सरकारी नौकरी शिक्षक भर्ती/नियुक्ति परिणाम / टीईटी Sarkari Naukri Recruitment/Appointment Result. Latest/Updated News - UPTET, CTET, BETET, RTET, APTET, TET (Teacher Eligibility Test) Merit/Counselling for Primary Teacher(PRT) of various state government including UP, Bihar
Friday, October 3, 2014
108 comments:
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दोस्तोँ !!
ReplyDeleteयहाँ पर सभी लोगों ने बी॰एड॰ और टी॰इ॰टी॰ किया है फिर भी कभी कभी शक होता है उन लोगों पर जो एक ही बात को बार बार जवाब न मिलने पर भी पूछते रहते हैं (मेरा क्या होगा क्या चाँस है मेरे इतने हैं मेरे उतने हैं शादी होगी या नही मरुँगा या जीऊँगा )
और ये अक्सर वही लोग होते हैं जो केवल एक दिन का नेट पैक करवाते हैं और पूछना शुरू कर देते हैं अगर वो रोज पढ़ते सुनते देखते तो कभी नही पूछते कि मेरा क्या होगा ?
बल्कि औरों को भी बताते !
और कुछ लोग टिप्पणी भी करते हैं उनसे मेरा ये कहना है कि मै ऊपर की तरफ दो तीन पेज छोड़कर लिखता हूँ जिससे किसी को कोई परेशानी न होने पाए फिर भी लोग इतने परेशान रहते हैं कि इतना नीचे भी आकर गाली गलौज करने से नही चूकते हैं ।
उनको मेरी ये मुफ्त सलाह है कि अपना नेट पैक पूरे 28 दिन का करवा कर ब्लाग पढ़ा करें !
और अगर मेरा ब्लाग केवल पढ़ना हो तो आएँ नही तो लिखने पढ़ने सोचने गाली टीका टिप्पणी का काम ऊपर ही करें !
धन्यवाद
दोस्तोँ
ReplyDeleteमेरा पी॰आर॰टी॰ 097 होते हुए भी मै 142 व 91 और 83 वालों के भी साथ हूँ
अभी जबकि मेरा नंबर चौथी या पाँचवी काउं॰ मे आएगा फिर भी अगर आठ नौ काउं॰ भी होगी तो भी मै आप लोगों का साथ नही छोडूँगा , ये मेरा वादा नही दावा है !
आज भी कई हजार (12 से 18 हजार के बीच ) लोग अपडेट रहते हैं और सैकड़ों की सीट भी लाक हो रही है जो मुझसे जुड़े हैं उनकी !
उनकी रोज बधाई भी आती रहती है मेरे फोन पर कि "सर आपके उचित मार्गदर्शन से आज मेरी सीट लाक हो रही है"
नही तो बाकी के लोग कुछ मोस्ट वांटेड जिलों मे जाकर ओवरफ्लॉ कर रहे हैं और अपना फोन चालू करके बैठे हैं कि डायट से कब "काल" आ जाए ? फिर तीसरी काउं॰ मे एक बार फिर से वही वाकया दोहराया जाए !
अब मै समझता हूँ कि अब आप भी समझ गये होंगे कि मै क्या कहना चाह रहा हूँ !
§ आपका एक शुभचिंतक मित्र §
@पीलीभीत रिजर्व टाइगर @
अगर ये सही है की 270000 लोगो ने टेट पास किया और ये भी सही है की प्रायमरी की लिये टोटल फॉर्म 6900000 फॉर्म डाले गए तो इसका मतलब ये भी सही है की एक अभ्यर्थी ने औसत 26 फॉर्म डाले अगर ये सही है तो 72000-4800=67200 का 10 गुना यानि 672000 फॉर्म को बुलाया गया था इसका मतलब 672000/26=25846 लोगो को बुलाया गया तो ये भी सही होना चाहिए की इतनी ही सीट भरी होंगी। अगर इससे अधिक सीट भरी जाती है तो कंही कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।
ReplyDeleteगाँधी जयंती के अवसर पर सारे देश में झाड़ू लगवाकर मोदी ने कांग्रेस से गाँधी जी को भी छीन लिया ,, सरदार पटेल पर तो पहले ही भाजपा ने अपना कब्ज़ा कर रखा है ,,, मनमोहन सिंह के अर्थशास्त्र को भी मोदी अपना बना चुके हैं ,,,कांग्रेस के पास सोनिया-राहुल के सिवाय अब बचा ही क्या है ,,, अब सवाल यह है कि कहीं भारतीय राजनीति लम्बे समय के लिए विपक्ष विहीन तो नहीं हो चुकी है ,,
ReplyDeleteआजकल कांग्रेस के युवराज राहुल गाँधी हैं कहाँ ....???
एक चीनी सन्त बहुत बूढ़े हो गए। मरने का समय निकट आया तो उनके सभी शिष्य उपदेश सुनने और अन्तिम प्रणाम करने एकत्रित हुए । उपदेश न देकर उसने अपना मुँह खोला और शिष्यों से पूछा - देखो इसमें दाँत है क्या ? शिष्यों ने उत्तर दिया - एक भी नहीं । दूसरी बार उसने फिर मुँह खोला और पूछा - देखो इसमें जीभ है क्या ?सभी शिष्यों ने एक स्वर में उत्तर दिया - हाँसन्त ने फिर पूछा - अच्छा एक बात बताओ । जीभ जन्म से थी और मृत्यु तक रहेगी और दाँत पीछे उपजे और पहले चले गए। इसका क्या कारण है ? इस प्रश्न का उत्तर किसी से भी न बन पड़ा । सन्त ने कहा - जीभ कोमल होती है इसलिए टिकी रही ।दाँत कठोर थे इसलिए उखड़ गए । मेरा एक ही उपदेश है - दांतों की तरह कठोर मत होना, जीभ की तरह मुलायम रहना । यह कह कर उसने अपनी आंखें मूँद ली ।।
ReplyDeleteहमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी ने भी अपने जीवन मे इसी नियम को अपनाया उनके विचार और स्वभाव कोमल था इसलिये वो आज जिन्दा है ,हमारे दिलो मे ।
अंग्रेज दाँत के समान थे इसलिए उखड गये हमेशा के लिए हमारे, देश से ।
इस बार उमड़े अपार टेट समूह को देखते हुए लगता है कि 30-35 हजार के लगभग सीट्स भरने के आसार है| इनमें FEMALES की संख्या निश्चित रूप से ज़्यादा रहेगी लेकिन जिस तरह से फर्जीवाड़े की खबरें मिल रही हैं तो यह संख्या कहाँ तक पहुँचती है, अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है। पहले 5,300 में 800 तो अगर इस बार 4-5,000 “हाइब्रिड़्स” अलग कर हो जाए तो आश्चर्य न होगा। इन हाइब्रिड़्स को अंदर करने में भले ही किसी की भी भूमिका रही हो लेकिन इन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। इसके लिए हम सबको प्रयास करना होगा। S.C.E.R.T. पर दबाव बनाने के साथ ही R.T.I. के तहत हर डायट से दोनों काउंसेलिंग का रिकॉर्ड़ मांगा जाए। नही तो सबसे बड़ी समस्या कम मेरिट वालों को तो होगी ही होगी, बचेंगे हाई मेरिट वाले भी नही। इसीलिए कम मेरिट वालों के साथ-साथ हाई मेरिट वाले अनारक्षित वर्ग के दोनों काउंसेलिंग्स से दूर रहने वाले वो अभ्यर्थी भी अब ज़रा अच्छे से सतर्क हो जाएं जो किसी भी कारण से अब तक अपनी काउंसेलिंग नही करा पाए हैं। अपने अग्रणी साथियों को भी साथ लेकर चलें। इक्का-दुक्का अग्रणी साथियों को छोड़कर अधिकतर अपनी काउंसेलिंग कराकर घर आराम फरमा रहे हैं। लेकिन काउंसेलिंग करा चुके उन साथियों को बड़े वाला “SALUTE” जो अपने भाईयों के लिए अभी भी हर तरह से तैयार हैं। अपनी भूमिका को बखूबी निभा रहे हैं। आशा है, भर्ती पूरी होने के साथ-साथ आगे भविष्य में भी ये इसी तरह से अपना सहयोग व समर्थन प्रदान करते रहेंगे।
ReplyDeleteतो दलालों की कमाई भले ही हो गई हो और अपनी काउंसेलिंग कराकर ये “हाइब्रिड़्स” खुश कितना ही क्यूँ न हो रहे हो लेकिन ये सब पहले तो डायट पर ही छंट जायेंगे। लेकिन अगर यहाँ से किसी भी तरह बच गए तो क्रॉस चेकिंग में N.I.C. से बच नही पाएंगे।
ReplyDeleteशिक्षामित्रों की 6,000 से भी ज़्यादा सीटें कैसे बंटेगी, यह भी देखना होगा। उधर बड़ी सीटों वाले जिलें बाढ़ से ग्रसित हो चुके हैं लेकिन अगर अभ्यर्थी द्वारा चुने गए जिलों में अभी भी सीटें बची हैं तो आशा रखें। 1 अंक नीचे लुढ़कने पर चूंकि अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ जाती है तो तीसरी काउंलेलिंग में मेरिट 5-6 अंक नीचे आराम से जाएगी। इसके बाद की काउंसेलिंग में तो और नीचे जाएगी। बस, धैर्य रखें।
ReplyDeleteS.C.E.R.T. द्वारा दूसरी काउंसेलिंग में चयनित अभ्यर्थियों की चयन सूची 4 अक्टूबर मांगी गई है तो हो सकता है कि कुछ जगह दशहरे की छुट्टी में भी काम हो लेकिन सभी जिलों की चयन सूची 9-10 अक्टूबर तक आ जाने की पूर्ण सम्भावना है। वैसे कम सीटों वालें कुछ ही जिलों की चयन सूची निकल चुकी है। ऐसे में अगर 15 अक्टूबर के आसपास तीसरी काउंसेलिंग शुरु हो जाती है तो बहुत ही अच्छा।
ReplyDeletedosto ku6 diet par dhandhli ki sikayat aa rahi hai aur dhandhli ko tet morcha ke sadasyo ne v kai diet par pakda lekin avi v diet walo ki milibhagat se ku6 farji log counseling kra liye hai..hamare pas siddharth nagar ki ek female condidate ne phone par btaya ki sidharth nagar diet par 4 farji female jo tet me fail hai ne counseling kra li hai..wo 8 lakh usase v mag kar diet siddharth nagar me counseling krane ki bat kr rahi thi..usne farji female jisne counseling krayi hai ,unme se ek ka name pinki singh d/o kameshwar singh btaya hai..charo farji female log pakde ja skte hai magar pahle pinki singh ko pakda jaye ..kyuki sbi ek hi dalal ke through 8 lakh dekar counseling krayi hai..
ReplyDelete2 अक्टूबर है मतलब उस महापुरुष का जन्म दिन है जिसने अपना पूरा जीवन भारत के लिए अर्पित किया था।
ReplyDeleteजब गांधीजी का जन्म हुआ, तब देश में अंग्रेजी हुकूमत का साम्राज्य था । यद्यपि 1857 की क्रांति ने ब्रिटिश सत्ता को हिलाने का प्रयास किया था, परंतु अंग्रेजी शक्ति ने उस विद्रोह को कुचल कर रख दिया । अंग्रेजो के कठोर शासन में भारतीय जनमानस छटपटा रहा था । अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अंग्रेज किसी भी हद तक अत्याचार करने के लिए स्वतंत्र थे । देश की नई पीढ़ी के जन्म लेते ही, ब्रिटिश हुकूमत गुलामी की जंजीरों से उन्हें जकड़ रही थी । लगभग डेढ़ दशक तक अंग्रेजों ने भारत पर एकछत्र राज्य किया ।
जब गांधीजी की मृत्यु हुई, तब तक देश पूरी तरह से आलाद हो चुका था। गुलामी के काले बादल छँट चुके थे । देश के करोड़ो मूक लोगों को वाणी देने वाले इस महात्मा को लोगों ने अपने सिर-आँखों पर बैठाया । इतिहास के पन्नों में गांधीजी का योगदान स्वर्णाक्षरों में लिखा गया । गांधीजी का जीवन एक आदर्श जीवन माना गया। उन्हें भारत के सुंदर शिल्पकार की संज्ञा दी गई । उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए देशवासियों ने उन्हें 'राष्ट्रपिता' की उपाधी दी ।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी के योगदान को भुला पाना एक टेढ़ी खीर है । ब्रिटिश हुकूमत को नाको चने चबवाने वाले इस महात्मा के कार्य मील का पत्थर साबित हुए। देशवासियों के सहयोग से उन्होंने वह कर दिखाया, जिसका स्वप्न भारत के हर घर में देखा जाता था, वह स्वप्न था - दासता से मुक्ति का, अंधेरे पर उजाले की विजय का । गांधीजी के निर्देशन में देश के करोड़ों लोगों ने आततायी शक्ति के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी । वे अपने आप में राजा राम मोहन राय, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, दादाभाई नौरोजी आदी थे। वास्तव में उनका व्यक्तित्व इन सभी का मिश्रण था । उनके विचार-चिंतन में सभी महापुरुषों की वाणी को शब्द मिले थे । इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि भारतीय राजनीति के फलक पर ऐसा नीतिवान और कथन-करनी में एक जैसा आचरण करने वाला नेता अन्य कहीं भी दिखाई नहीं देता ।
गांधीजी ने हमेशा दूसरों के लिए ही संघर्ष किया। मानो उनका जीवन देश और देशवासियों के लिए ही बना था । इसी देश और उसके नागरिकों के लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया । आने वाली पीढ़ि की नज़र में मात्र देशभक्त, राजनेता या राष्ट्रनिर्माता ही नहीं होंगे, बल्कि उनका महत्व इससे भी कहीं अधिक होगा । वे नैतिक शक्ति के धनी थे, उनकी एक आवाज करोड़ों लोगों को आंदोलित करने के की क्षमता रखती थी । वे स्वयं को सेवक और लोगों का मित्र मानते थे । यह महामानव कभी किसी धर्म विशेष से नहीं बंधा शायद इसीलिए हर धर्म के लोग उनका आदर करते थे । यदि उन्होंने भारतवासियों के लिए कार्य किया तो इसका पहला कारण तो यह था कि उन्होंने इस पावन भूमि पर जन्म लिया, और दूसरा प्रमुख कारण उनकी मानव जाति के लिए मानवता की रक्षा करने वाली भावना थी ।
वे जीवनभर सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते रहे। सत्य को ईश्वर मानने वाले इस महात्मा की जीवनी किसी महाग्रंथ से कम नहीं है । उनकी जीवनी में सभी धर्म ग्रंथों का सार है। यह भी सत्य है कि कोई व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता। कर्म के आधार पर ही व्यक्ति महान बनता है, इसे गांधीजी ने सिद्ध कर दिखाया । एक बात और वे कोई असाधारण प्रतिभा के धनी नहीं थे । सामान्य लोगों की तरह वे भी साधारण मनुष्य थे । रवींद्रनाथ टागोर, रामकृष्ण परमहंस, शंकराचार्य या स्वामी विवेकानंद जैसी कोई असाधारण मानव वाली विशेषता गांधीजी के पास नहीं थी । वे एक सामान्य बालक की तरह जन्मे थे। अगर उनमें कुछ भी असाधारण था तो वह था उनका शर्मीला व्यक्तित्व । उन्होंने सत्य, प्रेम और अंहिंसा के मार्ग पर चलकर यह संदेश दिया कि आदर्श जीवन ही व्यक्ति को महान बनाता है । यहां यह प्रश्न सहज उठता है कि यदि गांधी जैसा साधारण व्यक्ति महात्मा बन सकता है, तो भला हम आप क्यों नहीं ?
उनका संपूर्ण जीवन एक साधना थी, तपस्या थी । सत्य की शक्ति द्वारा उन्होंने सारी बाधाओं पर विजय प्राप्त की । वे सफलता की एक-एक सीढ़ी पर चढ़ते रहे । गांधीजी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय, सच्ची लगन और अथक प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है । गांधीजी की महानता को देखते हुए ही अल्बर्ट आइंटस्टाइन ने कहा था कि, आने वाली पीढ़ी शायद ही यह भरोसा कर पाये कि एक हाड़-मांस का मानव इस पृथ्वी पर चला था ।
सचमुच गांधीजी असाधारण न होते हुए भी असाधारण थे । यह संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए गौरव का विषय है कि गांधीजी जैसा व्यक्तित्व यहाँ जन्मा । मानवता के पक्ष में खड़े गांधी को मानव जाति से अलग करके देखना ए बड़ी भूल मानी जायेगी। 1921 में भारतीय राजनीति के फलक पर सूर्य बनकर चमके गांधीजी की आभा से आज भी हमारी धरती का रूप निखर रहा है ।
विजयादशमी का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत उपयोगी है। रघु राजा ने इसी समय कुबेर पर चढ़ाई करने का संकेत कर दिया था कि 'सोने की मुहरों की वृष्टि करो या तो फिर युद्ध करो।' रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए। ऐसे ही इस विजयादशमी के दिन अपने मन में जो रावण के विचार हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, भय, शोक, चिंता – इन अंदर के शत्रुओं को जीतना है और रोग, अशांति जैसे बाहर के शत्रुओं पर भी विजय पानी है। दशहरा यह खबर देता है।
ReplyDeleteअपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था
"और उन सब के साथ विश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।''
ReplyDelete_________________________________________________________ इफिसियों 6:16:16 )
जब घरवाली के ताने बर्दाश्त के बाहर हो जाए तो तुरंत अपना जूता उठाएं .....
ReplyDelete!
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वैसे आप जो सोंच रहे हैं उसके लिए आपके पास 56 इंच का सीना होना चाहिए...........!!
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इसलिए जूता पहनकर चुपचाप घर से बाहर निकल जाएँ ......
72825 भर्ती के विज्ञान वर्ग वाले भाइयों सावधान !
ReplyDeleteजूनियर में आवेदन करने वाले कुछ लोग पकी पकाई खीर में चम्मच मारने आ गए हैं। ये लोग अभी तक घरों में सो रहे थे ना तो इन्होने कभी आन्दोलन में हिस्सा लिया और ना ही कभी सहयोग किया। हमारे वो भाई जो कड़कती ठण्ड में आमरण अनशन पर मेरे साथ रहे या जिन्होंने प्राथमिक भर्ती में सहयोग किया वे बेचारे अपनी काउंसलिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं और जूनियर वाले दोनों हाथों में लड्डू लेने आगे कूद पड़े हैं।
भाइयों अभी भी समय है सजग हो जाइये वर्ना ये जूनियर वाले कुद्दक्कड़ हमारा हक़ मार बैठेंगे। इतनी बेरोजगारी के जमाने में ये दो लड्डू वाले ना जाने कितनी सीटें बरबाद कर देंगे, अभी ये कूदकर प्राइमरी में आ रहे हैं बाद में जूनियर क्लियर होते ही जूनियर में चले जायेंगे और प्राइमरी की सीट को खराब करेंगे।
यदि ये केवल जूनियर या प्राइमरी में अपनी दावेदारी करते तो कम से कम हमारे किसी एक बेरोजगार भाई को भी अवसर जरुर मिल जाता लेकिन ये मतलबी लोग कोर्ट के आदेश से हमारी बेरोजगारी का मजाक उड़ाते हुए दोनों जगह अपनी दावेदारी करके हमारी एक सीट खराब करेंगे। ये तो वही बात हुई की किसी बस में कुछ लोग खड़े होकर यात्रा करें और कुछ लोग एक सीट पर बैठे होने के बावजूद खाली सीट पर सामान रखकर बैठें।
साथियों मैं इसके खिलाफ आवाज बुलंद करने जा रहा हूँ जिस किसी को मेरी बातें सही लगें वह मेरा साथ दे सकते हैं। कई जलों से मेरे पास फोन आये हैं और अभी भी लगातार आ रहे हैं मेरा उन भाइयों से निवेदन है की अपने आस पास के विज्ञान वर्ग के भाइयों को भी जागरूक करें नहीं तो काउंसलिंग के लिए प्रतीक्षा करने वाले तो दूर काउंसलिंग करा चुके भाई भी खतरे से बाहर नहीं हैं।
हमारी टीम गठित हो चुकी है और जौनपुर का टेट मोर्चा भी हमारा समर्थन करने आगे आएं
इसलिए आप सभी भाइयों से निवेदन है की हमारे हाथ मजबूत करें वर्ना घर बैठे रोने के सिवाय कुछ भी बाकी नहीं बचेगा।
-------- सेर को सवा सेर --------
ReplyDeleteगली से एक भिखारी गुज़र रहा था,
एक घर का दरवाज़ा खुला था और अंदर एक बुढ़िया बैठी थी।
उसे देख भिखारी बोला,
"खाने के लिए रोटी दे दो, अम्मा।
"बुढ़िया: रोटी तो अभी बनी नहीं है,
बाद में आना।
भिखारी: ठीक है ये लो मेरा मोबाइल नंबर जब बन जाये तो मिस कॉल मार देना।
ये सुन बुढ़िया के होश उड़ गए पर वो कहाँ कम थी बोली,
"मिस कॉल क्या करनी, जब बन जाएगी तो WhatsApp पे डाल दूंगी।
वहीँ से डाउनलोड करके खा लेना।
"ये सुनकर भिखारी बेहोश हो गया।
"और उसके इस रीति से मरे हुओं में से जिलाने के विषय में भी, कि वह कभी न सड़े, उस ने यों कहा है; कि मैं दाऊद पर की पवित्र और अचल कृपा तुम पर करूंगा। इसलिये उस ने एक और भजन में भी कहा है; कि तू अपने पवित्र जन को सड़ने न देगा। क्योंकि दाऊद तो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया; और अपने बाप दादों में जा मिला; और सड़ भी गया। परन्तु जिस को परमेश्वर ने जिलाया, वह सड़ने नहीं पाया। इसलिये, हे भाइयो; तुम जान लो कि इसी के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है। और जिन बातों से तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे, उन्हीं सब से हर एक विश्वास करने वाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है।''
ReplyDelete__________________________________________________________________________-प्रेरितों के काम 13:34-39 )
"इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो। और मसीह की शान्ति जिस के लिये तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।''
ReplyDelete____________________________________________________________ कुलुस्सियों 3:12-15 )
#Reshuffling_Ka_Formula#
ReplyDelete#General candidates abhi #Reshuffling se ghabrayein nahi
Kyunki abhi utni jyada reshuffling nahi hogi ..... ki wo General candidates ko (Lakhimpur, Sitapur etc. distt ) ko chorkar jinme Gen. seats bhar chuki hain ..
kahin aur se bahar kar sake ....
#Reshuffling hamesha kisi bhi counselling ki next cnslng ke baad me hoti hai na ki Pahle......
#Kisi bhi counselling ke baad #Reserve category ke keval un candidates ko #Gen. me reshuffle kiya jayega ......
Jo pahli merit me reserve me select hue the ...
Lekin 2nd merit me Gen. ki cut off un tak complete hui .....
Example..
Pahli list me Sitapur ki Gen. Sci.
Cut off 127 thi .....
Aur obc sci. cut off 125 thi ....
Ab maan lijiye First me Gen. sci. ki 700 me se 100 seats bhari ....
Jabki obc sci. ki 25 seats bhari....
Ab 2nd Gen. sci. Sitapur ki cut off 122 jaati hai ....
aur obc sci. cut off 120 jaati hai..
#Ab 2nd ke baad maan lijiye Gen. Sci. seats 123 tak full ho jaati hai to ......
Cnslng ke bad me 1st merit me obc ke 125 tak selected cndts ko Gen me reshuffle kar diya jayega ......
Aur #General list me se neeche ke 25 candidates ko dcmnts wapas de diye jayenge ......
Matlab reshuffling humesha agli cnslng ke baad hoti hai .....
Thanks teachers ....
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ReplyDeleteरिश्ते हमेशा 'तितली' जैसे होते हैं,
ReplyDeleteजोर से पकड़ो तो मर जाती हैं;
छोड़ दो तो उड़ जाती हैं,
और अगर प्यार से पकड़ो तो
अपना रंग छोड़ जाती हैं।.....
#From :: Shasant
सभी तो लगे हैं भर्ती पूर्ण कराने में फिर भी पारदर्शिता गायब ? आखिर भर्ती हो किसकी रही है ? रैंक जारी न होना , औपबंधिक काउंसिलिंग , प्रत्यावेदन .. क्या इशारा करते हैं । उपर से प्रत्येक काउंसिलिंग में कहीं न कहीं मुन्ना भाइयों की धर पकड । दाल तो पूरी काली हो चुकी है ।। अब तक के इतिहास की ऐसी अजूबी भर्ती जिसमे 70 क्या 75 % वाला भी 0 पर आउट हो कर बाहर ।।
ReplyDeleteकश्मीर में सर्दी न होती,
ReplyDeleteमुंबई में गर्मी ना होती........
हम भी हर त्यौहार मानते अगर ,
इस जिस्म पर ये वर्दी ना होती।।।।
कुछ महानुभावोँ को मेरे द्वारा बतायी गयी मेरिट इतनी अखर गयी कि लत्तम-घुच्चम पर उतारु हो गये हैँ, तो लो भइया काहे गरिया रहे हो ?
ReplyDeleteआपकी मनोकामना पूर्ण कर दे रहे हैँ-
मेरिट 100 तक कभी नहीँ आएगी चाहे,,,,
शिक्षा मित्रोँ की 6000 सीटेँ आपको दे दी जाएँ या फिर पहली काउंसलिँग की तरह 15% फर्जी लोगोँ को लतिया कर भगा दिया जाए या फिर द्वितीय काउंसलिँग मेँ अनारक्षित वर्ग की 60% से अधिक सीटेँ न भरी जाएँ या फिर कुल मिलाकर 40000 से अधिक सीटेँ रिक्त रह जाएँ,,,,
मेरिट 100 तक ब्रह्मा जी भी नहीँ ला सकते ।।
एक अदालत 'सज़ा' देती है, दूसरी ''ज़मानत' देती है ! तीसरी रिहा कर देती है !
ReplyDeleteएक अदालत फांसी देती है, दूसरी उम्र कैद में बदल देती है ! और तीसरी रिहा !
लोग कहते है की क़ानून ''अंधा'' होता है ! क्या सचमुच 'क़ानून' अंधा होता है ? .....
Kisi ka yeh sochkar sath mat
ReplyDeletechhodna,
ki uske paas kuchh nhi tumhe
dene ke liye,
.
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bas yeh sochkar sath nibana ki
uske pas kucch nhi
tumhare siva khone k liye....
# From :: AVI
यहाँ तो सब पहली हीँ काउंसलिँग से चाहते हैँ कि मेरिट धड़ाम से गिरकर 90 तक पहुँच जाए, भले हीँ सारी सीटेँ रिक्त रह जाएँ ।
ReplyDeleteफर्जी फर्जी का विलाप तब करो जब वो चयनित होँ !
862 लोग पहली काउंसलिँग मेँ बाहर हुए थे, तो कैसे मान लिया जाए कि फर्जी लोगोँ के विरुद्ध कुछ नहीँ हो रहा है !!!
शिक्षा विभाग को दो-चार लाख रुपयोँ मेँ खरीदा जा सकता है किन्तु एक आई.ए.एस. को खरीदने मेँ दो-चार करोड़ रुपये भी कम हैँ।
किन्तु यहाँ तो बात कुछ और है,,,,,,,!
जिन सामान्य वर्ग पुरुष के अभ्यर्थियों के टीईटी के अंक के दहाई पर जीरो मौजूद है
ReplyDeleteउनका संघर्ष और त्याग भी मैंने बड़े करीब से देखा है।
अनिल संत के जीओ के प्रिय भक्तों
मै सुनिश्चित था कि आप तक नौकरी पहुंचेगी उसके बाद भी मैंने मेरिट का कभी प्रेडिक्शन नहीं किया।
वस्तुतः मै उस दिन से बहुत आश्चर्यचकित हूँ जबसे
यह असंवैधानिक
कट ऑफ़ देखा।
वस्तुतः कला/विज्ञान, महिला/पुरुष एवं शिक्षामित्र कोटा सब
अनुचित है तथा जस्टिस अशोक भूषण की पीठ का आदेश ही इस विषय को निस्तारित करता है।
यदि आप अनिल संत के शासनादेश को ही मैग्नाकार्टा मानते हैं तो
ReplyDeleteआप के ही अनुसार देखा जाये तो सीतापुर में शिक्षामित्र की सीट काटकर पुरुष कला कि क्षैतिज और डायरेक्ट आरक्षण सहित 1350 सीट है।
यदि इसमें आप रिजर्वेशन की रिक्ति के हिसाब से दस गुना बुला रहे हैं तो
ओबीसी का 3640 और एससी/एसटी का 2830 अभ्यर्थी बुलाया जा रहा है
तथा 6750 अनारक्षित रिक्ति पर बुलाया जा रहा है।
आरक्षित रिक्ति के तमाम लोग जनरल में बुलाये जा रहे हैं जो कि
उसमे चले जायेंगे तथा उनसे कम वाले अपने कोटे में जा रहे हैं।
मात्र 1350 सीट पर आरक्षित वर्ग के 6470 लोगों को बुलाना कहाँ का इंसाफ है???
बड़ी नाइंसाफी मै अपने जन्म से लेकर अब तक पहली बार उत्तर प्रदेश में देखी ।
जबकि नियमानुसार यदि जीओ पर ही भर्ती हो रही है तो
1350 की रिक्ति पर दस गुना बुलाने पर
जनरल कटऑफ़ से 13500 लोगों को बुलाया जाता तथा उसी में से
675 लोग जनरल में जाते तथा जो जनरल में न शामिल हो पाता अपने कोटे में जाता
यदि जनरल की रिक्ति बचती तो फिर यहाँ रिसफ्लिंग की जा सकती थी तथा आरक्षित सीट खाली होने पर आरक्षित को मेरिट गिराकर बुलाया जाता।
मैंने बड़े शांत मन से देखा
ReplyDeleteये बेसिक की भर्ती जिलास्तरीय है
रिसफ्लिंग भी होती है
जो सामान्य रिक्ति के योग्य है वह आरक्षित श्रेणी का व्यक्ति अनारक्षित कोटे में भी जाता है परन्तु
जितनी रिक्ति होती है उसके गुणज में सिर्फ सामान्य कटऑफ़ से ही बुलाया जा सकता है ।
सीट के सापेक्ष
एक छोटा सा उदाहरण फिर समझ लो
सीतापुर की 1350 पुरुष कला की सीट पर आरक्षित वर्ग के ही 6470 लोग को बुला लिया गया है जबकि जो 6750 लोग अनारक्षित के नाम पर बुलाये गये हैं उसमे भी ये सब कुछ हद तक आ गये हैं जिससे यहाँ आप शत प्रतिशत आरक्षण ही कहें।
हाई प्रोफाइल जिलों के पिछड़े दलित जो कि पिछड़ों जिलों में जनरल कटऑफ़ में शामिल हैं वे अपने जिले में रिजर्वेशन कोटे में हो जाते हैं
जिससे दूर की जनरल सीट पर ओबीसी एससी में चयनित कम मेरिट वाले न जा पाते।
इस प्रकार अब जब इस सरकार ने आरक्षित वर्ग को सीट का कई गुना ही लिया है तो रिसफल को भूल जाये तथा
जनरल की सीट को प्रेम से भरते चले और जो कोटे में गये हैं उनको चुपचाप वहां पड़ा रहने दे।
इस प्रकार 117 से 112 तक के ओबीसी चयनित हो चुके हैं।
यदि अगली कटऑफ़ इससे कम आये तो जनरल की सीट पर आरक्षित में जो चयनित हो चुके हैं उनको कदापि रिसफल न करे।
अगली कटऑफ़ यदि किसी जिले जनरल की 108-110 आये जो जो भी मित्र हमारे आरक्षित वर्ग के हैं तथा अभी चयनित नहीं हुये हैं उनका अनारक्षित रिक्ति पर स्वागत है।
जनरल के जो चयनित हो चुके हैं कम मेरिट वालों का सहयोग करें ।
जनरल की कोई रिक्ति नहीं होती अतः उस कम मेरिट में आरक्षित वाले भी शामिल होंगे तथा जिस जिले में अभी आरक्षित रिक्ति में अभी पद खाली हैं वहां आरक्षित लोगों की सीट उनकी मेरिट गिराकर भरी जाये।
कुछ और मुद्दे हैं जो कि संवैधानिक हैं उसका भी निपटारा हो ।
दोहरा आरक्षण , ऐज चयन का अनिवार्य मानक आदि पर भी डायरेक्शन जरुरी है ।
उम्र पर छूट राज्य देती है।
अतः स्पष्टीकरण जरुरी है।
धन्यवाद।
"अपने जहन मे राम को जिंदा रखिये,
ReplyDelete"यूं पुतले जलाने से रावण नहीं मरते "
इतनी ही बुद्धि है तो विज्ञान वर्ग के होते हुए तुम्हे जुनियर पर ध्यान देना चाहिए था ताकि उसमें टेट मेरिट लगे और लो विज्ञान वर्ग का कल्याण हो परन्तु वो भी विकल्प खत्म ।
ReplyDeleteजूनियर में 83-95 अंक वाले उच्च कोटि के गधे जायेगे और प्राइमरी में 107 से उपर वाले बुद्धिमान जन जबकि
तुम्हारा 103 अंक है जो न तो तीन में है और न तेरह में ।
मित्रो ये मात्र संयोग है या प्रभु की इच्छा ये तो नहीं पता लेकिन नवरात्रि के पावन दिनों में सकुशल संपन्न हुई प्राइमरी भर्ती की काउंसलिंग ने इस भर्ती को बहुत मजबूती प्रदान कर दी है । अब आगे हमारा लक्ष्य है की जल्द से जल्द काउंसलिंग करवा चुके लोगो में से फर्जी लोगो को बाहर करके नियुक्ति लेना और बाकी बचे पदों पर दुसरे टेट भाईयो के लिए अगले चरण की 3rd काउंसलिंग का आयोजन करवाना ।
ReplyDeleteमै उन सभी लोगो से प्रार्थना करूँगा जो काउंसलिंग करवा चुके है अपने जिले के टेट मोर्चे से जुड़े और उसे मजबूत करे क्योकि आपके हितो की रक्षा टेट मोर्चा ही कर सकता है । अभी भी दुश्मन अपने नापाक हरकतों में लगा हुआ है और काउंसलिंग के बाद उसके सीने पर साँप लोट रहा है ।
ReplyDeleteमित्रो अब हम एक एक कदम अपनी विजयश्री की तरफ बढ़ रहे है और इस विजय अभियान को जारी रखते हुए आईये हमसब मिलकर इस विजयदशमी और दशहरा के सुभ अवसर पर प्राइमरी भर्ती के सबसे बड़े दुश्मन कपिला नाम के रावण का दहन करे जिसने अनावश्यक ही इस भर्ती की राह में इतने कांटे बिछा दिए । और उल्लास पूर्वक इस त्यौहार को मनाये ।
ReplyDeleteआप सब को विजयदशमी की सुभकामनाए ।
हम शामली जनपद की और से अनुराग कासगंज का समर्थन करते हैं आज यदि साइंस ११० -१०० के बीच का हमारा साथी सुरक्षित करना है तो हम सभी को एक जुट होना पड़ेगा जिसके लिए हमे भी अपनी रिट डालनी पड़ेगी ये कार्य हमे थर्ड काउंसलिंग से पहले ही करना होगा आप सभी साथियो से अनुरोध है कि आप आपने जनपद स्तर पर अपनी मार्क्स रेंज में पड़ने वाले अभ्यर्थियों का एक ग्रुप बनाकर आगे की रणनीति तय करे जिसके उपरांत आप अनुराग जी कासगंज से संपर्क का उनका मनोबल बढ़ए
ReplyDeleteजिन भाइयो की काउंसलिंग हो चुकी है उनसे भी सहयोग मांगे क्योकि टेट मेरिट के समर्थन में हम कभी पीछे नही हटे है
आप में से किसी एक को नेतृत्व के लिए आगे आना होगा
अब नहीं तो कभी नहीं
आप को किसी भी प्रयास से साइंस की दोहरी काउंसलिंग रोकनी होगी
साइंस के हमारे साथियो से अनुरोध है वे दोहरी काउंसलिंग की बजाये सरकार पर जूनियर में अपनी न्युक्ति के लिए दबाव बनाये ताकि आप के साथ साथ कुछ अन्य साथियो को भी नौकरी मिलजाए
आप उनसे जल्दी संपर्क करे
जय टेट मेरिट जय टेट संगठन जय दत्तू सर जय माता रानी
अभी सबसे जयदा सीट साइंस में ही खाली है
अभी नहीं तो कभी नहीं जल्दी करो कही देर न हो जाये
कुछ मुर्ख जनरल का मतलब यहा वर्ग विशेष से लगाते है जबकि हकीकत यह है की "एक सामान्य योग्यता और मेधा वाला चाहे किसी भी वर्ग का हो जनरल में आता है !"
ReplyDeleteये बात शलभ तिवारी बखूबी जानते है इसलिए इस प्रकरण पर कुछ मूर्खो को कुछ न बताना ही वो बेहतर समझते है ।
इस मुद्दे पर मेरे चुप रहने का कारण यह है कि लोग मेरी बात को समझ नहीं पायेंगे और बिना वजह का विवाद उत्पन्न होगा ,,, मैं चाहता हूँ कि हिमांशू राणा और उनके साथियों के मन में जितनी भी शंकाएं है उन सबको समाहित करके कोर्ट में याचिका डालें जिससे अदालत सही और गलत का फैसला करे ,,, इस मुद्दे पर फेसबुक पर वादविवाद टेट मोर्चे में जातिवादी भावनाओं को मजबूत करेगा जो मुझे मंजूर नहीं ,,,,, यदि कम टेट मेरिट वाले लोग relaxation और reservation में अंतर समझ सकेंगे तो चतुर सुजानों द्वारा एक बार और लुटने से बच सकेंगे ,,, रही बात हिमांशू राणा की तो उसके मात्र 103 नंबर हैं ,यदि सारा आरक्षण भी ख़त्म हो जाएगा तो भी उसका चयन होना मुश्किल है ,,, हिमांशू की बहुत तमन्ना है कि ये भर्ती फँस जाए लेकिन इस भर्ती को रोकने का एक भी तरीका होता तो सरकार यह भर्ती शुरू ही नही करती .....
ReplyDeleteLakhimpur khiri distt. ki seats 95% full....
ReplyDeleteGen Male Sci. Total seats - 675
Ist cnslng me fill seats - 19
IInd cnslng me fill seats - 481
Ist cnslng obc (Reshuffling)- 20
Total fill seats - 520
Gen Male Art. Total seats - 675
Ist cnslng me fill seats - 14
IInd cnslng me fill seats - 530
Ist cnslng obc (Reshuffling)- 25
Total fill seats - 569
Gen Femle Art. Total seats - 675
Ist cnslng me fill seats - 31
IInd cnslng me fill seats - 576
Ist cnslng obc (Reshuffling)- 23
Total fill seats - 630
Gen Femle sci. Total seats - 675
Ist cnslng me fill seats - 36
IInd cnslng me fill seats - 573
Ist cnslng obc (Reshuffling)- 15
Total fill seats - 624
O+ Blood ग्रुप के लोगो को दुसरो की मदद करना बहुत पसंद आता है और हाल के शोध के मुताबिक हमारा personality निर्भर करता है हमारे Blood ग्रुप पर , तो आइये जानें किस ब्लड ग्रुप के लोगों का स्वभाव और personality कैसा होता है , क्लिक करें:- http://goo.gl/v89TY5
ReplyDeleteइसे भी पढ़ें (लिंक को क्लिक करे):
ब्लड ग्रुप के कारण होने वाली बीमारियां :- http://goo.gl/kLwhMc
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जानलेवा ब्लड क्लॉट से जुडे मिथ व तथ्य:- http://goo.gl/8AcxNs
सत्यता और न्याय की कसौटी व्यक्ति विशेष की बात भले न हो पर न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय अवश्य होता है और न भूलिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय अभिलेख न्यायालय भी है .....इसका मतलब जरुर समझ ले
ReplyDeleteजब 3 महीनो में पेट्रोल की कीमते 7 रुपये तक कम हो जाये,
ReplyDeleteजब 3 महीनो में डॉलर 68 से 60 हो जाये,
जब 3 महीनो में सब्जियों की कीमते कम हो जाये,
जब 3 महीनो में सिलिंडर की कीमते कम हो जाये,
जब 3 महीनो में बुलेट ट्रैन भारत में चलाये जाने को सरकार
की हरी झंडी मिल जाये,
जब 3 महीनो में सभी सरकारी कर्मचारी समय पर ऑफिस पहुचने लग
जाये,
जब 3 महीनो में काले धन वापसी पर कमिटी बन जाये,
जब 3 महीनो में पाकिस्तान को एक करारा जवाब दे दिया जाए,
जब 3 महीनो में भारत के सभी पडोसी मुल्को से रिश्ते सुधरने लग जाये,
जब 3 महीनो में हमारी हिन्दू नगरी काशी को स्मार्ट सिटी बनाने
जैसा प्रोजेक्ट पास हो जाये,
जब 3 महीनो में विकास दर 2 साल में सबसे ज्यादा हो जाये,
जब हर गरीबो के उठान के लिए जान धन योजना पास हो जाये.
जब इराक से हजारो भारतीयों को सही सलामत वतन वापसी हो जाये!
तो भाई अछे दिन कैसे नहीं आये???
पाकिस्तान को घबराते देखा है,
अमेरिका को झुकते देखा है।
इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है।
वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिस्से गांधी बकरी बांधा करते थे
ReplyDeleteकिन्तु वो रस्सी कहां है जिस पे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हसते हुए
झूले थे?
हालात-ए-मुल्क देख के रोया न गया,
कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया
देश मेरा क्या बाजार हो गया है ...
पकड़ता हु तिरंगा तो लोग पूछते है कितने का है...
वर्षों बाद एक नेता को माँ गंगा की आरती करते देखा है,
वरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ते देखा है।
वर्षों बाद एक नेता को अपनी मातृभाषा में बोलते देखा है,
वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा है।
वर्षों बाद एक नेता को Statue Of Unity बनाते देखा है,
वरना अब तक एक परिवार की मूर्तियां बनते देखा है।
वर्षों बाद एक नेता को संसद की माटी चूमते देखा है,
वरना अब तक इटैलियन सैंडिल चाटते देखा है।
वर्षों बाद एक नेता को देश के लिए रोते देखा है,
वरना अब तक "मेरे पति को मार दिया" कह कर वोटों की भीख मांगते
देखा है।
दुकान खुलने का वक़्त!
ReplyDeleteएक बार एक शराबी रात के 12 बजे शराब की दुकान के मालिक को फ़ोन करता है और कहता है;
शराबी: तेरी दुकान कब खुलेगी?
दुकानदार: सुबह 9 बजे!
शराबी फिर थोड़ी देर बाद दोबारा दुकानदार को फ़ोन करके पूछता है;
शराबी: तेरी दुकान कब खुलेगी?
दुकानदार: कहा ना सुबह 9 बजे!
कुछ देर बाद शराबी फिर से दुकानदार को फ़ोन कर देता है और पूछता है;
शराबी: भाईसाहब आपकी दुकान कब खुलेगी?
दुकानदार: अबे तुझे कितनी बार बताऊँ सुबह 9 बजे खुलेगी इसीलिए सुबह 9 बजे आना और जो भी चाहिए हो ले जाना!
शराबी: अबे, मैं तेरी दुकान के अन्दर से ही बोल रहा हूँ!
Trick No. 38- बैडमिंटन कप
ReplyDeleteTrick ---"दीवाना सुर में थम के नाच"
दीवना = अम्रत दीवान कप
सु = सुदीरमन कप
र = रहमतुल्ला कप
थम = थामस कप
ना = नारंग कप
च = चड्डा कप
किस रावण की काटूं बाहें, किस लंका को आग लगाऊँ,
ReplyDeleteघर घर रावण पग पग लंका, इतने राम कहाँ से लाऊँ....
1998 मे लिखी गई एक छोटी सी कविता शेयर कर रहा हॅु ............
मुझे रावण जैसा भाई चाहिए...
गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा
क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई
बेटी बोली भाई
किसके जैसा? बाप ने लडियाया
रावण सा, बेटी ने जवाब दिया
क्या बकती है? पिता ने धमकाया
माँ ने घूरा, गाली देती है !
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्य
वंश और प्राण लुटा देने वाला
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी
स्पर्श न करने वाला
रावण जैसा भाई ही तो
हर लड़की को चाहिए आज
छाया जैसी साथ निबाहने वाली
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई
लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ
अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और
अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें
तुम कब तक सुनोगी और
कब तक राम को ही जन्मोगी
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था.
विजयदशमी की शुभकामनायें ....... दिल से
रिसफलिंग का सिधा सा मतलब हैं जब फाइनल
ReplyDeleteलिस्ट बनेगी तो आरक्षित वर्ग के वे
अभ्यर्थी जिनकी मेरीट अनारक्षित श्रेणी के
कट
आफ के अन्तर्गत आ रहा हैं वे अनारक्षित
श्रेणी में
सामिल कर लिये जायेंगे भले ही वे आरक्षित
श्रेणी में काउंसलिंग करायें हो। अनारक्षित
श्रेणी का कट आफ के बाद ही आरक्षित
श्रेणी की मेरिट तैयार होती हैं
चुकि यहाँ काउंसलिग कई चरणों में हो रही हैं
इसलिये रिसफलिंग करनी पडती हैं इसमें कुछ
भी गलत नहीं होता हैं यदि किसी जिले
की सिटें एक ही काउंसलिंग में भर जाती हैं
तो वहाँ रिसफलिंग नहीं होती हैं।
प्रोफेसर ने अपनी खोज के बारे में बताया:
ReplyDeleteमैंने एक चूहे के एक तरफ केक और दूसरी तरफ
चुहिया रख दी। चूहा फौरन केक की तरफ
लपका। दूसरी बार केक को बदल कर
रोटी रख दी। चूहा रोटी की तरफ लपका।
… इस तरह कई बार फूड आइटम बदले। चूहा हर
बार फूड आइटम की तरफ ही भागा। इससे
यह साबित हो गया कि भूख में ही सबसे
बड़ी ताकत है।
इतने में पीछे से एक आवाज आई: !
!
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!
सर, एक बार चुहिया भी बदल कर देख लेते।
धार्मिक आंदोलन | प्राचीन भारत
ReplyDeleteका इतिहास
● हिंदू धर्म का आधार कौन-से ग्रंथ हैं
— वेद
● हिंदू धर्म की पवित्र पुस्तकें कौन-
सी हैं— रामायण, महाभारत, वेद,
पुराण
● ‘अद्वैतवाद’ का सिद्धांत किसने
प्रतिपादित किया— शंकराचार्य ने
● ‘विशिष्ट द्वैतावाद’ का सिद्धांत
किसने दिया था— रामानुज ने
● ‘द्वैतावाद’ का सिद्धांत किसने
दिया था— माधवाचार्य ने
● ‘द्वैत-अद्वैतवाद’ क ा सिद्धांत किसने
दिया था— निंबार्काचार्य ने
● गौतम बुद्ध का जन्म कब व कहाँ हुआ
— 563 ई. पू. लुंबिनी (नेपाल)
● गौतम बुद्ध की मृत्यु कब व कहाँ हुई
— 483 ई. पू., कुशीनगर (उ. प्र.)
● गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त
कहाँ हुआ— गया (बिहार)
● गौतम बुद्ध ने
अपना पहला धर्मोपदेश
कहाँ दिया था— सारनाथ (उ. प्र.)
● ‘बुद्ध’ का शाब्दिक अर्थ क्या है—
प्रकाशवान
● गौतम बुने अपने उपदेश किस भाषा में
दिए— पाली भाषा में
● जातक कथाएँ किस धर्म से संबंधित है
— बौद्ध धर्म से
● बौद्ध धर्म के दो संप्रदाय कौन-से हैं
— हीनयान व महायान
● जैन धर्म के अनुसार कुल कितने
तीर्थंकर हुए— 24
● जैन धर्म के प्रवर्तक या प्रथम
तीर्थंकर कौन थे— ऋषभदेव
● जैन धर्म के 24वें एवं अंतिम तीर्थंकर
कौन थे— महावीर स्वामी
● महावीर स्वामी का जन्म कब व
कहाँ हुआ— 599 ई. पू., कुंडलग्राम
● महावीर स्वामी का मृत्यु कब व
कहाँ हुई— 527 ई., पावापुरी (पटना)
जब डा आंबेडकर अछूतो की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे तब
ReplyDeleteवाल्मीकि समाज बाबा साहेब के लिए जान देने को तैयार थे।
अछूतो का बाबा साहेब के प्रति लगाव देखकर congress ने
गांधी को अछूतो का नेता घोषित किया और गांधी ने
कहा अछूतों का नेता डा आंबेडकर नहीं है बल्कि गांधी है और
उसने वाल्मीकियो को अपने में मिलाने की साज़िश रची और
कहा कि " सफाई करना सर्वोपरि कार्य है और देवभक्ती के
बराबर है अर्थात इश्वर प्रशन्न होते है"
इस बात का पता जब "अछूतानंद " जी को जब लगा तो उन्होंने
जगह जगह वाल्मीकियो को इकठ्ठा किया और
बताया कि हमारे नेता गांधी नहीं बल्कि डा आंबेडकर है और
देशभर में रैलीया की। जिससे वाल्मीकियो ने बाबा साहेब के
प्रति अपनी बात पहुंचाने के लिए अपने खून से 500पत्र लिखे और
बाबा साहेब और अंग्रेजो के पास भेजा जिसमे
लिखा था कि "हमारे नेता डा आंबेडकर है , गाँधी नहीं।"
जिसका नतीजा हुआ सारे वाल्मीकि डा अम्बेडकर के साथ
हो लिए और गांधी की चाल fail हो गई। आज भी खून से लिखे
वे पत्र लन्दन की म्यूजियम में सुरक्षित है अगर कोई देखना चाहे
तो देख सकता है।
warning: जो काम गांधी नहीं कर पाया उस अधूरे काम
को पूरा करने का बीड़ा मोदी जी ने उठाया है जो आरएसएस
के द्वारा बनाया ब्राह्मणी चेहरा हैऔर 2Oct को preplanned
तरीके से कर रहे है। इस साजिस में हमारे समाज के लोग न फसे
क्योंकि आज न तो डा आंबेडकर है और न ही अछूतानंद ।
वही गांधी वही गांधी का सन्देश वही वाल्मीकि और जगह
भी वही।
याद रहे ब्राह्मण अपने इतिहास से सीखता है और
अपना इतिहास लिखता है और हमें उसको मानने के लिए कहता है
जिसमें हमार्री गुलामी लिखी होती है।
जय भीम जय भारत। ——
सीट भरने की धुँआ उड़ाने वाले छद्मवेशी है ।प्राइमरी की काउंसलिंग कम से कम ४ चरण में होगी ।आपका नम्बर अब उतना महत्त्व नही रखेगा जितना आपके द्वारा अधिकतम जनपदों में डाला गया फॉर्म की संख्या ।
ReplyDeleteनिश्चिन्त रहे मेरिट पुरुष सामान्य कला १०७ और विज्ञान १०६ निश्चित आएगा ।
** मै इसलिए गांधी को पसंद नहीं करता **
ReplyDelete1 . सुभाष चन्द्र बोस
को अध्यक्ष पद से हटने
को मजबूर किया .
2 . सरदार वल्लभ भाई पटेल
को PM नहीं बननेदिया , नेहरू
को PM बनाया .
3 . बंटवारे में
जबरदस्ती पाकिस्तान
को 56 करोड़ रुपये दिलवाए .
4 . भगतसिंग जैसे महान
क्रन्तिकारी को जान बुझ
कर फांसी से नहीं बचाया .
5 . महान
क्रांतिकारी उधमसिंग
को पागल . उन्मादी कहा ,
6 . सबसे जरुरी - चलने फिरने में
हमेशा लड़कियोंका ही सहारा लिया ,
क्या उस वक़्त सारे लौंडे मर गए
थे ??? ...
अभी तक सिर्फ कला वर्ग वालों की मेरिट हाई जा रही थी लेकिन अब विज्ञान वर्ग वाले भाइयों के लिए भी मुसीबत खड़ी होने जा रही है। जूनियर में आवेदन करने वाले कुदक्कड़ भाई कूद कूद कर इलाहाबाद जाकर हाई कोर्ट में एक सनकी टाइप के जज पी के एस बघेल से मनमाना फैसला लेकर आ रहे हैं और विज्ञान वर्ग की मेरिट हाई करने पर जुट गये हैं। कुछ विज्ञान वर्ग वाले काउंसलिंग करवाकर अपने आपको सेफ समझ रहे हैं जो की उनकी बहुत बड़ी भूल है क्योंकि जूनियर कुदक्कड़ों के आ जाने से उनके ऊपर भी खतरा मंडराना शुरु हो गया है अब जो विज्ञान वर्ग वाले अपनी काउंसलिंग का इंतजार कर रहे हैं उनका तो भविष्य ही अंधकारमय है।
ReplyDeleteकल से आज तक कई लोग मेरे साथ जुड़ चुके हैं और इस अन्याय के खिलाफ लड़ने को तैयार भी हैं लेकिन कुछ कुदक्कड़ों को हमारे अभियान से दहशत होनी शुरू हो गई है और वो अनाप शनाप बककर अपना कलेजा ठण्डा कर रहे हैं। कुछ की मानसिकता तो इतनी गिरी हुई है की कह रहे हैं की भर्ती का आन्दोलन या सहयोग से भला क्या लेना देना, जिसके नंबर ज्यादा होंगे वह भर्ती होगा। मैं इन मतलबी लोगों से पूछना चाहता हूँ की जब लड़ाई लड़ना होता है तब ये हाई मेरिट वाले कहीं नजर नहीं आते लेकिन काउंसलिंग शुरू होते ही बरसाती मेंढकों की तरह टर्राने लगते हैं। भाइयों मुझे ख़ुशी है की जहां एक तरफ मुझे नकारात्मक जवाब मिला तो दूसरी तरफ चार गुना सकारात्मक जवाब भी मिला है। आप लोग हमारी टीम के मेम्बर्स से लगातार सम्पर्क में रहिये जल्द ही आपको आपके हक़ के लिए लड़ने का मौका दिया जाएगा। अब भी वक्त है मेरे विज्ञान वर्ग वाले भाइयों जागो वरना ये जूनियर वाले आपका हक़ डकार जायेंगे।
ReplyDeleteTum Agar Kisi Ki Chahat
ReplyDeletePaane Ke Liye Jee Rahe Ho.
√
Toh
Apne Dil Ki Baat Usey Bata
Do..
√
Kyunki....
√
Zindgi Mauka Kam or Dhoka
Jayada Deti Hai..
#From:: Shasant
reshuffling के मुद्दे पर मेरे चुप रहने का कारण यह है कि लोग मेरी बात को समझ नहीं पायेंगे और बिना वजह का विवाद उत्पन्न होगा मैं चाहता हूँ कि हिमांशू राणा और उनके साथियों के मन में जितनी भी शंकाएं है उन सबको समाहित करके कोर्ट में याचिका डालें जिससे अदालत सही और गलत का फैसला करे ,,, इस मुद्दे पर वादविवाद टेट मोर्चे में जातिवादी भावनाओं को मजबूत करेगा जो मुझे मंजूर नहीं ,,,,,
ReplyDeleteयदि कम टेट मेरिट वाले लोग relaxation और reservation में अंतर समझ सकेंगे तो चतुर सुजानों द्वारा एक बार और लुटने से बच सकेंगे ,,, reshuffling की जो प्रक्रिया 72825 में अपनाई जा रही है वही हमेशा से अपनाई जाती रही है
ReplyDeleteजूनियर की 4 काउंसिलिंग हो चुकी हैं लेकिन किसी ने भी 82-89 टेट प्राप्तांक वालों को अनारक्षित श्रेणी में रखे जाने के विरुद्ध याचिका नहीं की जबकि उसपर relief मिल सकती थी और उससे अनारक्षित वर्ग की बहुत सी सीट्स बच सकती थीं ,, सबको acd से होने वाली भर्तियों के निर्बाध समापन की तो बहुत चिंता है लेकिन टेट मेरिट से भर्ती की बात होते ही चंदाचोरी हेतु विभिन्न मुद्दों पर याचिकाओं का जुगाड़ सोचा जाने लगता है ,, रही बात हिमांशू राणा की तो उसके मात्र 103 नंबर हैं ,यदि सारा आरक्षण भी ख़त्म हो जाएगा तो भी उसका चयन होना मुश्किल है ,,, हिमांशू की बहुत तमन्ना है कि ये भर्ती फँस जाए लेकिन इस भर्ती को रोकने का एक भी तरीका होता तो सरकार यह भर्ती शुरू ही नही करती .....कसाई के कोसने से गाय नही मरती
ReplyDeleteइस भर्ती को रोकने की औकात तो अब किसी की भी नहीं है ,हाँ टेट मेरिट समर्थन की आड़ में इसे रोकने के प्रयास में कुछ विश्वासघाती लोग अवसादग्रस्त होकर पागल जरूर हो जायेंगे
ReplyDeletePROFIT & LOSS SHORTCUT INTELLIGENCE
ReplyDelete==============================
1. Profit = Selling Price - Cost price
2. Selling Price = Cost Price + Profit
3. Cost Price = Selling Price - Profit
4. Loss = Cost Price - Selling Price
5. Selling Price = Cost Price - Loss
6.Cost price = Selling price + loss.
7. Percentage profit / loss is always calculated on CP unless otherwise stated.
8. Profit Percentage = (Profit x 100) / CP
9. Loss Percentage = (Loss x 100) / CP
10. Selling Price = {[(100+ Gain %) x CP] / 100}
11. Selling Price = {[100- Loss %) x CP] /100}
12.Cost Price = {(100 x SP) / (100+ Gain %)}
अगर आपको हमेशा ही टेबल पर मछली मिलती रहे तो एक दिन वह आएगा की आपको कभी मछली नहीं मिल पायेगी ;अगर मांगना ही था तो मछली पकड़ने का हुनर मंगाते
ReplyDeleteविकलांग बनाने का अच्छा तरीका है की बिना हुनर के आपको मछली मिलती रहे
रावण तो जल के राख हो जाता हैँ हर साल
ReplyDelete'
दिल तो बस जलता ही रहता है_____!!
बस जलता ही रहता है......
बस जलता ही रहता है......
वर्षों बाद एक नेता को माँ गंगा की आरती करते देखा है,
ReplyDeleteवरना अब तक एक परिवार की समाधियों पर फूल चढ़ाते देखा था |
वर्षों बाद एक नेता को अपनी मातृभाषा में बोलते देखा है,
वरना अब तक रटी रटाई अंग्रेजी बोलते देखा था |
वर्षों बाद एक नेता को Statue Of Unity बनाते देखा है,
वरना अब तक एक परिवार की मूर्तियां बनाते देखा था ।
वर्षों बाद एक नेता को संसद की माटी चूमते देखा है,
वरना अब तक इटैलियन सैण्डिल चाटते देखा था ।
वर्षों बाद एक नेता को देश के लिए रोते देखा है,
वरना अब तक "मेरे पति को मार दिया" कह कर वोटों की भीख मांगते देखा था ।
पाकिस्तान को घबराते देखा है,अमेरिका को झुकते देखा है।
इतने वर्षों बाद भारत के लोगों का स्वाभिमान जगाने वाला नेता देखा |
छाता लगाने का मतलब ये नहीं कि बच गए पानी से,
ReplyDeleteडुबाने वाला पानी सर से नहीं पैर से आता है......!
कबीर दास के जन्म के पीछे छिपी चालबाजी.
ReplyDeleteजब भी बच्चो को कबीर दास जी की जीवनी पढाई जाती है तो उन्हें ये पढाया जाता है कि कबीर दास जी का जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से हुआ था जिसने लोक लाज के भय से कबीर को एक नदी के किनारे फेंक दिया था, जहाँ से नीरू और नीमा नाम के मुसलमान जुलाहा दम्पति उन्हें उठा लाए और उनका पालन पोषण किया. साथ ही ये भी बता दिया जाता है की ये एक किवदंती है अर्थात ऐसा लोग कहते हैं.
अगर ये एक किवदंती है तो बच्चों को एक बे सर पैर की कहानी इतिहास के रूप में क्यों पढाई जा रही है ? इसका विरोध क्यों नहीं होता ? क्या चाल-बाज़ी और कुटिलता है इसके पीछे और पूरा मामला आखिर है क्या ?
कहानी कुछ इस प्रकार है की रामानन्द ने एक विधवा ब्राह्मणी को पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया, अब कमाल ये हुआ कि उनके आशीर्वाद से विधवा ब्रह्माणी गर्भवती हो गयी जिससे कबीर का जन्म हुआ. भाई वह ! क्या बात है ! आशीर्वाद से लड़के का जन्म ?ये मूर्खतापूर्ण और बे सर पैर की कहानी केवल बच्चो को नहीं बल्कि परास्नातक स्तर तक पढाई जाती है.
मामला ये है की कबीर जैसी महान हस्ती किस प्रकार से कथित रूप से किसी निम्न जाति के मुस्लिम जुलाहा परिवार में जन्म ले सकती है , उसे तो किसी ब्राह्मण परिवार में ही जन्म लेना चाहिए था, कबीर जैसी माहन हस्ती को जन्म देने का क्रेडिट लेने के लिए ये सारी कहानी गढ़ी गयी और परास्नातक स्तर तक इसे पढाया जा रहा है, आश्चर्य ये की इस बेहद घृणित चालबाजी पर अधिकांश लोगो का ध्यान ही नहीं जाता. इस बेहद घृणित चालबाजी के कारण कबीर को जन्म देने वाले उनके असली माँ बाप नीरू और नीमा को उनका वो सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वो वास्तव में हकदार थे, ये दुर्बल जातियों पर किया गया एक प्रकार का कुठाराघात है और ये उत्पीरण के श्रेणी में ही आता है.
कबीर से अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रत्येक बात अपनी साखियों में कही हैं , उन्होंने अपने को मुस्लिम परिवार में जन्मा बताया और जीवन भर अपने पिता के जुलाहे के कार्य को ही अपनाये रखा, अगर विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन होने की बात में जरा भी सच्चाई होती तो कबीर जैसे महान आलोचक और स्पष्ट वक्ता इसे जरुर कहीं ना कहीं कहते . लेकिन उनकी मृत्यु के बाद ये कुटिल कहानी रची गयी जो नस्लवादी और जातिवादी सरकारों द्वारा परास्नातक स्तर तक पढाई जा रही हैं, जिसका विरोध किया जाना चाहिए.
बिलकुल ऐसा ही किस्सा महाभारत के कर्ण का देखने को आता है, कर्ण का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था, उसे महभारत में शूद्र पुत्र कह कर पुकारा जाता था, कर्ण को इससे कभी आपत्ति नहीं रही, लेकिन. कर्ण जैसा माहान धनुर्धर एक दलित परिवार में कैसे जन्म ले सकता है, अतः कर्ण के साथ भी यही कुटिल चालबाजी रची गयी जब उसे कुंती की अवैध संतान बताया गया. यहाँ भी आशीर्वाद से ही कमाल हुआ था , यहाँ कुंती ने भी लोक लाज के भय से कर्ण को गंगा नदी में बहा दिया था. एक दलित परिवार से उसका सम्मान बड़ी ही कुटिलता से छीन लिया गया.
क्या आप जानते हैं कि राक्षस कुल में उत्पन्न महा विद्वान, महा शक्तिशाली राक्षस राज रावण को भी नहीं बक्शा गया है , उसे भी एक ब्राह्मण की संतान बताया गया है . अगर आप ध्यान से अनेको जीवनियों को पढ़ें तो आप को ये खेल हर तरफ दिख जायेगा. बहुत सीधी सी बात है उस समय कलम एक विशेष जाति के हाथ में ही थी , उसने अपने हित के लिए जो चाहा वो लिखा , और लोगो ने उसे माना , क्योकि लोगो को विरोध करने लायक शिक्षा ही प्राप्त करने का हक नहीं दिया गया, शूद्रों और स्त्री को तो शिक्षा देना ही पाप घोषित कर दिया गया था , ऐसे में इनका एकछत्र राज सा चलता था , जो अब छिन गया है.
Bura mt manana bndhu jo bhi ho.
Deletepr aaj aapne jo ye jnmptri likhi h.usase aap k andr ek ghridit bhavna jaisi ba t ka drshn ho raha h
Agr aap hindu h.to eska mtlb h.ki aap us swarthi dwara likhi gyi pustk se.apne jeevne k koi bhi kary nahi smpadit krenge.
aur gr aap aisa nahi krte to eska mtlab aap hindu nahi h.
मित्रों
ReplyDeleteतीसरी काउंसलिंग के लिए तैयार रहें, मेरा दावा है कि जिन जिलों में ओवरफ्लो के कारण अभ्यर्थी वापस लौटे हैं वहाँ बची सीटों पर पुनः काउंसलिंग होगी क्योंकि बहुत बड़े पैमाने पर फर्जी टीईटी का अंकपत्र बनवाकर लोग काउंसलिंग में घुस चुके है जो SCERT द्वारा फिल्टर लगाए जाने पर बाहर हो जाएँगे. धाँधली का कारण मात्र सरकार की बेहूदी बयानबाजी रही है कि विभाग के पास कोई रिकार्ड ही नहीं मौजूद है, और इसी कारण हाई मेरिट वालों की बाढ़ आ गई है. चिंता का विषय नहीं है इस काउंसलिंग में कम से कम 8-10 हजार फर्जी कंडीडेट बाहर होंगे, विभाग पर दबाव बनाकर हमें ऐसे अभ्यर्थियों पर मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे अभ्यर्थी हमारे साथ शामिल होने की हिम्मत न कर सकें, कम मेरिट वाले भाई बहन अब अपने प्रपत्र तैयार करें मेरिट और नीचे जाएगी.
सत्यमेव जयते.
गाँधी भक्त इस लेख को जरूर पड़े............
ReplyDeleteगोडसे ने गाँधी के वध करने के १५० कारण न्यायालय के समक्ष बताये थे।
उन्होंने जज से आज्ञा प्राप्त कर ली थी कि वे अपने बयानों को पढ़कर गांधी जयंती सुनाना चाहते है । अतः उन्होंने वो १५० बयान माइक पर पढ़कर सुनाए। लेकिन कांग्रेस सरकार ने (डर से) नाथूराम गोडसे के गाँधी वध के कारणों पर बैन लगा दिया कि वे बयां भारत की जनता के समक्ष न पहुँच पायें। गोडसे के उन बयानों में से कुछ बयान क्रमबद्ध रूप में, में लगभग १० भागों में आपके समक्ष प्रस्तुत करुँगी । आप स्वं ही विचार कर सकते है कि गोडसे के बयानों पर नेहरू ने क्यो रोक लगाई ?और गाँधी वध उचित था या अनुचित।
अनुच्छेद, १५ व १६....
.."इस बात को तो मै सदा बिना छिपाए कहता रहा हूँ कि में गाँधी जी के सिद्धांतों के विरोधी सिद्धांतों का प्रचार कर रहा हूँ। मेरा यह पूर्ण विशवास रहा है कि अहिंसा का अत्यधिक प्रचार हिदू जाति को अत्यन्त निर्बल बना देगा और अंत में यह जाति ऐसी भी नही रहेगी कि वह दूसरी जातियों से ,विशेषकर मुसलमानों के अत्त्याचारों का प्रतिरोध कर सके।"
---"हम लोग गाँधी जी कि अहिंसा के ही विरोधी ही नही थे,प्रत्युत इस बात के अधिक विरोधी थे कि गाँधी जी अपने कार्यों व विचारों में मुसलमानों का अनुचित पक्ष लेते थे और उनके सिद्धांतों व कार्यों से हिंदू जाति कि अधिकाधिक हानि हो रही थी।" -----
(पार्ट 1 इससे पहले नोट में हम बता चुके है)
गाँधी वध क्यों? ...जानिए .....पार्ट-2-विस्तार से
अनुच्छेद, ६९ ..
....."३२ वर्ष से गाँधी जी मुसलमानों के पक्ष में जो कार्य कर रहे थे और अंत में उन्होंने जो पाकिस्तान को ५५ करोड़ रुपया दिलाने के लिए अनशन करने का निश्चय किया ,इन बातों ने मुझे विवश किया कि गाँधी जी को समाप्त कर देना चाहिए।
"---
अनुच्छेद,७०..भाग ख .."खिलाफत आन्दोलन जब असफल हो गया तो मुसलमानों को बहुत निराशा हुई और अपना क्रोध उन्होंने हिन्दुओं पर उतारा।
--"मालाबार,पंजाब,बंगाल , सीमाप्रांत में हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार हुए। जिसको मोपला विद्रोह
के नाम से पुकारा जाता है। उसमे हिन्दुओं कि धन, संपत्ति व जीवन पर सबसे बड़ा आक्रमण हुआ। हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाया गया,स्त्रियों के अपमान हुए। गाँधी जी अपनी निति के कारण इसके उत्तरदायी थे,मौन रहे।"-
----"प्रत्युत यह कहना शुरू कर दिया कि मालाबार में हिन्दुओं को मुस्लमान नही बनाया गया।यद्यपि उनके मुस्लिम मित्रों ने ये स्वीकार किया कि मुसलमान बनाने कि सैकडो घटनाएं हुई है।
-और उल्टे मोपला मुसलमानों के लिए फंड शुरू कर दिया। "---------
गाँधी वध क्यों? ...जानिए .....पार्ट-3
जैसा की पिछले भाग में बताया गया है कि गोडसे गाँधी की मुस्लिम तुस्टीकरण की निति से किस प्रकार छुब्द था अब उससे आगे के बयान
अनुच्छेद ७० का भाग ग ...जब खिलाफत आन्दोलन असफल हो गया -
--इस ध्येय के लिए गाँधी अली भाइयों ने गुप्त से अफगानिस्तान के अमीर को भारत पर हमला करने
का निमंत्रण दिया.इस षड़यंत्र के पीछे बहुत बड़ा इतिहास है।
-गाँधी जी के एक लेख का अंश नीचे दिया जा रहा है...."मै नही समझता कि जैसे ख़बर फैली है,अली
भाइयों को क्यो जेल मे डाला जाएगा और मै आजाद रहूँगा?उन्होंने ऐसा कोई कार्य नही किया है कि जो मे न करू। यदि उन्होंने अमीर अफगानिस्तान को आक्रमण के लिए संदेश भेजा है,तो मै भी उसके पास संदेश भेज दूँगा कि जब वो भारत आयेंगे तो जहाँ तक मेरा बस चलेगा एक भी भारतवासी उनको हिंद से बहार निकालने में सरकार कि सहायता नही करेगा।"
गाँधी वध क्यों? ...जानिए .....पार्ट-४
ReplyDeleteअनुच्छेद ७० का भाग ठ..हिन्द के विरूद्ध हिदुस्तानी --राष्ट्र भाषा के प्रश्न पर गाँधी जी ने मुसलमानों का जिस प्रकार अनुचित पक्ष लिया----किसी भी द्रष्टि से देखा जाय तो राष्ट्रभाषा बनने का अधिकार हिन्दी को है। परंतु मुसलमानों खुश करने के लिए वे हिन्दुस्तानी का प्रचार करने लगे-यानि बादशाह राम व बेगम सीता जैसे शब्दों का प्रयोग होने लगा। ---हिन्दु स्तानी के रूप में स्कूलों में पढ़ाई जाने लगी इससे कोई लाभ नही था ,प्रत्युत इसलिए की मुस्लमान खुश हो सके। इससे अधिक सांप्रदायिक अत्याचार और क्या होगा?
अनुच्छेद ७० का भाग ड.---न गाओ वन्देमातरम कितनी लज्जा जनक बात है की मुस्लमान वन्देमातरम पसंद नही करते। गाँधी जी पर जहाँ तक हो सका उसे बंद करा दिया।
अनुच्छेद ७० का भाग ढ . गाँधी ने शिवबवनी पर रोक लगवा दी ----शिवबवन ५२ छंदों का एक संग्रह है,जिसमे शिवाजी महाराज की प्रशंसा की गई है.-इसमे एक छंद में कहा गया है की अगर शिवाजी न होते तो सारा देश मुस्लमान हो जाता। -इतिहास और हिंदू धर्म के दमन के अतिरिक्त उनके सामने कोई सरल मार्ग न था।
गाँधी वध क्यों? ...जानिए .....पार्ट-5
अनुच्छेद ७० का भाग फ ....कश्मीर के विषय में गाँधी हमेशा ये कहते रहे की सत्ता शेख अब्दुल्ला को सौप दी जाय, केवल इसलिए की कश्मीर में मुसाल्मान अधिक है। इसलिए गाँधी जी का मत था की महाराज हरी सिंह को सन्यास लेकर काशी चले जन चाहिए,परन्तु हैदराबाद के विषय में गाँधी की निति भिन्न थी। यद्यपि वहां हिन्दुओं की जनसँख्या अधिक थी ,परन्तु गाँधी जी ने कभी नही कहा की निजाम फकीरी लेकर मक्का चला जाय।
अनुच्छेद ७० का भाग म ………………………… कोंग्रेस ने गाँधी जी को सम्मान देने के लिए चरखे वाले झंडे को राष्ट्रिय ध्वज बनाया प्रत्येक अधिवेशन में प्रचुर मात्रा में ये झंडे लगाये जाते थे
------------------------------
-इस झंडे के साथ कोंग्रेस का अति घनिष्ट समबन्ध था। नोआखली के १९४६ के दंगों के बाद वह ध्वज गाँधी जी की कुटिया पर भी लहरा रहा था, परन्तु जब एक मुस्लमान को ध्वज के लहराने से आपत्ति हुई तो गाँधी ने तत्काल उसे उतरवा दिया। इस प्रकार लाखों करोडो देशवासियों की इस ध्वज के प्रति श्रद्धा को अपमानित किया। केवल इसलिए की ध्वज को उतरने से एक मुस्लमान खुश होता था।
गाँधी वध क्यों? ...जानिए .....पार्ट-6
अनुच्छेद ७८ .........................गाँधी जी-----------------------------सुभाषचंद्र बोस अध्यक्ष पद पर रहते हुए गाँधी जी की निति पर नही चले। फ़िर भी वे इतने लोकप्रिय हुए की गाँधी जी की इच्छा के विपरीत पत्ताभी सीतारमैया के विरोध में प्रबल बहुमत से चुने गए ------------------------गाँधी जी को दुःख हुआ.उन्होंने कहा की सुभाष की जीत गाँधी की हार है। -----------------जिस समय तक सुभाष बोस को कोंग्रेस की गद्दी से नही उतरा गया तब तक गाँधी का क्रोध शांत नही हुआ।
अनुच्छेद ८५ .......................मुस्लिम लीग देश की शान्ति को भंग कर रही थी। और हिन्दुओं पर अत्याचार कर रही थी। -------------------कोंग्रेस इन अत्याचारों को रोकने के लिए कुछ भी नही करना चाहती थी,क्यो की वह मुसलमानों को प्रसन्न रखना चाहती थी। गाँधी जी जिस बात को अपने अनुकूल नही पते थे ,उसे दबा देते थे। इसलिए मुझे यह सुनकर आश्चर्य होता है की आजादी गाँधी जी ने प्राप्त की । मेरा विचार है की मुसलमानों के आगे झुकना आजादी के लिए लडाई नह थी।------------------गाँधी व उनके साथी सुभाष को नष्ट करना चाहते थे।
गाँधी वध क्यों? ...जानिए .....पार्ट-7 एवं इति
अनुच्छेद ८८ .गाँधी जी के हिंदू मुस्लिम एकता का सिद्धांत तो उसी समय नष्ट हो गया, जिस समय पाकिस्तान बना। प्रारम्भ से ही मुस्लिम लीग का मत था की भारत एक देश नही है। हिंदू तो गाँधी के परामर्श पर चलते रहे किंतु मुसलमानों ने गाँधी की तरफ़ ध्यान नही दिया और अपने व्यवहार से वे सदा हिन्दुओं का अपमान और अहित करते रहे और अंत में देश दो टुकडों में बँट गया।
1. अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ गोली काण्ड (1919) से समस्त देशवासी आक्रोश में थे तथा चाहते थे कि इस नरसंहार के नायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए। गान्धी जी ने भारतवासियों के इस आग्रह को समर्थन देने से मना कर दिया। इसके बाद जब उधम सिंह ने जर्नल डायर की हत्या इंग्लैण्ड में की तो, गाँधी ने उधम सिंह को एक पागल उन्मादी व्यक्ति कहा, और उन्होंने अंग्रेजों से आग्रह किया की इस हत्या के बाद उनके राजनातिक संबंधों में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए |
ReplyDelete2. भगत सिंह व उसके साथियों के मृत्युदण्ड के निर्णय से सारा देश क्षुब्ध था व गान्धी जी की ओर देख रहा था कि वह हस्तक्षेप कर इन देशभक्तों को मृत्यु से बचाएं, किन्तु गान्धी जी ने भगत सिंह की हिंसा को अनुचित ठहराते हुए जनसामान्य की इस माँग को अस्वीकार कर दिया। क्या आश्चर्य कि आज भी भगत सिंह वे अन्य क्रान्तिकारियों को आतंकवादी कहा जाता है।
3. 6 मई 1946 को समाजवादी कार्यकर्ताओं को अपने सम्बोधन में गान्धी जी ने मुस्लिम लीग की हिंसा के समक्ष अपनी आहुति देने की प्रेरणा दी।
4. मोहम्मद अली जिन्ना आदि राष्ट्रवादी मुस्लिम नेताओं के विरोध को अनदेखा करते हुए 1921 में गान्धी जी ने खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की। तो भी केरल के मोपला मुसलमानों द्वारा वहाँ के हिन्दुओं की मारकाट की जिसमें लगभग 1500 हिन्दु मारे गए व 2000 से अधिक को मुसलमान बना लिया गया। गान्धी जी ने इस हिंसा का विरोध नहीं किया, वरन् खुदा के बहादुर बन्दों की बहादुरी के रूप में वर्णन किया।
5. 1926 में आर्य समाज द्वारा चलाए गए शुद्धि आन्दोलन में लगे स्वामी श्रद्धानन्द की अब्दुल रशीद नामक मुस्लिम युवक ने हत्या कर दी, इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गान्धी जी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई कह कर उसके इस कृत्य को उचित ठहराया व शुद्धि आन्दोलन को अनर्गल राष्ट्र-विरोधी तथा हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिए अहितकारी घोषित किया।
6. गान्धी जी ने अनेक अवसरों पर छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप व गुरू गोविन्द सिंह जी को पथभ्रष्ट देशभक्त कहा।
7. गान्धी जी ने जहाँ एक ओर कश्मीर के हिन्दु राजा हरि सिंह को कश्मीर मुस्लिम बहुल होने से शासन छोड़ने व काशी जाकर प्रायश्चित करने का परामर्श दिया, वहीं दूसरी ओर हैदराबाद के निज़ाम के शासन का हिन्दु बहुल हैदराबाद में समर्थन किया।
8. यह गान्धी जी ही थे, जिसने मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे-आज़म की उपाधि दी।
9. कॉंग्रेस के ध्वज निर्धारण के लिए बनी समिति (1931) ने सर्वसम्मति से चरखा अंकित भगवा वस्त्र पर निर्णय लिया किन्तु गाँधी जी कि जिद के कारण उसे तिरंगा कर दिया गया।
10. कॉंग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को बहुमत से कॉंग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया किन्तु गान्धी जी पट्टभि सीतारमय्या का समर्थन कर रहे थे, अत: सुभाष बाबू ने निरन्तर विरोध व असहयोग के कारण पदत्याग कर दिया।
11. लाहोर कॉंग्रेस में वल्लभभाई पटेल का बहुमत से चुनाव सम्पन्न हुआ किन्तु गान्धी जी की जिद के कारण यह पद जवाहरलाल नेहरु को दिया गया।
12. 14-15 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कॉंग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था, किन्तु गान्धी जी ने वहाँ पहुंच प्रस्ताव का समर्थन करवाया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही यह कहा था कि देश का विभाजन उनकी लाश पर होगा।
13. मोहम्मद अली जिन्ना ने गान्धी जी से विभाजन के समय हिन्दु मुस्लिम जनसँख्या की सम्पूर्ण अदला बदली का आग्रह किया था जिसे गान्धी ने अस्वीकार कर दिया।
14. जवाहरलाल की अध्यक्षता में मन्त्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय पर पुनर्निर्माण का प्रस्ताव पारित किया, किन्तु गान्धी जो कि मन्त्रीमण्डल के सदस्य भी नहीं थे ने सोमनाथ मन्दिर पर सरकारी व्यय के प्रस्ताव को निरस्त करवाया और 13 जनवरी 1948 को आमरण अनशन के माध्यम से सरकार पर दिल्ली की मस्जिदों का सरकारी खर्चे से पुनर्निर्माण कराने के लिए दबाव डाला।
15. पाकिस्तान से आए विस्थापित हिन्दुओं ने दिल्ली की खाली मस्जिदों में जब अस्थाई शरण ली तो गान्धी जी ने उन उजड़े हिन्दुओं को जिनमें वृद्ध, स्त्रियाँ व बालक अधिक थे मस्जिदों से से खदेड़ बाहर ठिठुरते शीत में रात बिताने पर मजबूर किया गया।
16. 22 अक्तूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउँटबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को 55 करोड़ रुपए की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रीमण्डल ने आक्रमण को देखते हुए, यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी जी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन किया- फलस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।
उपरोक्त परिस्थितियों में नथूराम गोडसे नामक एक युवक ने गान्धी का वध कर दिया। न्यायलय में गोडसे को मृत्युदण्ड मिला किन्तु गोडसे ने न्यायालय में अपने कृत्य का जो स्पष्टीकरण दिया उससे प्रभावित होकर न्यायधीश श्री जे. डी. खोसला ने अपनी एक पुस्तक में लिखा- "नथूराम का अभिभाषण दर्शकों के लिए एक आकर्षक दृश्य था। खचाखच भरा न्यायालय इतना भावाकुल हुआ कि लोगों की आहें और सिसकियाँ सुनने में आती थीं और उनके गीले नेत्र और गिरने वाले आँसू दृष्टिगोचर होते थे। न्यायालय में उपस्थित उन मौजूद आम लोगों को यदि न्यायदान का कार्य सौंपा जाता तो मुझे तनिक भी संदेह नहीं कि उन्होंने अधिकाधिक सँख्या में यह घोषित किया होता कि नथूराम निर्दोष है।"
ReplyDeleteआप इस तरह कतई परेशान ना हो,,,,,,और ना ही किसी के लिए बुरा कहो ,,आप ईश्वर पर भरोसा रखो ,हो सकता है ईश्वर के पास इन लोगो की अप्लीकेशन आप से पहले की पडी हो इसलिए इनकी अप्लीकेशन को पहले मंजूर कर दिया गया,,,,,बैसे इस बात को कहना अभी उचित है या नही ? पता नही लेकिन आप भरोसा रखे कि जंग तव तक खत्म नही होगी जब तक संघर्ष करने वाला प्रत्येक बंदा मंजिल पर पहुंच नही जाता,,,,,,,,
ReplyDeleteWe may love a wrong person
ReplyDeleteWe may cry over for a wrong
person but
one thing is for sure.
They give us a chance to find
the right person..
# From :: AVI
द्वितीय काउंसलिंग के दौरान विभिन्न जिलों से आ रही फर्जीवाड़े की सूचनाओं के मद्देनजर आज गणेश दीक्षित, राकेश यादव और मुअज्जम भाई SCERT निदेशक से मिलकर स्थिति से अवगत कराने SCERT कार्यालय पहुँचे,,किन्तु सर्वेन्द्र विक्रम जी के शासन में होने की वजह से मुलाक़ात नहीं हो पाई,,किन्तु कार्यालय में जो सूचनायें हमारे स्रोतों से उपलब्ध हुई हैं वह इस प्रकार हैं -
ReplyDelete(1) जो अभ्यर्थी 2012 बी.एड. की मार्कशीट लगाकर काउंसलिंग करवा रहे हैं उनकी छँटाई जिला स्तर पर ही हो जायेगी,,शासनादेश के अनुसार जिला स्तरीय जाँच कमेटी जिसका अध्यक्ष जिलाधिकारी होगा एवं BSA, GIC प्राचार्य एवं डायट प्राचार्य सदस्य होंगे, वह इस प्रकरण को सॉर्ट आउट कर लेगी,,बी.एड. 2012 वाले निःसंदेह बाहर होंगे।
ReplyDeleteThank you sir 4 ur every information n support. .... I am a big fan of u
Delete(2) फर्जी टेट मार्कशीट वाले मुन्नाभाइयों के लिए दुखद खबर यह है की वे राजनैतिक प्रभाव/दबंगई/चालाकी/सेटिंग से अपनी काउंसलिंग भले ही करवा लें लेकिन उनकी काउंसलिंग की हवा जिला स्तरीय जाँच कमेटी ही निकाल देगी,,इसके बाद मदर लिस्ट से SCERT स्वयं इसकी जाँच करेगा,,अंततः SCERT की संस्तुति के बाद NIC अपने स्तर पर प्रमाण-पत्रों की जाँच करने के बाद ही अभ्यर्थी को हरी झण्डी देगा। इस प्रकार तीन फ़िल्टर से गुजरकर ही टेट मार्कशीट की सत्यता निर्धारित होगी,,अब मुन्नाभाई अपना पैसा जो दलालों और दबंगों को दे बैठे हैं वे अपना माथा पीट सकते हैं,,टेट बंधुओं को याद होगा की प्रथम काउंसलिंग में भी 5367 के आस-पास अभ्यर्थियों ने काउंसलिंग करवाई थी लेकिन SCERT में सत्यापन के बाद 850 से अधिक मुन्नाभाइयो को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था,,वे बेचारे ना तो दूसरी काउंसलिंग लिस्ट में कहीं नजर आये और ना ही उनमे अपना पैसा दलालों से वापस लेने की हिम्मत ही है,,
ReplyDeleteइसलिए टेटवीर मस्त-
मुन्नाभाई पस्त।
(3) जो अभ्यर्थी कट ऑफ में आने के बावजूद 10 गुना अभ्यर्थियों के चक्कर में चयन सूची में शामिल नहीं हो पाए हैं उन्हें तीसरी काउंसलिंग में वरीयता दी जायेगी,,तीसरी काउंसलिंग 09 अक्टूबर से प्रारम्भ होने की खबर अफवाह मात्र है,,अभी 15 अक्टूबर से पहले दूसरी काउंसलिंग के अभ्यर्थियों का डाटा सत्यापन एवं अन्य जरुरी कार्यालय औपचारिकताएं ही पूरी नहीं हो पाएँगी।
ReplyDelete(4) कुछ जूनियर अभ्यर्थी हाई कोर्ट से आदेश लेकर डायट पर काउंसलिंग के लिए पहुँच रहे हैं,,, इनकी काउंसलिंग फोटोस्टेट दस्तावेजों पर करवाए जाने का आदेश है जबकि हमारे टेट बंधुओं को कई जिलों में मात्र इसलिए काउंसलिंग से रोका गया क्योंकि उनका कोई प्रमाण-पत्र खो गया था जबकि फोटोस्टेट था,,इसके अतिरिक्त विज्ञान वर्ग के ये भाई लोग जूनियर के साथ-साथ प्राइमरी में भी अपनी जॉब सिक्योर करना चाहते हैं,,इसका सीधा सा अर्थ है की जूनियर क्लियर होते ही ये पलायन कर जायेंगे और प्राइमरी की काफी सीटें व्यर्थ हो जायेंगी। इनकी रोकथाम के लिए 07 अक्टूबर को हाई कोर्ट खुलते ही रिट डाली जायेगी,,,
ReplyDeleteइनका प्राइमरी भर्ती में हम स्वागत करते हैं किन्तु ये पहले जूनियर से अपना अभ्यर्थन रद्द करवाएँ ताकि वहाँ किसी अन्य भाई को अवसर मिल सके।
अंततः शिराज-ए-हिन्द जौनपुर में फिर से एक बार सीटें ओवर फ्लो हुई,,डायट प्राचार्य ने सीटों के सापेक्ष ही काउंसलिंग करवाकर अभ्यर्थियों को विदा किया था लेकिन जूनियर अभ्यर्थी शाम 04:45 पर कोर्ट का आदेश लेकर पहुँचे जिससे तकरीबन 25 पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों काउंसलिंग की ,,
ReplyDeleteअब कल कुल उपलब्ध सीटों में से 25 सीटों की कटौती होगी। फिलहाल कुल मिलाकर विज्ञान वर्ग की मेरिट हाई करने में जूनियर अभ्यर्थी अग्रणी भूमिका निभाने वाले हैं।
जय हिन्द-जय टेट।।
GK Trick
ReplyDeleteदो बार नोबल पुरस्कार प्राप्त करने
वाले व्यक्ति
Trick —“मैडम और जॉन फ्रेंड ली है”
मैडम—-मैडम क्यूरी
और—–(साइलेंट)
जॉन—–जॉन बारडिन
फ्रेंड——फ्रेडरिक सेंगर
ली——-लीनस पोलिंग
है——–(साइलेंट).
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ReplyDelete............बंदे मे है दम ........
पहली बार 2 अक्टूबर गाँधी और शास्त्री जयंती की अपेक्षा ""स्वच्छ भारत मिशन"" के लिए ज्यादा सुर्खियों मे रहा और इस मिशन के सूत्रधार थे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ।
.....कैसा प्रधानमंत्री हुआ है पहली बार जिसने खुद के साथ सारे देश से झाँडू लगवा डाली वो भी गाँधीगीरी से ।
मजेदार बात ये रही कि मोदी जी के इस मिशन का प्रभाव केवल भारत ही नही पाकिस्तान पर भी हुआ वहाँ भी लोगो ने आज अपने हाथै मे झाँडू पकडकर सफाई की .....हुआ यूँ कि जब स्वच्छ भारत मिशन से प्रेरित होकर पाकिस्तान के वाघा बार्डर पर भारतीय सैनिक अपनी चौकियो पर सफाई कर रहे थे तो उनको देखकर पाकिस्तानी सैनिको पर भी सफाई का भूत सवार हुआ और वो भी झाँडू उठाकर आपनी चौकियां साफ करने लगे .....!!!!!
......है न बंन्दे मे दम !!!!!!
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!
* ये राजनीति पोस्ट नही है ।
एक डॉक्टर को जैसे ही एक
ReplyDeleteurgent सर्जरी के बारे में फोन करके बताया गया.
वो जितना जल्दी वहाँ आ
सकते थे आ गए.
वो तुरंत हि कपडे बदल
कर ऑपरेशन थिएटर की और बढे.
डॉक्टर को वहाँ उस लड़के के पिता दिखाई दिए
जिसका इलाज होना था.
पिता डॉक्टर को देखते ही भड़क उठे,
और चिल्लाने लगे.. "आखिर इतनी देर तक कहाँ थे
आप?
क्या आपको पता नहीं है की मेरे बच्चे
की जिंदगी खतरे में है .
क्या आपकी कोई
जिम्मेदारी नहीं बनती..
आप का कोई कर्तव्य है
या नहीं ? ”
डॉक्टर ने हलकी सी मुस्कराहट के
साथ कहा- “मुझे माफ़
कीजिये, मैं
हॉस्पिटल में नहीं था.
मुझे जैसे ही पता लगा,
जितनी जल्दी हो सका मैं
आ गया..
अब आप शांत हो जाइए, गुस्से से कुछ नहीं होगा”
ये सुनकर पिता का गुस्सा और चढ़ गया.
भला अपने बेटे की इस नाजुक हालत में वो शांत कैसे
रह सकते थे…
उन्होंने कहा- “ऐसे समय में दूसरों
को संयम रखने का कहना बहुत आसान है.
आपको क्या पता की मेरे मन में क्या चल रहा है..
अगर
आपका बेटा इस तरह मर रहा होता तो क्या आप
इतनी देर करते..
यदि आपका बेटा मर जाए
अभी, तो आप शांत रहेगे?
कहिये..”
डॉक्टर ने स्थिति को भांपा और कहा-
“किसी की मौत और
जिंदगी ईश्वर
के हाथ में है.
हम केवल उसे बचाने का प्रयास कर सकते है.. आप ईश्वर से
प्राथना कीजिये.. और मैं अन्दर जाकर ऑपरेशन
करता हूँ…” ये
कहकर डॉक्टर अंदर चले गए..
करीब 3 घंटो तक ऑपरेशन चला..
लड़के के पिता भी धीरज के साथ बाहर
बैठे रहे..
ऑपरेशन के बाद जैसे
ही डाक्टर बाहर निकले..
वे मुस्कुराते हुए, सीधे पिता के पास गए..
और उन्हें कहा- “ईश्वर का बहुत
ही आशीर्वाद है.
आपका बेटा अब ठीक है.. अब आपको जो
भी सवाल पूछना हो पीछे आ
रही नर्स से पूछ लीजियेगा..
ये कहकर वो जल्दी में चले गए..
उनके बेटे की जान बच
गयी इसके लिए वो बहुत खुश तो हुए..
पर जैसे ही नर्स उनके पास आई.. वे बोले.. “ये कैसे
डॉक्टर है..
इन्हें किस बात का गुरुर है.. इनके पास हमारे लिए
जरा भी समय नहीं है..”
तब नर्स ने उन्हें बताया..
कि ये वही डॉक्टर है जिसके
बेटे के साथ आपके बेटे का एक्सीडेँट हो गया था.....
उस दुर्घटना में इनके बेटे
की मृत्यु हो गयी..
और हमने जब उन्हें फोन किया गया..
तो वे उसके क्रियाकर्म कर
रहे थे…
और सब कुछ जानते हुए भी वो यहाँ आए और
आपके बेटे का इलाज
किया...
नर्स की बाते सुनकर बाप की आँखो मेँ
खामोस आँसू
बहने लगे ।
मित्रो ये होती है इन्सानियत ""
"जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये,
जीने का शौक भी रखिये..
शमशान ऐसे लोगो की राख से..
भरा पड़ा है
जो समझते थे.....
दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती "
विजयादशमी के दस सूत्र
ReplyDeleteदस इन्द्रियों पर विजय का पर्व है।
असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है।
बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय का पर्व है।
अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व है।
दुराचार पर सदाचार की विजय का पर्व है।
तमोगुण पर दैवीगुण की विजय का पर्व है।
दुष्कर्मों पर सत्कर्मों की विजय का पर्व है।
भोग पर योग की विजय का पर्व है।
असुरत्व पर देवत्व की विजय का पर्व है।
जीवत्व पर शिवत्व की विजय का पर्व है।
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Ek Sach Chupa Hota Hai :- Jab Koi Kisi Ko Kehta Hai Ki"Mazaak Tha Yaar".
Ek Feeling Chupi Hoti Hai :- Jab Koi Kehta Hai"Mujhe Koi Farq Nahi Padta".
Ek Dard Chupa Hota Hai :- Jab Koi Kehta Hai"Its Ok".
Ek Zarurat Chupi Hoti Hai :- Jab Koi Kehta Hai"Mujhe Akela Chhod Do".
Ek Gehri Baat Chupi Hoti Hai :- Jab Koi Kehta Hai"Pata Nahi".
Ek Samundar Chupa Hota Hai Baato Ka :- Jab Koi"Khamosh Rehta h
आज यह देखकर बडा दुख होता है किऐसे बहुत से भाई जिन्होंने इस भर्ती के लिये दिन रात एक कर दिया चंदे से लेकर लखनऊ में लाठियाँ खाने तक वो अभी काउन्सलिंग से वंचित है पता नही हमारा होगा भी की नही वहीं दूसरी ओर ऐसे लोग भी है जो यह मानते थे की ओल्ड ऐड से कभी भर्ती नही होगी ओर उन्होनें अपने मूल जनपद के रुपये भी वापस ले लिये थे आज वो सब काउन्सलिंग करा के सीना चौडा लिये घूम रहे है और हम वहीं पर है जहाँ 3 साल पहले थे ।
ReplyDeleteअब तो ऊपर वाले का ही सहारा है वो ही हमारी नैय्या पार लगायेगा ।टेट संघर्ष मोर्चा तो अब कान में तेल डालकर सो गया है अब उसे पात्र अपात्र कोई भी सेलेक्ट हो उसे कोई मतलब नही ।।
अभी सुरक्षित सीटें जो शिक्षा मित्रों+डी एफ एफ ई टी सी की हैं, जन्रालाईज होंगीं , किस कौन्सेलिंग में कह नहीं सकता, लेकिन होंगी जरूर, ये कन्फर्म है. फिर आप देखना मेरिट कैसे सटाक से गिरती है, डोंट वरी ,
ReplyDeleteकपिलदेव और हिमांशु राणा
ReplyDeleteइनदोनो में कोई अंतर नही क्योकि विज्ञापन कोई निकाले कपिल का नही होगा ।
रिसफलिंग हो या न हो राणा का कतई नही होगा ।
इनको खुद से मतलब नही है इनका स्वार्थ बस इतना है की मेरा नही तो किसी का नही ।
ऐसे लोगो के कारण ये भर्ती अब हो रही है वरना एक और भर्ती हो गयी होती बीएड वालो की ।
इस भर्ती का कोई अब कुछ नही बिगाड़ सकता भले उसका हो या न हो ।
इतना अवश्य है की लाइम लाइट में बना रह सकता है चंदे के धंधे में ।
तीसरी काउंसिलिंग के पहले किसी भी दशा में रैंक जारी होना आवश्यक है अन्यथा पारदर्शिता के अभाव में भर्ती का भविष्य असुरक्षित है । एक-एक सीट का हिसाब आवश्यक है । वरना लोग मजबूरन कोर्ट की शरण लेंगे फिर डेट डेट का खेल चालू ।।
ReplyDeleteये अति गंभीर मामला है जिसको समय रहते दूर किया जाना नितांत आवश्यक है वरना सरकार तो यही चाहती है कि लडके कोर्ट जाएँ और धांधली सिद्ध कर के जाने अनजाने भर्ती को ही रद्द कराएं ।
टेट के अग्रिम बन्धु जितनी जल्दी इस बात को समझ लें उतना ही अच्छा ।। अत्यंत गंभीर विषय है ये । कहीं जाने अनजाने सरकार के मनसूबे कामयाब तो नही हो रहे ??
गम्भीरता से मंथन करें तटस्थ भाव से ।।
लखीमपुर के अलावा भी क्या किसी अन्य जिले ने भी 2nd counselling के उपरान्त अपना डाटा आनलाइन किया है ?
ReplyDeleteयदि हाँ तो कृपया Link Provide कराये ।
धन्यवाद ।
टेट मोर्चा से जुड़े सभी लोगों को SCERT पर दबाव डालना चाहिए कि टेट परिणाम को आनलाइन फिर से जारी करें।
ReplyDeleteउनके पास CD है बस अपनी वेबसाइट पर उसका एक लिंक डाल दें, क्योंकि वास्तव में काउंसलिंग में उपस्थित लोगों की संख्या सभी की सोच से ज्यादा दिखाई दे रही है, आखिर में इतने लोग आये कहाँ से? जब डायट पर कुछ लोगों ने मिलकर एक ऐसे फर्जी को पकड़ा जिसका टेट में अंक 90 से कम था और उसने 122 करवा लिया था, हम लोग अपनी सजगता से एक को पकड़ सकते हैं दो को पकड़ सकते हैं और ऐसे लोग पकड़े भी जा रहे हैं।
ऐसा कोई सिस्टम तो बनाना पड़ेगा जिससे डायट पर ही इनकी छटनी करके तुरंत FIR दर्ज करके वहीं से उनको उनके ससुराल भेज दिया जाए और कुछ हम लोगों को भी खातिरदारी करने का मौका मिलें।
ReplyDeleteनिसंदेह दुसरी काउंसलिंग में बहुत अधिक संख्या में फर्जी अथवा अयोग्य लोगों ने काउंसलिंग करवाया है, अयोग्य लोगों की छटाई तो अगली कट ऑफ से पहले हो जाएगा लेकिन इन फर्जी लोगों की छटाई कब होगी इसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है, यह बात तो शत प्रतिशत सत्य है कि किसी भी फर्जी अंक पत्र वाले को नियुक्ति पत्र नहीं मिल पायेगा लेकिन अगर पूरी काउंसलिंग के खत्म होने के बाद अंक पत्रों की जांच होगी तो तब तक बहुत देर हो चुकी रहेगी। कम अंक वालों को बहुत लंबा इंतजार करना पड़ जाएगा।
ReplyDeleteमैं तो सभी तीसरी चौथी काउंसलिंग वालों और दुसरी में ओवर फ्लो के शिकार लोगों से कहूंगा आप सभी एकजुट होकर सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह से मुलाकात कीजिए उनके उपर दबाव बना कर दुसरी काउंसलिंग में भाग लेने वाले सभी अभ्यर्थियों की जांच मूल सीडी से करने की मांग रखिये और उनसे यह भी कहिये कि अब टेट के परिणाम को आनलाइन जारी कर दीजिए जिससे डायट स्तर पर ही फर्जी अंक पत्र की जांच हो सके इससे प्रक्रिया भी तेज रफ्तार में आगे बढ़ेगी, भ्रष्टाचार पर भी पूरी तरह से लगाम लग जाएगा और कम मेरिट वालों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होगा।
ReplyDeleteअफसोस सारी भर्तियाँ हो गयी
ReplyDeleteलेकिन सबसे पुरानी भर्ती अपने लक्ष्य की
ओर बढने के बजाय विनास की ओर बढ रही है ।। जिनको अग्रिम पंक्ति के लोगो ने पाला आज वो आस्तीन के साँप बन रहे है ।
.....सही ही कहा गया है !!!!!
ज्यादा पंन्डा मठ उजाड ।
"मेरी ही प्रतीति करो, कि मैं पिता में हूं; और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरी प्रतीति करो। मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।''
ReplyDelete______________________________________________________________- यूहन्ना 14:11-12 )
रिसफलिंग के गलत तरीके को लेकर जिस तरह से विरोध और फिजूल का विधवा प्रलाप हो रहा हैं वह निंदनीय हैं| तीन साल पहले जब ये संघर्ष शुरू हुआ था तब से लेकर ११० से नीचे की मेरिट वालो का आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण ही किया गया| जब तक मेरिट नहीं आई थी तब तक मेरिट की इतना नीचे गिरा दिया गया था जहा उसे कभी जाना ही नहीं हैं| पता नहीं कहा कहा से डाटा लाया गया था| जब एकेडमिक मेरिट के डाटा के आधार पर हर नम्बर का रिकॉर्ड दिया गया था तब भी बड़े जोर शोर से उसका विरोध किया गया था| क्यों?????????
ReplyDeleteआज हिमांशु राना का विरोध वो लोग कर रहे हैं जिनका चयन हो चूका हैं और वो घर बैठ कर नियुक्ति पत्र का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं| उन्हें लग रहा हैं की कही रिट एक्सेप्ट हो गयी तो कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा| जिन लोगो की काउंसिलिंग हो चुकी हैं उनको बधाईयाँ लेकिन मित्रो उन लोगो का भी ख्याल करो जो कभी आप के कंधे से कन्धा मिला कर लखनऊ की सड़को पर संघर्ष किया करते थे, चिलचिलाती धुप में प्यास लगने पर आपने उनसे ही पानी की बोतल लेकर बड़े शान से सर ऊपर करके अपनी प्यास बुझाई थी| आज आप के अच्छे दिन आ गए तो बुरे दिनों के गरीब साथियों को भूल न जाना|
ReplyDeleteछूट और आरक्षण विषय पर मैंने शलभ दादा की पोस्ट देखी।
ReplyDeleteउन्होंने दोनों को अलग-अलग विषय बताया तथा मै भी इसे अलग-अलग विषय के रूप में जानता हूँ।
जबकि अपनी इस शिक्षक भर्ती के मामले में यह छूट आरक्षण
के नियमों से भी अधिक खतरनाक है।
आरक्षित वर्ष को भर्ती में शामिल होने के लिए 5 वर्ष की छूट मिली है ।
जबकि टीईटी में एक सामान अंक पाने पर अधिक उम्र को चयन का द्वितीय मानक बताया गया है अर्थात
यह एक अनिवार्य विषय है।
अनारक्षित रिक्ति पर जिस सामान्य वर्ग का अधिक उम्र का व्यक्ति भर्ती में सम्मिलित ही नहीं किया जा सकता है वहीं आरक्षित वर्ग का व्यक्ति उम्र की छूट लेकर सामान अंक पाने पर मेरिट में उस अंक पर शिखर पर जा रहा है।
यह समानता का उलंघन है ।
ठीक ऐसे ही 82-89 अंक प्राप्त करने वाला जनरल अभ्यर्थी अनुत्तीर्ण समझा जाता है तो फिर 82-89 अंक पाने वाले वाला आरक्षित किस तरह अनारक्षित की रिक्ति पर जनरल से प्रतिस्पर्द्धा कर सकता है??
यह विषय कोर्ट में चुनौती योग्य है अतः इस विषय पर फैसला जरुरी है।
उत्तर प्रदेश में बीएड करने वाले ओबीसी/जनरल के लिए
स्नातक/परास्नातक की योग्यता सामान थी।
जबकि इस भर्ती में जनरल के लिए स्नातक योग्यता 45 अथवा 50 फीसदी है
तथा ओबीसी के लिए 40 अथवा 45 फीसदी ही है।
इस तरह यह रिलैक्सेशन कितना खतरनाक है इसका परीक्षण जरुरतमंदों के लिए जरुरी है।
संविधान के अनुच्छेद 14 की तो आपको जानकारी होगी।
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Tanhaiyon me muskurana ishq
hai,
Ek baat ko sab se chupana ishq
hai,
Yun to neend nahi aati hamein
raat bhar,
Magar sote sote jagna aur jagte
jagte sona ishq hai..G
O
O
D
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Plz sir batayen lakhimpur ka second counselling ke baad ka data kis link per hai http://diet lakhimpur.org pe nahin mil raha
ReplyDeleteSINGHM .................G
ReplyDeletemene koi hindu mslmn ki baat nahi ki hai policy ke oopar post hai wo
main kisi mahapurush dharm samaj sarkar ka virodh nahi karta hun..
Hmne to mslmn ki koi bat hi nahi ki.aur rahi bat policy ki to.toilet me bhait kr bhojan nahi kiya jata.
Deletebaki aap samrthywanan h.aur hmare yaha samrthywan ko kuchh bhi krne pr nirdosh ki sngya se susobhit kiya gaya h.
"SAMRTH KO NAHI DOSH GOSAI |
RAVI PAVAK SURSARI KI NAI ||"
Sir plz mujhe bhi batayen
ReplyDeleteAb hum yahaan par hain!
ReplyDelete!
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LT Grade Teacher Recruitment UP : प्रशिक्षित स्नातक एल0टी0 ग्रेड के सहायक अध्यापक/अध्यापिका के रिक्त पदों हेतु विज्ञापन - वाराणसी मण्डल
Bhai hm naraj naraj nahi h.
ReplyDeletepr vastvikta pr prsnchihn lagana galt h.
Bina sr pair ki bat pr narjgi ka koi auchity hi nahi bnata.