प्रदेश भर में हजारों शिक्षकों का जिले के अंदर हो चुका तबादला
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षकों के तबादलों को लेकर छिड़ा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले अंतर जिला तबादलों को लेकर हायतौबा मची थी, वहीं इन दिनों समायोजित शिक्षकों का जिले के अंदर समायोजन रोके जाने से शिक्षकों में नाराजगी है। ताज्जुब यह है कि हजारों समायोजित शिक्षकों का जिले के अंदर पहले तबादला हो चुका है, लेकिन अब शीर्ष कोर्ट की आड़ लेकर समायोजन रोक दिया गया है।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन हो चुका है। पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह समायोजन रद कर दिया था, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश जारी कर दिया, तब से शीर्ष कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई चल रही है। इसी दौरान प्रदेश के कई जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने समायोजित शिक्षकों का जिले के अंदर तबादला किया। बड़ी संख्या में ऐसे भी शिक्षक थे जिन्होंने विभागीय मंत्री एवं वरिष्ठ अफसरों का अनुमोदन लेकर तबादला कराया। कुछ जिलों में बड़ी तादाद में तबादले होने से प्रकरण तूल पकड़ा और परिषद सचिव संजय सिन्हा ने सभी तबादले निरस्त कर दिए थे और बीएसए को निर्देश दिया था कि कोई भी स्थानांतरण न किया जाए। परिषद सचिव का तर्क था कि समायोजित शिक्षकों का प्रकरण शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है, जब तक अंतिम आदेश न आ जाए संबंधित शिक्षकों को इधर-उधर करने से न्यायालय की अवमानना होगी।
परिषद सचिव के आदेश पर समायोजित शिक्षकों के तबादले निरस्त हुए तो उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने सचिव के आदेश पर रोक लगा दी। कुछ दिन बाद हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए परिषद सचिव ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को नया आदेश जारी करके अपने ही पुराने आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही कोर्ट के आदेश के अनुरूप कार्यवाही करने का बीएसए को निर्देश दिया। इससे जिले के अंदर समायोजित शिक्षकों का फिर फेरबदल शुरू हुआ। सूबे के कई प्राथमिक स्कूल एकल व शिक्षक विहीन होने पर शासन ने जिले के अंदर समायोजन का आदेश दिया, ताकि कहीं बहुत अधिक तो कहीं बिल्कुल शिक्षक न होने का संकट खत्म हो। इस फेरबदल में समायोजित शिक्षकों को इधर से उधर करने पर रोक लगा दी गई है। अफसरों का कहना है कि शिक्षामित्रों से समायोजित शिक्षकों का प्रकरण शीर्ष कोर्ट में लंबित है अंतिम आदेश तक समायोजन न किया जाए। ऐसे में यह सवाल उठा है कि पहले इन शिक्षकों के तबादले क्यों किए गए? जो इस समय फेरबदल से रोका जा रहा है। इस पर अफसरों ने मौन साध लिया है।
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