/* remove this */ Blogger Widgets /* remove this */

Sunday, April 21, 2013

UPTET : टीइटी से मुक्त नहीं हुए शिक्षामित्र तो आंदोलन


UPTET : टीइटी से मुक्त नहीं हुए शिक्षामित्र तो आंदोलन

 संत कबीर नगर :

आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन जिलाध्यक्ष बृजेश चौधरी ने कहा कि बिना मतलब शिक्षा मित्रों का आरटीआइ के तहत टीइटी के संबंध में प्रश्न पूछा जा रहा है। शिक्षा मित्रों को टीइटी देने के लिए मजबूर करना अनुचित है। इससे मुक्ति नही दी गई तो वृहद आंदोलन छेड़ा जाएगा।

उक्त बातें जिलाध्यक्ष ने रविवार को खलीलाबाद में बैठक में कहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति शिक्षा मित्र के प्रशिक्षण को लेकर बीमार पड़ रहे जो चपरासी भी पास नही कर पाएं है। हजारों शिक्षा मित्रों के जीवन को बेवजह विवादित कर रहे है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने जो जवाब आरटीआइ के तहत दिया कि शिक्षा मित्रों को टीइटी देना पड़ेगा। इसका विरोध किया जाएगा। प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर आंदोलन किया जाएगा।

बैठक में हनुमान चौरसिया, रामकरन यादव, जालंधर प्रसाद, वीर बहादुर सिंह, रामराज पाल, उमाकांत, संजय यादव, दुर्गा यादव, शोभनाथ यादव, चंद्र भान यादव, प्रफुल्ल दूबे आदि उपस्थित थे



News Source/Sabhaar : Jagran /जागरण(Updated on: Sun, 21 Apr 2013 07:41 PM (IST))
*****************************
What will do UP state government, if TET matter is binding with Central Govt. /Gazette Notification of GoI.

Jab TET maamla Kendra Sarkar Se Sanchalit Hai aur Bharat ki Asadharan Rajpatra mein anivarya kiya hua hai to UP kee rajya sarkar ismein kya karegee.

Ab Allahabad HC kee triple bench ka judgement aaye to usko dekhen ki vhe Non-TET ke favor mein aata hai ki nahin.

35 comments:

  1. 'सरकार' का का 'कहना' है हमारे पास जितना ''पानी'' था, हमने पिछले विरोध कर रहे 'लोगो पर बहा दिया' था ! अब हमारे पास ''चूल्लु भर'' भी पानी नहीँ हैँ डूब मरने के लिए !

    ReplyDelete
  2. सरकार ने नेट पर से गुणाँक मैरिट सूची हटाकर कोर्ट के समक्ष समर्पण करने की तैयारी कर ली है ।सरकार द्वारा रुकी हुई भर्ती को रोकने की घोषणा करना और कल तक गुणाँक आधार पर भर्ती करने की जिद पर अड़ी सरकार बैकफुट पर आ गई है । शायद वह अपनी और किरकिरी कराना नही चाहती । उसे भी समझ मे आ गया है कि कोर्ट के समक्ष उसकी एक चलने वाली नही है ।आज सरकार द्वारा नेट पर से गुणाँक सूची हटाया जाना कोई सामान्य बात नही है । सरकार ने नेट पर से गुणाँक मैरिट सूची हटाकर कोर्ट के समक्ष समर्पण करने और टेट मैरिट से भर्ती करने की तैयारी कर ली है ।

    ReplyDelete
  3. विज्ञापन आ रहा है चाकलेट का लडकी अपने बाप को चाकलेट खिला के एक बार फिर टहलने भेज देती है और फिर एक लडके के साथ ....

    विराट कोहली लडकी पटाने के तरीके सीखाता है !!
    परफ्यूम लगाया और कईं लडकियाँ तन मन से पीछे लग जाती है !

    हर किसी में लडकी को ही मुददा पर क्यूँ ?

    क्या यही हैं हमारी भारतीय नारी ? क्या भारतीय नारी इतनी कमजोर है कि परफ्यूम की खुशबु से अपनी इज्जत गँवा दे..........
    दिखाते ये चोकलेट खाओ प्यार हो जायेगा, जरा सोचो जब ये चोकलेट भारत में नही थी तब क्या भारतीय प्यार नही करते थे क्या ??

    perfume नही था तो क्या हमारे पूर्वज से बदबू आती थी ??
    क्या सीखते इन सब से हम जरा सोचिये ....

    जब हमे कोई एतराज नही है तो ये तो दिखायेंगे ही ना ,,,,
    इन सब का विरोध करे और इन से दूर रहे....

    समझदारी से काम लीजिये .....
    .
    - कोलगेट नही था तो क्या भारतमेंपति पत्नी साथ नही सोते थे ?

    - चाय नहीं थी तो क्या सब सुस्त और आलसी थे सुबह खडे नही हो पाते थे ?

    - क्रिकेट नही था तो क्या भारतीय खेलते ही नही थे ?

    - वैलेनटाइन नही था तो क्या भारतीय प्रेम नही करते थे ?

    - फेयर n लवली नही थी तो क्या सब भारतीय नारी काली थी ?

    - स्कर्ट नही थी तो क्या भारत में लडकियां पढती नही थी ?

    - अमूल माचो नही था तो क्या भारतीय नंगे रहते थे ?

    - डिस्को नही था तो क्या भारत में संगीत नही था ?

    - ओह माई गोड शब्द नही था तो क्या भारतीय भगवान नही मानते थे ?

    - लाइफबाय, लक्स नहीं था तो भारतीय गले-सडे रहते थे ?

    - पैंटीन नही था तो क्या सब गंजे हो जाते थे ?

    - अंग्रेजी नही थी तो क्या भारत में कोई ज्ञानी नही था ?

    हर चीज़ में नारी का देह क्यों दिखाया जाता है भोग की वास्तु बनाकर...?? ऐसी घटनाओ में बहुत हद तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया और बॉलीवुड का भी हाथ है, नैतिक पतन किया जा रहा बच्चों का मात्र पांच-छ: वर्ष की उम्र से...!!

    ReplyDelete
  4. सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को "दूरस्थ शिक्षा-विधि से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय डिप्लोमा" के नाम पर दिलाये जा रहे प्रशिक्षण की वैधता का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है, रिट याचिका 28004/2011 (संतोष कुमार मिश्रा व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य) की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस प्रशिक्षण को प्रथमदृष्ट्या अवैध मानते हुए स्थगनादेश दिया था जिसे खंडपीठ द्वारा यह कहकर स्थगनादेश हटा दिया था कि इस मामले में इस प्रशिक्षण की वैधता मामले की सुनवाई कर रही पीठ के निर्णय के अधीन होगी, यह मामला आज भी विचाराधीन है। इस मामले में विपरीत निर्णय आने पर सरकार इसका ठीकरा फिर से एक बार न्यायालय के माथे फोड़ कर शिक्षामित्रों की सच्ची शुभचिंतक बनने का ढोंग पहले की ही भांति करने वाली है।

    ReplyDelete
  5. TET MERIT:- सेलेक्सन बेस डिसाईड करना गवर्नमेँट का पॉलिसी मैटर हैँ इसमेँ NCTE के गाइड लाईन का कहीँ भी उलंघन नहीँ किया गया हैँ
    जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार को दिनाँक 12 फरवरी 2011 को NCTE का लेटर प्राप्त हुआ जिसमेँ राज्य सरकार को TET परीक्षा आयोजित कराने के सम्बन्ध मेँ आदेश दिये गये हैँ इसमेँ स्पष्ट लिखा हैँ कक्षा 1से 5 और कक्षा 6 से 8तक के लिये अध्यापक बनने केइच्छुक अभ्यर्थी को TET की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। साथ ही TET के NOTIFICATION मेँ अध्यापकोँ के चयन मेँ TET मेँ प्राप्त अंको को महत्व दिया जा सकता हैँ इस इस बात का स्पष्ट उल्लेख भी किया गया हैँ। बाकी नियम राज्य सरकार के द्वारा बनायी गई नियमावली के अनुशार रहेगा। विज्ञापन जारी करने के पहलेराज्य सरकार ने अपनी अध्यापक सेवा नियमावली को
    9 नवम्बर 2011 को संशोधन द्वारा TET परीक्षा मेँ प्राप्त अंको के आधार पर अध्यापकोँ के चयन किये जानेका प्रावधान कर दिया तोयह NCTE गाइडलाईन और 1981 RULES के खिलाफ कहाँ हैँ। यदि पुर्व मेँ निर्मित नियममेँ परिवर्त करना राज्य सरकार या नियोक्ता प्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र के बाहर होता तो, इस तरह पुर्व मेँ बनाई गयी किसी भी नियमावली मेँ परिवर्तन करना अबैध ठहरा दिया जाता।।
    अगर ऐसा ही होता तो UPSC 2011 से पहले G.S. और SUBJECT पेपर के आधार पर
    PRI.EXAM कराता था लेकिन उसने 2011 का EXAM
    G.S. और CSAT के आधार पर लिया क्योँकी सबजेक्ट की स्केलिँग मेँ सबको समान अवसर नहीँ मिल पाता था। को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती थी कि पहले लोकसेवा नियमावली मेँ CSAT का कोई प्रावधान नहीँ था तो अब इसेनहीँ लागू किया जा सकता ये कहना बिल्कुल गलत हैँ। राज्य सरकार या नियोक्ता प्राधिकारी को अपने नियम निर्धारित करने व उसमेँ समय-समय पर संशोधन करनेँ कापूर्ण अधिकार हैँ बशर्ते येनियम प्रक्रिया प्रारम्भहोने के पहले निर्धारित किये गये होँ प्रक्रिया के बीच मेँ नियमोँ का बदलाव न्यायसंगत नहीँ हैँ इसे अबैध ठहराया जाना ही विधि संगत माना जायेगा।।

    आखिर क्यों नही बन सकती टी०ई०टी० के अंको की मेरिट?
    जवाब जिसका कोई तोड़ नहीं......विश्लेषण पढ़ें......एंव राय दें.....
    सवाल- टी०ई०टी० एक पात्रता परीक्षा है ??
    जवाब- बिल्कुल पात्रता है भाई ......
    लेकिन कौन सी अकादमिक परीक्षा पात्रता नहीं यह भीअवश्य बताएँ ?
    चलिये मैं ही बताएं देता हूँ......
    १० वीं को ही लीजिए......३३% अंको पर सभी अभ्यरथी पास (पात्र) हो जाते हैं ।
    लेकिन जो ४५% से कम तथा ३३%से अधिक अंक पाते हैं उनको तृतीय डिविजन....
    जो ४५% या ४५ से अधिक एवं ६०% से कम अंक पाते हैं वे दिव्तीय श्रेणी पाते हैं.....
    इसी प्रकार ६०% या अधिक वालों को प्रथम श्रेणी...
    ऐसी ही व्यवस्था १२वी , स्नातक ,बी0एड0 इत्यादी मेंहै ।
    लेकिन यदि आप शिक्षक चयन में 10 वी ,12वी आदि को वेटेज देते हें तो फिर 70% वाले को 60% वाले से अधिक वेटेज क्यों ??
    जबकि दोनों ही प्रथम श्रेणीसे पास हें .....
    ये नाइसांफी क्यों ?????
    और यदि ये सही है तो टी०ई०टी० में 90% या 80% अंक वाले को 60% वाले से अधिक लाभांक क्यों नहीं??
    लेकिन NCTE के अनुसार टी०ई०टी० के अंको को चयन में वेटेज दिया जा सकता है वो भी कितना भी
    साथ ही ये नही लिखा की 100% वेटेज नही दिया जा सकता है ।
    अत: पिछली सरकार का टी०ई०टी० मेरिट के आधार पर चयन करना गलत नहीं था ।
    तो फिर गलत क्या है ?????
    लोगों की मानसिकता और क्या????
    अब कुछ स्वार्थी लोग कहेंगेकी टी०ई०टी० परीक्छा में धांधली हुई थी इसलिए इसको चयन काआधार नही बनाना चाहिए।
    तो में उनको याद दिला दूं उनके चाचू मुख्य सचिव जावेदउस्मानी ने इसकी खूब जांच क्र ली लेकिन आज तक एक भी फर्जी अभ्यर्थी हाथ नही लगा।
    फिर धांधली कैसे साबित हो गयी ?? बोलो
    मा0 सरवोच्चन्यायालय ­ एवं हमारे सविंधान के अनुसार जबतक कोइ व्यक्ति दोषी साबित नही होता तो वो सजा का हकदार नही फिर यहाँ तो 2,90000 लोग हैं ।
    वैसे उत्तरप्रदेश में नकल का हल्ला बच्चा -बच्चा जानता है तो अकादमिक पर चयनकहाँ तक सही है इसका जवाब कोर्ट में कौन देगा ????
    धांधली सिर्फ ठगी थी जो स्पस्ट भी हो चुकी है कोर्टमें
    अब आप ही बताये कि सत्य क्या है और असत्य क्या
    पढने के लिए धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  6. अमर उजाला में निकली छोटी सी खबर ,,,,,,,, सरकार ने विशिष्ट.बी.टी. सी. भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है क्योंकि इस सम्बन्ध में कोर्ट में स्थिति साफ़ नहीं है,,,,,

    मुझे उस खबर के बारे में सोचकर अब तक हँसी आ रही है ,,,,,,,,, एक रुकी हुयी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने पर मैं हँसने के सिवाय और क्या कर सकता हूँ,,,,,,गुणांक से चयन हेतु जारी रैंक कल ही वापस ले ली गई थी ,,संविधान पीठ का सुरक्षित आदेश आने से पहले सरकार के लिए यह जरूरी था कि वो कोर्ट को समर्पण हेतु राजी होने का संकेत दे,,,संविधान पीठ का गठन सशर्त किया गया था वरना बेसिक शिक्षा सचिव 24 अप्रैल को घर से निकलते तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए लेकिन वहां से वापस घर ना आकर जेल जाते,,,,, टेट में छद्म धांधली के मुद्दे पर न्यायमूर्ति हरकौली के प्रहारों से हताहत और चारों ओर से घिर चुकी सरकार के पास इसके सिवाय कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था,,,,, मुस्कुराइए ,,,जल्द ही आप बुरे वक्त को गुजरता हुआ महसूस करने वाले हैं,,,, जाते हुए उस वक्त को राग-द्वेष से रहित होकर अलविदा कहते हुए उससे आग्रह कीजियेगा कि फिर कभी आपके जीवन में लौट कर ना आये,,,,हम टेट मेरिट के चाहने वाले टूटते सपनो की चुभन के साथ एक साल से अधिक समय तक जीने की पीड़ा व्यक्त करने के लिए आज शब्दों का अभाव अनुभव कर रहे हैं,,,,

    मैं जानता हूँ कि मेरे लिखने को लेकर,,मेरे रवैये को लेकर मोर्चे के अधिकाँश प्रभावशाली लोगों को शुरुआत से ही आपत्ति रही है ,,,,,,अगर मेरी वजह से किसी ऐसे व्यक्ति को कभी भी कष्ट पहुंचा हो जो इस सारे मामले के दौरान एक पल के लिए भी अपने आपसे किये उस वादे को ना भूला हो जब वह टेट संघर्ष मोर्चे शामिल हुआ था,पूर्व विज्ञापन की शर्तों की यथावत बहाली के लिए विजयश्री हासिल करने तक लड़ते रहने का वादा ,,,,तो मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ,,,,,

    ReplyDelete
  7. यु पी सरकार जिस तरह से आगामी टेट मे नकल रोक्ने का प्रचार कर रही है लगता उसे गूड़ खाना तो बहुत अछ्चा लग्ता है पर डाक्टरो ने उसे गुल्गुला खाने से मना किया है , सेहत की बात है भाई !

    ReplyDelete
  8. शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा पद्धति से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय प्रशिक्षण:

    इसके अलावा सरकार द्वारा शिक्षामित्रों को "दूरस्थ शिक्षा-विधि से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय डिप्लोमा" के नाम पर दिलाये जा रहे प्रशिक्षण की वैधता का मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है, रिट याचिका 28004/2011 (संतोष कुमार मिश्रा व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य) की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस प्रशिक्षण को प्रथमदृष्ट्या अवैध मानते हुए स्थगनादेश दिया था जिसे खंडपीठ द्वारा यह कहकर स्थगनादेश हटा दिया था कि इस मामले में इस प्रशिक्षण की वैधता मामले की सुनवाई कर रही पीठ के निर्णय के अधीन होगी, यह मामला आज भी विचाराधीन है। इस मामले में विपरीत निर्णय आने पर सरकार इसका ठीकरा फिर से एक बार न्यायालय के माथे फोड़ कर शिक्षामित्रों की सच्ची शुभचिंतक बनने का ढोंग पहले की ही भांति करने वाली है।

    यदि इस प्रशिक्षण के तकनीकी पहलुओं पर गौर करें तो NCTE द्वारा मान्यता प्राप्त "दूरस्थ शिक्षा पद्धति से प्राथमिक शिक्षा में दो-वर्षीय डिप्लोमा" नामक प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवेश के लिए आवश्यक अर्हता में "सरकारी या सरकारी मान्यता-प्राप्त प्राथमिक विद्यालय में २ वर्ष का शिक्षण अनुभव" अनिवार्य है जो कि सामान्यतया एक नियमित शिक्षक के पास ही हो सकता है, यहाँ ध्यान देना चाहिए कि शिक्षामित्रों के अनुबंध में स्पष्ट होता है कि "उनकी सेवा रोजगार-परक नहीं हैं, उनके द्वारा दी गयी सेवा सामुदायिक सेवा के तौर पर मान्य होंगी, उनको अपनी सेवाए केवल 11 महीनो के नवीनीकरणीय संविदा पर तैनात कर्मी के रूप में देनी हैं जो 11 की अवधि समाप्त होते ही स्वतः समाप्त मानी जाएँगी, वे कभी स्वयं को कभी न राज्य-सरकार या उसके किसी अंग का कर्मचारी मानेंगे न उसके लिए कोई दावा पेश करेंगे।" ऐसे में उनके द्वारा दी गई सेवाओं की अवधि इस उद्देश्य के लिए "अनुभव" के तौर पर मान्य है या नहीं, NCTE से इसके स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा है। विपरीत निर्णय शिक्षामित्रों के लिए कितना भारी पड़ सकता है, प्रदेश सरकार इस बात पर गंभीरता से ध्यान देने के बजाय अभी भी उनके सब्जबागों के रंग गहरे करने में जुटी है।

    साथ ही NCTE के अनुसार ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए उपयुक्त अभ्यर्थी चुनने के लिए राज्य-सरकार को उपयुक्त चयन-प्रक्रिया बनानी चाहिए तथा राज्य में प्रभावी आरक्षण-सम्बन्धी प्रावधानों का चयन में पूरी तरह अनुपालन होना चाहिए और शिक्षामित्रों के प्रारंभिक चयन और प्रशिक्षण के लिए हुए चयन के लिए किस उपयुक्त प्रक्रिया का पालन हुआ और उसमे आरक्षण सम्बन्धी प्रावधानों का कितना अनुपालन हुआ, ये किसी से छिपा नहीं है। इन प्रावधानों के उल्लंघन की ओर NCTE का ध्यान दिलाते हुए आवश्यक जानकारी मांगी गई है, जिसके प्राप्त होने पर इस सन्दर्भ में NCTE के दृष्टिकोण और इनके प्रति उसकी गंभीरता का अंदाज़ा लगा पाना संभव होगा।

    (5) शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के रूप में समायोजन का निर्णय:

    वास्तव में शिक्षामित्रों के लगातार दबाव से प्रभावित होकर सरकार ने प्रदेश में संविदा पर तैनात लगभग 1,70,000 शिक्षामित्रों में से 1,24,000 स्नातक शिक्षामित्रों को NCTE से मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा विधि से मात्र "2-वर्षीय डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन" प्रशिक्षण दिलाने का फैसला किया परन्तु आज तक सरकार द्वारा जोरशोर से प्रचारित किया जा रहा है कि प्रशिक्षण के बाद इन्हें सीधे सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति दी जाएगी। अर्थात प्रकारांतर से शिक्षामित्रों के दबाव को कम करने के लिए उन्हें TET से छूट और शिक्षकों के पद पर समायोजन के सब्जबाग भी सरकार समय-समय पर दिखाती रहती है।

    परन्तु दिनांक 17 अप्रैल 2013 को प्राथमिक विद्यालयों में TET की अनिवार्यता के मामले की सुनवाई कर रही वृहद् पीठ के सामने सरकार ने स्वीकार किया कि बिना TET उत्तीर्ण किये कोई भी व्यक्ति, जिनमे शिक्षामित्र भी शामिल हैं, प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नहीं बन सकता। अदालत में सरकारी अधिवक्ता द्वारा स्पष्टवादिता के बजाय शुरुआत में गोलमोल जवाब देने के प्रयास से भी उनकी नीयत में खोट झलकता है। ऐसे में सरकार की मंशा साफ़ समझी जा सकती है।

    यदि मान भी लिया जाये कि शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण को मान्यता मिल जाती है और वे TET उत्तीर्ण हो जाते हैं, फिर भी सहायक अध्यापकों के पद पर उनके समायोजन के रास्ते में संविधान का अनुच्छेद 14 एवं 16 एक बड़ी बाधा हैं और सार्वजनिक क्षेत्र के सेवायोजन में अवसर की समानता के सिद्धांत के अनुपालन को ठेंगा दिखाते हुए अन्य अर्ह अभ्यर्थियों को बाहर रखते हुए, खुली भर्ती के बदले समायोजन के माध्यम से शिक्षामित्रों को नियुक्ति देना भी टेढ़ी खीर साबित होने वाला है।

    (

    ReplyDelete
  9. 6) शिक्षामित्रों का मानदेय बढाने के दिखावे की क़वायद:

    यह जानते-बूझते कि शिक्षामित्रों का वजूद एक नियमित अध्यापक का नहीं है और केंद्र सरकार उनके मानदेय के मद में एक पैसा नहीं देने वाली, इस सरकार ने इस महंगाई के ज़माने में भी अपने बजट से उनका मानदेय पैंतीस सौ रुपये माहवार से बढाकर एक संतोषजनक स्तर तक ले जाने के बजाय केवल दिखावे के लिए उनका मानदेय बढाने का एक निहायत अप्रासंगिक और अनौचित्यपूर्ण प्रस्ताव केंद्र को भेजा जिसका रद्दी की टोकरी में जाना तय था और वही हुआ, पर सरकार ने शिक्षामित्रों के हिमायती के तौर पे थोड़ी नेकनामी बटोर ली और केंद्र सरकार के लिए उनके मन में कुछ कटुता पैदा कर दी, पर क्या एक राज्य सरकार को यह बताने की जरुरत है कि किस मद में आपको केंद्र से पैसा मिल सकता है और किस मद में नहीं।

    मेरा मानना है कि एक सयाने व्यक्ति द्वारा मूर्खता का दिखावा अव्वल दर्जे की धूर्तता होती है और बड़ी घातक होती है। पर शायद ऐसी धूर्तता से दो-चार होकर ही, इसके दुष्परिणाम को भुगतकर ही, व्यक्ति को वास्तविकता का वास्तविक बोध होता है और आगे चलकर यही अनुभव बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय सही और समग्र रूप से लेने में सक्षम बनाता है। क्या पिछले कुछ समय से हो रही इन चालबाजियों ने लोगो को निचोड़ने के साथ साथ उनमे संघर्ष का जज्बा नहीं जगा दिया है, क्या अब लोग सरकार के गलत-तो-गलत, कई बार सही निर्णयों को भी अदालतों में नहीं घसीट रहे, क्या सर्वशक्तिमान सरकार की अवधारणा बीते दो-एक सालों में धुल-धूसरित नहीं हो चुकी है?

    ReplyDelete
  10. Non tet walo ne to kmal kr diya, Sikshmitro k liye tet aniwary kr diya... Ye news sunkr to sabhi tet pas walo k chehre khil gye... Ham tet pas kr k jhak mar rhe hai aur sikshmitr treaning kr rhe hai... Ab ladte rhe suprem cort me gov se. Aur dusri bat tet mrt to nahi banegi chahe tum log jitna kud lo..

    ReplyDelete
  11. gram pradhano ki gulami kar ke sikhamitra ki naukri pa li .ab shikshak banne ka khwab dekh rahe hai par tet to qualify karna hi hoga niya - kanoon se upar koi nahi hai. aakhi itne dino se padha rahe ho to pri ka tet dene me itni pareshani kyon ho rahi hai .sach baat to ye hai ki shikshamiitro ki niyukti sarkari schoolo ki rakhwali karne ko hui thi ,ki koi kabja na kar le kyon ki schoolo me tum log kya padhate ho ye sab jante hai. abhi bhi samay hai tet ki tayari karo ABCD............yaad kar lo .

    ReplyDelete
  12. Agar Skiksha Mitro Ko TET Exam Dena Pada to U.P.Me Unka Kya Performance hoga jara iske bare mein bhi socho ...UNKA Result itna poor hoga ki uska bhi itihaas gawah hoga.....

    TET KE CHAKKAR MEIN BECHARO KA MUFT
    ME GANGRAPE HO GAYA .

    BECHARO KE CHEHARO par Hawaiya udne Lagi Hai.

    MAINE TET PASS KIYA THA TO BAHUT LECTURE DETE THE....HA..HA...HA..
    AB PATA CHALEGA Ki TET KIS CHIDIYA KA NAAM HAI............

    ReplyDelete
  13. मेरे सभी मित्रों को शुभ प्रभात !
    जैसा कि आप लोग जान चुके हैं कि बेसिक शिक्षा विभाग ने अपनी दोनों वेबसाइटों http://upbasiceduboard.gov.in/ एवं http://upbasiceduboard.nic.in/ को वेब पोर्टल से हटा लिया है । जब भी आप इन दोनों वेबसाइटों को खोलेंगे तब NOT FOUND लिखकर आ रहा है । इसके सिर्फ दो तात्पर्य हो सकते हैं पहला इन वेबसाइटों को पूरी तरह हटा दिया गया है या इनका आई पी एड्रेस बदल दिया गया है । जो लोग यह कह रहे हैं कि केवल त्रुटि सुधार हेतु इन वेबसाइटों को कुछ दिन के हटाया गया है उनको मैं बता दूँ कि जब भी किसी पेज या वेबसाइट का अपग्रेडेशन होता है तो उसमें यह बात लिखकर आती है कि website is under construction or it is temporarily not available ….NOT FOUND केवल दो ही दशा में लिखकर आता है जबकि वह वेबसाइट हो ही न या उसका आई पी एड्रेस बदल दिया गया हो .............इसलिये यह आपकी विजय की मौन घोषणा है । दूसरी बात यह कि नवम्बर 2011 की भर्ती प्रक्रिया आनलाइन न होकर आफलाइन थी जिसमें यह पहले से ही निर्धारित था कि पहली काउंसलिंग लिस्ट में 5 गुना अभ्यर्थियों को आफलाइन काउंसलिंग के माध्यम से बुलाकर प्रारम्भिक नियुक्ति देनी है । जब हमारे पुराने विज्ञापन की समस्त शर्तें मूर्त रूप लेंगी तो काउंसलिंग की आफलाइन प्रक्रिया भी स्वतः मूर्त रूप ले लेगी । बेसिक शिक्षा विभाग ने इसी बात को ध्यान में रखकर 72825 रिक्तियों से सम्बन्धित समस्त आनलाइन प्रक्रिया को चिर निद्रा में सुला दिया है । यह स्पष्ट है कि पुराना विज्ञापन बहाल होने के साथ ही नया विज्ञापन पद विहीन हो जायेगा । पद विहीन विज्ञापन का कोई औचित्य नहीं होता । यह सार सत्य है कि सृजित पदों के सापेक्ष आवेदन मँगाये जाते हैं न कि आवेदनों के सापेक्ष पद सृजित किये जाते हैं । सरकार के सामने यह बहुत बड़ा संकट है कि अब वह करें तो क्या..?????? ......तो इसका सीधा सा जवाब है कि न्यायालय के सामने समर्पण ......यह आनलाइन प्रक्रिया को हटाकर न्यायालय के सामने उसके आदेश का सम्मान करने की बात करेंगे और यह विनती करेंगे कि हम टेट से नियुक्ति के लिये तैयार है परंतु नये विज्ञापन को पद विहीन छोड़ दिया जाये जिससे कि भविष्य़ में पद सृजित करके उन फार्मों को उसमें सम्मिलित करके नया संशोधित विज्ञापन बताकर नया विज्ञापन निकालकर भर्ती कर सकें क्योंकि अगर कहीं कोर्ट ने नया विज्ञापन रद्द कर दिया तो इनको भरे गये फार्म के समस्त पैसे लौटाने पड़ जायेंगे ..........इससे आर्थिक नुकसान तो कम लेकिन उससे बड़ा इनके सामने राजनीतिक संकट खड़ा हो जायेगा जो यह कभी नहीं चाहेंगे ।

    ReplyDelete
  14. मेरे ख्याल से पांच साल की वो बच्ची छोटे और भड़कीले कपड़े पहनती होगी..

    ब्वॉयफ्रैंड के साथ रात को घूमने जाती होगी..

    जब वो दरिंदा उसका रेप कर रहा होगा तो उसके पैर पकड़कर उसने नहीं कहा होगा कि भैया, मुझे छोड़ दो..

    और उसके माता- पिता की सबसे बड़ी गलती ये है कि वो भारत नहीं, इंडिया में
    रहते हैं !

    ReplyDelete
  15. ATTENTION PLS.......
    .....Tet nontet matter T.B.court se clear hone ke baad tet merit case D.B. wapas jaega.
    SOURCE-Allahabad hindustan news paper,page no. 2.

    ReplyDelete
  16. सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए खुद उठाया महत्वपूर्ण कदम

    ReplyDelete
  17. अब बस एक ही कसर बाक़ी रह गई है ,,टेट क रिजल्ट वापस बेसिक शिक्षा परिषद की साईट पर आ जाए ,यह कसर भी पूरी हो जाए तब शायद लोगों को समझ में आये कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विराजमान कुछ विभूतियाँ ना सिर्फ न्याय करने के लिए प्रतिबद्ध हैं,,बल्कि अगर न्याय की रक्षा के लिए उन्हें राजनीति का सहारा लेना पड़े तो वो यह करने को भी तैयार हैं,,,,वेबसाईट बंद होने के साथ-साथ सरकार ने भर्ती प्रक्रिया रोकने क फैसला भी किया है,,ये अलग बात है कि अखबार वाले स्वतन्त्र हैं कि किस खबर को कितना बड़ा करके निकालें,,,रुकी हुयी भर्ती प्रक्रिया को रोके जाने क सरकार क निर्णय शायद मीडिया को पसंद नहीं आया,,,गुणांक वालों को को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,उन्हें अमर उजाला,दैनिक जागरण में सीधे भर्ती मिलेगी,,, ये दोनों अखबार इसी लायक हैं कि उसमें टेट लूजर्स काम करें,,,,,

    ReplyDelete
  18. एक बार फिर से दिल्ली में हुई दरिंदगी के बाद
    एक लड़की का माँ को सन्देश -:

    माँ मुझे डर लगता है ,
    बहुत डर लगता है ..!!
    सूरज की रोशनी आग सी लगती है ,

    पानी की बूंदें भी तेजाब सी लगती हैं
    माँ हवा में भी ज़हर सा घुला लगता है,
    माँ मुझे छुपा ले बहुत डर लगता है .!!

    माँ बचपन में स्कूल TEACHER की
    गन्दी नजरो से डर लगता है ,
    पड़ोस के चाचा के नापाक इरादों से डर लगता है ,

    माँ वो नुक्कड़ के लडको की
    बेतुकी बातों से डर लगता है ,
    और BOSS के वहसी इशारो से डर लगता है
    माँ मुझे छुपा ले बहुत डर लगता है ..!!

    माँ तूने मुझे फूलो की तरह पाला था ,
    उन दरिंदो का आखिर मैंने क्या बिगाड़ा था ,
    क्यूँ वो मुझे मसल कर चले गए
    बरबाद मेरी रूह कर कुचल के चले गए

    माँ तू तो कहती थी की हम
    अपनी गुडिया को दुल्हन सजाएगी ,
    मेरे इस जीवन को खुशियों से सजाएगी
    माँ क्या वो दिन जिन्दगी कभी ना लाएगी ,
    क्या तेरे घर बारात कभी ना आयेगी .??

    माँ खोया है जो मैंने क्या फिर से ,
    कभी ना पाऊँगी ..??
    माँ साँस तो ले रही हूँ ,
    क्या जिन्दा रह पाऊँगी .?

    माँ घूरते हैं सब अलग ही नजरों से,
    माँ मुझे उन नजरो से बचा ले,
    माँ मुझे बहुत डर लगता है ,
    अपने आँचल में छुपा ले ..!!

    ReplyDelete
  19. जरूरी सूचना
    अगर आप रात में
    गाड़ी चला रहे हैं
    और कोई आपके
    WINDSCREEN पर अंडे फेंके
    तो कार
    की जांच के
    लिए रोकें नहीं, वाइपर
    संचालित
    भी ना करें और
    किसी भी तरहका पानी व
    पे ना डाले,
    क्योंकि अंडे के साथ
    मिश्रित
    पानी दूधिया बन
    जाता है और
    आपकी दृष्टि को 92.5%
    तक के लिए ब्लॉक कर
    देता है और फिर
    आपको मजबूरन
    गाडी को सड़क के बगल में
    बंद
    करना पड़ता है और
    फिर आप पहले से घात
    लगाये बैठे
    अपराधियों का शिकारबन
    जाते है। यह एक नई
    तकनीक है इसका प्रयोग
    आजकल
    हाईवे पे
    अपराधिक
    गिरोहो द्वाराकिया जा
    कृपया अपने
    दोस्तों और
    रिश्तेदारों को जरुर
    सूचित करें। पोस्ट
    को ज्यादा से
    ज्यादा शेयर करके
    जागरूकता फैलायेँ ।।

    ReplyDelete
  20. उन्हे भ्रम है कि सरकार कोर्ट के टेट मैरिट से भर्ती करने के आदेश का पालन नही करेगी । कोर्ट के आदेश के दो ही विकल्प होते है या तो उसका पूरी तरह पालन करो या अगले कोर्ट मे अपील । तय समय सीमा मे उक्त कदमों पर विचार न होने पर अवमानना के साथ साथ वह आप पर भारित हो जाता है । कोर्ट के आदेशो का पालन करने कराने के लिए कन्टेम्प्ट कोर्ट का गठन किया गया है जिनके पास इसके अलावा कोई काम नही है ।बस उसकी दरवाजा खटखटाने की आवश्यकता होती है ।

    ReplyDelete
  21. gandu GAND SE HAANTH DHO BHATHE LEKIN GAAND MARANE SE BAAZ AA HI NAHI SAKTA.....................

    ReplyDelete
  22. rahul ...............kya tet merit lagne ke bad bhi aise hui gaand marwaaoge??????????????????????/

    ReplyDelete
  23. नक़ल के नंबरों के दम पर हासिल उच्च रैन्कें अब हमारे बीच नहीं रहीं,,,,,सरकार द्वारा परसों ही इसे वापस ले लिया गया था ,,,,उत्तर प्रदेश टेट संघर्ष मोर्चे के जांबाज नेतृत्व एवं कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के संरक्षण ने टेट में मेहनत से लाई रैंकों को नीचे से पुनर्गठित करने का नक़ल माफियाओं का प्रयास पूरी तरह विफल कर दिया है,,,,,गुणांक से चयन हेतु प्रारम्भ की गई भर्ती प्रक्रिया को न्यायमूर्ति हरकौली साहब ने पहले ही रोक दिया था,,,अब उस्मानी के ऊपर दुर्भावना से प्रेरित होकर भर्ती प्रक्रिया में बाधा डालने के आरोप में जुर्माने से बचने के लिए सरकार के पास एक मात्र विकल्प ही बचा था,,,समर्पण ,,और वो उसने करने का संकेत दे दिया है,,,गुणांक आधारित भर्ती प्रक्रिया पर सरकार ने अपनी तरफ से भी रोक लगाने का फैसला किया है,,अर्थात अब वह कोर्ट में स्थगन हटाने के लिए पैरवी नहीं करेगी,,,,ऐसी पैरवी करके करेगी भी क्या जिसमें असफलता के साथ-साथ दण्ड मिलने की संभावना ही अधिक हो,,,,,आज की तारीख में सारे मोहरे न्यायलय के हाथ में हैं,,,,अब सरकार को सिर्फ इतबा तय करने का अधिकार बचा है कि वो सीधे-सीधे पूर्व विज्ञापन बहाल करके हमारी नियुक्ति करेगी या हमारे द्वारा भरे गये पोर्र्व विज्ञापन के फार्मों पर नई विज्ञप्ति संख्या डालकर हमारी नियुक्ति टेट मेरिट से करने के बाद गुणांक से चयन हेतु नए पदों का सृजन करेगी ,,,,,,इस बारे में सरकार पूर्णतः स्वतन्त्र है,,,इस मामले मर्जी उसकी ही चलेगी,,क्योंकि तनख्वाह उसे ही देनी है,,,,,

    ReplyDelete

  24. ,टण्डन ने हमारी हर बात को जायज मानते हुए भी हमारा विज्ञापन प्रशिक्षु अध्यापक के मुद्दे पर रद्द किये जाने योग्य बताया था,,,लेकिन साथ ही SCERT विवरण और आयु-सीमा वाले आदेशों में टेट मेरिट जनित हमारे अधिकारों को मान्यता भी दी थी ,,,,,टण्डन द्वारा हमारा विज्ञापन जिस आधार पर रद्द किया था उसी आधार को ठीक उसी दिन न्यायमूर्ति भूषण ने उनके बगल के कोर्ट में बैठकर ना सिर्फ खारिज किया बल्कि यह व्यवस्था भी कर दी कि स्वयं केन्द्र सरकार और NCTE को सामने आकर प्रशिक्षु अध्यापक के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना पड़े ,,अन्यथा कोई भी व्यक्ति इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता कि उच्च न्यायालय का भूषण साहब जैसा सीनियर जज जिसकी ईमानदारी और विद्वता पर उसके सारे कैरियर में कोई उंगली नहीं उठा सका हो ,,वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में तो टेट के प्रावधान को खारिज कर सकता है,,परन्तु 2008 बैच के लिए उसे अनिवार्य मान सकता है,,,,,केन्द्र सरकार के हलफनामे में हमारी नियुक्ति को आन द जॉब ट्रेनिंग बताकर प्रशिक्षु अध्यापक का विलोप कर दिया है ,,या यूं कहें कि उसे औचित्यहीन बता दिया है,,,,,हम अब काउंसिलिंग के पश्चात सहायक अध्यापक के पड़ पर प्राथमिक नियुक्ति पायेंगे जो छः माह की ट्रेनिंग के बाद मौलिक नियुक्ति के रूप में तब्दील हो जायेगी,,,,,इस मामले में आई सारी समस्याएं राजनीति जनित थीं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जजों ने राजनीति को राजनीति से परास्त करने का शानदार काम किया है,,,,,,,उसके लिए हम सभी टेट मेरिट के चाहने वाले न्यायपालिका के ताउम्र आभारी रहेंगे ,,,,,,,मामले की जटिलता और क़ानून एवं राजनीति के सम्बन्ध में में आम टेट मेरिट वालों की जानकारी के अभाव में उपजी भ्रम की स्थिति को मैंने और मेरे साथी रीतेश ,शाश्वत और मयंक तिवारी ने अपनी ओर से यथासंभव दूर करने का प्रयास किया था ,,,,चूँकि हम अल्पमत में थे इसलिए कई बार हमने उन्हीं के विरूद्ध मोर्चा खोलना पड़ा जिनके हितों की रक्षा ही हमारा ध्येय था ,,इस प्रक्रिया में कई लोगों को बहुत कष्ट हा है लेकिन जब हम जीत जायेंगे और वो लोग हमारे द्वारा बताई सारी बातों का सिंहावलोकन करेंगे तो शायद समझ सकें कि तत्कालीन परिस्थितियों में ऐसा किया जाना उनके ही दूरगामी हितों के लिए आवश्यक था ,,,हम अपने ही साथियों को इस बात की इजाजत्त नहीं दे सकते थे कि वो अपनी ही गर्दन अपनी ही तलवार से काट लें,,,,अब देखना बस यह है कि हमारी जीत की औपचारिक घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा की जाती है या न्यायमूर्ति हरकौली साहब द्वारा ,,,,,

    ReplyDelete
  25. इस मामले में मेरी भूमिका और कठोर-मुखर रवैये को देखते हुए कई लोगों को यह गलतफहमी है कि मैं अपने आपको उन लोगों से ऊपर समझता हूँ जिन्होंने जमीनी स्तर पर संघर्ष किया है,,,,,, जबकि ऐसा है नहीं,,,,,, लखनऊ से लेकर इलाहाबाद तक जिन भी साथियों ने जमीनी स्तर पर संघर्ष किया है चाहे वो विवेकानंद हों या राजेश प्रताप, या फिर टेट मोर्चे की तीनों वीरांगनाएं रमा त्रिपाठी,क्षमा अवस्थी,अंजली राय या क्रांतिकारी रत्नेश पाल,विजय तोमर ,विवेक मिश्रा हों या फिर ,अवनीश यादव,सुजीत सिंह,एस.के.पाठक,गणेश दीक्षित ,राकेश यादव,राजेश पाण्डे ,अनिल बागपत ,सदानंद मिश्रा ,राकेश मणि,नवीन श्रीवास्तव ,अखिलेश त्रिपाठी या अन्य जिला अध्यक्ष समेत वो सभी सक्रिय साथी जिनसे मिलने का मुझे कभी सौभाग्य नहीं मिला,,,,इन सभी का मैं व्यक्तिगत रूप से आजीवन कर्जदार रहूँगा ,,,,,,,,क्योंकि इन्होने वो किया है जो मैं शायद मैं उनके सामान कुशलता से करने के बारे में सोच भी नहीं सकता,,,,इस अवसर पर मैं श्यामदेव मिश्रा और सारिका जी का भी आभार व्यक्त करना कहूँगा कि टेट मामले से सीधे ना जुड़े होने के बावजूद उन्होंने जो भूमिका निभाई है उसने कुछ हद तक मेरे ऊपर से काम का दबाव हटाने में ही मदद की है,,,, सारिका जी की शिक्षा मित्रों से टेट दिलाने की इच्छा पूरी होने के बाद संभवतः उनकी मेरे प्रति नाराजगी अवश्य ही कुछ कम हुयी होगी,,,,,,
    जीतने के बाद भी एक अति महत्वपूर्ण काम बाक़ी है,,,,,जो साथी हमारे लिए संघर्ष करते हुए जेल गये थे उनके ऊपर से मुकदमें वापस करवाने हैं,,,,इस बीच बहुत से लोगों से शायद मेरा विवाद हुआ है,मुझे तो याद नहीं,,,अपेक्षा करता हूँ कि वो भी भूल चुके होंगे ,,,अन्य साथियों के बीच भी आपस में विवाद रहा है,,,,उसे भी भुला दिया जाना ही उचित रहेगा,,,,,हमारे बीच आँसुओं का रिश्ता रहा है,,,जो खून के रिश्ते पर भारी पड़ा है,,,,,,मुझे आज उन साथियों की कमी महसूस हो रही है जो इस विवाद से उपजे दबाव का सामना ना कर पाने के कारण आज हमरे बीच नहीं हैं ,,,,,उनके सम्बंधित जिलों के अध्यक्षों से मेरा आग्रह है कि वो उनके परिवार के संपर्क में रहें और उत्तर प्रदेश टेट मोर्चे के सहयोग से इस बात को सुनिश्चित करें कि उनके परिवार को अपने खोये सदस्यों की कमी कम से कम महसूस हो,,,,,,यदि इनमें से किसी भी परिवार को आर्थिक सहायता की आवश्यकता हो उसे पूरा करने के लिए हम उत्तर प्रदेश टेट मोर्चे के सभी सदस्यों को हमेशा तैयार रहना चाहिए ,

    ReplyDelete
  26. doston
    jara aap sab milkar ye pata karo ki ye rahul savita acd/merit kis prakar ka suppo. hai?

    agar aap sab milkar ye pata nahi kar paaye to main ye samjhunga ki ye S. mitra//ntet/under gradu. hi hoga .

    ReplyDelete
  27. aur ye kapil dev yadav yahan par kya kar raha hai


    agar in dono question ka ans. aap nahi de paaye to mera bhi yahaan rahna uchit/labhdayak nahi hai

    ReplyDelete
  28. me TO KEWAL BHARTI PRAKRIYA SURU KARANE WALO KA SUPORTER HU.....




    KUCH MUDDAIYO KI WAJAH NA JANE KITANE MASOOMO KI JANE CHALI GAYI

    ReplyDelete
  29. main aap logon se 3sari baar ye kah raha hun ki mujhe yahan par kisi ne niyukt nahi kiya hai.aur na hi iski koi salary deta hai.
    ye sab main apni marzi se karta hun.kyon ki jab main shuru-2 me koi info. nahi paata tha tab bada dukh hota tha.
    aur aaz bhi kahi bhai bahan aise hain jo mere blog par bhar bharosha karte hain ya aise maan lo zinda hain

    kyon is blog par pichhale 8 mahine se koi aisa banda nahi paida hua jo sirr pair waali khabar de sake. isliye mujhe aisa karna pada
    mujhe pasand karne walon ki lambi line haiaur npsnd wale muthhi bar hain


    aaj bhi bahut se log aise hain jo normal mobile me mere blog dekh sakte hain



    agar aisa hi raha to 1 din main achanak..............................

    ReplyDelete
  30. कल अमर उजाला मे कोर्ट द्वारा 4 feb को रोकी गई भर्ती को सरकार द्वारा 20 अप्रैल को रोकने की घोषणा दुबारा करने की क्या आवश्यकता थी । आपको याद होगा यह काम वह 4 feb को ही उचित माध्यम से कर चुकी थी । कल की न्यूज रिजर्व आदेश के प्रति प्रतिक्रिया है जो समर्पण दर्शाता है

    ReplyDelete
  31. rhul............tab tumse vada chutiya....................

    agar itne hi subhchintak ho to stay ya tet merit me se kuchh bhi karke dikhao
    agar dono me se kuchh bhi nahi kar paye to to AAP TAMAASHBIN ke bhi haqdaar .................

    ReplyDelete
  32. Tet mrt supportr dhyan se pade--Tet mrt walo total paglu ho gye hai... Ho b kyu na te te krte krte to inka dimag coma me ja chuka hai... Bs agar kisi acd supportr ko blog par dekh kr bhokte rhte hai, par kya kre isse jyda kuch kr b nhi sakte hai.... Jb tak c b yadav jaise yugy anubhvi vakil is case ko handal kr rhe hai... Tb tak ye rote hi rahege... Tandan ji k bate b inhe samjh nahi ati paglu log kahte hai db ya tb me jet jayege... But sub jante hai bhrti acd se hi hogi.

    ReplyDelete
  33. http://www.digitalcampus.in/educationnews.jsp?nid=2739

    govt have no money to conduct exam in primary and junior high school . check it

    ReplyDelete
  34. HI,

    THIS IS THE VERY GOOD NEWS THAT THE EVERYBODY HAS TO QUALIFY TET EIGHTER HE IS BTC, SHIKHA MITTRA OR B-ED DEGREE HOLDER.

    THANKS TO COURT & GOVT

    ReplyDelete

Please do not use abusive/gali comment to hurt anybody OR to any authority. You can use moderated way to express your openion/anger. Express your views Intelligenly, So that Other can take it Seriously.
कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय अभद्र शब्द या भाषा का प्रयोग न करें। अभद्र शब्दों या भाषा का इस्तेमाल आपको इस साइट पर राय देने से प्रतिबंधित किए जाने का कारण बन सकता है। टिप्पणी लेखक का व्यक्तिगत विचार है और इसका संपादकीय नीति से कोई संबंध नहीं है। प्रासंगिक टिप्पणियां प्रकाशित की जाएंगी।