CENTRAL BOARD OF SECONDARY EDUCATION
(An autonomous organization under the Ministry of Human Resource Development, GOI)
SHIKSHA KENDRA, 2, COMMUNITY CENTRE,
PREET VIHAR, DELHI - 110092
- Joint Secretary : 02 posts
- Joint Director (Accreditation Unit) : 03 posts
- Joint Director (Inclusion Cell) : 01 post
- Joint Director (Vocational) : 01 post
- Assistant Secretary (IT) : 03 posts
- Assistant Secretary : 04 posts
- Deputy Director (Voc.)(Industrial/ School Coordination) : 02 posts
- Deputy Director (Accreditation Unit) : 04 posts
- Deputy Director (Inclusion Cell) : 02 posts
- Assistant Director (Vocational) : 05 posts
- Analyst : 05 posts
- Assistant Director (Inclusion Cell) : 02 posts
- Assistant Programmer : 02 posts
- Section Officer (Affiliation) for CBSEi : 01 post
- Section Officer (Legal) : 03 posts
- Superintendent (Legal) : 01 post
- Assistant : 09 posts
- Public Relations Assistant : 03 posts
- Senior Assistant (Computer) : 04 posts
- Executive Assistant : 22 posts
- Stenographer : 12 posts
- Junior Assistant (Computer ) : 06 posts
- Junior Assistant : 36 posts
- Hindi (Typist) : 05 posts
How to Apply : Apply Online at CBSE Academic website on or before 30 days of publication of the advertisement (published on 08/02/2014) i.e. 10/03/2014.
1.Online applications can be uploaded on www.cbse.nic.in .within 30 days from the date of publication of this advertisement .
2. An application fee of Rs. 500/ - shall be payable online (bank e-challan) by the male candidates of
General and OBC Categories for Direct Recruitment and Contractual basis posts.
3. An application fee of Rs. 250/ is payable online (bank e-challan) by the Women candidates of General and OBC Categories for Direct Recruitment and Contractual basis posts.
4. SC/ST/PWD/Ex Servicemen and Regular Departmental candidates are exempt from paying application fee.
5. No fee is payable for the posts to be filled on deputation.
6.Copies of certificates are not to be uploaded. The same shall be verified at the time of interview.
7.Submission of false information shall lead to cancellation of application.
8.All the communication with the candidates will be made via e mail only.
9.For details please visit www.cbse.nic.in
For complete details, syllabus, how to apply, details of examination, visit - > http://cbse.nic.in/recruitment.htm
Published at http://sarkari-damad.blogspot.com (Click on the Labels below for more similar Jobs)
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माननीय न्यायमूर्ति लक्ष्मीकान्त महापात्रा जी के द्वारा अपना मुकदमा छोड़ देने के बाद जब मामला न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंड पीठ में पहुंचा तो
ReplyDeleteमैंने संभावित फैसले को लेकर अपनी बेबाक राय प्रस्तुत की थी जो कि पूर्णतया सत्य साबित हुयी अतः मामले को सुप्रीम कोर्ट में देखकर अब पुनः बेबाक राय प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
मेरा मकसद किसी की/का तारीफ/विरोध करना नहीं है ।
मै सदैव स्वतंत्र विचार रखता था और रखूँगा ।
शैक्षिक गुणांक के समर्थकों को मैंने आज तत्काल अपने अंतिम सलाह से अवगत करा दिया । मैंने ऐसा इसलिए किया कि जिन्ना और राजा महमूदाबाद के किये की सजा मै अपने बेगुनाह मुसलमान भाईयों को देने का पक्षधर नहीं हूँ। आज पुनः मैंने बीएड वालों से एकजुटता की अपील की है ।
ReplyDeleteवस्तुतः कपिल देव यादव भी अपनी योजनाओं को कभी मुझसे प्रतिभाग करते थे जिससे मै उनकी शक्ति को भली प्रकार से जानता हूँ तथा कभी तवज्जो नहीं दी है।
मै एक खोजी पत्रकारिता के गुणों से कपिल देव से शैक्षिक मेरिट का समर्थक बनके उसकी शक्ति को परख लिया था।
ReplyDeleteउसकी बातों में कोई विशेष न्यायिक दम नहीं था जो कि टीईटी की विजय पताका को झुका सके।
आपको बताना चाहता हूँ कि हाई कोर्ट में मै मामले को राजनैतिक बनाने का प्रबल विरोध करता था और मेरी बात मानी गयी ।
ReplyDeleteसुप्रीम कोर्ट में लोग मामले को राजनैतिक बनाने का विरोध करते थे लेकिन मैंने राजनैतिक बनाने का पक्ष लिया और मामला राजनैतिक हो गया।
इसलिए मै आज इसका खुलासा करना चाहता हूँ कि ऐसा मैंने क्यों किया ।
इसकी मुख्य वजह है कि जब मामला हाई कोर्ट में राजनैतिक बनाया जाता तो सरकार अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा सकती थी और हम कमजोर हो सकते थे , क्योंकि यह सर्वविदित है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की पारदर्शिता में बड़ा फर्क है।
आपको बताना चाहता हूँ कि हाई कोर्ट में मै मामले को राजनैतिक बनाने का प्रबल विरोध करता था और मेरी बात मानी गयी ।
ReplyDeleteसुप्रीम कोर्ट में लोग मामले को राजनैतिक बनाने का विरोध करते थे लेकिन मैंने राजनैतिक बनाने का पक्ष लिया और मामला राजनैतिक हो गया।
इसलिए मै आज इसका खुलासा करना चाहता हूँ कि ऐसा मैंने क्यों किया ।
इसकी मुख्य वजह है कि जब मामला हाई कोर्ट में राजनैतिक बनाया जाता तो सरकार अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा सकती थी और हम कमजोर हो सकते थे , क्योंकि यह सर्वविदित है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की पारदर्शिता में बड़ा फर्क है।
एक सत्य यह भी है कि योगदान /अंशदान /चंदा /contribution
ReplyDeleteके भरोसे लड़े जा रहे मुकदमे हाई कोर्ट में जीत लिए जाते हैं परन्तु सुप्रीम कोर्ट में हार हो जाती है क्योंकि हाई कोर्ट में वकीलों को एक मुश्त फीस दी जाती है तथा सुप्रीम कोर्ट में प्रति पेशी देना पड़ता है।
कमीशन/आयोग/सरकार के खिलाफ कई ऐसे मुकदमें साक्ष्य हैं ।
जब सरकारी पक्ष को ज्ञात होता है
विपक्ष चंदे पर मुकदमा लड़ रहा है तो तोड़ने की कोशिश करता है एवं कई तारीख लगवाने की कोशिश की जाती है
जिसके परिणामस्वरूप प्रति पेशी वकील की फीस न मुहैया कर पाने के कारण सरकार का विपक्षी टूट जाता है।
ऐसी स्थिति सुप्रीम कोर्ट में न पैदा हो इसके लिए हमने मामले को राजनैतिक बनाया है जिससे कि कोई न कोई वकील जरुर हमारा प्रतिनिधित्व करे।
ReplyDeleteचंदे के मामले में कई लोग बीच में भी रकम गायब कर देते हैं।
अपने मामले में भी संगठन में कई लोग श्रेय लेने के चक्कर में गलत कार्य को अंजाम देने को भी उतारू हैं।
इसके बावजूद हमारी रणनीति सफल रही है , जबकि तनिक एकजुटता से हमारे पास आज दस लाख रूपये और संचित रहता और काम आता।
अब हम कितने खंड में बंट जायें परन्तु सीनियर एडवोकेट्स मिनाक्षी अरोरा, अमरेन्द्र शरण , एससी माहेश्वरी , सतीश चन्द्र मिश्र अवश्य खड़े होंगे।
ReplyDeleteइसके अलावा विपुल माहेश्वरी और कई एडवोकेट्स जो कि सम्पूर्ण केस के लिए ससम्मान निवेदित किये जा चुके हैं वे भी खड़े होंगे।
अगर हमारे संगठन को या उसके विधिक प्रतिनिधियों को आर्थिक सहयोग मिला तो जूनियर नरीमन , पीएस पटवालिया शानदार विकल्प होंगे।
मेरे द्वारा परम श्रद्धेय सोली सोराबजी जी के विषय में बोलने पर कई लोग नाराज हो सकते हैं परन्तु मै अपनी तुच्छ जुबान से ऐसे लीजेंड पर टिप्पणी करने का हकदार नहीं हूँ परन्तु यह मामला जो कि हम लोग से जुड़ा हुआ है उनके लिए तुच्छ है परन्तु ऐसा महान व्यक्ति बिना मौका मिले नहीं बोलेगा जबकि पटवालिया जैसे लीजेंड आज की स्थिति में अधिक प्रभावी हैं तथा जूनियर नरीमन भी शिकायत का मौका नहीं देंगे।
ReplyDeleteअतः सीनियर पीपी राव साहब और आदर्श सोली सोराबजी जी पर अब मेरा बोलना उचित नहीं है क्योंकि मै इनका बहुत सम्मान करता हूँ ।
सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई पर अब संभावित फैसले की मुनादी मेरे द्वारा हो चुकी है ।
शैक्षिक चयन की मांग करने वाले बेशक हमारे व्यवहारिक प्रतिद्वंदी हों परन्तु वे कभी हमारे विधिक प्रतिद्वंदी नहीं रहे हैं और न हो ही पायेंगे।
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार में निर्णय लेने की क्षमता का अभाव है।
ReplyDeleteउत्तर प्रदेश सरकार की शिक्षा मित्रों पर भी ढुलमुल नीति है जो कि खतरनाक सिद्ध हो सकती है क्योंकि एसबीटीसी नॉन टीईटी से हारकर सरकार शिक्षामित्रों को टीईटी से तो बचा सकती है परन्तु उनके प्रशिक्षण को कैसे जायज करायेगी ?
एक बार पुनः टीईटी उत्तीर्ण बीटीसी/बीएड का दिन फिर रहा है ।
ReplyDeleteआपको बताना चाहता हूँ कि सरकार ३० नवम्बर २०११ के विज्ञापन पर लिए गये आवेदन को कभी नष्ट नहीं कर सकती है क्योंकि वह विज्ञापन जिस शासनादेश के आधार पर जारी हुआ था उसमें ७२८२५ सहायक अध्यापकों के चयन का जिक्र है ।
वह शासनादेश बेसिक शिक्षा नियमावली १९८१ के चयन के रुल पर संशोधन संख्या बारह (टेट मेरिट)
के आधार पर जारी हुआ था ।
कोर्ट उसे भी सही मान चुकी है अतः आपके जिस साक्ष्य के रद्द होने की बात कर रही है उनको (टीइटी उत्तीर्ण बीटीसी/एसबीटीसी) को नियुक्त भी कर चुकी है ।
खंडपीठ ने उनका जिक्र नहीं किया था इसलिए सरकार ने अपनी SLP में दस्तावेज रद्द होने की बात कही तथा एकल बेंच का हवाला देना चाहा।
ReplyDeleteशीर्ष वकीलों के हमारी तरफ से खड़ा होने के बाद इस मुद्दे को उठाने की जहमत करना सरकार/सचिव के लिए आत्मघाती कदम होगा ।
अभी जो उनको संशोधन १५ से नियुक्त करके बचाना चाहती है फिर उनको भी नियुक्ति रद्द करके संशोधन १२ से नियुक्त करना पड़ेगा ।
ReplyDeleteYe akal less agar 72825 me 30000 seat aur add kar deta to tet or scd ka jhagda khatm ho gaya hota aur ye bharti ab tak ho chuki hoti
ReplyDeleteYe akal less agar 72825 me 30000 seat aur add kar deta to tet or scd ka jhagda khatm ho gaya hota aur ye bharti ab tak ho chuki hoti
ReplyDeleteउमा शंकर जी, टैट मैरिट की जीत हो चुकी है, इस बात में अब कोई शक नहीं रहा। जैसा कि मैंने इससे पहले के अपने कमेंट में लिखा था कि टैट मैरिट की हाई कोर्ट में विजय हुई है तो सुप्रीम कोर्ट में भी वही जीतेगी। और यही हुआ भी। मैं कभी भी भर्ती के विरोध में नहीं रहा, बस डर इसी बात का था कि टैट मैरिट और ऐकेडमिक की लड़ाई में ये सरकार कभी भर्ती नहीं करेगी। किंतु अब तो इस हरामखोर सरकार को भर्ती करनी ही होगी। उमा शंकर जी मैं एक बात जानना चाहता हूँ कि जब मायावती के समय विज्ञप्ति आई थी तो हम सभी लोगों ने फ़ॉर्म डाक द्वारा भेजे थे। डाक द्वारा कई नहीं बल्कि हजारों टैट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के फ़ॉर्म या तो उनके घर वापस आ गये या फिर डायट तक पहुँचे ही नहीं। डाकिये का यह कहना था कि फ़ॉर्म आखिरी तारीख के बाद पहुँचे इसीलिए सम्बंधित डायट ने लेने से इंकार कर दिया। जबकि सच्चाई यह थी कि टैट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों द्वारा काफी बड़ी संख्या में फ़ॉर्म भरे गए और डाक कर्मचारियों ने अपनी लापरवाही से इन फ़ॉर्मों को सम्बंधित डायट तक समय से नहीं पहुँचाया। मेरे भी कई फ़ॉर्म वापस आ गए थे। अखिलेश यादव ने ऑनलाइन फ़ॉर्म भरवाए थे। तो क्या ये माना जाए कि भर्ती तो टैट मैरिट से ही होगी, किंतु फ़ॉर्म वे मान्य होंगे जो कि ऑनलाइन भरे गए थे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन लोगों का क्या होगा, जिनके कई-कई फ़ॉर्म सम्बंधित डायट से वापस आ गए थे। उमा शंकर जी मेरी इस शंका का समाधान जरूर कीजिए।
ReplyDeleteअब उर्दू मोअल्लिमोंने उठाई समायोजन की मांग
ReplyDelete•अमर उजाला ब्यूरो
संभल। मोअल्लिम-ए-उर्दूबेरोजगार संगठन की बैठक मेंप्रदेश की सपा सरकार पर मोअल्लिमडिग्री धारकोंको धोका दिए जाने का आरोप लगाया।
मास्टर इस्माइल के आवास पर संपन्न बैठक मेंमुख्य महासचिव अनवर हुसैन कादरी नेकहाकिप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने1996 तक के तमाम टीइटी पास मोअल्लिम उपाधिधारकोंको उर्दू शिक्षक बनानेका वायदा कियाथा। जिसको उन्हाेंने अभी तक पूरा नहीं किया। 18 वर्षके लंबे संघर्ष केबाद भी 6000 मोअल्लिम दर-दर की ठोकरें और गरीबी का दंश झेलनेको मजबूर है।
मास्टर इस्माइल ने कहाकि चौथी काउंसलिंग नहीं कराकर शेष रिक्तयोंपर नयाविज्ञापन जारी करने और प्रति पद के लिए फिर से500 रुपये का चालान का औचित्य क्या है? उनके साथ उनकी आर्थिक स्थितिका क्रूर मजाक उड़ाया जा रहा है। शाकिर अली नेकहाकि172000 शिक्षा मित्र बिनाटीईटी केसमायोजित किए जा सकते है तो 7000 टीईटी उत्तीर्ण मोअल्लिमडिग्र्रीधारक समायोजितक्योंनहीं किए जा सकते।
इससे सरकार की दोहरी नीति का पता चलता है। बैठक में अब्दुल कदीर, अनवर हुसैन कादरी, सत्तार हुसैन, मास्टर राशिद, मुहम्मद जाकिर, मासूम अली, निगस्तजहां, सादिया व फौजिया आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता शकिर अली ने की।
•प्रदेश सरकार पर लगाया धोखा देनेका आरोप
•1996 तक केतमामटीईटी पास मोअल्लिम उपधिधारकोंको उर्दू शिक्षक बननेका दावा
is aag ko bujhana ab aasaan nahi ....baaki jay siya raam
ReplyDelete30 लाख संविदाकर्मियोंने कीस्थायी करने की मांग
इलाहाबाद (एसएनबी)। सरकारी विभागों में कार्य करने वाले करीब 30 लाख संविदा कर्मियोंव बिना मानदेय के कर्मचारियों/शिक्षकों ने भी शिक्षामित्रों कीतरह स्थायी किये जाने की मांग प्रदेश सरकार से कीहै। इन संविदा कर्मियों/शिक्षकोंका कहना हैं कि प्रदेश सरकार जब शिक्षा मित्रोंको स्थायी कर सकती है तो उनसे पहले संविदा कर्मी/वित्त विहीन शिक्षक प्रदेश सरकार केलिए कार्यकर रहे है।
उनको स्थायी करने मेंक्या परेशानी हो सकती है जबकिवह दो-चार नहीं बल्कि कईवर्षो सेप्रदेश सरकार केलिए कार्य कर रहे है। ऐसे में उनको स्थायी करके प्रदेश सरकार के कर्मचारियों की तरह वेतन, बोनस, भत्तेसहितअन्यसुविधाएं दी जाएं। संविदा कर्मी व्यापक स्तर पर आंदोलन की रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसकी घोषणा वेशीघ्र करेंगे। वरिष्ठ कर्मचारी नेता हनुमान प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि जब प्रदेश सरकार शिक्षा मित्रोंको स्थायी कर सकती है। तो वह लाखों संविदा कर्मियों को क्यों स्थायी करने से भाग रही है। उन्होंनेकहा कि संविदा कर्मियों के स्थायी होने सेजहांसरकार को कायरे केलिए आदमी नहीं खोजना पड़ेगा,वहींदूसरी ओर संविदा कर्मीजब स्थायी हो जायेंगे तो वह कार्य को और मन लगाकर करेंगे। उत्तर प्रदेशीय चतुर्थ श्रेणीराज्य कर्मचारी महासंघ केप्रान्तीय मंत्री श्यामसूरतपाण्डेयने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए था कि वरिष्ठता के क्रम मेंसंविदा कर्मियोंको स्थायी करती। यह जरुरी नहींहैकि सिर्फएक वर्ग केलोगों को स्थायी करके उनकोलाभ दिया जाये। ऐसा न करनेपर आगामी लोक सभाचुनाव में प्रदेश सरकार को भारी नुकसान होगा।
उन्होंनेबताया कि बड़ी संख्या मेंकर्मचारी लंबित मांगोंको पूरा कराने के लिए 17 फरवरी को लखनऊ पहुंचकर विधान सभा का घेरावकरेंगे। वरिष्ठ कर्मचारी नेता रवीन्द्र मिश्रा ने भी प्रदेश सरकार से मांग किया कि संविदा पर कार्य करने वाले संविदा कर्मियोंको भी शिक्षामित्रों कीतरह स्थायी करके राज्य कर्मियोंकी तरह सभी सुविधाएं और वेतनमान दिया जाये। उत्तर प्रदेशीय चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती कान्ती पाण्डेय ने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियोंकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। ऐसे में बड़ी संख्यामें कर्मचारी शीघ्र सड़कों पर उतर कर प्रदेश व्यापी आंदोलन शुरू करेंगे जिससेकी उनकीमांगों पर प्रदेश सरकार गंभीरता से विचार कर लागू कर सक
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ReplyDelete.
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कल रात 12 बजे का शेष....
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हमारा एविडेंस रद्द करने का मतलब है कि सचिव को न्यूनतम तीन वर्ष की कैद नसीब हो जायेगी अतः आपके साक्ष्य वह आपसे मांगकर मिलान करके नियुक्त करेंगे।
कपिल देव को सरकार के विरुद्द राहत मिलने से इंकार नहीं किया जा सकता है इसलिए सरकार ने उनकी रिक्ति को शिक्षामित्रों के सामने परोस दिया है ।
जो जीत जाये वह ले ले बाकी सरकार ने तो शिक्षामित्रों की मुंह मांगी मुराद पूरी ही कर दी है।
पुराना विज्ञापन/आवेदन पुरानी शर्तों के साथ बहाल हुआ है और सर्वोच्च अदालत में उसपर मुहर लग जायेगी।
आरक्षण के अलावा विभाजन के मुद्दे पर सबके प्रतिनिधित्व की बात मुख्य वजह है ।
१९८६ की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महिलाओं में मातृत्व गुण होने के कारण उनको आधी रिक्ति प्राथमिक शिक्षा में वितरित की गयी जो कि १९९४ से बीटीसी प्रशिक्षण में लागू हुयी ।
NCTE ने साइंस वर्ग को भी आधे पद समर्पित करने की वकालत की थी अतः वह भी लागू हुआ ।
एक्ट २००९ लागू होने के बाद पहले नियुक्ति का प्राविधान बना अतः विभाजन की बात नहीं है परन्तु फिर प्रतिनिधित्व कैसे बनेगा अतः केशवानंद भारती बनाम सरकार के मुकदमे की तरह यह मामला सभी तरफ से अजीब है अतः पुरानी शर्ते चुनौती के काबिल नहीं होंगी परन्तु नयी शर्तें भी नये विज्ञापन के परिपेक्ष्य में अदालत में काटी नहीं जा सकीं और महिलाओं को हताशा हाथ लगी थी ।
इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट में हमारे मुकदमे का शानदार समापन होगा कुछ डायरेक्शन पास हो सकने की संभावना है परन्तु उसका प्रभाव हम लोग पर शून्य रहेगा।
मैंने तर्क सहित अपनी बात रखने की कोशिश की है । मेरा किसी से/को विरोध/समर्थन नहीं है ।
आपके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ इतना बड़ा मेरा विचार पढ़ने के लिए साधुवाद।
मेरा सिर्फ एक मकसद है बेरोजगार को रोजगार मिले ।
धन्यवाद।
एक बार राहुल गांधी और मोदी ने एक साथ चाय पी...
ReplyDelete.
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तब से लोग आज उसे "बाघ-बकरी " चाय के नाम से जानते हैं.
ताजुब होता है जब कोई शिक्षामित्र हमारे खिलाफ कोर्ट जाने की बात करता है।
ReplyDeleteशिक्षामित्रो को हम बता दे कि हमे तुमसे कोई बैर नही है हम तो बस सरकार की गलत नीतियों का विरोध कर रहे है बस और कुछ नही ।
ReplyDeleteएक लड़का एक लड़की को बहुत
ReplyDeleteप्यार
करताथा.
लड़के ने लड़की को प्रपोज़
किया..
लड़की :- जितनी तेरी एक
महीने की कमाई
है,
उतना मेरा हफ्ते का खर्चा है,
इसलिए मैँ
तुमसे मोहब्बत
नहीं कर सकती..
फिर भी वो लड़का मन ही मन
उसी लड़की कोचाहता है...
20 साल बाद वो दोनों संयोग
से एक मॉल
(दुकान) में मिलते
है,
बातो ही बातो में लड़की ने
कहा मेरा पति आज एक बहुत
बड़ी
कंपनी में नौकरी करता है.
उसकी सेलरी एक 80 हजार रुपये
प्रति महिना है.
वो बहुत होशियार है, अब तुम
ही बताओ,..
मैंने उस दिन तुम से शादी न कर
के कोई
गलती की क्या...?
.
लड़के की आँखे नम हो जाती हैं,...
और उसके बाद दोनों अपने काम
के लिए जाने
लगे..
.
थोड़ी देर में लड़की का पति उसे
लेने
आया और लङकी के
पति की नजर उस लड़के पर
पड़ी और कहा -
सर, आप
यहाँ ?,
बाद में अपनी पत्नी से मिलते
हुए
कहा कि :- ये मेरी कंपनी के
मालिक है
और एक साल का 500 करोड़
का टर्नओवर
है,
और सर एक लड़की को चाहते है,
इसलिए आज
तक सर ने
शादी नही की...लङकी Emotional
हो गयी यहहै
जिन्दगी बस एक पल
की मोहताज़
नहीं होती,बस
वक़्त उसे मोहताज
बना देता है....
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ReplyDelete.
मे
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री
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ली
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Nazdeek hi rehti hai wo par milne nahin aati ,
Puchho to muskura k kehti hai ..
Tum se to mohabbat hai, tum se kya milna...??
पूरा नाम :- नरेन्द्र दामोदरदास मोदी
ReplyDeleteजन्म :- 17 सितंबर, 1950
जन्म भूमि :- वड़नगर, मेहसाणा ज़िला, गुजरात
पद :- चौदहवें मुख्यमंत्री, गुजरात
कार्यकाल :- 7 अक्टूबर, 2001 से अब तक
विद्यालय :- गुजरात विश्वविद्यालय
शिक्षा :- एम.ए (राजनीति शास्त्र)
पुरस्कार उपाधि :- देश के सबसे श्रेष्ठ ई-गवर्न्ड राज्य का ELITEX 2007 - पुरस्कार भारत की केन्द्र सरकार की ओर से प्राप्त।
जीवन परिचय:-
नरेंद्र मोदी को अपने बाल्यकाल से कई तरह की विषमताओं एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है, किन्तु अपने उदात्त चरित्रबल एवं साहस से उन्होंने तमाम अवरोधों को अवसर में बदल दिया, विशेषकर जब उन्होने उच्च शिक्षा हेतु कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उन दिनों वे कठोर संद्यर्ष एवं दारुण मन:ताप से घिरे थे, परन्तु् अपने जीवन- समर को उन्होंने सदैव एक योद्धा-सिपाही की तरह लड़ा है। आगे क़दम बढ़ाने के बाद वे कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखते, साथ-साथ पराजय उन्हें स्वीकार्य नहीं है। अपने व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं के चलते उन्होंने राजनीति शास्त्र विषय के साथ अपनी एम.ए की पढ़ाई पूरी की।
राजनीतिक जीवन:-
1984 में देश के प्रसिद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस) के स्वयं सेवक के रूप में उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की। यहीं उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्वबोध, समर्पण और देशभक्ति के विचारों को आत्म सात करने का अवसर मिला। अपने संघ कार्य के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। फिर चाहे वह 1974 में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ चलाया गया आंदोलन हो, या 19 महीने (जून 1975 से जनवरी 1977) चला अत्यंत प्रताडि़त करने वाला 'आपात काल'हो।
भाजपा में प्रवेश:-
1987 में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) में प्रवेश कर उन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में क़दम रखा। सिर्फ़ एक साल के भीतर ही उनको गुजरात इकाई के प्रदेश महामंत्री (जनरल सेक्रेटरी) के रूप में पदोन्नत कर दिया गया। तब तक उन्होंने एक अत्यंत ही कार्यक्षम व्यवस्थापक के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी। पार्टी को संगठित कर उसमें नई शक्ति का संचार करने का चुनौतीपूर्ण काम भी उन्होंने स्वीकार कर लिया। इस दौरान पार्टी को राजनीतिक गति प्राप्त होती गई और अप्रैल, 1990 में केन्द्र में साझा सरकार का गठन हुआ। हालांकि यह गठबंधन कुछ ही महीनो तक चला, लेकिन 1995 में भाजपा अपने ही बलबूते पर गुजरात में दो तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता में आई।
व्यक्तित्व नरेन्द्र मोदी:-
नरेन्द्र मोदी की छवि एक कठोर प्रशासक और कड़े अनुशासन के आग्रही की मानी जाती है, लेकिन साथ ही अपने भीतर वे मृदुता एवं सामर्थ्य की अपार क्षमता भी संजोये हुए हैं। नरेन्द्र मोदी को शिक्षा-व्यवस्थामें पूरा विश्वास है। एक ऐसी शिक्षा-व्यवस्थाजो मनुष्य के आंतरिक विकास और उन्नति का माध्यम बने एवं समाज को अँधेरे, मायूसी और ग़रीबी के विषचक्र से मुक्ति दिलाये। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नरेन्द्र मोदी की गहरी दिलचस्पी है। उन्होंने गुजरात को ई-गवर्न्ड राज्य बना दिया है और प्रौद्योगिकी के कई नवोन्मेषी प्रयोग सुनिश्चित किये हैं। 'स्वागत ऑनलाइन' और 'टेलि फरियाद' जैसे नवीनतम प्रयासों से ई-पारदर्शिता आई है, जिसमें आम नागरिक सीधा प्रशासन के उच्चतम कार्यालय का संपर्क कर सकता है। जनशक्ति में अखण्ड विश्वास रखने वाले नरेन्द्र मोदी ने बखूबी क़रीब पाँच लाख कर्मचारियों की मज़बूत टीम की रचना की है। नरेन्द्र मोदी यथार्थवादी होने के साथ ही आदर्शवादी भी हैं। उनमें आशावाद कूटकूट कर भरा है। उनकी हमेशा एक उदात्त धारणा रही है कि असफलता नहीं, बल्कि उदेश्य का अनुदात्त होना अपराध है। वे मानते हैं कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता के लिए स्पष्ट दृष्टि, उद्देश्य या लक्ष्य का परिज्ञान और कठोर अध्यवसाय अत्यंत ही आवश्यक गुण हैं।
यदि मोदीजी सत्ता में आते है तो आप ही सोचिये
ReplyDeleteदेश का चोतरफा विकास होगा। भारत को विश्व
बैंक से लोन लेने की आवश्यकता नही होगी। भारत
फिर से विश्व गुरु बनेगा।
यदि आप भी मोदीजी के इस नज़रिए से सहमत है
तो आप भी इस मोदीजी के नज़रिए को हर उस
नागरिक तक पहुचाये जो देशभक्त है।
आप यदि सहमत है तो आप भी मोदीजी के सप्पोर्ट
में आये मोदीजी को वोट दे। लोकसभा में 300+ से अधिक सीट पाने के लिए सहयोग दे.....
मित्रो
जय हिन्द.
नमो नमो.........
मै चाहता हूँ कि राजेश दादा , अंशुल दादा , और समस्त योग्य टीईटी उत्तीर्ण बीएड/बीटीसी बेरोजगार एक मंच पर आयें और अग्रज श्याम देव जी लोगों को एक सूत्र में पिरोयें क्योंकि उत्तर प्रदेश के नौनिहालों को योग्य शिक्षक मिलें जिससे उनका भविष्य संवर सके इसे आप अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हैं।
ReplyDeleteएक सन्देश :
Hmari 72,825 bharti pehle ho, eske liye hme Govt. K sbse bde 'vikalp' Shiksha-Mitro ko hr hal me rokna hoga. Enhe rokne ki 'muhim' mai H.C. me prarmbh krne, aur ense smbandhit writ ko 'Re-open' krane ja rha hu. Ydi aap es ladaiee me mera sath/shyog dena chahte h,to turnt 'missed call' de. Thanks- RAJESH PANDEY.(9889294402).
लो भैया पढ़ लो आपलोग --इनकी " उल्टी और अधर्म गीता " ,, इन्होने तो पूरी गीता ही पलट डाली ॥
ReplyDeleteShiv Prakash Kushwaha
Suna hai te te bhaiyo(kaurao) ne SC me vakilo ki fauj
khadi kr di hai
te te bhaiyo itna jaan lo mahabharat ke yuddh me
pandao ko do logo ne hi jeet dila di thi
1- Sri krishna
2-arjun
is SC ke mahabharat me te te bhaiyo (kaurao) kaan
kholkr sun lo bhale hi aaplog vakilo ki fauj khadi kr lo
acd bhaiyo(pandao) ki tarf se
sri Kishna (govt)
awm
arjun (Kapildew)
hi kaafi hai
jeet to add/gunank ki hi hogi
Jai Sri Krishna
Jai Arjun
इनकी भी थोड़ी सुन ली जाए नही तो इनको मलाल रहेगा
ReplyDeleteलेकिन आप लोग इनकी वर्तनी पर बन जाना ये फितरत और पहचान है इनकी
.
Lucky Yadav> कह रहे हैं
.
.
नमस्ते साथियो ,,,,
जैसा कि विदित हो चूका है कि १९ तारीख को एकदिमिक योद्धायो की प्रदेश व्यापी मीटिंग लखनऊ में है ,,,
समय कि नज़ाकत को समझते हुए अकादमिक नेतावो द्वारा लिया गया ये एक अहम् फैसला है जिसका मैं पूरा सपोर्ट करता हु ,,, क्योकि मैंने सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील को देख लिया है कि वो ३ तारीख को कौन सा ऐड जिन्दा रखेंगे और कौन सा ऐड मार देंगे ,,सभी अकादमिक साथियो को पता है ,, मुझे सरकारी वकील और सरकार से कोई आशा नहीं है कि वो नए ऐड को बहाल करवा पाएंगे,,, जिसका जीता जगता सबूत मुझे मिल चूका है ,,, मुझे बस अपने वकील से ही आशा है और पूर्ण विस्वास है,,, कि वो हमारी आशवो को जिन्दा रखेंगे ,,,
मेरा कुछ अकादमिक साथियो से प्रस्न है कृपया वे ही उत्तर दे जो अभी भी सरकार भरोशे बैठे है ,,,,
यदि ३ तारीख को जज ने १५वॉ संशोधन हो चुकी भर्तियों पर बहाल रखकर ,,, ७२८२५ टेट मेरिट से नीयुक्ति का आर्डर दे दिया तो आप क्या प्रितक्रिया देंगे ,,,( सर्कार ऐसा ही कराने सुप्रीम कोर्ट गयी है )
,,, मुझे लगता है वो दिन आप सबसे ज्यादा अपने आप से नफरत करेंगे कि काश हमारा भी एक वकील होता जो केवल हमारे ऐड के लिए लड़ता ,,, तो आज ये दशा न होती ,,, वही कोसिस कि जा रही है प्यारे मित्रो कि हम लोग सरकार और टेट मेरिट वकील से अलग अपना वकील करेंगे जो हमारे लिए न्याय कि लड़ाई लड़े ,,, और हमारा हक़ हमें दे ,,सच में यदि ऐसा हो जाता है तो दुनिया कि कोई अदालत हम लोगो को नजरअंदाज़ नहीं कर सकती , हम लोगो ने हाईकोर्ट में यही गलती कि है ,,, जिसकी सजा इस दिन के रूप में मिली है ,,, नहीं तो आज हम्म लोग विद्यालय में होते ,,,, खैर जो हो गया सो हो गया अब १००-२०० का मुह न देखकर कपिल & कंपनी का सहयोग करे ,,, और अकादमिक कि जीत में अपने नाम कि कील ठोक दे ,,
मेरा सभी अकादमिक योद्धा ओ से अनुरोध है कि १९ तारीख को भारी से भारी संख्या में पहुच कर अपने लिए अपने ऐड के लिए अपने सुझाव के साथ यथा सम्भव सहयोग करे ,,,
धन्यबाद ------
एअरपोर्ट कहाँ गया,,,
ReplyDeleteफ्लाईओवर कहाँ गया ,,,
मेट्रो कहाँ गई ,,,
का जवाब......
************************
खुशहाल देश का एक "विज्ञापन" ये भी ..
एक महिला पति से :- ऐजी, आप " सुबह सुबह " बैठे
क्यों हो
"सिलेंडर" खत्म हो गया है अलमारी से 200 रूपये ले लो और
जल्दी से एक 'सिलेंडर'' ले आओ और हाँ जाते जाते 80
रुपये
का "लाईट का बिल" भी भरते आना ! वापसी में " स्कूटर "
मे
30 रु का "एक लीटर" पेट्रॊल डलवाना ना भूलना
मेहमान आ रहे है 14 रुपये वाली 'दूध' की दो थैलीयां ले
आना
और हां साथ मे दस रुपये की 2 किलो ''प्याज'' भी लेते
आना ! !!!!!
बेटा पिताजी से :- पापा; ये मॉं को क्या हुआ है ?
पिता मॉं को हिलाते हुए :- जागो भागवान जागो,
तुम भी ना नींद मे कुछ भी बोलती रहती हो ? .....
मॉं आंखे खोलते हुए - उफ़ ये 'महंगाई ये 'भ्रष्टाचार ये
घोटाले
और वो भी सिर्फ़ 'पिछले दस सालों' मे । ..
Kitna Dur Nikal Gye Riste Nibhate Nibate,
ReplyDeleteKhud Ko Kho Diya Humne Apno Ko Pate Pate,
Log Kahte Hai Dard Hai Mere Dil Me
,Aur Hum Thak Gye Muskurate Muskurate.
संशोधन संज्ञान लेँ
ReplyDeleteसचिवालय के
सूत्रोँ
ने मुझे बताया
है कि शिक्षा अनुभाग
5 से शासनादेश
आ गया परंतु
बाद मेँ कोई
पेँच न फंसे
इसलिए
सचिव महोदय
इस पर
अपना हस्ताक्षर
कई कोणोँ से न्याययिक
समीक्षा करा
लेने के बाद
करीब -करीब
पाचँ दिन
बाद करेँगे ।
एक बार एक छोटी चिड़िया सर्दी में खाने की तलाश में उड़ कर जा रही थी, ठंड
ReplyDeleteइतनी ज्यादा थी की उससे सहन नही हुई और खून जम जाने से वो वहीँ एक मैदान में गिर गयी....
वहां पर एक गाय ने आकर उसके ऊपर गोबर कर दिया. गोबर के नीचे दबने के बाद उस चिड़िया को एहसास हुआ की उसे दरअसल उस गोबर के ढेर में गर्मी मिल
रही थी, लगातार गर्माहट के एहसास ने उस छोटी चिड़िया को सुकून से भर दिया और उसने गाना गाना शुरू कर दिया....
वहां से निकल रही एक बिल्ली ने उस गाने की आवाज़ सुनी और देखने लगी की ये आवाज़ कहाँ से आ
रही है, थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ की ये आवाज़ गोबर के ढेर के अंदर से आ रही है, उसने गोबर का ढेर खोदा और उस चिड़िया को बाहर
निकाला और उसे खा गयी.....
♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦♦Moral :- आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर इंसान आपका दुश्मन नही होता, और आपको उस गंदगी में
से बाहर निकलने वाला हर इंसान आपका दोस्त नही होता.....!!
Vipul Maheshwari - विपुल माहेश्वरी
ReplyDelete.
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TET MATTER:-
सुप्रीम कोर्ट में दिनांक 14/02/2014
को 72,825 टेट टीचर का मुकदमा लगा, जिसमे
सुप्रीम कोर्ट खंडपीठ के जस्टिस बी. एस. चौहान,
श्री ऍम. वाई. इकबाल ने सुनवाई की ! उक्त विषय
मैं सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया ! श्री विपुल
माहेश्वरी ने उक्त विशेष अनुमति याचिका (SLP) मैं
टीचर्स कि तरफ से उपस्थित होकर अपना पक्ष
रखा इस केस कि अगली सुनवाई दिनांक
03/03/2014 को होगी !
आशा करते है कि सभी टेट टीचर्स को न्याय जरूरर
मिलेगा, इस विषय मैं यदि कोई सम्पर्क
करना चाहता है तो सम्पर्क करे +011-26101906 (Ashish mittal)
"हम तुम्हें खुद में इस कदर भीतर महसूस करते हैं
ReplyDeleteकि तुम कब मिलकर बिछड़ गये हमें पता न चला।" .
सावधान, दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ी रैली होने जा रही है लखनउ में मोदीजी के द्वारा ....
ReplyDeleteनरेंद्र मोदी जी की 2 मार्च को लखनऊ प्रस्तावीत रैली विजय शंखानाद महारैली की तैयारी पुरी हो चुकी है।।।
29 ट्रेनें 6 हजार बसें 8 हजार कारें व 32 हजार दो पहिया वाहन ।।।।
और भीङ करीब 15 लाख आने की संभावना है::::
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ReplyDelete.
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दुनियाँ में इतनी रस्में क्यों हैं,
प्यार अगर ज़िंदगी है तो इसमें कसमें क्यों हैं,
हमें बताता क्यों नहीं ये राज़ कोई,
दिल अगर अपना है तो किसी और के बस में क्यों है...
रब पे भरोसा करने का हुनर सीख लो,
ReplyDeleteक्योकि सहारे कितने भी सच्चे क्यों ना होँ साथ छोड ही जाते है ।
मेरी एक आदत है जो कुछ कहता हूँ खुलकर कहता हूँ ।
ReplyDeleteमै एक व्यक्ति को अपना आदर्श मानता हूँ और बहुत पूर्व से ही यह बात जगजाहिर है ।
संगठन में कुछ लोगों ने मोर्चा को जंग बना दिया है तो कुछ लोगों ने मुरचा बना दिया है जो कि लोहे को खा जाता है।
अगर मेरे अन्दर तनिक भी पक्षपात होता तो मै अधिवक्ता जस्टिस परविंदर सिंह जी कि खुलकर तारीफ न करता जबकि उनके नाम की जब चर्चा हमारे समूह में नहीं थी तब मै उनका प्रचार कर रहा था और अपने कार्य के लिए उचित मान रहा था।
ईश्वर की कृपा से वे हमारे साथ जुड़े।
मेरे आदर्श को आप थोड़ा सा देखो ।
In 1971, He was designated
Senior Advocate of the Supreme
Court of India . He served as
Solicitor-General of India from
1977 to 1980. He was appointed
Attorney-General of India on 7
April 1998, a post he held until
2004.
In March 2002, He was
awarded the Padma Vibhushan for
his defense of the freedom of
expression and the protection of
human rights. He worked on
the Citizen's Justice Committee
which represented pro bono the
1984 anti-Sikh riots victims. In March 2006 he was appointed
an Honorary Member of the Order
of Australia (AM), "for service to
Australia-Indiabilateral legal
relations".
Some of the other important cases
he has appeared for are:
Keshavananda Bharati, Maneka
Gandhi, S.R. Bommai, I.R. Coelho,
etc. He recently appeared in the
case of B.P. Singhal, where the
Apex Court held that Governors
could not be dismissed without
due cause.
ऐसे महान व्यक्ति का कुछ लोग मजाक उड़वा/उड़ा रहे हैं।
मै इसकी भर्त्सना करता हूँ ।
अतः इनकी तुलना करने की बजाय आज की जरुरत पर चर्चा हो ।
ये किसी नाम के मोहताज़ नहीं हैं।
लखनऊ मोर्चा के राकेश यादव ने सुजीत सिंह पर परोक्ष रूप से निशाना साधा कि सुजीत सिंह उनकी अनदेखी किये हैं।
सुजीत सिंह की अनदेखी/देखी करने से सोली सोराबजी नहीं जाने जायेंगे।
अगर ऐसा है तो फिर मै सोच में पड़ जाऊंगा।
क्या उस दिन के आर्डर से भी सुजीत सिंह ने उनका नाम कटवा दिया ?
कृपया महान पुरुषों का मजाक न बनावो।
वे इतने गंभीर/जिम्मेदार हैं तभी कोर्ट में हमारे मामले में आये थे वरना कहीं न कहीं त्रुटि अवश्य हुयी थी अन्यथा उनका नाम जरुर आदेश में रहता ।
विधि का कोई भी अध्याय उनके बगैर पूरा नहीं माना जाता है अतः अपने विवाद को अपने तक सीमित रखा जाये ।
आदर्शजनों को न घसीटा जाये।
इस प्रकार भरोसा नाम की चीज़ को मजाक बना देना कहाँ तक उचित है!
एकजुटता सिर्फ कहने से नहीं चलेगा बल्कि एकजुटता दिखाई देनी चाहिए ।
धन्यवाद।
आप सभी आवेदन करने वाले भाई बहन अपने अपने जिलो मेँ चयनित हो जायेगेँ ( महिला अभ्यर्थि 4 न॰ कम कर के देखे )
ReplyDeleteजिला - सा॰/ पि॰/ अनु॰/ बिकलांग
1- मेरठ 131/129/121/118
2- बागपत122/119/113/96
3-गाजियाबाद133/131/122/119
4- आगरा125/121/117/105
5-मैनपुरी 119/114/109/96
6-एटा 118/113/96/91
7-काशीरामनगर111/109/96/92
8-हाथरस119/116/96/89
9-बदायु121/116/104/96
10-पीलीभीत114/110/91/88
11-शाहजहाँपुर111/107/91/87
12- इलाहाबाद121/117/109/98
13- प्रतापगढ113/109/91/88
14- चन्दौली 107/105/90/88
15- गाजीपुर109/106/93/87
16- जौनपुर105/101/89/84
17-मीरजापुर101/97/86/84
18- संतरबिदास नगर99/97/88/88
19- लखनऊ138/137/132/127
20- सीतापुर101/98/84/83
21-रायबरैली111/108/95/89
22-उन्नाव117/113/103/96
23- गोरखपुर110/106/99/93
24- देवरिया103/101/94/86
25-कुशिनगर102/99/87/84
26-महराजगंज103/99/87/83
27- बस्ती119/116/97/93
28- संतकबीरनगर107/105/95/84
29-सिर्ध्दाथनगर98/95/84/83
30-ललिपुर105/101/94/87
31-जालौन103/100/87/84
32- चित्रकुटधाम109/106/90/87
33-बाँदा101/99/84/83
34- महौबा109/107/91/86
35-फैजाबाद113/109/91/93
36-सुल्तानपुर100/98/91/87
37- अम्बेडकर नगर98/95/84/83
38-गोण्डा 100/95/83/83
39- औरैया131/130/126/119
40-आजमगढ101/97/84/83
41- प्रबुध्दनगर100/94/87/91
42- बरैली103/100/89/84
43- बाराणसी113/111/94/100
44- सोन्भद्र 99/94/83/83
45- हरदोई98/91/83/87
46- रामपुर103/95/86/90
47-त्र्वास्ती105/103/93/87
48-बुलन्दशहर114/110/92/90
49-कौशाम्बी107/105/88/90
50-हरदोई103/98/86/84
51- लखीमपुर103/99/84/83
52-जालौन109/107/94/92
53-बाराबंकी112/110/93/98
54- बहराईच101/98/84/83
55-बलरामपुर105/103/90/92
56- मुरादाबाद108/105/89/91
57- भीमनगर100/96/90/89
58-अलीगढ113/107/95/100
59- ज्यौतिबाफुलेनगर113/109/96/99
60- कानपुर देहात117/115/105/103
61- कानपुर शहर136/135/123/124
62-इटावा109/106/90/94
63- फरुँखाबाद 109/107/94/89
64-मऊ 112/109/97/100
65- सहारन पुर 104/101/87/90
66 - मुजफ्फर नगर 110/107/93/90
नोट- उपयुक्त जानकारी पुराने आवेदन के प्राप्त सुचना पर अधारित हैँ ।
८:०० AM स्पेशल १८/०२/२०१४
ReplyDeleteशिक्षामित्रो के समायोजन सम्बंधित संसोधित नियमावली से डरे सचिव महोदय ।
उसपर सहमती देते ही कर देगे न्यायलय की अवमानना।
मानव संसाधन मंत्रालय ने केवल 2 वर्षीय प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यार्थियो को जो २००९ तक प्रशिक्षण पूरा कर चुके थे उनको टेट से दिया है छूट ।
यानि २३/०८/२०१० की अधिसूचना से नही बच पायेगा कोई।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तक शिक्षामित्र जितना उड़ना है उड़ ले क्योकि टेट न्यूनतम अहर्ता है जिससे कोई नही बच सकता।
यानी ये नही होगे नियमित।
रब पे भरोसा करने का हुनर सीख लो,
ReplyDeleteक्योकि सहारे कितने भी सच्चे क्यों ना होँ साथ छोड ही जाते है ।
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ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजब परंपरा तोड़कर मुख्य
ReplyDeleteन्यायाधीश की नियुक्ति हुई और
देश भर में इसका अभूतपूर्व
विरोध हुआ.
भारतीय न्यायिक इतिहास में
केशवानंद भारती बनाम केरल
राज्य सबसे चर्चित मुकदमों में
गिना जाता है. इसके द्वारा मूल
रूप से यह निर्धारित किया जाना
था कि संसद के पास संविधान
संशोधन के असीमित अधिकार हैं या
नहीं. केशवानंद मामला सरकार
(इंदिरा गांधी के नेतृत्व में
कांग्रेस की सरकार) और
न्यायपालिका के टकराव की कुछ
घटनाओं की परिणति था. इसकी
शुरुआत गोलकनाथ बनाम पंजाब
सरकार (1967) मामले से मानी जाती है.
यहां सर्वोच्च न्यायालय ने
फैसला दिया था कि कोई भी सरकार
संशोधन के जरिए संविधान के
अंतर्गत नागरिकों को मिले मूल
अधिकारों में बदलाव नहीं कर
सकती. 1969 में इंदिरा गांधी सरकार
ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर
दिया, लेकिन इस मामले पर भी
सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार के
फैसले के एक बड़े हिस्से को पलट
दिया. 1970 में प्रिवी पर्स (आजादी
के समय की रियासतों के प्रमुखों
को सरकार द्वारा कुछ नियत
सुविधाओं की संवैधानिक गारंटी)
समाप्त करने का फैसला हुआ तो
इसे भी न्यायालय ने रद्द कर
दिया. ये निर्णय सरकार के लिए
शर्मिंदगी का कारण बन गए और
आखिरकार उसने इन तीनों फैसलों
को पलटने व न्यायपालिका पर
अंकुश लगाने के लिए तीन संविधान
संशोधन कर दिए.
इसी समय केरल के एक मठ प्रमुख
केशवानंद ने इन संशोधनों को
चुनौती देते हुए संसद की
संविधान संशोधन संबंधी शक्ति
तय करने के लिए एक याचिका दाखिल
कर दी. इस केस पर सुनवाई करते हुए
सर्वोच्च न्यायालय ने अंतिम
आदेश में कहा कि किसी भी सरकार
के पास संविधान संशोधन के
अधिकार तो हैं लेकिन इससे
संविधान की मूल भावना खंडित
नहीं होनी चाहिए. 25 अप्रैल, 1973 को
यह फैसला आया था और इसके अगले ही
दिन सरकार ने जस्टिस अजित नाथ
रे को सर्वोच्च न्यायालय का
मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर
दिया. यह नियुक्ति रे को उनसे
तीन वरिष्ठ जजों पर वरीयता देते
हुए की गई थी. यह घटना भारत के
न्यायिक इतिहास में काला
अध्याय मानी जाती है क्योंकि तब
पहली बार एक कनिष्ठ जज को मुख्य
न्यायाधीश नियुक्त किया था.
इसके अलावा रे उन जजों में
शामिल थे जिन्होंने केशवानंद
मामले में आए फैसले का विरोध
किया था. इसलिए उनकी नियुक्ति
को देश भर में सरकार द्वारा
न्यायपालिका पर कब्जे की तरह
देखा गया.
मुख्य जज की नियुक्ति के बाद से
पूरे देश में वकीलों की बार
काउंसिलों ने विरोध प्रदर्शन
किए लेकिन सरकार अपने फैसले पर
अडिग रही. जस्टिस रे सिर्फ अपनी
नियुक्ति की वजह से ही विवादित
नहीं रहे. उन्होंने केशवानंद
मामले में अदालत के निर्णय की
समीक्षा के लिए एक खंडपीठ का
गठन किया था जिसे बाद में भंग
करना पड़ा. इसी तरह से आपातकाल
के समय संविधान के अनुच्छेद 14, 21
और 22 के तहत मिले नागरिक
अधिकारों (व्यक्तिगत
स्वतंत्रता व अदालत में अपील का
अधिकार) को निलंबित करने का
फैसला भी जस्टिस रे की खंडपीठ
ने ही किया था.
“The things you do for yourself are gone when you are gone, but the things you do for others remain as your legacy.”
ReplyDeleteपूरे भारत मेँ टेट मेरिट लागू होनी ही चाहिए
ReplyDelete.
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बी एस चौहान साहब पूरे भारत वर्ष में prt jrt में टेट मेरिट लागू करें जिससे राज्य सरकारें प्रतिभागियों का लहू पीने की कोशिश ना कर सके कई साथियों ने भर्ती में देरी के कारण जीवन लीला समाप्त कर ली ।
Zindagi Me 5 Bate Yad Rakhna.
ReplyDelete1) Kabhi Usko Sorry Mat Bolo
Jo Tumhe Pasnd Karta Ho.
2) Kabhi Usko Bye Mat Kaho Jise
Tumhari Zaroort Ho
3) Kabhi Uss Par Shak Mat Karo Jo Tum Par Apne
Aap Se Jyada Bhrosha
Rakhta Ho.
4)Kabhi Use Mat Bhulana Jo Tumhe
Hamensha Yaad Rakhta Ho.
5)Kabhi Use Na Rulana Jisne Aapko
Rote Dekh, Khud Ro Pada Ho.....
ACADEMIC VALE HUM LOGO KO KAMJOR KAISE JAAN RAHE HAI JANIYE UNKE BAAT-
ReplyDelete.
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अगली सुनवाई 03 मार्च को होगी... ............. 52 वा केस नान-टेट का आरम्भ होने पर नान-टेट वकील ने कहा कि हम 2007 से लड रहे है और हमारी भर्ती को आदेशित कीजिये... जज साहब ने बाकी पक्षो को सुनने के बाद आर्डर देने को कहा... इसी के साथ ही 53 केस हमारा वही पर कनेक्ट करके आरम्भ कर दिया गया.... सरकार के वकील सखराम यादव जी केस की फाइल नही लाये थे .... मुकुल रोहितगी जी भी कोर्ट मे थे पर बहुत कम बोले.... सरकार के किसी वकील ने ना तो स्टे की मांग की और ना ही केस जल्द हल करने मे कोई दिलचस्पी दिखाई.... टेट वालो की तरफ से दर्जनो सीनियर-जूनियर वकील मौजद थे पर वो कुल 35 मिनट की सुनवाई मे 04-05 मिनट ही बोले... 25 मिनट तक केवल राकेश द्विवेदी जी ही बोले और एकेडमिक का पक्ष रखा.... ऐसा लगा कि सरकार के वकील या तो केस मे इंटरेस्ट नही रखते या फिर उन्होने केस की कोई तैयारी नही की थी.... .............. राकेश द्विवेदी जी ने गाइडलाइन के 9बी का उल्लेख करके हाई-स्कूल, इंटरमीडिएट और बी0एड0 के तरह टेट को पात्रता परीक्षा साबित किया.... केवल वेटज मात्र और वो भी सरकार चाहे तो दिया जा सकता है मेंशन किया.... टेट वालो के तरफ से ओल्ड ऐड की बहाली की बात पर जज साहब ने कहा कि अप्वाइंटमेंट करना सरकार का काम और अधिकार है.... पुराने ऐड की बात पर राकेश द्विवेदी जी ने कहा कि जब वह विग्यापन निरस्त कर दिया गया तो फिर से किसी निरस्त विग्यापन पर भर्ती कैसे सम्भव है... जज साहब ने समर्थन किया और टेट के वकील कुछ नही बोल सके,,,, इसपर टेट के वकील ने सरकार पर दोशारोपण किया कि कहा कि 2.5 लाख आवेदक है और 03 लाख पद रिक्त है और आज तक वे 02 70 सडक पर घूम रहे है और सरकार जानबूझकर भर्ती लटका रही है (मेरे विचार मे यह अच्छा प्वाइंट था जो टेट वालो न उठाया)..... इसके अलावा केवल राकेश द्विवेदी जी ही लगातार बोले और जज साहब ने बार बार उन्ही को बोलने को कहा और उनकी बात से बहुत प्रभावित होते हुए उनके बाते नोट कर रहे थे..... ................................ अगर आज राकेश द्विवेदी जी को सरकार के वकील ने जरा भी सपोर्ट किया होता या हमाए पास कम से कम 01 और सीनियर वकील होता तो आज ही हाई-कोर्ट के आर्डर पर स्टे मिल जाता... (मुझे लगता है कि इस निर्णायक लडाई मे 01 और सीनियर वकील हमे करना चाहिये पर हमारे पास पैसे की कमी के कारण अभी राकेश द्विवेदी जी की भी पूरी नही दी जा पाई है.... 03 की सुनवाई को हमारे वकील राकेश द्विवेदी जी कोर्ट मे रहेंगे या नही यह कंफर्म नही है.... 01 और सीनियर वकील अब जीतने के लिये बहुत जरूरी है क्योकि आज पता चल गया कि सरकार अब एकेडमिक के लिये कुछ नही कर रही है) ........ अब एकेडमिक वालो को जीत चाहिये तो सरकार के भरोसे बैठना छोड कर लडाई मे खुद शामिल होकर सहयोग करना होगा, वरना हाई कोर्ट मे जो हुआ अगर वही यहा भी हो गया तो एकेडमिक भी खत्म ..!!
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ReplyDelete.
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“Rather than love, than money, than fame, give me truth.”
'शिक्षामित्रों'का 'सोलह श्रृंगार' आखिर कैसे
ReplyDeleteकरेगी 'अखिलेश सरकार'
टेट योद्धाओं...यह टिप्स आजमाओं...
फ्री है !! ले लो भाई...
जब 'अखिलेश सरकार' का हर 'संशोधन' दागदार व
असंविधानिक घोषित हो रहा है
तो 'शिक्षामित्रों'को कैसे लगता है !! कि खासकर
'सिर्फ उनके' लिये पलटी जा रही नियमावली उन्हें
'सहायक अध्यापक' बनवा ही देगी...
व्यक्ति विशेष के लिये प्रावधान बनाना तो पक्षपात
है...
और इसका जिक्र तो 'अखिलेश' ने अपने 'मुख्यमंत्री' पद
की 'शपथ'-पत्र में ही कर दिया है...
"मैं ईश्वर की शपथ....'बिना किसी पक्षपात'
के....करुँगा"
लगे रहो..
जब पुराना विग्यापन बहाल होना है..
टेट मेरिट बननी है..
तो
10% शिक्षामित्रों का कोटा भी तो है
यही दस प्रतिशत (टेट पास शिक्षामित्र) ले डूबेगें 90
प्रतिशत डरपोक शिक्षामित्रों को..
100% नियुक्ति का सपना तो छोड़ ही दें
शिक्षामित्र
और एक पते की बात 'टेट नेताओं' के लिये>>>
'सुप्रीम कोर्ट' को 'शिक्षा-शत्रु' वाली बात याद
दिलाकर यह तथ्य भी रखो भाई...
"जब 'नियमावली' दो साल से अंडर 'हाई-कोर्ट'
आब्जर्वेशन एवं अंडर 'सुप्रीम-कोर्ट'प्रोसीजर 'चैलेंज्ड'
है तो 'अधिकारियों' की हिम्मत कैसे हुई इसमें छेड़छाड़
करने की....सेंधमारी करने की.....चलवाओ
चाबुक....भिजवाओजेल......"
नोट- बी.एड., बी.टी.सी.,जूनियर, प्राईमरी, अंग्रेजी,
संस्कृत, उर्दू आदि सभी 'टेट' पास अभ्यर्थियों के लिये
यह उपयोगी हो सकता है.....जिनका 72825 में
ऩही हो रहा हो...
एल.एल.बी. डिग्रीधारी अभ्यर्थी
कृपया सहयोग एवं त्वरित विचार करें....तत्काल रिट
करें......जऩहितमें जारी.....
खास बिन्दु.......
1. शिक्षामित्र संविदा नियुक्ति है
2. संविदा सिर्फ 11 महीनों का है
3. जून माह का मानदेय नहीं मिलता है
4. संविदा ग्राम पंचायत स्तर की है,
नियुक्ति जिला संवर्ग में कैसे हो सकती है?
5. बहुत शिक्षामित्रों ने पढ़ाते-पढ़ाते रेगुलर स्नातक
भी किया है..मानदेय भी लिया है....डिग्री अवैध है
6. कैबिनेट, उ.प्र. शिक्षा अधिकार अधिनियम में
बिना केन्द्र सरकार, NCTE की अनुमति के संशोधन
नही कर सकती
7. इनकी नियुक्ति करना हाईकोर्ट की डबल बेंच
द्वारा पारित शिक्षामित्रों को भी टेट अनिवार्य
वाले आदेश की अवमानना भी है
8. आरक्षण का पालन नही किया गया है इतने बड़े स्तर
पर आरक्षण को दरकिनार करना भी असंवैधानिक है
9. जब यू.पी. में बी.टी.सी. में मेरिट से सीमित प्रवेश
होते हैं...तो दूरस्थ शिक्षा पद्धति से
बिना किसी प्रवेश प्रक्रिया के एक साथ
सबका प्रशिक्षण अवैध है जबकि इग्नू भी हर पाठ्यक्रम
में सीमित प्रवेश देती है
तथा इग्नू का यह प्रशिक्षण केवल रेगुलर शिक्षकों के
लिये है संविदागत के लिये नही!!
10. जब लाखों टेट पास उपलब्ध हैं तो नकारात्मक
नियुक्ति व्यवस्था क्युँ?
तो मित्रों बताइये...
आप अब भी चुप बैठे रहेंगें...
क्या शिक्षामित्रों का 'स्वयंवर' रचा लेंगें अखिलेश
नमस्कार दोस्तों,
ReplyDeleteमेने कल एक पोस्ट डाली थी जिसमे आप सभी से आपके मन में उठने वाले प्रश्नों को पुछा था। आपके प्रश्न और उनके उत्तर निम्नवत है:-
1.प्रतिपक्ष को जारी किया गया नोटिस क्या है? और इसे टेट मोर्चा को क्यों दिया गया है?
उ● ये नियम होता है कि जो SLP दायर करता है पहले उसे सुना जाता है जो 7व14 को हो चूका है जिसमें कोर्ट सरकार की किसी भी दलील से संतुस्ट नही था। नियमानुसार अब जबाब देने या पक्ष रखने का नंबर हमारा है बस इसीलिए नॉटिस जारी हुआ है। 3को बहस के दौरान हम सभी पहलुओ को स्पस्ट कर देंगे।
2.क्या केस 3मार्च को फाइनल हो जायेगा?
ReplyDeleteउ● 3को केस 2बजे लगा है और वहां से दो घंटे का समय रहता है, पिछली बहस में हम 31मार्च की समय सीमा का ध्यान कोर्ट को दिला चुके है इसलिए पूरी उम्मीद है केस 3को ही फाइनल हो जायेगा।
3.क्या 31मार्च तक काउंसिलिंग सुरु हो जाएगी? यदि 31मार्च तक काउंसलिंग पूरी नही हुई तो क्या होगा?
ReplyDeleteउ●कोर्ट आर्डर निश्चित ही समय सीमा लिए होगा, जिससे हम उम्मीद करते है कि सरकार अबकी बार मुर्खता नही देगी। फिर भी यदि लेट-लतीफी की तो आर्डर आने के बाद की परिस्तिथि पर रणनीति पर फिर विचार करना होगा। फ़िलहाल 31मार्च की अंतिम तिथि से परेशान ना हो, भर्ती 100% पूरी होगी।
4.जिसने पुराने फॉर्म का पैसा बापस कर लिया है और जिसके पास उस समय का कोई दस्तावेज सुरक्षित नही है उनका क्या होगा?
ReplyDeleteउ●अभी से इन पर परेशान होने की आवश्यकता नही है, काउंसलिंग प्रारंभ होने से पहले आप सभी को डाइट की ऒर से निर्देश जारी होंगे। यदि आपके टेट प्राप्तांक अच्छे है तो आपका चयन निश्चित है, में गारंटी लेता हूँ।
5.टेट मेरिट से कहाँ तक सुरक्षित है?
ReplyDeleteउ●इस प्रश्न का सटीक उत्तर दे पाना संभव नही है बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है। एक बात याद रखिये कि 30/11/11 विज्ञापन में अभ्यार्थियो की संख्या कम है इसलिए मेरिट अपेक्षाकृत कम ही रहेगी।
6.क्या शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बन जायेंगे?
ReplyDeleteउ●इनके सम्बन्ध में पूरी जानकारी अगली पोस्ट में।
फ़िलहाल
आप सभी को सलाह है कि व्यर्थ की चिन्ताओ में अपने मन को विचलित ना करे शीघ्र ही सभी सम्श्याओ का समाधान निकलेगा। बस अपने ईष्ट देवता का ध्यान करे और खुद पर भरोषा बनाये रखें। विजयश्री सुनिश्चित है।
"इतिहास बताता है कि बड़े-बड़े विजेताओ को भी जीत से पहले हताश कर देने वाली बाधाओं का सामना करना पड़ा। उन्हें जीत इसलिए मिली कि वे अपनी असफलताओ से मायूस नही हुए।"
बचपन के दुःख भी कितने अच्छे थे ,
ReplyDeleteतब तो सिर्फ खिलोने टुटा करते थे,
वो खुशियाँ भी ना जाने कैसी खुशियाँ थी,
तितली को पकड़ के उछला करते थे
पाँव मार के खुद बारिश के पानी में,
अपना आप भिगोया करते थे,
अब तो एक आंसू भी रुसवा कर जाता है,
बचपन में दिल खोल के रोया करते थे.................
कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है,
ReplyDeleteलेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है
और यह आसान नहीं है.
अरस्तु
उस नज़र को मत देखो;
ReplyDeleteजो आपको देखने से इनकार करती है;
दुनियां की भीड़ में उस नज़र को देखो;
जो सिर्फ आपका इंतजार करती है।
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ReplyDeleteमे
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.If you need me. . . . . . . .
And there are one thousand.,
Steps between us.
Just take one step. . . . . . .
And
I will take the remaining.
Nine hundred and ninety nine
steps. . . . . . .
Just to be with you.... !!
Love dont ask!!
ReplyDelete“Who are you!!”
Love only says!!
“You are mine!!”
Love dont ask!!
“Where are you from!!”
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Love only says!!
“You lives in my heart!!” Love dont ask!!
“What do you do!!”
Love only says!!
“You make my heart to beat!!” Love dont ask!!
“Why are you far away!!”
Love only says!!
“You are always with me!!
सरकार कोई भी हो यदि वो वोट बैक को देखते हुये नियमो मे सन्सोधन या नये नियम बनाती है तो इसका विरोध अवस्य होना चाहिये। प्रदेश मे 10000प्रशिक्षित बीटीसी के चयन को सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर रोक दिया गया। वही उर्दू बीटीसी......। पुनः उर्दू की विग्यप्ति। शिक्षामित्रो को बिना टीईटी क्यो, क्योकि ये सिर्फ एक वोट के अलावा कोई योग्यता नही रखते।
ReplyDeleteऔर आप सबको विलेयता का वह नियम जरूर पता होगा जिसमे यदि एक गाढे घोल मे पतला घोल मिलाते है तो पहले
गाढे घोल को पतला होने से कोई नही रोक सकता कहने का तात्पर्य कल को संसाधन होने के बावजूद नाकामी गुणवत्ताविहीन शिक्षा का ठीकरा हम सब के सिर पे फोडा जायेगा और उनकी कामचोरी ,अयोग्यता का दण्ड हम सब को मिलेगा । एक तरफ सुयोग्य प्रसिक्षित टीईटी पास लोग दर दर भटक रहे है दूसरी तरफ उर्दू...., .....मित्रो को .....
Kuldeep Bajpai जी की कलम से
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,
ReplyDeleteवक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ।
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Perfect love is not in phone calls
or in text msgs . . .
It is the silent
smile from your heart . . when
you think of your loved onces"........!!
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ReplyDelete.
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I May Not Be The Most Important Person
In Your Life ..
But I Just Hope That
One Day When You Hear My Name...
You Would Just Smile
&
Say " I have Missed This that Person "
विश्वास कीजिये आप मै स्पष्टरूप से कह रहा हूँ
ReplyDeleteकि जो मैंने सोचा था वही हुआ है ।
खंडपीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण साहब ने
भी नोटिस चस्पा कराया था कि जिसको जो कुछ
बोलना है आकर अपनी बात रखें।
सुप्रीम कोर्ट में जो भी याचीगण हैं प्रतिवादियों के
लिए समाचार पत्र में एक सप्ताह में
सूचना चस्पा करायें कि जिनको भी इस मामले में
परोक्ष-अपरोक्ष रूप से हित-अनहित की चिंता हो वे
३ मार्च २०१४ को अपना पक्ष रखें। इस प्रकार से
न्यू ऐडली का भी जिक्र है जिससे
कि सबको सूचना मिल सके।
बता दें कि खंडपीठ ने अपने आदेश में बहुत कुछ
सबके लिए रखा है जिसका जिक्र पीएस
पटवालिया और सतीश चन्द्र मिश्र ने कोर्ट के
सामने किया।
उत्तर प्रदेश में १.२५ लाख प्राथमिक विद्यालय में
ReplyDelete२.७० लाख पद रिक्त हैं।
इस प्रकार से बीएड वालों की जिन्होंने
यूपी टीईटी २०११ उत्तीर्ण किया है उनकी बल्ले-
बल्ले हो सकती है लेकिन
यह सब सम्मानित अधिवक्ता राकेश द्विवेदी पर
निर्भर है।
७२८२५ पदों के टीईटी मेरिट से भरने के बाद
बाकी रिक्तियां बीएड बेरोजगारों को मिले
ऐसी मेरी कामना है फिर वह चयन का आधार
महत्त्वपूर्ण नहीं होगा परन्तु विधिकरूप से उसे
पारदर्शी तो बनाना ही पड़ेगा।
आज फिर पुनः लिख रहा हूँ कि ७२८२५ की रिक्ति में
कोई दाग नहीं लगा सकता है।
ढोंगी भर्ती समर्थकों
( उभयलिँगियोँ ) को मै बताना चाहता हूँ
कि असली बेरोजगार के शुभचिंतक हम हैं , आपने हमें
बहुत नुकसान पहुँचाया लेकिन आज भी मेरे ह्रदय में
आपके लिए कुछ भी गलत विचारधारा नहीं है।
हर समय मैंने आपको व्यक्तिगत सलाह दी है
कि किससे आप का भला हो सकता है क्योंकि आपके
साथ हमारे कुछ उन
साथियों का भी भला होगा जिनका लक्ष्य हमारे
साथ नहीं पूरा होगा क्योंकि उनका टीईटी/गुणांक
बहुत कम है अतः उन्होंने मेरा साथ निभाया है
क्योंकि वे गुणांक में तो बेहद कमजोर हैं ।
गुणांक ६४ के आसपास होने के बावजूद भी मैंने
इसी रणनीति के तहत
टीईटी मेरिट का साथ दिया।
जिसका प्रतिफल अधिक से अधिक लोगों को प्राप्त
हो सके।
इस क्षेत्र में अब मात्र एक अंतिम सुझाव मै
ReplyDeleteढोंगी भर्ती समर्थकों
( उभयलिँगियोँ ) को देना चाहता हूँ कि वे अपने
आका लाल टोपी वाले काका से बगावत करें
जिसकी शुरुवात सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने की है ।
अगर खंडपीठ में उन्होंने यही काम
किया होता तो आज मामला सुप्रीम कोर्ट न
पहुँचता । और इनको राहत मिलना तय था ।इसीलिए खंडपीठ ने समझ
लिया कि मेरा आदेश सर्वोच्च अदालत में चैलेंज
किया जायेगा अतः सबको उसमें कुछ न कुछ दे
रखा है।
आपके आका शिक्षामित्रों को आपका स्थान दे रहे हैं
उनको रोकने की हमारे पास पूर्ण योजना है आप
अगर चाहो तो आपको उसमें शामिल भी कर लिया जायेगा ।
इसे मेरी कमजोरी न समझना क्योंकि अगर आप
ऐसा नहीं करते हैं तो आप जीतकर भी मात्र बीस
हज़ार रिक्ति पायेंगे।
इसलिए जो आपको चुनना हो चुन लें।
मेरा आज अंतिम सुझाव भी समाप्त हुआ ।
धन्यवाद।
What is LOVE....?
ReplyDelete.
A little Girl said: When I went in
classroom without wearing my tie.....
.
He saw me and removd his tie and kept
in his pocket....
So Both will get punishment .
नई दिल्ली।
ReplyDeleteसुप्रीम कोर्ट ने यूपी के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 72,825 सहायक अध्यापकों के चयन और नियुक्ति के मसले पर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अभ्यर्थियों की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है। साथ ही प्रदेश सरकार को एक हफ्ते में समाचार पत्रों के जरिए प्रतिपक्ष बनाए गए तमाम अभ्यर्थियों को शीर्षस्थ अदालत की ओर से नोटिस जारी किए जाने संबंधी सूचना देने का आदेश दिया गया है। ताकि अगली सुनवाई में ज्यादा से ज्यादा अभ्यर्थियों की ओर से पक्ष रखा जा सके।
सर्वोच्च अदालत ने हालांकि अभ्यर्थी कपिल देव यादव और लाल बहादुर समेत अन्य की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक नहीं लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 3 मार्च तय की है। याद रहे कि 31 मार्च तक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में टीईटी मेरिट के आधार पर चयन और नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। ऐसे में इस मसले पर सर्वोच्च अदालत की ओर से 3 मार्च को होने वाली सुनवाई बहुत महत्वपूर्ण होगी। यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती दी है। उस पर भी नोटिस हुआ है।
ReplyDeleteजस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अभ्यर्थियों के अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने हाईकोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक लगाने की गुजारिश की। हालांकि पीठ ने फिलहाल राज्य सरकार को अभ्यर्थियों की याचिका पर नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह अपनी याचिका पर नोटिस जारी होने की सूचना अभ्यर्थियों को समाचार पत्रों के माध्यम से एक हफ्ते के भीतर दे और दो हफ्ते में इस संबंध में साक्ष्य पेश करे।
ReplyDeleteयाद रहे कि हाईकोर्ट ने तमाम अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका पर शिक्षकों का चयन टीईटी मेरिट के आधार पर किए जाने का आदेश दिया है और बसपा सरकार में 30 नवंबर, 2011 को जारी हुए भर्ती विज्ञापन को सही ठहराया है। साथ ही मौजूदा सरकार के 31 अगस्त, 2012 के शासनादेश को रद्द कर दिया है। ऐसे में तमाम अभ्यर्थियों तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नोटिस जारी किए जाने की सूचना पहुंचाने के लिए पीठ ने राज्य सरकार को अखबार में विज्ञापन देने को कहा है, क्योंकि राज्य सरकार की याचिका पर अभ्यर्थियों को भी नोटिस जारी हुआ है।
ReplyDeleteजागरण संवाददाता,
ReplyDeleteइलाहाबाद :
चुनावी मौसम में राज्य सरकार एक के बाद एक घोषणाएं कर रही है। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षामित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता से छूट देकर उन्हें स्थायी शिक्षक बनाने का फैसला करके उन्हें लुभाने का प्रयास किया है। इस बीच टीईटी उत्तीर्ण, बीएड, बीटीसी डिग्री धारक हजारों बेरोजगार सड़क पर हैं।
मानसिक, शारीरिक व आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे अभ्यर्थी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इन पर सरकार की मेहरबानी न होने से वे असहाय की स्थिति में हैं।1विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 2011 में तत्कालीन सीएम मायावती ने युवाओं को लुभाने के लिए 72825 शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर निकाली।
ReplyDeleteपरंतु 2012 में निजाम बदलने के बाद अखिलेश सरकार ने मायावती के फैसले को रद कर नई भर्ती निकाली। जिलेवार पांच सौ रुपये का फार्म निकाला गया। भर्ती की आस में एक अभ्यर्थी ने 35 से 50 हजार रुपये खर्च करके जिले से फार्म भरा परंतु मामला अधर में है। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां अखिलेश सरकार का फैसला रद करते हुए मायावती के शासनकाल में हुए निर्णय के आधार पर भर्ती का आदेश दिया गया।
ReplyDeleteसाथ ही अभ्यर्थियों का पुराना पैसा वापस करने का आदेश दिया। परंतु सरकार ने आदेश का पालन करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा दी। वहीं इसके बाद अखिलेश सरकार ने माध्यमिक स्कूलों में विज्ञान एवं गणित विषय के लिए 29 हजार शिक्षकों के साथ दस हजार बीटीसी, बीएड की भर्ती निकाली, भर्ती किसी में नहीं हुई।
ReplyDeleteहताशा व निराशा में डूबे टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी दीपेंद्र बहादुर सिंह कहते हैं एक-एक दिन पहाड़ सा बीत रहा है।
फूटा घड़ा : आपकी कमी भी आपकी शक्ति है ..केसे ?? यह पढ़े
ReplyDeleteबहुत समय पहले की बात है , किसी गाँव में एक किसान रहता था . वह रोज़ भोर में उठकर दूर झरनों से स्वच्छ पानी लेने जाया करता था . इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाता था , जिन्हें वो डंडे में बाँध कर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था .
उनमे से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था ,और दूसरा एक दम सही था . इस वजह से रोज़ घर पहुँचते -पहुचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था .ऐसा दो सालों से चल रहा था .
सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है , वहीँ दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वो आधा पानी ही घर तक पंहुचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है . फूटा घड़ा ये सब सोच कर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया , उसने किसान से कहा , “ मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ ?”
“क्यों ? “ , किसान ने पूछा , “ तुम किस बात से शर्मिंदा हो ?”
“शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ , और पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी घर पहुँचाना चाहिए था बस उसका आधा ही पहुंचा पाया हूँ , मेरे अन्दर ये बहुत बड़ी कमी है , और इस वजह से आपकी मेहनत बर्वाद होती रही है .”, फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा.
किसान को घड़े की बात सुनकर थोडा दुःख हुआ और वह बोला , “ कोई बात नहीं , मैं चाहता हूँ कि आज लौटते वक़्त तुम रास्ते में पड़ने वाले सुन्दर फूलों को देखो .”
घड़े ने वैसा ही किया , वह रास्ते भर सुन्दर फूलों को देखता आया , ऐसा करने से उसकी उदासी कुछ दूर हुई पर घर पहुँचते – पहुँचते फिर उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था, वो मायूस हो गया और किसान से क्षमा मांगने लगा .
किसान बोला ,” शायद तुमने ध्यान नहीं दिया पूरे रास्ते में जितने भी फूल थे वो बस तुम्हारी तरफ ही थे , सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं था . ऐसा इसलिए क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था , और मैंने उसका लाभ उठाया . मैंने तुम्हारे तरफ वाले रास्ते पर रंग -बिरंगे फूलों के बीज बो दिए थे , तुम रोज़ थोडा-थोडा कर के उन्हें सींचते रहे और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया . आज तुम्हारी वजह से ही मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ और अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ . तुम्ही सोचो अगर तुम जैसे हो वैसे नहीं होते तो भला क्या मैं ये सब कुछ कर पाता ?”
दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है , पर यही कमियां हमें अनोखा बनाती हैं . उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को वो जैसा है वैसे ही स्वीकारना चाहिए और उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा.
जब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है तो 20 फरवरी तक अगर सरकार भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं करती है तो यह कोर्ट के अवमानना का मामला बनता है।
ReplyDeleteसुप्रीम कोर्ट का उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से मना करने का सीधा सा एक ही मतलब है कि अभी उच्च न्यायालय का आदेश लागू है और सरकार उसको कानून के नियमों के अनुसार निर्धारित समय सीमा पर करना होगा।
ReplyDeleteअब बात करते हैं वकीलों की मैंने पहले भी कहा था कि मेरा किसी गुट या व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है। मैं एक साधारण बेरोजगार होने के नाते अपना दर्द बता सकता हूँ बस,और शायद जो मेरा दर्द है वही सभी बेरोजगारो का भी दर्द होगा। जिस तरह से 22 लाख रुपये की डिमांड कर दी गयी और एक पोस्ट डाल दिया गया उनसे मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या हम लोगों के घर में पैसो का हैंडपम्प लगा है क्या कि जितना मन किया चला कर निकाल लिया? अगर इतना ही पैसे होते तो हम बेरोजगार न होकर कोई व्यवसाय कर रहे होते। एक महाशय हैं उनका मैं नाम नहीं लूंगा आप खुद समझदार हैं वो दस लाख पन्द्रह लाख की ऐसी डिमांड करते हैं जैसे उनका हमलोगो ने कर्ज ले रखा है, खुद तो बिहार में सरकारी नौकरी कर रहे हैं और यहा बेरोजगारो का मजाक बनाते हैं।
ReplyDeleteदोस्तों मीनाक्षी अरोड़ा, आमरेन्द्र सरन जी की पूरी फीस का भुगतान हो चुका है तो ये दोनों अधिवक्ता हमारे लिये खड़े होंगे ये पक्का है इसमें कहीं कोई विवाद नहीं है।
ReplyDeleteअब बात करते हैं विपुल माहेश्वरी जी और सतीश चन्द्र मिश्रा जी की ये दोनों अधिवक्ता हमारा केस बिना किसी फीस के हम लोगों की मदद के लिए लड़ रहे हैं, इनकी भूमिका 14 तारीख को बहुत सराहनीय भी रहा, लेकिन इनके उपर निर्भर करता है कि ये अगली सुनवाई में खड़े होते हैं कि नहीं हम इसमें ज्यादा कुछ नही कर सकते।
ReplyDeleteअब बात करते हैं चार उन वकीलों की जिनके लिए 22 लाख की डिमांड की गयी है।
ReplyDeleteनरीमन जी - ये हमारे केस की जरूरत है, इनकी बहस भी जोरदार थी। इस समय सुप्रीम कोर्ट का सबसे चमकीला तारा या कहें सबसे डिमांडिंग वकील भी नरीमन जी हैं।संविधान का ज्ञान सभी वरिष्ठ वकीलों को होता है, अगर न हो तो वो वरिष्ठ कहाँ के? मैं ये बेवकूफी भरी बात नहीं कहूंगा कि सिर्फ नरिमन जी संविधान के विशेष ज्ञाता हैं,लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि नरिमन जी इस बात में बहुत माहिर खिलाड़ी हैं कि कौन से ज्ञान का कहाँ उपयोग करना है। एकदम सटीक बात करते हैं वो भी तर्क के साथ। अगर मैं कहूं कि हमारे केस के ब्रह्मास्त्र हैं नरीमन जी तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। तो मेरे ख्याल से इनको अपने केस से हटाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।
पटवालिया जी - इनके लिए एक लाइन में बात कहूंगा ये मुकुल रहतोगी की काट है। मुकुल को चिल्लाने से यही आदमी रोक सकता है। इनकी खासियत वही है जो मुकुल रहतोगी की है। लोहे को काटने के लिए लोहा रखना ही पड़ेगा।
ReplyDeleteसोली सोराबजी - देश के सबसे जाने माने प्रसिद्ध वकील, इनके बारे में गलत कहने की हिम्मत बड़े से बड़े वकीलों के अन्दर नहीं होती। अगर इतना कहा जाए कि ये सुप्रीम कोर्ट के सबसे बड़े ज्ञानी वकील हैं तो गलत नहीं होगा।
ReplyDeleteलेकिन सोली सोराबजी जैसे बड़े नाम की आड़ में हम लोगों को सही जानकारी नहीं दी गई। पहला सवाल सोली सोराबजी को केस की ब्रिफिंग किसने और कब की? ब्रिफिंग के लिए बुलाये गए समय पर कोई उनके पास क्यों नहीं गया? और सबसे महत्वपूर्ण बात कोर्ट के आदेश में सोली सोराबजी का नाम क्यों नहीं है? सोली सोराबजी को हयर करने वाले यह बताये कि कोर्ट में किस बिन्दु पर सोली सोराबजी ने क्या कहा था? दोस्तों एक बार सोचिए कि क्या मुकुल रहतोगी जैसे बिना सिर पैर की बात पर चिल्लाने वाले वकील के सामने सीधे साधे 83 वर्ष के अधिवक्ता की कोई जरूरत है? सच तो यह है कि अभी तक सोली सोराबजी को हमारे केस की ब्रफिंग तक ठीक से नहीं की गई है, शायद की भी नहीं गयी है। सिर्फ एक जिद्द की वजह से उनको आगे रखा जा रहा है। मैं एक बार फिर से स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मैं सोली सोराबजी की काबिलियत पर उंगली नहीं उठा रहा, मेरी इतनी औकात भी नहीं सोली सोराबजी वो नाम है जिसके सहारे अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार तक का बचाव कर रहे थे, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि उनको हायर करने वाले अपनी जिम्मेदारियों को क्यों नही समझते? सिर्फ उनके नाम पर दिन रात पैसे मांगना कहाँ तक उचित है?
ReplyDeleteपी पी राव- इनके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना। मेरा बस व्यक्तिगत सुझाव है कि इनको भी बहुत अधिक पैसा खर्च कर के अभी बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
ReplyDeleteये दोनों वरिष्ठ वकीलों की फीस इतनी अधिक है कि हम लोग नहीं दे सकते सीधी सी बात है।
नरिमन जी की फीस में श्याम देव मिश्रा ने एक लाख रुपये उधार दिया है, क्यों दिया आप लोग खुद सोचिए? आखिर में यह संघर्ष मोर्चा हमारे लिए लड़ रहे लोगों की मदद करने के लिए हैं या कुछ लोगों के आपसी लड़ाई का अड्डा भर है। यह कोई संवैधानिक संस्था नहीं है और न ही चुनाव द्वारा चुनी हुई। यह संगठन है उन सभी लोगों को मदद करने के लिए जो हमारे केस के लिए लड़ रहे हैं हमारी भर्ती के लिए लड़ रहे हैं। नरीमन जी और पटवालिया जी की फीस का प्रबंध संघर्ष मोर्चा को करना चाहिए और वाजिब डिमांड करना चाहिए। हम लोगों में से कोई भी मदद करने से मना नहीं कर रहा क्योंकि यह मदद किसी और के लिए नहीं बल्कि अपने लिए ही है, लेकिन तर्क के साथ बताइये आप लोगों की आपसी व्यक्तिगत लड़ाई का खर्च हम लोग नहीं उठा सकते।
ReplyDeleteअब हमारा केस अंतिम चरण में है अब तो सभी लोग एक हो जाइए।
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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A Real Man Never Stops trying to show a girl that he cares about her, even if he already has her.
1-अगर टेट में धांधली थी तो उसे रद्द करना चाहिए था,,,,,
ReplyDelete2)-30-11-11 के विज्ञापन की चयन प्रक्रिया में retrospective effect से संशोधन नहीं किया जा सकता....
2;- सर्वोच्च न्यायालय के जजों ने भी सरकार के भर्ती लटकाने के मकसद से खोजे बेहूदा तर्कों को काट दिया,,,,,
ReplyDeleteअब 3 मार्च सुनवाई में कटवाने के लिए सरकार के पास टेड़ी नाक के सिवाय और क्या बचा है,,,,,
3-इस भर्ती को शुद्ध टेट मेरिट से ना होने देने के लिए सभी पक्षों ने गुणा-भाग करके मामले में कुछ ऐसी उलझने पैदा कर दी हैं जिन्हें सरकार तो दो मिनट में सुलझा सकती है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय नहीं,,,,, हाँ उच्च न्यायालय की डबल बेंच द्वारा सरकार के लिए खड़ी की गई समस्याओं को डबल अवश्य कर सकता है ,,,,,
ReplyDelete4-प्रदेश का न्याय विभाग और मुकुल रोहतगी आपस में सलाह मशवरा करके 20 नवम्बर के आदेश पर स्टे ना मिलने का मतलब निकालें ,,,
ReplyDeleteफिलहाल अपनी जेब पर हाथ रखकर आप सब आराम करें ,,,, तीन मार्च से पहले ही दुनिया बदल सकती है......
अगर सब कुछ ठीक रहा तो तीन मार्च को जज महोदय अपने वादे पर अमल अवश्य करेंगे
ReplyDelete" दुनिया सिर्फ परिणाम को प्रणाम करती है, प्रयास को नहीँ । "
ReplyDeleteटीईटी समस्या लटकाने की वजह बताएं :
ReplyDeleteभाजपा
राज्य ब्यूरो, लखनऊ :
भाजपा के प्रवक्ता मनोज
मिश्र ने सपा सरकार पर टीईटी समस्या को लटकाने
का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से
देरी की वजह बताने को कहा। रविवार
को जारी बयान में मिश्र ने कहा कि सपा सरकार
शिक्षामित्रों के जायज समायोजन पर अपनी पीठ
ठोक रही है तो लगभग 73000 टीईटी उत्तीर्ण
अभ्यार्थियों के उत्पीड़न
की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। चुनाव अधिसूचना से
पूर्व घोषणा कर युवाओं को भ्रमित करने
का अभियान बंद होना चाहिए। सपा वास्तव में
युवाओं का भला चाहती है तो आचार संहिता से पहले
टीईटी उतीर्ण अभ्यार्थियों की नियुक्त करें
क्योंकि हजारों युवाओं ने लोन लेकर आवेदन
किया था।
कमरे में बैठी थी दुल्हन..
ReplyDeleteसज-धज कर शरमायी हुई..
एक अजनबी शख्स़ से..
बहुत सी उम्मीदें लगाई हुई..
आईने में खुद को देखती रहती..
मन ही मन खुश होती..
दुनिया की सारी खुशियाँ थी..
जैसे उसके दर पर आई हुई..
लाल जोड़े में बैठी..
हाथों में चूड़ियाँ पहने..
चेहरे पर मुस्कान..
आँखे थी काजल से सजायी हुई..
फिर कुछ देर बाद एक आवाज़ आयी..
" ये शादी नही हो सकती.."
ये सुनकर दुल्हन का दिल टूटा..
और थी वो घबरायी हुई..
लड़के के माँ-बाप ने कहा..
" दहेज़ और चाहिए.."
लड़की वालों ने सोचा अब बात है इज़्ज़त पर बन आयी हुई..
सब कुछ बेच-बाच कर अपनी बिटिया की शादी की..
माँ-बाप का दिल था भरा हुआ..
और आँखें भी भर आयी हुई..
** माँ- बाप का घर बिका तो बेटी का घर बसा...
कितनी दिल ख़राश रस्म है तलब-ए-दहेज़ की..**
बेटी ने पराये घर को अपना घर समझा..
दिल से सेवा की..
पर हर कदम पर अपनी तमन्नाओं को..
थी वो दिल में दबाई हुई..
दुल्हन का मोल..
एक सोफ़ा, एक कार, एक फ्रिज, एक बिस्तर..
ये कैसी शादी थी..
जिसमें दुल्हन की बोली..
थी पैसों से लगायी हुई..
हर बात पर बहू को ताने..
क्या दिया तेरे माँ-बाप ने..???!!
दुल्हन के ख़्वाब, उम्मीदें, खुशियाँ...
सब पल भर में परायी हुई..
दुल्हन रोती-तड़पती..
पर अपने माँ-बाप से कुछना कहती..
उसके इस हाल में भी उसके पति को भी नही थी कुछ शर्म आयी हुई..
दुल्हन पूछती है सबसे..
" ये शादी है या सौदेबाज़ी..
जहाँ प्यार होना चाहिए, वहां हिसाब-किताब की बातें..
आख़िर किसने है ये दहेज़ की आग लगाई हुई..??
" दहेज़ के ख़ातिर मारो ना.. माल के लिए तड़पाओ ना..
मैं हूँ अपने बाबुल की गुडिया.. मुझे तुम यूँ जलाओ ना..
"दुल्हन ही दहेज़ है" .. तुम मुझको यूँ रुलाओ ना..!!!!!"
न्यायालय की शरण में जाएंगे टीईटी उत्तीर्ण
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लोकसभा चुनाव के पूर्व शिक्षामित्रों को बिना टीईटी सहायक अध्यापक बनाने के सरकार के फैसला बीएड टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के गले के नीचे नहीं उतर रहा है।
अभ्यर्थी सरकार के इस फैसले से खासे नाराज हैं। सरकार के खिलाफ अभ्यर्थी हाईकोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं। करीब एक दशक से अधिक समय से आंदोलन कर रहे शिक्षामित्रों को पिछले दिनों सरकार ने सौगात दी।
बिना टीईटी परीक्षा दिए सहायक अध्यापक बनाने पर कैबिनेट की मुहर लग गई। सरकार के इस फैसले पर बीएड टीईटी उत्तीर्ण करने के बाद भी घर बैठे अभ्यर्थियों में सरकारके खिलाफ गुस्सा है। अभ्यर्थी सर्वेश मिश्रा ने कहा कि बीएड करने के लिए परिवार वालों ने काफी पैसा खर्च किया। उसके बाद सरकार टीईटी की परीक्षा भी कराई लेकिन शिक्षकों के पद पर उनकी नियुक्ति नहीं कर रही है। सिर्फ स्नातक पढ़ाई करने वाले शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिलाकर सहायक अध्यापक बनाया जा रहा है। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनने से उनकी पढ़ाई बेकार हो जाएगी। इसी तरह अभ्यर्थी शैलेश मिश्रा, विनय मौर्य, दीपक यादव अखिलेश और अमित ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई। अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसा कर रही है। सरकार के फैसले के खिलाफ वह न्यायालय में वाद दाखिल करेंगे।
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ReplyDeleteआज रात 10 बजेँ
ReplyDelete( प्राथमिक मेँ कुल पास लोगो की संख्या )
2 लाख 76 हजार 5 सौ 77 लोगो का डाटा मेरे वाला पर देखेँ।
अफवाहो पर लगे गा बिराम आज ।
आज से 21 वर्ष पहले मनमोहन सिंह ने कहा था कि उदारीकरण और वैश्वीकरण के परिणाम 20साल में देखने को मिलेंगे!
ReplyDeleteपरिणाम आज सामने है 1991 में 67 टन सोना गिरवी रखा गया था और आज 2013 में 500टन (5 लाख किलो ) सोना गिरवी रखने की नौबत आ गई है! वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने 500 टन सोना गिरवी रखने का सुझाव दिया है !
देश को इतना कंगाल कर दिया है कि कांग्रेस सरकार 500 टन
सोना गिरवी रखेगी !ये 500 टन सोना कितने का है ?आइये देखें !
अगर 10 ग्राम सोना --------------------- 30000 (30 हजार ) रुपए का
तो 100 ग्राम सोना होगा ------------------ 300000 (3 लाख ) रूपये का
तो 1 किलो होगा ---------------------------3000000 (30 लाख) रूपये का
तो 10 किलो होगा ---------------------------30000000 (3 करोड़ ) रूपये का
तो 100 किलो होगा ------------------------300000000 (30 करोड़ ) रूपये का
तो 1000 किलो (1टन) होगा --------------3000000000 (300 करोड़ ) रूपये का
तो 10000 किलो (10 टन) होगा -----------30000000000 (3000 करोड़ ) रूपये का
तो 100000 किलो(100 टन)------------------300000000000 (30000 हजार करोड़ ) रूपये का
तो 500000 किलो (500 टन)-----------------1500000000000(1 लाख 50 हजार करोड़ ) रूपये का
500 टन सोने की कीमत 1 लाख 50 हजार करोड़ है !
और मंदमोहन सिंह का एक कोयला घोटाला 1 लाख 80 हजार करोड़ का है बाकी घोटाले अलग है !
हो रहा है भारत नीलाम !
और कितना नीलाम कर दिया भारत ! एक बार click कर देखें !!!
http://www.youtube.com/watch?v=elicZLUmp9s
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वन्देमातरम !!