News : गांव वालों ने बनाया अपना मॉल, सामान बाजार से सस्ते
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यह एक बहुत अच्छा तरीका है जब लोग इकठ्ठा समान खरीदते हैं तो लागत अपने आप काम आती है ।
और अगर इसका वितरण / डिस्ट्रिब्यूशन अच्छे से हो जाता है यो खरीदने वाले को लागत स्वत बहुत काम हो जाती है
मसलन मान लीजिए की पसेरी (पांच किलो ) आलू की कीमत - 25 रूपए है , और वही आलू की कीमत बाजार भाव 10 रूपए प्रति किलो है ।
अगर कुछ परिवार मिलकर इकठ्ठा पसेरी आलू खरीदते हैं और आपस में आलू एक एक किलो आलू बाँट लेते हैं तो उनको कीमत पडी - पांच रूपए प्रति किलो
यही बाजार में माल आदि का सिस्टम है , बड़ी मात्र में सामान सस्ते दाम में खरीद करके ज्यादा मुनाफा कमाते हैं
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जालंधर
आमतौर पर मॉल्स शहरों में होते हैं लेकिन पंजाब के सीचेवाल में लोगों ने अपने ही गांव में मॉल बना लिया है। यहां एक ही छत के नीचे जरुरत का हर सामान मार्केट प्राइस और एमआरपी से बेहद कम दाम पर उपलब्ध है।
जालंधर जिले के सींचेवाल गांव के तकरीबन दस लोगों ने मिल एक सोसायटी बनाई। उन्होंने बड़े पैमाने पर सफाई अभियान तथा पानी की सफाई का अभियान चलाने वाले स्थानीय समाज सेवक बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल के सहयोग से इस मॉल की शुरुआत की
गांव में मॉल चलाने के लिए बनाई गई सोसायटी 'ओंकार समाज भलाई सोसायटी' के संरक्षक सीचेवाल ने बताया, 'दिनों दिन बढ़ रही महंगाई और बाजार में उपलब्ध, स्वास्थ खराब करने वाले सामान के मद्देनजर गांव के दस लोगों ने मिलकर एक सोसायटी बनाई और गांव का अपना माल खोलने का विचार रखा । इसके लिए गांव में ही डेरे की जमीन पर इमारत बनवा दी गई और उसमें इसकी शुरुआत कर दी गई है।'
यह सोसायटी जालंधर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर है। सोसायटी के सचिव कुलविंदर सिंह बताते हैं, 'हर सामान पर हमने अपना मार्जिन कम कर दिया है। हम जिन मूल्यों पर सामान लेकर आते हैं उनका केवल 5-10% मुनाफा ले रहे हैं क्योंकि इसी मुनाफे से माल के खर्चे निकालने हैं। इसका नतीजा यह होता है कि यहां हर सामान मार्केट प्राइस से काफी कम दाम में लोगों को मिल रहा है।'
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यह एक बहुत अच्छा तरीका है जब लोग इकठ्ठा समान खरीदते हैं तो लागत अपने आप काम आती है ।
और अगर इसका वितरण / डिस्ट्रिब्यूशन अच्छे से हो जाता है यो खरीदने वाले को लागत स्वत बहुत काम हो जाती है
मसलन मान लीजिए की पसेरी (पांच किलो ) आलू की कीमत - 25 रूपए है , और वही आलू की कीमत बाजार भाव 10 रूपए प्रति किलो है ।
अगर कुछ परिवार मिलकर इकठ्ठा पसेरी आलू खरीदते हैं और आपस में आलू एक एक किलो आलू बाँट लेते हैं तो उनको कीमत पडी - पांच रूपए प्रति किलो
यही बाजार में माल आदि का सिस्टम है , बड़ी मात्र में सामान सस्ते दाम में खरीद करके ज्यादा मुनाफा कमाते हैं
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जालंधर
आमतौर पर मॉल्स शहरों में होते हैं लेकिन पंजाब के सीचेवाल में लोगों ने अपने ही गांव में मॉल बना लिया है। यहां एक ही छत के नीचे जरुरत का हर सामान मार्केट प्राइस और एमआरपी से बेहद कम दाम पर उपलब्ध है।
जालंधर जिले के सींचेवाल गांव के तकरीबन दस लोगों ने मिल एक सोसायटी बनाई। उन्होंने बड़े पैमाने पर सफाई अभियान तथा पानी की सफाई का अभियान चलाने वाले स्थानीय समाज सेवक बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल के सहयोग से इस मॉल की शुरुआत की
गांव में मॉल चलाने के लिए बनाई गई सोसायटी 'ओंकार समाज भलाई सोसायटी' के संरक्षक सीचेवाल ने बताया, 'दिनों दिन बढ़ रही महंगाई और बाजार में उपलब्ध, स्वास्थ खराब करने वाले सामान के मद्देनजर गांव के दस लोगों ने मिलकर एक सोसायटी बनाई और गांव का अपना माल खोलने का विचार रखा । इसके लिए गांव में ही डेरे की जमीन पर इमारत बनवा दी गई और उसमें इसकी शुरुआत कर दी गई है।'
यह सोसायटी जालंधर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर है। सोसायटी के सचिव कुलविंदर सिंह बताते हैं, 'हर सामान पर हमने अपना मार्जिन कम कर दिया है। हम जिन मूल्यों पर सामान लेकर आते हैं उनका केवल 5-10% मुनाफा ले रहे हैं क्योंकि इसी मुनाफे से माल के खर्चे निकालने हैं। इसका नतीजा यह होता है कि यहां हर सामान मार्केट प्राइस से काफी कम दाम में लोगों को मिल रहा है।'