Seventh Pay Commission : वेतन आयोग के विरोध में ट्रेड यूनियन, बढोतरी को बताया कम
Economy Team|Nov 20, 2015, 18:44PM IST
नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) समेत कई ट्रेड यूनियन्स ने विरोध किया है।
बीएमएस का कहना है कि भले यह आयोग 23.55 फीसदी की वेतन बढ़ोतरी की बात कर रहा हो, लेकिन सच तो यह है कि यह वृद्धि महज 16 फीसदी ही है। बीएमएस के जनरल सेक्रेटरी बीरेश उपाध्याय ने वेतन आयोग की सिफारिशों को बेहद ही निराशाजनक करार दिया और कहा कि उनका संगठन इसका पुरजोर विरोध करता है। उपाध्यान ने कहा कि वेतन आयोग की ओर से प्रस्तावित अधिकतम और न्यूनतम वेतन में भारी अंतर है।
उपाध्याय ने कहा कि फिटमेंट बेनीफिट बहुत ही कम है और कई असंगतियो को दूर नहीं किया गया। पे-स्ट्रक्चर बहुत कंपटेटिव नहीं है। इससे ब्रेन ड्रेन होगा क्योंकि वर्कर दूसरे एम्प्लायमेंट की ओर भागेंगे।
उन्होंने कहा कि ग्रेज्युटी सेलिंग को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है, इसका लाभ सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों को मिलेगा।
कमीशन ने सिर्फ भत्तों में कटौती की
वहीं दूसरी ओर वेतन आयोग की सिफारिशों पर कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाई एंड वर्कर ने भी विरोध जताया है। संगठन के प्रेसीडेंट केकेएन कुट्टी ने इन सिफारिशों को पूरी तरह से निराशाजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि इस कमीशन ने सिर्फ भत्तों में कटौती करने का काम किया है, जिसके चलते मूल वेतन में कुल बढ़ोतरी महज 14.28 फीसदी ही होगा। उन्होंने कहा कि सिफारिशों का विरोध और इस मुद्दे पर चचा के लिए आगामी 27 नवंबर को कर्मचारी और श्रमिक बैठक करेंगे।
पिछले 30 वर्षों में सबसे कम बढ़ोतरी
सीपीआई से जुड़े मजदूर संगठन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने भी सिफारिशों को पूरी तरह निराशाजनक बताया है। संगठन के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने इसे पूरी तरह निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि यह पिछले 30 वर्षों में सबसे कम बढ़ोतरी है। महंगाई को देखते हुए यह पूरी तरह अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि कमीशन ने एचआरए को 30 फीसदी से कम करके 24 फीसदी कर दिया।
सिफारिशें श्रमिकों के साथ अन्याय
सीपीआई-एम से जुड़े मजदूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स के प्रेसीडेंट एके पद्मनाभन ने इन सिफारिशों को श्रमिकों के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि न्यूनतम वेतन बढ़ोतरी आज की महंगाई को देखते हुए बेहद कम है। उन्होंने कहा कि आयोग ने हाउस रेंट अलाउंस को 7 फीसदी के जरूरी स्तर से घटाकर 3 फीसदी कर दिया
Economy Team|Nov 20, 2015, 18:44PM IST
नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) समेत कई ट्रेड यूनियन्स ने विरोध किया है।
बीएमएस का कहना है कि भले यह आयोग 23.55 फीसदी की वेतन बढ़ोतरी की बात कर रहा हो, लेकिन सच तो यह है कि यह वृद्धि महज 16 फीसदी ही है। बीएमएस के जनरल सेक्रेटरी बीरेश उपाध्याय ने वेतन आयोग की सिफारिशों को बेहद ही निराशाजनक करार दिया और कहा कि उनका संगठन इसका पुरजोर विरोध करता है। उपाध्यान ने कहा कि वेतन आयोग की ओर से प्रस्तावित अधिकतम और न्यूनतम वेतन में भारी अंतर है।
उपाध्याय ने कहा कि फिटमेंट बेनीफिट बहुत ही कम है और कई असंगतियो को दूर नहीं किया गया। पे-स्ट्रक्चर बहुत कंपटेटिव नहीं है। इससे ब्रेन ड्रेन होगा क्योंकि वर्कर दूसरे एम्प्लायमेंट की ओर भागेंगे।
उन्होंने कहा कि ग्रेज्युटी सेलिंग को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है, इसका लाभ सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों को मिलेगा।
कमीशन ने सिर्फ भत्तों में कटौती की
वहीं दूसरी ओर वेतन आयोग की सिफारिशों पर कंफेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाई एंड वर्कर ने भी विरोध जताया है। संगठन के प्रेसीडेंट केकेएन कुट्टी ने इन सिफारिशों को पूरी तरह से निराशाजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि इस कमीशन ने सिर्फ भत्तों में कटौती करने का काम किया है, जिसके चलते मूल वेतन में कुल बढ़ोतरी महज 14.28 फीसदी ही होगा। उन्होंने कहा कि सिफारिशों का विरोध और इस मुद्दे पर चचा के लिए आगामी 27 नवंबर को कर्मचारी और श्रमिक बैठक करेंगे।
पिछले 30 वर्षों में सबसे कम बढ़ोतरी
सीपीआई से जुड़े मजदूर संगठन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने भी सिफारिशों को पूरी तरह निराशाजनक बताया है। संगठन के महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने इसे पूरी तरह निराशाजनक बताया है। उन्होंने कहा कि यह पिछले 30 वर्षों में सबसे कम बढ़ोतरी है। महंगाई को देखते हुए यह पूरी तरह अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि कमीशन ने एचआरए को 30 फीसदी से कम करके 24 फीसदी कर दिया।
सिफारिशें श्रमिकों के साथ अन्याय
सीपीआई-एम से जुड़े मजदूर संगठन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स के प्रेसीडेंट एके पद्मनाभन ने इन सिफारिशों को श्रमिकों के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि न्यूनतम वेतन बढ़ोतरी आज की महंगाई को देखते हुए बेहद कम है। उन्होंने कहा कि आयोग ने हाउस रेंट अलाउंस को 7 फीसदी के जरूरी स्तर से घटाकर 3 फीसदी कर दिया