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Thursday, January 29, 2015

NEWS : राज्य सरकार की हीला-हवाली से कोली की फांसी उम्रकैद में बदली

NEWS : राज्य सरकार की हीला-हवाली से कोली की फांसी उम्रकैद में बदली
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने में लगा दिए 26 महीने



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BOLG VICHAAR : AISE NEECH KARM KARNE VAALE KO FANSEEE SE BHEE KATHOR SAJA DEE JAANEE CHAHIYE THEE.
PAR WAH RE KANOON.
INHEE KANOONO KEE AAD MEIN GALAT LOG FAYDAA UTHAA LE JAATE HAIN.
NYAY MEIN DEREE SE BHRSTACHAAR , GUNDA BADMASHEE PANAPTEE HAI
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इलाहाबाद (ब्यूरो)। यूपी सरकार की हीला-हवाली के चलते निठारी के नर पिशाच सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा उम्रकैद में बदल गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली की दया याचिका पर निर्णय लेने में देरी को असंवैधानिक करार दिया और उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। चीफ जस्टिस डॉ.डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खंडपीठ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजने में 26 महीने लगा दिए। राज्य सरकार के पास इस देरी की कोई जायज वजह भी नहीं है। पीठ ने कहा कि सजा के क्रियान्वयन में देरी बंदी के मौलिक अधिकार का हनन है। हालांकि पीठ ने दया याचिका के निपटारे में केंद्र सरकार की ओर से लिए गए समय को उपयुक्त करार दिया। पीठ राज्यपाल और राष्ट्रपति की ओर से कोली की दया याचिका खारिज करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

बंदी के मौलिक अधिकार का हनन है सजा के अमल में देरी
कोर्ट ने कहा, हर स्तर पर हुई लापरवाही
•दया याचिकाओं के निपटारे के दौरान फाइल सरकारी विभागों में लटकी रही। डीएम तथा जेल अधीक्षक ने रिपोर्ट भेजने में डेढ़ साल लगा दिए। गृह विभाग ने बिना क्षेत्राधिकार दया याचिका अस्वीकार करने की सिफारिश की। विधि विभाग ने इसे न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि इसी आधार पर अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को भेज दी। राज्यपाल के विधि सलाहकार ने भी उनके संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी करते हुए बिना सोचे समझे सरकार की सिफारिश को स्वीकार करने की सलाह दी।
•राज्य सरकार ने कोली की दया याचिका का निपटारा करने में काफी वक्त लिया।
•यह विलंब संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत बंदी को प्राप्त मौलिक अधिकार का हनन है।
•कैदी को बिना किसी न्यायिक आदेश के तनहाई में रखा गया।
•एडीजे ने तीन बार डेथ वारंट जारी किया, जो नियमों के विपरीत है।
•सरकार के कारिंदों ने मनमाने तरीके से काम किया और अदालत को भ्रमित किया।