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Thursday, April 25, 2013

UPTET 2013 : टीईटी: इंतजार खत्म, आज से करें आवेदन


UPTET 2013 : टीईटी: इंतजार खत्म, आज से करें आवेदन

 शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का लंबा इंतजार अब खत्म हो गया। परीक्षा आयोजन को लेकर शासन ने विज्ञप्ति जारी कर दी है। आवेदन की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो जाएगी।

शिक्षक भर्ती को टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है। परीक्षा सचिव नियामक प्राधिकरण नीना श्रीवास्तव ने टीईटी 2013 के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी है। अब जिले के हजारों बीएड, बीटीसी, उर्दू बीटीसी प्रशिक्षितों का इंतजार खत्म हो गया। ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया 26 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। 18 मई तक आवेदन जमा होंगे। सामान्य और ओबीसी वर्ग के आवेदकों को 300 रुपए तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के आवेदकों को 150 रुपए का शुल्क जमा करना होगा। वहीं विकलांग आवेदकों से कोई शुल्क नहीं लगेगा। बताते चलें कि प्रदेश में बसपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2011 में नवंबर के महीने में पहली बार टीईटी परीक्षा का आयोजन कराया गया था। परीक्षा की जिम्मेदारी यूपी बोर्ड को सौंपी गई थी। उस समय परीक्षा में धांधली हुई थी। जिसके कारण तत्कालीन शिक्षा निदेशक संजय मोहन को जेल तक जाना पड़ा। इसके बाद टीईटी पर विवाद बढ़ता ही चला गया। इस समय मामला कोर्ट में चल रहा है। जिसके कारण दुबारा परीक्षा का आयोजन न हो सका। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक 6 माह पर परीक्षा का आयोजन कराना अनिवार्य किया गया है।

टीईटी की महत्वपूर्ण तिथियां

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* 26 अप्रैल से ऑनलाइन पंजीकरण।
* 27 अप्रैल से ई-चालान से आवेदन शुल्क जमा करने की प्रक्रिया।
* 13 मई पंजीकरण की अंतिम तिथि।
* 15 मई ई-चालान से आवेदन शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि।
* 18 मई आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि



News Source : Jagran (Updated on: Thu, 25 Apr 2013 06:51 PM (IST))
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From tomorrow onwards, You can apply for UPTET 2013 on Up Education Department website.

Get in touch with this BLOG, We will provide you all updates regarding UPTET 2013 exam.
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LT Grade / TET / Uttrakhand TET News : एलटी नियुक्ति को टीईटी-दो अनिवार्य

LT Grade / TET / Uttrakhand TET News : एलटी नियुक्ति को टीईटी-दो अनिवार्य




  
 देहरादून

प्रदेश में एलटी शिक्षक के रूप में नियुक्ति की राह तक रहे हजारों बीएड प्रशिक्षितों को केंद्र सरकार ने झटका दिया है। उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से निजात नहीं मिलने वाली। रोजगार के लिए उन्हें भी टीईटी-दो अनिवार्य रूप से पास करना होगा। केंद्र सरकार के इस फरमान के बाद अब राज्य को एलटी नियमावली में संशोधन करना होगा। शिक्षा महकमा इस कवायद में जुट गया है। इस वजह से टीईटी परीक्षा भी अब जल्द कराने की तैयारी है।

प्रदेश में एलटी शिक्षकों के चार हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। सिर्फ राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत खुले 228 स्कूलों में शिक्षकों के तकरीबन दो हजार पद रिक्त हैं। इन पदों पर नियुक्ति के लिए भी अब बीएड प्रशिक्षितों को टीईटी-दो पास करना होगा। दरअसल, एलटी शिक्षक कक्षा छह से दसवीं कक्षा तक पढ़ाते हैं। छठवीं, सातवीं और आठवीं कक्षा इसके दायरे में होने के कारण केंद्र सरकार ने एलटी नियुक्तियों में भी टीईटी-दो को अनिवार्य किया है। इस बाबत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र भेजा। अब केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र भेजकर इस संबंध में स्थिति साफ कर दी है। केंद्र सरकार ने एलटी नियुक्तियों के लिए टीईटी-दो को अनिवार्य बताया है। मौजूदा व्यवस्था में एलटी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी-दो पास करने का प्रावधान नहीं है। कक्षा छह से आठवीं तक अध्यापकों के सीटी संवर्ग को काफी पहले मृत संवर्ग घोषित कर एलटी संवर्ग में समायोजित किया जा चुका है।

एलटी नियुक्तियों के लिए टीईटी-दो पास करने की व्यवस्था अभी एलटी नियमावली में नहीं है। लिहाजा नियमावली में संशोधन किया जाएगा। केंद्र का फरमान मिलने के बाद राज्य सरकार के लिए फिलहाल असहज स्थितियां बन गई हैं। सरकार अब बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन कार्य निपटने के बाद टीईटी और टीईटी-दो जल्द आयोजित करने की तैयारियों में जुट गई है। शिक्षा सचिव मनीषा पंवार ने एलटी नियुक्तियों के लिए टीईटी-दो अनिवार्य किए जाने के केंद्र सरकार के निर्देशों की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि एलटी की नई नियुक्तियां नई व्यवस्था के तहत होंगी। इसके लिए नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि टीईटी जल्द आयोजित की जाएगी


News Source : Jagran (Updated on: Thu, 25 Apr 2013 07:34 AM (IST))
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KVS, DSSSB also require TET Qualification for TGT Post.

However as per NCTE guidelines , TET is MUST for 1st to 8th Class Teachers.

But Many states conducted TET exam for upper classes teachers ( TGT, PGT) eg Gujarat, Harayana etc.

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Wednesday, April 24, 2013

UPTET / UP Basic Edication / RTE News : सरकारी शिक्षा को बदनाम कर रहा है केंद्र



UPTET / UP Basic Edication / RTE News : सरकारी शिक्षा को बदनाम कर रहा है केंद्र
रामगोबिंद बोले-शिक्षा पर सरकारी नियंत्रण जरूरी, नियंत्रण खत्म हुआ तो मच जाएगी अफरातफरी


लखनऊ। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोबिंद चौधरी का गुबार मंगलवार को फट पड़ा। सर्व शिक्षा अभियान के बजट में की गई कटौती से वह भरे हुए थे। 
केंद्रीय अधिकारियों की उपस्थिति में चौधरी ने कहा कि सरकार को बदनाम किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज नहीं हो रहा...। सरकारी योजनाएं खराब हैं...।
 सरकारी शिक्षा खराब है...। प्राइवेट स्कूलों में अच्छी पढ़ाई हो रही है...। यह सब साजिश है। 
यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल होने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है और सीबीएसई परीक्षाओं की चर्चा तक नहीं होती। सरकार को बदनाम करने का ट्रेंड शुरू हो गया है, ताकि सरकारी नियंत्रण समाप्त कर निजीकरण किया जा सके। सरकारी नियंत्रण जिस दिन खत्म हुआ, उस दिन अफरा-तफरी मच जाएगी। बेसिक शिक्षा मंत्री इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मंगलवार को शैक्षिक नियोजन एवं प्रशासन विषय पर शिक्षा अधिकारियों की दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो. आर. गोविंदा को पहले तो इस कार्यक्रम के लिए बधाई दी। कहा कि वे खुद चाहते थे कि सभी अधिकारी एक छत के नीचे जुटें और शिक्षा में सुधार के लिए रणनीति बनाएं। शिक्षा में क्रांति की जरूरत है। 
प्रधानमंत्री ने भी माना है कि गणित और विज्ञान के शिक्षकों की कमी है। उनकी चिंता जायज है। 
शिक्षा में वाकई सुधार की जरूरत है, पर अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। प्रो. गोविंदा की तरफ इशारा करते हुए चौधरी ने कहा कि आप तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय की केंद्रीय सलाहकार कमेटी में हैं। आपने मुझे और मैंने आपको सुना है। कहना तो नहीं चाहता, लेकिन कहे देता हूं कि
 हमने अधिकारियों की गाड़ियों के लिए पैसा मांगा पर नहीं दिया गया। सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल की तरह ड्रेस देने का पैसा मांगा, पर नहीं दिया गया। प्रति बच्चा 200 रुपये दिया जाता है। इससे बच्चे जो ड्रेस दिया जाता है उसे वे पहनकर ही गरीब लगते हैं। ऊपर ड्रेस होता है और नीचे जूता-मोजा नहीं होता। स्कूलों में विद्युतीकरण, शौचालय, हैंडपंप का पैसा मांगा गया, वह केंद्र सरकार ने नहीं दिया।


शिक्षकों को दुश्मन न मानें अफसर
लखनऊ (ब्यूरो)। राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. आर. गोविंदा ने कहा कि शिक्षा के बिना आर्थिक प्रगति संभव नहीं है। पूरे विश्व में हमारे ज्ञान की तरीफ की जाती है, लेकिन शिक्षा को जितना महत्व दिया जाना चाहिए, वह नहीं मिला। देश में 100 में मात्र 50 बच्चे ही आठवीं की परीक्षा पास कर पाते हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे देश में शिक्षा में प्रगति नहीं हुई है, पर जितनी होनी चाहिए, उतनी नहीं हुई। अधिकारियों को शिक्षकों को दुश्मन नहीं मानना चाहिए। शिक्षक ही शिक्षा व्यवस्था को सुधार सकते हैं।
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UP Education Minister Ram Govind Chowdry Ka Bayaan - 
Kendra Sarkaar ( Central Government) to Kuber hain Agar Vahee Paise Ka Rona Roye to Ho Chukaa Kaam, Agar Vo Paisa De to Ham UP Ko Education Mein Number -1 , Banaa Denge




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प्रो. गोविंदा इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मंगलवार को शैक्षिक नियोजन एवं प्रशासन विषय पर शिक्षा अधिकारियों की दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्वीकार किया कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। बच्चों को अच्छी सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। स्कूली गतिविधियां ठीक नहीं हैं। मैनेजमेंट की व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। वर्ष 1992 में शिक्षा के लिए जिला प्लान बनाया गया था, यह कितना सफल हुआ। अब सर्व शिक्षा अभियान की क्या स्थिति है, इस पर विचार की जरूरत है। यह सच है कि पहले सरकारी स्कूलों से बीच सत्र में 50 फीसदी बच्चे पढ़ाई छोड़ देते थे, अब 42 प्रतिशत छोड़ रहे हैं।
प्रो. गोविंदा ने कहा कि केवल सुविधा देने से ही प्रगति नहीं होती है। मौजूदा शिक्षा व्यवस्था से सभी संतुष्ट नहीं हैं। हम सब इसका कारण जानते हैं। पूछने पर कहा जाता है कि हमारा सिस्टम ही ऐसा है।


सूबे के 1.70 लाख शिक्षा मित्र बनेंगे शिक्षक ः ः उस्मानी

प्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने बताया कि 1.70 लाख शिक्षा मित्रों को दो वर्षीय ट्रेनिंग देकर सहायक अध्यापक बनाया जाएगा। इस वर्ष 60 हजार, अगले वर्ष 64 हजार और शेष 46 हजार को जून 2015 तक सहायक अध्यापक बना दिया जाएगा। 72,825 टीईटी पास बीएड वालों को तथा 10,800 विशिष्ट बीटीसी को विधिक अड़चन दूर होने के बाद शिक्षक बनाया जाएगा। डायट में प्रवक्ता के खाली पदों पर भी शीघ्र भर्ती की जाएगी। सभी स्कूलों में पेयजल व शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। बच्चों को प्रवेश देने के लिए स्कूल चलो अभियान चल रहा है। लड़कियों के लिए 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय चल रहे हैं। आशीर्वाद योजना के तहत स्कूली बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराने के निर्देश दिए गए हैं। मानक के अनुसार स्कूल खोले जा रहे हैं। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कन्या विद्या धन योजना शुरू की गई है। नवीन सूचना और संचार तकनीकी से परिचित कराने के लिए 50 लाख छात्र-छात्राओं को मुफ्त लैपटॉप व टैबलेट दिए जाएंगे। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह, कैलाश चौरसिया, वसीम अहमद, माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री विजय बहादुर पाल ने भी विचार रखे



News Source / Sabhaar : Amar Ujala / अमर उजाला (24.4.2013)
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News Review on Blog -

Ab abhibhavak, chhatr , shikshak bhrtee ke abhyarthee jaagruk ho chuke hain aur ve jaante hain ki -

Kya Ho rahaa hai, Kon See Education Achhee Hai, Kon Se Teacher Achhe Hain

Ab log facebook par bhee debate karne lage hain 

NCTE ne RTE (Sarva Shiksha Abhiyaan) ke liye jo maanak banaye us kee achhayee burayee par aaye din debate ho raheee hai

UP mein B. Ed qualified TET candidates lambe samay se job ka intjaar kar rahe hain
Upper Primary TET pass bhee bahut se log hain

Private verses Govt. Education mein kitne Govt. Minister / Public Server (IAS , PCS,  Class 1, Class 2 officers), Apne Bachhon ko Govt. Schools mein Education Dilwaate hain.


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Tuesday, April 23, 2013

UPTET / UP EDUCATION SYSTEM : सरकारी शिक्षा को बदनाम करने की हो रही साजिश


UPTET / UP EDUCATION SYSTEM : सरकारी शिक्षा को बदनाम करने की हो रही साजिश


   
-जब वाहन नहीं हैं तो अफसर कैसे करें स्कूलों में पढ़ाई की निगरानी : रामगोविंद

-संसाधन मुहैया न कराने के लिए केंद्र पर भी साधा निशाना

News Sabhaar : जागरण / Jagran Epaper (Popular North India News Paper)

लखनऊ : बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने मंगलवार को यहां शिक्षा अधिकारियों की राज्य स्तरीय संगोष्ठी में यह कहकर चौंका दिया कि सुनियोजित षडयंत्र के तहत सरकारी स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था को बदनाम करने की साजिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यूपी बोर्ड परीक्षाओं में नकल का हल्ला हर साल होता है लेकिन कोई यह नहीं जानता कि कब सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाएं हो जाती हैं और कौन उनकी कॉपियां जांचता है। सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर उन्होंने केंद्र सरकार को पर्याप्त संसाधन मुहैया न कराने के लिए भी कठघरे में खड़ा किया। यह कहते हुए कि सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए योजनाओं को लागू कर देने भर से शिक्षा का भला नहीं होगा

बेसिक शिक्षा मंत्री नई दिल्ली के राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (न्यूपा) और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर तो बहस होती है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास वाहन ही नहीं हैं कि वे स्कूलों में जाकर पढ़ाई की निगरानी कर सकें। केंद्र यदि संसाधन मुहैया कराकर शिक्षा अधिकारियों को चिंतामुक्त कर दे तो समस्या का समाधान हो जाएगा। मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों के बच्चों की तो यूनिफॉर्म भी गरीब होती है। केंद्र सरकार एक सेट यूनिफॉर्म के लिए मात्र 200 रुपये स्वीकृत करती है जो नाकाफी है। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद (कैब) की बैठक में यूनिफॉर्म की धनराशि बढ़ाने तथा बच्चों को टाई व जूता-मोजा उपलब्ध कराने की उनकी मांग को केंद्र ने अनसुना कर दिया। यदि केंद्र सरकार सिर्फ शत प्रतिशत सरकारी स्कूलों में विद्युतीकरण कार्य कराने के साथ शौचालय व पेयजल का प्रबंध करा दे तो हम पब्लिक स्कूलों को यह साबित कर देंगे कि प्रतिद्वंद्विता क्या होती है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि महकमे के अधिकारी यदि अपनी सोच बदलकर मनोयोग से जुट जाएं तो शिक्षा का बिगड़ा काम सुधारा जा सकता है।

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री विजय बहादुर पाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चाहते हैं कि बच्चे 'क' से कबूतर की बजाय 'क' से कंप्यूटर पढ़ें। वहीं बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने शिक्षा में गुणवत्ता के साथ नैतिकता पर भी जोर दिया। इससे पहले न्यूपा की प्रो.नजमा अख्तर ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षा अधिकारियों में ऐसा प्रबंध और प्रशासकीय कौशल विकसित करना है जिससे कि वे अपने चुनौतीपूर्ण दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सकें। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने कहा कि संगोष्ठी से निकलने वाले सकारात्मक निष्कर्षों को फील्ड में क्रियान्वित किया जाएगा।

----- इनसेट -----

सिस्टम को दोष देने से नहीं होगा सुधार : गोविंदा

न्यूपा के कुलपति प्रो.आर गोविंदा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि स्कूलों में बच्चों के नामांकन पर जोर है लेकिन उपस्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उप्र बेसिक एजुकेशन प्रोग्राम के लागू होने के 20 साल बाद भी आज 42 फीसद बच्चे ड्रॉप आउट होते हैं। यह जानने की कोशिश नहीं होती कि क्या आज शिक्षक बेहतर पढ़ा रहे हैं, क्या बच्चो के सीखने-समझने का स्तर बढ़ा है। शिक्षा में सुधार न आने के लिए सिस्टम पर दोष मढ़ने से काम नहीं चलेगा। निचले स्तर के अधिकारी भी इतने असहाय नहीं कि वे कुछ नहीं कर सकते। देश में 50 फीसद बच्चे आठवीं की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते। बच्चे आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन 19वीं-20वीं सदी की हमारी शिक्षा प्रणाली उन्हें पीछे धकेल रही है। शिक्षा के लिए बनायी गई नीतियों से लोग भले संतुष्ट हों लेकिन वे सुधार की रफ्तार से संतुष्ट नहीं हैं। वे योजनाओं के परिणाम जानना चाहते हैं। ब्रिटिशकाल से विरासत में मिली शैक्षिक प्रबंधन व्यवस्था में भी वे बदलाव चाहते हैं।

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दूर होगी शिक्षकों की कमी

मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने कहा कि प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के तकरीबन तीन लाख पद रिक्त हैं लेकिन 2013-14 के अंत तक यह कमी काफी हद तक दूर कर दी जाएगी। इनमें से 1.7 लाख पदों पर शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देकर समायोजित करने वाला उप्र पहला राज्य बनेगा। विधिक अड़चनें दूर होने के बाद 72,825 पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी दो तीन महीने में पूरी कर ली जाएगी। डायट में प्रवक्ताओं और वरिष्ठ प्रवक्ताओं के खाली पदों को शीघ्र लोक सेवा आयोग के जरिये भरने के लिए कार्यवाही के निर्देश दिये गए हैं। 38 जिलों के अल्पसंख्यक व अनुसूचित जाति बहुल ब्लाकों में ब्लॉक इन्स्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन की स्थापना की जा रही है

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होगी अच्छे स्कूल की तलाश

प्रो.आर.गोविंदा ने बताया कि देश में ऐसे हजारों सरकारी स्कूल हैं जो अच्छा काम कर रहे हैं। न्यूपा 'अच्छे स्कूल की तलाश' नामक प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत अच्छा काम करने वाले 1000 स्कूलों को हर साल चुनकर उनकी उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। जमीनी स्तर पर काम करने वाले शिक्षा अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए न्यूपा एक और प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा में नवाचार लाने वाले ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर के अधिकारियों को चिन्हित कर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा



News Source  / Sabhaar : Jagran (Updated on: Tue, 23 Apr 2013 07:31 PM (IST))
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News Review -

Lagta hai UP mein Nakal ka Theekra Kendra Sarkar Par Fod Diya Hai , 
Shiksha Adhikariyon ke Pas Gadeeyan nahin hain, Aur Agar Kendra Sarkaree Vehicle / Gadeeyan Muhayaa Karay to Schools kee Nigraanee Kar Sakenge

Sansaadhan Kon Prdaan kare ???

Dusree Taraf , 72825 Teachers kee Post Jald Bhar Jayengee, Court se Maamla Nipat te hee 2-3 Mahine Mein Prakriya Pooree Kar Lee Jayegee.

Shiksha Mitron Ka Samayojan Kiya Jayegaa, Magar Jab Shiksha Mitron Ke Liye TET se Choot Milegee Tabhee to unkee bhrtee ho payegee.

Jab 3 lakh post vacant hain to UP mein bahut saare TET Qualified / B. Ed Dharee log Job Ke Intjaar mein bethe hain , 
Upper primary UPTET Qualified ke bhee bahur saare log Nokri Ka Intjaar Kar rahe hain.

Ku6 bhee ho samasyaa ka samadhaan hona chahiye.

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UPTET : Forgery & Bad Luck of Shiksha Mitra Candidate for Appointment of Teacher


UPTET : Forgery & Bad Luck of Shiksha Mitra Candidate for Appointment of Teacher


Muje lagta hai yeh ek badeee ajeeb kahanee hai kismat kee -

is kahanee mein Mamta Upadhya naam kee ladkee ne farjee marksheet ke jariye Nokri hathiyayee,
Lekin jab baad mein Pol khulee to usne Nokri se isteefa .Resign de diya.

Tab merit list mein uske baad vaalee ladkee Shakuntla Yadav ne Nokri par claim kiya, 
Lekin Court ne yeh kehte hue uska Maamla Kharij Kar Diya ki RTE Act ke Tehat -

Shiksha Mitron ki Regular Bhrtee Par Rok Lag Chukee Hai, Aur 
Farjee Marksheet Valee Mamta ne pehle hee Isteefaa De Diya Hai,
Isleeya Shakuntla Yadav ka Nokri Par Claim Nahin Bantaa


Aaap bhee gor se nirnay paden aur batayen agar ku6 sansodhit baat aapko samjh aatee hai to -



See Judgement -
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HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

Court No. 30

Civil Misc. Writ Petition No. 3408 of 2013
Smt. Shakuntla Yadav
Versus
State of U.P. and others

Hon'ble V.K. Shukla,J
Earlier Smt. Shakuntla Yadav petitioener was before this Court complaining therein that Mamta Upadhaya has succeeded in procuring appointment based on fraud and manipulation being made in her mark sheet. This Court on 18.9.2012 directed the District Magistrate to conduct inquiry into the matter as to whether manipulation has been made or not. This much is reflected that Mamta Upadhaya failed to participate in the proceeding in question and further it was also found that she has tendered her resignation on 14.12.2012. District Magistrate took note of the fact that Mamta Upadhaya has tendered her resignation and in reference to the petitioner, it has been mentioned that after enforcement of Government Order dated 2.6.2010 petitioner cannot be offered appointment.
Sri Sidhharth Khare, Advocate, learned counsel for the petitioner contended with vehemence that once Mamta Upadhaya had succeeded in claiming appointment based on fictitious mark sheet, then petitioner is entitled to be offered appointment and she relinquished her post and authorities have erred in law in not offering appointment to her, and for this purpose she has placed reliance on judgment rendered in the case of Km. Sonika Verma Versus State of U.P. and others 2011(1) ADJ 103 (DB), Special Appeal No. 511 of 2011, decided on 16.5.2011 and Writ Petition No. 20528 of 2011 decided on 15.4.2011
Countering the said submission, learned Standing Counsel on the other hand contended that once Mamta Upadhaya has tendered her resignation and there is Government Order prohibiting selection and appointment w.e.f. 2.6.2010 and based on the provision as contained under Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009, then no relief or reprieve can be given to the petitioner.
In the present case, factual situation which has so emerged that selection proceedings for the post of Shiksha Mitra relates to the year 2002 for block Kanjal Kala, and select list was prepared on 13.9.2002 and therein name of the petitioner figured at serial no. 3 and name of Mamta Upadhaya figured at serial no. 2. Petitioner submits that she had made complaint on 25.2.2003 and thereafter reminder was made on 22.11.2005. Petitioner further submits that when she made inquiry on internet on 19.12.2005, status shown was pending. Petitioner had approached this Court by preferring Civil Misc. Writ Petition No. 47682 of 2012 and therein forgery has been alleged. This Court on 18.9.2002 directed the authority concerned to take decision. Mamta Upadhaya has tendered her resignation and thereafter, petitioner claims that it was she who was entitled to be offered appointment, as candidate, who has been placed at serial no.2 had taken admission for Special B.T.C. Course and she had no interest in pursuing the same, and being third in the select panel, she should be offered appointment.
Petitioner submits that here selection is prior to Government Order dated 2.6.2010 and accordingly she is entitled to be offered appointment in view of judgment rendered in the case of Km. Sonika Verma Versus State of U.P. and others 2011(1) ADJ 103 (DB), Special Appeal No. 511 of 2011, decided on 16.5.2011 and Writ Petition No. 20528 of 2011 decided on 15.4.2011
Case of Sonika Verma, has been followed in Special Appeal No 511 of 2011(Prabha Devi Versus State of U.P. and others) and in Writ Petition No. 20528 of 2011 Smt. Sunita Devi Versus State of U.P. and others and Sonika Verma has been considered in Special Appeal No. 2106 of 2011 Smt. Seeta and others Vs. State of U.P. decided on 3.11.2011 as follows.
"Heard learned counsel for the parties.
This intra Court appeal, under the Rules of the Court, has been preferred against the order of the learned Single Judge dated 26.9.2011 passed in Writ Petition No.50266 of 2011 filed by the appellants.
The appellant-petitioners were applicants to the post of Shiksha Mitra, but were not selected. They approached this Court by filing individual writ petitions challenging the selection. The said writ petitions were disposed of by this Court, requiring the petitioners to represent their grievances before the District Magistrate, Mainpuri, who was directed to decide the same. The District Magistrate, in compliance of the orders of this Court, considered the representations of the petitioner-appellants. The claim of appellant no.1 was allowed by the District Magistrate, vide order dated 18.2.2010. Similarly, the claim of appellant nos. 2 and 3 was also accepted by the District Magistrate, vide orders dated 30.10.2009 and 06.03.2010 respectively. After about one and half years of the orders of the District Magistrate in their favour, the appellants approached this Court by filing second writ petition, seeking a writ of mandamus to command the respondents to send them for training and offer appointment to the post of Shiksha Mitra.
Learned Single Judge, finding that the petitioner-appellants sat tight over the matter despite the orders of the District Magistrate in their favour and in the meantime, the State Government has issued a Government Order dated 2.6.2010 imposing total ban on the appointment of Shiksha Mitra, dismissed the writ petition. The learned Single Judge also placed reliance upon the judgment of a Division Bench of this Court in Special Appeal No.1995 of 2010 holding that after imposition of ban on the appointment of Shiksha Mitra, vide Government Order dated 2.6.2010, no fresh appointment/engagement on the post of Shiksha Mitra can be made.
Sri R.K. Ojha, learned counsel for the appellants submitted that since the selection of the petitioner-appellants was made prior to the imposition of ban by the State Government, hence they ought to have been sent for training and given appointment. It is further submitted that a Division Bench of this Court in Km. Sonika Verma Vs. State of U.P. & Others, 2011 (1) ADJ 103 (DB) has held that the Government Order dated 2.6.2010 imposing ban on the appointment of Shiksha Mitra was prospective in operation and the persons selected earlier are entitled for engagement. He further submitted that in view of there being a conflict with the opinion expressed by two Benches of coordinate jurisdiction, the learned Single Judge ought to have referred the matter for decision by a larger Bench and could not have dismissed the writ petition.
We have considered the argument advanced by the learned counsel for the appellants and perused the records.
The ban on the appointment of Shiksha Mitra was imposed by the State Government in view of the promulgation of the Right of Children to Free and Compulsory Education Act, 2009, which provides a detail procedure and qualifications for appointment of a Teacher in the Primary School. The Division Bench of this Court in Special Appeal No.1995 of 2010 has taken a view that after the ban imposed by the State Government, no fresh appointment can be made.
The view taken by the Division Bench in the case of Km. Sonika Verma (supra) referred to by the learned counsel for the appellants, in our considered opinion, is based on its own facts. In the case of Km. Sonika Verma (supra), the candidature of the appellant therein was placed in disputed category by the respondents without there being any dispute or litigation in respect of her selection. The respondents without adjudicating the case as to why her selection was disputed, simply informed her that she cannot be offered appointment due to ban imposed by the State Government vide Government Order dated 2.6.2010. It may be relevant to point out the following observation made by the Division Bench in the said case,
"It is evident from the record that there was no dispute in relation to the selection of the appellant as Shiksha Mitra. The word 'Vivadit' as mentioned in the proposal was found by the respondents themselves as incorrect. In such a situation to non-suit the appellant would be to deny the opportunity of employment to her on an erroneous assumption. The appellant was entitled to be offered appointment alongwith other selected candidates and there was no occasion to treat her selection to be disputed. This being the factual position in the present case, in our opinion, the respondents have erroneously applied the Government Order dated 2.6.2010, which cannot be pressed into service on the facts of the present case."
Thus, it was a case decided on its own facts, whereas in Special Appeal No.1995 of 2010, the Division Bench has upheld the validity of the Government Order dated 2.6.2010 imposing ban on the appointment of Shiksha Mitra. Thus, in our considered opinion, there is no conflict in the two decisions.
In the present case, though the claim of the petitioner-appellants was upheld as long back as in 2009-2010, but they sat tight over the matter and only approached this Court much after the ban was imposed vide Government Order dated 2.6.2010. Once their claim was upheld by the District Magistrate and there was no follow up action, it was incumbent upon them to have taken steps for enforcement of their rights immediately� or at least within a reasonable time. Learned Single Judge, thus, rightly refused to grant the relief claimed on account of delay on their part.
In view of the aforesaid facts and discussions, we do not find any error in the order of the learned Single Judge. 
The appeal, being without merit, is dismissed. 

Apart from this in Special Appeal No. 1955 of 2010 (Tarun Prakash Pandey Vs. State of U.P. and others), this Court has taken following view:-
"The appellant has preferred this special appeal challenging the order of the learned Single Judge dated 19.11.2010 whereunder the writ petition was rejected by holding that keeping in view the Government Order dated 2nd June, 2010, no fresh engagement of Shiksha Mitra be made in view of the Right to Education Act, 2009, therefore, the Shiksha Mitras who are reported for training but could not complete due to lack of funds as per the demand made by the Principal of the college to the Director on 18.8.2010, cannot get any benefit thereof. 
We are of the view that there is no infirmity in the order of the learned Single Judge. The government order comes in the light on 2nd June, 2010. Admittedly the petitioner was called upon for training on 12th August, 2010 after the issuance of government order but due to lack of funds, training was not completed. The question of engagement of Shiksha Mitra, if any, will come after the completion of the training. Even assuming the fund has been allocated for the purpose of training, no purpose should be sub-served because fresh engagement of Shiksha Mitra is prohibited by the government.
The learned counsel appearing for the appellant contended before us that the Government Order dated 2nd June, 2010 cannot be held applicable retrospectively when the appellant is required to complete his training.
We are of the view that there is falacy of argument. Fresh engagement requires only after the training, therefore, when no engagement as such has been made, the case of the appellant will be hit by Government Order dated 2nd June, 2010.
Therefore, the appeal cannot be admitted. Hence it is dismissed, however, without imposing any cost.
Copy of Government Order dated 2nd June, 2010 as placed by learned counsel appearing for authorities be kept with the record."

Consequently, in the fact of the case, once selection is of the year 2002 nature of engagement is purely contractual and Mamta Upadhaya had obtained appointment on the basis of misrepresentation, and she has tendered her resignation, then after enforcement Government Order dated 2.6.2010 as petitioner has no indefeasible right to be offered appointment, no appointment can be offered to the petitioner. 
Consequently, present writ petition is dismissed. 
Dt.22.01.2013
T.S.


Source : http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=2335858

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INDIAN AIR FORCE JOIN AS AIRMEN IN GROUP 'X' (TECHNICAL) TRADES


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INDIAN AIR FORCE

INVITES APPLICATIONS FROM UNMARRIED MALE CANDIDATES FOR SELECTION TEST IN AUGUST 2013 TO JOIN AS AIRMEN IN GROUP 'X' (TECHNICAL) TRADES



Last date for receipt of applications at the Central Airmen Selection Board is 23 MAY 2013 including candidates from North Eastern Region (Arunachal Pradesh, Assam, Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland, Tripura), Sikkim, Andaman & Nicobar and Lakshadweep Islands. Applications should be sent to the Post Box Address as mentioned below by ORDINARY POST ONLY.  APPLICATIONS SENT BY
REGISTERED/ SPEED POST/ COURIER WILL NOT BE ACCEPTED



1.   Indian Air Force invites applications from UNMARRIED MALE INDIAN CITIZENS(citizens
of Nepal are also eligible) for Selection Test in August 2013 to join as Airmen in Group ‘X’
(Technical) Trades. THE SELECTION TEST IS NOT FOR SELECTION AS COMMISSIONED
OFFICERS /PILOTS / NAVIGATORS.

ELIGIBILITY CRITERIA
2.   Educational Qualification
(a) Passed Intermediate/ 10+2/Equivalent Examination with Mathematics, Physics
and English with minimum 50% marks in aggregate and 50% marks in English.
                                                                 OR
(b) Three year Diploma Course in Engineering  (Mechanical/Electrical/Electronics
/Automobile/Computer Science/Instrumentation Technology/Information
Technology) from a Government recognised Polytechnic Institute with minimum 50% marks
in overall aggregate and 50% marks in English in Diploma or in Intermediate/
Matriculation, if English is not a subject in Diploma.  

Note:  Exact aggregate
percentage of marks upto first place of decimal for all subjects as mentioned in the Marks
Sheet of Intermediate/10+2/equivalent Diploma (For example, 49.9% should NOT be rounded
off to 50%).
3. Date of Birth Block.   Candidate should be born between 01 SEPTEMBER 1993 to 30 DECEMBER 1996 (both days inclusive).
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UP News / Allahabad University Recruitment शिक्षक भर्ती इलाहाबाद विवि


UP News / Allahabad University Recruitment शिक्षक भर्ती इलाहाबाद विवि

विवि में 15 जून तक साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी करने का दावा

 अधिकतर विभागों में शिक्षकों के लिए साक्षात्कार हो भी चुका है। ऐसे में अब सिर्फ कार्य परिषद की बैठक का इंतजार है

विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती के लिए पिछले साल ही आवेदन मांगे गए थे। भर्ती प्रक्रिया भी पिछले साल पूरी हो जानी थी लेकिन लगातार विवाद के कारण प्रक्रिया लंबी खींच गई। हालांकि अब सभी विवाद दूर हो चुके है। साक्षात्कार के बाद संगीत, समाजशास्त्र समेत एक दर्जन से अधिक विभागों का रिजल्ट लिफाफे में बंद हो चुका है। रिजल्ट घोषित करने के लिए दो बार कार्य परिषद की बैठक भी बुलाई गई लेकिन दोनों ही दफे सदस्यों ने आपत्ति उठा दी। इससे बैठक टालनी पड़ी। हालांकि अब मई में फिर बैठक की कवायद की जा रही है। विधि, मध्य एवं आधुनिक इतिहास, मनोविज्ञान, राजनीति विज्ञान समेत कई विषयों के लिए इंटरव्यू चल रहा है। इसी महीने इनका भी रिजल्ट तैयार होने की उम्मीद है। मई में बैठक होती है तो उसमें इन विषयों के परिणाम भी घोषित किए जाने की संभावना है

मानवशास्त्र, पत्रकारिता, भूगोल, गांधी स्टडीज आदि विषयों के लिए स्क्रीनिंग की प्रक्रिया पूरी कर साक्षात्कार की तैयारी है। इसी महीने या मई प्रथम सप्ताह तक साक्षात्कार पूरा होने की बात कही जा रही है। सेलेक्शन प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने बताया कि संस्कृत, दर्शन शास्त्र, अंग्रेजी, हिन्दी, दृश्य कला आदि विभागों के लिए भी सेलेक्शन कमेटी बुलाने से पहले की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। एक्सपर्ट मिल गए तो मई में इन विभागों के लिए भी सेलेक्शन कमेटी की तारीख घोषित कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अड़चन नहीं आई तो जून के पहले सप्ताह तक सभी विषयों के रिजल्ट तैयार कर लिए जाएंगे।

योग्य उम्मीदवार नहीं मिले -
विश्वविद्यालय में भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी कई विभागों में प्रोफेसर के पद खाली रह जाएंगे। गणित, विज्ञान के अन्य विषयों, विधि समेत अधिकतर सब्जेक्ट के लिए सीट के बराबर भी योग्य उम्मीदवार नहीं मिले।

 इलाहाबाद विवि कर्मचारी भर्ती का भी रास्ता साफ
नियमित भर्ती नहीं हुई, तकरीबन सवा सौ पद कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद खाली
विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की भर्ती का रास्ता साफ होता दिख रहा है। 
कमेटी ने  नियमावली तैयार कर ली है। इसे कार्य परिषद की आगामी बैठक में रखा जाएगा



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UP News : अब नहीं होगी ईओ ( EO) के पद पर पदोन्नति


UP News : अब नहीं होगी ईओ ( EO) के पद पर पदोन्नति
रिक्त सभी पदों पर होगी सीधी भर्ती,संशोधित की जा रही है नियमावली

लखनऊ। स्थानीय निकायों में अधिशासी अधिकारी (ईओ) के पद पर पदोन्नति देने की व्यवस्था समाप्त करने की तैयारी है। निकायों में रिक्त ईओ के सभी पदों पर अब सीधी भर्ती की जाएगी। इसके लिए नगर निकाय केंद्रीयत सेवा नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। स्थानीय निकाय निदेशालय ने इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। शीघ्र ही इस पर कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी है। निदेशालय का मानना है कि ईओ क्लास टू का पद है और इस पद पर पदोन्नति नहीं दी जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में निकायों का बहुत महत्व है। शहरी क्षेत्रों में लोगों को जनसुविधा देने के साथ सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी इसके पास ही है। निकाय में नगर पंचायत, पालिका परिषद और नगर निगम आते हैं। नगर पंचायत सबसे निचली श्रेणी में आते हैं। नगर निगम केंद्रीयत सेवा नियमावली में दी गई व्यवस्था के मुताबिक नगर पंचायतों में 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती तथा 50 फीसदी पदों पर पदोन्नति देने का प्रावधान है। पदोन्नति पाने वाले ईओ को पहली तैनाती नगर पंचायतों में ही दी जाती है। इसके बाद वरिष्ठता के आधार पर श्रेणी तीन, श्रेणी दो व श्रेणी एक स्तर का अधिशासी अधिकारी बनाया जाता है। श्रेणी एक स्तर के अधिशासी अधिकारियों को बड़ी पालिका परिषदों का ईओ बनाया जाता है और इस स्तर के अधिकारी की तैनाती जब नगर निगमों में होती है, तो उसे सहायक नगर आयुक्त का पदनाम दिया जाता है।
स्थानीय निकाय निदेशालय का मानना है कि चूंकि ईओ का पद राजपत्रित अधिकारी के समान है। केंद्रीयत सेवा नियमावली की धारा 31 में इसका प्रावधान किया जा रहा है। इसके अलावा उप नगर आयुक्त और अपर नगर आयुक्त के सभी पदों को पहले की तरह से पदोन्नति से ही भरने का प्रावधान रहेगा


News Source : Amar Ujala (23.4.2013)
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In Govt. of India, Many class 2 / Group B posts are filled through Direct Recruitment as well as Departmental Promotions ( LDC Exams) etc.

However it is good to fill posts through Direct Recruitments as there are many qualified youths who are waiting for job.

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UPTET / RTE : बेहतर निगरानी प्रणाली से सुधरेगी


UPTET / RTE : बेहतर निगरानी प्रणाली से सुधरेगी शिक्षा
केवल स्कूल खोलने और शिक्षक नियुक्त करने से नहीं चलेगा काम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पर्याप्त संख्या में सरकारी स्कूल हैं। बजट की कमी नहीं है। कमी है तो शिक्षकों और बेहतर मैनेजमेंट की। राज्य सरकार को शिक्षा में सुधार के लिए निगरानी प्रणाली के साथ बेहतर मैनेजमेंट की व्यवस्था करनी चाहिए। यही नहीं एक शिक्षा मिशन का अलग से गठन किया जाना चाहिए। यह मिशन शिक्षा में सुधार के साथ निगरानी व्यवस्था और गुणवत्तायुक्त शिक्षा के बारे में सुझाव दे, जिसे सरकार अमल में लाए। यह कहना है राज्य शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति प्रो. आर. गोविंदा का। वे सोमवार को यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जितना काम यूपी में होना चाहिए, नहीं हो पा रहा है।
प्रो. आर. गोविंदा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून इसलिए बनाया गया कि बच्चों को शिक्षा का हक मिल सके। इसके बावजूद सभी बच्चे इस हक से वंचित हैं। केवल स्कूल खोलने और शिक्षक नियुक्त करने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए बेहतर निगरानी प्रणाली की जरूरत है। शिक्षक स्कूलों में क्या करता है, बच्चों को पढ़ाने के लिए उसे सामग्री मिल रही है या नहीं, इसे भी देखने की जरूरत है। सरकार यह कहकर नहीं बच सकती कि उसके पास संसाधन की कमी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम कानून नहीं बल्कि उम्मीद है। इसको ध्यान में रखकर ही इसका खाका तैयार किया गया है। बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिले, इसके लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य की गई है, लेकिन इसमें बैठने वाले अधिकतर फेल हो रहे हैं
कॉलेजों में शिक्षकों की कमी का कारण अलग ःप्रो. आर. गोविंदा कहते हैं कि प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी का कारण कुछ और है तो डिग्री कॉलेजों में कुछ और। डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया काफी जटिल है। इस प्रक्रिया में भी सुधार की जरूरत है, ताकि उच्च शिक्षण संस्थाओं में भी शिक्षकों की कमी दूर हो सके





News Source : Amar Ujala (23.4.2013)
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Education is Chief Defense of Country.

Basic Education is Primary and Foremost thing which needs High Quality. And no compromise should be taken with it.

Nation require qualified and efficient youth power to impart better services to public and development of country.

Many teacher in Primary Schools do not know proper spellings, maths, science etc. And TET type examination are good to improve quality in education. Other parameters also require to maintain quality in education.

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Monday, April 22, 2013

UPTET / Shiksha Mitra News : शिक्षामित्रों पर टीईटी थोपने का आरोप


UPTET Shiksha Mitra News : शिक्षामित्रों पर टीईटी थोपने का आरोप

जंतर-मंतर पर 12 जून से विरोध-प्रदर्शन

देवरिया : उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री अनिल कुमार यादव ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि शिक्षामित्रों का मानदेय केंद्रशासित राज्यों के बराबर नहीं हुआ और उन्हें टीईटी से मुक्त नहीं रखा गया, तो आगामी 12 जून से संसद का घेराव किया जाएगा

उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्र टीईटी को लेकर भ्रमित न हों। उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा शिक्षामित्रों के संबंध में कोई आदेश अब तक नहीं दिया गया है और न ही उनके खिलाफ कोई याचिका दायर की गई है। यदि ऐसा आदेश आता भी है, तो संघ सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों की नियुक्ति नहीं होनी है, बल्कि समायोजन होना है। शिक्षामित्रों की नियुक्ति दो सितंबर 2001 से एक जुलाई 2009 के मध्य हुई है, जबकि आईटीई सितंबर 2009 में लागू हुआ है। इस संबंध में एनसीटीई निदेशक ने राज्य सरकार को पहले ही अपने पत्र में शिक्षामित्रों को पैरा टीचर मानते हुए टीईटी से मुक्त रखने का आदेश दिया था। इसको लेकर राज्य सरकार आदेश भी जारी कर चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार एनसीटीई का काला कानून शिक्षामित्रों पर थोपने का प्रयास कर रही है, जिसे कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा



News Source / Sabhaar : Jagran ( 22.4.2013)
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Triple Judgement may be arrive shortly that TET is COMPULSORY To Become Teacher OR NOT.

However it looks TET is compulsory as per NCTE reply / and matter presented in Triple Bench Allahabad.

But till judgement not comes, We can not say anything and we have to wait for decision of High court.
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UPTET 2013


UPTET 2013


Kya UPTET 2013 mein UPTET pass logo ko dobara exam dene ki permission rahegee.


Kyunki CTET mein bhee aisa hee hota hai.

Aur NCTE ne joda hua hai ki -
TET exam mein marks increase karne ke liye dobara se beth sakte hain aur
iske marks ka selection mein weightage liya ja sakta hai

to UPTET 2013 exam sirf PATRTA PARIKSHA RAHEGEE YA
Fir Selection cum Eligibility Test

Aap log comment ke jariye mehtvpoorn sujhaav/ rai / jaroooree jankaree share karen

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Sunday, April 21, 2013

UPTET : टीइटी से मुक्त नहीं हुए शिक्षामित्र तो आंदोलन


UPTET : टीइटी से मुक्त नहीं हुए शिक्षामित्र तो आंदोलन

 संत कबीर नगर :

आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन जिलाध्यक्ष बृजेश चौधरी ने कहा कि बिना मतलब शिक्षा मित्रों का आरटीआइ के तहत टीइटी के संबंध में प्रश्न पूछा जा रहा है। शिक्षा मित्रों को टीइटी देने के लिए मजबूर करना अनुचित है। इससे मुक्ति नही दी गई तो वृहद आंदोलन छेड़ा जाएगा।

उक्त बातें जिलाध्यक्ष ने रविवार को खलीलाबाद में बैठक में कहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति शिक्षा मित्र के प्रशिक्षण को लेकर बीमार पड़ रहे जो चपरासी भी पास नही कर पाएं है। हजारों शिक्षा मित्रों के जीवन को बेवजह विवादित कर रहे है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने जो जवाब आरटीआइ के तहत दिया कि शिक्षा मित्रों को टीइटी देना पड़ेगा। इसका विरोध किया जाएगा। प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर आंदोलन किया जाएगा।

बैठक में हनुमान चौरसिया, रामकरन यादव, जालंधर प्रसाद, वीर बहादुर सिंह, रामराज पाल, उमाकांत, संजय यादव, दुर्गा यादव, शोभनाथ यादव, चंद्र भान यादव, प्रफुल्ल दूबे आदि उपस्थित थे



News Source/Sabhaar : Jagran /जागरण(Updated on: Sun, 21 Apr 2013 07:41 PM (IST))
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What will do UP state government, if TET matter is binding with Central Govt. /Gazette Notification of GoI.

Jab TET maamla Kendra Sarkar Se Sanchalit Hai aur Bharat ki Asadharan Rajpatra mein anivarya kiya hua hai to UP kee rajya sarkar ismein kya karegee.

Ab Allahabad HC kee triple bench ka judgement aaye to usko dekhen ki vhe Non-TET ke favor mein aata hai ki nahin.

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UPTET : टीईटी को लेकर असमंजस में युवा


UPTET : टीईटी को लेकर असमंजस में युवा

निज प्रतिनिधि, एटा: शिक्षक पात्रता परीक्षा को लेकर शासन स्तर पर फिर शुरू हुई सुगबुगाहट के बीच युवा असमंजस से गुजर रहे हैं। पूर्व में परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके अभ्यर्थी भी अभी तक परीक्षा को लेकर फाइनल निर्णय न हो पाने को लेकर गफलत में हैं, वहीं नए सिरे से आयोजित होने वाली परीक्षा को लेकर भी उधेड़बुन शुरू हो गई है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को पात्रता परीक्षा अनिवार्य किए जाने के बाद बसपा शासन में हुई परीक्षा परिणाम घोषित होने के बावजूद भी अभी विवादों और न्यायालय के दर पर ही दस्तक दे रही है। हालांकि बसपा शासन में हुई पात्रता परीक्षा में जिले के भी 20 हजार से अधिक अभ्यर्थी उत्तीर्ण तो हो गए, लेकिन परीक्षा में घपलेबाजी को लेकर पहले न्यायालय और फिर शासन की जांच अभी भी परीक्षा अटकी होने के कारण उत्तीर्ण होकर भी एक बड़ा युवाओं का तबका नौकरी से अछूता तो है ही, वहीं भाग्य को भी कोस रहा है। पूर्व की परीक्षा को अभी हरी झंडी न्यायालय ने नहीं दी। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित कराने को लेकर हाल ही में तय किए गए मसौदे के बाद पहले ही परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके युवाओं के सामने असमंजस के हालात हैं। इस तबके में फिलहाल इसको लेकर बहस तेज हो गई है, पहले से परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके यह अभ्यर्थी अब नई परीक्षा में सम्मलित हों या नहीं। पूर्व की परीक्षा विवादों में है। ऐसे में परीक्षा निरस्त न हो जाए या फिर दूसरी परीक्षा में भी सम्मलित होने का मौका हाथ से न निकल जाए, असमंजस अभ्यर्थियों में नजर आ रहा है। शास ने 25 अप्रैल तक पुन: पात्रता परीक्षा कराने के लिए विज्ञप्ति जारी करने की घोषणा की है

पिछले साल टीईटी उत्तीर्ण कर चुके प्रवीन तिवारी का कहना है, अपनी पात्रता साबित करने के बाद भी उनका भविष्य अंधेरे में है। फिलहाल यह परीक्षा भी देंगे, पहले की परीक्षा का कोई भरोसा नहीं। संजीव दिवाकर का कहना है, सरकार पूर्व टीईटी पर पहले निर्णय स्पष्ट करे, उसके बाद ही दूसरी परीक्षा कराई जाए। अन्यथा पहले परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले के बर्बाद हुए समय की भरपाई कैसे हो पाएगी। अन्य तमाम टीईटी भी यही चाहते हैं कि सरकार पहले पूर्व टीईटी पर निर्णय को फाइनल टच दे, तभी दूसरी परीक्षा कराए



News Source : Jagran (Updated on: Sun, 21 Apr 2013 06:46 PM (IST))
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Kataksha / Confusing News -
Jab B. Ed vaale UPTET 1-5 ke liye eligible hee nahin honge to vo doabara se exam kaise de sakenge.

aur UPTET 2011 6-8 vala exam vivaadon mein raha nahin.

Media kafee saree important news detaa hai, aur Jagran Paper highly reputed hai North India mein aur bahut saaree important jaankariyan dee hain, lekin is news par abhyarthee savaal uthaa rahe hain ki isme dee gayee / etah jile ke candidtae ko puree jaankaree kar lenee chahiye.

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UPTET / NCTE : Who Have Power to Set Minimum Qualification for Appointment of Teachers As Per RTE Act

UPTET / NCTE : Who Have Power to Set Minimum Qualification for Appointment of Teachers As Per RTE Act

According to - Bharat Ka Asadharan Rajpatra (Gazette of India Extra Ordinary ) -




Source : http://ncte-india.org/Norms/RTE-1.pdf
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NCTE is Acadmic Authority made by the Central Govt. of India to implement RTE Act.

And NCTE prescribes TET is Minimum and Essential Qualification to Become Teacher under RTE Act for class - 1 to 8th
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