अखिलेश यादव के सामने चुनौतियों का पहाड़
(Zee News : Unemployed Allowance for Persons having Age Above 25 Years )
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मिले जनादेश के बाद सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने जा रहे अखिलेश यादव के सामने चुनावी वादों को पूरा करने के साथ-साथ कानून-व्यवस्था को लेकर पूर्ववर्ती मायावती सरकार द्वारा खींची गई लकीर को बड़ी करने की बड़ी चुनौती होगी।
15 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में कमान संभालने जा रहे अखिलेश यादव के सामने वादों की लंबी सूची है, जो उनके और उनकी पार्टी के दूसरे नेताओं द्वारा जनता से किए गए हैं।
सपा ने अपने घोषणा पत्र में सच्चर और रंगनाथ मिश्रा कमेटी की सिफारिशें हूबहू लागू करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने, किसानों और बुनकरों का कर्ज माफ करने के साथ उन्हें बिजली मुफ्त देने की बात कही थी। इसके अलावा गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा और दवा, शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता, मेधावी कन्याओं को कन्या विद्या धन देने के साथ इंटर पास छात्रों को लैपटॉप और दसवीं पास छात्रों को इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट देने जैसे वादे किए थे।
कर्ज माफी में एकमुश्त 11 हजार करोड़ रुपये, मुफ्त बिजली देने में हर साल 1650 करोड़ रुपये, लैपटॉप और टैबलेट देने में करीब पांच हजार करोड़ रुपये, 25 साल से ज्यादा उम्र के बेरोजगारों को को हर महीने 1000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने में हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
समाजवादी सरकार के वायदों की कुल कीमत करीब 40 हजार करोड़ रुपये बैठती है और राज्य का राजकोषीय घाटा करीब 19 हजार करोड़ रुपये है। ऐसी खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए वादा निभाना आसान नहीं होगा।
गुंडागर्दी और अपराध पर लगाम लगाना तो सपा के युवराज के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। अखिलेश ने हालांकि विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि वह चुनावी घोषणापत्र की हर बातों को लागू कर राज्य में खुशहाली की गंगा बहाएंगे।
News : http://zeenews.india.com (11.3.12)