नई दिल्ली।। मीडिया रिपोर्टिंग पर गाइडलाइंस को लेकर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि मीडिया के लिए गाइडलाइन नहीं हो सकती। अगर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट चाहे तो रिपोर्टिंग पर रोक लगा सकता है, हालांकि यह रोक अस्थाई होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया को अपनी सीमा नहीं लांघनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शिकायतकर्ता चाहता है कि उसके मामले की रिपोर्टिंग से केस में बाधा उत्पन्न होती है इसलिए रिपोर्टिंग न की जाए, तो इसके लिए कोर्ट में अर्जी दायर कर सकता है। इसके लिए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में पोस्टपोनमेंट ऐप्लिकेशन दायर करनी होगी। कोर्ट इस पर फैसला करेगा कि मामला स्थगित किया जाए या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अभिव्यक्ति की आजादी बरकरार रखने की बात कहते हुए मीडिया से लक्ष्मण रेखा न लांघने के लिए भी कहा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ठोस सबूतों के आधार पर ही रिपोर्टिंग की जाए।
News Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/SC-refuses-to-formulate-media-guidelines/articleshow/16348935.cms
**********************************
Its really a victory of MEDIA and FREEDOM of EXPRESSION.
However, I felt we people are already constitutionally bounded so there is no such need.
Still if something uncontrollable OR Media becomes biased then PTI and law will take its course.
Some people in India think, that Media is controlled by some affluent and powerful persons.
In these days Social Media - Facebook, BLOG, Twitter etc. also helped to raise your voice in public.
But it is not reachable to ignorant to electronic media & poor citizens of India.
Sir,
ReplyDeleteSHYAM DEV MISHRA JI,
PLEASE SIR APNA VIEW DEWE 11SEP KI HEARING PAR.
THANK'S Hanuman ji
SARKAR KA GUNANK WALA G.O. MAINE DEKHA HAI AUR YE SYSTEM 10YEAR SE BHI JYADA PURANA HAI ISME C.B.S.E. BOARD SAMPOORNANAND BCA AUR B.TECH KI CHANDI HO JAYEGI MARENGE TO KEWAL U.P. BOARD K 30-35 AGE WALE BECAUSE UNKE HI NO. SABSE KAM HAIN IS LIYE COURT ME GUNANAK SYASTEM TOTALY CHANGEABLE HAI DOSTO WRIT K LIYE TAIYAR HO JAO TET MERIT KO SARKAR NE NIGLACT KARKE AUR B.ED. ME NAYE PURANE KO EK BHAW ME TAULNE KO BAHUT BADA MUDDA BANA DIYA HAI. YE SYSTEM "JOCK OF THE YEAR" FOR UP BOARD'S STUDENT LAG RAHA HAI
ReplyDeleteखोज ही चिर-प्राप्ति का वर,
ReplyDeleteसाधना ही सिद्धि सुन्दर,
रुदन में सुख की कथा है
विरह मिलने की प्रथा है
शलभ जल कर दीप बन जाता
निशा के शेष में!
आँसुओं के देश में!
...महादेवी वर्मा
jo mera tha vo mera
ReplyDeleteho na paya!
aakhon mein aansu bhare they par
main ro na paya !!
ek din unnhone kaha ham tumse milenge
khwabon mein par
meri badkismati dekheye us raat to main kushi ke mare so na paya.
....... Irshad Ahmed mansuri
UPTET : टीईटी सरकार ने दिया हाईकोर्ट में आश्वासन
ReplyDeleteशीघ्र जारी होगा विज्ञापन
इलाहाबाद (ब्यूरो)। सूबे मेें टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के सहायक अध्यापक पद पर चयन एवं नियुक्ति के लिए प्रदेश सरकार शीघ्र ही नया विज्ञापन जारी करेगी। मंगलवार को सरकार की ओर से हाईकोर्ट में बताया गया कि दिसंबर 2011 को जारी विज्ञापन रद करने के बाद सरकार शीघ्र ही नया विज्ञापन जारी कर परिषदीय स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पदों को भरेगी। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अध्यापकों के पद रिक्त होने पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति करे।
इससे पूर्व सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के लिए जारी दिसंबर 2011 के विज्ञापन को चुनौती देने वाली
यादव कपिलदेव की याचिका हाईकोर्ट ने निष्क्रिय होने के आधार पर खारिज कर दी है। एक अन्य याची शिवप्रकाश कुशवाहा की याचिका पर सुनवाई के दौरान अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने न्यायालय को अवगत कराया कि सरकार बहुत शीघ्र नया विज्ञापन जारी कर पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगी।
सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। इससे पूर्व 2004, 2007 और 2008 में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की गई थी। इस दौरान टीईटी मामले को लेकर अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई
दौरान अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने न्यायालय को अवगत कराया कि सरकार बहुत शीघ्र नया विज्ञापन जारी कर पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगी। सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। इससे पूर्व 2004, 2007 और 2008 में सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की गई थी। इस दौरान टीईटी मामले को लेकर अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तिथि नियत की गई है। एक अन्य याची रत्नेश कुमार पाल ने संशोधन प्रार्थनापत्र दाखिल कर दो सितंबर को प्रदेश सरकार द्वारा जारी अधिसूचना और विज्ञाप्ति को चुनौती दी है। दो सितंबर की अधिसूचना से सरकार ने दिसंबर 2011 को जारी विज्ञापन को रद कर दिया है। न्यायालय ने संशोधन प्रार्थनापत्र पर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल कर देने का निर्देश दिया है