UPTET : A Small Article
उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती : अब क्या होगा रे हम कठपुतलियों का
अभ्यर्थी खिलौना हो गए - कभी राज्य सरकार की ओर देखते हैं तो कभी कोर्ट की ओर क्या भविष्य होगा , कब नौकरी लगेगी
लगता है मीडिया को टीईटी अभ्यर्थियों की पीड़ा दिखाई नहीं दे रही -
जो लोग कह रहे हैं कि परीक्षा में धांधली हुई है , इन लोगो को भी १० वी या १२ वी कक्षा में फेल कर देना चाहिए , क्योकि इनके साथ में कभी किसी और ने नक़ल की थी और वो धांधली में पकड़ा गया , और दोबारा से परीक्षा करानी चाहिए , तब तक कराते रहना चाहिए जब तक कि १०० % शुद्धता से परीक्षा संपन्न न हो जाये |
अभी हाल ही में U. P. में १०, १२ क़ी परीक्षा हुई तथा
विश्वविद्यालय क़ी परीक्षा चल रही है, आये दिन नकलची पकड़े जा रहे हैं तो क्या पूरी परीक्षा रद्द हुई, नहीं , केवल दोषी विद्यार्थी ही सजा के पात्र होते हैं , सारे विद्यार्थी नहीं |
मीडिया में आये दिन टी ई टी भर्ती निरस्त होने की बाते आ रही है , विज्ञापन निरस्त हुआ नहीं और मामला अदालत में चल रहा है
हो सकता है कि टी ई टी भर्ती निरस्त करने की कोई तैयारी क़ी जा रही हो , पर अभ्यर्थी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं उसको देखते हुए सभी नियम कानून की स्पष्ट व्याख्या के साथ ख़बरें दी जानी चाहिए
कोई भी तथ्यों की बात नहीं करता , हर समय खबरे आती रहती हैं कि - टी ई टी सिर्फ एलिजीबिलिटी टेस्ट है
वे लोग इतने गैर जिमेदाराना बात इतनी आसानी से कह देते हैं जैसे कोई हंसी मजाक हो जब नियम बनाये तब तो कुछ कहते नहीं है , अब आप ही देखीये नियम क्या कहते हैं -
एन सी टी ई ने साफ़ शब्दों में कहा है कि टी ई टी अंकों को चयन में वेटेज दीया जाये -
तो साफ है कि ये सिर्फ पात्रता परीक्षा नहीं है , चयन का एक आधार भी देती है
9(b) should give weightage to the TET scores in the recruitment process;
however, qualifying the TET would not confer a right on any person for recruitment/employment as it is only one of the eligibility criteria for
appointment
टी ई टी अंकों के सुधार / वृद्धी हेतु , अभ्यर्थी पुन : परीक्षा में बैठ सकते -
See :
Frequency of conduct of TET and validity period of TET certificate :-
11 The appropriate Government should conduct a TET at least once every year. The Validity Period of TET qualifying certificate for appointment will be decided by the appropriate Government subject to a maximum of seven years for all categories. But there will be no restriction on the number of attempts a person can take for acquiring a TET Certificate. A person who has qualified TET may also appear again for improving his/her score.
अगर ये ये पात्रता परीक्षा है, तो अंकों के सुधार का क्या मतलब
इस समय अभ्यर्थी वैसे ही मानसिक वेदना से गुजर रहे हैं और ऐसी गैर जिम्मेदाराना बातें उन पर क्या असर डालती होंगी , कोई मतलब नहीं
ऐसी भ्रामक जानकारी से अगर कोई हादसा हो जाये तो कोन जिम्मेदार होगा
ये लोग के वी एस(K.V. S) भर्ती , एस एस ए, चंडीगढ़ की भर्ती के खिलाफ क्यूँ नहीं आवाज उठाते वहां भी टी ई टी के अंकों का भर्ती में उपयोग किया गया |
अभी हाल ही में केवीएस (K.V. S) ने अपने सेलेक्सन में टीईटी मार्क्स को कट - ऑफ़ में लिया |
एसएसए चंडीगढ़ ने ५० प्रतिशत टीईटी मार्क्स को सेलेक्सन में वेटेज दिया , राजस्थान ग्रेड थ्री अध्यापक के चयन में २० प्रतिशत टीईटी मार्क्स के वेटेज को लिया जा रहा है
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See :http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2011/12/uptet-allahabad-highcourt-dismissed.html
For the purpose of making selection and appointment as Assistant Teacher the said qualification cannot be made a basis/foundation particularly considering the process of the said test as it amounts to change of rules of the game when the game has already commenced and in support thereof placed reliance on judgements of this Court in K. Manjusree Vs. State of Andhra Pradesh and another (2008) 3 SCC 512 and Hemani Malhotra Vs. High Court of Delhi (2008) 7 SCC 11.
In these circumstances, it cannot be said that rules of the game have been changed afterwards inasmuch the two processes cover different fields and operate totally differently.
In Baloji Badhavath (supra), it was held that a procedure evolved for laying down mode and manner for consideration of a right to be considered for appointment can be interfered with only when it is arbitrary, discriminatory or wholly unfair, which learned counsel for petitioner failed to prove in the case in hand and, therefore, reliance placed thereon is totally misconceived.
इलाहबाद हाई कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि -
टी ई टी अंकों से चयन , एन सी टी ई के नियमानुसार है व एक बार प्रक्रिया निर्धारित होने के बाद उसका बदला जाना पक्षपात पूर्ण है (जब गेम / प्रक्रिया शुरू हो चुकी हो
See :http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2011/12/uptet-allahabad-highcourt-dismissed.html
यु पी टीईटी के माध्यम से नियमानुसार अभ्यर्थी (टीईटी मेरिट होल्डर) नोकरी पाने व भर्ती के पात्र थे |
सिर्फ काउंसलिंग के जरिए भर्ती पात्र / नियुक्ति पात्र दीये जाने बाकि थे |
For the purpose of making selection and appointment as Assistant Teacher the said qualification cannot be made a basis/foundation particularly considering the process of the said test as it amounts to change of rules of the game when the game has already commenced and in support thereof placed reliance on judgements of this Court in K. Manjusree Vs. State of Andhra Pradesh and another (2008) 3 SCC 512 and Hemani Malhotra Vs. High Court of Delhi (2008) 7 SCC 11.
In these circumstances, it cannot be said that rules of the game have been changed afterwards inasmuch the two processes cover different fields and operate totally differently.
In Baloji Badhavath (supra), it was held that a procedure evolved for laying down mode and manner for consideration of a right to be considered for appointment can be interfered with only when it is arbitrary, discriminatory or wholly unfair, which learned counsel for petitioner failed to prove in the case in hand and, therefore, reliance placed thereon is totally misconceived.
9. So far as making of qualifying examination basis of selection is concerned, it is always permissible to the rules framing authority to determine the criteria for selection which may base on the merits of the candidate possessed in various academic qualifications or qualifying test or any other criteria which may otherwise be valid and once it is so determined, unless it can be said that the same amendment in the rule is contrary to any statutory provision or otherwise ultra vires or vitiated in law, the same cannot be interfered.
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काफी सारे मामलों में कोर्ट ने स्पष्ट किया की -
टी ई टी अंकों से भर्ती सराहनीय है क्योकि इससे पक्षपात रहित भर्ती होती है , विद्यार्थी चाहे किसी भी बोर्ड के हो , चाहे उनके कितने भी प्रतिशत अंक हो , टी.इ. टी. सारे विद्यार्थियों के लिए समान है और कोई नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है , पर मीडिया इन सब खबरों से दूर है कारण - बहुमत टी ई टी फेल वालों व अन्य के साथ है
सच को झूठ व झूठ को सच में बदलना असली खेल है
देखीये कोर्ट के निर्णय :
कोर्ट ने बेवजह टी ई टी केंडीडेट्स पर आरोप लगाने पर जुरमाना भी लगाया ,
पर मीडिया ने ऐसी बातें / रिपोर्ट कभी नहीं दी
जब भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं तो टी ई टी को भर्ती परीक्षा के रूप में स्वीकार कर सकते है जब इसके अंकों का महत्व है
टी ई टी वास्तव में एक टीचर एप्टीटिउयूड टेस्ट है जो कि एन सी टी ई के नियमानुसार योग्य अभ्यर्थियो के चयन में मदद करता है
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U. P. में ही लुट गया U. P. बोर्ड
जब केंद्र सरकार स्केलिंग पद्दति से चयन करती है तो U. P. बोर्ड क्यूँ नहीं -
See :
Percentage Cut-off Marks# of Various State-Boards Result in class XII for
2008, 2009, 2010, and 2011
| ||||
2008
|
2009
|
2010
|
2011
| |
UP Board
|
69.2
|
72.6
|
77
|
77
|
CBSE
|
91
|
92.4
|
91.8
|
93.2
|
ICSE
|
93
|
93.3
|
93.2
|
93.43
|
बड़े अधिकारी (जो निर्णय लेते हैं) उनके बच्चे सी बी एस ई / आई सी एस ई बोर्ड में पड़ते हैं तो वो U. P. बोर्ड वालों की क्यों सोचें
पूर्व में कई बार खबर आयी (एल टी ग्रेड टीचर सेलेक्सन , बी टी सी चयन आदि ) की उत्तर प्रदेश में U. P. बोर्ड के लोग पिछड़ जाते हैं और कुछ घोटाले भी उजागर हुए हैं ( सम्पूर्णानन्द यूनीवर्सिटी आदि द्वारा और अदालत ने इस पर तल्ख़ टिप्पणी भी की है ) देखीये -
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विज्ञापन विषय :
जब विज्ञापन निकाला गया तब तो किसी विभागीय अधिकारी ने कोई टिप्पणी नहीं की - कि उनके अधिकारों का कोई हनन हुआ है इसका तात्पर्य है कि सभी कार्य - उत्तरदायी अधिकारी ( ( सभी
जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी ) की जानकारी में हुए हैं |
पर लगता है कि किसी एक टीईटी अभ्यर्थी (जिसके टीईटी परीक्षा में कम अंक आये ) ने मामले को लटकाने के लिये - किसी नियम का गलत सहारा लिया है
कई लोगो का मानना है कि कोर्ट को ऐसा हल निकलना चाहिए -
कि लाठी भी न टूटे और सांप भी मर जाये
जब लाखों अभ्यर्थीओं ने उत्तर प्रदेश प्राथमिक / असिस्टेंट शिक्षक में चयन के लिये शासनादेश के आधार पर आवेदन कर ही दिया है , तो विज्ञापन संशोधन जैसा कोई आदेश आ जाये |
क्योंकी विज्ञापन के निकलने में अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है |
जिन लोगो ने अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है , उन्हें कठोर दंड दिया जाना चाहिए , जिससे ऐसी गलती कि पुनरावृति न हो |
इससे पहले भी रिसल्ट / परीक्षा परिणाम के संसोधन हो चुके हैं , तो ये कोई बड़ा मसला नहीं है |
(It is felt by many candidates/viewers)