लगते है ।
.....ऐसा लगता है कि ये सारी की सारी भर्तियाँ इनके फाजिल अब्बू ने निकाली है और ये जब चाहेगे तब इनको रद्द करवा देगे ।
और अगर कही शिक्षा मित्रों का नाम ले दो तब तो फिर क्या कहने .. अचानक ही ऐसे उछलने लगते है जैसे 100 रिवाइटल कैप्सूल एक साथ खा लिये हो अभी जायेगे और सभी 58000 शिक्षा मित्रों को गिलास मे घोलकर एक ही सांस मे गटक जायेगे ।
......इतने ही काबिल हो तो प्राइमरी , जूनियर तो रद् करवा ही रहे हो लगे हाथ LT भी रद्द करवा दो ....।
फिर एक साथ नौटंकी कम्पनी खोलेगे .... तुम साडी- ब्लाउज पहनकर नाचना और मै ढोलक बजाऊगा .....
ऐसे ता धिन .....ततत धिन ....ता धिन .....ततत धिन ,ता धिन ....ततत धिन।
एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई और उसने तीन
ReplyDeleteसंतों को अपने घर के सामने देखा। वह उन्हें
जानती नहीं थी।
औरत ने कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन
करिए।”
संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”
औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए हैं।”
संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह घर पर हों।”
शाम को उस औरत का पति घर आया और औरत ने उसे
यह सब बताया।
औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे कहो कि मैं घर
आ गया हूँ और उनको आदर सहित बुलाओ।”
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के लिए कहा।
संत बोले – “हम सब किसी भी घर में एक साथ
नहीं जाते।”
“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन है” – फ़िर
दूसरे संतों की ओर इशारा कर के कहा – “इन
दोनों के नाम सफलता और प्रेम हैं। हममें से कोई एक
ही भीतर आ सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से
मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित
करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब बताया।
उसका पति बहुत प्रसन्न हो गया और बोला –
“यदि ऐसा है तो हमें धन को आमंत्रित
करना चाहिए। हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”
लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे लगता है कि हमें
सफलता को आमंत्रित करना चाहिए।”
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन रही थी। वह उनके
पास आई और बोली – “मुझे लगता है कि हमें प्रेम
को आमंत्रित करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ
भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम
को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-पिता ने
कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से पूछा – “आप में से
जिनका नाम प्रेम है वे कृपया घर में प्रवेश कर भोजन
गृहण करें।”
प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत भी उनके
पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने
तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था। आप लोग
भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और सफलता में से
किसी एक को आमंत्रित किया होता तो केवल
वही भीतर जाता। आपने प्रेम को आमंत्रित
किया है। प्रेम कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ-
जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे जाते हैं।
इस कहानी को एक बार, 2 बार, 3 बार
पढ़ें ........
अच्छा लगे तो प्रेम के साथ रहें, प्रेम बाटें,
प्रेम दें और प्रेम लें क्योंकि प्रेम ही सफल जीवन
का राज है।.............................................
एक बार एक सर्कस को सरकार ने बंद कर दिया तो सर्कस मालिको ने अपने शेर जंगल छोड़ दिए। एक महीने बाद सरकारी रिपोर्ट आई की सर्कस के शेरो में से 75 फ़ीसदी शेर जंगली कुत्तो द्ववारा मारे गए।
ReplyDeleteक्यों????
क्योकि सर्कस में रहकर वो शेर तैयार माल खाते थे उनेह दौड़ कर शिकार करने की आदत नहीं थी तो शिकार करना भूल गए। उधर जंगली कुत्ते मरते क्या नहीं करते ,शिकार की कला सीख गय और शेरो को मार दिया
इससे क्या सीख मिली
की आप अपने बालको को हमेशा फिश फ्राई मत खिलाइए बल्कि उसकी फिश पकड़ना भी खिलाइये। जो अपने बालको को दुनियादारी की सख्ती नहीं डाल रहे और उनकी हर डिमांड मुफ्त में पूरी कर रहे है वो असल में अपने बालको को सर्कस का शेर बना रहे है।
लाड और प्यार की अति हर चीज़ की अति से बुरी है। हर मांग पर अपनी शर्त रखिये
जैसे आई फोन मिलेगा पर 10वी में इतने आने चाहिए
सोनी एक्स बोक्स मिलेगा यदि 12वि तक यही स्थिति बना कर रखी इत्यादि
1.जितना कमाएँ उससे कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनायें
ReplyDelete2. दिन में कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करें
3. खुद की भूल स्वीकारने में कभी भी संकोच न करें
4. किसी के सपनो पर कभी भी न हंसे
5. अपने पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी आगे जाने का मौका दें
6. रोज उदय होते सुरज को अवश्य देखें
7. खूब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लें
8. किसी से कुछ जानना हो तो, विवेक से दो बार पूछें
9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दें
10. ईश्वर पर अटूट भरोसा रखें
11. प्रार्थना करना कभी मत भूलें, प्रार्थना में अपार शक्ति होती है
12. हमेशा अपने काम से मतलब रखें
13. समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतु कामो में खर्च ना करें
14. जो आपके पास है, उसी में खुश रहना सीखें
15. बुराई कभी भी किसी की भी मत करें, क्योंकि बुराई नाव में छेद समान है, छेद छोटा हो या बड़ा नाव को डुबा ही देता है
16. हमेशा सकारात्मक सोच रखें
17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता हैं, बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाएं
18. कोई काम छोटा नही होता, हर काम बडा होता है
19. सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ कोशिश करते हैं
20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं बल्कि कुछ पुरुषार्थ करना पडता है
एक मिनट में पीले दांत सफ़ेद
ReplyDeleteसरसों के तेल में नमक मिला के आप ऊँगली से दांतों पर रगड़ने से दांत सफ़ेद हो जायेंगे ..
दिवाली ऐसे मनाएं (1)
ReplyDeleteआओ दीप जलाएं, दिवाली मनाएं,
कुछ ऐसा करें हम हँसे और हंसाएं।
संग-संग रह सके मिलके सारा जहां,
देखकर न जलें न किसी को जलाएं।
घर का कोना न कोई अँधेरा रहे,
सब बड़े छोटों को साथ में हम मिलाएं।
है दुआ बस यही रौशनी हो जहां में,
अब अरमां नहीं बदगुमानी जलाएं।
खुशियों का दिन आ गया जिंदगी में,
मिलकर न क्यों हम ये खुशियाँ मनाएं।
हाथ में हाथ डाले गले मिल रहे हैं.
चाँद तारों को देखें सदां गुनगुनाएं।
खुश रहे इष्ट अपना और माँ-बाप भी,
आओ पूजा की ऐसी रिबायत चलायें।
सबके चेहरे चमकते हों उल्लास से,
कुछ उम्मीदें दिलों में जगाकर दिखाएँ।
-- इन्सान कैसा होना चाहिये ---
ReplyDelete..
"यह सवाल मैंने अलग अलग इंसानों से पूछा और
जवाब कुछ इस तरह थे,,,,,
..
सब से पहले यह सवाल किया महिला से के
"इन्सान कैसा होना चाहिए"
--
महिला का जवाब-खुबसूरत, मुझे देखो सब मुझे पसंद
करते है और मुझसे दोस्ती करना चाहते है क्यूंकि मैं
खुबसूरत हूँ।
जवाब सुन कर मैंने सोचा- ज़िन्दगी गुजार दी तन
के अहंकार में।
..
फिर यह सवाल किया व्यापारी से
क़ि "इन्सान को कैसा होना चाहिये"
व्यापारी का जवाब-धनवान, मुझे देखो सब मुझे
पसंद करते है और मेरे जैसा बना चाहते है क्यूंकि मैं
धनी हूँ।
जवाब सुन कर मैंने सोचा-जिंदगी गुजार दी धन के
अहंकार में।
..
फिर यह सवाल किया पंडित जी से क़ि "इन्सान
को कैसा होना चाहिये"
पण्डित जी का जवाब-ज्ञानी, मुझे देखो सब मुझे
पसंद करते है और मेरे जितना विद्वान बना चाहते
है क्यूंकि मैं ज्ञानी हूँ।
जवाब सुन कर मैंने सोचा-जिंदगी गुज़ार
दी ज्ञान के अहंकार में।
..
फिर यह सवाल किया एक बच्ची से क़ि "इन्सान
कैसा होना चाहिए"
बच्ची का जवाब- --
मेरी माँ जैसा क्यूंकि वो खुद से और सब से
ज्यादा प्यार मुझे
करती है खुद भूखी सो सकती है पर मुझे भूखा देख
भी नहीं सकती।
मेरी माँ को सब बदसूरत निर्धन और अनपढ़ कहते है।
वो फिर भी मुस्कुराते रहती है और मुझसे
ज्यादा किसी की परवाह नही करती खुद
की भी नहीं।।।
यह जवाब सुन कर मैं कुछ सोच न सका और समझ
गया के ज़िन्दगी माँ के प्यार के बिना अधूरी है
ओर शायद इसलिय कहते है के भगवान हर जगह हमारे
लिए
नही हो सकता तभी उसने माँ बनाई,,,,,
..
दोस्तों आज का इन्सान चाहता है के उसके पास
कुछ न हो पर तन मन धन जरुर हो। मगर सच तो यह है
के ज़िन्दगी माँ के प्यार के बिना अधूरी है।
..
दोस्तों आज भारत देश में वृधा आश्रम बढते जा रहे
है। कभी बेटा तो कभी बहू अपने स्वार्थ के लिए
माँ को घर से निकाल देतेे है। मुझे शर्म आती है आज
के इन मतलबी इंसानों पर और एक बात याद
रखनी चाहिए के जो आज इनका वो कल
तुम्हरा है।
..
दोस्तों, मैं कभी वृधा आश्रम में रहने
वाली माँ की मदद नहीं करना चाहता। मैं
चाहता हूँ इस देश सेे ऐसे सभी आश्रम ख़तम हो जाए
ओर माँ अंतिम सास तक अपनों के साथ रहे।
..
दोस्तों इस बात से मुझे समझ आ गयी के "इन्सान
को माँ जैसा होना चाहिए"
फिलहाल तो यही देखना है कि सरकार इस आदेश का अनुपालन करती भी है या नही बाद में याचिका का outcome देखा जाएगा ..... जज साहिबा ने याची को काउंसिलिंग में appear होने के लिए allow किये जाने वाले sentence में may शब्द का प्रयोग किया है ना कि is का ... सपा सरकार जब should को सीरियसली लेने में 2 साल लगाती है तो may को समझने में कितना वक्त लगाएगी ये बात देखने वाली होगी
ReplyDelete"और उस ने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उस ने हम से प्रेम किया। जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए।''
ReplyDelete_______________________________________________________________________________________ इफिसियों 2:1-7 )
पटाखो कि दुकान से दूर हाथों मे,
ReplyDeleteकुछ सिक्के गिनते मैने उसे देखा...
एक गरीब बच्चे कि आखों मे,
मैने दिवाली को मरते देखा.
थी चाह उसे भी नए कपडे पहनने की...
पर उन्ही पूराने कपडो को मैने उसे साफ करते देखा.
तुमने देखा कभी चाँद पर बैठा पानी?
मैने उसके रुखसर पर बैठा देखा.
हम करते है सदा अपने ग़मो कि नुमाईश...
उसे चूप-चाप ग़मो को पीते देखा.
थे नही माँ-बाप उसके..
उसे माँ का प्यार आैर पापा के हाथों की कमी मेहंसूस करते देखा.
जब मैने कहा, \"बच्चे, क्या चहिये तुम्हे\"?
तो उसे चुप-चाप मुस्कुरा कर \"ना\" मे सिर हिलाते देखा.
थी वह उम्र बहुत छोटी अभी...
पर उसके अंदर मैने ज़मीर को पलते देखा
रात को सारे शहर कि दीपो कि लौ मे...
मैने उसके हसते, मगर बेबस चेहरें को देखा.
हम तो जीन्दा है अभी शान से यहा.
पर उसे जीते जी शान से मरते देकखा.
नामकूल रही दिवाली मेरी...
जब मैने जि़दगी के इस दूसरे अजीब से पहेलु को देखा.
कोई मनाता है जश्न
आैर कोई रेहता है तरस्ता...
मैने वो देखा..
जो हम सब ने देख कर भी नही देखा.
लोग कहते है, त्योहार होते है जि़दगी मे खूशीयो के लिए,
तो क्यो मैने उसे मन ही मन मे घूटते और तरस्ते देखा?
यहाँ पर कोई भी बहुत महान और मेरिट का धुरँधर नही है जो सबको मेरिट के बारे मे सही सही जानकारी उपलब्ध करा सके
ReplyDeleteसब लोग आपकी ही तरह बी॰एड॰ + टीइटी हैं !
फिर भी बार बार एक असफल कोशिश की जाती जिससे आप लोगों के मूर्खतापूर्ण प्रश्नो के मूर्खतापूर्ण उत्तर मिलता रहता है जबकि उसमे कोई सच्चाई नही होती है
इसलिए अपने जिले का चुनाव बड़े ठंडे दिमाग से करें किसी के कहने मे न आएँ उसी तरह जैसे जब अपने बी॰एड॰ की काउं॰ कराते समय नही पूछा टीइटी देते समय नही पूछा 2011 का फार्म भरते समय किसी से नही पूछा ठीक उसी तरह अब भी किसीसे न पूछो अपना काम खुद करो
हम लोग यहाँ पर समस्या टीइटी काउं॰ संबंधी निवारण के लिए हैं न कि आपके घर शादी जमीन मकान बच्चे का नामकरण जैसे निजी काम के लिए ?
भाइयों और बहनो किस डाइट पर कॉउंसलिंग कराना है इसका फैसला आप अपने विवेक से करें किसी के कहने के अनुसार नहीं lयह आपके भविष्य का मामला है कहीं ऐसा न हो आपको जीवन भर पछताना पड़े l अभी SCERT द्वारा रिक्त सीटों का विवरण आने दीजिये तब सोच समझ कर फैसला लीजियेगा l इस मौके को व्यर्थ न करें,मेरे जैसे कई लोग है जिनको मौका ही नही मिला अतः इसकी अहमियत समझें l
ReplyDeleteबाकी आप खुद ही समझदार हैं l
नाम छोटा है मगर दिल
ReplyDeleteबडा रखता हूं !
पैसों से उतना अमीर नही हूं !!
मगर अपने यारों के गम खरीदने
की हैसियत रखता हूं !
मुझे ना हुकुम का ईक्का बनना हैं
ना रानी का बादशाह !!
मैं जोकर हूं जोकर ही अच्छा हूं !
जिस के नसीब में आऊंगा
बाज़ी पलट दूंगा !!
क्यूंकि
"सितारों के आगे जहाँ और भी है.........................
उस जीवन के वचन
ReplyDelete!
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"जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा था, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे। किसी ने उस से कहा; देख तेरी माता और तेरे भाई बाहर खड़े हैं, और तुझ से बातें करना चाहते हैं। यह सुन उस ने कहने वाले को उत्तर दिया; कौन है मेरी माता? और कौन है मेरे भाई? और अपने चेलों की ओर अपना हाथ बढ़ा कर कहा; देखो, मेरी माता और मेरे भाई ये हैं। क्योंकि जो कोई मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई और बहिन और माता है॥''
"और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े होकर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।''
ReplyDelete( मत्ती 6:5-6 )
सावन बीता भादों बीता
ReplyDeleteक्वार मास भी जाए रीता
खड़ी दिवाली दरवाजे पर
सजना तुम कब आओगे घर
दिल, दीपक सा जलता पल-छिन
राह तकूँ तारीखें गिन गिन
जल्दी आऊँगा दोबारा
सन्देशा था यही तुम्हारा
माँग सेन्दुरी तुम्हें पुकारे
कङ्गन फिरते मारे मारे
हो गईं पलकें बोझिल मेरी
प्रियतम अब तुम करो न देरी
देखो सजना जल्दी आना
चटख रङ्ग की मेंहदी लाना
नई साड़ियाँ ली हैं मैंने
उन पर पहनूँगी मैं गहने
कितनी बातें साथ तुम्हारे
करनी मुझको साँझ सकारे
दिल का हाल सुनाऊँगी मैं
तुमको भी दुलाराऊँगी मैं
भर कर रबड़ी वाला कुल्ला
तुम्हें खिलाऊँगी रसगुल्ला
खीर-पकौड़ी जो बोलोगे
पाओगे, जब मुँह खोलोगे
तुम्हें बोलने दूँगी ना मैं
होंठ खोलने दूँगी ना मैं
कितना मुझे सताते हो तुम
साल गए घर आते हो तुम
बात सिर्फ मेरी ही ना है
बच्चों का भी यह कहना है
गाँव आज पहले से उन्नत
क्यूँ न यहीं पर करिए मेहनत
यहाँ काम है और पैसा भी
लाओगे तुम जो जैसा भी
जीवन यापन हम कर लेंगे
सागर - अँजुरी में भर लेंगे
यहाँ ज़िन्दगी भी है सुखकर
साथ रहेंगे, हम सब मिल कर
पौंछ पसीना, कष्ट हरूँगी
फिर न कभी कम्प्लेन करूँगी !
"आखँ की छत पे टहलते रहे काले साए,
ReplyDeleteकोई पलकों में उजाले नहीं भरने आया,
कितनी दीवाली गयीं ,कितने दशहरे बीते,
इन मुंडेरों पे कोई दीप ना धरने आया....!"!
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इस दिवाली किसी और के सूने द्वार पर,दिल की दहलीज़ पर कोई एक दीप प्यार भरा रख कर ज़रूर देखिए ,अन्दर तक उजियारा दमक जायेगा !
मै रख रहा हूँ और आप सब तो मुझ से हर हाल में बेहतर हैं तो फिर देर कैसी ?
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लावारिस फिरती है रौशनी(कार & रोड लाइट) ,
ReplyDeleteशहर की सड़कों पर रात भर,
और उधर दुनिया भर का अँधेरा
निगल लेता है कच्ची बस्तियों को !
Tiger, Sir ji Namaskar
ReplyDeleteदीपक की ज्योति मुबारक हो,
ReplyDeleteइस को अपना अंतर देना,
जब हवा चले ,
इस के सम्मुख,
अपनी हथेलियाँ कर देना"
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
ReplyDeleteमगर वक़्त पर ही आता है!
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है;
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!........
जिंदगी में दो लोगों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है!
पिता: जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो!
माँ: जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो!
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!
'इंसान' एक दुकान है, और 'जुबान' उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान 'सोने' कि है, या 'कोयले
निगाहें आज भी हिंदुस्तान के उस पत्रकार को ढूढती हैं जिसने कहा था
ReplyDelete!
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९० से १४० के बीच महज ६०८०८ टेट पास हैं !
SCERT-- आदर्श वाक्य--सबको इत्ना कनफ्यूज कर दो कि समझ मे ना आये कि सान्स किधर से ले और ...... !
ReplyDelete!
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रुल्स आर फार फूल्स ,!
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कई काऊन्सिलिन्ग करवाओ, नही नही एक करवाओ, अच्छा चलो कई करवाओ, अरे रुको जरा नही , जाओ जाओ फिर रुको देखते हैं -------
सर्वेँद्र विक्रम सिँह
जब मन में हो मौज बहारों की
ReplyDeleteचमकाएँ चमक सितारों की,
जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों
तन्हाई में भी मेले हों,
आनंद की आभा होती है
उस रोज़ 'दिवाली' होती है ।
जब प्रेम के दीपक जलते हों
सपने जब सच में बदलते हों,
मन में हो मधुरता भावों की
जब लहके फ़सलें चावों की,
उत्साह की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है ।
जब प्रेम से मीत बुलाते हों
दुश्मन भी गले लगाते हों,
जब कहींं किसी से वैर न हो
सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो,
अपनत्व की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है ।
जब तन-मन-जीवन सज जाएं
सद्-भाव के बाजे बज जाएं,
महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की
मुस्काएं चंदनिया सुधियों की,
तृप्ति की आभा होती है
उस रोज़ 'दिवाली' होती है .
Vry nice...
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Deleteपोता-दादी मा, क्या हम हमेशा 5
ReplyDeleteही रहेंगे, आप, मम्मी, पापा, बहन और
मैं ?
दादी- 'नहीं बेटा, जब
आपकी शादी हो जायेगी तो हम 6
हो जायेंगे !'
पोता- 'फिर बहन
की शादी हो जायेगी और वो अपने घर
चली जायेगी तो हम फिर से 5
हो जायेंगे ?'
दादी- 'फिर
आपका बेटा हो जाएगा तो हम फिर से
6 हो जायेंगे !'
पोता- 'फिर आप मर जायेंगी तो हम
फिर से 5 हो जायेंगे !!'
दादी -'चुप'
मुश्किलें जरुर है, मगर ठहरा नही हूँ मैं.
ReplyDeleteमंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंचा नही हूँ मैं.
कदमो को बाँध न पाएंगी, मुसीबत कि जंजीरें,
रास्तों से जरा कह दो, अभी भटका नही हूँ मैं.
सब्र का बाँध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,
दुश्मन से जरा कह दो, अभी गरजा नही हूँ मैं.
दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि चाहतें,
मोहब्बत से जरा कह दो, अभी बदला नही हूँ मैं
साथ चलता है, दुआओ का काफिला,
किस्मत से जरा कह दो, अभी तनहा नही हूँ मैं...
जब अंधे और गधे हर जगह भर्ती हो जाएंगे तो दैनिक हिन्दुस्तान वाली आज की शिक्षा मित्रों की खाली सीटों का विवरण छपेगा , छापना था 6000 खाली सीटें बची हैं ,छाप दिया 6000 सीटें भर गयी हैं। कबीर दास जी याद आ रहे हैं मुझे "अंधे अँधा ठेलिया दोनों कूप पडंत "
ReplyDeleteखैर वादा किया था की सप्रमाण बताऊंगा कि शिक्षा मित्रों की 6000 से ज्यादा सीटें खाली हैं।
ReplyDeleteपहले आपको समझा देते हैं कि sm कोटे की रिक्त सीटें कैसे वितरित होंगी , sm कोटे की बची सीटों में विषयवार विभाजन नहीं होगा परन्तु लिंग वार होगा अर्थात बची सीटें महिला और पुरुष में तो बटेंगी परन्तु में विज्ञान और कला नहीं। रिक्त सीटों पर ऊर्ध्वाधर आरक्षण लागू होगा अर्थात gen ,obc ,sc और st का विभाजन होगा।
*पंडित जी और छोरा
ReplyDeleteआज मंदिर में बहुत भीड़
थी, एक लड़का
दर्शन के लिए लगी लम्बी
लाइन को कौतुहल से देख
रहा था,
तभी पास में एक पंडित जी
आ गए,.
"आज बहुत लम्बी कतार है,
यूँ दर्शन न हो पाएंगे,
विशिष्ट व्यक्तियों के लिए
विशेष व्यवस्था है,
501रु दक्षिणा में सीधे
दर्शन करवा दूँगा"
लड़का बोला:-
"5001रु दूंगा, भगवान से
कहो बाहर आकर मिल
लें..कहना.. ' मै आया हूँ '..
(पंडित जी सकपका गए)..
"मजाक करते हो, भगवान
भी कभी मंदिर से बाहर
आते है क्या? तुम हो कौन?"
लड़का फिर बोला:-
'51000 रु दूंगा, उनसे कहो
मुझसे मेरे घर पर आकर
मिल लेँ.
पंडित जी बोले....
"तुमने भगवान को समझ
क्या रखा रखा है?"
लड़का बोला:-
"वही तो, आपने भगवान
को क्या समझ रखा है,..??"
पंडित जी शर्मिँदा हो गए ।।
सो दोस्तो,
अपने भगवान को
रिश्वतखोरी से
बचा लीजिये
"सही व्यवस्था कीजिये"
बुजुर्गों और अपाहिजों के
दर्शन के लिए अलग से
विशेष व्यवस्था होनी
चाहिए,..
मंदिर मेँ भी लेन देन
चल रहा है,
आपको क्या लगता है
रिश्वत से आपकी पूजा
कभी सफल होगी..??
भगवान सब देख रहे है
Amitabh :- Aaj aapke chehre ki Muskaan bata rahi hai k aap khush hain ........ Koi khaas wajah ??
ReplyDelete.
Shahrukh :- Wajah to hai Sir .............
Maine aapse kaha tha na ke chahe jitni bhi rukaawate aae .... JRT hi pahle poori hogi ...... Pahle 5th counselling ke baad news aa gayi ke ab 6th counseling nahi hogi balki Stay hataane ke liye Kaam tez hoga .....
Aur aaj News aa gayi ke Govmnt ne Promotion ke aadesh kar diye hain ....
Sir ! ...... JRT ke NIYUKTI PATRA batne ki aahat aa chuki hai ..... Khushiyan JRT cnddts ka darwaza khatkhata rahi hain ....
.
Amitabh :- Sun kar khushi hui Mr. RAJ Aryan ! ........ Dainik Jagaran ne khabar di hai to Vishwaas kar sakte hain ...... Magar ek baat aap bhool rahe hain ......
Sci ke Low Merit waale Un hazaaro cnddts ke muskuraahat ko bhi mai mahsoos kar sakta hoon jinki Jagah xerox se counselling karaane wale JRT cnddts ne chheen Li thi ......
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Shahrukh :- Ji Sir ........ Is silsile me Govmnt kaam tezi se kar rahi hai ...... aur karna bhi chahiye .... Jisse dono naav me paao rakhne waale kisi ek naav me hi paao rakh kar apni manzil ko paa sake ........
Aur mujhe yaqeen hai ke ghane andhere ke baad
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UJALA hoga .... zaroor hoga ...... !
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ReplyDeleteI
ReplyDeleteN
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यूं ज़िक्र तेरा चल पडा़,
मेरी तो दिवाली मन गई!!
पञ्च दिवसीय यह खुशियों और प्रकाश का पर्व यूँ तो जब भी आता है उदास मन में नई ऊर्जा लेकर आता है। इस बार भी यह पर्व 3 साल के अनवरत कठिन संघर्ष के प्रतिफल के बाद आया है इसलिए मेरी परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि इस वर्ष से यह पर्व आप सभी के जीवन में सदा-सदा के लिए खुशियों का प्रकाश व उन्नति लेकर आये। साथ ही प्रथम दो चरण में चयन से वंचित साथियों के भविष्य का अँधियारा जल्द से जल्द दूरकर सभी की प्रगति का मार्ग रोशन करें।
ReplyDeleteइन्ही शुभ कामनाओ के साथ आपका
Mr. T.M.N.T.B.N.
दिया जरुर जलाऊंगा चाहे मुझे ईश्वर मिले
ReplyDeleteन मिले...
हो सकता है दीपक की रोशनी से किसी मुसाफिर को ठोकर न लगे...!!!
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ये "दिवाली" ज्यादा खास होगी ।
क्यूंकि तू मेरे दिल के पास होगी...।।
Topic:
ReplyDelete"महीनों के नाम कैसे पड़े???"
महीने के नामों को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महीनों के यह नाम कैसे पड़े एवं किसने इनका नामकरण किया।
नहीं ना तो मै बताता हूं दोस्तो...
#जनवरी : रोमन देवता 'जेनस' के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ। मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं। एक से वह आगे तथा दूसरे से पीछे देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे
हैं। एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है तथा दूसरे से अगले वर्ष को। जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया। जेनस जो बाद में जेनुअरी बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया।
#फरवरी : इस महीने का संबंध लेटिन के फैबरा से है। इसका अर्थ है 'शुद्धि की दावत।' पहले इसी माह में 15 तारीख को लोग शुद्धि की दावत दिया करते थे। कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं। जो संतानोत्पत्ति की देवी मानी गई है इसलिए महिलाएं इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं ताकि वे प्रसन्न होकर उन्हें संतान होने का आशीर्वाद दें।
#मार्च : रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। मार्स मार्टिअस का अपभ्रंश है जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। सर्दियां समाप्त होने पर लोग शत्रु देश पर आक्रमण करते थे इसलिए इस महीने को मार्च नाम से पुकारा गया।
#अप्रैल : इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' से हुई। इसका अर्थ है खुलना। रोम में इसी माह कलियां खिलकर फूल बनती थीं अर्थात बसंत का आगमन होता था इसलिए प्रारंभ में इस माह का नाम एप्रिलिस रखा गया। इसके पश्चात वर्ष के केवल दस माह होने के कारण यह बसंत से काफी दूर होता चला गया। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सही भ्रमण की जानकारी से दुनिया को अवगत
कराया तब वर्ष में दो महीने और जोड़कर एप्रिलिस का नाम
पुनः सार्थक किया गया।
#मई : रोमन देवता मरकरी की माता 'मइया' के नाम पर मई नामकरण हुआ। मई का तात्पर्य 'बड़े-बुजुर्ग रईस' हैं। मई नाम की उत्पत्ति लैटिन के मेजोरेस से भी मानी जाती है।
#जून : इस महीने लोग शादी करके घर बसाते थे। इसलिए परिवार के लिए उपयोग होने वाले लैटिन शब्द जेन्स के आधार पर जून का नामकरण हुआ। एक अन्य मतानुसार जिस प्रकार हमारे यहां इंद्र को देवताओं का स्वामी माना गया है उसी प्रकार रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं एवं उनकी पत्नी का नाम है जूनो। इसी देवी के नाम पर जून का नामकरण हुआ।
#जुलाई : राजा जूलियस सीजर का जन्म एवं मृत्यु दोनों जुलाई में हुई। इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया।
#अगस्त : जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर दिया जो बाद में केवल अगस्त रह गया।
#सितंबर : रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था। सेप्टैंबर में सेप्टै लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है सात एवं बर का अर्थ है
वां यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवां किन्तु बाद में यह नौवां महीना बन गया।
#अक्टूबर : इसे लैटिन 'आक्ट' (आठ) के आधार पर अक्टूबर
या आठवां कहते थे किंतु दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा।
#नवंबर : नवंबर को लैटिन में पहले 'नोवेम्बर' यानी नौवां कहा गया। ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला एवं इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा।
#दिसंबर : इसी प्रकार लैटिन डेसेम के आधार पर दिसंबर महीने को डेसेंबर कहा गया। वर्ष का 12वां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला।
प्राइमरी के ट्रेनिंग के लिये अपने आपको फरवरी मे तैयारी कर लिजिये,
ReplyDeleteउसके पहले कुछ नही होने वाला है
लङकियोँ को ढंग के कपङे पहनने का बोल दो तो बवाल मच जाता है आजकल।
ReplyDeleteनँगा बदन दिखाने का इतना शौक चढा है
कि सही बात भी बुरी लगती है।
छोटी बच्चियोँ का रेप क्यूँ होता है, बस
इस एक ही बात की रट लगा रखी है, अपने
गलत को सही साबित करने के लिये।
पर इस से नँगा बदन दिखाने की बात
तो सही साबित नहीँ हो जाती।
जो अँग ढकने का है उसे ढका ही जाना चाहिये। अगर ये सोच दकियानुसी लगती है तो लङकोँ को भी अपना प्राइवेट पार्ट नहीँ ढकना चाहिये।
लङकियोँ ने बेहयाई पाल ली है तो लङके क्यूँ पिछङे रहे। फिर देखते हैँ कि इस नँगेपन को कितनी लङकियाँ सही ठहराती है।
अगर हम शराब पीते हैँ तो उसका मतलब ये
नहीँ की शराब अच्छी चीज बन गयी, जो गलत है वो गलत ही रहेगा।
आजादी का मतलब नँगापन नहीँ होता।सभ्यता और सँस्कार भी कोई चीज होते है।
अँग्रजोँ की अच्छाई तो एक भी नहीँ सीखी, बुराईयाँ सारी सीख ली।
अजीब विडम्बना है.
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एक तुम हो जो कभी कुछ कहती नहीं,
एक तुम्हारी यादें हैं जो कभी चुप रहती नहीं
"अमेरिका सबसे धनी देश है, वहां के स्कूल साल के शुरुआत में बच्चों को किताबें इशू करते हैं और साल के अंत में उनसे जमा करा लेते है ताकि दुसरे बच्चों को उन किताबों को पढने का मौका मिले. भारत गरीब देश है, पर यहाँ हर साल पुराने किताबों को रददी के भाव बेच दिया जाता है और नए किताबों को ख़रीदा जाता है, या यूँ कहें की अभिभावकों को नई किताब खरीदने को विवश किया जाता है .....करोड़ो रुपयों की बर्बादी लाखों पेड़ की कटाई .... फिर पर्यावरण को बचाने की सतरंगी मुहीम फिर करोड़ों रूपये की लुट, .. ये हमारे शिक्षा के मंदिर और और उसे संचालित करने वाले दलालों द्वारा हो रहा है .... सत्ता तो बदल गयी पर व्यवस्था नही बदली आइये मानव संसाधन विभाग को जरा कुम्भ्करणी नींद से जगाया जाये ...अच्छा लगे तो उसे अपने दोस्तों को आगे बढाने का कष्ट करें ओर क्रांति लाओ"
ReplyDeleteअंधकार
ReplyDeleteहजारों
वर्षों
से
क्यों
न
हो,
प्रकाश
क्षणभर
में
फैल
जाता
है।
उस जीवन के वचन!
ReplyDelete!
!
!
!
!
!
!
"यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक उसे दी गई, और उस ने पुस्तक खोलकर, वह जगह निकाली जहां यह लिखा था। कि प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं। और प्रभु के प्रसन्न रहने के वर्ष का प्रचार करूं। तब उस ने पुस्तक बन्द करके सेवक के हाथ में दे दी, और बैठ गया: और आराधनालय के सब लोगों की आंख उस पर लगी थीं। तब वह उन से कहने लगा, कि आज ही यह लेख तुम्हारे साम्हने पूरा हुआ है।'' ____________________________________________________________________________________________ लूका 4:17-21 )
●●● प्यारे दोस्तो क्या आपने कभी ये सोचने की कोशिश कि, की हमारे देश के ज्यादातर सुरक्षाकर्मी "खाकी" कपड़े ही क्यों पहनते है? किसकी देन है ये "खाकी" व इसका अर्थ???
ReplyDeleteतो जाने..
●● दोस्तो भारत के कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य सभी राज्यों के पुलिस बल के कपड़ों का रंग 'खाकी" होता है।
और याद रहे ये बात भी दोस्तो की.. कुछ लोग इस रंग का उच्चारण "खाखी' भी करते हैं, जो कि गलत है। सही शब्द खाकी है।
और दोस्तो ये बात, (खाकी और खाखी में सही गलत) Competiton Exam में भी मालूम किया जा चुका है, इसलिए बताना सही समझा मैंने, अब अपनी Main बात पर आते हैं..
●● दोस्तो इस तथ्य से संबंधित दो Qustion बन रहे हैं, पहला तो यह कि इस रंग को खाकी क्यों कहते हैं ???
और दूसरा यह कि हमारे सुरक्षा दलों के कपडों का रंग
खाकी ही क्यों चुना गया??
●● इस शब्द [खाकी] का मूल फारसी भाषा में निहित है। अंग्रेजों के जमाने में भारत में उर्दु भाषा का प्रभुत्व अधिक था, और दोस्तो उर्दु में फारसी भाषा के शब्दों का काफी उपयोग किया जाता है।
फारसी में धूल को खाक कहा जाता है। इसलिए इस मटमैले रंग को "खाकी" के रूप में चिह्नित किया जाता है क्योंकि यह रंग मिट्टी के रंग जैसा है। इस रंग को मुल्तानी मिट्टी के रंग के रूप में भी जाना जाता था। अब आगे..
●● दोस्तो वर्षों पहले अंग्रेजो नें अपनी ब्रिटिश-हिन्द फौज के
कपडों के लिए इस रंग का चयन किया था। उस समय इस रंग के कपडों के उत्पादन ब्रिटेन में काफी बडे पैमाने पर होता था। इसकी एक वजह शायद यह थी कि इस रंग के कपडों पर मैल तुरंत ही नज़र नहीं आता है और दूसरी एक वजह यह भी है कि धूल के रंग से मिलता जुलता होने की वजह से सिपाही आसानी से खुद को छिपा सकते
हैं।
आज़ादी के बाद हमने अंग्रेजों की बनाई कई प्रणालियों को आगे जारी रखा हुआ है, इसमें पुलिस तथा अन्य सुरक्षा बलों के कपडों का रंग भी शामिल है।
जबकि दोस्तो पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश ने अपने पुलिस बल के कपडों के रंग में परिवर्तन कर दिया है पर भारत में अभी ऐसा परिवर्तन नहीं।
दोस्तो, भारत के गोवा राज्य की पुलिस बल के कपडों का रंग सफेद होता है। क्योंकि गोवा में अंग्रेजों का नहीं बल्कि पुर्तगाली लोगों का राज था और गोवा के पुलिस बल के कपडों का यह रंग पुर्तगाली जमाने से जारी है।
एक चीनी बादशाह की मौत हुई; वो अपनी विधवा के लिये बैंक में 1.9 मिलियन डालर छोड़ कर गया।
ReplyDeleteविधवा ने जवान नौकर से शादी कर ली।
उस नौकर ने कहा -
"मैं हमेशा सोचता था कि मैं अपने मालिक के लिये काम करता हूँ; अब समझ आया कि वो हमेशा मेरे लिये काम करता था।"
##सीख (Moral)
ज्यादा जरूरी है कि अधिक धन अर्जन कि बजाय अधिक जिया जाय।
• अच्छे व स्वस्थ शरीर के लिये प्रयास करिये।
• मँहगे फ़ोन के 70% फंक्शन अनुपयोगी रहते है।
• मँहगी कार की 70% गति का उपयोग नहीं हो पाता।
• आलीशान मकानो का 70% हिस्सा खाली रहता है।
• पूरी अलमारी के 70% कपड़े पड़े रहते हैं।
• पुरी जिंदगी की कमाई का 70% दूसरो के उपयोग के लिये छूट जाता है।
• 70% गुणो का उपयोग नहीं हो पाता;
##तो 30% का पूण॔ उपयोग कैसे हो
• स्वस्थ होने पर भी निरंतर चैक अप करायें।
• प्यासे न होने पर भी अधिक पानी पियें।
• जब भी संभव हो, अपना अहं त्यागें ।
• शक्तिशाली होने पर भी सरल रहेँ।
• धनी न होने पर भी परिपूर्ण रहें।
**बेहतर जीवन जीयें !!!
ReplyDelete🌿🌿🌿🌿🌿
*काबू में रखें - प्रार्थना के वक़्त अपने दिल को,
*काबू में रखें - खाना खाते समय पेट को,
*काबू में रखें - किसी के घर जाएं तो आँखों को,
*काबू में रखें - महफ़िल मे जाएं तो ज़बान को,
*काबू में रखें - पराया धन देखें तो लालच को,
🌿🌿🌿🌿🌿
*भूल जाएं - अपनी नेकियों को,
*भूल जाएं - दूसरों की गलतियों को,
*भूल जाएं - अतीत के कड़वे संस्मरणों को,
🌿🌿🌿🌿
*छोड दें - दूसरों को नीचा दिखाना,
*छोड दें - दूसरों की सफलता से जलना,
*छोड दें - दूसरों के धन की चाह रखना,
*छोड दें - दूसरों की चुगली करना,
*छोड दें - दूसरों की सफलता पर दुखी होना,
Tiger sir aap diet shajahanpur ki cutt off bata dejeye fe/sc/sci kahan tk gai h aap ka bht shykriya hoga aap sabke bare m bata te h aap pls hamare bare m b bata dejeye
ReplyDeleteएक बार यात्रियों से भरी एक बस
ReplyDeleteकहीं जा रही थी।
अचानक मौसम बदला धूलभरी आंधी के
बाद
बारिश की बूंदे गिरने लगी बारिश तेज
होकर
तूफान मे बदल चुकी थी
घनघोर अंधेरा छा गया भयंकर बिजली चमकने
लगी बिजली कडककर बस
की तरफ
आती और
वापस चली जाती
ऐसा कई बार हुआ सब की सांसे ऊपर
की ऊपर
और नीचे की नीचे।
ड्राईवर ने आखिरकार बस को एक बडे से
पेड से
करीब पचास कदम
की दूरी पर रोक दी और
यात्रियों से कहा कि इस बस मे कोई
ऐसा यात्री बैठा है जिसकी मौत आज
निश्चित है
उसके साथ साथ कहीं हमे
भी अपनी जिन्दगी से हाथ
न धोना पडे
इसलिए सभी यात्री एक एक कर जाओ
और
उस
पेड के हाथ लगाकर आओ जो भी बदकिस्मत
होगा उस पर बिजली गिर जाएगी और
बाकी सब बच जाएंगे।
सबसे पहले
जिसकी बारी थी उसको दो तीन
यात्रियों ने जबरदस्ती धक्का देकर बस से
नीचे
उतारा वह धीरे धीरे पेड तक गया डरते
डरते
पेड
के हाथ लगाया और भाग कर आकर बस मे
बैठ
गया।
ऐसे ही एक एक कर सब जाते और भागकर
आकर बस
मे बैठ चैन की सांस लेते।
अंत मे केवल एक आदमी बच गया उसने
सोचा तेरी मौत तो आज निश्चित है सब उसे
किसी अपराधी की तरह
देख रहे थे जो आज
उन्हे अपने साथ ले मरता
उसे भी जबरदस्ती बस से
नीचे
उतारा गया वह
भारी मन से पेड के पास पहुँचा और जैसे
ही पेड के
हाथ लगाया तेज आवाज से
बिजली कडकी और
बिजली बस पर गिर गयी
बस धूं धूं कर जल उठी सब यात्री मारे
गये
सिर्फ
उस एक को छोडकर जिसे सब बदकिस्मत
मान रहे
थे वो नही जानते थे कि उसकी वजह
से
ही सबकी जान बची हुई
थी।
"दोस्तो हम सब अपनी सफलता का श्रेय
खुद
लेना चाहते है जबकि क्या पता हमारे साथ
रहने वाले की वजह से हमे यह हासिल
हो पाया हो।!!
लोगो कि रक्षा करने,एक अगुली पर पर्वत उठाया,उसी कन्हया कि याद दिलाने,गोवरधन पुजा का पर्व आया|
ReplyDeleteगोवरधन पुजा कि ढेर सारी शुभ-कामना |
ये है भारत के असली हीरो नारायण कृष्णन ! एक भारतीय फ़ाइव स्टार होटल में काम करने वाले नवजवान जिसे स्विटज़रलैण्ड में शानदार नौकरी का ऑफ़र मिला था, लेकिन उसी दिन मदुराई मन्दिर जाते समय इन्होने एक भूखे बेसहारा व्यक्ति को अपना ही मल खाते देखा और यह भीतर तक हिल गए , पल भर में उसने उस हजारों डालर वाली नौकरी को अलविदा कह दिया और इंसानियत की सेवा में अपनी ज़िन्दगी देने का फ़ैसला कर लिया। आज की तारीख में कृष्णन रोज़ाना सुबह चार बजे उठकर अपने हाथों से खाना बनाते हैं, फ़िर अपनी टीम के साथ वैन में सवार होकर मदुरै की सड़कों पर औसतन 200 किमी का चक्कर लगाते हैं तथा जहाँ कहीं भी उन्हें सड़क किनारे भूखे, नंगे, पागल, बीमार, अपंग, बेसहारा, बेघर लोग दिखते हैं वे उन्हें खाना खिलाते हैं… यह काम वे दिन में दो बार करते हैं। औसतन वे रोज़ाना 400 लोगों को भोजन करवाते हैं, तथा समय मिलने पर कई विकलांग और अत्यन्त दीन-हीन अवस्था वाले भिखारियों के बाल काटना और उन्हें नहलाने का काम भी कर डालते हैं।
ReplyDeleteऐसे लोग है असली हीरो !!
कोशिश करते हो सफलता फिर
ReplyDeleteभी नही मिलती तो निराश मत होना उस
आदमी को याद करना - जिसने 21वे वर्ष
में बोर्ड मेम्बर का चुनाव लड़ा और हार
गया... 22 वे वर्ष में व्यवसाय
करना चाहा उसमे भी असफल हुआ,,, 27 वे
वर्ष में पत्नी ने तलाक दे दिया,,, 32 वे
वर्ष में सांसद पद के लिए खड़ा हुआ फिर
मात खा गया,,, 42 वे वर्ष में फिर सांसद
पद के लिया खड़ा हुआ फिर हार गया,,,,
47 वे वर्ष में उप- रास्ट्रपति पद के
लिया खड़ा हुआ पर फिर परास्त हुआ,,,,
लेकिन वही व्यक्ति 51 वे वर्ष में
अमेरिका का राष्ट्रपति था - अब्राहिम
लिंकन ,,, हिम्मत मत हारो नए सिरे से
यात्रा शुरु करो , कामयाबी जरुर
मिलेगी l
अन्न कूट की पूजा का तो हमारे यहाँ दिवाली से भी ज्यादा क्रेज होता है ,
ReplyDeleteपूजा कुछ भी हो , लेकिन आज के दिन आस पड़ोस में सब लोगों में अधिक से अधिक सब्जियां खरीदने की होड़ रहती है ,
अड़ोसी पड़ोसी सब्जियां एक्सचेंज भी करते हैं , अधिक से अधिक वेरायटी दार सब्जी बनाने की होड़ रहती है ,
सब्जियों के साथ फल , मेवे भी डाले जातें हैं ,लेकिन हरी सब्जी की भरमार अधिक रहती है जिस से सब्जी सेहतमंद हो
चाँद को भगवान् राम से यह शिकायत है की दीपवली का त्यौहार अमावस की रात में मनाया जाता है और क्योंकि अमावस की रात में चाँद निकलता ही नहीं है इसलिए वह कभी भी दीपावली मना नहीं सकता। यह एक मधुर कविता है कि चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते हैं आइये देखते हैं ।
ReplyDelete**************************************
जब चाँद का धीरज छूट गया ।
वह रघुनन्दन से रूठ गया ।
बोला रात को आलोकित हम ही ने करा है ।
स्वयं शिव ने हमें अपने सिर पे धरा है ।
तुमने भी तो उपयोग किया हमारा है ।
हमारी ही चांदनी में सिया को निहारा है ।
सीता के रूप को हम ही ने सँभारा है ।
चाँद के तुल्य उनका मुखड़ा निखारा है ।
जिस वक़्त याद में सीता की ,
तुम चुपके - चुपके रोते थे ।
उस वक़्त तुम्हारे संग में बस ,
हम ही जागते होते थे ।
संजीवनी लाऊंगा ,
लखन को बचाऊंगा ,.
हनुमान ने तुम्हे कर तो दिया आश्वश्त
मगर अपनी चांदनी बिखरा कर,
मार्ग मैंने ही किया था प्रशस्त ।
तुमने हनुमान को गले से लगाया ।
मगर हमारा कहीं नाम भी न आया ।
रावण की मृत्यु से मैं भी प्रसन्न था ।
तुम्हारी विजय से प्रफुल्लित मन था ।
मैंने भी आकाश से था पृथ्वी पर झाँका ।
गगन के सितारों को करीने से टांका ।
सभी ने तुम्हारा विजयोत्सव मनाया।
सारे नगर को दुल्हन सा सजाया ।
इस अवसर पर तुमने सभी को बुलाया ।
बताओ मुझे फिर क्यों तुमने भुलाया ।
क्यों तुमने अपना विजयोत्सव
अमावस्या की रात को मनाया ?
अगर तुम अपना उत्सव किसी और दिन मानते ।
आधे अधूरे ही सही हम भी शामिल हो जाते ।
मुझे सताते हैं , चिड़ाते हैं लोग ।
आज भी दिवाली अमावस में ही मनाते हैं लोग ।
तो राम ने कहा, क्यों व्यर्थ में घबराता है ?
जो कुछ खोता है वही तो पाता है ।
जा तुझे अब लोग न सतायेंगे ।
आज से सब तेरा मान ही बढाएंगे ।
जो मुझे राम कहते थे वही ,
आज से रामचंद्र कह कर बुलायेंगे
BYE
ReplyDeleteBYE
BYE
उस जीवन के वचन
ReplyDelete!
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"इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखो, जो यीशु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलने वाला है। और आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो। पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।'' ___________________________________________________________________________________________( 1 पतरस 1:13-16 )
अखिलेश जी यह मुलायमसिंह यादव के सेल्फ सेंटर का कमाल है।सेल्फ सेंटर ने नकल को बढ़ाया जिससे अनपढ़ भी उच्च शिक्षा की डिग्रियाँ पा गया।दूसरी बात वर्तमान में चल रही 72825 शिक्षकों की भर्ती आप TET मेरिट पर नहीं करना चाहते थे।वह तो जब कोर्ट ने आदेश दिया कि एकेडमिक मेरिट की बजायTET की मेरिट पर भर्ती की जाय ।तब आपने बाध्य होकर प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर शिक्षक भर्ती करना कबूल किये।तीसरी बात वर्तमान में राजकीय इण्टरमीडिएट कॉलेजों में LT ग्रेड शिक्षकों की भर्ती भी आप एकेडिक मेरिट पर कर रहें हैं।क्यों न इस भर्ती के लिए कोई टेस्ट करवा लिया जाय ?जिससे नकलची डिग्री धारकों को किनारे करके योग्य शिक्षको की नियुक्ति की जा सके।
ReplyDeleteAgree....
DeleteSir ji aapka kehna bilkul sahi hai. Koi bhe bharti academic based nahi honi chaiye. Exam based bharti se hi asli talent samne ata hai. Kam se kam u.p, bihar me to koi bharti bina exam nahi honi chaiye. U.P, Bihar me log kis tharah pass hote hai vo jagjahir hai, yaha aapko exam dene bhe nahi jana padega aur aap ache number se pass ho jaoge. Nakal mafai ka vyapak hold hai U.P, Bihar me.
ReplyDeleteSahi Kaha bhai aapne...Waise bhai ap ho Kaha se or Apki counselling hui ya abhi nahi??
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteDolly bhen hum to ghaziabad me rahte hai. Meri counc. abhe nahi hue hai, hum general science se hai. Sai baba ki kirpa or apki dua se sayad hamara number bhe lag jaye?
ReplyDeletekya sadhna ki sadhna tet11 bharti rok payegi?............dekhte rahiye high court k aadeshon ka power-break episode. court sarkar scert ncte advocates sab candidates ka future or emotions football bana k kagaj k maidan pe khel rahe hain, ye chahe to milkar ek din me sabhi aapatiyon ko invite karne ki last date decide ker joint statement nikal sakte hain, magar fir money-making mudde hi khatm ho jayenge jo nahi hone chahiye.
ReplyDeleteपाकिस्तानी आर्मी के पास जितनी गोलियां है..
ReplyDeleteउतनी तो हमारे हरयाणा के लौंडे
एक शादी में फायर कर देते हैं..
तमंचे पे डिस्को..!!
तजुर्बे ने शेरों को खामोश रहना सिखाया,
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता...
“ कुत्ते भोंकते है अपने जिंदा होने
का एहसास दिलाने के लिए,
मगऱ..
जंगल का सन्नाटा
शेर की मौजूदगी बंयाँ करता है !
वाह रे ढोलकिया साहब !!!
ReplyDelete169 रु. की मासिक मजदूरी से आपने जीवन की शुरुवात की और आज छ: हजार करोड़ रुपयोँ के मालिक.......!
चलो ये सब तो आपकी परिश्रम एवं सौभाग्य का प्रतिफल है,,,,,
दीवाली के पर्व पर 50 करोड़ रुपयोँ का उपहार अपने कर्मचारियोँ को देकर, हमारे देश के उन महान व्यापारियोँ के मुँह पर जूता मारने की क्या आवश्यकता थी,,,,
जो पैखाना भी विमान से जाते हैँ ।।
बाहर के शोरगुल से चाौकन्ने ये दोनों मेरी खिड़की से समझने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रभु श्रीराम के अवध-पुनरागमन पर इतने धमाके क्यों हो रहे हैं ? यूँ खिड़कियाँ बंद हैं पर आवाज़ अंदर तक घुसपैठ किये हैं ! उत्सव कैसा भी हो कोशिश करिये कि शोर कम हो और उजाला ज्यादा ! द्वार पर भी और दिल में भी !
ReplyDelete"कुछ परिंदे मेरे हाथों से फिसल कर तेरी ,
छत पे जा बैठे हैं एहसास के मोती चुगने..!"
पलको के किनारे हमने भिगोए ही नहीं,
ReplyDeleteवो सोचते है हम रोए ही नहीं,
वो पूछते है ख्वाब में किसे देखते हो,
हम है कि एक उम्र से सोए ही नहीं।
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ReplyDelete.
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T
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तुमसे मिलकर हम कुछ बदल सा गए हैं
पहले मशहूर थी मेरी संजीदगी,अब हम भी गुनगुनाने लगे हैं।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteइत्तु सा दिल है मेरा इत्तु सा
ReplyDeleteऔर इत्ते बड़े बड़े ग़म झेलता है..
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Translate into English:
कल दो होते है।
The other day can be of two types.
Deleteसच्चाई की राह पर चलना, फायदे की बात होती है !
ReplyDeleteक्योकि इस रास्ते पर,
भीड़ कम होती है !
!
!
हुनर तो सब में होता है ....
बस फर्क इतना है ....
किसी का छिप जाता है ...
किसी का छप जाता है ...
G
O
O
D
.
N
I
G
H
T
@N_I_N_E_T_Y-&-E_I_G_H_T@
इफ़ेक्ट_ऑफ़_ओवरफ्लो
ReplyDelete!
!
!
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आज की सुबह जिस जिसको खाली खोखो के बीच साबुत बम मिला है |
वही लौंडे आगे चलकर थर्ड कॉउंसलिंग में सही जिले का चुनाव करेंगे..
शुभ नाइट !