News, पंजाब: डॉक्टरों की लापरवाही ने छीनी 60 लोगों की आंखों की रोशनी
अमृतसर| अँधेरे जीवन में उजाला फ़ैलाने वाले डॉक्टरों की लापरवाही ने 60 लोगों की आँखों की रोशनी छीन ली| मामला पंजाब के गुरदासपुर ज़िले का है जहां एक आईकैंप में इलाज के बाद 60 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है। पाया गया कि कुल 60 मरीज थे जिसमें से 16 अमृतसर के थे और शेष गुरदासपुर के रहने वाले हैं। 4 नवंबर को लगाए गए इस कैंप को एक एनजीओ गुरुनानक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से गुरदासपुर ज़िले में लगाया गया था।
अमृतसर के उपायुक्त रवि भगत का कहना है कि 16 लोगों का सहायक प्रोफेसर कर्मजीत सिंह की देखरेख में इलाज चल रहा है। सिंह ने बताया कि इन मरीजों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है और वे कभी भी देख नहीं सकेंगे। उपायुक्त भगत ने बताया कि इस मामले की जांच के सिविल सर्जन को आदेश दे दिए गए हैं। उनसे सोमवार तक रिपोर्ट मांगी गई है।
पीड़ितों को अमृतसर और गुरदारसपुर के ईएनटी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है| घटना का ब्योरा देते हुए अमृतसर के सिविल सर्जन राजीव भल्ला ने कहा कि सभी मरीजों का ऑपरेशन तकरीबन 10 दिन पहले गुरदासपुर जिले के घुमन गांव के एक नेत्र शिविर में किया गया था| मामला उस समय सबके सामने आया जब अमृतसर के 16 मरीजों ने उपायुक्त भगत से शिकायत की।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने एक जांच समिति का गठन किया है| यह यह समिति मामले की जाँच के लिए शुक्रवार को घुमान गांव का दौरा करेगी| इसके बाद अपनी रिपोर्ट देगी|
आंखों के अस्पताल में दाखिल गगोमाहल की रहने वाली शिंदर कौर, डडीयां निवासी प्यार कौर और अन्य के मुताबिक वह गगोमाहल में लगे कैंप में आंखों की जांच करवाने गए थे. उसी शाम उन्हें गुरदासपुर के घुम्मान स्थित चेरिटेबल अस्पताल में ले जाया गया गया और आपरेशन कर दिए गए. जब उनकी आंखों की पट्टी खुली तो वह देख पाने के काबिल नहीं थे. उन्होंने कहा कि वह अपना गुजारा कैसे करेंगे. इन लोगों ने मांग की कि कैंप के आयोजकों और डाक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
रोशनी चले जाने का मामले सामने आने के बाद ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की पता किया जा रहा हैं. साथ ही अन्य लोगों की तलाश की जा रही है. सिविल सर्जन डॉ राजीव भल्ला को जांच की रिपोर्ट शुक्रवार तक सौंपने को कहा गया है. राम लाल आई एंड ईएनटी अस्पताल के अंकुर भटनागर के मुताबिक पीड़ित 1 महीने बाद उनके पास आए हैं, ऐसे में इनफेक्शन बहुत ज्यादा बढ़ चुका है. सिर्फ 1 मरीज सविंद्र कौर की आंख की रोशनी बच सकती है.