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Sunday, August 16, 2015

सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार का खेल - खोखला सिस्टम

सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार का खेल - खोखला सिस्टम


यथार्थ स्थिति ये है कि भ्रस्टाचार की जड़ें अभी भी बहुत मजबूत है ,
प्रधान मंत्री जी का तहे दिल से शुक्रगुजार है की उन्होंने सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार से चयन को सही नहीं ठहराया है ।
लेकिन बहुत सारे करप्ट लोग  इंटरवियु की बैकडोर एंट्री के जरिये जड़ें जमा चुके हैं , और उच्च पदों पर आसीन है ।
रिज़ल्ट के नाम पर ठेंगा है इनके पास , चाहे तो करप्शन डी आर डी ओ की वेबसाइट देखें या फिर तमाम सरकारी  विभागों का आकलन करें
डी आर डी ओ में भी प्रधान मंत्री जी ने इसको दो भागों में 35 साल से कम और 35 साल से ज्यादा में वर्गीकृत कर क्षमता दिखाने को कहा ।
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=281415455378047&id=273962606123332

http://corruptionindrdo.com/modi-caught-in-nuclear-war-at-barc/
 http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2014/10/drdo-recruitment-scam.html


वास्तव में डी आर डी ओ में फंडा क्या है - पुराने समय में पी एच डी पास लोगों को सीधे इंटरवियु के आधार पर चयनित कर लेते थे , और पी एच डी हम लोग जानते हैं की कितनी लोगों को जुगाड़ से भी मिलती , सिफारिश का खेल जोरों पर था
2002 से डी आर डी ओ चयन पद्दति में बदलाव तो लाया गया उसमे सेट (साइंटिस्ट एंट्री टेस्ट ) पास करना अनिवार्य कर दिया , लेकिन उसके बाद भी जुगाड़ी पद्दति चलती है ।
डी आर डी ओ में देश के लोगों का खून पसीने कमाया हुआ पैसा लगता है । वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इंटरवियु के दम पर अपनी बेटी का चयन करा लिया , लेकिन उसकी बेटी के पास डिग्री चयन मापदंड के अनुसार न होकर दुसरी विषय की डिग्री थी । ये घटना तो सामने आ गयी लेकिन सिफारिश का खेल कैसे सामने आता ।

लेकिन बात सिर्फ डी आर डी ओ की ही नहीं है , केंद्र सरकार के तमाम विभागों में इंटरवियु का खेल चलता है , बड़े पदों पर खूब चलता है , क्यूंकि कोई स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं होता ।  सब सिफारिश का धंधा चलता है और ये लोग देश को देते क्या हैं ???

http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2014/08/high-school-bhee-pass-nahin-ban-gaye.html

बहुत सारी ऑटोनोमस,सेमी गवर्नमेंट संस्थाएं मनमानी से बड़े पदों - निदेशक आदि पर सीधे साक्षात्कार के आधार पर बैठा देती हैं , लेकिन उन लोगो ने वास्तव में किया क्या  है और क्या कर रहे हैं ।
ये संस्थाएं नाम की सेमी गवर्नमेंट हैं , खर्चा - पानी सरकार के रहमो करम से आता है ।
डिग्री कॉलेजों में लेक्चरार के पद पर इंटरवियु ही होता है और नेट उत्तीर्ण तक फेल हो जाते हैं और लल्लू छाप पी एच डी पास मजे से पास हो जाता है ।

अब उत्तर प्रदेश  लोक सेवा आयोग पर तमाम प्रश्न उठे - चाहे वह त्रि स्तरीय आरक्षण हो या फिर यादवों का साक्षात्कार में अधिक अंक पाना हो

वास्तव में कई सालों से भारत का आम नागरिक इंटरवियु के नाम पर ठगी का शिकार होता आ रहा है , और इस परिपाटी को बंद कर
2 -3 -4  चरणो की थर्ड पार्टी के माध्यम से परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए ।

सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट एक बहुत अच्छा उदाहरण है अच्छे और योग्य लोगो को चुनने की दिशा के एक कदम का

इंटरवियु के नाम पर खेल बंद होने चाहिए , और सरकारी खजाने में लूट पाट पर रोक लगनी चाहिए



यथार्थ स्थिति ये है कि भ्रस्टाचार की जड़ें अभी भी बहुत मजबूत है ,
प्रधान मंत्री जी का तहे दिल से शुक्रगुजार है की उन्होंने सरकारी नौकरियों में साक्षात्कार से चयन को सही नहीं ठहराया है ।
लेकिन बहुत सारे करप्ट लोग  इंटरवियु की बैकडोर एंट्री के जरिये जड़ें जमा चुके हैं , और उच्च पदों पर आसीन है ।
रिज़ल्ट के नाम पर ठेंगा है इनके पास , चाहे तो करप्शन डी आर डी ओ की वेबसाइट देखें या फिर तमाम सरकारी  विभागों का आकलन करें
डी आर डी ओ में भी प्रधान मंत्री जी ने इसको दो भागों में 35 साल से कम और 35 साल से ज्यादा में वर्गीकृत कर क्षमता दिखाने को कहा ।

वास्तव में डी आर डी ओ में फंडा क्या है - पुराने समय में पी एच डी पास लोगों को सीधे इंटरवियु के आधार पर चयनित कर लेते थे , और पी एच डी हम लोग जानते हैं की कितनी लोगों को जुगाड़ से भी मिलती , सिफारिश का खेल जोरों पर था
2002 से डी आर डी ओ चयन पद्दति में बदलाव तो लाया गया उसमे सेट (साइंटिस्ट एंट्री टेस्ट ) पास करना अनिवार्य कर दिया , लेकिन उसके बाद भी जुगाड़ी पद्दति चलती है ।
डी आर डी ओ में देश के लोगों का खून पसीने कमाया हुआ पैसा लगता है । वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इंटरवियु के दम पर अपनी बेटी का चयन करा लिया , लेकिन उसकी बेटी के पास डिग्री चयन मापदंड के अनुसार न होकर दुसरी विषय की डिग्री थी । ये घटना तो सामने आ गयी लेकिन सिफारिश का खेल कैसे सामने आता ।

लेकिन बात सिर्फ डी आर डी ओ की ही नहीं है , केंद्र सरकार के तमाम विभागों में इंटरवियु का खेल चलता है , बड़े पदों पर खूब चलता है , क्यूंकि कोई स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं होता ।  सब सिफारिश का धंधा चलता है और ये लोग देश को देते क्या हैं ???

बहुत सारी ऑटोनोमस,सेमी गवर्नमेंट संस्थाएं मनमानी से बड़े पदों - निदेशक आदि पर सीधे साक्षात्कार के आधार पर बैठा देती हैं , लेकिन उन लोगो ने वास्तव में किया क्या  है और क्या कर रहे हैं ।
ये संस्थाएं नाम की सेमी गवर्नमेंट हैं , खर्चा - पानी सरकार के रहमो करम से आता है ।
डिग्री कॉलेजों में लेक्चरार के पद पर इंटरवियु ही होता है और नेट उत्तीर्ण तक फेल हो जाते हैं और लल्लू छाप पी एच डी पास मजे से पास हो जाता है ।

अब उत्तर प्रदेश  लोक सेवा आयोग पर तमाम प्रश्न उठे - चाहे वह त्रि स्तरीय आरक्षण हो या फिर यादवों का साक्षात्कार में अधिक अंक पाना हो

वास्तव में कई सालों से भारत का आम नागरिक इंटरवियु के नाम पर ठगी का शिकार होता आ रहा है , और इस परिपाटी को बंद कर
2 -3 -4  चरणो की थर्ड पार्टी के माध्यम से परीक्षाएं आयोजित की जानी चाहिए ।

सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट एक बहुत अच्छा उदाहरण है अच्छे और योग्य लोगो को चुनने की दिशा के एक कदम का

इंटरवियु के नाम पर खेल बंद होने चाहिए , और सरकारी खजाने में लूट पाट पर रोक लगनी चाहिए