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Saturday, October 13, 2012

Article By Shyam Dev Mishra Ji (Facebook Group - Struggle for Right to Education Implementation"एक पहल )


Article By Shyam Dev Mishra Ji (Facebook Group - Struggle for Right to Education Implementation"एक पहल )

Shyam Dev Mishra
आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

अब एक काम की बात, सुप्रीम कोर्ट जाने या न जाने के मुद्दे पर उहा-पोह में फंसे साथी ध्यान दें कि दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट लीगल ऐड कमेटी के दफ्तर में प्रमोद पांडे, आनंद तिवारी, कुमार नीरज, देवेन्द्र सिंह (सभी दिल्ली), शिव कुमार (गाजियाबाद) के साथ मैं भी गया था जहाँ सलाह दी गई कि हाईकोर्ट में अरसे से लटके पड़े अपने मामले को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट से में विशेष अनुमति याचिका दायर करके हाईकोर्ट को निर्देशित करने कि मांग कर सकते हैं कि वह "1. केस की एक निर्धारित समय-सीमा के भीतर सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाये" और "2. केस का निर्णय होने तक अगली चयन प्रक्रिया शुरू न करने देने का निर्देश सरकार को दे". अपने मामले के दस्तावेज और निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद दस्तावेजो के अध्ययन और मामले को बारीकी से समझने के बाद कमेटी के अधिवक्ता/वरिष्ठ अधिवक्ता अगर यह विचार व्यक्त करते हैं कि प्रक्रिया और विषय, दोनों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे मामला सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए उपयुक्त नहीं है तो हमारे द्वारा जमा किये गए शुल्क में से मात्र 750 रुपये काटकर शेष राशि हमें वापस कर दी जाएगी. इस प्रकार मौजूदा कानूनी जंजाल से निकलने लिए अगर व्यक्तिगत राय, जिद और दुराग्रह को परे रखकर उपरोक्त कमेटी का रास्ता अपनाया जाये तो वहां स्वतः स्पष्ट हो जायेगा कि हमारा मामला अभी जिस चरण में है, उस स्थिति में सुप्रीम जाया जा सकता है या नहीं? यहाँ स्पष्ट कर दूं कि यह प्रयास सफलता कि गारंटी नहीं है पर एक रास्ता अवश्य हो सकता है. अगर अधिवक्ताओं ने हमारे केस को सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए मान लें, अनुपयुक्त भी बता दें, तो 750 रुपये छोड़कर हमारी पूरी रकम बच जाएगी. अगर हमारा केस कमेटी के अधिवक्ताओं के अनुसार सुप्रीम कोर्ट जाने लायक है तो सुप्रीम कोर्ट की शरण लेने में देर नहीं करनी चाहिए, नतीजा चाहे कुछ भी हो. पर अगर हमें सुप्रीम कोर्ट से उपरोक्त राहत मिल जाती है तो निश्चित ही अलग-अलग मत रखने पर भी हर टी.ई.टी.-समर्थक अभ्यर्थी के लिए यह प्रसन्नता का विषय होगा. 

इस विषय में इसी रविवार को दिल्ली में बुलाई गई बैठक में पूरी जानकारी मिल सकती है और आप चाहे तो याचिकाकर्ताओं में शामिल भी हो सकते हैं. अपने काम-काज के सिलसिले में व्यस्त होने के कारण अब तक समय नहीं दे पाया, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.

Source : http://www.facebook.com/groups/303122093128039/ ( Struggle for Right to Education Implementation"एक पहल )






135 comments:

  1. Wa.wa.wa.Ye logo se paisa lene ka naya tarika hai.esliye bhai savadhan rahiye

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  2. Ye sdm kab manega aur blog editor iski post jarur dal dete hai.kya sdm inko bhi paise deta hai.

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  3. Sdm bhai apko ek writer ban jana chahiye.

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  4. dosto b.tc. ke liye age hai 18-30 aur reserve cat. obc 33 aur sc\st 35 but iske chayan ka jo process hai usme matr below 20 ya 22 year age wale ka hi chayan ho pata hai kyonki jo bhi naye student pass hokar aa rahe hain unka acd.pichle walo ki tulna mai adhik hota hai.sochiye jara ki yadi kisi bhi acd. based bharti mai yadi 2012 high school,inter wale shamilho jaye tokya 2010 mai pass hone walo ka kahi chance ho sakta hai.mai yae kahna chahta hun ki gov. jab b.tc. ya v.b.tc ke liye age 35-40 kar rahi hai to uska process bhi eaisa hona chahiye ki ye log parkirya mai matr aavedak hi na rahe.aur eaisa exam ke through bharti karke hi sambhav ho sakta hai.nahi to age ko 25 hi kar dena chahiye koi fayda nahi in logo ka aarthik aur mansik sosan karne se.moh.istyak rampur

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  5. शिक्षक डाउनलोड कर सकेंगे वेतन सूची

    इलाहाबाद : अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों के सितंबर माह के वेतन को लेकर ऑनलाइन सूची जारी करने की व्यवस्था की गई है। इसके लिए विद्यालय प्रतिनिधि को माध्यमिकशिक्षा डॉट एमआइएस, डॉट यूपी डॉट ओआरजी वेबसाइट पर जाकर अपने विद्यालय के नाम पर क्लिक कर लॉगइन करना है। लॉगइन करने के लिए पासवर्ड 1234 रखा गया है। यहां से वेतन सूची का प्रिंटआउट निकालकर वेतन प्राप्त कर सकते हैं। गौरतलब है कि कर्मचारियों के वेतन को सीधे खाते में भेजने के लिए विभाग की ओर से तैयार कराए गए सॉफ्टवेयर में आंकड़े दर्ज कराए जा रहे हैं। इसके चलते विद्यालयों को अपने विद्यालय के ग्रांट बिल के लिए ऑनलाइन फीड किया हुआ विवरण प्रस्तुत करना जरूरी है।

    शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी के मीडिया प्रतिनिधि शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि सॉफ्टवेयर में 20 वर्ष से कम की उम्र वालों का डाटा फीड नहीं हो सका है। ऐसे लोगों की संख्या 47 है। शासन के आदेश की प्रतीक्षा कर रहे विभाग ने अभी तक कर्मचारियों के वेतन वितरण की व्यवस्था नहीं की है

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  6. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानकारण

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  7. jatt pagal hogaya hai kaya kyo blank page chod raha hai

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  8. BASHARMI KEE AED PAR KERGAYE JATT JI
    BLANK PAGE MATE CHODIYE HUM LOGO KO BAAT KARNE MAY DIKATEY ATHI HAI PLS

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  9. Jatt bhai blog walo ko kyo preshaan kar rahe ho agar karna hai to us gadhe akhilesh ko preshaan karo.

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  10. jatt bhi app kuck leak nahi sakate hai to comment tho padiye kyo blank page jod rahi hai aap ekk teacher bane ja rahi hai kaya bachoo ko yehi shiksh doge

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  11. Abe ad nikalana hai to nikalwa nahi to sidhe mana kar de ki ye vacancy hum baad me nikalenge. To hum koi dusre kaam me dhayan de.

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  12. thank you s d m jee
    you are doing good effort god help you ..,

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  13. Are bhaiyo ye akhilesh pada likha hai ke aise hi hai videsh gaya ho padne ko par waha par padai nahi awara gardi karta tha.

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    1. Rahul bhai agar ye itna hi minded hota to india me hi iska selection IIT me ho jata

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  14. Shyam dev ji aap sirf ye batiye ki TET me aap ke marks kitne hai, sath me Roll no. bhi dijiye, agar ye aap nhi de pa rhe hai to bomby me baithkar ajanta co. me naukari kijiye, dalali nhi, logo ko bevkuf banana chhod do. mehnat se paise kamao, dalali se nhi. aap ko jo kuchh bhi bura lage uske liye sorry. please bharti ho jane do,
    Dosto aap logo ko mai ye batana chahunga ki Shyam dev ji n to Bed. kiye h n to TET, ye Ajanta co. me naukari karte hai, aur ye hm sabhi logo ko bevkuf bana rhe h, Supreme court jane se koi fayda nhi h kyoki SC khud kah chuka h ki 6 month ke ander sabhi states teache ki bhartiya kre aur vahan sabhi suvidhaye uplabdh karaya, isliye ab jaise bhi ho sirf Bharti ho jaye nhi to TET 2012 wale bhi a jayenge aur ham sabhi log kuchh nahi kr payenge. So, pls aap log inki meethi bato me mat pade.
    Thank u

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  15. Bhaiyo add aa cuka hai 72825 ka 10 tareek ko h.c. Me lag cuka hai.9839074299

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. Kya SDM ji Gali de rahe hain, Ya koee kanoon todne kee baat keh rahe hain.

    Apnee abhivyakti tark sangat roop se rakhne ka sabhee ko adhikaar hai.

    Blog to sirf information share karne ka ek saadhan hai

    Kuch info kisee ko achee lagtee hai to kuch kisee ko

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    1. muskan madam advertisment kab aa raha hai . kripya batayen

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  18. S D M JI BHARTI HONE DIJIYE

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  19. MISHRA ji kyo fuddu bana rahe hai hum log vese hi preshan hai aur galat news publish karke preshan mat karo....plz

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  20. This comment has been removed by the author.

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  21. Ye vijayant bhi satya gaya ha iski baat par viswas mat karna jhoota kahi ka go jari nahi hua add naikalne ki baat karta ha.jo paper chooti chooti baat news paper me dete ha wo ye news nahi chhapenge. aap hi baattoouu....

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  22. abe muskan madam/sir ko kuhd hi nahi pata...........ki

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  23. piyush khatter ji
    mein ghaziabad se hoo mein bhi inko yahi kahe raha hoo...par galat news publish karna ab ek profession ban gaya hai ...

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  24. Up sarkar ka kya dosh,dosh hai to bs cunav me kiye gaye ghoshdo ki,

    bhatta ,kanya v dhan,bijle, pani etc.
    Gov ko in sabse time mile to 72825 teacharon ke baare me sochenge.

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  25. inki acchi kismat ha ki sabhi headoffice purab main tabhi galat suchana dete ha

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  26. koi baat nahi piyush ji kisi k kuch kahne se hum per wo baat cipak thodai jayegi...tension mat lo

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  27. inki tension hi hum log ha kyoki ye saale hum se compition ki bhavna rakte ha

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  28. aur jitne bhi ghotale hote hai wahi per kyo hote hai isiliye hote hai k sabhi office pass meinhai agar upwest mein hote to lagta hai in mein se sayad hi koi pass hota...

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  29. upwest wale mehnat karte hai paruntoo aisa nahi hai k purwanchal wale mehnat nahi karte karte hai paruntoo kuch log ..

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  30. paruntoo piyush ji ab mamla west ya east ka nahi rah gaya hai ab milkar hum sabko ye ladai ladni hai ...

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  31. SDM G KYO TETIANS KO BHRAMIT KAR RAHE HO. JAB SAMAY THA JAB TO KUCH KIYA NAHI. AB AGAR PROCESS START HONE KO HAI TI AAP USE ROKNA CHATE HO. PLS DON'T DO THIS NOW. STOP ALL UR LAZY THOUGHT N IDEAS. NOW WE DON'T NEED IT.

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  32. dosto ab back jana murkhta se kam nahi hai kyoki ladai ladte 2 ek saal finish ho gaya hai ab vapas nahi ja sakte hai add nikalne wala hai aur log chup vathne k baat kar rahe hai..

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  33. bhai ye ladai to ladni ha par ye jhoot to na bole galat suchna se kisi viswas ko tesh na pounche .ladai bina to ye gov kuch nahi karegi.but ye sp sarkar bhi in logo ki wajah se bani ha inho na vote diya ha humrea yaha se bjp ke mla ha 4 sahar ki seat se.

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  34. blog editor ji mai aap se request kr raha hu es [SHAYAM ] KA KOI BLOG MT CHAPO ABHI PYAR SE BAT KR RHA HU AGAR AP NE MERI BAT NA MANI KYOKI E SALA MATHER ...... CHOR HAI EDUCATED LABOUR HAI SALA MUMBAI MAI BHEL PURI BNATA HAI AP KE PERMISSION SE HI ESKA BLOG CHAP RHA HAI E SALA LOGO SE PAISE LEKAR APNI JEB BHAR RHA HAI AGAR AP NE DUBARA ESKA BLOG ES SIDE ME LAYE TO APKI MA BAHAN HO GI MERE KO BAD ME MAT KAHNA KYO KI MERA NAM S BABA HAI BABA=BAP KA BAP

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  35. i agree with you ye log soch rahe the ki sp sarkaar hamare liye kuch karegi paruntoo sp kya degi waha per 1000rs berojgari bhatta free electricity, water,muslim k liye 30000 rs is se kya hoga kya greebi rukegi aur badegi kyoki up doob jayegi

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  36. dosto b.tc. ke liye age hai 18-30 aur reserve cat. obc 33 aur sc\st 35 but iske chayan ka jo process hai usme matr below 20 ya 22 year age wale ka hi chayan ho pata hai kyonki jo bhi naye student pass hokar aa rahe hain unka acd.pichle walo ki tulna mai adhik hota hai.sochiye jara ki yadi kisi bhi acd. based bharti mai yadi 2012 high school,inter wale shamilho jaye tokya 2010 mai pass hone walo ka kahi chance ho sakta hai.mai yae kahna chahta hun ki gov. jab b.tc. ya v.b.tc ke liye age 35-40 kar rahi hai to uska process bhi eaisa hona chahiye ki ye log parkirya mai matr aavedak hi na rahe.aur eaisa exam ke through bharti karke hi sambhav ho sakta hai.nahi to age ko 25 hi kar dena chahiye koi fayda nahi in logo ka aarthik aur mansik sosan karne se.moh.istyak rampur


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  37. Yar tum log ~add~add@;kyo chilla rahe ho ?up mai sarkar akhalesh ki hai wo aapke bare mai abi dhyan n dekar 2014mai aap logo ke bare mai sochega.es c.m.se to mayawati achchhi thi kam se kam 72825 teachers ka add nikalkar procces to chalu kiya tha but aap logo ne maya hatakar akhlesh ko C.M.BANA Diya .ab salo akhlesh ke pichhe bhaukate raho .apni karni ka fal pao.

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  38. Yar tum log ~add~add@;kyo chilla rahe ho ?up mai sarkar akhalesh ki hai wo aapke bare mai abi dhyan n dekar 2014mai aap logo ke bare mai sochega.es c.m.se to mayawati achchhi thi kam se kam 72825 teachers ka add nikalkar procces to chalu kiya tha but aap logo ne maya hatakar akhlesh ko C.M.BANA Diya .ab salo akhlesh ke pichhe bhaukate raho .apni karni ka fal pao.

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  39. Bharti ab ho ya 2014 me, but all tet pass dhyan de .

    Bharti tet2012 se pahle ho. Aur kuchh nahi .
    Thanks

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  40. Es C.M.se to maya sahi thi procces chalu to kiya tha.but aap logo ne usko hata diya.ab khud ko dhosh do. Salo tum ne khud apne pairo par kulhadi mari hai.ab chillao---

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  41. Hello piyush g. i m also from meerut

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  42. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  43. Maya sahi thi ya mulayam hamne is baat se koi matlab nahi hai. hamne sirf job chahiye vaisse bhi hamam mei sab nange hote hai. all politician are same

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  44. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  45. बस एक माँग भरती...आधार कुछ भी..... आंदोलन. 20 lo lucknow me vishal dharna pradarsan

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  46. piyus &papa ji Madarchod Sale tere Bahan ji kaha ke hai sale etne ghootalee kr 1 soot bhe na selwa sake.saale khet bech aur daru pee.....75% 10 fail hai aur purb-paschim ke baat kr baat rahe hai.......ese purb-paschim&tet-accd.......ke chakkar mai Akilesh se Ga...........marwa

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  47. ka be urdu samagh main nahi ati hain

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  48. Is blog par shyam dev mishra ji hi aise hai jo imandar aur spast vakta hain baki sabhi apna apna matlab dekhne ka kam karte hai. Mera acd 295 tet 107 gunank 70 par mai sdm kee baton se prabhavit hun.

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  49. Is blog par shyam dev mishra ji hi aise hai jo imandar aur spast vakta hain baki sabhi apna apna matlab dekhne ka kam karte hai. Mera acd 295 tet 107 gunank 70 par mai sdm kee baton se prabhavit hun.

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  50. kauve ke sapne dekhne se ullu nhi mra karte hai
    hoga whi jo hona chahiye
    after 3day...
    yue will listen first surprise....wait....

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  51. Guys some people are going to mad n some are already there. kisi ko east se pyar hai kisi ko west se koi urdu likh raha hai to koi blank ker raha hai. agar tetians apni feeling share ker rahe hai to what is the problem. na jane kyo kuch log hamare bech aakar maja le rahe hai

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  52. Guys some people are going to mad n some are already there. kisi ko east se pyar hai kisi ko west se koi urdu likh raha hai to koi blank ker raha hai. agar tetians apni feeling share ker rahe hai to what is the problem. na jane kyo kuch log hamare bech aakar maja le rahe hai

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  53. Guys some people are going to mad n some are already there. kisi ko east se pyar hai kisi ko west se koi urdu likh raha hai to koi blank ker raha hai. agar tetians apni feeling share ker rahe hai to what is the problem. na jane kyo kuch log hamare bech aakar maja le rahe hai

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  54. Are Bhai jisko lagta hai kee SDM ji galat hain ya unke karya galat hain, to aap unkee baat mat maano ya unko paisaa mat do agar vhe mangte hain

    Aaap log khud pade likhe ho aur apnaa bhala buraa jante ho,
    parantu galee galoj kisee samasyaa ka hal nahin hai

    Lakhon log bhrtee kee race mein hain, Aur har koee man mutabik baten chahtaa hai (Koee TET Merit ke paksh mein hai to koee Gunank, koee Flat Merit,Koee scaling, Koee Bina TET ke, Koee Age wise)
    , Lekin hoga wahee jo -
    Niyam kehte hain aur sarkaar karegee. Sarkar khud hee keh chukee hai kee jo bhee court nirnay degee/ kahegee. ham uskaa sammaan karte hue paalan karenge.

    Aur usko ham logo ko bhee palan karna hoga bhale hee to dar kis baat kaa.

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  55. Guys some people are going to mad n some are already there. kisi ko east se pyar hai kisi ko west se koi urdu likh raha hai to koi blank ker raha hai. agar tetians apni feeling share ker rahe hai to what is the problem. na jane kyo kuch log hamare bech aakar maja le rahe hai

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  56. UP MERIT TET IS THE BEST

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  57. april mei maine apne job chod diya tha kyoki umeed thi july tak join kara denge. socha tha do mahine ghar per hi bitaunga phir na jane kitni door jana pade. ab to aissa lagta hai ki my decesion was totally wrong tha jo maine 14000 per month ka job gov job ke chakker me chod diya. ab to duniya se quit karne ko man karta hai.

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  58. april mei maine apne job chod diya tha kyoki umeed thi july tak join kara denge. socha tha do mahine ghar per hi bitaunga phir na jane kitni door jana pade. ab to aissa lagta hai ki my decesion was totally wrong tha jo maine 14000 per month ka job gov job ke chakker me chod diya. ab to duniya se quit karne ko man karta hai.

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  59. S D M JI aap kyo barti rokana cha rahai hai wase hai buat dair hoo chuki hai

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  60. pawan ji aap quit kar le eak seat kali hojayegi dusaro ka kalyan ho jayga

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  61. shyam dev mishra ji hi aise hai jo imandar aur spast vakta hain baki sabhi apna apna matlab dekhne ka kam karte hai. Mera acd 295 tet 107 gunank 70 par mai sdm kee baton se prabhavit hun.

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  62. bhai logo kisi ko koi khabar hai kya hone wala hai. kab post nikle gi

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  63. meri picture bol bacchan kasi lage please comment

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  64. plz koi hai jisko clear information hai

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  65. kal tak log information de rahe the ki vaccancy 1-2 day me aa jayegi. kya hua tab

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  66. kedarnath jaat sahab kaha ho


    blog per haow

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  67. Sanjay g u r right mere quit karne se ek seat bhad jayegi per apne kabhi socha hai ki agar neta apna dirty mind quit karle to sabhi ke liye seat bhad jayegi. faisla aap sabhi ko karna hai aap ek seat chate hai ya sabhi ke liye

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  68. plz all the TET pass candidate move to lucknow and make a protest against CM and tab tak ansan kare jab tak hamari vacancy clear na h.

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  69. bhai blog aditor hum se kahete ho inki baat mat mano tum iske comment publish karo ki koi na koi to hamre khel main fas hi jayega.waise apka isme commission kitna ha.yadi apke acche dost ha to is sdm ka muzhe roll no do tet bhi pass ha ya nahi.is chor ka kaam ha pareshan tet berojgar ka paisa loot na.tum bhi isme shamil ho.tumhe to acchi income is blog se ha ek bar click karne ke google tumhe 2 paise deta to ha par tum to sdm ke saath loot ka paisa chatte ho........

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  70. AHIR SANGH GANDU Phele theek se mera comments pad uske baad comments kar ...kya padna nahi aata hai meine up west aur east ko ek kar diya hai madarchood bhosdi wala anapad....

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  71. aaj kal ki aulaad apne baap ko gali dati hai ahir kahin ka...

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  72. mitro kripya aasangat baate n vichar es par mat dale. and dont divide poorab and panshim

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  73. bhai blog aditor hum se kahete ho ki sdm(mattu)ki baat mat mano tum iske comment publish karo ki koi na koi to hamre khel main fas hi jayega.waise apka isme commission kitna ha.yadi apke acche dost ha to is sdm ka muzhe roll no do tet bhi pass ha ya nahi.is chor ka kaam ha pareshan tet berojgar ka paisa loot na.tum bhi isme shamil ho.tumhe to acchi income is blog se ha ek bar click karne ke google tumhe 2 paise deta to ha par tum to sdm ke saath loot ka paisa chatte ho........

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  74. loot loot loot blog editor tu bhi loot sdm ke saath mil kar ab tak kitna collection hu ha.....berojgaro ka paise leker....kitne ghee ke diye jaleye ha tune...is bharti na hone main tera bhi haath ha...

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  75. please madam erase S D M comment otherwise u have to use filter in ur blog

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  76. SDM bhai bharti hone doge ya nhi.un bekashuro ka kya gunha h jo last 10-12 year se bharti ki intjar me h.

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  77. chut chudai jatan se charkha diya chalay aay sdm chod gaya ab bathi gaand maray

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  78. abe Madarchood jab tujhe likhna na aata hai to mai padhuga kya........sala PAPA JI hoga apne baap ka...sale tet ka Roll no.bhej du...dekh lena&gunK v batta du...

    purab-paschim ke baat kyu ke..?????????

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  79. Hanuman Ji
    Mitro,
    30aug ko SDM JI ka ek lekh fb w blog par aaya tha . us pe SDM JI ne ek comment kiya tha w maine uska matalab pucha par nahi bataye mitro ab aap read kar ke bataye Shubham Mishra
    बहुत बहुत धन्यबाद श्याम सर....निस्वार्थ इंतना सब कुछ करने के लिए............
    16 minutes ago · Like
    Karan Singh
    yaar hum logo ne to D.J. bhi book kar liya hai 3sep . k liye
    15 minutes ago · Like
    Shyam Dev Mishra
    Shubham Bhai, Main koi apwaad nahi hun, bahut bada swarth hai isme
    mera.... ek bar insabka selection ho jaye, fir dekh lena....
    13 minutes ago · Like · 1

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  80. esjs fiz; VhbZVh lkfFk;ks]vki lHkh ls esjk vuqjks/k gS fd bl HkfrZ izfØ;k dks gksus ns O;FkZ esa fdlh dks bl izfØ;k esa ck/kk u cuus ns vkSj u gh mldk lkFk nsA HkfrZ dk vk/kkj pkgs vdknfed gks ;k xq.kkad ;k VhbZVh gks ;g ge lcds ds fgr esa gh gksxkA eS vius ftyk ysoy ij ftruh Hkh ehfVax esa 'kkfey gqvk gwW mu lHkh esa eSus dsoy ,d gh ckr dgh gS fd HkfrZ gksuh pkfg, pkgs tSls Hkh gksA ugh rks bldk ifj.kke ge lHkh dks Hkfo"; esa Hkqxruk iMsxkA ch,M 2012 o 2013 VhbZVh 2012 lhVsV 2012 okys Hkh vk jgs gSA
    /kU;oknA

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  81. koi bhi pata kar lo add 10 ko h.c.me jama ho gaya hai.

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  82. Please do not use abusive/gali comment to hurt anybody OR to any authority. You can use moderated way to express your openion/anger. Express your views Intelligenly, So that Other can take it Seriously.

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  83. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  84. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  85. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  86. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  87. Syamdev ji, mai tet merit ka virodh nhi kr rha par, ye matter 1 sal se HC me chal rha tha, tab apne kanuni daw pench kyu nhi lagaye, ab gov bharti krna chahti hai to SC jane ko kah rhe hai, isme aapka saath koi nhi dene wala, hme lkn me ek andolan ki jrurt hai. To aap delhi me baithkar bharti me tang fsa rhe hai. Ulta rasta mat bataye hame lkn me andolan krk bharti start krne ki mang krni chahiye.

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  88. according to mr. Shyam dev mishra-HUM TO JAYENGE HI SANAM MAGAR TUMHE BHI LE DUBENGE.

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  89. murkho jo kuchh karega coart karega aur karwayega tumhare gali dene se kuchh nhi hasil hoga agar gali dene me itni power hoti to ab tak itni writ n padi hoti

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  90. maderchod UNKNOWN tu meri kis galti ka natija hai mujhe yad nahi, par ek hi comment ko bar-bar post karke mere lund ko kyo khada kar raha hai.

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  91. saare film stars ka jamavda aaj is blog par hai .....MUNNA BHAI ,BIG B, CHI CHI BABA;
    Bas MALLIKA SERAWAT ,SONAKSHI SINHA ....................Ka aana baki hai.

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  92. ku be syam dev ku bhadka raha h
    ku bharti rukbane k chakkar me hai

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  93. are o misra ji kyon falto me panga kar rahe ho.ye bharti to acd par he hoyegi aap jyda raja ram mohan ray banne ki kosis kar rahe hen. are bhi sarkar jis tarike se kar rahi h.use karne de aur vo karegi hi. aap kewl ham sab ka samay barbad kar rahe ho.

    aapke ssth sath hamne bhi to polic ki lathiya khai natija kya nikla kuch nahi.dilhi me dhrna diya sala jantar mantar jaisi jagah par jahan par kutta paesab karta h to media use teen din tak pure desh me show karti h par hamare dharne ko dekhne ek patrlar ya koi mediya wala nahi aaya.
    ab aap se nivedan h ki sarkar ko bharti karne do. is bhrti ka add 17oct. ko aa raha h.usme pado ki sankhya bad kar aa rahi h aapka bhi sure ho jayega fir ladai khtam karo yar.ya fir akhilesh se jatiy dusmani h to usi ke nam case karo.

    nahi to coart kahi aap par bhi jurmana laga sakti h.aur laga to 300000 se kam ka nahi lagaega .

    lag gaya to ammaa nahi kah paoge sir. so please do the contineue this prossece.your thank,s.
    jay bheem jay bharat.

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  94. re o misra ji kyon falto me panga kar rahe ho.ye bharti to acd par he hoyegi aap jyda raja ram mohan ray banne ki kosis kar rahe hen. are bhi sarkar jis tarike se kar rahi h.use karne de aur vo karegi hi. aap kewl ham sab ka samay barbad kar rahe ho.

    aapke ssth sath hamne bhi to polic ki lathiya khai natija kya nikla kuch nahi.dilhi me dhrna diya sala jantar mantar jaisi jagah par jahan par kutta paesab karta h to media use teen din tak pure desh me show karti h par hamare dharne ko dekhne ek patrlar ya koi mediya wala nahi aaya.
    ab aap se nivedan h ki sarkar ko bharti karne do. is bhrti ka add 17oct. ko aa raha h.usme pado ki sankhya bad kar aa rahi h aapka bhi sure ho jayega fir ladai khtam karo yar.ya fir akhilesh se jatiy dusmani h to usi ke nam case karo.

    nahi to coart kahi aap par bhi jurmana laga sakti h.aur laga to 300000 se kam ka nahi lagaega .

    lag gaya to ammaa nahi kah paoge sir. so please do the contineue this prossece.your thank,s.
    jay bheem jay bharat.

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  95. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

    Saturday, October 13, 2012 6:15:00 PM

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  96. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  97. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  98. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  99. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  100. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  101. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  102. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  103. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  104. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  105. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  106. आज के सनसनी-भरे माहौल में यह एक उबाऊ-सी पोस्ट प्रतीत हो सकती है, पर न जाने क्यूं, मन हुआ कि एक बार अपने ग्रुप में मौजूद भावी-शिक्षक साथियों से बात करके देखूं कि क्या आजकल फेसबुक पर केवल अपने वर्तमान से बेपरवाह स्वयंभू भविष्यवक्ता या गुप्त-सूत्रों वाले सार्वजनिक ख़ुफ़िया एजेंट या विश्वसनीय रूप से अफवाहें फ़ैलाने में व्यस्त खबरनवीस या कानूनी जानकारियों से लैस मुकदमेबाज या एक दूसरे कि लानत-मलानत में व्यस्त रहने वाले दुर्धर्ष योद्धा ही सक्रिय हैं या शांत मन से किसी विषय पर दुराग्रह-मुक्त हो सामान्य विचार-विमर्श को उत्सुक सामान्य-जन का भी यहाँ कोई अस्तित्व है? सच स्वीकार करूँ तो रोज-रोज पैदा हो रही नई-नई कानूनी पेचीदगियां अब एक अवांछित भार बन रही हैं, जो जितनी जल्दी ख़त्म हो जाये, उतना बेहतर, पर लक्ष्य की प्राप्ति तक इनसे विमुख होना भी संभव नहीं है. कृपया किसी व्यक्ति और घटनाक्रम से इस चर्चा को न जोड़ें, यही करने को उत्सुक लोग इस पोस्ट पर कुछ न करें तो ही बेहतर है. व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप वाले कमेंट्स को कृपया मेरे एडमिन मित्र अविलम्ब और बेझिझक हटा दें.

    क्या आप भी मानते हैं कि वास्तविकता को छुपाते हुए हम खुद को अच्छा और ऊंचा दिखाने का या किसी और को घटिया या नीचा दर्शाने का प्रयास कितनी भी सफाई या चालाकी से करें, आपकी कार्यशैली या भाषाशैली स्पष्ट कर देती है कि ऐसा करने के पीछे आपकी क्या मंशा है? आपकी छवि आपकी बातों या कार्यों से बनती है, इसमें कोई दो राय नहीं, पर यह केवल शुरूआती चरण में होता है, कुछ आगे बढ़ने पर आपकी छवि आपकी मंशा की कसौटी पर ही कसी जाती है और सामान्य-जन आपके फैलाये किसी भ्रमजाल में फंसने के बजाय अपनी स्वतंत्र धारणा बनाते हैं. कई बार तो हम दूसरे की छवि बिगाड़ने के प्रयासों में उपरोक्त वास्तविकता को भूलकर इतना आत्म-विमुग्ध हो जाते हैं कि आभास तक नहीं हो पता कि दूसरे की इज्जत उतारने के क्रम में कब खुद हम ही निर्वस्त्र हो गए. आपके द्वारा अपनी गलती छुपाने या दूसरों को गलत ठहराने के प्रयासों के परिणाम भी सदैव नकारात्मक ही होते हैं, जबकि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करना आपकी एक बड़प्पन-भरी सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है. कई बार हम किसी व्यक्ति या घटना से उत्पन्न क्षणिक उत्तेजना को दबा कर उस समय रोक कर स्वयं को संयत रखते हैं और कोई प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर नहीं देते तो कुछ समय बाद हमें हमारा यह आत्म-नियंत्रण लाभ-कारी ही प्रतीत होता है पर उत्तेजनावश उठाये हुए ज्यादातर कदम आगे चलकर खुद को ही एक भूल प्रतीत होते हैं. एक बात और, कोई कम अक्ल वाला व्यक्ति ही सोच सकता है कि केवल गालियाँ खाने भर से किसी व्यक्ति का अपमान हो गया, वास्तव में आपका सम्मान या अपमान आपके प्रति बनी सामान्य धारणा से निर्धारित होता है न कि आपको मिलने वाली गालियों और तारीफों की मात्रा से. खासतौर पे जब आप लोगो से अपने ऊपर विश्वास करने की अपेक्षा करते हों और अपनी छवि अच्छी रखने के प्रति सचेष्ट हों तो इन बातों का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरुरी हो जाता है. क्योंकि, ये पब्लिक है, सब जानती है...

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  107. SUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI DEGA



    SUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI DEGA
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  108. Matherchod shyam dev mishra, gumafira k bat ko wahi par le kar aa gaya jisase mamle m aur pech fas jaye ,sale Tere jaiso ki vajah se hi ye bharti court m latki hui h, ab sale ise suprim court m latkwade, sale tujh kutte ka kucch nahi ho sakta bus logo ko bhatkata rah ,harami pille !

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  109. SUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI DEGA
    SUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI SUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI DEGA
    SUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI DEGA
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    DEGASUUAR KE BACHOO JAB KOI TET WALL ROTE HAI TO S D M ATHEY HAI AUR TUM LOG GALI TEY RAHI HOO KEE KUSH HOGA YAA SABASHI DEGA
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  110. Do do paig lagao.....tention khallas karo yaro....

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  111. jisko jo kuch karna tha kar chuka hai

    ab SDM ko kuch sujh nahi raha hai to wo tetians ko thagne ki soch raha hai

    AGAR BAHUT BADA HITAISHI THA TO AB TAK KAHA THA ,KYO NAHI 8-9 MAHINE PAHLE HI SC CHALA GAYA JISSE YE MAMLA SULAJH JATA

    AB APNA KAAM NIPTA CHUKA HAI TO SOCH RAHA HAI KI KUCH CHUTIYAA TETIANS KO FASA KAR KUCH KAMAI KAR LI JAYE

    TANDON JI KAFI SAVDHANI SE IS MAMLE PAR VICHAR KAR RAHE HAI

    SAMAJHDARI ISI ME HAI KI BINA ADANGA DALE PRAKRIYA KO HONE DIYA JAYE

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  112. in sab baaton ke bajay , agar aap possitive socho to jyada accha rahega...

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  113. tet ka on line form kal araa hai news 100 %

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  114. yeha blog nahi hai gaaliyo ka adda hai

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  115. Chutia jai kumar ek hi post ko repost karta hai......

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  116. Santa: Yaar Sooraj Raat Ko Kyu Nahi Nikalta?
    yeda: Kya Pata Nikalta Bhi Ho Andhera Itna Hota Hai Ki Dikhai Kuch Nahi
    Deta….
    Raat ko ek ladki ne Santa ki car ko rukne ka ishara kia
    : Oh, Im Sorry! Main samjhi taxi hai.
    Santa: Main bhi yehi samjha tha.Banta: Wo ladki deaf lagti hai.
    Main kuch kehta hoon, woh kuch aur hi bolti hai.

    Santa: Kaise?

    Banta: Maine kaha I Luv U,
    to woh boli ‘Maine kal hi Nayi Sandal kharidi hain’Banta was the official driver of a minister.
    Once the minister asked him, “Banta let me drive the car today.”
    Banta: “Sirji, it is a car and not the sarkar which anyone can drive.
    Titanic K Saath Santa Bhi Doob Raha Tha,
    Or Hans Bhi Raha Tha,
    Banta:Oye Hans Kyun Raha Hai?
    Santa:Shukar Hai Mainay Return Ticket Nahi kharida.
    Santa Helmet Pehen K Bahar Nikla To
    Police Ne Kaha-Nikaal 50rs..

    Santa-Abe Maine Helmet Pehni To He_

    Police-Abe, Par Scooter Kaha He ?

    Banta Sing! u get marry with Santa after my death,
    Wife!, but why? He is ur no 1 enemy,
    Banta!, this is only way to take revenge with santa sing.Pappu, while filling up a form: Dad, what should I write for mother
    tongue.?
    Santa: Very long!
    Lucky: Yaar mujhey kuch nahi aata tha main paper khali chor aya hon.
    Banta: Main bhi!
    Santa: Shit yaar, teacher samjhe gi hum ne cheating ki hay.
    Santa ne apne papa ko father’s day par CAR gift di or ek sher likha.
    “phool to bahut hai par Gulab sa nahi,
    Papa to bahut hai par aap sa nahi”
    Santa ne apne papa ko father’s day par CAR gift di or ek sher likha.
    “phool to bahut hai par Gulab sa nahi,
    Papa to bahut hai par aap sa nahi”

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  117. Santa Apni GF ko I Love You kehta or Gir Jata
    Girl- Ye Kya Kar Rahe Ho?
    Santa- I M Falling in Love.

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    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Kya Main Agle Janam Mein
    Gadha Ban Sakta Hoon?
    Bhagwan Ne Jawab Diya-
    Ek Hi Facility Baar Baar Nahi Mil Sakti.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Santa Ne Bhagwan Se Poocha
    Kya Main Agle Janam Mein
    Gadha Ban Sakta Hoon?
    Bhagwan Ne Jawab Diya-
    Ek Hi Facility Baar Baar Nahi Mil Sakti.
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    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Police man
    Police man: Stop, stop, tumhari headlights kaam nahi kar rahi,wo bandh hai.
    Santa: Jaldi se hat jao! brakes bhi kam nahi kar rahe.
    0 COMMENTS
    LABELS: ALL HINDI SMS, SANTA BANTA JOKES
    Santa ka ladka-Im a Complan boy
    Santa ka ladka-Im a Complan boy
    Snta K ladki-Im a Complain Girl
    Snta:Ye kya Chakkar he Peda mene kra name kisi orka?
    0 COMMENTS
    LABELS: SANTA BANTA JOKES
    Snta Ki Beti Ko SMS Aaya
    Snta Ki Beti Ko SMS Aaya-”I LOVE YOU”
    Snta Gusse Me Beti Se-
    Jisne sms Kiya Hai Usse To Mai Dekh Luga
    Filhal Tum Uska Sms Usse Wapis Bhejo.
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  118. SYAM DEV MISHRA ----

    1-इस विषय में इसी रविवार को दिल्ली में बुलाई गई बैठक में पूरी जानकारी मिल सकती है और आप चाहे तो याचिकाकर्ताओं में शामिल भी हो सकते हैं. अपने काम-काज के सिलसिले में व्यस्त होने के कारण अब तक समय नहीं दे पाया, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.

    2-अगर अधिवक्ताओं ने हमारे केस को सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए मान लें, अनुपयुक्त भी बता दें, तो 750 रुपये छोड़कर हमारी पूरी रकम बच जाएगी.

    3- हमारे मामला सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए उपयुक्त नहीं है तो हमारे द्वारा जमा किये गए शुल्क में से मात्र 750 रुपये काटकर शेष राशि हमें वापस कर दी जाएगी.


    --------------

    ek writ ke liye 5000 rs tak lagate hain.

    tum log

    प्रमोद पांडे, आनंद तिवारी, कुमार नीरज, देवेन्द्र सिंह (सभी दिल्ली), शिव कुमार (गाजियाबाद)

    sab 1000/person de dete tab bhi writ dal sakte they.

    --------------------


    apna sardard dimag apne pas rakho tet mein like no adhik hain uske acd mein bhi hain .


    cbsc/icsc board aur up board mein antar ke liye skeling process start ho raha hai.

    fir kyonn tum apna sardard dosro ko dene ka saukh rakhte ho..

    tum free ho apne man ki upaj ko dikhane ke liye .

    ----------------------------------------------------------------------


    " SUDHAR JAO "

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