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कल मुख्य न्यायाधीश कोर्ट में
फ्रेश - 77
के बाद प्रोमोशन केश डेली काज लिस्ट में 17 वे नं० पे लगा है।
Cause List, Allahabad
09/01/2015
AT 10.00 A.M. THE CHIEF JUSTICE'S COURT HON'BLE THE CHIEF JUSTICE HON'BLE MR. JUSTICE SUNEET KUMAR
17. PO 622/2014 ANIL KUMAR SINGH SHAILESH UPADHYAY RADHA KANT OJHA Vs.
STATE OF U.P. AND 8 ORS. C.S.C. BHANU PRATAP SINGH SHAILENDRA WITH
WRIA- 52521/2013 NEELAM KUMARI GAUTAM KSHETRESH CHNADRA SHUKLA Vs.
STATE OF U.P.& 2 ORS. C.S.C. A.K.YADAV WITH WRIA- 50787/2013 SATYA
PRAKASH SINGH AND 4 ORS. SHAILESH UPADHYAY RADHA KANT OJHA Vs. STATE OF
U.P.& 3 ORS. C.S.C. SAYED NADEEM AHMAD WITH WRIA- 55925/2013
SHAILENDRA KUMAR SINGH RADHA KANT OJHA SHAILESH UPADHYAY Vs. STATE OF
U.P. AND 3 OTHERS C.S.C. SYED NADEEM AHMAD
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Professional vs non professional case next date is 16 Jan 2015
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Case Status - Allahabad
Pending
Writ - A / 39466 / 2014 [Allahabad]
Petitioner: SATYENDRA KUMAR SINGH AND 4
OTHERS
Respondent: STATE OF U.P. THRU SECY. AND
3 OTHERS
Counsel (Pet.): SHAILENDRA
Counsel (Res.): C.S.C.
Category: Service-Writ Petitions Relating To
Primary Education (teaching Staff) (single
Bench)-Miscellaneous
Date of Filing: 30/07/2014
Last Listed on: 07/01/2015
in Court No. 4
Next Listing Date (Likely): 16/01/2015
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हाई कोर्ट के वकील जारी रखेंगे हड़ताल
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वसं, इलाहाबाद
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चन्द्रचुड के आश्वासन के बाद भी हाई
कोर्ट के वकीलों ने हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया है। वकीलों का कहना है
कि मुख्य न्यायाधीश के आदेश से गठित समिति द्वारा विधि मंत्री के
प्र्रस्ताव को खारिज किए जाने तक उनका आन्दोलन जारी रहेगा। लगभग छह घंटे तक
चली आम सभा में यह भी निर्णय लिया गया कि हड़ताल को जारी रखने अथवा न रखने
पर संघर्ष समिति विचार करेगी।
चीफ जस्टिस डी.वाई.चन्द्रचुड के साथ
मंगलवार को 45 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल की वार्ता हुई थी। इस दौरान चीफ
जस्टिस ने प्रदेश सरकार से कोई प्रस्ताव न मिलने की बात कही थी। उनका यह भी
कहना था कि ऐसे में प्रस्ताव के बिना हाई कोर्ट के विभाजन की स्वीकृति
देने का औचित्य ही नहीं है। उन्होंने बताया कि जस्टिस विनीत शरण की
अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया गया है, जो हाई कोर्ट विभाजन के संबंध
में रिपोर्ट देगी। हालांकि इस कमिटी की कोई रिपोर्ट उन्हें नहीं मिली है।
बुधवार को हुई आम सभा में चीफ जस्टिस और कमिटी के अध्यक्ष विनीत शरण के
आश्वासन पर भी विचार किया गया। लेकिन अधिकतर वकील हड़ताल जारी रखने के पक्ष
में थे। इसके बाद हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया गया।
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हाईकोर्ट बेंच विस्तार को लेकर अवध के वकीलों की हड़ताल
Publish Date:Thu, 08 Jan 2015 05:42 PM (IST) | Updated Date:Thu, 08 Jan 2015 05:45 PM (IST)
हाईकोर्ट बेंच विस्तार को लेकर अवध के वकीलों की हड़ताल
लखनऊ। उच्च न्यायालय इलाहाबाद की खंडपीठ को लेकर जारी लड़ाई में अवध के
वकील भी आज शामिल हो गए हैं। लखनऊ पीठ का क्षेत्राधिकार बढ़ाए जाने की मांग
कर रहे अवध बार एसोसिएशन के अधिवक्ता आज न्यायिक कार्य से विरत रहे।
अवध बार के सचिव रमेश पांडेय ने बताया कि लखनऊ पीठ में बरेली, कानपुर और
मुरादाबाद मंडल के सभी जिलों को जोड़ा जाए। पश्चिम उत्तर प्रदेश में
हाईकोर्ट की बेंच बनाने के लिए मुख्य न्यायाधीश ने जो कमेटी बनाई है उसमें
अवध बार के लोगों को भी शामिल किया जाए। हड़ताल का फैसला कल अवध बार की
बैठक में किया गया था। इसके चलते आज अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहे।
अब इस मसले पर कल सुबह बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी
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नहीं हो सका हड़ताल पर फैसला, बहस जारी
Thu, 08 Jan 2015 01:31 AM (IST)
राज्य
ब्यूरो, इलाहाबाद : केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पत्र पर मुख्य
न्यायाधीश व अन्य न्यायमूर्तियों से वार्ता के बाद भी अधिवक्ता खंडपीठ के
मुद्दे पर आश्वस्त नहीं हो सके हैं। इसी वजह से बुधवार को हड़ताल समाप्त
करने के मसले पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आमसभा में कोई फैसला नहीं हो
सका। बहस गुरुवार को भी जारी रहेगी। अधिवक्ता हड़ताल पर भी रहेंगे।
हड़ताल
जारी रखने या समाप्त करने को लेकर हाईकोर्ट बार ने अधिवक्ताओं से लिखित
रूप में सुझाव मांगे थे लेकिन आमसभा में इस पर बहस हुई। वक्ताओं ने इस बात
पर रोष जताया कि केंद्रीय मंत्री का पत्र आने के बाद भी हाईकोर्ट बार को इस
बाबत अवगत नहीं कराया गया। हालांकि इस बीच हड़ताल अवधि में भी वरिष्ठ
अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने महाधिवक्ता की मौजूदगी में मुख्य न्यायाधीश
से मुलाकात की थी। वक्ताओं का कहना था कि इससे भरोसे का संकट खड़ा हुआ है।
लगभग
आठ घंटे तक चली आमसभा में सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपने विचार रखे।
पश्चिम में खंडपीठ के लिए चल रहे आंदोलन को लेकर भी उनके तेवर तल्ख रहे।
कहा कि हाईकोर्ट को विभाजित करने की सुनियोजित रूप से साजिश की जा रही है।
योजनाबद्ध तरीके से न्यायपालिका को कमजोर करने के प्रयास चल रहे हैं। इस
दौरान आम सहमति से फैसला किया गया कि आंदोलन को अगले चरण में और संगठित
करने के लिए कमेटियों का गठन किया गया। संघर्ष समिति के संयोजक आरके ओझा,
आईके चतुर्वेदी, अनिल तिवारी, प्रभाशंकर मिश्र व बृजेश सहाय को न्यायिक
कार्य से विरत रहने के फैसले का समुचित पालन कराने की जिम्मेदारी दी गई।
आमसभा की अध्यक्षता हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष राकेश पांडेय ने एवं संचालन
महासचिव डा. सीपी उपाध्याय ने किया। सभा को संबोधित करने वालों में अजय
दुबे, प्रदीप तिवारी, एसडी ओझा, सौरभ श्रीवास्तव, अरविंद सिंह बिसेन, वीपी
गुप्ता, कौशलेंद्र सिंह, मनु शर्मा, अनिल कुमार सिंह, केके राय, पंकज
श्रीवास्तव, लल्ला अवस्थी, अभिषेक कुमार शुक्ला आदि थे।
लिखित रूप से
सौंपे सुझाव : कई अधिवक्ताओं ने हड़ताल जारी रखने के संबंध में लिखित रूप
से सुझाव दिए। अधिवक्ता अजय मिश्र ने सचिव को लगभग पांच सौ अधिवक्ताओं की
ओर से हस्ताक्षरित पत्र सौंपा कि वे हड़ताल जारी रखने के पक्ष में हैं।
अधिवक्ता
न दाखिल करें मुकदमे : इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश
पांडेय ने अधिवक्ताओं से अपील की कि वह नए मुकदमे न दाखिल करें। उन्होंने
कहा कि मुकदमे लिखाएं जरूर लेकिन उनका दाखिला न किया जाए। तब हड़ताल का असर
अदालतों पर भी दिखने लगेगा।
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जल्द भेजी जाए खंडपीठ पर रिपोर्ट
राज्य
ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन और वरिष्ठ
अधिवक्ता बीके श्रीवास्तव ने मांग की है कि खंडपीठ पर जल्द ही रिपोर्ट
सरकार को भेजा जाए ताकि न्यायिक कार्यो में उत्पन्न गतिरोध समाप्त हो सके।
उन्होंने कहा है कि यदि रिपोर्ट नहीं भेजी जाती तो केंद्र सरकार यह
निष्कर्ष भी निकाल सकती है कि मुख्य न्यायाधीश को इस पर कोई आपत्ति नहीं
है।
बीके श्रीवास्तव के अनुसार पश्चिम में खंडपीठ पर राय देने के लिए इस
बार पांच जजों की कमेटी गठित की गई है, जबकि सात जजों की कमेटी सन 2000
में ही इससे इनकार कर चुकी है। उस समय प्रदेश में राम प्रकाश गुप्त
मुख्यमंत्री थे और उन्होंने मुख्य न्यायाधीश एसके सेन से लिखित विचार मांगे
थे। इसके अलावा छह मुख्य न्यायमूर्ति भी खंडपीठ से इनकार कर चुके हैं।
उन्होंने बताया कि उनकी पुस्तक 'अवेकनिंग अगेंस्ट बाइफरकेशन आफ हाईकोर्ट'
इसाक पूरा विवरण भी दर्ज है। उन्होंने बताया कि सिर्फ यही नहीं, दूरी के
आधार पर खंडपीठ की मांग सुप्रीम कोर्ट भी 2000 में खारिज कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि लगभग दस दिन पहले पूर्व एडवोकेट जनरल एनसी राजवंशी, बार
एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय आदि के साथ वह मुख्य न्यायमूर्ति से मिले
थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उस समय केंद्रीय मंत्री के पत्र की जानकारी
नहीं दी गई।
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