आतंकी संगठन ISIS के जन्म की पूरी कहानी
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पूरी दुनिया में इस वक्त एक ही नाम ISIS की चर्चा है. आखिर ये IS या ISI या फिर ISIS है क्या? कहां से आया, क्यों आया, किसकी वजह से आया और इसे कौन लाया? ISIS के जन्म से लेकर इसे जन्म देने वाले और फिर उसे पालने-पोसने वाले तमाम लोगों के बारे में जानें.
☆2006 से बगदादी ने की शुरूआत
:- एक लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका इराक को सद्दाम हुसैन के चंगुल से आजाद करा चुका था. पर इस आजादी को हासिल करने के दौरान इराक पूरी तरह बर्बाद हो चुका था. अमेरिकी सेना के इराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे गुट अपनी ताकत की लड़ाई शुरू करने लगे. उन्हीं में से एक गुट का नेता था अबू बकर अल बगदादी . अल-कायदा इराक का चीफ. वो 2006 से ही इराक में अपनी जमीन तैयार करने में लगा था. मगर तब ना उसके पास पैसे थे, ना कोई मदद और ना ही लड़ाके.
☆अल-कायदा इराक बना ISI
:- दरअसल अमेरिकी सेना 2011 में जब इराक से लौटी, तब तक वो इराकी सरकार को बर्बाद कर चुकी थी. सद्दाम मारा जा चुका था. इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से तबाह हो चुके थे और सबसे बड़ी बात ये कि वो इराक में खाली सत्ता छोड़ गए थे. संसाधनों की कमी के चलते तब बगदादी ज्यादा कामयाब नहीं हो पा रहा था. हालांकि इराक पर कब्जे के लिए तब तक उसने अल-कायदा इराक का नाम बदल कर नया नाम आईएसआई यानी
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक रख लिया था.
इराक से मायूस बगदादी पहुंचा सीरिया
बगदादी ने सद्दाम हुसैन की सेना के कमांडर और सिपाहियों को अपने साथ मिला लिया. इसके बाद उसने शुरुआती निशाना पुलिस, सेना के दफ्तर, चेकप्वाइंट्स और रिक्रूटिंग स्टेशंस को बनाना शुरू किया. अब तक बगदादी के साथ कई हजार लोग शामिल हो चुके थे, पर फिर भी बगदादी को इराक में वो कामयाबी नहीं मिल रही थी. इराक से मायूस होकर बगदादी ने सीरिया का रुख करने का फैसला किया. सीरिया तब गृह युद्ध झेल रहा था. अल-कायदा और फ्री सीरियन आर्मी वहां के दो सबसे बड़े गुट थे, जो सीरियाई राष्ट्रपति से मोर्चा ले रहे थे.
☆चार साल तक सीरिया में नहीं मिली कामयाबी
:- पहले चार साल तक सीरिया में भी बगदादी को कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली. अलबत्ता इस दौरान उसने एक बार फिर से अपने संगठन का नाम बदल कर अब आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया)
कर दिया था. जून 2013 को फ्री सीरियन आर्मी के जनरल ने पहली बार सामने आकर दुनिया से अपील की थी कि अगर उन्हें हथियार नहीं मिले तो वो बागियों से अपनी जंग एक महीने के अंदर हार जाएंगे.
☆पलट गए आईएसआईएस के दिन
:- इस अपील के हफ्ते भर के अंदर ही अमेरिका, इजराइल, जॉर्डन, टर्की, सऊदी अरब और कतर ने फ्री सीरियन आर्मी को हथियार, पैसे, और ट्रेनिंग की मदद देनी शुरू कर दी. इन देशों ने बाकायदा सारे आधुनिक हथियार, एंटी टैंक मिसाइल, गोला-बारूद सब कुछ सीरिया पहुंचा दिया और बस यहीं से आईएसआईएस के दिन पलट गए. दरअसल जो हथियाऱ फ्री सीरियन आर्मी के लिए थे, वो साल भर के अंदर आईएसआईएस तक जा पहुंचे क्योंकि तब तक आईएस फ्री सीरियन आर्मी में सेंध लगा चुका था और उसके बहुत से लोग उसके साथ हो लिए थे. साथ ही सीरिया में फ्रीडम फाइटर का नकाब पहन कर भी आईएस ने दुनिया को धोखा दिया. इसी नकाब की आड़ में खुद अमेरिका तक ने अनजाने में आईएस के आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे डाली.
जाने-अनजाने अमेरिका का ही हाथ
आईएसआईएस के जन्म के पीछे जाने-अनजाने अमेरिका का ही हाथ रहा. ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका की मदद की वजह से ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा का जन्म हुआ. ठीक वैसे ही जैसे 1980 में ईरान के खिलाफ इस्तेमाल के लिए कैमिकल हथियार देकर अमेरिका ने सद्दाम को सद्दान हुसैन बनाया. ठीक वैसे ही सीरिया के फ्रीडम फाइटर को अमेरिका ने हथियार और ट्रेनिंग दी और अब वही फ्रीडम फाइटर आईएसआईएस के बैनर तले लड़ रहे हैं.
☆2013 में स्नोडेन का बड़ा खुलासा
:- जुलाई 2014 में ईरान के अखबार तेहरान टाइम्स को दिया गया एडवर्ड स्नोडेन का इंटरव्यू आईएस को बढ़ाने में अमेरिकी मदद की एक और थ्योरी का खुलासा करता है. एडवर्ड स्नोडेन वही शख्स हैं, जिन्होंने 2013 में अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के मकड़जाल का खुलासा किया था. स्नोडेन के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल ने मिलकर बगदादी के संगठन आईसिस को मजबूत किया.
☆इजराइल ने दी बगदादी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग
:- इस प्लान को बीहाइव यानी मधुमक्खी का छत्ता कोड नेम दिया गया. मकसद था कि इजराइल के आस-पास वाले देशों में आतंकवाद की ऐसी ताकत खड़ी की जाए जिसमें इजराइल विरोधी देश उलझकर रह जाएं और इजराइल सुरक्षित रहे. स्नोडेन के मुताबिक इजराइल ने खुद साल भर बगदादी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी. खुद अमेरिका ने बगदादी से मिडिल ईस्ट में अपने दुश्मनों पर हमला कराया और मध्य एशियाई मुल्कों में आतंक फैलाकर अपनी सेनाओं को इन देशों में भेजा.
सीरिया, लीबिया और इराक तीनों ही तेल के लिहाज से काफी अमीर हैं. अमेरिका के बारे में कहा जाता है कि वहां से तेल निकालने के लिए अमेरिका ने आईएसआईएस को आगे बढ़ाया और इसमें अमेरिका की मदद सऊदी अरब और तुर्की ने की. जानकारों का मानना है कि तेल के इस खेल में आईएस को रोजाना 26 करोड़ 50 लाख रुपये आता है.
☆एक साल में ISIS का इन इलाकों में कब्जा
:- आईएसआईएस अब तक सीरिया और इराक के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा चुका है. इनमें इन दोनों देशों के कई बड़े शहर भी शामिल हैं. इराक में तो आईएसआईएस अब लगातार बगदाद की तरफ बढ़ता जा रहा है. जून 2014 से ISIS ने इराक और सीरिया में जो कहर बरपाना शुरू किया वो आजतक बदस्तूर जारी है. ISIS के आतंकवादी इराक और सीरिया के कई अहम शहरों पर कब्ज़ा कर चुके हैं और इन इलाकों में अपनी सरकार भी चला रहे हैं.
ISIS ने सीरिया के रक्का, पामयेरा, दियर इजौर, हसाक्का, एलेप्पो, हॉम्स और यारमुक इलाके के कई शहरों पर कब्जा जमाया हुआ है. ISIS ने इराक के भी कई शहरों पर कब्जा कर रखा है. मसलन रमादी, अनबार, तिकरित, मोसुल और फालुजा ISIS के आतंकवादियों के कब्जे में हैं. इराक में तो आलम ये है कि ISIS के आतंकी रमादी जीतने के बाद बगदाद की तरफ बढ़ रहे हैं.
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पूरी दुनिया में इस वक्त एक ही नाम ISIS की चर्चा है. आखिर ये IS या ISI या फिर ISIS है क्या? कहां से आया, क्यों आया, किसकी वजह से आया और इसे कौन लाया? ISIS के जन्म से लेकर इसे जन्म देने वाले और फिर उसे पालने-पोसने वाले तमाम लोगों के बारे में जानें.
☆2006 से बगदादी ने की शुरूआत
:- एक लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका इराक को सद्दाम हुसैन के चंगुल से आजाद करा चुका था. पर इस आजादी को हासिल करने के दौरान इराक पूरी तरह बर्बाद हो चुका था. अमेरिकी सेना के इराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे गुट अपनी ताकत की लड़ाई शुरू करने लगे. उन्हीं में से एक गुट का नेता था अबू बकर अल बगदादी . अल-कायदा इराक का चीफ. वो 2006 से ही इराक में अपनी जमीन तैयार करने में लगा था. मगर तब ना उसके पास पैसे थे, ना कोई मदद और ना ही लड़ाके.
☆अल-कायदा इराक बना ISI
:- दरअसल अमेरिकी सेना 2011 में जब इराक से लौटी, तब तक वो इराकी सरकार को बर्बाद कर चुकी थी. सद्दाम मारा जा चुका था. इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से तबाह हो चुके थे और सबसे बड़ी बात ये कि वो इराक में खाली सत्ता छोड़ गए थे. संसाधनों की कमी के चलते तब बगदादी ज्यादा कामयाब नहीं हो पा रहा था. हालांकि इराक पर कब्जे के लिए तब तक उसने अल-कायदा इराक का नाम बदल कर नया नाम आईएसआई यानी
इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक रख लिया था.
इराक से मायूस बगदादी पहुंचा सीरिया
बगदादी ने सद्दाम हुसैन की सेना के कमांडर और सिपाहियों को अपने साथ मिला लिया. इसके बाद उसने शुरुआती निशाना पुलिस, सेना के दफ्तर, चेकप्वाइंट्स और रिक्रूटिंग स्टेशंस को बनाना शुरू किया. अब तक बगदादी के साथ कई हजार लोग शामिल हो चुके थे, पर फिर भी बगदादी को इराक में वो कामयाबी नहीं मिल रही थी. इराक से मायूस होकर बगदादी ने सीरिया का रुख करने का फैसला किया. सीरिया तब गृह युद्ध झेल रहा था. अल-कायदा और फ्री सीरियन आर्मी वहां के दो सबसे बड़े गुट थे, जो सीरियाई राष्ट्रपति से मोर्चा ले रहे थे.
☆चार साल तक सीरिया में नहीं मिली कामयाबी
:- पहले चार साल तक सीरिया में भी बगदादी को कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली. अलबत्ता इस दौरान उसने एक बार फिर से अपने संगठन का नाम बदल कर अब आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया)
कर दिया था. जून 2013 को फ्री सीरियन आर्मी के जनरल ने पहली बार सामने आकर दुनिया से अपील की थी कि अगर उन्हें हथियार नहीं मिले तो वो बागियों से अपनी जंग एक महीने के अंदर हार जाएंगे.
☆पलट गए आईएसआईएस के दिन
:- इस अपील के हफ्ते भर के अंदर ही अमेरिका, इजराइल, जॉर्डन, टर्की, सऊदी अरब और कतर ने फ्री सीरियन आर्मी को हथियार, पैसे, और ट्रेनिंग की मदद देनी शुरू कर दी. इन देशों ने बाकायदा सारे आधुनिक हथियार, एंटी टैंक मिसाइल, गोला-बारूद सब कुछ सीरिया पहुंचा दिया और बस यहीं से आईएसआईएस के दिन पलट गए. दरअसल जो हथियाऱ फ्री सीरियन आर्मी के लिए थे, वो साल भर के अंदर आईएसआईएस तक जा पहुंचे क्योंकि तब तक आईएस फ्री सीरियन आर्मी में सेंध लगा चुका था और उसके बहुत से लोग उसके साथ हो लिए थे. साथ ही सीरिया में फ्रीडम फाइटर का नकाब पहन कर भी आईएस ने दुनिया को धोखा दिया. इसी नकाब की आड़ में खुद अमेरिका तक ने अनजाने में आईएस के आतंकवादियों को ट्रेनिंग दे डाली.
जाने-अनजाने अमेरिका का ही हाथ
आईएसआईएस के जन्म के पीछे जाने-अनजाने अमेरिका का ही हाथ रहा. ठीक वैसे ही जैसे अमेरिका की मदद की वजह से ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा का जन्म हुआ. ठीक वैसे ही जैसे 1980 में ईरान के खिलाफ इस्तेमाल के लिए कैमिकल हथियार देकर अमेरिका ने सद्दाम को सद्दान हुसैन बनाया. ठीक वैसे ही सीरिया के फ्रीडम फाइटर को अमेरिका ने हथियार और ट्रेनिंग दी और अब वही फ्रीडम फाइटर आईएसआईएस के बैनर तले लड़ रहे हैं.
☆2013 में स्नोडेन का बड़ा खुलासा
:- जुलाई 2014 में ईरान के अखबार तेहरान टाइम्स को दिया गया एडवर्ड स्नोडेन का इंटरव्यू आईएस को बढ़ाने में अमेरिकी मदद की एक और थ्योरी का खुलासा करता है. एडवर्ड स्नोडेन वही शख्स हैं, जिन्होंने 2013 में अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी के मकड़जाल का खुलासा किया था. स्नोडेन के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल ने मिलकर बगदादी के संगठन आईसिस को मजबूत किया.
☆इजराइल ने दी बगदादी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग
:- इस प्लान को बीहाइव यानी मधुमक्खी का छत्ता कोड नेम दिया गया. मकसद था कि इजराइल के आस-पास वाले देशों में आतंकवाद की ऐसी ताकत खड़ी की जाए जिसमें इजराइल विरोधी देश उलझकर रह जाएं और इजराइल सुरक्षित रहे. स्नोडेन के मुताबिक इजराइल ने खुद साल भर बगदादी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी. खुद अमेरिका ने बगदादी से मिडिल ईस्ट में अपने दुश्मनों पर हमला कराया और मध्य एशियाई मुल्कों में आतंक फैलाकर अपनी सेनाओं को इन देशों में भेजा.
सीरिया, लीबिया और इराक तीनों ही तेल के लिहाज से काफी अमीर हैं. अमेरिका के बारे में कहा जाता है कि वहां से तेल निकालने के लिए अमेरिका ने आईएसआईएस को आगे बढ़ाया और इसमें अमेरिका की मदद सऊदी अरब और तुर्की ने की. जानकारों का मानना है कि तेल के इस खेल में आईएस को रोजाना 26 करोड़ 50 लाख रुपये आता है.
☆एक साल में ISIS का इन इलाकों में कब्जा
:- आईएसआईएस अब तक सीरिया और इराक के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा चुका है. इनमें इन दोनों देशों के कई बड़े शहर भी शामिल हैं. इराक में तो आईएसआईएस अब लगातार बगदाद की तरफ बढ़ता जा रहा है. जून 2014 से ISIS ने इराक और सीरिया में जो कहर बरपाना शुरू किया वो आजतक बदस्तूर जारी है. ISIS के आतंकवादी इराक और सीरिया के कई अहम शहरों पर कब्ज़ा कर चुके हैं और इन इलाकों में अपनी सरकार भी चला रहे हैं.
ISIS ने सीरिया के रक्का, पामयेरा, दियर इजौर, हसाक्का, एलेप्पो, हॉम्स और यारमुक इलाके के कई शहरों पर कब्जा जमाया हुआ है. ISIS ने इराक के भी कई शहरों पर कब्जा कर रखा है. मसलन रमादी, अनबार, तिकरित, मोसुल और फालुजा ISIS के आतंकवादियों के कब्जे में हैं. इराक में तो आलम ये है कि ISIS के आतंकी रमादी जीतने के बाद बगदाद की तरफ बढ़ रहे हैं.