महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट
Sat, 23 Jul 2016 06:13 PM (IST)

प्रवीण कुमार, मेवात महंगाई पर लगाम लगाने के सारे दावे इन दिनों हवा होते दिख रहे हैं। अब लोगों की
मेवात
महंगाई पर लगाम लगाने के सारे दावे इन दिनों हवा होते दिख रहे हैं। अब लोगों की उम्मीद भी जबाव देने लगी है। लोगों की जुबान पर एक ही बात है कि अच्छे दिनों के इंतजार में बुरे दिन आ गए। महंगाई का सबसे अधिक असर आम आदमी की रसोई पर पड़ रहा है। आम आदमी की थाली से जायका गायब होता जा रहा है। दाल और सब्जियों से लेकर दूसरी खाद्य वस्तुएं भी महंगी हो गई हैं।
चना उत्पाद ज्यादा महंगे
रसोई की खाद्य वस्तुओं में सबसे अधिक महंगाई चना उत्पादों पर दर्ज की गई है। खुदरा बाजार में इस समय चना 50-55 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 90 रुपये प्रतिकिलो हो गया है। चना दाल की बात करें तो यह एक महीने में ही 80 से 100 रुपये किलो हो गई है। बेसन 100 से 120 रुपये किलो हो गया है। सफेद चना (छोले) 90 से सीधा 125 हो गया है। मसूर दाल 80 से 100, उड़द दाल भी 140 रुपये किलो से 160 रुपये किलो हो गई है। धुली उड़द दाल 180 तो अरहर 200 रुपये किलो है। चीनी की मिठास भी इस समय कड़वी हो गई है। 30 से 32 रुपये किलो तक मिलने वाली चीनी अब 45 रुपये किलो मिल रही है। लाल मिर्च से लेकर धनिया पाउडर, काली मिर्च और दूसरे गर्म मसालों के दाम पांच फीसद तक बढ़ गए हैं। निजी कंपनियों की ओर से लगातार बढ़ाए जा रहे दूध के दामों के बीच स्थानीय पशुपालक भी दूध के दाम बढ़ा रहे हैं। दही, मक्खन व घी से लेकर दूध से बने दूसरे उत्पाद भी दो से चार फीसद तक महंगे हो गए हैं। ऐसे में आम आदमी की थाली से जायका गायब हो रहा है।
दाल सब्जी क्या टमाटर की चटनी को तरसे : मंहगाई के दौर का आलम यह है कि आम आदमी की थाली से दाल सब्जियां तो गायब हो गई, अब टमाटर की चटनी के भी लाले पड़ गए हैं। 20 से 40, यहां से 60 और 80 रुपये किलो के बाद यह सीधा 100 रुपये किलो हो गया है। इतना तब है तब मेवात में जमकर टमाटर उत्पादन होता है। मंहगाई का सबसे ज्यादा असर टमाटर पर ही है। सब्जी विक्रेता मनोज कुमार ने बताया कि कुछ सब्जियों की आवक कम हो गई है। साथ ही कुछ सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। जिससे सब्जियां मंहगी हो रही है।
..........
सरकार ने अच्छे दिनों का सपना दिखाया। सरकार मंहगाई पर लगाम नहीं लगा पाई। रसोई संभालना मुश्किल हो रहा है। सब्जियां तक नहीं खरीद पा रहे हैं।
-वंदना गर्ग।
...........
गरीब के लिए दाल-रोटी सबसे मुफीद बताई जाती थी, लेकिन अब तो दाल थाली में परोसना बस की बात नहीं रही। सबसे सस्ती समझी जाने वाली चना दाल ही 90 रुपये किलो हो गई है।
-नीतू माथुर।
.............
यही हालत रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पानी के साथ रोटी चबानी पड़ेगी। सब्जी से लेकर दाल तक मंहगी हो गई है।
-रितू।
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पहले से ही हालत बद थे, अब तो बदतर हो गए हैं। अच्छे दिनों का नारा देकर सत्ता मे आई भाजपा को आम आदमी की कतई सुध नहीं है।
-सुहालियां।
...........
सब्जियों के दाम
नाम पहले अब
टमाटर 80 100
¨भडी 40 50
¨टडा 40 60
घिया 40 60
तोरई 20 40
करेला 20 40
गोभी 80 120
बैंगन 50 180 रुपये किलो।
Sat, 23 Jul 2016 06:13 PM (IST)

प्रवीण कुमार, मेवात महंगाई पर लगाम लगाने के सारे दावे इन दिनों हवा होते दिख रहे हैं। अब लोगों की
मेवात
महंगाई पर लगाम लगाने के सारे दावे इन दिनों हवा होते दिख रहे हैं। अब लोगों की उम्मीद भी जबाव देने लगी है। लोगों की जुबान पर एक ही बात है कि अच्छे दिनों के इंतजार में बुरे दिन आ गए। महंगाई का सबसे अधिक असर आम आदमी की रसोई पर पड़ रहा है। आम आदमी की थाली से जायका गायब होता जा रहा है। दाल और सब्जियों से लेकर दूसरी खाद्य वस्तुएं भी महंगी हो गई हैं।
चना उत्पाद ज्यादा महंगे
रसोई की खाद्य वस्तुओं में सबसे अधिक महंगाई चना उत्पादों पर दर्ज की गई है। खुदरा बाजार में इस समय चना 50-55 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 90 रुपये प्रतिकिलो हो गया है। चना दाल की बात करें तो यह एक महीने में ही 80 से 100 रुपये किलो हो गई है। बेसन 100 से 120 रुपये किलो हो गया है। सफेद चना (छोले) 90 से सीधा 125 हो गया है। मसूर दाल 80 से 100, उड़द दाल भी 140 रुपये किलो से 160 रुपये किलो हो गई है। धुली उड़द दाल 180 तो अरहर 200 रुपये किलो है। चीनी की मिठास भी इस समय कड़वी हो गई है। 30 से 32 रुपये किलो तक मिलने वाली चीनी अब 45 रुपये किलो मिल रही है। लाल मिर्च से लेकर धनिया पाउडर, काली मिर्च और दूसरे गर्म मसालों के दाम पांच फीसद तक बढ़ गए हैं। निजी कंपनियों की ओर से लगातार बढ़ाए जा रहे दूध के दामों के बीच स्थानीय पशुपालक भी दूध के दाम बढ़ा रहे हैं। दही, मक्खन व घी से लेकर दूध से बने दूसरे उत्पाद भी दो से चार फीसद तक महंगे हो गए हैं। ऐसे में आम आदमी की थाली से जायका गायब हो रहा है।
दाल सब्जी क्या टमाटर की चटनी को तरसे : मंहगाई के दौर का आलम यह है कि आम आदमी की थाली से दाल सब्जियां तो गायब हो गई, अब टमाटर की चटनी के भी लाले पड़ गए हैं। 20 से 40, यहां से 60 और 80 रुपये किलो के बाद यह सीधा 100 रुपये किलो हो गया है। इतना तब है तब मेवात में जमकर टमाटर उत्पादन होता है। मंहगाई का सबसे ज्यादा असर टमाटर पर ही है। सब्जी विक्रेता मनोज कुमार ने बताया कि कुछ सब्जियों की आवक कम हो गई है। साथ ही कुछ सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। जिससे सब्जियां मंहगी हो रही है।
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सरकार ने अच्छे दिनों का सपना दिखाया। सरकार मंहगाई पर लगाम नहीं लगा पाई। रसोई संभालना मुश्किल हो रहा है। सब्जियां तक नहीं खरीद पा रहे हैं।
-वंदना गर्ग।
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गरीब के लिए दाल-रोटी सबसे मुफीद बताई जाती थी, लेकिन अब तो दाल थाली में परोसना बस की बात नहीं रही। सबसे सस्ती समझी जाने वाली चना दाल ही 90 रुपये किलो हो गई है।
-नीतू माथुर।
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यही हालत रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पानी के साथ रोटी चबानी पड़ेगी। सब्जी से लेकर दाल तक मंहगी हो गई है।
-रितू।
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पहले से ही हालत बद थे, अब तो बदतर हो गए हैं। अच्छे दिनों का नारा देकर सत्ता मे आई भाजपा को आम आदमी की कतई सुध नहीं है।
-सुहालियां।
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सब्जियों के दाम
नाम पहले अब
टमाटर 80 100
¨भडी 40 50
¨टडा 40 60
घिया 40 60
तोरई 20 40
करेला 20 40
गोभी 80 120
बैंगन 50 180 रुपये किलो।