कानपुर। सुप्रीम कोर्ट की हाई पॉवर कमेटी ने बीएड, एमएड की पढ़ाई 2 साल करने का सुझाव दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 500 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 साल की पढ़ाई होने से शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। बीएड, एमएड के स्टूडेंट ही टीचर बनते हैं। उनके लिए 2 साल की पढ़ाई अनिवार्य की जानी चाहिए। इस सुझाव पर अब सुप्रीम कोर्ट को फैसला लेना है।
महाराष्ट्र के बीटीसी कालेजों की मान्यता की जांच के लिए गठित सुप्रीम कोर्ट की हाई पॉवर कमेटी ने 30 जून 2012 को रिपोर्ट दी है। इसमें बीएड, एमएड की पढ़ाई की अवधि बढ़ाने का सुझाव शामिल है। इस कोर्स को मान्यता देने वाली संस्था राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने पहले ही अवधि बढ़ाने की वकालत की थी। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि 2013-14 से बीएड, एमएड की पढ़ाई अवधि बढ़कर 2 साल हो जाएगी। हालांकि इस पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट को लेना है। कमेटी में शामिल सदस्य ने बताया कि मानक, नियम, कानून दरकिनार करके बीटीसी की पढ़ाई कराने वाले कालेजों की मान्यता निरस्त करने का आदेश ऐतिहासिक है। अब फर्जीवाड़ा करके कालेज नहीं खोला जा सकेगा। जिनके मानक पूरे होंगे, वही मान्यता के लिए आवेदन करेंगे। अच्छी शिक्षा देकर ही गुणवत्ता सुधारेंगे।
इनसेट
ये है सुप्रीमकोर्ट की हाई पॉवर कमेटी
रिटायर्ड चीफ जस्टिस डा. जेएस वर्मा (अध्यक्ष), आईआईटी कानपुर के बीओजी चेयरमैन प्रो. एम आनंद कृष्णन, आईआईएससी बंगलुरु के प्रो. गोवर्धन मेहता, दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रो. पूनम बत्रा, प्रो. एके शर्मा, प्रो. मृणाल मिरि, डा. आर गोविंद, एस सत्यम पूर्व सचिव भारत सरकार।
इस मामले पर बनी हाई पॉवर कमेटी
नागपुर हाईकोर्ट ने 4 जून 2009 को महाराष्ट्र के 279 बीटीसी कालेजों की मान्यता समाप्त कर दी थी। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। कालेज संचालकों ने जनहित याचिका दाखिल की। याचिका संख्या 42474248/2011 पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2011 को हाई पॉवर कमेटी गठित कर दी। इसके अध्यक्ष रिटायर्ड चीफ जस्टिस डा. जेएस वर्मा बनाए गए। इस कमेटी ने महाराष्ट्र के सभी 301 बीटीसी कालेजों का निरीक्षण किया और 30 जून 2012 को रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में शामिल कर दी। इसमें कहा कि नियम, कानून दरकिनार करके मान्यता दी गई है। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के 249 बीटीसी कालेजों की मान्यता समाप्त करने का आदेश दिया। 44 बीटीसी कालेजों की मान्यता सही मिली, जबकि 7 कालेजों ने खुद ही मान्यता वापस कर दी है
News Source : Amar Ujala (22.9.12)
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Through this Unemployment problem can also handle, As number of B Ed candidates fastly increasing and sufficient jobs are not available to them.
However teachers QUALITY is a big concern. But I feel real training of teachers in PRACTICAL FIELD i.e SCHOOLS/ COLLEGES.
And every teachers examination in the line of TET should be conducted. And those teachers (working) who are unable to secure good marks should not be considered for promotions , And simultaneous feedback from their STUDENTS should also taken.
But such BAD TEACHERS (having stigma ) will affect their students, And its remedy is their improvements as well like if they can provide better teaching in next year and if students feedback comes good along with
passing TET exam in 2-3 chances then their salary/promotions should be restored.
Pls kya koi bata sakta hai ki new adv mai gen ke max age kya ho sakti hai
ReplyDeleteabhi kuch keh nhi sakte waise gen ki jaada he jaayegi.......ok
ReplyDeletehu
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ReplyDeletekoi nai update do bhai log
ReplyDeleteHI,
ReplyDeleteRECRUITMENT WILL BE ON GUNANK BASIS DUE TO GOVT WANTS TO PROVIDE CHANCES TO THOSE CANDIDATES WHO'S MERIT IS LOW DUE TO POVERTY & LACK OF MONEY WHO HAS NOT SECURE MORE MARKS IN PRACTICAL & THEORY BECAUSE SOME PERSON HAS EARN MORE MARKS IN PRACTICAL BY SPENDING MONEY & POWER.
FOR EXAMPLE THE GOVT IS ALSO USING THE GUNANK SYSTEM IN UP TGT/PGT VACANCY SO IN PRIMARY LEVEL WILL ALSO SAME PROCESS.
SO GUNANK SYSTEM IS THE BEST WAY FOR SELECTION.
í
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