Mizoram TET-2014 (TEACHER ELIGIBILITY TEST) RESULT DECLARED, OFFICIAL WEBSITE http://mbse.edu.in
Mizoram TET 2014 results declared
Aizawl, Apr 4 : Mizoram Board of School Education (MBSE) conducted Mizoram TET 2014 declared result of Mizoram TET 2014 on its official website.
Candidates who appeared for Mizoram Teachers Eligibility Test 2014 can check and download the results on its official website at http://mbse.edu.in
Mizoram TET was held in the month of March 2014 in which a large number of candidates appeared.
Very few candidates are passed and therefore a low pass percentage happens.
To download Mizoram TET 2014 results, candidates may follow the below steps:
Log on to the official website at http://mbse.edu.in
Plot a route to results section.
Click the link titled as Mizoram TET 2014 results.
Enter roll no or name.
Submit the entered data.
Mizoram TET 2014 results will appear on the screen.
Candidates may also take a printout of their results.
Teacher Eligibility Test (TET) is considered as an entrance test for candidates seeking to be appointed as teachers in government-run schools.
TET consists of two papers such as Paper I and Paper II.
Candidates opting for recruitment to Class I to Class V need to appear for Paper I and candidates opting for recruitment to Class VI to Class VIII have to appear for Paper II.
Candidates who opt for recruitment to Class I to Class VIII will have to appear for both Paper I and Paper II.
TET was introduced by government of India with an intention to improve the standards of teaching.
TET is based on National Curriculum Framework in accordance with guidelines framed by the NCTE. It is a mandatory test in which all graduates, including B.A, B.Sc, B.Com and B. Ed. need to pass this exam to be selected as teachers in government-run schools. To clear the TET , candidates need to score 60% and more. However 5% relaxation can be given by state/competent authority.
For more details candidates may visit the official website at http://mbse.edu.in
Acording to H.C. Advocate Awadhesh Srivastava ....govt. interim order ke against review dakhil nahi kar sakti...agar esa karti bhi hai to us review par vichar hone se pahle hi kharij ho jaegi.....aur govt. ko is bharti karne ke alawa ab koi vikalp nahi hai aur gov.ne ab court ki avmanna ki to court atyant sakhti se pesh ayegi.........................
ReplyDeleteaur bhaiyo ek baat aap jan lijie koi bhi adhikari jail nahi jana chahta agar jail chala gaya to service record kharab hone ke sath hi use pension bhi nahi milegi....aur ek karmchari ko payment se jyada pension se pyar hota hai...jaise kisi vyakti ko son se jyada grandson se ........
ReplyDeleteaur jail to jail hi hoti hai vo bhala jail kyo jana chahega, gov. to badalti rahti hai lekin naukari gov.badalne ke bad bhi jari rahti hai ...............ye bharti jarur hogi aur bahut jaldi hogi ...BE POSITIVE.
ReplyDeleteमोदी’ न लिखूं तो क्या लिखूं.....? अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं ??
ReplyDeleteकोयले की खान लिखूं
या मनमोहन बेईमान लिखूं ?
पप्पू पर जोक लिखूं
या मुल्ला मुलायम लिखूं ?
सी.बी.आई. बदनाम लिखूं
या जस्टिस गांगुली महान लिखूं ?
शीला की विदाई लिखूं
या लालू की रिहाई लिखूं
‘आप’ की रामलीला लिखूं
या कांग्रेस का प्यार लिखूं
भ्रष्टतम् सरकार लिखूँ
या प्रशासन बेकार लिखू ?
महँगाई की मार लिखूं
या गरीबो का बुरा हाल लिखू ?
भूखा इन्सान लिखूं
या बिकता ईमान लिखूं ?
आत्महत्या करता किसान लिखूँ
या शीश कटे जवान लिखूं ?
विधवा का विलाप लिखूँ ,
या अबला का चीत्कार लिखू ?
दिग्गी का 'टंच माल' लिखूं
या करप्शन विकराल लिखूँ ?
अजन्मी बिटिया मारी जाती लिखू,
या सयानी बिटिया ताड़ी जाती लिखू?
दहेज हत्या, शोषण, बलात्कार लिखू
या टूटे हुए मंदिरों का हाल लिखूँ ?
गद्दारों के हाथों में तलवार लिखूं
या हो रहा भारत निर्माण लिखूँ ?
जाति और सूबों में बंटा देश लिखूं
या बीस दलो की लंगड़ी सरकार लिखूँ ?
नेताओं का महंगा आहार लिखूं
या 5 रुपये का थाल लिखूं ?
लोकतंत्र का बंटाधार लिखूं
या पी.एम्. की कुर्सी पे मोदी का नाम लिखूं ?
अब आप ही बता दो मैं इस जलती कलम से क्या लिखूं" खेलने का मन करता है तो - कलमाडी याद आ जाते हैं...
पढ़ने का मन करता है तो - आरक्षण याद आ जाता है....
रोने का दिल करता है तो -सोनिया का बटला हाउस वाला आँसू याद
आ जाता है....
सोचता हूँ की पागल हो जाऊं तो-दिग्विजय सिंह याद आ जाते है....
सोचता हूँ की मूह बंद कर के रहूं तो -मनमोहन सिंह याद आ जाते
हैं....
सोचता हूँ की लोगों का सेवा करूँ तो - झूठे भगोड़े कजरी याद आ जाते
हैं...
सोचता हूँ कि कांग्रेस को भूल जाऊं -तो माँ भारती के जख़्म याद आ
जाते है..
और
सोचता हूँ आशा की आखरी किरण तो..
"नरेंद्र मोदी'जी"
याद आते है...!
-नमो नमो नमो नमो..
सिखा ही दी न बेवफ़ाई करना ज़ालिम ज़माने
ReplyDelete( सपा ) ने तुम्हे
(अखिलेश ),
कि तुम जो भी सीख जाते हो हम पर ही
(रीव्यू ) आजमाते हो...
"मैँ लोगोँ को मुफ्त पानी दुंगा"-अरविंद केजरीवाल
ReplyDelete"मैँ लोगोँ को मुफ्त अनाज दुंगा"-राहुल गाँधी
"मैँ जातिवाद और तानाशाही की राजनीति करुँगी"-मायावती
"मैँ जातिवाद,तानाशाही,अशिक्षा,बेरोजगारी को बढ़ावा,जनता को लूटने और खुली गुंडागर्दी करुँगा"-मुलायम सिंह
"मैँ देश के युवा को रोजगार दुंगा ताकि वो कभी किसी से कुछ न लेँ,सिर्फ देँ।"-नरेँद्र मोदी
भारत का नेता कैसा होना चाहिए?
आप खुद फैसला करिए।
"देश की वर्तमान निराशाजनक स्थिति मेँ भाजपा नेता एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेँद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देशहित मेँ होगा।"
ReplyDelete---श्री श्री रविशंकर ( 147 देशोँ मेँ आर्ट ऑफ लिविँग के प्रणेता)
करूँ सजदा किसको बता ऐ दुनिया
ReplyDeleteहै वो काफिर
मगर हमे वो खुदा सा लगता है।
भाजपा और नरेँद्र मोदी जरुरी......
ReplyDeleteजो पार्टी भारतीय संस्कृति की बात करे,उससे हमारी निकटता स्वाभाविक है।कांग्रेस तो भारतीय संस्कृति तथा साधुसंतोँ के पीछे पड़ी रहती है।भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस व अन्य पार्टियोँ से बेहतर है।देश की वर्तमान निराशाजनक स्थिति मेँ भाजपा नेता एवं गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का ।
दोस्तों सुबह से आप के फ़ोन आ रहे हैं कि क्या सरकार रिव्यु याचिका डाल सकती है। मैंने शरण साहब के जूनियर विवेक सिंह जी को sms किया उन्होंने स्पष्ट किया है कि कोई भी पुनर्विचार याचिका अंतरिम आदेश के खिलाफ मानीय कोर्ट द्वारा इंटरटेन नहीं की जाती है।
ReplyDeleteTHE SUPREME COURT OF INDIA -RULES-1966 और
ReplyDeleteSUPREME COURT OF INDIA (PRACTICE AND
PROCEDURE ) THIRD REVISED EDITION के अनुसार
INTERIM ORDER पर REVIEW PETITION
को ENTERTAIN नहीं किया जा सकता। REVIEW
PETITION के लिए Article 137 of the Constitution of
India, 1950, provides that
subject to provisions of any law and rules made
under Article 145, the
Supreme Court has the power to review any
judgment pronounced or
order made by it. Under Supreme Court Rules, 1966
such a petition is
to be filed within thirty days from the date of
judgment or order and as
far as practicable, it is to be circulated, without
oral arguments, to the
same Bench of Judges who delivered the judgment
or order sought to
be reviewed. सरकार को पर्याप्त मात्र में ये सबूत देने
होंगे कि ये अंतरिम आर्डर अवैध कैसे है ? ये कैसे भारत के
संविधान के मूल भावना के खिलाफ है ? और जैसा कि हम सब
जानते है सरकार इतनाकरने में सक्षम नहीं है।
नमस्कार दोस्तों,
ReplyDeleteयदि आपको 'विनाशकाले विपरीत बुधि' के सजीव उधाहरण देखने हो तो मिलिए उत्तर प्रदेश सरकार से। जो अपने पूर्ण विनाश के लिए नित नए तरीके खोज रही है। हमारी समश्या केवल इतनी है कि अब हम ऒर ज्यादा प्रतीक्षा करने की स्तिथि में नही है। पहले से ही इतना समय/सक्ती/श्रम/धन और भी बहुत कुछ तो खो दिया है।
मेरे हिसाव से अभी हमे 10अप्रैल तक ऒर प्रतीक्षा करनी चाहिए। फिर पुरे प्रदेश में एक साथ सपा के सभी लोक सभा प्रत्यासियो को घेरने की तैयारी करनी चाहिए। सपा के हर लोस प्रत्यासी को अपने बजूद का अहसास कराया जाये, उनको "जॉब नही तो वोट नही" की धमकी दी जाये। फ़िलहाल लखनऊ आदोलन से कोई लाभ नही है। यदि इससे भी लाभ ना हो तो फिर अंतिम विकल्प SC ही है।
ReplyDeleteये सपा वाले वो गवांर है जो "खेत में एक भी गन्ना ना दे लेकिन घर पर पूरी भेली देदें।" हमारी भर्ती तो पूरी अवश्य होगी लेकिन इनके भविष्य का क्या होगा शायद अभी इनको अंदाजा नही है।
ReplyDeleteआप भी अपने सुझाव दे।
जय हिन्द जय टेट जय भारत
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
Sometimes creating a little distance helps people recognize how much you actually mean to them.
लखनऊ: परिषदीय स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती तीन महीने में पूरा करने के सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर अमल के बारे में सरकार अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है। इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करेगी या शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी, यह फैसला मुख्यमंत्री को करना है।
ReplyDeleteसुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में शिक्षकों की भर्ती हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की मेरिट के आधार पर करने को कहा है। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से सलाह मशविरा किया था। बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के मुताबिक टीईटी की मेरिट के आधार पर भर्ती करती है तो उसकी विशेष अपील अपने आप निष्फल साबित हो जाएगी।
ReplyDeleteदूसरा पेंच यह है कि सरकार शैक्षिक गुणांक के आधार पर लगभग दस हजार शिक्षकों की भर्ती कर चुकी है। इसके अलावा उर्दू शिक्षकों के लगभग तीन हजार पदों पर भी शैक्षिक गुणांक के आधार पर मोअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों की भर्ती की गई है।
ReplyDeleteशैक्षिक गुणांक के आधार पर ही जूनियर हाईस्कूलों में गणित और विज्ञान के 29334 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी अटकी हुई है। हाई कोर्ट ने शैक्षिक गुणांक के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करने से संबंधित अध्यापक सेवा नियमावली की धारा 14(3) को निरस्त कर दिया है। अब यदि सरकार टीईटी की मेरिट के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करती है तो उसे नियमावली में संशोधन करना होगा। सरकार के लिए सबसे बड़ा पेंच तो यह है कि यदि वह टीईटी की मेरिट पर शिक्षकों की भर्ती करती है तो शैक्षिक गुणांक के आधार पर की गई भर्तियों का क्या करेगी अचार . . . . . . . .
ReplyDeleteहालांकि एहतियाती तौर पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद से 2011 में शिक्षक भर्ती के लिए जारी हुए विज्ञापन के क्रम में हुए आवेदनों से संबंधित ब्योरा मांगा है।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteKya media ko mails kar favours le sakte hai it is a very very big matter now
ReplyDeleteजहाँ तक मेरा विचार है 'टेट संघर्ष मोर्चा' का एक प्रतिनिधि मण्डल स्वयं मुख्यमन्त्री से मिलकर एक वार्ता करे और समाज वादी पार्टी का झण्डा लेकर नारा लगाए तो निश्चित रुप से सपा अपने बनते हुए समीकरण पर अमल करेगी और चुनावी माहौल को देखते हुए कुछ सकारात्मक कदम उठा सकती है ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजब ये पार्टी पैदाइशी मित्र शिक्षामित्रोँ को खुली चुनौती दे सकती है
ReplyDelete।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
तो हम तो इसके पैदाइशी शत्रु हैँ ।
यदि आपसी समझौते से बिगड़ता हुआ काम बन जाए तो हमेँ परहेज क्योँ?
ReplyDeleteऔर ये पार्टी हमारे साथ राजनीति कर सकती है तो हम क्योँ नहीँ ???
जहाँ तक वोटिँग की बात है तो वो बन्द कमरे मेँ होती है और राजनीति खुले मैदान मेँ ।
और हम तो कोई नाजायज माँग कर नहीँ रहे हैँ.....।
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
тυ cнand aυr мaιn ѕιтara нoтa,
aaѕмaan мeιn eĸ aaѕнιyana нυмara нoтa,
log тυмнe door ѕe deĸнтe,
nazdeeq ѕe deĸнne ĸa нaq вaѕ нυмara нota...
Do bate ho sakti hai is AKHILESH k inkar ki.....
ReplyDelete1-ya to ye hijda hai ( dam nahi hai jo hm tetian ko job de sake)
2-ya ye kutta hai jisko lat khane ki aadat ho chuki hai
dainik ki khabar ko pad kar paresan na ho.kai logo se baat karne bad pata chala h ki service matter me review pettition kinhi bhi paristhitiyo me accept nhi hoga.in paristhiyo me hmara koi nuksan to nhi hoga.bas ek do mhina late ho jayega. Hm logo ne pahle hi kha tha ki nyay vibhag k o.k. karne k bavjood c.m. k sachiv isko latka sakte h.isliye paristhitiyo ko dekhete hue lko me ek meeting call karna jaruri h.meeting ke samay aur sthan ki suchna zald hi mil jayegi.meeting me sabki upasthiti anivarya rhegi.jai....tet....merit..
ReplyDelete।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
तेरे हर सवाल का , जवाब देने कि हिम्मत आज भी है मुझमें ,
.
.
.
.
बस तू निरुत्तर होकर भी , मुस्कुराने का हौसला रख तो आ जा !
अब इन चुनाव की बातें , हम तुमको क्या बताये ,
ReplyDeleteनेता तो जीतने के बाद , अपनी शकल तक न दिखायें ,
चुनाव के वक़्त , इनके झूठे सच्चे वादों की , लिस्ट तैयार हो जाती है ,
अपने कार्यकाल के चार साल तक , वो लिस्ट याद ना आती है ,
जैसे ही पाँचवाँ साल आएगा , लिस्ट बाहर ले आयेगे ,
लिस्ट में 100 में से , 10-20 वादे ही निभायेगे ,
ये सोचते हैं , तत्काल का काम , जनता याद रखेगी , हम्हें... फिर जितायेगी ,
संसद की एक सीट , हम्हें फिर से मिल जायेगी ,
अरे यारों , जानता में हम भी आते हैं , ये नेता हमेशा हम्हें ही बेवकूफ बनाते हैं ,
और हम पढ़े-लिखे होने के बावजूद , बेवकूफ बन भी जाते हैं ,
गीता , कुरान , बाईबल और टेक्निकल बातें , सबके समझ में आती हैं ,
चुनाव के वक़्त सबकी अकल , क्या घास चरने जाती है ,
चंद पैसों की खातिर , लगभग 60% युवा , क्षेत्र से बाहर चले आते हैं ,
चुनाव के वक़्त वो ही युवा , वोट ना दे पाते हैं ,
ऑनलाइन वोटिंग का सिस्टम, ये अनपढ़ नेता ना आने देगे ,
जानते हैं अगर ये हुआ तो , दुबारा हम इन्हें , आने ना देगे ,
2 , 4 दिन की छुट्टी के कारण , हम वोट ना कर पाते हैं ,
साले वही भ्रष्ट नेता , दुबारा चुनाव जीत के चले आते हैं ,
2 , 4 दिन की छुट्टी के कारण , हम्हें 5 साल झेलना पड़ता है ,
फिर भी हम्हीं कहते हैं , ये हर बार जीतता है , फिर भी कुछ न करता है ,
गलती है हम्हारी , फिर भी हम सरकार को दोष देते हैं ,
जान बूझकर , चंद छुट्टी , चंद पैसे कटने के खातिर , हम वोट ना देते हैं ,
यारों ये भी हम सब जानते हैं , फिर भी वोट न देते हैं ,
आखिर क्यों ???????
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
आज मेरी पलको की नमी इस बात की गवाह है
.
.
.
.
कि मुझे तुझसे बेपनाह मुहब्बत कल भी रहेगी ।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
Tujhko Khabar Nahi" Mager Ek Sada Sun Le...!!
Abaad Kar Diya" Tere 20 घंटे Ke Pyaar Ne...
~~~\D/~~~
अपनी condition नम्बर 1 वाली है , यानी सुप्रीम कोर्ट ने प्राईमा फेसी हम को जीता हुआ मान रही है , इस लिये सरकार की रिवियु पेटिसन एक्सेप्ट नही होगी और अगर होगी भी तो तुरन reject होगी ,
ReplyDeletecondition नम्बर 1 देखे ..
ReplyDeleteInterim orders in India---
In India, interim orders may be passed by civil courts in matters before them. Such orders can be passed either under the Specific Relief Act passed by the Parliament of India in 1963 or in terms of Section 151 of the Civil Procedure Code of 1908, which recognises and retains some inherent powers with the civil courts. However the latter provision is usually seldom exercised. In terms of the 1963 Act,[2] an interim order may be passed by the court only if the following conditions are satisfied;
1.Where there is a prima facie case in favour of the party seeking the order,
2.Irreparable damage may be caused to the party if the order is not passed and such damage may not be ascertained in terms or money and payable as damages, and
3.Where the balance of convenience lies with the party requesting for the order.
दो रोटी के वास्ते, मरता था जो रोज रोज ,
ReplyDeleteआज उसी के मरने पर उसके हुआ, देशी घी का भोज..
KAASH Kuch dino ke liye…
ReplyDeleteDUNIYA Chod Jaana Mumkin Hota……….
Suna HAi LOG Bahut YAAD karte Hai……
Duniya se Chale Jaane ke BAAD
Thik
ReplyDeleteYe sala akalles sur chakks hi hai
ReplyDeletes.p. rajniti ke itihas se aise gayab hone wali hai jaise gadhe ke ser se seeng ..... job nahi to vote nahi.
ReplyDeleteSupremcourt se bade nahi hai mullamulayam jitana der karenge utana hi ghusega inke under kyoki tet,academic, shikshamitra sabhi ke dhusaman ban gya hai ye gov.jai maa vindhyavasini, jai baba vishwanath sada sahay.
ReplyDeletetet morcha ko chahiye ki state lavel ki commitee ab sarkar se do took bat kre ki jaldi bharti ka pratav laye anyatha election me virodh jhelne ko taiyyar rhe bharti to court k dwara der saber hi sahi kra lenge pr ab bhi samay h akhilesh k pas vrna fir aisa pachtayega ki kabhi jivan bhar aisi galti nhi krega praveshbhargava
ReplyDeleteटेट साथियों दैनिक जागरण की न्यूज से परेशान न हों । संबंधित पत्रकार महोदय ने कानूनी जानकारी के अभाव मे 25 मार्च के अंतरिम आदेश के खिलाफ सरकार द्वारा पुनर्विचार याचिका डाले जाने की संभावना व्यक्त की है । सच्चाई यह है कि sc मे अंतरिम आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका नही डाली जा सकती । अगर कोर्ट खुद चाहे तो अपने अंतरिम आदेश को बदल सकता है ।
ReplyDeleteअंतरिम आदेश बदलने का अधिकार भी केवल उसी बेँच को अगली सुनवाई होने पर है जिसने वह अंतरिम आदेश दिया था ।
ReplyDeleteभारत के इतिहास मे अपने जैसा बड़ा कोई अंतरिम आदेश शायद ही आज तक बदला गया हो । कोर्ट सोच समझकर फैसले देते है ।
ReplyDeleteहमारे मामले मे कोर्ट को अगर हाई कोर्ट के आदेश मे जरा भी बदलाव की गुंजाइश होती तो 84 दिन मे संबंधित आदेश का पालन करते हुए एक दो नही पूरे 72825 शिक्षकों की भर्ती हर हालत मे पूरी करने का आदेश कदापि नही देती ।
ReplyDeleteवैसे यह भर्ती मीडिया को नही सरकार को करनी है । विभाग अपना काम कर रहा है । भर्ती की औपचारिक घोषणा तब तक संभव नही जब तक कैबिनेट द्वारा 15 वाँ संशोधन निरस्त कर 12 वाँ संशोधन बहाल नही किया जाता ।
ReplyDeleteयह काम सरकार करेगी भी मगर कब इसके बारे मे कोई कुछ भी कहने मे सक्षम नही है मगर भर्ती 84 दिन मे हर हालत मे पूरी होगी । खुश रहे निश्चिँत रहे अखबारों की सोच को हँसकर टाल दे उन्हे बार बार पढ़कर अपना रक्त चाप न बढ़ाएँ ।
ReplyDeleteआपके अगर टेट मे अंक अच्छे है तो आपको जुलाई मे नियुक्ति अवश्य मिलेगी । इनसे निपटने के लिए न्याय के देवता माननीय दत्तू सर हैं न !!
ReplyDeleteWhen you lose something, it just means that you deserve better. be patient.
ReplyDeleteमहाभारत काल में विमान होने का एक और प्रमाणित सबूत मिला .
ReplyDelete*******************************************
मित्रों अफगानिस्तान के बाद अब रोमानिया में भी महाभारतकालीन विमान का सबूत मिला है। रोमानिया में एक छोटा सा शहर है Aiud , यहाँ से कुछ मील की दुरी पर Mures नदी के पास खुदाई ...के दौरान लगभग चतुर्भुज आकृति तथा मिश्र धातु की एक कील मिली।
शोधकर्ता Boczor Iosif जांच की और बताया कि कील रेत में 35 फीट नीचे से निकली गयी है
Lars Fischinger और उनके एक सहयोगी, डा. Niederkorn, ने इस पर रिपोर्ट पेश की तथा Institute for Research and Design संस्थान में कील का विश्लेषण किया।
उन्होंने बताया की ये कील मिश्र धातु अर्थात 12 अलग-अलग धातुओं से बनी है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार उस कील में एल्यूमीनियम 89% "6.2% तांबा / सिलिकॉन 2.84% / 1.81% / जस्ता 0.41% का नेतृत्व / टिन 0.33% / zirconium 0.2% / 0.11% / कैडमियम 0.००२४% निकल / / 0, 0023% कोबाल्ट / विस्मुट ०.०,००३% /
0.0002% चांदी और Galium के निशान." हैं
परीक्षण के परिणामस्वरुप शोधकर्ताओं हैरान थे की रोमानिया में एल्यूमीनियम को बनाना 1800 के बाद सिखा और इसे बनाने की लिए 1000 डिग्री फेरनहाइट तापमान की जरूरत भी पड़ती है फिर ये चीज है कहाँ से .
और जब ये कील मिली तो इसकी उम्र लगभग 400 वर्ष पुरानी आकी जा रही थी लेकिन जब इसका कार्बन 14 परिक्षण किया गया तो पता चला की ये कील तो 11,000 B.C.E. तक साल पुरानी है। जो विमान युग समय से मेल खाता है। तथा इसकी पहचान विमान के गियर के रूप में हुई जब विमान नीचे उतरता था तो ये कील उसे सपोर्ट देती थी।
1995 रोमानिया के एक और शोधकर्ता Florian Gheorghita, दो अलग प्रयोगशालाओं the Archaeological Institute of Cluj-Napoca and an independent Swiss lab में द्वारा दुबारा फिर इस कील की जांच की गयी और वही परिणाम सामने आये। Gheorghita अपनी पुस्तक Ancient Skies में लिखा है की कि यह एक विमान
लैंडिंग गियर का हिस्सा था।Aiud की रहस्यमय कील एक विमान लैंडिंग गियर का एक टुकड़ा है जो कि कुछ 11,000 साल पहले एक विमान गिर गया था।
जब दुर्योधन (कॉंग्रेस) को लगा की वो अपने दम पर अर्जुन (मोदी) को परास्त नहीं कर सकता तो उसने कर्ण (आप) से दोस्ती कर ली और उसे अंग देश (दिल्ली) का राजा बना दिया, इस अहसान के बदले कर्ण , दुर्योधन और उसके साथियों (शीला गवर्नमेंट) के अधर्म(करप्षन) की तरफ अपनी आँखें बंद कर लीं और इस अधर्म को छुपाने और खुद को दानवीर कहलाने केलिए अपनी हैसियत से ज़्यादा दान (सब्सिडी) दिया और दुर्योधन (कॉंग्रेस) को विजयी बनानेकी पूरी कोशिश की.
ReplyDeleteइस धर्म युद्ध मे भीष्म और द्रोण (मीडिया) ने भी इस गठजोड़ का साथ दिया! लेकिन जनता जनार्दन (कृष्ण) ने अर्जुन (मोदी) का साथ नहीं छोड़ा और ये तो सर्व विदित है की अंत में जीत उसी कि होती है ...जिसके साथ जनार्दन (कृष्ण) होते हैं!
When you love someone, you defend them even when you know they’re wrong. When you love someone, you protect their life, even if you have to risk yours to do it. When you love someone, you would give anything just to see them smile. When you love someone you would be willing to give up everything for them,
ReplyDeleteमृत्यु एवं मोक्ष में क्या अंतर है?
ReplyDeleteसास ख़त्म हो जाये और तमन्ना बाकि रह जाये तो मृत्यु है...
और सास बाकी रहे और तमन्ना ख़त्म हो जाए तो मोक्ष है...!
नजर अंदाज करों
ReplyDeleteउन लोगों को
जो आपकी पीठ पीछे
आपके बारे में
बातें करते है...
क्योंकि
वे उसी जगह है,
जहाँ वे रहने के लायक है....
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.यानी आप के पीछे...
हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में,
ReplyDeleteपर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं..
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं..
सारे रिश्तोंको तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं..
सारे नाम मोबाइल में हैं,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं..
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं..
आखों में है नींद भरी,
पर सोने का वक़्त नहीं..
दिल है ग़मो से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नहीं..
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
की थकने का भी वक़्त नहीं..
पराये एहसानों कीक्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा,
की हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं .......
मुझे दुश्मनों से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है,
ReplyDeleteसर किसी का भी हो,
कदमों में झुका हुआ अच्छा नहीं लगता |।।
एक छोटा बच्चा एक
ReplyDeleteबड़ी दुकान पर लगे
टेलीफोन बूथ पर जाता हैं और मालिक से छुट्टे पैसे लेकर एक नंबर डायल करता हैं।
दुकान का मालिक उस लड़के को ध्यान से देखते हुए उसकी बातचीत पर ध्यान
देता हैं -
लड़का - मैडम क्या आप मुझे अपने बगीचे
की साफ़ सफाई का काम देंगी ?
औरत - (दूसरी तरफ
से) नहीं, मैंने एक दुसरे लड़के को अपने बगीचे का काम देखने के लिए रख लिया हैं।
लड़का - मैडम मैं आपके बगीचे का काम उस लड़के से आधे वेतन में करने को तैयार हूँ!
औरत - मगर जो लड़का मेरे बगीचे का काम कर रहा हैं उससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूँ।
लड़का - (और ज्यादा विनती करते हुए) मैडम मैं आपके
घर की सफाई भी फ्री में कर दिया करूँगा!!
औरत - माफ़ करना मुझे फिर भी जरुरत नहीं हैं।
धन्यवाद।
लड़के के चेहरे पर एक मुस्कान उभरी और उसने फोन का रिसीवर रख दिया।
दुकान का मालिक जो छोटे लड़के की बात बहुत ध्यान से सुन रहा था वह लड़के के
पास आया और बोला - "बेटा मैं तुम्हारी लगन और व्यवहार से बहुत खुश हूँ, मैं तुम्हे
अपने स्टोर में नौकरी दे सकता हूँ"।
लड़का - नहीं सर मुझे जॉब की जरुरत नहीं हैं!
आपका धन्यवाद।
दुकान मालिक - (आश्चर्य से) अरे अभी तो तुम उस लेडी से
जॉब के लिए इतनी विनती कर रहे थे !!
लड़का - नहीं सर, मैं
अपना काम ठीक से कर रहा हूँ कि नहीं बस मैं ये चेक कर
रहा था, मैं जिससे बात कर रहा था, उन्ही के यहाँ पर जॉब करता हूँ।
बचपन में मेरी एक गन्दी आदत थी, मैं
ReplyDeleteपापा के पर्स से चुपके
से
कभी कभी पैसे निकाल लेता था। जब
दूसरी कक्षा में
था तो पापा के पर्स के सिक्के वाले हिस्से
से हर सोमवार
को एक रुपैया चुरा के स्कूल के बाहर खोमचे
वाले से WWF
के
पोस्ट-कार्ड खरीदता था।
धीरे धीरे मेरी आदत थोड़ी और बिगड़ी,
जब
पांचवी कक्षा में
था तो बगल में बैठने
वाली लड़की को महीने में एक बार
कैंटीन में
फाउंटेन पेप्सी और समोसा खिलने के लिए
नियमित तरीके
से 11
रुपये चुराने लगा।
...
पिता जी भी इतना ध्यान नहीं देते थे,
उनका पर्स
कभी ढंग से
नहीं रखा रहता था। नोट टेढ़े मेढे पड़े
रहते थे,
पापा कभी गिनते
भी नहीं थे की कितने पैसे हैं पर्स में।
मेरी ये आदत इस वजह
से
कभी टूटी नहीं।
जब मैं दसवी कक्षा में पहुंचा तो मेरे शहर में
पहली बार
मल्टीप्लेक्स खुला। सारे दोस्त लार्ड ऑफ़
द रिंग्स देखने
जा रहे थे। उस दिन मैंने पिता जी के पर्स
से सीधे
दो सौ रुपैये
मारे। फिल्म तो बहुत अच्छी थी, पर उस
दिन अचानक मुझे
लगा की मैं क्या गलत करता जा रहा हूँ।
तीन दिन तक मैंने पापा से नज़र तक
नहीं मिलायी।
पिता जी आज भी इतना ध्यान नहीं देते,
पर्स
अभी भी अस्तव्यस्त रहता है। आज
मेरी नौकरी लग
गयी है,
पिता जी के पर्स से आखिरी बार
पैसा चुराए हुए मुझे दस
साल
से ऊपर हो गए हैं।
अब मेरी नौकरी लग गयी है, और अब
कभी कभार
पापा की पर्स में
चुपके से एक पांच सौ का नोट डाल देता हूँ .
जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत
ReplyDeleteबड़ी हुआ करती थी..मुझे याद है मेरे घर से
“स्कूल” तक
का वो रास्ता,क्या क्या नहीं था वहां, चाट के
ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले,सब
कुछ,अब वहां “मोबाइल शॉप”,
“व्यूटी पार्लर” हैं,फिर भी सब सूना है..शायद
अब दुनिया सिमट रही है…///
जब मैं छोटा था,
शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.मैं हाथ में
पतंग की डोर पकडे,घंटो उडा करता था,
वो लम्बी “साइकिल रेस”,वो बचपन के खेल,
वो हर शाम थक के चूरहो जाना,अब शाम
नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात
हो जाती है.शायद वक्त सिमट रहा है..//
जब मैं
छोटा था, शायद दोस्ती बहुत
गहरी हुआकरती थी,दिन भर वो हुज़ोम बनाकर
खेलना, वो दोस्तों केघर का खाना,
वो बातें, वो साथ रोना, अब भी मेरे
कई दोस्त हैं,पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब
भी “ट्रेफिक सिग्नल”पे मिलते हैं “जय श्री राम” करते हैं,
और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,होली,
दिवाली, जन्मदिन , नए साल पर बस SMS आ
जाते हैं शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..//
जब मैं
छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करते
थे,छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट थे
केक,टिप्पी टीपी टाप.अब इन्टरनेट, ऑफिस,
हिल्म्स, से फुर्सतही नहीं मिलती..शायदज़िन्दगी बदल रही है....जिंदगी का सबसे
बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कब्रिस्तान के
बाहर बोर्ड पर लिखा होता है.“मंजिल
तो यही थी, बस
जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते
“...जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.कल की कोई बुनियाद नहीं है और आने वाला कल
सिर्फ सपने मैं ही हैं.अब बच गए इस पल मैं..
तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी मैं हम सिर्फ भाग रहे हैं.. इस जिंदगी को जियो न की काटो..!
विनाश काले विपरीत बुद्धि-
ReplyDeleteमित्रोँ सपा सरकार के वोट बैँक मेँ आज फिर 1.25 लाख वोट की कमी हुयी !!
एक बार भारत पाकिस्तान में
ReplyDeleteझगडा हो गया तो बीच में एक
दीवार बना दी गयी!
भारतीय आर्मी वाले बोर हो गए
तो सोचा चलो आज
पाकिस्तानियोँ की क्लास
लेते हैँ.
तो एक भारतीय सैनिक पप्पू ने
दीवार पर
चढ़ के आवाज़ लगाई :
"अफरीदी कौन है?"
पाकिस्तानी :"मैं"
पप्पू ने उसे तुरन्त
गोली मार दी.
अगले दिन फिर से पप्पू ने
आवाज़ लगाई : "हाफ़िज़ कौन है ?"
पाकिस्तानी :"मैं"
पप्पू ने उसे भी गोली मार दी.
ऐसे चार पाँच दिन तक
चला तो पाकिस्तान वाले बोले
की इज्ज़त की वाट लग
गयी है. कुछ
तो करना पडेगा !!!!!!
अगले दिन ....
.
.
.
.
.
.
.
.
पाकिस्तानी दीवार पर चढ कर
चिल्लाया :
"पप्पू कौन है ?"
भारतीयों में से कोई
नहीं बोला.
पाकिस्तानियों ने कई
दिनों तक ऐसे आवाज़ लगाई, पर
भारतीयों ने कोई जवाब
नहीं दिया..
.
.
.
तो हार कर पाकिस्तानी चुप
होकर बैठ गए.
अगले दिन दीवार पर चढकर
पप्पू चिल्लाया : "पप्पू
को कौन-कौन बुला रहा था..?"
पाकिस्तानी बोले : "मैं" मैं मैं मैं
पप्पू ने उन सभी को गोली से
उडा दिया.
Moral...बाप बाप होता है और
बेटा बेटा!!
लातों के भूत बातों से नहीं मानते जब सुप्रीम कोर्ट की लात पड़ेगी तब आयेंगे सपा के भूत लाइन पर ।
ReplyDeleteअभी एक और बाकी है ,
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
शाम को जिस वक्त खाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं
जानता हूँ रेत पर वो चिलचिलाती धूप है
जाने किस उम्मीद में फिर भी उधर जाता हूँ मैं
सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूँ कभी
और कभी अपने ही साये से भी डर जाता हूँ मैं
ज़िन्दगी जब मुझसे मजबूती की रखती है उमीद
फैसले की उस घड़ी में क्यूँ बिखर जाता हूँ मैं
आपके रस्ते हैं आसाँ, आपकी मंजिल करीब
ये डगर कुछ और ही है जिस डगर चलता हूँ मैं
"जल्दी" की परिभाषा बदल दीजिए अखिलेश जी !
ReplyDeleteवरना लोग तुमको ही बदल देंगे ॥
कहीं भी लाइन मारने के बहुत से तरीके होते हैं,
ReplyDeleteजिनमें से 3 प्रसिद्ध हैं;
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
1. पेंसिल से
2. पेन से
3. मार्कर(Marker) से
अच्छा सोचो दोस्तों,
कुछ लोग मेरे जैसे ईमानदार भी हैं इस जहाँ मे ॥
"सब मुझे ही क्योँ कहते हैं कि तू भूल जा उसे ,
ReplyDeleteकोई उसे क्यों नहीं कहता कि वो ही मेरी हो जाये..."
हमारे कुछ साथियों का विचार है कि हमें किसी भी हालत में सपा के पास नहीं जाना है चाहे हमारी नियुक्ति में कितनी भी देर क्यों ना हो जाए,,,कुछ लोगों को तो सपा सरकार के सत्ता से बाहर जाने का इन्तजार करने में भी आपत्ति नहीं है,,,उन्हें यकीन है कि यदि सरकार हर हाल में 12 हफ़्तों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं करती तो सचिव जेल चले जायेंगे इसलिए हमें हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहना चाहिए ,,,लोकतंत्र में सभी को अपना-अपना मत व्यक्त करने का अधिकार है.....
ReplyDeleteमेरा निजी मत यह है कि हमारा मामला शुद्द राजनीतिक है और कोर्ट से जीतने के बावजूद टेट विवाद के निर्णायक एवं स्थाई समाधान के लिए राजनीतिक वार्ता की आवश्यकता है,,,इसमें कोई दोराय नहीं है कि 12 हफ़्तों के भीतर सरकार को हर हाल में चयन की पहली सूची जारी करनी ही होगी लेकिन यह भी निश्चित है कि यदि सरकार इसी तरह उदासीनता दिखाती रही तो अंतिम सूची आने में एक-दो साल लग सकता है,,,,
ReplyDeleteऔर यदि सरकार सक्रियता दिखाए तो आन लाइन काउंसिलिंग से यही काम जुलाई से पहले संपन्न हो सकता है,,, राजनीति में ना तो कोई किसी का स्थाई मित्र होता है और ना ही स्थाई शत्रु,,, स्थाई तो सिर्फ स्वार्थ होते हैं,,
ReplyDeleteक्या कोई व्यक्ति इस बात की गारंटी ले सकता है कि सरकार बनाने में सांसदों की संख्या कम पड़ने पर नरेन्द्र मोदी जी भी सपा का समर्थन लेने से मना कर देंगे ?
ReplyDeleteमैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूँ कि टेट संघर्ष मोर्चे का गठन टेट मेरिट से 72825 पदों पर चयन कराने के लिए हुआ था ना कि किसी राजनीतिक दल का समर्थन या विरोध करने के लिए,,,
ReplyDeleteयह भी सच है कि यदि सपा सरकार चाहती तो सत्ता में आते ही हमारी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर सकती थी लेकिन उससे भी बड़ा सच यह है कि यदि बसपा सरकार चाहती तो सत्ता से जाने से पहले हमारी प्रक्रिया समाप्त कर सकती थी,,,
ReplyDeleteराजनेता चाहे किसी भी दल के हों कभी किसी के सगे नहीं होते इसलिए इनसे अपना काम करवाने के लिए इनकी तरह ही सोचना होगा,,,
ReplyDeleteटेट मेरिट के हित में जो भी किया जाना आवश्यक हो वो अपनी ego को त्यागकर किया जाना चाहिए,,,हमारे-आपके समर्थन(का ड्रामा) करने से लोकसभा की एक भी सीट का परिणाम प्रभावित नहीं होने वाला है ....
ReplyDeleteवर्तमान हालात में श्रेष्ठ रणनीति यही है कि सभी जिला इकाइयाँ अपने-अपने क्षेत्र के सपा प्रत्याशी और सपा जिलाअध्यक्ष का समर्थन पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय फैक्स करवाएं उधर गणेश दीक्षित लखनऊ में अभिषेक मिश्रा से संपर्क बनाए ही हुए हैं,,,संगठन के विरोध एवं 6 को lower pcs के पेपर के कारण अभिषेक मिश्रा के समर्थन में आयोजित मीटिंग स्थगित कर दी गई थी ,, उम्मीद करता हूँ कि संगठन के बुद्धिमान सदस्य एवं नेता स्थिति की नाजुकता को समझकर यथार्थवादी रवैया अपनाएंगे,,
ReplyDeleteआन्दोलन की फिलहाल कोई आवश्यकता नहीं है और ना ही आचार संहिता के दौरान यह संभव ही है ,,, गणेश से हुई अब तक की वार्ता में अभिषेक मिश्रा ने सहयोगात्मक रवैया ही प्रदर्शित किया है,इस सरकार में सिर्फ अभिषेक मिश्रा ही ऐसे मंत्री हैं जिनकी बात अखिलेश यादव सुनते हैं ,,,
ReplyDeleteयदि किसी को इस रणनीति को अपनाए जाने से एतराज है तो वो लखनऊ में आयोजित होने वाली मोर्चे की मीटिंग में आकर वैकल्पिक रणनीति बताये अन्यथा अपने आपको टेट संघर्ष मोर्चे से बाहर समझे और घर पर बैठकर acd वालों के साथ विधवा विलाप करे क्योंकि टेट संघर्ष मोर्चा टेट मेरिट से नियुक्ति पत्र वितरित करवाने तक संघर्ष करने के लिए गठित हुआ है ना कि हाथ पर हाथ धरकर बैठने के लिए ....
ReplyDeleteऔर हाँ एक बात और
ReplyDeleteअगर यहाँ आपको कभी मेरी कोई बात समझ मेँ न आये तो
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
तो समझ लेना चाहिये कि बात बडे स्तर की हो रही है ।
जिस तरह फेयर एण्ड लवली टीवी पर लोगों को एक हफ्ते में गोरा बनाती है, उसी तर्ज पर मोदी जी टीवी पर खुशहालियां बांट रहे है। और जितने लोग फेयर एंड लवली की तरह आंतरिक रूप से गोरे हुए हैं वो तो मोदी जी को ही लाएंगे।
ReplyDeleteएक बार दो दोस्त गोरखपुर से कानपुर जा रहे थे।
ReplyDeleteडिब्बे में भीड़ ज्यादा थी तो उन्हें सीट नहीं मिल रही थी तो सीट के लिए उन्हें शरारत सूझी।
उन्होंने अपने बैग से रबड़ का एक सांप निकाला और चुपके से डिब्बे में छोड़ दिया और चिल्लाने लगे।
सांप... सांप!
थोड़ी देर में डिब्बा खाली हो गया और उन्होंने जल्दी से बिस्तर जमाकर जगह रोक ली।
सुबह जब आंख खुली, तो पांच बजे थे और गाड़ी किसी स्टेशन पर खड़ी थी।
उन्होंने खिड़की से बाहर झांककर रेलवे के कर्मचारी से पूछा: यह कौन सा स्टेशन है?
जवाब मिला: गोरखपुर ! ?
.
उन्होंने पूछा: क्या गाड़ी कानपुर नहीं गई?
कर्मचारी बोला: गाड़ी दिल्ली गई, लेकिन गाड़ी में सांप निकलने के कारण इस डिब्बे को काट दिया गया।
हमें जीवन में जो कुछ नहीं मिल पाया उसके लिये ईश्वर से शिकायत करने से बेहतर है कि जो कुछ ईश्वर ने दिया है उसके लिये प्रभु को धन्यवाद दें, यही है सुखी जीवन का एकमात्र रहस्य....!!
ReplyDeleteLet them miss you. Sometimes when you're always available, they take you for granted because they think you'll always stay.
ReplyDeleteArranged Marriage -
ReplyDeleteRs.6,00,000 Shadi
Rs.4,00,000 jewellry
Rs.50,000 Shadi ki Rasme
Total- Rs.10,50,000
Love Marriage -
Rs.100 ka Stamp paper
Rs.20 Notary
Rs.50 ki Varmaala
Rs.20 ka Photo
Total- Rs.190
......
"Paisa Aapka
Pasand Aapki
Faisla Aapka"
Jaago grahak jago,
Lover ke saath raho!!
मित्रोँ सीतापुर जनपद से खबर मिल रही है कि फार्म की छटाई का काम जारी है, अगले दो-तीन दिनो मेँ हमेँ प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी है ।
ReplyDeleteNews source U.K. Tivari, Shivkuti, Allahabad.
भारतीय जनता पार्टी(BJP) से यदि कठिन कार्य कराने हो तो मोदी को 272+ MP सीट दिलाना ही पड़ेगा। जैसे... तो हमें एक सरल काम करना ही पड़ेगा !
ReplyDelete1 - यदि आतंकवावद को समाप्त करना है।
2 - यदि कश्मीर में धारा 370 समाप्त करना है।
3 - यदि 24 घन्टे बिजली चाहिए।
4 - यदि नहरो का जाल बिछाना है।
5 - यदि गंगा, जमुना आदि सभी नदियो को प्रदूषण मुक्त करना है।
6 - यदि रक्षा उपकरणों का निर्माण व निर्यात करना है।
7 - यदि देश को स्वावलम्बी व देशवासियो को रोजगार देना है।
8 - यदि पाकिस्तान के आतंकवादी केन्द्रो को इसरायल की तरह समाप्त करना है।
9 - यदि कश्मीरी विस्थापितो को पुनः घाटी में बसाना है।
10 - यदि अमरनाथ यात्रा आगे भी करनी है।
11 - यदि अमर शहीद जवानो, तिरंगे और वंदे मातरम का सम्मान बनाये रखना है।
12 - यदि गौ हत्या बंद करवानी है।
13 - यदि अपनी बहनो कि आबरू को सुरक्षित रखना है।
14 - यदि देश और धर्म को बचाये रखना है।
हाँ अगर आप ऐसा चाहते हो तो उसके लिए हर एक हिन्दुस्तानियो को एक होकर मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाना ही होगा ।
वजपायी जी का कार्यकाल स्वर्णिम था अब मोदी जी अवसर देना है जिससे की काँग्रेस के 10 साल की गड्ढो को भरा जाए और भारत की स्वाभिमान की रक्षा हो ।
अबकी बार मोदी राज
गुजरात मे तो हर साल दंगे होते है, वहां हजारो लोग
ReplyDeleteछोटे छोटे
डंडे लेकर एक दुसरे को मारते है; सोनिया गांधी
तभी भीड से आवाज आई, अरे मैडम
वह दंगे नही, नवरात्री मे लोग डांडिया
खेलते है।
Let them miss you. Sometimes when you're always available, they take you for granted because they think you'll always stay.
ReplyDeleteएक बार फिर से माहोल में बैचनी हो गयी है, लेकिन जैसा लग रहा है वैसा नही है, मतलब भर्ती ना होने का डर दिमाग से बिल्कुल निकाल दे, अगर थोडा और लेट हो तो भी,,,,,,.......
ReplyDeleteFirst April,
ReplyDeleteयानि मुरख दिवस........हमने खूब धूम -धाम से मनाया .....लेकिन आने वाली ......10 अप्रैल...... समझदारी दिवस है। इसलिए उस दिन समझदारी...... से अपना वोट.....डालें....अगर एेसा हुआ तो.... देश की दशा व दिशा बदल जाएगी।
एक बार एक आदमी सड़क किनारे बैठ कर
ReplyDeleteबीड़ी पी रहा था,
तभी वहां संता आता है और उस आदमी से कहता है,
"भाई, नशा करना छोड़ दो और मेरे साथ चलो मै तुम्हे
दिखाता हूँ
ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है!"
उस आदमी ने बीड़ी फेंक दी और संता के पीछे चल
दिया!
थोड़ी और आगे जाने के बाद संता को और उस
आदमी को एक पठान मिलता है
जो की पेड़ के नीचे बैठ कर चरस पी रहा होता है,
उसको देख संता उससे भी कहता है,
"भाई, नशा करना बुरी बात है,
मेरे साथ चलो मैं तुम्हें दिखाता हूं
कि ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है!"
पठान भी चरस फेंकता है और संता के पीछे-पीछे चल
पड़ता है!
थोड़ी और आगे जाने के बाद संता को बंता दिखाई
देता है,
जो की शराब पी रहा होता है,
बंता को देख संता उससे भी कहता है,
" देखो भाई नशा करना बुरी बात है,
मेरे साथ चलो मैं तुम्हें दिखाता हूं
कि ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है!"
संता की बात सुन बंता अपना पैग मेज पर रख देता है
और संता को पीटने लगता है!
यह सारा तमाशा देख पठान को गुस्सा आ जाता
वह बंता से कहता, "तुम क्यों इस नेक इंसान को पीट
रहे
यह तो तुम्हारे भले के लिए ही कह रहा है!"
पठान की बात सुन बंता जवाब देता है,
" भला-वला गया भाड़ में,
.
.
इस साले ने कल भांग पीकर मुझे भी ऐसे ही 3 घंटे तक
सारे शहर में पैदल घुमाया था!
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
मुझसे बेहतर तो कई मिल जायेंगे तुझे मगर,,,,,
मैं तो कुछ भी नहीं....
.
ये बात अलग है कि-
हम हर पल तुम्हारे लिए ही
दुआएँ मांगते हैं।
सूचना । मीडिया खबरोँ का बंधा पुलिँदा ।
ReplyDeleteमाननीय उच्चतम
न्यायालय द्वारा तय समय सीमा
को दृष्टिगत रखते हुए
शासन ने भतीं के संदर्भ मेँ व्यापक दिशा निर्देश
तैयार कर लिया है !
स्त्रोत -सचिवालय
सोनिया राहुल से:
ReplyDelete"बेटा, इलेक्शन सर पे हे,
ज़रा ठीक से करो प्रचार...!!!"
राहुल: "मोम,
जब तय ही हो गई हे अपनी हार,
तो फीर काहे का प्रचार..
अबकी बार मोदी सरकार..!!"
If you’re not doing what you love,
ReplyDeletethen you’re wasting your time.
लखनऊ 05 अप्रैल 2014, भारतीय जनता पार्टी ने टी0ई0टी0 मेरिट धारक 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती सपा सरकार द्वारा टालने के प्रयास की तीखी आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता डा0 मनोज मिश्र ने सपा सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार अपने हितों को साधने के लिए टी0ई0टी0 धारक शिक्षकों की भर्ती को मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी टालने का कुचक्र रच रही है। यह कुचक्र टी0ई0टी0 मेरिट वाले शिक्षकों के ही विरूद्ध नही बल्कि शिक्षा मित्रों के विरोध मे भी है।
ReplyDeleteप्रवक्ता डा0 मिश्र ने कहा कि सरकार शिक्षकों के भर्ती के मामले को इसलिए लटकाये रखना चाहती है ताकि उनकी सरकार के हित में उपयोग किया जा सके। डा0 मिश्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि श्री मुलायम सिंह यादव की शिक्षा मित्रों को धमकी भी इसी कुचक्र का आभास कराती है। उन्होंने कहा कि जब शिक्षक मा0 उच्च न्यायालय और मा0 सर्वोच्च न्यायालय में जीत गये है तो ऐसा क्या कारण है कि सपा सरकार पुनरीक्षण याचिका दाखिल करना चाहती है? इस विषय को लटकाये रखने में सरकार का क्या हित है? सच बात तो यह है कि सरकार के निजी हित इस भर्ती प्रक्रिया से पूरे नही हो पा रहे है।
डा0 मिश्र ने आरोप लगाया कि पारदर्शी भर्ती मामलों में सपा सरकार फिसड्डी रही है। भर्ती के नाम पर युवाओं का मानसिक और भावनात्मक शोषण किया गया है। टी0ई0टी0 अभ्यार्थियों से वसूले गये अरबों रूपये सरकार इन बेरोजगार अभ्यर्थियों को तत्काल वापस करें। उन्होंने कहा कि सपा सरकार भर्ती प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार तो जोरदार तरीके से करती रही है परन्तु भर्ती नही हुई। ये सरकार युवाओं से हमेशा छल करती रही है।
(अनीता अग्रवाल )
प्रदेश सहमीडिया प्रभारी
Dainik Jagran bhai ne hamare dosto ko pareshan kar rakha hai . BHAI AGAR HAM MEDIA KE KAHNE SE CHALE HOTE TO HAMARE LIYE UPTET-2011 BACHA PANA HI MUSKIL HOTA . Bhai pareshan na ho aaj jo DAINIK JAGRAN ji ne kaha hai vo unka khud ka view hai na ki govnt ka . भाई एक बात गाठ बाध कर रख लीजिय कि ये भर्ती तो सरकार को at any rate 12 हफ्तो मे पूरी करनी ही पड़ेगी चाहे वो हँसकर करे या फिर रोकर । Fir bhi bhai ham soye huye nahi hai so that UPTET MORCHE ne 11 April din Friday ko Jiladhyaksho aur Active Members ki Ek Ati Mahatwapurn Meeting Lucknow me call ki hai jisme agami Kary Yojnao par vichar kiya jayega , Samay aur Sthan ki suchana sms ke dwara de di jayegi. जय टेट मेरिट जय ओल्ड एड । Aur haan ek baat hamare sathi kaan kholkar sun le ki ham ES ATYACHARI GOVNT KE AAGE GHUTNE NAHI TEKEGE aur ye Naukari Bhi lekar rahege.
ReplyDeleteTell it to her when she goes wrong, explain it to her when she doesn't understand, calm her down when she's mad, but never ever compare her to any other girl.
ReplyDeleteन्याय विभाग की स्पष्ट टिप्पणी" 72825 शिक्षकोँ की भर्ती अब टीईटी मेरिट पर हीँ सम्भव है" के बावजूद कुछ तकनीकि समस्याँए हैँ, जिससे शासनादेश मेँ कुछ विलम्ब हो सकता है, जैस-
ReplyDelete1. पुराने विज्ञापन के कुछ रिकार्ड्स का न मिलना ।
2. शुल्क वापस लेने वाले अभ्यर्थियोँ के लिए पुन: विज्ञापन ।
3. NCTE की समय सीमा
4. नये विज्ञापन मेँ सँग्रहित अपार धनराशि ।
5. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त मात्र 84-12=72 दिन ।
आदि ऐसे मुद्दे हैँ जिससे सरकारी महकमेँ मेँ भारी उथल-पुथल मचा हुआ है, फिर भी सचिवालय से प्राप्त सूचना के अनुसार, शासनादेश 15-04-14 के पूर्व जारी किया जा सकता है ।
मैंने प्रारंभ में ही स्पष्ट
ReplyDeleteकिया था कि सर्वोच्च अदालत ने
उत्तर प्रदेश सरकार अथवा बेसिक
शिक्षा प्रशासन को मजबूर कर
दिया है कि वह भर्ती करे।
उच्च न्यायालय में माननीय अशोक
ReplyDeleteभूषण जी ने बहुत ही शानदार
तरीके से अपने आदेश
की सुरक्षा की व्यवस्था की है।
अंतरिम आदेश जो कि प्राप्त हुआ
ReplyDeleteहै एक अंतरिम व्यवस्था है जिससे
कि नौनिहालों की शिक्षा बाधित न
हो अतः बिना निर्णायक आदेश आये
उसपर पुनर्विचार का सवाल
ही नहीं पैदा होता है।
वस्तुतः उस आदेश का पालन करते
ReplyDeleteही सरकार की SLP के कुछ प्रश्न
औचित्यहीन हो जायेंगे ।
सरकार evince/apprise एप्लीकेशन
के माध्यम से अपनी
SLP में उठाये गये प्रश्न फीस
वापसी के मुद्दे सहित तमाम
पहलुओं को स्पष्टरूप से अपने
पक्ष में बनाये रखना चाहती है।
जबकि आज की त्वरित सूचना के
अनुसार अंतरिम आदेश के अनुपालन
की विभागीय तैयारी अंतिम चरण
में है ।
अतः मीडिया अफवाहों को तवज्जो न
ReplyDeleteदेते हुए अपने चयन के मानक
को यदि अपने अनुरूप समझे तो फिर
चिंतामुक्त रहें।
जितना आसान
ReplyDeleteकिसी प्रक्रिया को समझा जाता है
उतना सरल नहीं होता है ।
धन्यवाद।
Friends- today we again met Dr abhishek mishra and he assured me that i have talked to chief minister and government will not file any review petition so do not worry about danik jagran news and very soon we get good news. jai tet merit
ReplyDelete।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
एक ही पल मेँ सौ बार तुझे याद किया है मैने !
खुदा की कसम बस इतना सा तुझे प्यार किया हैँ ॥
एक वो दौर था जब हम राहुल,सोनिया,मनमोहन के साथ साथ सारे कांग्रेसियो के उपर जोक बनाकर मजे लेते थे और आज तो बस केजरी की लेने में ही मजा आता है....
ReplyDeleteआवश्यक सुचना:
ReplyDelete।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
।
वोट डालने से पहले कमल
के फूल के सामने वाला बटन
दबाकर चेक कर लें
कि मशीन ठीक से काम कर
रही है या नही।"
जीवन सत्य
ReplyDelete(1) दुःख केवल तीन बातों में है :- हम जो चाहते हैं वह मिलता नहीं. जो मिलता है वह भाता नहीं. जो भाता है वह रहता नहीं.
(2) सांसारिक जीवन में सुख से भले ही कोई बच गया हो परन्तु दुःख से कोई नहीं बचा.
(3) ये संसार गहरा जल परमात्मा हमें गहरे जल में धोने के लिए धकेलता है डुबोने के लिए नहीं.
(4) जब नाश निकट होता है तो बुद्धि बिगड़ जाती है और मनुष्य सन्मार्ग से हट जाता है.
(5) यदि आप चाहते हो कि मरने के पश्चात् संसार आपको जल्दी न भूल जाये तो या तो पढने योग्य कुछ लिख जाओ या फिर लिखने योग्य ही कुछ कर जाओ.
(6) क्रोध मुर्खता से आरम्भ होता है और पश्चाताप में समाप्त होता है. क्रोध एक प्रकार की अग्नि है जो पहले उसी को जलाती है जहाँ से आरम्भ होती है.
(7) हृदय की गहराई तथा तीब्र भावना से की गई प्रार्थना, थोड़े समय मेँ ही व्यक्ति के आंतरिक जीवन को रूपांतरित कर सकती है.
(8) अच्छा आदमी सदैव शांत और कम बोलने वाला होता है.
(9) हम अपने अवगुण ही दूसरों की आँख से देख सकते हैं.
(10) सभी धर्मोँ का सार सुनो, सुनकर उसे धारण करो. जो आचरण अपनी आत्मा के प्रतिकूल हो उसे दूसरो के प्रति भी न करो.
और अंत में
"परिस्थितियां मनुष्य के बस में नहीं हो सकती, परन्तु उसका आधार उसके अपने हाथों में है"
first of all thanks umashankar g hamare himmat badhane k liye dusra mujhe lagta h ki agar gov tet merit k khillaf h to ab wo 3 tarah se hum logo ko rokne ki kosis ker rehi h 1.abhi gov 29apr ki ummid m h ki kuch achha hoga jo ki muskil h. 2.kaise bhi kerke bas time paas kerna jiska ab koi uske paas reason nahi h. 3.acd and 2012 waalo ko saath laker hum logo ko sc m hi uljhaye rakhe jo ho hi nahi sakta agar aisa ho sakta to abhi tak hum log hc m hi case lad rahe hote
ReplyDeleteagar m galat hu to pls aap sab apne thoughts rakhe
ReplyDelete!!…Chal Tujhe dikha Doon Apne Dil ki Veeran Galiyan…!!
ReplyDelete!!…Shayad ki Tujhe Taras Aa Jaye Meri Udaas Zindagi Par…
शिक्षक भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी
ReplyDeleteदयानंद शर्मा, चंडीगढ़ : हरियाणा में 322 दिन में
शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी न होने पर सुप्रीम
कोर्ट ने अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए
हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वो शिक्षक
भर्ती से संबंधित मामलों में जल्दी फैसला दे
ताकि भर्ती में विलंब न हो। कोर्ट ने विभाग
को भी तेजी से नियुक्तियां देने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 मार्च 2012
को यह निर्णय दिया था कि नियमित
शिक्षको की भर्ती 322 दिन की तय समय सीमा में
पूरी की जाए लेकिन आदेशों पर दो साल बीतने पर
भी पूर्ण अमल नहीं हो पाया। शिक्षक भर्ती में
सरकार के रवैये से खफा होकर पात्र अध्यापक संघ
ने 2012 में अवमानना याचिका दाखिल कर दी जिस
पर सुनवाई चलती रही। अवमानना याचिका में आरोप
था कि सरकार अतिथि अध्यापकों को बनाए रखने के
फेर में जानबूझ कर भर्ती में धीरे-धीरे कदम
उठा रही है। अवमानना याचिका में सुरीना राजन,
वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव शिक्षा विभाग, डी.
सुरेश, निदेशक मौलिक शिक्षा विभाग, निदेशक
सेकेंडरी एजूकेशन, चैयरमेन व सचिव भर्ती बोर्ड
को पक्ष बनाया गया था। सभी पक्षो ने अपने
जवाब में भर्ती में देरी का कारण हाईकोर्ट में स्टे
लगने व लंबित मामलों को बताया। सुप्रीम कोर्ट के
जस्टिस एसएस निज्जर व जस्टिस एके सिकरी पर
आधारित खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए
हाईकोर्ट को निर्देश
दिया कि वो भर्ती संबंधी मामलों पर तेजी से
फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्देशों से अब
जेबीटी व पीजीटी के शेष तीन विषयों के मामले
जल्दी निपटने के आसार प्रबल हो गए है। इस फैसले
से ज्वाइनिंग के लिए इंतजार कर रहे
पीजीटी भर्ती के कुछ बाकि बचे
उम्मीदवारों की नियुक्ति भी जल्दी हो सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्देशों से पात्र
अध्यापकों को सरकारी नौकरी का सपना जल्द साकार
होने की उम्मीद बंधी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशो के
चलते अब आचार संहिता भी आड़े नहीं आएगी।
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
Mein Pareshaan hun Zindagi aur maut se ,
Kal zindagi ko manaya aaj maut rooth baithi hai.
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
न गरज़ किसी से, न वास्ता, मुझे काम अपने काम से...
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से, तेरी याद से, तेरे नाम से...!!!!
ट्राफिक के नियम कानून लड़के ही तोड़ते हैं ...
ReplyDelete.
.
.
.
.
.
.
.
.
लड़कियां तो नियम् कानून जानती ही नहीं हैं तोड़ेंगी क्या ¡
सपा के समर्थन करने पर कोन है जो जल्द जॉब की गारंटी ले रहा है...??????
ReplyDeleteयदि सपा हमे 2012के प्रारंभ में ही जॉब दे देती तो में पूरी जिंदगी इसे वोट देता, और इसका कट्टर समर्थक बनकर कार्य करता।
लेकिन अब नही...!!!!!!!
ये जॉब हमे कड़े संघर्ष के बाद मिल रही है सपा ने कोई कसर नही छोड़ी थी हमे लूटने और पीटने में, कितनी बार हमने इन लोगो के सामने याचनाए की, कितनी लम्बी पद यात्राये की, ना जाने कितने घरो के चिराग बुझ गये, ना जाने कितनो के बच्चो के पालनहार चले गये, ना जाने कितनो के गहने/घर गिरवी पड़े है, हर दिन लोग यहाँ मर-मर के जी रहे है। ऐसी पार्टी को समर्थन देना तो दूर सोचना भी पाप है।
ReplyDeleteऔर रही रणनीति की बात तो इस खेल में ये हमसे भी बड़े खिलाडी है। जनता को मुर्ख बनाया जा सकता है, हराने वालो को नही।
ReplyDeleteइस समय एक ही कार्य जो मुझे उचित लगता है वो ये है कि "हमे सपा के सभी लोक सभा प्रत्यासियो को एक साथ सभी जगह एक बड़ी भीड़ के साथ अपने बजूद का अहसास करते हुए उन्हें भर्ती अतिशीग्र पूरी करवाने में सहयोग करने का लैटर थमा देना चाहिए और सहयोग ना करने पर उनके व्यापक विरोध की चेतावनी दी जाये। गुंडों से गुंडों की भाषा में ही बात करना बुधमानी है, बहुत हो चुकी याचनाए।
ReplyDeleteऔर रही जॉब की बात तो जब HC/SC का आदेश हमारे साथ है तो जॉब मिल ही जाएगी लेकिन अब जब तक सपा का पूर्ण विनाश ना हो जाये मुझे सुकून नही मिलेगा। टेट संघर्ष मोर्चा विरोध करे या ना करे मैं
ReplyDeleteMr. T. M. N. T. B. N.
व्यतिगत रूप इसका हमेशा व्यापक स्तर पर विरोध करूंगा।
और आप.............?????????????
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
किस जगह रंखू मैं तेरी याद-ए-चिराग को......
कि मैं रौशन भी रहूँ और हथेली भी ना जले....!!
सोच रहा हूँ जाकर , समंदर (मोदी ) से ही बात कि जाए ,
ReplyDeleteयहाँ कि नालियो में बिलबिलाते कीड़े, अब रास नहीं आते !
सरकार ने अपनी SLP में कुछ questions of law उठाये थे जिनके जवाब देना हमारे किसी भी वकील के बस की बात नहीं थी,,, नरीमन और अमरेन्द्र शरण के पैरवीकारों ने ऐसा दावा तो किया था कि उनके पास सरकार की पहेली का हल है लेकिन उनके written argument आज तक गोपनीय ही हैं .... सरकार द्वारा उठाये कुछ सवाल निम्न हैं..
ReplyDelete1- क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा ऐसी चयन प्रक्रिया से नियुक्ति का आदेश दिया जाना उचित था जो वर्तमान समय में बेसिक शिक्षा नियमावली में नहीं है?
2-क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 15th संशोधन को शून्य करते समय उससे नियुक्त हो चुके लोगों के हितों का ध्यान नहीं रखा जाना चाहिए था?
3- क्या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा तत्समय प्रचलित बेसिक शिक्षा नियमावली में प्रशिक्षु अध्यापक का प्रावधान ना होने के बावजूद उसपर नियुक्ति का आदेश दिया जाना उचित था?
उधर कपिलदेव तो पैदा ही बीएसए के अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ है,,
मैं ,गणेश,पाठक और राकेश पटवालिया के ए आर ओ अमित पवन से discuss करते थे और उनके मत के विरुद्ध हमने निर्णय लिया कि ना तो हमें कोई एफिडडेविट लगाना है और ना कोई written argument,,,जज साहब को ही सरकार से निपटने दिया जाए,,,
25 मार्च को should give weightage की व्याख्या 100% is best करने के साथ ही 12 हफ़्तों में 30-11-11 के विज्ञापन के अनुसार सहायक अध्यापक की भर्ती होने से पहले सरकारी वकील ने बहुत लम्बी बहस की थी लेकिन SLP में लिखे अपने एक भी सवाल को नहीं उठाया,,,,और ना ही दत्तू साहब ने 15th संशोधन से नियुक्त हो चुके लोगो के सम्बन्ध में कोई व्यवस्था दी,,,,,आखिर क्यों?
ReplyDeleteआप लोग दैनिक जागरण की रिव्यू में जाने की संभावना वाली खबर से परेशान हो और मैं ये सोच रहा हूँ कि हमारे रूपये हजम करने वाले इतने सारे वकील, मुकुल रोहतगी ,राकेश द्विवेदी न्यायमूर्ति चौहान और दत्तू साहब ने 7 फ़रवरी से 25 मार्च तक जिन सवालों की छाया तक के पास जाना उचित नहीं समझा हो उन्हें अब दत्तू साहब के पास ले जाकर कौन वकील गाली खाना चाहेगा,,,,
ReplyDeleteलगभग 40-45 लाख collect करने वाले अपने-अपने पसंदीदा पैरवीकारों से उपरोक्त सवालों के जवाब पूछ लें तो मैं उन्हें मुख्यमंत्री के कार्यालय fax कर दूँ?बात दरअसल यह है कि इस धर्म युद्ध में चक्रव्यूह रचने वाला स्वयं ही उसमें फँस गया है ,,,सरकार चुप ना होकर सन्नाटे में है,,,
ReplyDeleteखुशखबरी
ReplyDelete------------
अखिलेश ने मुँह खोला
टीईटी शिक्षको की भर्ती बहुत जल्दी होगी
मेरे सपनो की रानी (72825) कब आयेगी तू
आयी ऋतु मस्तानी कब आयेगी तू
बीती जाये ये जिंदगानी कब आयेगी तू
चली आ तू चली आ ॥
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
तुम अगर मुझको ना चाहो तो कोई बात नहीं तुम किसी और को चाहो तो मुश्किल होगी..
Priya tetmerit supporter bandhuo 7 May ko jab mai vote dene jaunga to cycle nishan ko dekhkar kam se kam 2 baar jor se hansunga....
ReplyDeleteha ha ha ha...,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,...
Aur uske baad us nishan ke samne ki button ko daba dunga jo s.p. alliance ko karari shikast de sake.......tabhi mere dil ko chain pahunchega..
शिक्षकों की भर्ती जल्द....अखिलेश
ReplyDeleteetv up
"उन दिनों मै छठी क्लास में था हमारे
ReplyDeleteशिक्षक ने हमसे पूछा 'तुम्हारे
पिताजी क्या करते है ?'
मेरे कई साथियो ने बड़े गर्व से जवाब 'बैंक में
ब्रांच मेनेजर है, टीचर है, बिजिनेसमैन है
सरकारी पदाधिकारी है आदि आदि.
शिक्षक ने मुस्कुराते हुए कहा - बहुत बढ़िया !
पर एक साथी ने बहुत शरमाते हुए झिझकते हुए
कहा 'मेरे पिताजी खेती बाड़ी करते है किसान है
'
सच्चा गुरु शिष्य की मनःस्थिति भाप लेते है.
उसकी हिन् भावना को दूर करने के लिए हमारे
शिक्षक ने ताली बजाया और कहा बच्चो हम
तो नौकरी करते है और वेतन लेकर दुकान पर चावल
दाल फल सब्जी लेने चले जाते है
पर असली काम तो इस बच्चे के पिता करते है जिसकी वजह से हमें भोजन मिलता है !
फिर हम सबने भी जोर से तालिय बजाई.
आज जब लाखो रूपये वेतन पाने वालो को कार में
बैठ के शौपिंग करते देखता हु और किसानो के
आत्महत्या करने की खबरें पढता हु तो मुझे वो गुरु
जी बहुत याद आते है ! "
samajwadi party k adhure wade........
ReplyDelete¤ 10th pass candidate
ko tablets nahi bate
gaye....
¤ 12th pass saare candidates ko laptop
nahi bate gaye...
¤ berojgari bhatta sabko nahi diya jabki
ghosna patra me 25 year wali koyi shart
nahi theee
.... eska matlab 18 se 25 years walo ne
sapa ko vote nahi diye the..
¤ 18 SE 35 YEARS WALO KO NAUKARI
DENE KO KAHA THAA BUT ABHI KOYI BHI
NAUKARI NAHI DEE...
AB SOCHANA APKO HAI KI AAP KO VOTE
KISE DENA HAI......
ESE ADHIK SE ADHIK SHARE KARE...
JANHIT ME JAARI...
aur haaa
agar kuchh adhure wade aur bhi ho to
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
मुझे तो मुलायम की स्पीच बिलकुल समझ मे नही आ रही यार,
.
.
.
इसलिए अबकी बार मोदी सरकार !!
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
Saarii Duniya Ky Rooth Jane Se Mujhe Gharz Nahin,
Bas ek Tera Khamosh Rahna Mujhe Takleef Deta Hai..
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
कितनी झूठी होती है मुहब्बत में मुहब्बत की कसमें,
अब देखो न तुम भी जिन्दा हो और हम भी जिन्दा हैं...
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
तुम आज मुखातिब भी हो, नजर के सामने भी हो,,,
तुमको देखूँ कि तुमसे बात करूँ अब तुम ही बताओ...!!!
Log Kehte Hain Muskaan Hai Honto Pe Mere,
ReplyDeleteKon Jaane Ke tasveer Main Hansaaya Kis Ne...!!
घर बेहद गंदा पड़ा हुआ था और बहू साफ-सफाई
ReplyDeleteकरने की जगह सजने-संवरने में लगी हुई थी,
इसलिए सास झाड़ू लगाने लगी... बेटे से
देखा नहीं गया, सो, बोला, "मां, तुम रहने
दो, झाड़ू मैं लगा देता हूं..." मां ने मौका सही जानकर
ऊंची आवाज में बहू को सुनाते हुए जवाब दिया,"अरे, रहने दे बेटे... मैं
लगा तो रही हूं..." बहू ने लिपस्टिक लगाते हुए तपाक
से कहा,
"अरे, आप दोनों झगड़ो मत... काम बांट लो न...
एक दिन बेटा झाड़ू लगा देगा और एक दिन
मां लगा देगी...
।
ReplyDelete।
।
।
।
मे
।
।
।
।
री
।
।
।
।
वा
।
।
।
।
ली
।
।
।
।
।
इस दुनिया से चले जाने के बाद हम तुम्हे,
हर एक तारे में नज़र आया करेंगे ,
तुम हर पल कोई दुआ मांग लेना ,
और हम हर बार टूट जाया करेंगे.
उड़ने दो इन परिंदों को आज़ाद फिजाओ में,
ReplyDeleteअपने होगे तो लौट आयँगे किसी रोज….!!
आज का सबसे बड़ा मजाक
ReplyDeleteटेट पर भर्ती शीघ्र- अखिलेश.
.
.
.
.
.
DB के आर्डर के बाद भी ऐसा ही स्टेटमेंट आया था|
दोस्तोँ,
ReplyDeleteहमारे कुछ साथी इस बात से बेहद परेशान हैँ कि आज सु.कोर्ट के आदेश को 13 दिन निकल गये और शेष 71 दिन मेँ सरकार कैसे भर्ती करेगी?
भाईयोँ,
ReplyDeleteयहचिन्ता तो सरकार को होनी चाहिए जिससे हम सब व्यर्थ मेँ चिँतित हैँ।यह सु.कोर्ट का अंतरिम आदेश है जिसमेँ सरकार पुनर्विचार याचिका भी नहीँ डाल सकती,सिर्फ री-काल कर सकती है पर वो SLP मेँ कुछ दस्तावेज आदि मेँ कमी बताकर पर अब वो भी नहीँ।
सरकार को यह भर्ती सशर्त 84 दिन मेँ करनी ही पड़ेगी वरना बेसिक शिक्षा सचिव को तो जेल जाना तय है और सरकार भी बर्खास्त हो सकती है और भर्ती फिर भी सु.कोर्ट के आदेशानुसार ही होगी
ReplyDeleteभाई,सु.कोर्ट देश की सर्वोच्च न्यायपालिका है जिसका आदेश सर्वोपरि है।मेरी अनिल भाई से बात हुई तो वो बता रहे थे कि हम पूरी तरह तैयार हैँ और एड. मिस.शारदा देवी जी ने बताया कि सरकार के पास भर्ती करने के सिवाय कोई दूसरा विकल्प ही नहीँ है।
ReplyDeleteइसलिये दोस्तोँ इस इन्तजार की घड़ी मेँ भावी अध्यापक बनने के सपनोँ के साथ जियो और अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखो क्योँकि पिछले ढाई सालो मेँ टेँशन ने काफी स्लिम कर दिया है।
एक विनम्र निवेदन है कि इस निकम्मी और गुंडा सरकार को किसी भी सीट पर जीतने मत दो,इसका सफाया कर दो।सबको अपने स्वाभिमान और अपनी माँ की कसम है कि जिस तरह इस सपा सरकार ने हमारे निर्दोष साथियोँ की जान ली है,हम शिक्षित लोगोँ पर लाठीचार्ज किया है,हमारे सपनोँ को तोड़ा है,युवाओँ को झूठे सपने दिखाकर लूटा है,बेरोजगारी भत्ता बाँटकर बेरोजगारी को बढ़ाया है,टेब-लैप बाँटकर सिर्फ युवाओँ को भ्रमित किया है,हर जगह मुजफ्फरनगर जैसे सांप्रदायिक दंगोँ को जन्म दिया है,जातिवाद को जन्म दिया है,सिर्फ गुंडाराज।
ReplyDeleteदोस्तोँ,अब वक्त है सपा का हमेशा के लिये सफाया करने का।मैँने खुद ने संकल्प लिया है कि इसकी ज्यादा से ज्यादा वोट काटूँगा ।
ReplyDeleteहम जीतते रहे हैँ और आज भी देश की सर्वोच्च न्यायपालिका ने हमेँ जिताया है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम सभी जुलाई मेँ शिक्षक होँगे और देश के नौनिहालोँ को पढ़ा रहे होँगे।
ReplyDeleteसत्यमेव जयते!
आज मूर्खमंत्री का बयान क्या आया कि भर्ती जल्द सुरु
ReplyDeleteकरेंगे ....लोग ये कहना सुरु कर दिये कि मूर्ख मंत्री ने
''अभिषेक मिश्रा '' के कहने पर ये बयान दिया है....
कोई ये बताने का कष्ट करेगा कि सरकार ने ये कब
कहा था कि हम सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रहे है ....हम
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुशार भर्ती नही करेंगे ..बल्कि अभिषेक
मिश्रा के कहने पर भर्ती करेंगे.......सुप्रीम कोर्ट के आदेश के
पहले अभिषेक मिश्रा कहाँ मर गये थे????? अब श्रेय लेने
वालो की लाइन लगेगी क्योंकि अब सबको पता है कि सुप्रीम के
आर्डर के बाद सरकार के सारे दरवाजे बंद है ....
मुझे तो आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि जिस मूर्ख सरकार
ने ढाई - तीन सालो से शिक्षको को कोर्ट कचेहरी से लेकर
सडक तक दौडा दौडा कर पीटा ...आज टेट मेरिट के वही महान
योद्धा किस मुह से इस सरकार को विलेन से हीरो बनाने मे जुट
गये है...और उन मित्रो की सहादत को भूल गये जिन्होने इस
कुकर्मी सरकार की वजह से आत्महत्या कर ली थी...
जो इनका विरोध कर रहा है उसे अब मोदी का पैड अजेंट
बताया जा रहा है.....
जूनियर भर्ती से सम्बंधित,,
ReplyDeleteकल यानि ०७/०४/२०१४ को सभी साथी निदेशालय पंहुचे, जूनियर भर्ती युवा मोर्चा प्रमुख देवेन्द्र यादव ने बताया कि कल की मीटिंग में लखनऊ चलने के बारे में भी विचार विमर्श होगा, क्योंकि प्रमुख सचिव से हुई वार्ता के आधार पर जूनियर भर्ती कि संभावना से इंकार नही किया जा सकता है, अत: सभी साथी कल सोमवार को अति आवश्यक रूप से इलाहबाद निदेशालय पहुंचे, ये कोई धरना नही है, केवल विचार विमर्श हेतु आप सभी को आमंत्रित किया गया है, किसी प्रकार कि संका हेतु आप जूनियर भर्ती युवा मोर्चा प्रमुख से बात कर सकते है,
निवेदक --
देवेन्द्र यादव
इलाहबाद, मोबाइल न. 7398273834
72825 और अन्य बहुत सी जानकारी के लिए तुरंत सदस्य बने अपने ग्रुप के, और नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर ज्वाइन करे, अपना समूह...
https://www.facebook.com/groups/teachergroupbylalit/
आवश्यक सूचना !!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteअभी अभी अनिल भाई कि बात शारदा देवी जी (पी.पी राव
कि ए.ओ.आर. ) से बात लगभग एक घंटे से ज्यादा हुई है उन्होंने
निम्न बातें बतायी हैं :
१) कोई भी पूनर विचार याचिका नहीं डल सकती है
क्यूंकि वो असंवैधानिक है और हिंदुस्तान के कानून में नहीं आती है
अंतरिम आर्डर पर |
२) हाँ, सरकार एक काम कर सकती है दोस्तों री-कॉल करा सकती है
आर्डर को , अब ये क्या होता है ? सुनिये|
३) ऐसा होता कभी भी अगर कोर्ट कोई भी अंतरिम आर्डर देती है
तो कोई सुबूत या दस्तावेज रह गए हो तो सामने वाली पार्टी उसके
लिए री-कॉल कराती है और उन्हें पुनः पेश किया जाता है | पर
हमारा केस ऐसा नहीं है और इसमें में तो दत्तू साहब ने
रोहितगी जी को पूरा या ये कहें कि केस डिफेंड करने करने का उन्हें
ही मोका दिया था तो उसकी उम्मीद भी कम ही है |
४) हाँ एक महत्व्पूर्ण तथ्य कि समय सीमा का क्या होगा री-कॉल
में टाइम ख़राब करेंगे तो इसमें चाहे कितना टाइम खा लें ये आर्डर चंगे
नहीं होगा किसी भी कीमत पर और समय बाध्यता ये ही रहेगी |
५) दवाब के लिए मैडम से पुछा गया कि ये खुद से तो कोई एक्शन
नहीं लेगा तो उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते का वेट करो कुछ न कुछ
जरूर करेंगे क्यूंकि इनके पास कोई विकल्प नहीं है भर्ती करने के
आलावा , अगर कुछ नहीं होता है तो आप अपने स्तर से देखो कानूनन
तो नहीं बच सकते हैं ये अब
धन्यवाद
(टेट मोर्चे कि मीटिंग १० अप्रैल को लखनऊ में है |अग्रिम
नीति वहीँ तय होगी और १५ के आंदोलन के लिए आपको सूचित
किया जाएगा तो अभी धैर्य बनाए रखें और खुद को इससे लड़ने के
लिए मानसिक तोर पे तैयार रहे )
मियाँ बुखारी का उतरेगा बुखार,
ReplyDeleteक्योकी अबकी बार मोदी सरकार।
सनी लियोनी भी पहनेगी सलवार,
क्योकी अबकी बार मोदी सरकार।
बजली-पानी आएगा सोमवार से रवीवार,
क्योकी अबकी बार मोदी सरकार।
अमेरीका भी करेगा भारत को नमस्कार,
क्योकी अबकी बार मोदी सरकार।
मित्रो !
ReplyDeleteजैसा कि आप सभी देख रहे हो कि इस सर्मनाक पार्टी (सपा ) कि सरकार ने टेट मेरिट से भर्ती न करने कि कसम खा रखी है तभी तो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के आने के दस दिन बाद भी इसने अभी तक कुछ भी नही किया है .
क्या अभी भी आपको ऐसा लगता है कि हम लोग शांत बैठे रहे ?
अगर नही तो क्या हम लोग जनसभाएं आयोजित करके सपा के खिलाफ वोटिंग करने का अनुरोध प्रदेशवासियों से नही कर सकते ?
क्या हमारे दोस्त और रिस्तेदार हमारे साथ नहीं आएंगे
इंट से ईंट बजा देंगे.
जय टेट मेरिट
निरहुआ क्रांतिकारी 'विद्रोही'
ReplyDeleteटेट साथियों,
टेट मेरिट की नैया अनेक झंझावातों का सामना करती हुई एवं अनेक तूफानों से जूझती हुई अपनें लक्ष्य के अन्तिम पड़ाव पर आन पहुंची है। निश्चय ही कोई अलौकिक शक्ति है जो परोक्ष रूप से हमारा साथ देती आयी है, एक समय ऐसा भी आया की टेट मेरिट की अस्मिता मरणासन्न अवस्था में पहुँच गयी किन्तु जीवटता का परिचय दे पुनर्जीवित हुई, ना केवल पुनर्जीवित हुई बल्कि दुश्मनों को धूल चटाते हुए अपनी श्रेष्ठता भी साबित की। और इन सबका एकमात्र कारण था हमारे उद्देश्य की पवित्रता और अग्रिम पंक्ति के टेट भाइयों का समर्पण। उसी समर्पण और टेट अस्मिता को फिर से एक बार अग्निपरीक्षा से गुजरने का समय जब आया है तब देखा जा रहा है की अस्मिता तो आज भी बरकरार है किन्तु समर्पण गायब हो चुका है। समर्पण का स्थान दंभ, मिथ्या अकड़ और अहम् ले चुके हैं। आज टेट मेरिट का हित अथवा टेट भाइयों का भविष्य दोयम दर्जे पर आ चुका है और श्रेय लेने की होड़ पहले नंबर पर आ चुकी है। अग्रिम पंक्ति के लोग शायद भूल बैठे हैं की टेट मेरिट की अस्मिता पर ना कभी आंच आयी थी ना कभी आने पाएगी,,भुलावे में जी रहे ये चंद यशलोभी महानुभाव अपने आपको टेट मेरिट का रक्षक मान बैठे हैं जबकि यह नहीं जानते की टेट मेरिट की रक्षा उनसे ज्यादा वो लोग कर रहे हैं जो दिन रात इसकी सलामती की दुआ माँगते हैं और जिनका सम्पूर्ण भविष्य इस निर्णय पर टिका बैठा है। आज सच बोलना गुनाह बन गया है, गरीब टेट भाइयों के हक़ में आवाज उठाने वाला गद्दार करार दिया जाता है और पैसों का सही उपयोग करने की नसीहत देने पर तो उसकी माँ-बहनों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। क्या भावनाएं लेकर हमारे भाई हम पर भरोसा करके हमारे हाथों में 'पुण्य राशि' पकड़ाते हैं और हम किस तरह उसे बेफजूल उड़ा रहे हैं इसका भान ना तो अग्रिम पंक्ति को है और ना उन्हें इसकी परवाह है। बस भय दिखाओ, झूठी सांत्वना दो, अपने अहंकार को टेट मेरिट के हित से जोड़कर उसे न्यायसंगत बना दो बस। अरे महान आत्माओं कभी सोचा है की तुम्हारे तनिक से स्वार्थ में कितने परिवारों की उम्मीदें स्वाहा हो जातीं हैं कितनी भावनाएँ दम तोड़ देती हैं। अगर तनिक भी मानवता बची हो तो सारे अहंकार का त्याग करो,,अपने समकक्ष अन्य भाइयों के गले मिलो, सारे गिले-शिकवे कुछ दिनों के लिए दरकिनार करो और एक मंच पर आकर दुश्मन के खिलाफ इन्कलाब का नारा बुलंद कर दो। यकीन जानिये,, आप यदि एक मंच पर आ गए तो कोई हस्ती हमारे भाइयों की ख़ुशी को ज्यादा दिन उनसे दूर नहीं रख पाएगी साथ ही जितनी आर्थिक मदद आप मांगेंगे वह निःसंकोच पूरी होगी चाहे उसके लिए हमें दिन रात मेहनत करनी पड़े।
हे टेट मेरिट के अग्रणी बंधुओं ! अब भी समय है,, अपने भाइयों के हताशा से मुरझाये चेहरे देखो और उनकी करुण पुकार सुनो,, ईश्वर परहित उपकार का सुअवसर बहुत भाग्यवान व्यक्तियों को प्रदान करता है अतः उसका सदुपयोग करो एवं तुच्छ मानसिकता का त्याग करते हुए उसी यशगान के पात्र बनिए जिसकी आपेक्षा आप रखते हैं।
जय टेट जय हिन्द।
आज हर एक टीईटीयंस के जेहन में सिर्फ एक ही बात ---ZAHREELA INSAAN
ReplyDeleteSUNG BY___KISHORE KUMAR
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी ( 72825 PRT ) कहाँ उड़ चली ,
मेरे अरमानो ( My Job ) पे पंख लगाके ,
कहाँ उड़ चली ओ हंसिनी ?
आजा मेरी सांसों में महक रहा रे तेरा गजरा ( My School ) ,
ओ आजा मेरी रातों में लहक रहा रे तेरा कजरा ( My Salery ) ,
ओ हंसिनी मेरी हंसिनी ( 72825 PRT ) कहाँ उड़ चली ?
देर से लहरों में कमल संभाले हुएं मन (Appointment Letter ) ,
ओ जीवन ताल में भटक रहा रे तेरा हंसा ( TIGER. ) ,
ओ हंसिनी ( 72825 PRT ) मेरी हंसिनी कहाँ उड़ चली ,
मेरे अरमानो ( My Job ) पे पंख लगाके ,
कहाँ उड़ चली ओ हंसिनी ( 72825 PRT ) ?
गोधरा कांड क्या है।
ReplyDelete27 फरवरी 2002 साबरमती ट्रेन के S6
बोगी को गोधरा स्टेशन से 862 मीटर की दूरी पर
शान्ति पसंद
लोगो द्वारा जला दिया गया था.......जिसमे 58
मासूम , निहत्थे, निर्दोष रामभक्तो की दर्दनाक मौत
हो गयी.......उसमे 23 पुरुष, 15 महिलाये, तथा 20 बच्चे
थे।
उनका "अपराध" केवल इतना था ........कि वे "हिन्दू"थे ......और श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या से
तीर्थयात्रा करके लौट रहे थे।
स्थानीय कांग्रेसी निगम पार्षद हाजी बिलाल ( आजीवन कैद की सजा मुख्य अभियक्त )भीड़
को ट्रेन के इंजन को जलाने का आदेश दे रहा था और पास
की मस्जिद से लाउडस्पीकर पर ये आदेश
दिया जा रहा था कि "मारो......काटो.... कोई
काफ़िर जिन्दा न बचे"........मुल्लो ने दरवाज़े बहार से
बंद कर दिए गये थे ताकि कोई बाहर न निकले.......S6
S7 वैक्यूम पाइप काट दिए थे जिससे ट्रेन आगे ना बढ़
सके....... जो लोग जलती ट्रेन से किसी तरह बाहर
निकल भी आये तो उन्हें तेज़ हथियारों से काटकर मार
डाला गया ।
गोधरा के एक पेट्रोल पंप पर काम करने वाले 2
कर्मचारियों के अनुसार एक दिन पहले ही कुछ लोग
वहां से 140 लीटर पेट्रोल खरीद कर ले गए थे। साफ़ है
की रामभक्तो को जिन्दा जलाने का ये एक सुनियोजित
षड्यंत्र था।
गुजरात दंगो की बात गोधरा के बिना अधूरी है।इस
गोधरा कांड के बाद ही गुजरात में दंगे शुरू हुए थे।
जरा सोचिये, हमारा हाथ जरा सा आग पर पड़ जाये
तो हमें कितना दर्द होता है हम तुरंत अपना हाथ
वहां से हटा लेते हैं .....उनकी जगह खुद को रखकर सोचिये
कितना तडपे होंगे वो लोग वो मासूम बच्चे, औरतें , बुजुर्ग
वो व्यस्क जिन्हें पेट्रोल छिडककर ट्रेन में
जिन्दा जला दिया गया। अपनी जान बचाने के लिए
कितना छटपटाये होंगे
......लेकिन इन
जल्लादो को नर पिशाचों को उन पर
जरा भी दया नही आयी।
दंगो में मरने का शोक सभी मनाते हैं .......
कोई बात नहीं याद रखना चाहिये .....
दंगे भूलने के लिये नहीं होते .....
पर .राम भक्तो को कोई नहीं याद करता
गोधरा में मरे 58 निर्दोष हिन्दुओ की
.कोई बात तक नही करता.....!!!
ट्रेन जलाने के बाद कुछ स्थानीय मुस्लिम नेताओ
का बयान आया था मुस्लिम किसी को बेवजह
नहीं मारते.....राम भक्त तो विवादित स्थान पर मन्दिर बनाने गये थे ,,इस लिए राम भक्तो की गलती थी ,,,,
जरा उनके परिवार वालो के बारे में सोचिये जिनके घर में जली हुयी राम भक्त तीर्थ यात्रियों की लॉस पहुची होगी ,फौलाद के बने हुए रेल के डिब्बे मोम बन कर पिघल गये राम भक्त जल के कोयला बन के जल गये ,,
ReplyDeleteलेकिन हमे क्या जब हमारे घर में लॉस आएगी जली हुयी तब न हमें इस्लाम का असली रूप पता चलेगा ,,इस पोस्ट की सेयर रुकनी नही चाहिए हर पेज मुस्लिम,, सेकुलर बस गुजरात दंगो के लिए रोते है गोधरा की जिक्र नही करते,,, इसमें आप ही सेयर के माध्यम से लोगो को सच बता सकते हो ,,,
अगर गोधरा में जलने वाले हज यात्री होते तो
..क्या बस गुजरात ही जलता ?...!!!
सेयर करो लोगो तक सच तो पहुचना चाहिए,,,
जो व्यक्ति
PM बनने से पहले
यदि
अमरीका को झुका सकता है,
भूखे नंगे देश
पाकिस्तान में
हडकंप
मचा सकता है,
चीन जैसे गद्दार देश के
अखबारों की
सुर्खियों में आ सकता है
तो भाई
वह भारत को विश्व गुरु
बना सकता है
यह बात पक्की है!
" देश की जरुरत है मोदी "
"मैं मुफ्त भोजन दूंगा" - राहुल गांधी
"मैं मुफ्त पानी दूंगा" - केजरीवाल
"न तो मैं
मुफ्त पानी दूँगा ,
ना ही मुफ्त भोजन
कि बात करूंगा ,
बल्कि मैं
इतने रोजगार पैदा करूँगा,
भारत के युवाओं
को इतना सक्षम कर दूंगा,
की
मेरे देश का हरेक व्यक्ति
स्वाभिमान से
अपना भी
पेट भरेगा
और
दूसरों की भी
प्यास
बुझाएगा"
- नरेंद्र मोदी
दिक्कत केजरीवाल में नहीं,
भारत की जनता में है
जो मुफ्त की
चीज पाने के लिए
लादेन
को भी वोट दे देगी !!!
अगर देश के लिए कुछ करना है तो यह सन्देश 3 लोगो को भेजना है।
बस आपको तो एक कड़ी जोड़नी है देखते ही देखते पूरा देश जुड़ जायेगा।
मेरे टी ई टी साथियों,
ReplyDeleteनमस्कार,
मुझे पता है कि माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट के २० नवम्बर के आदेश तथा इसके बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट के २५ मार्च के अंतरिम आदेश के क्रम में आप अपनी बहु प्रतीक्षित टी ई टी मेरिट के आधार पर काउंसलिंग का इंतज़ार कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,पर उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार अभी भी मौन है.......... और दैनिक जागरण समाचार पत्र में खबर आयी है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका डाल सकती है ,,,,,,,,,,,
साथियो,
ReplyDeleteइसी विलम्ब और भ्रामक खबरो से परेशान होकर आप में से कुछ लखनऊ में पुनः एक विशाल आंदोलन का सुझाव दे रहे है ,,,,,,,,,,पर साथियो ये चुनाव का समय है ,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी आंदोलन सम्भव नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,पर हमारे पास आंदोलन से भी प्रभावशाली एक उपाय है ,,,,,,,,,,,,बताऊ क्या ?
दोस्तों ,
ReplyDeleteयही समय है किसी पार्टी की कमजोर नस दबाने की,,,,,,,,,,,,जो आंदोलन से भी ताकतवर है हमारे प्रदेश में पहले चरण का चुनाव ७ अप्रैल को है और विभिन्न चरणो में चुनाव होने है ,,,,,,,,,,,,, यदि सपा सरकार इससे पहले काउंसलिंग की तारीख घोषित नहीं करती तो हम सब सपा के उम्मीदवारो बहिस्कार करेगे ,,,,,,,,,,, ,उन्हें बहिस्कार का कारण भी बतायेगे और काउंसलिंग की तारीख घोषित करवाने का दबाव बनायेगे और यदि वे हमारी बात नहीं सुनते तो हम लोग मतदान स्थल के बाहर सभी पार्टियो के साथ टी ई टी संघर्ष मोर्चे का भी टेबल लगायेगे और हाई कोर्ट /सुप्रीम कोर्ट के बाद जनता से न्याय मागेगे और सपा को वोट न देने और सपा उम्मीदवार को हरवाने की अपील करेगे
यही क्रम तब तक चलता रहेगा जब तक हमारी काउंसलिंग की तारीख घोषित नहीं हो जाती भलाई इसी में है की काउंसलिंग की तारीख जल्द से जल्द घोषित हो अन्यथा मुलायम का सपना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,??
ReplyDeleteऔर हाँ समाजवादी पार्टी वाले इसे गीदड़ भभकी न समझे क्यों कि हम जब हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट से जीत सकते है तो जनता की अदालत में भी जीतेगे ,,,,,,,,,,,,,,
रही बात नौकरी की वो तो हमसे कोई नहीं छीन सकता चाहे वो ....................हो या ........................!!!
अधिक से अधिक शेयर करे
रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले लड़के
ReplyDeleteकी नजरें अचानक एक बुजुर्ग दंपति पर
पड़ी।
उसने देखा कि वो बुजुर्ग
पति अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर
उसे सहारा देते हुए चल रहा था ।
.
थोड़ी दूर जाकर वो दंपति एक
खाली जगह देखकर बैठ गए ।
कपड़ो के पहनावे से वो गरीब ही लग
रहे थे ।
.
तभी ट्रेन के आने के संकेत हुए और
वो चाय वाला अपने काम में लग
गया।शाम में जब वो चाय
वाला वापिस स्टेशन पर
आया तो देखाकि वो बुजुर्ग
दंपति अभी भी उसी जगह बैठे हुए है ।
.
वो उन्हें देखकर कुछ सोच में पड़ गया ।
देर रात तक जब चाय वाले ने उन बुजुर्ग
दंपति को उसी जगह पर
देखा तो वो उनके पास गया और
उनसे पूछने लगा:
बाबा आप सुबह से यहाँ क्या कर रहे
है ? आपको जाना कहाँ है ?
.
बुजुर्ग पति ने अपना जेब से कागज
का एक टुकड़ा निकालकर चाय वाले
को दिया और कहा:
बेटा हम दोनों में से
किसी को पढ़ना नहीं आता,इस
कागज में मेरे बड़े बेटे
का पता लिखा हुआ है ।मेरे छोटे बेटे
ने कहा था कि अगर भैया आपको लेने
ना आ पाये तो किसी को भी ये
पता बता देना, आपको सही जगह
पहुँचा देगा ।
.
चाय वाले ने उत्सुकतावश जब
वो कागज खोला तो उसके होश उड़
गये । उसकी आँखों से एकाएक आंसूओं
की धारा बहने लगी ।
.
उस कागज में लिखा था कि
.
कृपया इन दोनों को आपके शहर के
किसी वृध्दाश्रम में
भर्ती करा दीजिए, बहुत बहुत
मेहरबानी होगी...
केजरीवाल ने अपनी निजी संपत्ति घोषित की है.
ReplyDeleteउनके पास.....
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
100 मफलर,
50 XXL शर्ट,
30 स्वेटर,
2000 टोपी(आम आदमी+जालीदार),
5 ली॰ कफ सीरप,
10 Kg BTex Cream,
1 वैगन भी है॥
"सपा भगाओ उत्तर प्रदेश बचाओ आप कहीं जा रहे हो और आपके सामने मुलायम सिंह का परिवार आ जाए और पीछे काला कोबरा तो एक बार काले कोबरे पर विश्वास कर लेना लेकिन इस परिवार की बातों पर कभी मत करना ......
ReplyDeleteअब क्यों ? ये भी बताना होगा
कजरी: "गुजरात में कोई शांति वान्ति नहीं है, मैंने लोगो को आपस में डंडो से लड़ते देखा है"
ReplyDeleteमेरे पास उसका विडियो प्रूफ भी है. ये देखो…
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
आम आदमी : "अबे गधे , वोह लोग डांडिया खेल रहे थे"
दस साल पहले 2004 के लोकसभा चुनाव के वक्त उन्होंने जो ब्योरा मुहैया कराया था, उसके हिसाब से उनके पास 1 करोड़ 15 लाख रुपए के करीब संपत्ति थी।
ReplyDelete2009 में उन्होंने पर्चा दाखिल करने के वक्त बताया कि उनके और पत्नी के पास कुल 2 करोड़ 23 लाख रुपए की संपत्ति है।
२०१४ में उन्होंने अपने और पत्नी की संपत्ति के ब्योरे में 13 करोड़, 25 लाख रुपए से ज्यादा की संपत्ति का खुलासा किया है।
मुलायम सिंह यादव की संपत्ति में आया होश उड़ाने वाला उछाल देख रहे न मुलायम सिंह के लिए और सपा के लिए जी-जान लगा देने वाले आम कार्यकर्त्ता और सपा को सत्ता तक पहुचाने वाली जनता को क्या मिला
"बाबा जी का ठुल्लू"
याद रखो सपा के समर्पित कार्यकर्ताओं और प्रदेश की मासूम जनता ये समाजवाद के नाम पर "परिवारबाद " बढ़ावा दे रहे है ..और सबको बेबकूफ बना रहे है .....
लेकिन अबकी मौका आपके हाँथ है मौका है "वोट की चोट " करने का ......
अबकी चूक गए तो ये फिर रोते रहना पिछले दो साल की तरह ......
और ये आपके वोट लेकर कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ जायेंगे ....
#सपाभागाओउत्तरप्रदेशबचाओ
पहली बार चुनाव निशान पर नहीं केवल नाम पर हो रहा है ।।।।मोदी को वोट देना है ।।
ReplyDeleteशिक्षक भर्ती मामले में मै उच्च न्यायालय की एकल पीठ ,
ReplyDeleteखंडपीठ एवं वृहद्पीठ में तथा सुप्रीम कोर्ट में वादी/
प्रतिवादी नहीं था
परन्तु मुक़दमे के प्रत्येक अंतरिम/अंतिम आदेश से वाकिब हूँ।
एकल पीठ में न्यायमूर्ति ने सम्पूर्ण सुनवाई बेसिक
नियमावली के अवलोक में की।
कुछ अंतरिम आदेश याचियों के पक्ष में रहे परन्तु अंतिम आदेश
में याचीगण को कोई राहत नहीं मिली।
कुछ साधुजन कहते हैं कि हम एकल बेंच में ही जीत गये थे
तो फिर मेरा उनसे कहना है कि जब वे जीत गये तो फिर उन्हें
खंडपीठ क्यों जाना पड़ा,
ऐसा मुकदमेबाज तो पहली बार देखा जो कि अपनी हार को जीत
बताये।
खंडपीठ में याचीगण हावी रहे और अंत में विजयी हुये।
एकलपीठ ने जिस भर्ती को प्रशिक्षु की वजह से कमजोर
किया था तथा टीईटी परीक्षा में धांधली की वजह से नई चयन
प्रक्रिया की पुष्टि की थी
खंडपीठ ने उसे तहत-नहस कर डाला तथा आदेश
दिया कि पुराना विज्ञापन नियुक्ति का था क्योंकि प्रदेश में
RTE लागू थी इसलिए प्रशिक्षु का विज्ञापन
जारी ही नहीं किया जा सकता था।
नये चयन के आधार को भी तहत-नहस कर डाला।
सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी परन्तु हाई कोर्ट के आदेश में RTE
का जिक्र होने के कारण उसपर स्थगन लगाना तो दूर की बात
थी बल्कि उस आदेश के अंतरिम क्रियान्वन की
सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी।
अब यदि सरकार हमें अंतरिम नियुक्ति देती है तो हम सुप्रीम
कोर्ट में भविष्य के उत्पीड़न का वास्ता देकर पूर्णकालिक
नियुक्ति की मांग करेंगे अन्यथा शीघ्र सुनवाई संपन्न करने
की मांग करेंगे।
यदि हमें सरकार ने प्रशिक्षु की नियुक्ति दी फिर यह
भी अवमानना होगी अतः अवमानना कोर्ट में जाकर हिसाब-
किताब चुका लेंगे।
मै सुन रहा हूँ कि हमारी एक टीम संधि के अंतिम चरण पर पहुँच
गयी है इसलिए मै भी बहुत खुश हूँ
क्योंकि मुझे बताया गया है कि कोर्ट का आदेश बहुत खतरनाक
है पैर के नीचे से जमीन फिसल जाएगी इसलिए सरकार को हार
स्वीकार/(पहनाया) कराया जायेगा ।
अगर संधि सफल रही तो मै भी उसके तीन निष्कर्ष निकाल
रहा हूँ
१. दो दर्जन से अधिक साथियों पर दर्ज मुकदमें वापस होंगे।
२. सरकार नियुक्ति अंतरिम न करके पूर्णकालिक करेगी ।
३. शहीद भाईयों/बहनों के परिवार के लिए अनुदान
की घोषणा होगी ।
अगर ऐसा समझौता करके हमारे भाई लोग आते हैं तो मै सम्पूर्ण
प्रदेश से उनके स्वागत का आवाहन करूँगा ।
अगर ये सब न हुआ तो आप किसी का यश न मानना सिर्फ
कोर्ट के भरोसे रहना तथा मै हर कदम आपके साथ रहूँगा।
जिनको अपनी न्यायपालिका पर भरोसा न हो वे
उद्योगपति सुब्रत राय का हश्र देखें जो कि सुप्रीम कोर्ट के
सभी जजों को पूरी जिन्दगी की पगार दे सकते हैं।
अतः धैर्य रखें।
ए खुदा - कोई ताबीज ऐसा दो कि मैं चालाक हो जाऊं
ReplyDeleteबहुत नुकसान देती है मुझे ये सादगी मेरी ।
लोग अक्सर पूछते हैं, अरविन्द आदमी तो अच्छा है, लेकिन वो कुछ भी करले पर सरकार नहीं बना सकता। फ़िर उसे वोट देने का मतलब तो वोट खराब करना ही हुआ?? यह दुविधा बहुत से अच्छे लोगों के मन में भी है।
ReplyDeleteमैं तो यही कहूँगा , अगर आप को लगता है अरविन्द ईमानदार है, अगर आप को विश्वाश है वो अपने स्वार्थ के लिए नहीं, देश के लिए लड़ रहा है! अगर आप को सच में लगता है जन लोकपाल के लिए जिन लाखों लोगों ने सड़क पर उतर कर संघर्ष किया वो मूर्ख नहीं थे तो बेझिजक AAP को वोट कीजिए। अगर आप को 100% यकीन भी हो कि वो हार जाएगा तो भी वोट दीजिए। और तो और अगर आप को लगे के इस देश में सिर्फ़ आप की एक वोट ही अरविन्द को पड़ने वाली है, तो भी वोट दीजिए। क्यूँ??
यह बताने के लिए वोट दें, भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ इस युद्ध में अरविन्द अकेला नहीं है, हम भी उसके साथ हैं। उस अकेले योद्धा को यह विश्वास दिलाने के लिए वोट दो के उसके द्वारा किए गए पर्यास असफ़ल नहीं हो रहे, हम उसको समझ रहे हैं,देश जाग रहा है। भरष्ट तंत्र को यह बताने के लिए वोट दो, कि अब एक अरविन्द को मारने से तुम्हारा रास्ता साफ़ नहीं होने वाला,, तुम एक अरविन्द को मारोगे तो करोड़ों अरविन्द आएँगे तुमसे टक्कर लेने। हार जीत को भूल कर अपना कर्म करो, बाकी सब नीयती पर छोड़ दो, तुम अपना कर्तव्य करो यही तो सिखाया था भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में, उसी को याद करके वोट दो। वोट इस लिए दो क्यूँकी अगर आज सच हार गया और यह आन्दोलन दब गया तो, फ़िर कोई दूसरा अरविन्द नहीं आएगा अपना सब कुच्छ दाव पर लगाकर तुम्हारे लिए लड़ने। यह भ्रष्ट सत्ता कभी दूसरा आन्दोलन खड़ा ही नहीं होने देंगी। लोगों का सत्य से विश्वाश उठ जाएगा। इस लिए हवाओं में यह सन्देश फैलाने के लिए वोट दो के सत्य के रक्षक अभी मरे नहीं हैं।
मानता हूँ के आप के एक वोट से वो PM नहीं बन जाएगा, लेकिन आप का वोट सत्य के लिए लड़ने वालों को साहस तो जरूर देगा। वरना यह भरष्ट सत्ता उनको मूर्ख साबित कर देगी, दिन में सपने देखने वाले लोग साबित कर देगी। नतीजा यह होगा सपने ही मर जाएँगे।
इस सपने को बचाने के लिए वोट दें। धन्यवाद।।
(क्रप्या इसको इतना फैलाएँ कि हर व्यक्ति जो दुविधा में है इसे पढ़ सके, देश के लिए इतना तो आप कर ही सकते हैं।)
Fearless is having the courage to say goodbye to someone who only hurts you, even if you cant breath without them.
ReplyDelete...आज का सुविचार...
ReplyDelete"तलवार की कीमत होती है उसकी धार से।
इंसान की कीमत होती है उसके व्यवहार से।।"
सुप्रभात
नेताजी बनारस की गलियों में वोट माँग
ReplyDeleteरहे थे...
नन्दू के घर के सामने भीड़ देखकर रूक गये...
पूछा तब पता चला कि नन्दू का बाप मर
गया और शव यात्रा निकलने
ही वाली है...
चुनाव हैं, मजबूरन शव यात्रा में शामिल
होना पड़ा...
शमशान घाट पहुँचे तो अन्दर
का 'कमीनापन' जाग गया, सोचा,
मौका अच्छा है,
चौका लगा ही देता हूँ ...
फटाफट माईक का इंतजाम करवाकर लगे
शमशान घाट पर ही भाषण देने...
भाईयों बहनों,
देखो सरकार का काम,
देश आजाद हुएsssss
67 साsssssल हो गये,
आज भी हमेंsssss
अपने प्रियजनों काsssss
अंतिम संस्कार करने के लियेssss
इतना पैदल चलना पड़ता हैsssss
आप लोग मुझे वोट देंsssss...
मैं वादा करता हूँsssss...
हमारी सरकार आएगीsssss...
तो हम हर घर मेंsssss
"शमशान घाट बना देंगे"
यू पी सरकार की तरफ से पूरी श्रीलंका टीम को एक एक लैप टाप मुफ्त !!
ReplyDeleteउम्मीद,
ReplyDeleteवर्षों से दहलीज़ पर खडी वो मुस्कान है,
जो हमारे कानों में धीरे से कहती है; "सब अच्छा होगा"...
टीईटी भर्ती को सीएम को ज्ञापन
ReplyDeleteमुरादाबाद। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद टीईटी मेरिट के आधार पर भर्ती नहीं करने पर टीईटी संघर्ष मोर्चा में मायूसी है। उन्होंने रविवार को बिलारी में आए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ज्ञापन देकर टीईटी के आधार पर काउंसिलिंग कराने की मांग की। टीईटी बेरोजगारों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 सप्ताह में भर्ती करने के आदेश दिए थे लेकिन दो सप्ताह बाद भी काउंसिलिंग की तिथि निर्धारित नहीं की गई है। ज्ञापन देने वालों में राजपाल सिंह, शहजाद हुसैन, मुनेश कुमार, संदीप मिश्रा, प्रियंक त्यागी, जुबैर नासिर, केपी यादव आदि मौजूद थे।
sarkaar ke andar is bharti ko lekar jo manthan chal raha hai uske anusaar wo 4 phase ke election ko pehle priority de rahi hai jo ki April 10, 17, 24, 30 ko hain.....kyonkiwo isko abhi bhi rajneeti ke nafaa nuksaan se taul rahi hai . supreem court ne 84 din ka time diya hai isi beech wo counseling ki dates na dekar DIET se form etc ka kaam pure jor shor se karwaa rahi hai ....usko lagta hai wo 84 din me ye karwaa legi ......
ReplyDeletewo din bhi jald aayega jab aapka GO jaari hoga aur hum log counseling ki baat karenge .................niraas mat hoyiyega......GO aur counseling dates me jyada antar nahi hoga .......sarkaar ka to nahi par court par bharosha rakhe aapki niyukti jaldi hogi .............
ReplyDeleteकिसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख मांगते और
ReplyDeleteमंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत
जोरों की बारिश होने लगी; दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक
झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे
तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई
है। यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने
लगता है ,” भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में
दिन भर तेरा नाम लेता हूँ , मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ फिर
भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी… गाँव में चोर – लुटेरे झूठे लोगो के
तो मकानों को कुछ नहीं हुआ , बिचारे हम साधुओं
की झोपडी ही तूने तोड़ दी ये तेरा ही काम है …हम तेरा नाम
जपते हैं पर तू हमसे प्रेम नहीं करता….”
तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश
हो जाता है नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास
हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने
ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में
तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे
पास सर ढंकने को जगह है…. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल
है , कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा , मेरा तुझपर विश्वास अब
और भी बढ़ गया है… तेरी जय हो !
मित्रों एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-
अलग ढंग से देखा … हमारी सोच हमारा भविष्य तय करती है ,
हमारी दुनिया तभी बदलेगी जब हमारी सोच बदलेगी।
यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी तो हमें हर चीज
में कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह
होगी तो हमे हर चीज में अच्छाई दिखेगी ….अतः हमें दूसरे साधू
की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच
सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।
सेल्यूकस की सबसे छोटी बेटी हेलेन
ReplyDeleteबेहद
खुबसूरत थी , उसका विवाह आचार्य
चाणक्य ने सम्राट चन्द्रगुप्त से
कराया|
……....... पर उन्होंने विवाह से पहल
हेलेन और चन्द्रगुप्त से कुछ शर्ते
रखी ; जिस बाद ही उन दोनों का विवाह
हुआ |शर्त यह थी की उन दोनों से
उत्पन्न संतान उनके राज्य
का उत्तराधिकारी नहीं होगा |
और इसका कारण बताया कि हेलेन एक
विदेशी महिला है .
सोचिये मित्रो ...
भारत ही नही विश्व भर में चाणक्य
जैसा कुटनीतिक और नीतिकार
राजनितिक आज तक दूसरा
कोई नही पैदा हुआ ..
फिर भी आज भारत उनकी सबक
को भूल गया और देश पर शासन कौन
कर रहा है? सब आपके सामने है | अगर
देश से प्यार है,
तो इसपोस्ट को हर देश भक्त तक जरूर
पहुँचाये|
वन्दे मातरम् ... जय हिंद।
GD. MG. FRIENDS
ReplyDeleteTET BHARTI TO HOGI JALD HI HOGI
PAR SARKAR K KAHENE PAR NHI
SC K ORDER KI BAJAHE SE
bisalpur diet k principal se baat
ReplyDeletehui...kal hi unko bharti
sambandhi written order prapt ho
chuka hai...
मायावती को यही दर्द है कि मुज़फ्फर
ReplyDeleteनगर
दंगों में मुसलमान का नुकसान हुआ ....
हद है माया ... शक्ल
अच्छी नहीं है
तो कम से कम बातें
तो अच्छी किया करो ...... क्यूँ भूल
गयी कि तुम हिन्दू हो ....
प्रिय मित्रो,
ReplyDeleteनीचे दिया गया link सपा के अभिषेक
मिश्रा का है जो अखिलेश यादव के बहुत
खास हैं ओर लखनऊ संसदीय सीट से सपा के
प्रत्याशी हैं। में चाहता हूँ कि आप सभी इस
पर
जा कर नेता जी के wall पर टी.ई.टी से
सम्बन्धि इतने प्रश्न करे,
कि नेता जी को फेसबुक का मतलब पता चल
जाये।....
https://m.facebook.com/ProfAbhishekMishra?
v=timeline&_rdr
सीधी बात , बिना बकवास !!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteकल कि घटना केवल दद्दू ग्रुप पे थी जो टेट मोर्चा के महासचिव राजपाल जी के साथ मोरादाबाद में हुआ | उनको नीजि फ़ोन करके मैंने उनके स्वास्थ्य कि जानकारी ली और पूरा हाल जानने कि कोशिश कि |
हुआ यूँ था कि अखिलेश एक जन सभा को सम्बोधित कर रहे थे और राजपाल जी अकेले उस सभा में टेट से नियुक्ति कि आवाज को बढ़ाने के लिए चुपचाप बैनर लेके धरना दे रहे थे |
तभी अखिलेश यादव ने अपने सिक्यूरिटी गार्ड्स से उनका बैनर भी छिंवाया और उनको प्रताड़ित भी किया | उनके २५० रुपए तक छिन लिए गए |
तत्पश्चात अपने विरोध के डर से बदायूं कि जनसभा में जाके टेट के लिए उसके फटे मुंह से कुछ निकला है |
हमें प्रकाश इस बात पे डालना चाहिए कि एक बैनर ने जब अक्की कि नींद हराम कर दी तो सामूहिक आवाज में कितना दम होगा |
अगर हम इसके तलवे अब भी चाटेंगे जैसा हमरे नेता गण कर रहे हैं तो इससे होंसला मिलेगा हमें टरकाने का और ये लेट ही करता रहेगा |
एक चीज़ और आपको बता दूँ मैं नेताओं कि मेरिट हाई है और वे शायद रिजर्वेशन कोटे के लाभ का भी फायदा उठा लें पर एक आधी काउंसलिंग से सबका भला नहीं होगा और ये मामला भर्ती का लम्बा चला जाएगा , तो बेनेफिट हमारे नेता ले जाएंगे और फिर हम इनसे गुहार लगाएंगे कि हमारा भी कुछ कराओ तो यह कहेंगे पैसा खर्च होगा और लूट का खेल चालू क्यूंकि खून तो इनके मुंह लगा ही चुके हैं|
२६ महीने कि लड़ाई मैं नेता आज सपा बसपा बी.जे.पी कांग्रेस इनको फायदा पहुंचा रहे हैं नाकि हमें |
आगे इनकी मर्जी पर ये कटु सत्य है, अब हमें सांत्वना के आलावा कुछ नहीं मिलना है |
अब देखना ये है लौन्डे बाहर से भर्ती करेन्गे या सहाराश्री की तरह कारागार मे बैठ के ? !!
ReplyDeleteयुवराज - अबे प्लेट में चाय क्यूँ पी रहा है?
ReplyDeleteधोनी - साले कप तो तेरा बाप श्री ले गया ।।
हद हो गयी ...............एक मुख्यमंत्री जिसके लिये उसकी युवा शक्ति उसकी पहचान होती है ..............उत्तर प्रदेश में युवाओं की ऐसी दशा ................वास्तव में उस मुख्यमंत्री के लिये काल के समान है । भ्रती तो इनको करनी ही पड़ेगी और ये भी पक्का है ये भर्ती चाहे 1 महीने सोकर शुरू करें......
ReplyDeleteअंदरखाने ही सही, शुरू हो गई
ReplyDeleteतैयारीएससीईआरटीने मांगी 2011
में आए आवेदनों की सूची
इलाहाबाद। यूपी शिक्षक
पात्रता परीक्षा की मेरिट से
72,825 शिक्षक पदों पर भर्ती के
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद से
प्रदेश सरकार की ओर से अभी कोई
आदेश जारी नहीं किया गया है।
हालांकि अंदर ही अंदर
भर्ती प्रक्रिया के लिए
तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। दरअसल
प्रदेश के सभी जिला शिक्षण एवं
प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) से
2011 में आए
आवेदनों की जानकारी एससीईआरटी की ओर
से मांगी गई है।
2011 में टीईटी कराने
की जिम्मेदारी यूपी बोर्ड को और
प्रशिक्षु
शिक्षकों की नियुक्ति की जिम्मेदारी एससीईआरटी को दी गई
थी। मगर इसके बाद टीईटी और
भर्ती प्रक्रिया में विवादों के चलते
चयन प्रक्रिया रोक दी गई थी।
प्रदेश के सभी डायटों में तकरीबन
78 लाख आवेदन पड़े हुए हैं। ढाई
साल बाद सुप्रीम कोर्ट
का फैसला आने पर एक बार फिर नए
सिरे से तैयारियां की जा रही हैं।
बताया जा रहा है कि सचिव बेसिक
शिक्षा परिषद की ओर से
एससीईआरटी निदेशक से
कहा गया है कि वह 2011 मेें आए
आवेदनों की सूचना संकलित कर
परिषद को उपलब्ध कराएं। इसके
बाद ही एससीईआरटी ने प्रदेश के
सभी डायटों से 2011 के आवेदनों से
संबंधित सूचना मांगी है।
इलाहाबाद जिले की बात की जाए
तो यहां 2011 में एक हजार सहायक
अध्यापक पदों पर भर्ती के लिए डेढ़
लाख से अधिक आवेदन आए थे।
प्रदेश के सभी जिलों के डायटों से
आवेदनों की संख्या उपलब्ध होने के
बाद एससीईआरटी इसे बेसिक
शिक्षा परिषद को उपलब्ध
कराएगा।
हालांकि इस काम कितना वक्त
लगेगा कुछ कहा नहीं जा सकता है।
क्योंकि यह डायटों में मौजूद
आवेदनों की स्थिति पर निर्भर है।
अगर आवेदनों की डाटा फीडिंग
की गई होगी तो आंकड़े आसानी से
उपलब्ध हो जाएंगे। ऐसा नहीं है
तो वक्त लग सकता है।
एससीईआरटी द्वारा आंकड़े
उपलब्ध कराने के बाद
ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी ॥
we need to do a mass agitation in lucknow before voting in lucknow and also call all the candidate who are contesting from this seat.request has to be made by TETian to express their views public ally. by this process we can know the idealogy of these so called well wisher and please those who r insisting to open page related to abhishek mishra and complain for these issue then they will feel regret after some time because ye saaley ek thailee kay chattey battey hain? CHOR CHOR MAUSERAY BHAI KYA AKAL LESS KYA AAASSHISH BHAI?
ReplyDelete