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Sunday, November 8, 2015

केंद्र ने लापता आईएएस रीता सिंह का भी सेवा से इस्तीफा माना

केंद्र ने लापता आईएएस रीता सिंह का भी सेवा से इस्तीफा माना

>>> नौकरी के पांच साल बाद 22 अप्रैल 2003 से 19 अक्टूबर 2003 तक की छुट्टी पर गई थीं। तब से अब तक नहीं लौटीं


•साल में चार आईएएस अफसरों के खिलाफ हुई कार्रवाई
•2003 में छुटटी पर जाने के बाद से नहीं लौटीं रीता

लखनऊ (ब्यूरो)। केंद्र सरकार ने कई साल से लापता वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रीता सिंह का भी सेवा से इस्तीफा मान लिया है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद रीता यूपी की चौथी आईएएस अधिकारी हैं जिनके खिलाफ इतनी सख्त कार्यवाही हुई है।
सूत्रों ने बताया कि कई आईएएस अधिकारी पिछले कई-कई सालों से सेवा से गायब हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने ऐसे लापता अफसरों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की तो कई कार्रवाई की जद में आ गए। इसमें यूपी कॉडर के 1980 बैच के शिशिर प्रियदर्शी व संजीव एस. अहलूवालिया तथा 1985 बैच के अरुण आर्य का प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र दिया हुआ (डीम्ड रिजिग्नेशन) मानने की कार्यवाही इसी साल हुई है। अब 1997 बैच की आईएएस रीता सिंह के खिलाफ 31 मई 2007 से त्यागपत्र मानने की कार्यवाही की गई है।
जानकार बताते हैं कि गाजियाबाद की रहने वालीरीता सिंह यूपी में बतौर आईएएस सीडीओ तक ही सेवा में रहीं। वह नौकरी के पांच साल बाद 22 अप्रैल 2003 से 19 अक्टूबर 2003 तक की छुट्टी पर गई थीं। तब से अब तक नहीं लौटीं। लापता आईएएस अफसरों के खिलाफ केंद्र की कार्रवाई में वह यूपी की चौथी आईएएस अफसर हैं। केंद्र सरकार ने इस संबंध में कार्यवाही से जुड़ा पत्र प्रदेश के मुख्य सचिव को भी भेजा है।
इन पर असमंजस कायमः
सेवा से गायब आईएएस अधिकारियों के खिलाफ केंद्र की सख्ती के बाद पिछले दिनों 1983 बैच के आईएएस अतुल बगई भी सालों बाद यूपी लौटे थे। उन्होंने नियुक्ति विभाग में अपनी ज्वाइनिंग तो दी लेकिन सरकार ने उन्हें तैनाती देने की जगह उनका मामला केंद्र को संदर्भित कर दिया है। अब कैडर के अफसरों की बगई की वापसी से जुड़े केंद्र के फैसले पर नजर लगी हुई है।