UPTET : Interpretation of Double Bench Order in Highcourt By A BLOG VISITOR (Mr. Shyam Dev Mishra )
प्रेषक: Shyam Dev Mishra <shyamdevmishra@gmail.com>
दिनांक: 7 अप्रैल 2012 2:32 am
विषय: TRANSLATION OF DOUBLE BENCH DECISION WITH CLEAR-CUT CLARIFICATION
प्रति: Muskan India <muskan24by7@gmail.com>
दिनांक: 7 अप्रैल 2012 2:32 am
विषय: TRANSLATION OF DOUBLE BENCH DECISION WITH CLEAR-CUT CLARIFICATION
प्रति: Muskan India <muskan24by7@gmail.com>
Muskan Ji,
The wrong intepretation of the HC decision of Special Appeal No. 280 of 2012 on 06.04.2012 spread vast confusion among the candidates of UPTET-2011 candidates. I have repared the attached clarification of the order and would request you to please publish it to end the confusion.
With best regards,
Yours sincerely,
SHYAM DEV MISHRA
Manager - Imports & Liaisan
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INTERPRETATION
एकल पीठ द्वारा पारित स्थगनादेश के विरुद्ध दाखिल विशेष अपील पर
6 अप्रैल 2012 को डबल बेंच द्वारा दिए गए निर्णय का अनुवाद
अनुवाद के पहले आप सबसे कहना चाहता हूँ कि "हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े-लिखे को फारसी क्या??" अर्थात हाथ में पहने जाने वाले कंगन को देखने के लिए आईने की क्या जरुरत और (फारसी भाषा) पढ़े-लिखे आदमी को फारसी में लिखी बात समझने में क्या समस्या होगी? भाइयों बचपन में हमें एक कहानी के माध्यम से शिक्षा दी गई थी कि यदि कोई कहे कि कौवा कान ले गया तो हमें बिना सोचे-समझे कौवे के पीछे भागने के बजाय ये देखना चाहिए कि हमारा कान अपनी जगह है कि नहीं. आज दिनभर ब्लॉग में कोर्ट के निर्णय की मनमानी व्याख्या और उसपर जिस प्रकार कि बहस और आशंकाएं चलती रहीं, उसे ध्यान में रखते हुए सभी चिंतित मित्रों से आग्रह है कि आप शिक्षक बन कर जब समाज को दिखा सकते हैं तो आपको कौन दिशाभ्रष्ट कर सकता है. कही-सुनी बातों के बजाय शांत-मन से अपने विवेक का इस्तेमाल करें और वास्तविकता को समझे.
प्रस्तुत है डबल बेंच द्वारा दिए गए निर्णय का सरल अनुवाद:
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इलाहाबाद हाईकोर्ट
केस अपील डिफेक्टिव स. - 280 of 2012
वादी - ललित मोहन सिंह एंड एएनआर
वादी - ललित मोहन सिंह एंड एएनआर
प्रतिवादी - स्टेट ऑफ़ यू.पी. व अन्य
वादी के वकील - सिद्धार्थ खरे व अशोक खरे
प्रतिवादी के वकील - सी.वी.सी. के.एस. कुशवाहा
प्रतिवादी के वकील - सी.वी.सी. के.एस. कुशवाहा
न्यायाधीशद्वय : माननीय यतीन्द्र सिंह व माननीय बी.अमित स्थालेकर
1. बेसिक शिक्षा परिषद् (बोर्ड) द्वारा संचालित विद्यालयों में प्रशिक्षु अध्यापकों के चयन का एक विज्ञापन 30.11.2011 को प्रकाशित हुआ. प्रशिक्षु अध्यापक सभी जिलों में तैनात होने हैं और यह विज्ञापन उत्तर प्रदेश के समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों की ओर से था.
2. इस विज्ञापन को चुनौती देते हुए रिट पेटीशन स. 76039 / 2011 दायर की जा चुकी है. एकल जज इस विज्ञापन के अंतर्गत होने वाले चयन और नियुक्ति पर स्थगनादेश देते हुए एक आदेश 04.01.2012 को पारित कर चुके हैं. अतएव दो वादियों, जो सम्बंधित विज्ञापन में स्वयं के अभ्यर्थी होने का दावा करते हैं, द्वारा (उपरोक्त स्थगनादेश के सन्दर्भ में) अपील दायर दाखिल करने की अनुमति प्रदान करने का प्रार्थनापत्र.
3. यह ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्तागण प्रशिक्षु शिक्षकों के चयन के आवेदनकर्ता भी हैं, अनुमति प्रदान की जाती है. चूंकि प्रतिवादी को अपील दायर करने में हुई देरी को क्षमा करने में कोई ऐतराज़ नहीं है, अतः देरी को क्षमा किया जाता है और इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाता है.
3 . Considering the facts that the appellants are also applicants in the selection of Apprentice Teachers, the leave is granted. The respondents have no objection to condone the delay in filing the appeal. The delay is condoned and it is heard for admission.
4. वादी के अधिवक्ता द्वारा निवेदन किया गया कि:
विज्ञापन के द्वारा 72825 पद विज्ञापित किये गए. यह रिट पेटीशन केवल एक व्यक्ति की ओर से है और इन मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित करना उचित न होगा; चयन प्रकिया को एकल जज द्वारा स्थगित नहीं किया जाना चाहिए था अपितु एकल जज को चयन-प्रकिया को जारी रहने की अनुमति देनी चाहिए थी और चयन रिट पेटीशन में दिए जाने वाले निर्णय द्वारा बाध्य होने चाहिए थे.
(एकल जज द्वारा) स्थगनादेश पारित करने का कारण था कि प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों की ओर से था. यह गलत नहीं था क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारीगण नियुक्ति-प्राधिकारी हैं और उन सभी की ओर से साथ में हमेशा एक विज्ञापन जारी किया जा सकता है.
एक विज्ञापन का प्रकाशन व्यावहारिक है और समूचे जिलों में आवेदकों के चयन का बेहतर तरीका है.
4. The counsel for the appellant submits that:
By the advertisement, 72825 posts have been advertised. This writ petition is on behalf of only one person and it is not proper to grant interim order in this case; The selection process ought not to have been stayed by the single Judge but the single Judge should have permitted the selection process to go on and the selection might have been made subject to decision in the writ petition; The reason for grant of stay order was that advertisement was on behalf of District Basic Education Officers of the State. This is not erroneous because the District Basic Education Officers are the appointing authority and one advertisement can always be issued on their behalf together;
The publication of one advertisement is practical and better way of selecting candidates in the entire district.
(ध्यान दें कि बिंदु 4 के अंतर्गत जो भी कुछ है वह कोर्ट का मत नहीं बल्कि वादी अर्थात ललित मोहन जी के अधिवक्ता द्वारा किया गया निवेदन / दी गई दलीलें हैं.)
5. पेटिशनर-प्रतिवादी के अधिवक्ता ने कहा कि;
इस रिट पेटीशन (स. 76039 / 2011) के अलावा, अन्य भी रिट पेटीशन हैं जो कि इस के साथ जोड़ दी जानी चाहिए. उन में कोई अंतरिम आदेश नहीं है. लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि केवल एक व्यक्ति चयन को चुनौती दे रहा है.
5. The counsel for the petitioner-respondent states that:
Apart from this writ petition there were other writ petitions that should have been connected with this one; There is no interim order in those cases, but it is not correct to say that only one person is challenging the selection.
(ध्यान दें कि बिंदु 5 में जो कुछ है वह स्टेट ऑफ़ उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता द्वारा किया गया निवेदन / दी गई दलील है.)
6. पक्षों के बीच कोई विवाद नहीं है कि इस रिट पेटीशन (स. 76039 / 2011 ) में काउंटर और रिजोइंडर शपथपत्रों का आदान-प्रदान हो चुका है और यह स्वयं एकल जज के सम्मुख 09 अप्रैल 2012 को प्रारंभ हो रहे सप्ताह में अंतिम निस्तारण के लिए सूचीबद्ध है. इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कि (बड़ी) संख्या में व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त होना है, यह उचित होगा कि एकल जज जल्द से जल्द अंतिम रूप से इस रिट पेटीशन (स. 76039 / 2011 ) के निर्णय पर विचार करें.
6. It is not disputed between the parties that counter and rejoinder affidavits have been exchanged in the writ petition and the writ petition itself is listed before the single Judge for final disposal in the week commencing 9.4.2012. Considering the facts that the number of persons are to be employed, it would be appropriate that the single Judge might consider finally deciding the writ petition at the earliest.
(ध्यान दें कि केवल बिंदु स. 6 में दी गई बातें ही डबल बेंच की राय है जिसमे एकल जज से अपेक्षा की गई है कि वो जल्द-से-जल्द रिट पेटीशन (स. 76039 / 2011 ) पर अंतिम निर्णय देने पर विचार करे)
7. उपरोक्त अवलोकनों के साथ उपरोक्त विशेष अपील ख़ारिज की जाती है.
आदेश तिथि: - 6.4.2012
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उपरोक्त निर्णय से स्पष्ट है कि चूंकि स्वनामधन्य प्रातःस्मरणीय महामना कपिल देव लाल बहादुर यादव जी महाराज द्वारा दायर याचिका एकल पीठ के सम्मुख निर्णय के लिए आने वाले सप्ताह में (वर्तमान में 9 अप्रैल को) सूचीबद्ध है, डबल बेंच ने विज्ञापन की वैधानिकता के सन्दर्भ में कोई भी मत या निर्णय न देते हुए मात्र एकल जज से विषयगत याचिका के कारण प्रभावित हो रहे लोगों की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए शीघ्रातिशीघ्र (परन्तु बिना कोई समय-सीमा दिए) इसके अंतिम निस्तारण पर विचार करने की अपेक्षा की है. भले ही इसमें टी.ई.टी. उत्तीर्ण और भर्ती चाहने वालों को प्रत्यक्ष रूप से कुछ सकारात्मक न दिखे पर याचिका की सुनवाई की तारीख 19 अप्रैल से घटकर 9 अप्रैल हो जाना भी दर्शाता है कि सुनवाई के लिए मामलों के क्रम निर्धारण में पहले की अपेक्षा अब इसे इसे प्राथमिकता दी गई है. यह भी डबल बेंच के द्वारा एकल पीठ से की गई अपेक्षा का नतीजा हो सकता है.
अब मैं 9 अप्रैल को सिंगल बेच के संभावित निर्णय, 11 अप्रैल 2012 को राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी के संभावित निर्णय और मुख्यमंत्री द्वारा टी.ई.टी. से जुड़े पहलुओं की जाँच और उनपर 3 हफ़्तों में अपनी संस्तुति देने के लिए मुख्य-सचिव की अध्यक्षता में गठित तीन-सदस्यीय समिति की कार्य-प्रगति और उसकी संस्तुतियों की प्रतीक्षा कर रहा हूँ. इस बीच यदि कुछ और नया मेरे संज्ञान में आता है तो आपके साथ साझा करूँगा.
सधन्यवाद,आपका
श्याम देव मिश्रा
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See Exact Case / Order Passed By Double Bench :
UPTET : Allahabad Highcourt Double Bench Pass an Order to Single Bench / Judge to Vacate / Finalize is Decision on 9th April 2012
Double Bench issue directives to Single Bench to " single Judge for final disposal in the week commencing 9.4.2012 " Considering the facts that the number of persons are to be employed, it would be appropriate that the single Judge might consider finally deciding the writ petition at the earliest.
It means hopefully stay on Primary Teacher recruitments will vacated from Allahabad Highcourt.
See Case Details
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DOUBLE BENCH TODAY JUDGEMENT:-
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Case :- SPECIAL APPEAL DEFECTIVE No. - 280 of 2012
Petitioner :- Lalit Mohan Singh And Anr.
Respondent :- State Of U.P. And Others
Petitioner Counsel :- Siddharth Khare,Ashok Khare
Respondent Counsel :- C.S.C.,Illigible,K.S. Kushwaha
Hon'ble Yatindra Singh,J.
Hon'ble B. Amit Sthalekar,J.
1. An advertisement for selection of Apprentice Teachers was published on 30.11.2011 in the primary school run by UP Basic Education Board (the Board). The Apprentice teachers are to be engaged in all districts and this advertisement was on behalf of all District Basic Education Officers of the State of UP.
2. WP No. 76039 of 2011 has been filed challenging the advertisement. The single Judge has passed an order on 4.1.2012 staying the selection and appointment in pursuance of the advertisement. Hence the present appeal by the two appellants, who claim themselves to be the applicants in the advertisement alongwith application to grant leave to file appeal.
3. Considering the facts that the appellants are also applicants in the selection of Apprentice Teachers, the leave is granted. The respondents have no objection to condone the delay in filing the appeal. The delay is condoned and it is heard for admission.
4. The counsel for the appellant submits that:
By the advertisement, 72825 posts have been advertised. This writ petition is on behalf of only one person and it is not proper to grant interim order in this case; The selection process ought not to have been stayed by the single Judge but the single Judge should have permitted the selection process to go on and the selection might have been made subject to decision in the writ petition;
The reason for grant of stay order was that advertisement was on behalf of District Basic Education Officers of the State. This is not erroneous because the District Basic Education Officers are the appointing authority and one advertisement can always be issued on their behalf together;
The publication of one advertisement is practical and better way of selecting candidates in the entire district.
5. The counsel for the petitioner-respondent states that:
Apart from this writ petition there were other writ petitions that should have been connected with this one; There is no interim order in those cases, but it is not correct to say that only one person is challenging the selection.
6. It is not disputed between the parties that counter and rejoinder affidavits have been exchanged in the writ petition and the writ petition itself is listed before the single Judge for final disposal in the week commencing 9.4.2012. Considering the facts that the number of persons are to be employed, it would be appropriate that the single Judge might consider finally deciding the writ petition at the earliest.
7. With the aforesaid observations, the special appeal is dismissed.
Order Date :- 6.4.2012
SK Singh
Source : http://elegalix2.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=1781025