काला धनः केंद्र पर बरसे केजरीवाल, किया 15 नामों का खुलासा
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FUNNY QUOTE ON SOCIAL MEDIA : भारत सकार ने पुष्टि की है की बीवी के मेकअप के ख़र्चे से दुखी लोग जो आफ़िस मे छुपा के पैसे रखते है उसे काला धन नही कहते
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केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में काले धन पर दिए गए हलफनामे में
तीन नामों का खुलासा किए जाने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद
केजरीवाल ने भी 15 और नाम गिना दिए और दावा किया कि इन लोगों ने भी बड़ी
मात्रा में काला धन जमा किया हुआ है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में
केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार इन लोगों को बचाना चाहती है इसलिए इन नामों
पर पर्दा डाला जा रहा है।
केजरीवाल ने जिन 15 नामों का खुलासा किया उनमें
मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, कोकिलाबेन अंबानी, नरेश गोयल, संदीप टंडन और
अनु टंडन का नाम शामिल है। केजरीवाल ने कहा, 'दो साल पहले 9 नवंबर, 2012 को
प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए ही इन नामों का खुलासा किया था। लेकिन, तब
कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की थी और अब
बीजेपी की सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है।'
केजरीवाल ने मीडिया को
दोनों सरकारों द्वारा इन15 लोगों को बचाने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा,
'पहले लोकसभा चुनाव और फिर हाल के हरियाणा एवं महाराष्ट्र के विधानसभा
चुनावों में दोनों पार्टियों ने हजारों करोड़ रुपये खर्च किए। यह पैसे कहां
से आए?' आप संयोजक ने इशारों ही इशारों में यह जता दिया कि चुनावों में
दोनों पार्टियों की फंडिंग उन्हीं लोगों ने की, जिनके नाम वह (केजरीवाल)
गिनवा रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा कि कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी ने एक बड़े औद्योगिक समूह के अस्पताल का उद्घाटन किया था।
इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट समेत सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को
सीधा संदेश गया कि इन्हें (औद्योगिक समूह के मालिक को) नहीं छूना है।
केजरीवाल का इशारा मुकेश अंबानी की ओर था। प्रधानमंत्री मुंबई में अंबानी
समूह की ओर से आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि थे, जिसमें अमिताभ बच्चन, सचिन
तेंडुलकर समेत फिल्म और खेल जगत की कई हस्तियां शामिल हुई थीं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि पीएम ने जिन 9
प्रभावशाली लोगों को स्वच्छता अभियान का ब्रैंड ऐंबैस्डर बनाया, उनके खिलाफ
कोई एंजेसी कार्रवाई करने से पहले सौ बार सोचेगी। उन्होंने कहा कि पीएम
जिन लोगों से अपनी निकटता जाहिर करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की
उम्मीद नहीं की जा सकती है
News Sabhaar : नवभारतटाइम्स.कॉम| Oct 27, 2014, 06.00PM IST
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कालाधन की आरोपी राधा टिम्बलू ने बीजेपी को दिया था करोड़ों का चंदा
प्रदीप बर्मन, राधा टिम्बलू और पंकज चमनलाल
काला धन मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर तीन नामों का खुलासा किया है. सोमवार सुबह से इस बाबत गोवा की खनन कारोबारी राधा सतीश टिम्बलू, डाबर ग्रुप के चेयरमैन प्रदीप बर्मन और राजकोट के कारोबारी पंकज चमनलाल का नाम चर्चा में रहा. लेकिन शाम ढलते-ढलते इलेक्शन कमीशन वॉच की एक खबर ने इसे नया मोड़ दे दिया. मामले में नया खुलासा यह है कि टिम्बलू प्राइवेट लिमिटेड ने बीते 9 वर्षों में सिर्फ बीजेपी को 1.18 करोड़ रुपये चुनावी चंदा दिया है.
राजनैतिक दलों के लिए कॉरपोरेट कंपिनयों से चंदे की चाहत कोई नई बात नहीं है. लेकिन इलेक्शन कमीशन वॉच की खबर ने कालाधन मामले में नया रोमांच जरूर जोड़ दिया है. इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच राधा टिम्बलू ने बीजेपी को 1.18 करोड़, जबकि 7 वर्षों में कांग्रेस को 65 लाख रुपये का चंदा दिया है. यही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2011-12 में राजकोट के चमनभाई लोढ़िया ने भी बीजेपी को 51 हजार रुपये का चंदा दिया है.
गौरतलब है कि देश में 13 इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं, जिनमें सिर्फ 7 सीबीडीटी से अप्रूव हैं. इसके पीछे कारण यह है कि इन ट्रस्ट का निर्माण 2013 में सीबीडीटी रूल्स आने के बाद हुआ. बाकी छह ट्रस्ट सीबीडीटी से अप्रूव नहीं हैं इसलिए नियमों के मुताबिक वह चंदा देने के क्रम में इस बाबत कोई जानाकरी साझा नहीं करते.
सीबीडीटी नियमों के मुताबिक सभी 7 ट्रस्ट को अपने चंदे की जानकारी निर्वाचन आयोग को देनी होती है. दिलचस्प यह भी है कि बाकी 6 ट्रस्ट ने भी वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच 105 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिसकी बारे में निर्वाचन आयोग को अधिक जानकारी नहीं है.
इसका अर्थ यह हुआ कि जानकारी के अभाव में यह कहना मुश्किल है कि बाकी 6 ट्रस्ट के जरिए कंपिनयों ने दलों को जो चंदा दिया वह वाकई टैक्स से छूट का आधार था या कालेधन को सफेद करने का एक तरीका. जाहिर तौर पर खुलासों और कालेधन के इस दौर में जरूरत इस बात की भी है कि बाकी 6 इलेक्टोरल ट्रस्ट चंदे की रकम के बारे में विस्तार से जानकारी दें ताकि सही मायने में कालेधन पर स्थिति साफ हो सके. इन 6 ट्रस्ट में जनरल इलेक्टोरल ट्रस्ट, इलेक्टोरल ट्रस्ट, कॉरपोरेट इलेक्टोरल ट्रस्ट, भारती इलेक्टोरल ट्रस्ट और सत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट के नाम शामिल हैं.
News Source : http://aajtak.intoday.in/story/black-money-timblo-pvt-ltd-donated-a-total-of-1.83-crores-to-bjp-in-nine-years-1-785283. html
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राम जेठमलानी और स्वामी क्या चाहते हैं?
भारत सरकार को यूरोप के देशों से 800 भारतीयों के बैंक खातों की सूची मिली थी. राम जेठमलानी और सुब्रमण्यम स्वामी उन लोगों के नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं जिनके नाम यूरोप से दी गई सूची में शामिल हैं. बीजेपी जब विपक्ष में थी तब उसने मनमोहन सरकार से लिस्ट को सार्वजनिक करने की जोरदार मांग की थी.
हर जगह से सवाल हो रहा है. लिस्ट को सार्वजनिक करने में जो समस्या यूपीए सरकार बताती थी वही मुश्किल बीजेपी सरकार बता रही है.
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136 नाम ही क्यों बता जाएंगे?
सरकार 136 खाताधारियों का नाम कोर्ट को बता सकती है. सवाल उठ रहा है आखिर 136 नाम ही क्यों.
भारत सरकार के पास यूं तो विदेशी बैंकों के 800 भारतीय खाताधारकों के बारे में जानकारी है पर सरकार का कहना है कि वो सिर्फ इनमें से 136 लोगों के नाम ही बता सकती है.
सरकार का कहना है कि जिन खाताधारकों के खिलाफ भारतीय अधिकारी आरोप दायर कर रहे हैं, सरकार उनके नाम अदालत के सामने उजागर कर देगी. सभी खाता धारकों का नाम इसलिए नहीं बताया जा सकता क्योंकि जरूरी नहीं कि सभी खाताधारी काला धन रखते हों.
वरिषठ वकील राम जेठमलानी ने पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और अब उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिख कर सवाल पूछा है कि आखिर सभी 800 विदेशी खाताधारकों के नाम बताने में क्या परेशानी है. बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सवाल किया है.
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कहां से आया 800 खाताधारियों के नाम
विदेशी बैंकों में जिन 800 खाताधारियों के नाम सार्वजनिक करने की मांग की जा रही है आखिर उनका नाम भारत में आया कैसे.
भारत से काला धन इकठ्ठा कर विदेशी बैंकों में जमा करने वालों के राज़ धीरे-धीरे खुलना शुरू हुआ. जेनेवा में फ़्रांस सरकार ने भारत को 700 बैंक खातों की सूची सौंपी, जिसके बाद सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज इन खातों की जांच में जुट गया. जर्मनी ने भी भारत सरकार को उन लोगों के नाम की सूची सौंपी जिनके विदेशी खातों में पैसे जमा हैं.
News Sabhaar : ABP News