नई दिल्ली। भारतीयों ने विदेशी बैंकों में 500 अरब डॉलर यानी 24.5 लाख करोड़ रुपये की काली कमाई जमा करा रखी है और सरकार के पास इसका लेखाजोखा नहीं है। कालेधन पर केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय के गोलमोल रवैये के बीच जांच एजेंसी सीबीआई ने यह खुलासा किया है। पहली बार किसी सरकारी एजेंसी ने यह बात कही है।
सीबीआई निदेशक एपी सिंह ने सोमवार को कहा कि स्विट्जरलैंड, लिस्टेनस्टीन, और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड जैसे टैक्स हेवेन देशों (कर चोरी के लिए सुरक्षित पनाहगाह) मेें जमा 24.5 लाख करोड़ रुपये से भारत की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। सिंह ने इस विडंबना की तरफ भी ध्यान खींचा कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की सूची में ऐसे 53 फीसदी देशों को कम भ्रष्ट बताया गया है जहां भ्रष्टाचार से अर्जित अधिकांश धन जाता है। इन देशों ने गैरकानूनी धन जमा कर रखे हैं। इनमें न्यूजीलैंड सबसे कम भ्रष्ट देश है जबकि सूची में सिंगापुर का पांचवां तथा स्विट्जरलैंड का सातवां स्थान है।
भ्रष्टाचार और संपत्ति की जब्ती पर इंटरपोल के पहले विश्वस्तरीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में सीबीआई निदेशक ने कहा कि भारत का सबसे ज्यादा काला धन स्विट्जरलैंड के बैंकों में है। जिन देशों में गैरकानूनी धन पहुंचता है उनमें सूचना देने के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है।
क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी अर्थव्यवस्था किस हद तक गरीब देशों से आने वाले इस अवैध और गैरकानूनी धन पर निर्भर है। ये देश काला धन जमा कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं। सीबीआई ने जांच में पाया है कि टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल और झारखंड के मधु कोड़ा मामले में धन पहले दुबई, सिंगापुुर और मारीशस जैसे देशों में गया और वहां से उसे स्विट्जरलैंड जैसे टैक्स हेवेन देशों में भेजा गया।