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Wednesday, October 14, 2015

Breaking News :- ISIS अमेरिका, रूस व् तेल की हकीकत , क्या है अंदरुनी'खेल

Breaking News :- ISIS अमेरिका, रूस व् तेल की हकीकत , क्या है अंदरुनी'खेल


हमारे देश में बहुत से लोग सीरिया में ISIS पर चल रहे रूसी हमलों के विषय में वास्तविक  तथ्यों से अनजान हैं,
हमने इस विषय में इंटरनेट पर विविध न्यूज़ व जानकारी की पड़ताल की और आपको इस विषय को इन तथ्यों के साथ समझते हैं

पहले समझते हैं की ये ISIS कहाँ से आया :-

 सद्दाम हुसैन के बाद ईराक में परिस्थितियां को सम्भालने के लिए अमेरिका ने कुछ बेरोजगार कट्टरपंथी लड़ाकों को हथियार व् धन उपलब्ध कराना चालू कर दिया । 




समय के साथ साथ  धन व् शक्ति के नाम पर और बेरोजगार लोग इन कट्टर पंथी लड़ाकों से जुड़ते गए , और अब यह एक संगठन बन गया, और इसकी धन की आवश्यकता भी बढ़ चुकी थी,
शक्ति व् आधिपत्य की बढ़ती भूख ने नए स्थानों की ओर ध्यान दिया गया व्  लोगों पर अत्याचार कर अपना भय व्याप्त किया गया, महिलाओं व् नशीली दवाओ की  तस्करी भी चालू हो गयी , अमेरिका इन परिस्थतियों पर नजर रखे हुआ था और उसने इन लड़ाकों को तेल के कुओं पर कब्जा करने का सुझाव दे डाला जिससे की उसे  इन लड़ाकों को कम धन देना पड़े,

जब तेल के कुओं पर कब्ज़ा होने लगा तो इन लड़ाकों  ने अंतरराष्ट्रीय दामों से कम दाम पर अमेरिका व् उसके सहयोगियों को तेल बेचना आरम्भ किया,
इस से अमेरिका व् उसके सहयोगियों को तो फायदा होने ही लगा था , लेकिन इन लड़ाकों की महत्वकांक्षाएं भी बढ़ रही थी और अब ये अपने लिए एक देश का निर्माण करना चाहते थे जहाँ इनकी सत्ता हो और इन्होने इस काम को अंजाम देने के लिए इस्लामिक कानून शरीयत का सहारा लेना चालू कर दिया , जिससे अधिक से अधिक बेरोजगार लड़ाके मुफ्त में या कम खर्च में इस काम को अंजाम दे सकें ,

इसके लिए इन लड़ाकों ने  कमजोर बशर अल असद के शासन वाले सीरिया की ओर रुख किया जिसके पास बड़े तेल भण्डार थे , ये तेल भंडार सीरिया की आय का मुख्य  स्रोत थे ,
इन लड़ाकों ने तमाम देशों के मुस्लिम लड़ाकों को इस्लामिक स्टेट के नाम पर दिवा स्वप्न दिखाने चालू कर दीये , जिससे सीरिया की सत्ता आसानी से
हथियाई जा सके
इनकी बढ़ती भूख बड़ा राज्य और अधिक धन की चाहत ने धीरे-धीरे इराक व् सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा बनाने की चाल को कामयाब कर दिया ,
साथ ही नशीली दवाओं, महिलाओं की तस्करी व् अमेरिका और उसके सहयोगियों को तेल बेचकर अपने को आर्थिक रूप से सुदृढ़ कर लिया,

अमेरिका व् ISIS के इस छुपे गठबंधन के मार्फ़त अमेरिका एवं उसके सहयोगियो व् ISIS, तीनों को परस्पर लाभ मिल रहा था, मतलब एक पक्ष को धन व् शक्ति व् दुसरे को सस्ता तेल,
किन्तु इसका परिणाम ये हुआ की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की मांग कम होती चली गई , क्योंकि बहुत से देशों को अब सस्ता तेल मिल रहा था तो उन्होंने भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार से तेल खरीदना बहुत कम कर दिया, जब तेल की मांग गिरी तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम भी गिरते चले  गए


एक तरफ अमरीका अपने छुपे इरादों में कामयाब हो रहा था मतलब सब कुछ अमेरिका व् उसके सहयोगियों के हित में चल रहा था,

किंतु दुसरी तरफ ISIS की महत्वाकांक्षा भी बढ़ रही थी , और इसके चलते इस्लामिक देश के नाम पर इन्होने  इस्लामिक कट्टरपंथ व् अत्याचारों
के जरिये मीडिया में सुर्खियां बटोरनी चालू  कर दी , और अब विश्व की जनता में ISIS की छवि बिगड़ने लगी ,
तो  अमेरिका ने दिखावे  के लिए ही सही लेकिन इनके विरोध में उतर गया ,
किन्तु कहावत है की सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को अर्थात व् सस्ता तेल देने वाले को कौन मारता है.....

अतः यह विरोध एक औपचारिकता मात्र  बनकर रह गया, और सब कुछ पहले के जैसा  चलने लगा,
इसके बाद आये दिन नई नई विभीत्स, हिंसक व् पैशाचिक कृत्यों के समाचार सुर्ख़ियों में आते रहे, और विश्व को अपनी गम्भीरता प्रदर्शित करने के लिए कभी कभी एक दो ड्रोन भेजकर एक दो मिसाइल लौंच का दिखावा कर वैश्विक महाशक्तियों ने अपने दायित्व की इतिश्री कर ली ।




 



अब ये समझते हैं की रूस के इस युद्द में शामिल होने का क्या कारण है -

यदि आप सोच रहे हैं  की ISIS पर रूस के इन आक्रमण का उद्देश्य मात्र मानवता की रक्षा व् सेवा है तो आप गलत है, रूस भले ही ISIS को समाप्त कर मानवता का भला ही कर रहा हो, किन्तु साथ ही वह अपना महत्वपूर्ण  हित भी साध रहा है,

अब आप पूछेंगे कि भाई ऐसा कैसे ?
तो आपको बता दें की रूस की आय का मुख्य स्रोत हथियार व् तेल बेचकर होने वाली आय है, रूस के पास भी बड़े तेल भंडार हैं ,
, किन्तु आजकल रूसी हथियारों की मांग कम होने के कारण , और अमेरिका द्वारा कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगाने व् तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने से व् रूसी मुद्रा बुरी तरह टूट गयी है
रूसी मुद्रा के 44% टूटने के फलस्वरूप रूस वह एक बड़ी आर्थिक कठिनाई से जूझ रहा हैं ।
इस संकट को सँभालने के लिए उसे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल के बढ़े दाम चाहिए 


 इसके लिए ISIS द्वारा चलाये जा रहे तेल के इस ग्रे मार्किट/ सस्ता तेल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचना बन्द हो जाना  रूस के लिए अति आवश्यक है,

 इसीलिए जैसे ही बशर अल असद ने वलादमीर पुतिन को दोनों देशों के पुराने पारस्परिक सम्बंधों का हवाला देते हुए अपना राज्य व् शासन बचाने के लिए सैन्य कार्यवाही का आग्रह किया तो पुतिन तुरन्त तैयार हो गए, जैसे उनकी मन माफिक मुराद पूरी हो गई ।
क्योंकि इससे  एक ओर रूस चेचन मुस्लिम आतंकी जो ISIS के लिए लड़ रहे थे उनसे निपट सकता था, वहीँ तेल का ग्रे मार्केट नष्ट कर अतन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमत पुनः वहीं लाकर अपने को आर्थिक संकट से उबार सकता था, साथ ही अमेरिका को दोहरा सबक सिखा सकता था, क्योंकि अमेरिका सुपर पावर है और उसके होते हुए विश्व के सामने ISIS का सफाया कर रूस का नायक के रूप में उभरना , रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिका व् उसके सहयोगियों को मिल रहे सस्ते तेल का मार्ग बन्द कर अपना प्रतिशोध भी ले लेना जैसा अच्छा अवसर रूस को नहीं मिल सकता था,

 अतः रूस ने आक्रमण के पहले दिन ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए  की वो गम्भीरता से युद्ध लड़ने उतरा है
Su 27 व् Su 34 ने ताबड़तोड़ हमले करने आरम्भ किये, आक्रमण की तीक्ष्णता का का अनुमान इसी से लगा लीजिये की 24 घण्टों में लड़ाकू विमानों ने 67 ठिकानो को बुरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया व् कैस्पियन सी से भी लम्बी रेंज की सुपर क्रूज़ मिसाइलों द्वारा ISIS पर  आक्रमण कर उसकी कमर तोड़ दी ।
ISIS  आतंकी लड़ाके भागने लगे,
अल कायदा के संग़ठन नुसरत फ़तेह ने रूसी सेनिको को पकड़ कर लाने पर एक लाख सीरियन पाउंड का इनाम रख दिया , जिससे वह पहले की तरह दुनिया के सामने रशियन सैनिकों का सर कलम कर मुस्लिम बेरोजगार लड़ाकों को लुभा सके और अपनी साख कायम कर सके ।


दुसरी तरफ अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा रूस के विरुद्ध प्रोपगैंडा चलाने का प्रयास किया किंतु व् निरर्थक ही रहा, उलटे ईराक  भी रूस के साथ  ISIS के खात्मे के लिए जुड़ गया है और  रूस को कार्यवाही करने के लिए एक सैन्य बेस व् हवाई अड्डा देने का निर्णय लिया है, जिससे विश्व पटल पर अमेरिका की छवि को गहरा धक्का लगा है वहीं रूस एक सशक्त जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में उभरा है।
अब इराक ईरान और रूस तीनो ISIS के विरुद्द लड़ रहे हैं