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Tuesday, October 4, 2016

राफेल डील: रिलायंस, दसो एविएशन ने बनाया जॉइंट वेंचर Reliance निभाएगा राफेल डील में महत्वपूर्ण

राफेल डील: रिलायंस, दसो एविएशन ने बनाया जॉइंट वेंचर
Reliance निभाएगा राफेल डील में महत्वपूर्ण

भाषा | Oct 3, 2016, 02:55PM IST




नई दिल्ली
देश में निजी रक्षा उद्योग के क्षेत्र में हुए एक बड़े सौदे के तहत अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस समूह तथा राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसो एविएशन ने जॉइंट वेंचर लगाने की घोषणा की। यह संयुक्त उद्यम लड़ाकू जेट सौदे के तहत 22,000 करोड़ रुपये के 'ऑफसेट' कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा।


भारत और फ्रांस के 23 सितंबर को 36 राफेल लड़ाकू जेट के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद संयुक्त उद्यम दसो रिलायंस एयरोस्पेस गठित किए जाने की घोषणा हुई है। लड़ाकू विमान का यह सौदा 7.87 अरब यूरो (करीब 59,000 करोड़ रुपये) का है। 'ऑफसेट' कॉन्ट्रैक्ट के तहत संबंधित कंपनी को सौदे की राशि का एक निश्चित प्रतिशत लगाना पड़ता है। समझौते में 50 प्रतिशत ऑफसेट बाध्यता है जो देश में अब तक का सबसे बड़ा 'ऑफसेट' अनुबंध है।


'ऑफसेट' समझौते का मुख्य बिंदु यह है कि 74 प्रतिशत भारत से आयात किया जाएगा। इसका मतलब है कि करीब 22,000 करोड़ रुपये का सीधा कारोबार होगा। इसमें टेक्नॉलजी पार्टनरशिप की भी बात है जिस पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ चर्चा हो रही है। राफेल सौदे में अन्य कंपनियां भी हैं जिनमें फ्रांस की एमबीडीए तथा थेल्स शामिल हैं।

पढ़ें: भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील पर लगी मुहर

इनके अलावा सैफरॉन भी ऑफसेट बाध्यता का हिस्सा है। दोनों कंपनियों के संयुक्त बयान के अनुसार इन ऑफसेट बाध्यताओं के लागू करने में संयुक्त उद्यम दसो रिलायंस एयरोस्पेस प्रमुख कंपनी होगी। रिलायंस समूह रक्षा क्षेत्र में जनवरी 2015 में आया। ऐसे में यह समझौता समूह के लिए उत्साहजनक है। बयान के अनुसार, 'नया संयुक्त उद्यम दसो रिलायंस एयरोस्पेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया अभियानों को गति देगा। साथ ही हाई टेक्नॉलजी ट्रांसफर के साथ बड़े भारतीय कार्यक्रम का विकास करेगा जिससे पूरे एयरोस्पेस क्षेत्र को लाभ होगा।'

दसो और रिलायंस के बीच प्रस्तावित रणनीतिक भागीदारी में आईडीडीएम कार्यक्रम (स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित एवं विनिर्मित) के तहत परियोजनाओं के विकास पर जोर होगा। आईडीडीएम कार्यक्रम रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर की एक नई पहल है।




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