News : सैन्य अफसरों ने खिलौनों की तरह बेच दिए हथियार : सुप्रीम कोर्ट
हथियारों की अवैध बिक्री पर सेना की सजा से कोर्ट नाखुश
हथियारों की अवैध बिक्री कर रहे हैं सेना के बड़े अधिकारी
जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसी पर सख्त टिप्पणी की है
सुप्रीमकोर्ट ने सैन्य अफसरों द्वारा हथियारों की बिक्री के मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कहा, ‘इस मामले में मेजर, ले. कर्नल और कर्नल रैंक के अधिकारी शामिल हैं। इस गैंग में शामिल लोगों ने बाजार में हथियार ऐसे बेचे जैसे खिलौने हों।’
कोर्ट ने कहा, ‘सैन्य अधिकारियों का अवैध तरीके से हथियार बेचना बेहद आपत्तिजनक है। राजस्थान के श्रीगंगानगर की सीमा पर सेना के कुछ आला अधिकारी अवैध रूप से हथियार बेच रहे थे। सेना ने उन्हें पकड़ भी लिया। पर हल्की-फुल्की सजा देकर छोड़ दिया। जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसी पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने पश्चिमी कमान के साथ सेना के सभी कमानों में ऐसे मामलों की जांच के आदेश देने के भी संकेत दिए। सरकार को जवाब के लिए 15 दिन का समय दिया है।
जस्टिस एचएल दत्तू और शरद अरविंद बोबडे की बेंच ने कहा कि वह दक्षिण पश्चिम कमान तक अपनी जांच सीमित रखने की बजाय सेना की सभी कमान में जांच का आदेश देने पर विचार कर सकती है। सेना की दक्षिण पश्चिम कमान में ही इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था
सेना के हथियारों की खुले बाजार में अवैध बिक्री के दोषियों को मामूली अर्थ दंड देकर छोड़ दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने दोषियों की सजा में इजाफा करने और जांच का दायरा सेना की सभी नौ कमांड तक बढ़ाए जाने पर केंद्र सरकार से जबाब मांगा है। न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये आदेश राजस्थान के गंगानगर जिले में सेना के हथियारों की अवैध बिक्री का मामला उठाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
पीठ ने मामले में पेश रिपोर्ट और दस्तावेजों को देखने के बाद इस बात पर नाखुशी जताई कि इतने गंभीर मामले में वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को कोर्ट मार्शल में महज पांच सौ रुपए के मामूली जुर्माने और चेतावनी के दंड पर छोड़ दिया गया। पीठ ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए ये दंड बहुत कम है। यह बहुत चिंता का विषय है। अगर ये हथियार आतंकवादियों या गैंगस्टर के हाथ लग जाते तो क्या होता।कोर्ट ने केंद्र सरकार की पैरोकारी कर रहे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि वे बताएं कि क्यों न कोर्ट दोषियों को दी गई सजा का आदेश निरस्त कर दे और उसके बाद उनकी सजा बढ़ाने पर विचार करे। इसके साथ ही कोर्ट ने जांच का दायरा बढ़ा कर सेना की सारी कमांडों तक किए जाने पर भी उनसे जवाब मांगा। अभी इस मामले की जांच का दायरा सिर्फ साउथ वेस्टर्न कमांड तक ही सीमित है। अटार्नी जनरल ने सरकार से निर्देश लिए जाने के लिए कोर्ट से समय मांगा। कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए 15 दिन का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को तय कर दी है।
इससे पहले मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि मामले की जांच हुई है और दोषियों को अर्थ दंड के अलावा प्रोन्नति व पेशन लाभ में कटौती का भी दंड दिया गया है। साथ ही कड़ी चेतावनी भी दी गई है। उन्होंने कहा कि सैन्य अधिकारी हथियार बेच सकते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए अनुमति लेनी पड़ती है। जो कि इस मामले में नहीं ली गई थी। कोर्ट ने उनके जवाब पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इसमें वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। ये सजा काफी नहीं है। यह महज दिखावा है। सेना तो अनुशासन में बंधी होती है और वह दिखना भी चाहिए।
हथियारों
की अवैध बिक्री पर सेना की सजा से कोर्ट नाखुश - See more at:
http://naidunia.jagran.com/national-military-court-sentenced-unhappy-from-the-illegal-sale-of-weapons-169973#sthash.JNVpMifg.dpuf
हथियारों
की अवैध बिक्री पर सेना की सजा से कोर्ट नाखुश - See more at:
http://naidunia.jagran.com/national-military-court-sentenced-unhappy-from-the-illegal-sale-of-weapons-169973#sthash.JNVpMifg.dpuf
"A lieutenant colonel sells 17 weapons, his and 16 others, and gets
three years forfeiture of seniority, another sells 11 NSP weapons and
gets two years forfeiture, the third sells five and gets one year
forfeiture. It is not how many weapons they sold. What shocks our
conscience is that they are part of the disciplined force where a small
indiscipline results in termination of service," the bench said.