अब सड़क पर दौड़ेगी बिना ड्राइवर वाली गूगल कार... #GoogleCar
News Date : 17 May 2015
अब वह दिन दूर नहीं जब सभी लोग ड्राइव करने के साथ-साथ फोन पर बात ही नहीं बल्कि कॉफी पी सकेंगे, मेसेज कर सकेंगे और लैपटॉप पर काम भी कर सकेंगे।
गूगल ने शुक्रवार को घोषणा की कि जल्द ही उसकी सेल्फ ड्राइविंग कारों के कई प्रोटोटाइप संस्करण कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में चलते नजर आएंगे। हालांकि इसे टेस्टिंग के तौर पर उतारा जा रहा है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिसके जरिए लोग सेल्फ ड्राइविंग कारों में सवारी कर सकेंगे। गूगल लंबे समय से सेल्फ ड्राइविंग टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग कर रही है, जो सड़कों पर करीब 16 लाख किलोमीटर चल चुकी और उसमें हर हफ्ते लगातार 16 हजार किलोमीटर जुड़ते जा रहे हैं।
पार्किंग की रहेगी समस्या
मुश्किल यह पता लगाने में आएगी कि इन सब जानकारी के साथ करना क्या है। पार्किंग के लिए कार को ऐसी तकनीक की जरूरत होगी, जिसे पता हो कि वह ऐसी जगह ड्राइव कर रहा है जहां पैदल चलने वाले और साइकिल चलाने वाले भी हैं। इन कारों में पार्किंग एक बहुत बड़ा मुद्दा है। फोर्ड जैसी कंपनियां पहले से ही ऐसी कारें उतार चुकी हैं जो खुद पार्किंग कर लेती हैं। फ्रेंच कंपनी वालियो भी कई ऑटोमेकर्स के साथ खुद को पार्क करने वाली तकनीक पर काम कर रही है। ऐसी पार्किंग तकनीक जिसमें आप अपनी गाड़ी को गैराज में छोड़ देंगे और गाड़ी खुद पार्किंग ढूंढ़ेगी खुद को पार्क करेगी।
रडार व कैमरे काफी विकसित
सेल्फ ड्राइविंग कारों में अब हार्डवेयर से ज्यादा जरूरी सॉफ्टवेयर है। गूगल द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे रडार, लेजर और कैमरे इतने विकसित हो गए हैं कि वह आसानी से सभी दिशाओं में सड़क की निगरानी कर सकते हैं, यहां तक कि वह भी जो आखें देख पाएं। पारंपरिक कंपनियां भी सेल्फ ड्राइविंग कार तकनीक पर जोर दे रही हैं। माना जा रहा है कि 2020 तक सेल्फ ड्राइविंग कारों का सपना पूरा हो जाएगा।
News Date : 17 May 2015
अब वह दिन दूर नहीं जब सभी लोग ड्राइव करने के साथ-साथ फोन पर बात ही नहीं बल्कि कॉफी पी सकेंगे, मेसेज कर सकेंगे और लैपटॉप पर काम भी कर सकेंगे।
गूगल ने शुक्रवार को घोषणा की कि जल्द ही उसकी सेल्फ ड्राइविंग कारों के कई प्रोटोटाइप संस्करण कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में चलते नजर आएंगे। हालांकि इसे टेस्टिंग के तौर पर उतारा जा रहा है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिसके जरिए लोग सेल्फ ड्राइविंग कारों में सवारी कर सकेंगे। गूगल लंबे समय से सेल्फ ड्राइविंग टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग कर रही है, जो सड़कों पर करीब 16 लाख किलोमीटर चल चुकी और उसमें हर हफ्ते लगातार 16 हजार किलोमीटर जुड़ते जा रहे हैं।
पार्किंग की रहेगी समस्या
मुश्किल यह पता लगाने में आएगी कि इन सब जानकारी के साथ करना क्या है। पार्किंग के लिए कार को ऐसी तकनीक की जरूरत होगी, जिसे पता हो कि वह ऐसी जगह ड्राइव कर रहा है जहां पैदल चलने वाले और साइकिल चलाने वाले भी हैं। इन कारों में पार्किंग एक बहुत बड़ा मुद्दा है। फोर्ड जैसी कंपनियां पहले से ही ऐसी कारें उतार चुकी हैं जो खुद पार्किंग कर लेती हैं। फ्रेंच कंपनी वालियो भी कई ऑटोमेकर्स के साथ खुद को पार्क करने वाली तकनीक पर काम कर रही है। ऐसी पार्किंग तकनीक जिसमें आप अपनी गाड़ी को गैराज में छोड़ देंगे और गाड़ी खुद पार्किंग ढूंढ़ेगी खुद को पार्क करेगी।
रडार व कैमरे काफी विकसित
सेल्फ ड्राइविंग कारों में अब हार्डवेयर से ज्यादा जरूरी सॉफ्टवेयर है। गूगल द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे रडार, लेजर और कैमरे इतने विकसित हो गए हैं कि वह आसानी से सभी दिशाओं में सड़क की निगरानी कर सकते हैं, यहां तक कि वह भी जो आखें देख पाएं। पारंपरिक कंपनियां भी सेल्फ ड्राइविंग कार तकनीक पर जोर दे रही हैं। माना जा रहा है कि 2020 तक सेल्फ ड्राइविंग कारों का सपना पूरा हो जाएगा।