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Sunday, May 11, 2014

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : सरकार ने आनन-फानन सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगने का फैसला किया है

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : नए सत्र में भी होगी शिक्षको की कमी



 सरकार की सुस्ती का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षकों की भर्ती टीईटी की मेरिट के आधार पर करने के बारे में शासन ने अब तक कोई औपचारिक आदेश नहीं जारी किया है। अब जबकि तीन महीने में से आधा समय बीत चुका है तो सरकार ने आनन-फानन सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगने का फैसला किया है




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लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। परिषदीय स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगने जा रही है, उससे यह तय है कि जुलाई से पहले अध्यापकों की नियुक्ति कर पाना नामुमकिन है। यह भी स्पष्ट है कि नए सत्र में भी बेसिक शिक्षा शिक्षकों की कमी से जूझेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को अंतरिम आदेश में सरकार से कहा था कि वह 72825 शिक्षकों की भर्ती 2011 में हुई अध्यापक पात्रता परीक्षा की मेरिट के आधार पर तीन महीने में पूरी करे। इस आदेश के बाद भी सरकार का रवैया बेहद ढीला रहा। पहले तो शासन कई दिनों तक यह तय नहीं कर पाया कि अंतरिम आदेश के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करे या फिर शिक्षकों की भर्ती शुरू करे। दो हफ्ते गुजरने के बाद शासन ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर अमल का फैसला किया। यह भर्ती 30 नवंबर 2011 को जारी विज्ञापन के आधार पर होनी है। इस विज्ञापन के तहत आवेदन पत्र मैनुअल पद्धति से आमंत्रित किये गए थे। कुल 68 लाख आवेदन पत्र प्राप्त हुए थे जिनमें से 56 लाख के विवरणों को ही कंप्यूटर में दर्ज किया जा सका है। शेष आवेदनों के विवरणों को कंप्यूटर में फीड कराने के लिए शासन को सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करने में ही लगभग एक महीने का समय और लग गया। सरकार के पास पुख्ता आंकड़े भी नहीं हैं कि 2011 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया के रद होने पर कितने अभ्यर्थियों ने आवेदन शुल्क वापस ले लिया

सरकार की सुस्ती का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षकों की भर्ती टीईटी की मेरिट के आधार पर करने के बारे में शासन ने अब तक कोई औपचारिक आदेश नहीं जारी किया है। अब जबकि तीन महीने में से आधा समय बीत चुका है तो सरकार ने आनन-फानन सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगने का फैसला किया है। परिषदीय स्कूल पहले से ही शिक्षकों की जबर्दस्त कमी का सामना कर रहे हैं। अब सरकार की सुस्ती से यह तय हो गया है कि नए सत्र की शुरुआत में परिषदीय प्राथमिक स्कूलों को 72825 शिक्षक मिलने से रहे।

News Source / Sabhaar : Jagran (11.05.2014)






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Saturday, May 10, 2014

RTE : शिक्षकों के लिए बेहतरीन लेख

RTE : शिक्षकों के लिए  बेहतरीन लेख 


बस स्टॉप पर एक बच्चा रो-रो कर कह रहा था, ममी मुझे स्कूल नहीं जाना। रोते-रोते वह उलटी करने लगा। मैंने उसकी मां से पूछा, इतना क्यों रो रहा है? 
उनका जवाब था, यह इसका रोज का नाटक है। स्कूल नहीं जाएगा तो कब तक मेरे पास रहेगा? 

मैंने सुझाया, नहीं, आप इससे धीरे-धीरे बहला-फुसला कर कारण पूछिए।
दो-चार दिनों के बाद जब वह महिला मिली, तो जो सुनाया, वह चौंकाने वाला था। बच्चे ने उन्हें बताया था कि उसकी मैडम होमवर्क नहीं करके लाने पर धमकी देती थीं कि मैं तुम्हें चूहा बना दूंगी। फिर एक अलमारी के पास ले जाकर रूई भरे चूहे दिखातीं और कहतीं, देखो काम न करने वाले बच्चों को मैंने चूहा बना कर रखा हुआ है। कभी-कभी शोर मचाने पर बच्चों के मुंह के पास स्टैप्लर ले जाकर उनके होंठ स्टेपल कर देने की धमकी भी देतीं।
उनींदी आंखों वाले, भूखे पेट, शिशुओं को किसी तरह ठेल-ठाल कर, बस न मिस हो जाए - इस भागमभाग में मां-बाप की हर सुबह बीतती है। उनके किसी खासव्यवहार के पीछे क्या कारण होसकता है, इस पर गौर करने की फुर्सत ही नहीं मिलती। सहमे हुए बच्चे अक्सर घर पर भी कुछ नहीं बता पाते हैं और स्कूल जाने का विरोध करने के लिए वे जो कुछ करते हैं, उन्हें हम बहानेबाजी समझते हैं।

मासूम बच्चों के प्रति कुछ अध्यापकों का व्यवहार बाल-मनोविज्ञान के एकदम विपरीत होता है। बच्चों का आत्म-सम्मान कम तीखा नहीं होता। शारीरिक सजा की आज के एजुकेशनसिस्टम में कोई जगह नहीं है। पर दंड देने के दूसरे तरीके कितने अपमानजनक और हीनभावना पैदा करने वाले हैं। कहीं पर होमवर्क न करने पर पूरी क्लासके बीच बच्चे की निकर उतारने की धमकी ही नहीं दी जाती, कपड़ा नीचे कर दिया जाता है। रोज का यह ड्रामा हेडमास्टर तक पहुंचाया जाए तो बच्चे को टी.सी. यानी स्कूल छोड़ने का तोहफा मिल जाता है।
आज स्कूल में सिर पर कूड़ादानरख कर कोने में खड़ा करना आम बात है। बच्चों की बुद्धि, रूप आकार को केंद्र बनाकर गैंडे की खाल, कुत्ते की दुम, डफर और कछुए का खिताब बच्चों की बुद्धि को सचमुच कुंद कर देता है। बड़े होकर वे या तो विदोही बन जाते हैं या अपने में सिमट कर रह जाते हैं।
वयस्क होने पर भी कई बार लोग चूहा, बिल्ली, छिपकली, कॉकरोच आदि को देखते ही चीखने लगते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि ये जीव तो स्वयं मनुष्य से डरते हैं और उनका आकार हमारे आकार से कितना छोटा है।
ऐसे लोगों से बारीकी से पूछा जाए तो इस डर का छोर सुदूर अतीत में बचपन तक जाता है। एक बच्चे के दादा अपनी बात मनवाने के लिए प्राय: उसके मुंह में कॉकरोच डालने के लिए उसके पीछे भागा करते थे। इसी तरह हर भय के पीछे छुटपन की कहानी है। एक महिला अपने ही घर में अपनी अलमारी खोलने से डरती थी। उसका विश्लेषण किया गया तो पता लगा कि बचपन में उसे डराने के लिए अलमारी में कोई भयानक पुतला रखा जाता था।
बच्चों को सुलाने के लिए मांएं अक्सर बंदर, भालू, शेर की आवाजें निकालती हैं। भूत का डर दिखाती हैं। अंधेरे में अकेला छोड़ देने का डर दिखातीहैं। ऐसे बच्चे जिंदगी भर अंधेरे से डरते हैं। भूतों की दुनिया में विश्वास करने लगते हैं। कुछ अध्यापक और मां-बाप बच्चों में हीन भावना पैदा करने के दोषी होते हैं। यदि दो भाई बहन (छोटे-बड़े) एकही स्कूल में पढ़ते हों और संयोग से एक पढ़ाई में तेज हो तो उनके टीचर कमजोर बच्चे को ताना देते हैं, 'तुम बड़े से कुछ सीखो। निकम्मे हो तुम।' घर में भी यही दोहराया जाता है।
ऐसा बच्चा अपने को नाकारा समझने लगता हैं। दूसरे, भाई से नफरत करने लगता है। तीसरे, पढ़ाई से उसका मन हट जाता है।
बी.एड. में बाल मनोविज्ञान पढ़ाया जाता है. कार्यशालाएं करवा कर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अध्यापक समुदाय को जागरूक बनाने की जरूरत है।
PR AAJ KAL TO LOG PAISA SE B.ED KI DEGREE KHAREEDTE HAI....

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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : टीईटी के ‘भूत’ से यूपी बोर्ड हुआ हलकान

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : टीईटी के ‘भूत’ से यूपी बोर्ड हुआ हलकान


टेबुलेशन का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं, कैसे होगी नियुक्ति

रोज प्रदेशभर से आ रहे दर्जनों अभ्यर्थी

केस-1 : प्रवीण कुमार बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा पहली बार कराई गई यूपी टीईटी-2011 की परीक्षा दी थी। परीक्षा पास भी हो गए। 104 अंक भी मिले पर समस्या यह है कि उनके नाम की स्पेलिंग गलत हो गई है। अब वे अपने नाम में संशोधन कराना चाहते हैं और इसके लिए देवघर से यूपी बोर्ड दफ्तर उनका चौथी बार आना हो रहा है। यूपी बोर्ड के बाबू उनसे कोई रिकॉर्ड न होने की बात कहते हैं पर प्रवीण क्या करें..कहां जाएं..किससे फरियाद करें कोई बताने वाला नहीं है।

केस-दो   : प्रतिभा त्रिपाठी संतकबीर नगर की रहने वाली हैं। उन्होंने भी टीईटी की परीक्षा 102 अंकों के साथ पास की थी पर उनकी समस्या यह है कि उनकी मार्कशीट कहीं गुम हो गई है। प्रदेश में 72,825 शिक्षकों की भर्ती शुरू करने का फैसला होने के बाद वो तीसरी बार यूपी बोर्ड आईं। उन्होंने अधिकारियों और बाबुओं से फरियाद की, मिन्नतें की कि उन्हें डुप्लीकेट मार्कशीट इश्यू कर दी जाय, यह उनके भविष्य का सवाल है पर कोई फायदा नहीं हुआ। मायूस होकर, आंखों में आंसू लिए प्रतिभा अपने घर रवाना हो गईं।


ये तो सिर्फ उदाहरण मात्र है। टीईटी के भूत से यूपी बोर्ड ही नहीं प्रदेश सरकार भी हलकान है। माध्यमिक शिक्षा परिषद में रोज ऐसे दर्जनों अभ्यर्थी प्रदेश के कोने-कोने से आते हैं पर मायूस होकर लौट जाते हैं। किसी का नाम गलत है तो किसी की टीईटी की मार्कशीट गायब हो गई है। यूपी बोर्ड के अधिकारियों से संपर्क करने पर कह दिया जाता है कि उनके पास टीईटी का टेबुलेशन रिकॉर्ड नहीं है और बिना उसके वे कुछ नहीं कर सकते। यूपी बोर्ड के कुछ रहमदिल बाबू भी इस बात से परेशान हैं। उन्हें भी दुख होता है कि छात्र प्रदेश भर से आते हैं पर वे चाहकर भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाते। यूपी बोर्ड के पास कोई रिकॉर्ड न होने से बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 72,825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती करना भी सरकार के लिए आसान नहीं रह गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 12 सप्ताह में नियुक्ति पूरी करनी है, लेकिन यूपी बोर्ड या बेसिक शिक्षा परिषद के पास परीक्षा से जुड़े रिकॉर्ड ही नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग किस आधार पर टीईटी की मार्कशीट का मिलान या सत्यापन करेगा।

दरअसल, टीईटी में धांधली के आरोपों के बाद रमाबाईनगर पुलिस ने तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को गिरफ्तार किया था। 1इसके बाद पुलिस ने टीईटी-11 का रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी में छापा मारकर सारे दस्तावेजों के साथ कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क भी निकाल ली थी। जब पुलिस ने दस्तावेज सीज किए तब तक टीआर (टेबुलेशन रजिस्टर) तैयार नहीं हो सका था, जबकि टीआर ही किसी भी रिजल्ट का मूल रिकॉर्ड होता है। इसी के आधार पर मार्कशीट का मिलान या संशोधन किया जाता है। लेकिन आज की तारीख में टीआर न तो यूपी बोर्ड के पास मौजूद है और न ही बेसिक शिक्षा विभाग के पास। यही कारण है कि यूपी बोर्ड टीईटी-11 की मार्कशीट में संशोधन नहीं कर पा रहा है। स्थिति यह है कि संशोधन के हजारों आवेदन यूपी बोर्ड मुख्यालय में पड़े हुए हैं। इस मसले पर कोई अफसर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।





News Source / Sabhaar : Jagran (10.5.2014)






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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order, 72825 Teacher Recruitment, UP-TET 2011


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What is the 'Uniform Civil Code' that has been promised in the BJP's manifesto?

What is the 'Uniform Civil Code' that has been promised in the BJP's manifesto?


The Bhartiya Janata Party (BJP) released its election manifesto on April 7, amidst much fuss and furore.

There has since been some discussion over the inclusion of the Uniform Civil Code in the manifesto. The manifesto says, 'BJP believes that there cannot be gender equality till such time India adopts a Uniform Civil Code, which protects the rights of all women, and the BJP reiterates its stand to draft a Uniform Civil Code, drawing upon the best traditions and harmonising them with the modern times'.

For all those who don't know what a Uniform Civil Code is, here's a little insight that might prove to be useful.

What is Uniform Civil Code?
Article 44 of the constitution of India lists Uniform Civil Code as one of the Directive Principles of state policy. Directive Principles of State policy, which comprises the Part IV of the Constitution of India, are guidelines for the State and Central governments to help them in framing laws and policies. However these Directive Principles “shall not be enforceable by any court, but the principles therein laid down are nevertheless fundamental in the governance of the country and it shall be the duty of the State to apply these principles in making laws”, according to Article 37 of the Constitution which talks about the application of the Principles contained in Part IV.


In India, there are different set of laws for different communities pertaining to personal matters like marriage, divorce, property, adoption, inheritance and maintenance. The Uniform Civil Code implies covering all these personal laws into one unified set of a secular law, that will be applicable for each and every citizen of India irrespective of his/her religious community.

However, in India, Goa is the only state to have implemented the directive principle on the Uniform Civil Code and converted it into a law called the Goa Civil Code or the Goa Family Law.  It is the set of civil laws that governs all the Goans irrespective of the religion or the ethnicity to which they belong


News Source / Sabhaar : http://www.dnaindia.com/india/report-what-is-the-uniform-civil-code-that-has-been-promised-in-the-bjp-s-manifesto-1976053
(07.04.2014)

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 समान नागरिकता कानून

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

समान नागरिकता कानून का अर्थ भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक (सिविल) कानून (विधि) से है। समान नागरिक संहिता एक सेक्युलर (पंथनिरपेक्ष) कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है. यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है. ऐसे कानून विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में लागू हैं.

समान नागरिकता कानून के अंतर्गत

    व्यक्तिगत स्तर
    संपत्ति के अधिग्रहण और संचालन का अधिकार
    विवाह, तलाक और गोद लेना

समान नागरिकता कानून भारत के संबंध में है, जहां भारत का संविधान राज्य के नीति निर्देशक तत्व में सभी नागरिकों को समान नागरिकता कानून सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करता है. हालांकि इस तरह का कानून अभी तक लागू नहीं किया जा सका है.


 भारत में अधिकतर निजी कानून धर्म के आधार पर तय किए गए हैं.हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध हिंदू विधि के अंतर्गत आते हैं, जबकि मुस्लिम और ईसाई के लिए अपने कानून हैं. मुस्लिमों का कानून शरीअतपर आधारित है; अन्य धार्मिक समुदायों के कानून भारतीय संसद के संविधान पर आधारित हैं.


 Source : Wikipedia Article



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Information Published in Economic Times of India : -

What's a uniform civil code?

The term civil code is used to cover the entire body of laws governing rights relating to property and otherwise in personal matters like marriage, divorce, maintenance, adoption and inheritance.

As things stand, there are different laws governing these aspects for different communities in India. Thus, the laws governing inheritance or divorce among Hindus would be different from those pertaining to Muslims or Christians and so on.

The demand for a uniform civil code essentially means unifying all these "personal laws" to have one set of secular laws dealing with these aspects that will apply to all citizens of India irrespective of the community they belong to. Though the exact contours of such a uniform code have not been spelt out, it should presumably incorporate the most modern and progressive aspects of all existing personal laws while discarding those which are retrograde.

What does the Indian Constitution have to say on the subject?

Article 44, which is one of the "directive principles" laid down in the Constitution says: "The State shall endeavour to secure for the citizens a uniform civil code throughout the territory of India." As Article 37 of the Constitution itself makes clear, the directive principles "shall not be enforceable by any court". Nevertheless, they are "fundamental in the governance of the country".

What has the Supreme Court said on the issue?

Very recently, while hearing a case pertaining to whether a Christian has the right to bequeath property to a charity, the court regretted the fact that the state had not yet implemented a uniform civil code. This is not the first time that the apex court has expressed itself in favour of a uniform civil code or taken a dim view of the government's and legislature's inability to bring it into being. There have been other occasions — like during the Shah Bano case and later in the Sarla Mudgal case — where too the apex court has come out strongly in favour of the enactment of a uniform civil code. However, none of these comments are binding on the executive or the legislature and do not amount to orders. At best, they exert some moral pressure on the Indian state to move towards formulating a uniform civil code.

Would a uniform code affect the personal laws of only one community?

Not at all. The perception that a uniform civil code would necessitate changes in only Muslim personal law is quite incorrect. As women's organisations and others have repeatedly pointed out, personal laws governing different communities in India have a common feature — they are all gender-biased.

For instance, the law pertaining to succession among Hindus is unequal in the way it treats men and women. A truly modern, secular, non-discriminatory and progressive code would, therefore, mean changes in all personal laws. The concept of the "Hindu undivided family", at least insofar as it pertains to succession, would also obviously have to undergo a change under a uniform civil code. Similarly, Muslim, Christian and other personal laws too would have to change. This also explains why historically changes in personal law have been resisted not just by one community, but by the ruling orthodoxy in all of them.

What had prevented a uniform civil code from coming into being?

Since it involves a change in laws, an obvious prerequisite is sufficient support for the move within Parliament. The reason this has been difficult to achieve has been because most parties have held the view that the reform of laws pertaining to the personal domain is better done by pressure for such change from within communities rather than as an imposition from above. Further, for historical reasons, the demand for a uniform civil code has acquired communal overtones which have overshadowed the innate merits of the proposal.

To put the delay in perspective, however, it should be added that Article 44 of the Constitution is by no means the only directive principle to have not been implemented more than half a century after it was laid down. Most directive principles continue to remain pious doctrines rather than the law of the land.

News Source : http://articles.economictimes.indiatimes.com/2003-07-28/news/27541538_1_uniform-civil-code-personal-laws-sarla-mudgal
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Wikipedia Information :

Uniform civil code of India


Uniform civil code in India is the debate to replace the personal laws based on the scriptures and customs of each major religious community in the country, with a common set governing every citizen. These laws are distinguished from public law and cover marriage, divorce, inheritance, adoption and maintenance. Article 44 of the Directive Principles in India sets the implementation of a uniform civil code throughout the country as duty of the State. Apart from being an important issue regarding secularism in the country, it became one of the most controversial topics in contemporary politics during the Shah Bano case in 1985. In this case, a divorced Muslim woman sought maintenance from her husband. The debate then focused on the Muslim Personal Law, which is partially based on the Sharia law and remains unreformed since 1937, permitting unilateral divorce and polygamy in the country. The demand for it was first put forward by women activists in the beginning of the twentieth century, with the objective of women's rights, equality and secularism. The Bano case made it a politicised public issue focused on identity politics—by means of attacking specific religious minorities versus protecting its cultural identity. The Hindu right-wing Bharatiya Janta Party and the Left support it while the Congress Party and All India Muslim Personal Law Board oppose it.

The personal laws were first framed during the British Raj, mainly for the Hindu and Muslim citizens. The Hindu orthodox law discriminated against women by depriving them of inheritance, remarriage and divorce. The British feared opposition from community leaders and refrained from interfering within this domestic sphere. Till Independence in 1947, a few law reforms were passed to improve their condition, especially that of Hindu widows. In 1956, the Indian Parliament passed Hindu Code Bill amidst significant opposition. Though a demand for a uniform civil code was made by Prime Minister Jawaharlal Nehru, his supporters and women activists, they had to finally accept the compromise of it being added to the Directive Principles of the Indian Constitution. The Shah Bano case resulted in her being granted maintenance under the All India Criminal Code. Amidst the political debate that followed, the Muslim Women (Protection of Rights on Divorce) Act 1986 was passed, which exempted Muslims from the Criminal Code—a setback to family law uniformity.

Source : Wikipedia / http://en.wikipedia.org/wiki/Uniform_civil_code_of_India


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UP TGT Result : टीजीटी का संशोधित रिजल्ट आज होगा जारी

UP TGT Result : टीजीटी का संशोधित रिजल्ट आज होगा जारी








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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order, 72825 Teacher Recruitment, UP-TET 2011


लखनऊ : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से टीजीटी सामाजिक विज्ञान 2009 के पुनर्मूल्यांकन के बाद संशोधित रिजल्ट तीसरी बार आज जारी किया जाएगा। साथ ही टीजीटी हिंदी, गणित एवं कला 2010 का संशोधित परिणाम भी दोबारा जारी होगा।
चयन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. आशाराम ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद संशोधित परिणाम जारी हो रहे हैं। प्रश्नों और उनके उत्तर को लेकर भ्रम की स्थिति के चलते कई परीक्षार्थियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। प्रश्नपत्र के सत्यापन एवं दोबारा मूल्यांकन के बाद सामाजिक विज्ञान का परिणाम तीसरी बार जारी किया जा रहा है। बोर्ड अध्यक्ष डॉ. आशाराम का कहना है कि उनकी ओर से रिजल्ट तैयार करके सचिव को सौंप दिया गया है, यह शनिवार को जारी किया जा सकता है।


News Source / Sabhaar : Amar Ujala (10.05.2014)
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Village Development Officer Recruitment : कोबरापोस्ट के स्टिंग में खुलासा

Village Development Officer Recruitment : कोबरापोस्ट के स्टिंग में खुलासा
वीडीओ की नौकरी का रेट 8 से 13 लाख
 

•सपा विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के कहने पर ली गई रकम

नई दिल्ली। न्यूज पोर्टल कोबरापोस्ट के एक स्टिंग में दावा किया गया है कि सपा विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के कहने पर ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) के 3000 पदों पर नियुक्ति के लिए पैसे लिए गए। इस पद के लिए नियुक्ति पिछले साल जुलाई में शुरू हुई थी और इस साल जनवरी में यह बंद हुई। कोबरापोस्ट का दावा है कि इसके लिए अभ्यर्थियों 8 से 13 लाख रुपये मांगे गए आैर कम से कम 2500 लोगों ने यह रकम जमा कराई।
कोबरापोस्ट. कॉम के स्टिंग में दावा किया गया है कि एक मंत्री के करीबी माने जाने वाले राज्य सरकार के एक सलाहकार व दो निगमों के चेयरमैन कैमरे पर इन नौकरियों के लिए पैसे के लेनदेन की बात करते हुए पकड़े गए।


कहानी मनगढ़ंत ः गोप
कोबरापोस्ट की जो बात बताई जा रही है वह मनगढ़ंत कहानी है। सपा सरकार में कोई इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सकता। अभी कोई भर्ती नहीं हो रही है। जब भर्ती होगी, पूरी पारदर्शिता के साथ होगी।- अरविंद सिंह ‘गोप’, ग्राम्य विकास राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार


चयन कमेटी ही तय नहीं
पंचायतीराज विभाग ने अभी केवल आवेदन प्राप्त किए हैं। अभी चयन कमेटी तक नहीं बनी है। इंटरव्यू की प्रक्रिया भी तय होनी है। फिर किस तरह सवाल उठाए जा रहे हैं, समझ से परे है। - चंचल तिवारी, प्रमुख सचिव पंचायतीराज

 News Source / Sabhaar : Amar Ujala (10.05.2014)
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नियुक्तियों में मनमानी के भरपूर मौके
ग्राम्य विकास विभाग में 3000 पदों के लिए आए हैं 1.23 लाख से ज्यादा आवेदन



लखनऊ। प्रदेश में ग्राम्य विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी के रिक्त पदों पर होने वाली भर्ती में सत्ता-शासन और प्रशासन चाहे तो मनमानी के भरपूर मौके हैं। ग्राम्य विकास अधिकारी (वीडीओ) की भर्ती में आवेदन लेने की प्रक्रिया तो ऑनलाइन होने के कारण पारदर्शी है, लेकिन इसके आगे की प्रक्रिया कदम दर कदम झोल नजर आता है। पंचायतीराज विभाग ने तो ऐसी प्रक्रिया अपनाई है कि आवेदक के लिए कुछ भी पता कर पाना आसान नहीं है।


लोकसभा चुनाव के एक साल पहले से ही इन पदों की भर्ती को लेकर घोषणाएं शुरू कर दी गई थीं। बेरोजगार युवाओं को नौकरी की उम्मीद जगी तो जमकर आवेदन हुए, लेकिन ग्राम्य विकास विभाग और पंचायतीराज विभाग ने आवेदन लेने के बाद भर्ती पर चुप्पी साध ली।


जानकार बताते हैं कि चुनाव से पहले भर्ती होने पर चयन प्रक्रिया से उभरने वाले आक्रोश को ध्यान में रखकर प्रक्रिया को जहां का तहां छोड़ दिया गया। वीडीओ के 3000 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए 1.23 लाख से ज्यादा आवेदन आए हैं तो पंचायतीराज विभाग में ग्राम पंचायत अधिकारी के 2900 पदों पर भर्ती के लिए कितने आवेदन आए, अधिकारी आज भी यह बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। वजह, इस विभाग ने ऑनलाइन की जगह डाक से आवेदन मंगाए। ऐसे में आवेदन पत्रों को प्राप्त कर उन्हें सूचीबद्ध करना कठिन हो गया। एक अनुमान के अनुसार यहां 30 लाख से अधिक आवेदन आए हैं। इन दोनों ही भर्ती की चयन प्रक्रिया में जिस तरह से मनमर्जी के मौके हैं, उन पर सवाल उठाए जाने की काफी गुंजाइश है

 News Source / Sabhaar : Amar Ujala (10.05.2014)

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Friday, May 9, 2014

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : शिक्षक भर्ती : 2011 के फॉर्म की स्क्रूटनी शुरु

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फीरोजाबाद : शिक्षक भर्ती के लिए सन 2011 में भरे गए फॉर्म बाहर निकल आए हैं। कई दिन की मशक्कत के बाद में अब विभाग ने इन फॉर्म की स्क्रीनिंग शुरु कर दी है। स्क्रीनिंग के बाद में फॉर्म को नेट पर डाला जाएगा तथा इसके बाद में शासन द्वारा इनकी मेरिट घोषित की जाएगी। हालांकि अभी तक शासनादेश स्पष्ट नहीं हो सका है।
सन 2011 से रुकी शिक्षक भर्ती के तहत विभाग को अभी तक शिक्षक तो एक भी नहीं मिला है, लेकिन काम दो गुना करना पड़ा है। 72000 भर्तियों के लिए एक तरफ पहले जहां मेरिट निकाली जा चुकी है, अब न्यायालय के आदेश पर 2011 में भरे गए फॉर्म के आधार पर नियुक्ति की तैयारी चल रही है। शासन से आए निर्देशों के क्रम में विभाग ने भी 2011 के फॉर्म निकलवा लिए हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग भी इसमें सहयोग कर रहा है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में पांच कंप्यूटर लगाकर विभाग ने यहां पर ऑपरेटर भी तैनात कर दिए हैं। फॉर्म की स्क्रीनिंग करने के बाद में इन्हें नेट पर अपलोड किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो टीईटी आधार पर ही अपलोड किए जा रहे हैं। हालांकि मेरिट स्पष्ट शासनादेश आने के बाद में शासन स्तर पर निकाली जाएगी। विभाग द्वारा कस्तूरबा गांधी स्कूलों के ऑपरेटर को इस काम पर लगाया है।
बीएसए को दफ्तर में कई मिले गैरहाजिर
शुक्रवार को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी डा. जितेंद्र सिंह यादव द्वारा अपने दफ्तर का औचक निरीक्षण किया। दस बजकर 20 मिनट पर हुए निरीक्षण में बीएसए डा.यादव ने रजिस्टर देखने के बाद में कक्षों में भी जाकर स्थिति को देखा। कई लिपिक दस से पांच मिनट की देरी पर यहां पर पहुंचे। लेखा विभाग के लिपिकों के देर से आने पर भी बीएसए द्वारा जमकर डांट लगाई गई। बीएसए डा.यादव ने लेखा कर्मचारियों से कहा दफ्तर में वक्त से आना होगा। सुबह दस बजे हर हाल में दफ्तर में आने की हिदायत लिपिकों एवं कर्मचारियों को दी

News Source / Sabhaar : Jagran (May 09,2014 07:40:56 PM | Updated Date:Friday,May 09,2014 07:40:18 PM)
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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : भर्ती की समय सीमा बढ़ने के आसार नहीं दिख रहे

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : भर्ती की समय सीमा बढ़ने के आसार नहीं दिख रहे

आज से सुप्रीम कोर्ट  छुट्टियां प्रारम्भ हो गयी हैं और यह छुट्टियां 29 जून तक चलेंगी




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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : भर्ती करने के लिये सुप्रीम कोर्ट से और समय माँगा जायेगा

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : भर्ती करने के लिये सुप्रीम कोर्ट से और समय माँगा जायेगा 






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News Source / Sabhaar : Hindustan Paper (09.05.2014)


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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : शिक्षक भर्ती में लग सकती है देरी

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : शिक्षक  भर्ती में लग सकती है देरी




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See News  :
शिक्षक भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगेंगे और समय
आवेदनों को कंप्यूटर में फीड करने से पहले देना होगा शपथ पत्र
लखनऊ : राज्य सरकार 72,825 शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय मांगेगी। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को निर्देश दे दिया गया है कि वह शीघ्र ही इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दें। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की भर्ती के लिए 25 जून तक का समय दिया है। इसके अलावा जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि वे शेष बचे आवेदनों को कंप्यूटर पर फीड करने से पहले संबंधित जिलाधिकारी व राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक को यह शपथ पत्र देंगे कि पुराने आवेदनों को ही फीड किया जाएगा।
सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार ने परिषद के सचिव संजय सिन्हा से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर यह अनुरोध किया जाएगा कि टीईटी मेरिट पर शिक्षकों की भर्ती के लिए जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करनी हैं। इसमें पुराने आवेदनों का कंप्यूटरीकरण कराने के साथ टीईटी परीक्षा परिणाम को एक बार फिर से ऑनलाइन कराना होगा। इन कामों में समय लग जाएगा इसलिए भर्ती के लिए और समय दिया जाए। इसके अलावा नेशनल इनफारमेटिक सेंटर (एनआईसी) को यह पत्र भेजा गया है कि वह जल्द ही साफ्टवेयर एससीईआरटी को भेज दे ताकि कंप्यूटर पर फीड आवेदनों को कनवर्ट करते हुए मेरिट सूची तैयार की जा सके

News Source / Sabhaar : Amar Ujala (09.05.2014)
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Thursday, May 8, 2014

Big News Badee Khabar : त्रिपुरा में दस हजार से ज्‍यादा शिक्षकों की सेवाएं खत्म

Big News Badee Khabar : Tripura high court cancels hiring of over 10,000 teachers

त्रिपुरा में दस हजार से ज्‍यादा शिक्षकों की सेवाएं खत्म

 त्रिपुरा हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार द्वारा भर्ती किए गए 10 हजार 323 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। साथ ही दिसंबर 2014 तक नई भर्ती प्रक्रिया से इन पदों को भरने का आदेश दिया हैमुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति स्वप्न चंद्र दास की पीठ ने उक्त आदेश उन 152 लोगों की 58 याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। ये लोग नौकरी पाने में नाकाम रहे थे।
त्रिपुरा की वामपंथी सरकार ने गत तीन वर्षों के दौरान इन शिक्षकों की भर्ती की थी। हाई कोर्ट के इस फैसले पर अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। फैसले का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और त्रिपुरा प्रगतिशील ग्रामीण कांग्रेस ने स्वागत किया है।
पीठ ने अपने छह सौ पन्नों के फैसले में कहा, नई नियुक्तियों का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सभी शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द की जा रही हैं।हाई कोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश भी तय किए, जिन्हें दो महीने के भीतर अधिसूचित किया जाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा, शिक्षकों की भर्ती में किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे छात्रों का भविष्य खराब जाएगा




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AGARTALA: A division bench of the Tripura high court comprising Chief Justice Deepak Gupta and Justice S C Das cancelled the recruitment of 10,323 teachers in government schools on Wednesday.

Announcing the judgment in 58 similar cases, the HC directed the state government to start a fresh and fair process of appointment under an independent commission. It also issued a detailed guideline for recruitment of teachers.

The cancelled job included 1,100 post-graduate teachers, 4,617 graduate teachers and 4,606 under-graduate teachers, who had been appointed in three different phases from 2010. The deprived aspirants had filed as many as 79 petitions with thousands of signatories alleging nepotism and corruption. One of the counsels of the petitioners Arijit Bhowmik told the media the Left Front government had adopted unfair means in recruitment.

He said the court has allowed the government to continue classes with the existing teachers till December 31 this year. But before that, the state government has been asked to start a process of fresh appointment under an independent body.

"
Depriving thousands of eligible and meritorious aspirants, the government appointed less qualified party cadres. The court has put an end to this corruption," he stated. On the state government's argument of need and merit based employment, the court maintained that the revised employment policy appeared to be unconstitutional. "The way the government had selected candidates was totally unconstitutional," the court said.
However, officials in the education department said they would challenge the judgment in the Supreme Court. School education minister Tapan Chakraborty refused to comment, but said after the study of the court's order, the government will decide the next course of action.

The petitioners had accused the state government of violating the Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009 in the recruitment of Under Graduate Teachers in 7,000 schools early this year. The court had also questioned why all those jobs were not cancelled for non-compliance with RTE, whether the state has the right to flout the qualification criteria set by the National Council of Teachers' Training and why the government had selected untrained aspirants.

The petitions had alleged the government had appointing unqualified youths as teachers, where 30% of the jobs were given on the basis of need and 70% on the basis of merit without any written test. The court amalgamated all the cases pending since 2010 and completed the hearing last month.

News Source / Sabhaar : TNN | May 7, 2014, 11.10 PM IST


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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : नये शैक्षिक सत्र में मिलेंगे 1.31 लाख प्राथमिक शिक्षक

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : नये शैक्षिक सत्र में मिलेंगे 1.31 लाख प्राथमिक शिक्षक

टीईटी की मेरिट से 25 जून तक 72825 शिक्षकों की करनी है तैनाती 
 59 हजार शिक्षामित्रों का भी आचार संहिता खत्म होते ही होगा समायोजन 
सूबे में खाली हैं सहायक अध्यापकों के तीन लाख से ज्यादा पद






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लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय स्कूलों को शैक्षिक सत्र 2014-15 में 1.31 लाख से ज्यादा नये शिक्षक मिलेंगे। इनमें 72825 प्राथमिक शिक्षक व 59 हजार शिक्षक सहायक शामिल हैं। शिक्षकों की भर्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तीन महीनों में करनी है। प्रशिक्षित शिक्षामित्रों को शिक्षक सहायक बनाने का शासनादेश भी जारी हो चुका है लेकिन चुनाव आचार संहिता के चलते समायोजन प्रक्रिया फंस गयी थी, लेकिन 16 मई के बाद इसमें भी तेजी आएगी।
यूपी के परिषदीय स्कूलों में तीन लाख से ज्यादा सहायक अध्यापकों के पद खाली हैं। इनको भरने के लिए 2011 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने 72825 पदों के लिए चयन प्रक्रिया शुरू की थी। शिक्षक भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा को लेकर लगे पेंच से तकरीबन तीन वर्ष तक इन पदों पर भर्ती नहीं हो पायी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब तीन महीने में शिक्षकों के 72825 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन पत्रों की स्क्रीनिंग व फीडिंग शुरू कर दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला 25 मार्च को आया था। ऐसे में 25 जून तक हर हाल में राज्य सरकार को इन पदों को भरना होगा। इन पदों पर भर्ती भी 2011 में घोषित टीईटी की मेरिट से होना है, इसके चलते फार्म की स्क्रीनिंग के लिए साफ्टवेयर तैयार कराया जाएगा और नये सत्र के शुरू होते ही जुलाई में चयनित अध्यापकों को विद्यालयों में तैनात कर दिया जाएगा।
उधर शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालयों में शिक्षक सहायक के पदों पर समायोजित करने की प्रक्रिया भी 16 मई के बाद चालू कर दी जाएगी। इसी आधार पर 59 हजार शिक्षामित्रों को सरकारी सेवा में लेकर नये सत्र से अध्यापकों की कमी को कुछ हद तक दूर किया जा सकेगा।
दो सप्ताह में डाटा फीडिंग का काम पूरा करने का निर्देश : बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती के लिए आये फार्म के डाटा फीडिंग का काम दो सप्ताह में पूरा करना होगा। बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव नीतीश्वर कुमार ने राज्य के सभी जिला अधिकारियों को इस बावत एक शासनादेश बुधवार को ही जारी किया है, इसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षक भर्ती के आवेदनपत्रों की फीडिंग का काम पूरा कराने को कहा गया है

शासनादेश में डायट प्राचार्य की अध्यक्षता में बनी समिति में जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को रखने के साथ ही सभी प्रकार का अनुमोदन जिलाधिकारी के स्तर से कराने को कहा गया है। चार सदस्यों वाली इस समिति में जिलों के बीएसए व राजकीय गर्ल्स इण्टर कालेज की प्रिन्सिपल भी होंगे। उल्लेखनीय है कि सचिव बेसिक ने 24 अप्रैल को डाटा फीडिंग को लेकर समीक्षा की थी। 11 जिलों के बीएसए को छोड़ सभी जिलों के अधिकारी शामिल हुए थे। 24 अप्रैल को हुई समीक्षा में 6 लाख आवेदन पत्रों को फीड होना बाकी था। इन आवेदन पत्रों को अब दो सप्ताह में पूरा कराने की हिदायत दी गयी है।

टीईटी की मेरिट से 25 जून तक 72825 शिक्षकों की करनी है तैनाती

59 हजार शिक्षामित्रों का भी आचार संहिता खत्म होते ही होगा समायोजन
सूबे में खाली हैं सहायक अध्यापकों के तीन लाख से ज्यादा पद

News Source / Sabhar : कमल तिवारी/एसएनबीrashtriyasahara.com (08.05.2014)
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Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : शिक्षक भर्ती को जिलों में चयन समिति गठित

Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : शिक्षक भर्ती को जिलों में चयन समिति गठित
आवेदनों को फीड करने के लिए एक और मौका

दो हफ्ते में कंप्यूटर में दर्ज करना होगा ब्यौरा







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लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की गई 72,825 शिक्षकों की भर्ती के लिए जिलों में चयन समिति का गठन कर दिया गया है। वहीं आवेदनों को कंप्यूटर में फीड करने के लिए जिलों को एक मौका और दिया गया है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि वे दो सप्ताह के अंदर शेष आवेदनों को कंप्यूटर में फीड करा लें। सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार ने इस संबंध में बुधवार को आदेश जारी करते हुए जिलाधिकारियों को निर्देश भेज दिया है।




सचिव बेसिक शिक्षा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया के संबंध में 24 अप्रैल को अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई थी। हाथरस, मथुरा, आगरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, हरदोई, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज और कानपुर देहात के डायट प्राचार्य व बीएसए उसी दिन वहां मतदान होने की वजह से इसमें शामिल नहीं हो पाए थे। इस दौरान शिक्षक भर्ती के लिए आए हुए आवेदनों की डाटा फीडिंग पर रोक लगा दी गई थी। उन्होंने कहा है कि शेष आवेदनों की डाटा फीडिंग दो सप्ताह के अंदर विशेष अभियान चलाकर की जाएगी।
इसके साथ ही जिलों में डायट प्राचार्य की अध्यक्षता में चयन समिति का गठन कर दिया गया है। बीएसए इसके सदस्य सचिव होंगे। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या व जिलाधिकारी से नामित अधिकारी इसके सदस्य हाेंगे। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारी को जरूर शामिल किया जाएगा। चयन समिति आवेदन पत्रों को कंप्यूटर में फीड कराने, इसका सत्यापन कराने और सत्यापन के बाद फीड की गई सूचनाओं को अंतिम रूप देने का काम जिलाधिकारी के निर्देश पर करेगी। जिलाधिकारी सभी आवेदन पत्रों को कंप्यूटर में फीड कराना सुनिश्चित करेंगे। इसके बाद किसी भी आवेदन पत्र को कंप्यूटर में फीड नहीं किया जाएगा।


News Source / Sabhaar : Amar Ujala Hindi Paper (08.05.2014)
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Wednesday, May 7, 2014

Good News Counseling of 72825 Teacher as per Supreme Court Order : आवेदन पत्रों की चल रहीहै स्कैनिंग

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 ●आवेदन पत्रों की चल रहीहै स्कैनिंग

● जिलेमें करीब16 सौ पदोंपर भर्ती प्रक्रिया होनीहै।

● करीब एक लाख 66 हजार आवेदन आए हैं।

●चार-पांच दिन में स्कैन प्रोसेस पूरा कर लिया जाएगा।

●बीएसए/डायट प्राचार्य कृपा शंकर वर्मा नेबताया कि शासन के आदेशों को अमल मेंलाया गया है।










 बदायूं। परिषदीयविद्यालयोंमें 72825 सहायक अध्यापकों के पद पर भर्तीकरनेकी प्रक्रिया में जितनी तेजी दिखाई गई, अब उतना हीधीमापन नजर आनेलगा है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद पांच सप्ताह मेंअभीतक आवेदनों की स्कैनिंग का काम ही पूरा किया जारहा है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की मानें तो सुस्ती केपीछे शासन की कोई नई गाइड लाइन न मिलना वजह है। बताते हैं किप्रमुख सचिव बेसिक की वीडियो कांफ्रेसिंगके बाद से अभी तक कोईनया आदेश नहींमिला है। हां, आवेदनों कीस्कैनिंग का कार्य जरूर चल रहा है जो चार से पांच दिन में पूरा करा दिया जाएगा।लंबे संघर्ष केबाद टीईटी पास अभ्यर्थियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राहतदी थी। उन्हें मेरिट के आधार पर 12 हफ्तेमें नियुक्त करनेका आदेश जारी कर दिया। इसकेबाद भर्ती प्रक्रिया को अमल मेंभी लाना शुरू कर दिया। डायट मेंआए आवेदनोंकी जांच भी शुरूकर दी गई। पांच सप्ताह बाद भी इसमेंकोई खास प्रोग्रेस नजर नहीं आई है। शिक्षक बनने की आस लगाए बैठे आवेदक डायट के चक्कर काट कर अपडेट जानने के लिए आतुर हैं। लेकिन डायट सेउन्हें कोई खास जानकारी नहींमिलपा रही है। धैर्य रखने की बात कहकर टरका दिया जाता है। डायट इसके पीछेशासन की कोई गाइड लाइन न मिलना बता रहा है। डायट के प्रवक्ता नवेद बतातेहैंकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए प्रमुख सचिव बेसिक की वीडियोंकॉफेंसिंगमें आवेदनों को स्कैन करनेके आदेश दिए थे। जबकि फीडिंग और मेरिट काकामपूरा कर लिया गया है। बता दें कि जिले में करीब 16 सौ पदों पर भर्ती प्रक्रिया होनी है। इसके लिए करीब एक लाख 66 हजार आवेदन आए हैं। बताते हैं कि चार-पांच दिन मेंस्कैन प्रोसेस पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद जो गाइड लाइन मिलती है, उसी आधार पर भर्ती प्रक्रिया अमल मेंलाईजाएगी। वहीं बीएसए/डायट प्राचार्य कृपा शंकर वर्मा ने बताया कि शासन केआदेशोंको अमल में लाया गया है। 


News Source / Sabhaar : अमर उजाला(07.05.2014)

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Good News : शिक्षकों की भर्ती के लिए सॉफ्टवेयर तैयार

Good News : शिक्षकों की भर्ती के लिए सॉफ्टवेयर तैयार




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शिक्षकों की भर्ती के लिए सॉफ्टवेयर तैयार

आवेदनों को इससे कन्वर्ट करके एक फॉर्मेट में किया जा सकेगा
एससीईआरटी एनआईसी से लेकर भेजेगा जिलों में 



लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 72,825 शिक्षकों की भर्ती के लिए आए आवेदनों को कंप्यूटर पर कन्वर्ट करने का सॉफ्टवेयर तैयार हो चुका है। नेशनल इन्फारमेटिक सिस्टम (एनआईसी) ने इसे बनाकर तैयार कर लिया है और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को शीघ्र ही इसे सौंप देगा। इसके बाद इसे जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) को दिया जाएगा, ताकि वे आए हुए आवेदनों को इससे कन्वर्ट करके एक फॉर्मेट में कर लें।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को टीईटी मेरिट पर 72,825 शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया है। इसके आधार पर डायट प्राचार्यों को निर्देश दिया गया था कि वे नवंबर 2011 के विज्ञापन के आधार पर आए हुए आवेदनों का पूरा ब्यौरा एससीईआरटी को दे दें। उनसे यह भी पूछा गया था कि कितने आवेदनों को कंप्यूटर पर फीड किया गया है। कंप्यूटर पर फीड ब्यौरे को एनआईसी से मिलने वाले सॉफ्टवेयर से कन्वर्ट किया जाएगा। जिससे मेरिट बनाने में आसानी हो और इसे ऑनलाइन डाला जा सके, ताकि आवेदक अपने आवेदन से इसका मिलान कर सकें।


News Source : Amar Ujala (07.05.2014)
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