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Tuesday, October 28, 2014

ब्लैक मनीः SC की पड़ी फटकार, पूरी लिस्ट सौंपेगी सरकार

ब्लैक मनीः SC की पड़ी फटकार, पूरी लिस्ट सौंपेगी सरकार


सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को काले धन से जुड़े सभी नामों को बताने के लिए कल तक का समय दिया





सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एल एल दत्तू, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई और जस्टिस मदन बी लोकुर के शब्दों में नाराजगी थी। आखिर आप विदेशी बैंकों में खाता खोलने वालों को बचा क्यों रहे हैं? केंद्र सरकार की ओर से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को तीनों जजों ने तगड़ी झाड़ पिलाई। सीलबंद लिफाफे में विदेशी बैंकों की ओर से भेजे गए सभी भारतीय खाताधारकों के नाम देने को कहा। दरअसल केंद्र ने कोर्ट से सभी नामों का खुलासा करने के आदेश में तब्दीली करने की गुजारिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया

ब्लैक मनी पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि वह बुधवार को विदेशी खाताधारकों की पूरी लिस्ट सौंप देगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार काले धन के मुद्दे पर गंभीर है और उसे विदेशी खाताधारकों की पूरी लिस्ट कोर्ट को सौंपने में कोई ऐतराज नहीं है। जेटली ने कहा कि सरकार ने कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) को पहले ही यानी 27 जून को यह सूची सौंप दी है। कोर्ट जिस किसी भी एजेंसी से इसकी जांच करवाना चाहता है, सरकार तैयार है। इसके बाद अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह बुधवार सुबह साढ़े 10 बजे सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट सौंपेंगे।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को काले धन के मुद्दे पर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि वह सभी विदेशी खाताधारकों के नाम बताए। कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह विदेशों से मिले सभी खाता धारकों के नाम बुधवार तक कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में सौंपे।



कोर्ट ने कहा कि सरकार फ्रांस और जर्मनी से मिले सारे नाम बुधवार तक कोर्ट को बताए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रुख पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि वह वह सभी खाताधारकों के नाम एसआईटी को सौंपे और इसके बाद कोर्ट यह देखेगी कि किसकी जांच करानी है और किसकी नहीं। कोर्ट ने सरकार द्वारा उसके 2011 के आदेश को संसोधित करने की अपील को खारिज करते हुए कहा कि हम अपना आदेश संसोधित नहीं करेंगे और सरकार को सभी नाम कोर्ट को बताने होंगे।

कोर्ट ने सरकार की उस बात को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि काला धन रखने वाले सभी खाताधारकों के नाम बताने पर सहयोगी देशों के साथ उसकी संधि टूट सकती है। कोर्ट ने कहा कि सरकार पहले सभी नाम बताए इसके बाद संधि की बात देखेंगे। कोर्ट ने कहा, 'हम काले धन को वापस लाने का मुद्दा सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते।'

सोमवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में विदेशी बैंकों में काला धन रखने वाले तीन भारतीयों के नाम बताए थे, जिनमें प्रदीप बर्मन, राधा टिम्बलू, और पंकज चमनलाल लोढ़िया के नाम शामिल हैं।

इसके पहले सरकार ने कहा था कि वह 136 लोगों के नाम कोर्ट को सौंपेगी लेकिन उसने सिर्फ तीन नाम ही बताए। जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी। काले धन वाली लिस्ट में 800 लोगों के नाम होने का अनुमान है
News Source : नवभारतटाइम्स.कॉम| Oct 28, 2014, 07.28PM IST

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शिवसेना ने 10 बच्चों वाले परिवार को सम्मानित करने की खबरों को खारिज किया

शिवसेना ने 10 बच्चों वाले परिवार को सम्मानित करने की खबरों को खारिज किया

बताया जा रहा था कि ऐसे परिवारों को सम्मानित करने के लिए पार्टी नवबंर के अंत में कार्यक्रम का आयोजन करने वाली है. इन परिवारों को पार्टी की ओर से 'राष्ट्रहित में हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ाने के लिए' लिखा संदेश वाला प्रमाणपत्र भी दिया जाने की बात सामने आई थी.

हालांकि खबर का खंडन आने से पहले ही आलोचना का सिलसिला शुरू हो गया है. समाजवादी पार्टी के राजेंद्र चौधरी ने कहा कि शिवसेना सूबे में हिंसा को बढ़ावा देना चाहती है


Above News Source : AAJ TAK News


Kya Thee Khabar  : ->>>>>>>>>>>>>>>>>>
News in Jagran Paper :-
दस बच्चे जन्म देने वाले परिवारों को सम्मानित करेगी शिवसेना
Publish Date:Sun, 26 Oct 2014 05:27 PM (IST) | Updated Date:Sun, 26 Oct 2014 05:34 PM (IST)


दस बच्चे जन्म देने वाले परिवारों को सम्मानित करेगी शिवसेना

लखनऊ। शिवसेना ने एक बार फिर से हिंदुओं से अपील की है कि वह कम से कम दस बच्चे पैदा करें। पार्टी ने आगाह किया है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं है जब हिंदू अपने ही देश में अल्पसंख्यक बन जाएंगे। शिवसेना की उत्तर प्रदेश इकाई के नेता सुरेंद्र शर्मा ने एलान किया है कि पार्टी ऐसे परिवारों का सम्मान करेगी जिनके दस बच्चे होंगे।

इसके लिए पार्टी इस वर्ष नवंबर के अंत में एक समारोह का आयोजन भी करेगी, जिसमें इस तरह के परिवारों को सम्मानित किया जाएगा। इसके तहत इक्कीस हजार रुपये का ईनाम दिया जाएगा। पार्टी का कहना है कि वह जल्द ही परिवार नियोजन के खिलाफ आंदोलन चलाएगी









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Shiksha Mitra Hearing in High Court on 30 October regarding Samaojan Issue

शिक्षा मित्रों के समायोजन पर सुनवाई 30 को
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इलाहाबाद : शिक्षा मित्रों को प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक नियुक्त करने के खिलाफ याचिका की सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने केंद्र- राज्य व एनसीटीई को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का अवसर दिया है। याचिका में कहा गया है कि बिना टीईटी पास किए शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक नियुक्त नहीं किया जा सकता। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खण्डपीठ ने दिया है। इस मामले में काउंसिलिंग होने जा रही है




 



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LT Grade Teache Recruiment - Postal Order maramaaree सहायक अध्यापक भर्ती आवेदन का असर पोस्टल आर्डर के लिए खूब मची मारामारी

सहायक अध्यापक भर्ती आवेदन का असर
पोस्टल आर्डर के लिए खूब मची मारामारी
आगरा :उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड ने प्रदेश में करीब सात हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती मेरिट के आधार पर निकाली है। इससे पोस्टर आर्डर की भी मांग बढ़ गई। शहर के मुख्य डाकघर को छोड़कर सभी में पोस्टल आर्डर समाप्त हो गए।
सोमवार को मुख्य डाकघर में भी सुबह से लेकर शाम तक पोस्टल आर्डर खरीदने वालों की भारी भीड़ दिखाई दी। विभागीय सूत्रों की माने तो छोटे डाकघर वालों ने कुछ तकनीकी खामी बताकर लोगों की स्पीड पोस्ट भी नहीं की
इस कारण सारा लोड मुख्य डाकघर पर आ गया। शाम पांच बजे तक चार लाख बासठ हजार (462000) पोस्टर आर्डर की बिक्री हुई, जिनकी कीमत पांच करोड़ आठ लाख बीस हजार (50820000) रुपए थी। बताया गया है कि सेंटर कार्यालय कानपुर में अन्य प्रदेशों से पोस्टल आर्डर मंगाए हैं। आगरा मंडल में भी 369 सहायक अध्यापकों की जगह निकली हैं।
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 News Sabhar : Amar Ujala (28.10.2014)



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72825 Teacher Recruitment


72825  Teacher Recruitment




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इंटर कॉलेजों के 2448 तदर्थ शिक्षक होंगे नियमित

इंटर कॉलेजों के 2448 तदर्थ शिक्षक होंगे नियमित

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को भेजा प्रस्ताव




लखनऊ। राज्य सरकार सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में वर्ष 2000 तक रखे गए तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने की तैयारी में है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। इसके मुताबिक करीब 2448 शिक्षकों को नियमित किया जाना है। अभी तक इन शिक्षकों को हाईकोर्ट के आदेश पर वेतन मिल रहा है।

प्रदेश में इसके पहले वर्ष 1998 और 2000 में 6 अगस्त 1993 तक के तदर्थ के आधार पर रखे गए शिक्षकों को नियमित किया जा चुका है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय इसके बाद से लेकर वर्ष 2000 तक रखे गए 2448 तदर्थ शिक्षकों को नियमित करना चाहता है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें तर्क दिया गया है कि चूंकि सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की जरूरत है और ये शिक्षक हाईकोर्ट के आदेश पर स्थायी शिक्षकों के समकक्ष वेतनमान पा रहे हैं, इसलिए इन्हें नियमित कर दिया जाए। इनके नियमित होने पर राज्य सरकार के ऊपर अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव पर शासन के सहमत होने के बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पास कराना होगा।

शिक्षक संघ चाहता है कि सभी हों नियमित ः

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चाहता है कि सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में 6 अगस्त 1993 के बाद से अब तक जितने भी तदर्थ शिक्षक रखे गए हैं उन्हें नियमित किया जाए। संघ के प्रदेश प्रवक्ता आरपी मिश्रा कहते हैं कि माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली की अध्यक्षता में हुई बैठक में वर्ष 2011 तक के शिक्षकों को नियमित करने पर सहमति भी बन चुकी है। इसलिए शासन स्तर पर सभी तदर्थ शिक्षकों को नियमित करने का निर्णय लिया जाए। इससे शिक्षकों की कमी भी दूर हो जाएगी और सरकार को मुकदमेबाजी पर पैसे भी खर्च नहीं करने होंगे
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UP Board, Exam in February 2015 : मार्च नहीं, फरवरी में यूपी बोर्ड की परीक्षाएं

UP Board, Exam in February 2015 : मार्च नहीं, फरवरी में यूपी बोर्ड की परीक्षाएं

लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की परीक्षाएं इस बार 15 फरवरी से 20 मार्च के बीच हो सकती हैं। अभी तक परीक्षाएं मार्च और अप्रैल में होती थीं। सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड का सत्र 1 अप्रैल से शुरू करने को लेकर इस बार परीक्षा कार्यक्रम में बदलाव किया जा रहा है। माध्यमिक शिक्षा परिषद जल्द ही इस संबंध में मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों और जिला विद्यालय निरीक्षकों की बैठक करने के बाद प्रस्तावित परीक्षा कार्यक्रम को अंतिम रूप देगा।

यूपी बोर्ड में हर साल लगभग 72 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में बैठते हैं। इसलिए माध्यमिक शिक्षा परिषद चाहता है कि यूपी बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम नवंबर के आखिरी सप्ताह या फिर दिसंबर के पहले हफ्ते में जारी कर दिया जाए। इस दौरान 19 नवंबर तक बोर्ड परीक्षा केंद्रों के निर्धारण की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इसके बाद ही बोर्ड परीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया जाएगा ताकि जिला विद्यालय निरीक्षकों को परीक्षा कराने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए। इसी तरह हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षाएं भी इस बार दिसंबर से ही शुरू कराने की तैयारी है, जिससे बोर्ड परीक्षा से पहले छूटे हुए अभ्यर्थियों की परीक्षाएं भी हो जाएं। इसके पहले प्रयोगात्मक परीक्षाएं 10 जनवरी से शुरू होकर 10 फरवरी तक होती थीं


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शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का हंगामा

शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का हंगामा

पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया


राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव का आरोप लगाते हुए सोमवार को सैकड़ों अभ्यर्थियों ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के कार्यालय परिसर में हंगामा किया। अभ्यर्थियों ने एससीईआरटी निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि भर्ती के लिए प्रत्येक काउंसिलिंग के दौरान जारी की गई हर जिले की मदर सूची को भी ऑनलाइन जारी किया जाए। हर काउंसिलिंग के बाद जांच में सही पाये गए अभ्यर्थियों की सूची भी समस्त जानकारी के साथ अगली काउंसिलिंग से पहले ऑनलाइन जारी की जाए। इसमें अभ्यर्थी व उनके पिता का नाम, टीईटी अनुक्रमांक, कंट्रोल आइडी, कंप्यूटर आइडी, जन्मतिथि, वर्ग, स्नातक प्रतिशत आदि का जिक्र हो। अगली काउंसिलिंग से पहले सभी जिलों की खाली सीटों की जानकारी भी ऑनलाइन की जाए। किसी भी काउंसिलिंग से पहले औपबंधिक काउंसिलिंग कराने वाले अभ्यर्थियों के टीईटी अनुक्रमांक व अंकों का सत्यापन जल्दी कराया जाए। पारदर्शिता के लिहाज से अभ्यर्थियों ने उप्र टीईटी 2011 का परीक्षा परिणाम और 2011 में आये आवेदन पत्रों का डाटा ऑनलाइन करने की भी मांग की है




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Monday, October 27, 2014

काला धनः केंद्र पर बरसे केजरीवाल, किया 15 नामों का खुलासा

काला धनः केंद्र पर बरसे केजरीवाल, किया 15 नामों का खुलासा

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FUNNY QUOTE ON SOCIAL MEDIA : भारत सकार ने पुष्टि की है की बीवी के मेकअप के ख़र्चे से दुखी लोग जो आफ़िस मे छुपा के पैसे रखते है उसे काला धन नही कहते
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केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में काले धन पर दिए गए हलफनामे में तीन नामों का खुलासा किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी 15 और नाम गिना दिए और दावा किया कि इन लोगों ने भी बड़ी मात्रा में काला धन जमा किया हुआ है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार इन लोगों को बचाना चाहती है इसलिए इन नामों पर पर्दा डाला जा रहा है। केजरीवाल ने जिन 15 नामों का खुलासा किया उनमें मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, कोकिलाबेन अंबानी, नरेश गोयल, संदीप टंडन और अनु टंडन का नाम शामिल है। केजरीवाल ने कहा, 'दो साल पहले 9 नवंबर, 2012 को प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ही इन नामों का खुलासा किया था। लेकिन, तब कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की थी और अब बीजेपी की सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है।'
केजरीवाल ने मीडिया को दोनों सरकारों द्वारा इन15 लोगों को बचाने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा, 'पहले लोकसभा चुनाव और फिर हाल के हरियाणा एवं महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों ने हजारों करोड़ रुपये खर्च किए। यह पैसे कहां से आए?' आप संयोजक ने इशारों ही इशारों में यह जता दिया कि चुनावों में दोनों पार्टियों की फंडिंग उन्हीं लोगों ने की, जिनके नाम वह (केजरीवाल) गिनवा रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा कि कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़े औद्योगिक समूह के अस्पताल का उद्घाटन किया था। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट समेत सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को सीधा संदेश गया कि इन्हें (औद्योगिक समूह के मालिक को) नहीं छूना है। केजरीवाल का इशारा मुकेश अंबानी की ओर था। प्रधानमंत्री मुंबई में अंबानी समूह की ओर से आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि थे, जिसमें अमिताभ बच्चन, सचिन तेंडुलकर समेत फिल्म और खेल जगत की कई हस्तियां शामिल हुई थीं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि पीएम ने जिन 9 प्रभावशाली लोगों को स्वच्छता अभियान का ब्रैंड ऐंबैस्डर बनाया, उनके खिलाफ कोई एंजेसी कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचेगी। उन्होंने कहा कि पीएम जिन लोगों से अपनी निकटता जाहिर करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है

News Sabhaar : नवभारतटाइम्स.कॉम| Oct 27, 2014, 06.00PM IST
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कालाधन की आरोपी राधा टिम्बलू ने बीजेपी को दिया था करोड़ों का चंदा

 प्रदीप बर्मन, राधा टिम्बलू और पंकज चमनलाल
काला धन मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर तीन नामों का खुलासा किया है. सोमवार सुबह से इस बाबत गोवा की खनन कारोबारी राधा सतीश टिम्बलू, डाबर ग्रुप के चेयरमैन प्रदीप बर्मन और राजकोट के कारोबारी पंकज चमनलाल का नाम चर्चा में रहा. लेकिन शाम ढलते-ढलते इलेक्शन कमीशन वॉच की एक खबर ने इसे नया मोड़ दे दिया. मामले में नया खुलासा यह है कि टिम्बलू प्राइवेट लिमिटेड ने बीते 9 वर्षों में सिर्फ बीजेपी को 1.18 करोड़ रुपये चुनावी चंदा दिया है.

राजनैतिक दलों के लिए कॉरपोरेट कंपिनयों से चंदे की चाहत कोई नई बात नहीं है. लेकिन इलेक्शन कमीशन वॉच की खबर ने कालाधन मामले में नया रोमांच जरूर जोड़ दिया है. इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच राधा टिम्बलू ने बीजेपी को 1.18 करोड़, जबकि 7 वर्षों में कांग्रेस को 65 लाख रुपये का चंदा दिया है. यही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2011-12 में राजकोट के चमनभाई लोढ़ि‍या ने भी बीजेपी को 51 हजार रुपये का चंदा दिया है.

गौरतलब है कि देश में 13 इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं, जिनमें सिर्फ 7 सीबीडीटी से अप्रूव हैं. इसके पीछे कारण यह है कि इन ट्रस्ट का निर्माण 2013 में सीबीडीटी रूल्स आने के बाद हुआ. बाकी छह ट्रस्ट सीबीडीटी से अप्रूव नहीं हैं इसलिए नियमों के मुताबिक वह चंदा देने के क्रम में इस बाबत कोई जानाकरी साझा नहीं करते.

सीबीडीटी नियमों के मुताबिक सभी 7 ट्रस्ट को अपने चंदे की जानकारी निर्वाचन आयोग को देनी होती है. दिलचस्प यह भी है कि बाकी 6 ट्रस्ट ने भी वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच 105 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिसकी बारे में निर्वाचन आयोग को अधि‍क जानकारी नहीं है.

इसका अर्थ यह हुआ कि जानकारी के अभाव में यह कहना मुश्कि‍ल है कि बाकी 6 ट्रस्ट के जरिए कंपिनयों ने दलों को जो चंदा दिया वह वाकई टैक्स से छूट का आधार था या कालेधन को सफेद करने का एक तरीका. जाहिर तौर पर खुलासों और कालेधन के इस दौर में जरूरत इस बात की भी है कि बाकी 6 इलेक्टोरल ट्रस्ट चंदे की रकम के बारे में विस्तार से जानकारी दें ताकि सही मायने में कालेधन पर स्थि‍ति साफ हो सके. इन 6 ट्रस्ट में जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट, इलेक्टोरल ट्रस्ट, कॉरपोरेट इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारती इलेक्टोरल ट्रस्ट और सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट के नाम शामिल हैं.

News Source : http://aajtak.intoday.in/story/black-money-timblo-pvt-ltd-donated-a-total-of-1.83-crores-to-bjp-in-nine-years-1-785283. html
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राम जेठमलानी और स्वामी क्या चाहते हैं?
भारत सरकार को यूरोप के देशों से 800 भारतीयों के बैंक खातों की सूची मिली थी. राम जेठमलानी और सुब्रमण्यम स्वामी उन लोगों के नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं जिनके नाम यूरोप से दी गई सूची में शामिल हैं. बीजेपी जब विपक्ष में थी तब उसने मनमोहन सरकार से लिस्ट को सार्वजनिक करने की जोरदार मांग की थी.


हर जगह से सवाल हो रहा है. लिस्ट को सार्वजनिक करने में जो समस्या यूपीए सरकार बताती थी वही मुश्किल बीजेपी सरकार बता रही है.
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136 नाम ही क्यों बता जाएंगे?

सरकार 136 खाताधारियों का नाम कोर्ट को बता सकती है. सवाल उठ रहा है आखिर 136 नाम ही क्यों.

भारत सरकार के पास यूं तो विदेशी बैंकों के 800 भारतीय खाताधारकों के बारे में जानकारी है पर सरकार का कहना है कि वो सिर्फ इनमें से 136 लोगों के नाम ही बता सकती है.

सरकार का कहना है कि जिन खाताधारकों के खिलाफ भारतीय अधिकारी आरोप दायर कर रहे हैं, सरकार उनके नाम अदालत के सामने उजागर कर देगी. सभी खाता धारकों का नाम इसलिए नहीं बताया जा सकता क्योंकि जरूरी नहीं कि सभी खाताधारी काला धन रखते हों.

वरिषठ वकील राम जेठमलानी ने पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और अब उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिख कर सवाल पूछा है कि आखिर सभी 800 विदेशी खाताधारकों के नाम बताने में क्या परेशानी है. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सवाल किया है.
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कहां से आया 800 खाताधारियों के नाम

विदेशी बैंकों में जिन 800 खाताधारियों के नाम सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है आखिर उनका नाम भारत में आया कैसे.

भारत से काला धन इकठ्ठा कर विदेशी बैंकों में जमा करने वालों के राज़ धीरे-धीरे खुलना शुरू हुआ. जेनेवा में फ़्रांस सरकार ने भारत को 700 बैंक खातों की सूची सौंपी, जिसके बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज इन खातों की जांच में जुट गया. जर्मनी ने भी भारत सरकार को उन लोगों के नाम की सूची सौंपी जिनके विदेशी खातों में पैसे जमा हैं.
News Sabhaar : ABP News



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