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Wednesday, October 26, 2011

शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पेशेवर योग्यता में छूट प्रदान

शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पेशेवर योग्यता में छूट प्रदान
(Relaxation in Professional Qualification of Teacher Recruitment)

सोलह लाख टीचरों की जरूरत -
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केंद्र सरकार ने राज्यों को शिक्षकों की सीधी भर्ती की मंजूरी प्रदान कर दी है। वजह यह है कि कई राज्यों में पेशेवर शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। इसलिए भर्ती के नियमों में ढिलाई देते हुए केंद्र ने कहा कि राज्य सरकार न्यूनतम योग्यता के आधार पर शिक्षकों की भर्ती कर सकते हैं। लेकिन भर्ती के पांच साल के भीतर शिक्षकों को आवश्यक पेशेवर योग्यता हासिल करनी होगी।

इस फैसले के बाद राज्य सरकारें प्राइमरी के लिए 12वीं तथा मिडिल स्कूलों के लिए स्नातक नौजवानों को सीधे शिक्षक भर्ती कर सकते हैं। यहां राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मणिपुर समेत कई राज्यों ने कहा कि वे शिक्षा का अधिकार कानूनों के तहत तय मानकों के अनुसार शिक्षकों की भर्ती करना चाहते हैं लेकिन उन्हें निर्धारित पेशेवर योग्यता वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं।
प्राइमरी के लिए डीएड और अपर प्राइमरी के लिए बीएड डिग्रीधारी उम्मीदवार चाहिए जिनकी संख्या राज्यों में बेहद कम है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के अनुच्छेद 23 के तहत केंद्र सरकार को यह शक्ति है कि वह शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पेशेवर योग्यता में छूट प्रदान कर सकता है।
इसी का इस्तेमाल करते हुए हाल में बिहार और पश्चिम बंगाल को पेशेवर योग्यता में छूट प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि जो भी राज्य यह छूट लेना चाहते हैं, वे ले सकते हैं।
बता दें कि शिक्षा का अधिकार कानून के अमल में आने के बाद
 देश में पांच लाख शिक्षकों की जरूरत है।
इसके अलावा शिक्षकों के करीब सात लाख पद पहले से रिक्त पड़े हैं।
जबकि अगले
 तीन सालों में करीब चार लाख शिक्षक सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
इस प्रकार बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति होनी है।
News source :
http://www.livehindustan.com/news/desh/today-news/article1-story-329-329-175135.html
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देखीय समाचार और आप ही बताएं की सरकार अगले तीन सालों में कितने शिक्षकों की भर्ती करेगी
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Sunday, October 23, 2011

आरपीएससी ने फिर बदल दी ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा की तिथि

आरपीएससी ने फिर बदल दी ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा की तिथि (RPSC again changed exam date for teachers recruitment)

अजमेर/सीकर.आरपीएससी ने ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा का टाइम टेबल मंगलवार को एक बार फिर बदल दिया। अब परीक्षा सात से दस दिसंबर तक होगी। इससे पहले सोमवार को जारी किए गए टाइम टेबल में परीक्षा की तिथि आठ से 11 दिसंबर तय की गई थी।
टाइम टेबल के बाद शिक्षा निदेशक ने आरपीएससी को पत्र लिखकर बताया कि 12 दिसंबर से शैक्षिक कैलेंडर के अनुसार अर्धवार्षिक परीक्षा शुरू होनी है। लिहाजा, परीक्षा दस दिसंबर तक ही कराई जाए, क्योंकि एक दिन का समय तैयारी करने के लिए भी शिक्षा विभाग को चाहिए।
इसके बाद आरपीएससी सचिव केके पाठक ने मंगलवार देर शाम नया कैलेंडर जिला प्रशासन को ईमेल के जरिए भेजा। नए कैलेंडर के अनुसार, 11 दिसंबर को तय की गई सामान्य ज्ञान की परीक्षा अब सात दिसंबर को होगी। परीक्षा में सीकर जिले से 39 हजार परीक्षार्थी शामिल होंगे। परीक्षा दो पारियों में ही होगी।पहली पारी सुबह दस से 12 तथा दूसरी पारी दो से शाम चार बजे तक होगी।

नया टाइम टेबल इस तरह
सात दिसंबर को पहली पारी में सामान्य ज्ञान का पेपर होगा, जिसमें 39 हजार परीक्षार्थी भाग लेंगे। एडीएम बासुदेव शर्मा ने बताया कि आठ को पहली पारी में सामाजिक विज्ञान का पेपर होगा। दूसरी पारी में साइंस का पेपर होगा। इसी तरह नौ दिसंबर को पहली पारी में हिंदी व द्वितीय पारी में गणित और दस दिसंबर को पहली पारी में अंग्रेजी का पेपर होगा।

News Source  : http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-second-grade-teacher-recruitment-examination-arpissi-changed-again-2511495.html
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पदोन्नति में गड़बड़ी, गर्दन बचा रहे अफसर

पदोन्नति में गड़बड़ी, गर्दन बचा रहे अफसर (Manipulation of Promotion in LT Grade and Lecturer, officers saving there neck )


देहरादून। एलटी और प्रवक्ता संवर्ग से प्रधानाध्यापक पदों पर हुई पदोन्नति में जमकर खेल हुआ है। कुछ शिक्षकों को प्रतिकूल प्रविष्टि के बावजूद पदोन्नत कर दिया गया है। शिक्षा निदेशक ने अनुपयुक्त अभ्यर्थियों को पदोन्नति मिल जाने की पुष्टि की है। हैरत की बात यह है कि इस मामले में शिक्षा निदेशक चंद्र सिंह ग्वाल जिस अधिकारी को दोषी ठहराते हुए कार्रवाई की बात कर रहे हैं, वह अधिकारी पहले ही उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किया जा चुका है।
शिक्षा विभाग में एलटी और प्रवक्ता संवर्ग से हाईस्कूल के 239 प्रधानाध्यापक पदों के लिए हुई पदोन्नति में गड़बड़ियां सामने आई हैं। कई वर्षों की प्रतिकूल प्रविष्टि के बावजूद कुछ शिक्षकों को पदोन्नति दे दी गई। सूत्रों के अनुसार, इनमें कुछ शिक्षकों की मूल सीआर तक उपलब्ध नहीं थी। इसके बावजूद, पदोन्नति दी गई। इस पूरे मामले में शिक्षा निदेशक ग्वाल हाल ही में उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जा चुके उप शिक्षा निदेशक एके सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। साथ ही कार्रवाई की भी बात कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश के लिए कार्यमुक्त किए जा चुके उप शिक्षा निदेशक के खिलाफ कैसे कार्रवाई की जाएगी। यह भी सवाल खड़ा किया जा रहा है कि विभागीय चयन समिति (डीपीसी) में जब खुद शिक्षा निदेशक ग्वाल भी शामिल थे, तो इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?
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‘पदोन्नति को निरस्त नहीं किया जा सकता। ऐसा किया, तो ये लोग कोर्ट चले जाएंगे। विभागीय चयन समिति में खुद मैं भी शामिल था, लेकिन उप शिक्षा निदेशक ने समिति को गुमराह किया। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
-चंद्र सिंह ग्वाल (शिक्षा निदेशक)

‘प्रतिकूल प्रविष्टि वह होती है, जो सर्व हुई हो। शिक्षक उस पर प्रत्यावेदन देता, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। एकतरफा प्रतिकूल प्रविष्टि दे दी गई। जिन लोगों को दी गई, उन्हें इसके बारे में जानकारी तक नहीं थी। ऐसी प्रतिकूल प्रविष्टि मान्य नहीं है।’
-गोविंद जायसवाल (उप निदेशक-विधि)
Source : http://www.amarujala.com/state/Uttarakhand/39155-2.html
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हरियाणा - अब पहली से आठवीं तक प्राथमिक शिक्षा

हरियाणा - अब पहली से आठवीं तक प्राथमिक शिक्षा

हरियाणा में स्कूली शिक्षा का बंटवारा

द्विस्तरीय प्रणाली लागू हुई
 हरियाणा में स्कूली शिक्षा का बंटवारा हो गया है। सोमवार यानी 26 सितंबर से राज्य में द्विस्तरीय प्रणाली शुरू हो जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन ने बीते वीरवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के कारण यह बदलाव किया गया है। मालूम हो कि स्कूली शिक्षा को द्विस्तरीय बनाने के प्रस्ताव की खबर अमर उजाला ने पहले ही प्रकाशित कर दी थी।

अभी तक राज्य में पहली से पांचवीं, छठी से दसवीं और 11वीं-12वीं तक के स्कूल हैं। यानी प्राइमरी, सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्कूल। अब द्विस्तरीय प्रणाली होने से पहली से आठवीं तक के स्कूल एक कैटेगरी में और नौवीं से बारहवीं तक के स्कूल दूसरी कैटेगरी में हो गए हैं। अब तक पहली से पांचवीं तक के स्कूलों में जेबीटी टीचर पढ़ाते हैं और उनका प्रशासनिक नियंत्रण भी प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पास है। छठी से दसवीं तक के विद्यार्थियों को मास्टर पढ़ाते हैं। उनका प्रशासनिक नियंत्रण आयुक्त एवं महानिदेशक सेकेंडरी एजूकेशन के पास है। दस जमा एक और दो में लेक्चरर पढ़ाते हैं और उनका नियंत्रण भी महानिदेशक सेकेंडरी एजूकेशन के पास है।

अब नए बदलाव में पहली से पांचवीं तक के बच्चों को जेबीटी और छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों को मास्टर पढ़ाएंगे। मास्टर वर्ग का नियंत्रण भी प्राथमिक शिक्षा निदेशक को तबदील कर दिया गया है। अब नौवीं, दसवीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में लेक्चरर पढ़ाएंगे। आयुक्त एवं महानिदेशक सेकेंडरी एजूकेशन के नियंत्रण में सिर्फ लेक्चरर रहेंगे।


अधिसूचना के साथ ही आयुक्त एवं महानिदेशक विजयेंद्र कुमार ने मुख्यालय पर मास्टर वर्ग से जुड़ी ब्रांच के स्टाफ को प्राथमिक शिक्षा निदेशक के तहत चले जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। जिला स्तर पर मास्टर और सीएंडवी टीचर से संबंधित स्टाफ और ब्रांच जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को भेजने को निर्देश दिया गया है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के कारण बदलाव जरूरी हो गया था। अब एक स्कूल में टीचर के 10 फीसदी से ज्यादा पद खाली नहीं रह सकेंगे। पहली से आठवीं तक शिक्षक और विद्यार्थियों का अनुपात 1:30 का किया गया है। छठी से आठवीं तक यह अनुपात 1:35 होगा।


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सार्वजनिक होगी एलटी की तैनाती सूची (Final List of LT Grade Teacher will be made available to Public)

सार्वजनिक होगी एलटी की तैनाती सूची  ( LT GRADE TEACHERS LIST /DEPLOYMENT MAKE AVAILABLE TO PUBLIC)


देहरादून, जागरण संवाददाता: एलटी के 1700 पदों पर तैनाती का रास्ता आखिर साफ हो गया। लंबे इंतजार के बाद सोमवार को सूची को अंतिम रूप दिया गया। विद्यालयी शिक्षा निदेशक सीएस ग्वाल ने दावा किया कि मंगलवार को सूची सार्वजनिक की जाएगी। गढ़वाल व कुमाऊं मंडल निदेशक कार्यालय के साथ ही दून स्थित निदेशालय में सूची चस्पा होगी। मंगलवार को ही सूची को इंटरनेट पर भी जारी किया जाएगा।
जनवरी में परीक्षा के बाद जून में परिणाम जारी किए गए और 23 अगस्त को गुणांक को शामिल करते हुए अंतिम सूची जारी की गई। इसके बाद लगभग दो माह से एलटी चयनित नियुक्ति के लिए भटकते रहे। आंदोलन और शिक्षा मंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों से मुलाकात के बाद भी नियुक्ति की राह नहीं खुल पाई। इस दौरान कई बार सूची जारी करने के आश्वासन दिए गए, लेकिन सूची जारी नहीं हो पाई। आखिरकार सोमवार को तैनाती सूची पर अंतिम मुहर लग गई। हालांकि, सूची सार्वजनिक नहीं किए जाने के कारण सोमवार को भी चयनित दिनभर शिक्षा निदेशक से लेकर तमाम अधिकारियों के चक्कर काटते रहे। एलटी चयनित राकेश बधानी ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने 16 अक्टूबर को सूची जारी करने का आश्वासन दिया। रविवार होने के कारण 17 अक्टूबर को सूची देखने निदेशालय पहुंचे, लेकिन यहां न तो सूची मिली और न ही इस बारे में कोई जानकारी। सुबह से निदेशक भी कार्यालय में नहीं है। कई चयनितों ने आरोप लगाया कि चहेतों को मनचाही तैनाती देने के फेर में सूची में विलंब किया जा रहा है। उधर, विद्यालयी शिक्षा निदेशक सूची जारी किए जाने के सवाल पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि तैनाती के आदेश हो गए हैं, तैनाती पत्र मंडल कार्यालयों से जारी किए जाने हैं। दोनों मंडलों को इसके आदेश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार तक सूची सार्वजनिक कर दी जाएगी। इसकी प्रति मंडल कार्यालयों के साथ ही निदेशालय में चस्पा की जाएगी। चहेतों को मनपसंद तैनाती के कारण हो रहे विलंब के सवाल पर उन्होंने कहा कि कला विषय के चयनितों पर फैसला देर से होने के कारण सूची देर से जारी हो रही है।
कला विषय के चयनित भी शामिल  ( Art subject LT Grade teacher included in selection list)
कला विषय के लिए एलटी चयनितों को भी तैनाती सूची में शामिल किया गया है। गौरतलब है कि अर्हता को लेकर हुए भ्रम के कारण इनकी नियुक्ति अटकी हुई थी (Appointment was pending for LT Grade teacher due to confusion over eligibility)। जांच के बाद अन्य विषयों के साथ ही कला विषय के चयनितों की तैनाती सूची भी जारी की जा रही है। विद्यालयी शिक्षा निदेशक सीएस ग्वाल ने इसकी पुष्टि की।
News source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8369718.html
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Saturday, October 22, 2011

UPSC COMBINED MEDICAL SERVICES (CMS) EXAMINATION, 2011 FINAL RESULT

The following is the list, in order of merit, of the candidates who have been recommended for appointment to medical posts in the Railways, Indian Ordnance Factories Health Service, Central Government Health Services, Municipal Corporation of Delhi and New Delhi Municipal Council on the result of the Combined Medical Services Examination, 2011 held by the Union Public Service Commission on 16.01.2011 and Personality Test held from 18.7.2011 to 26.7.2011.
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UPSC CENTRAL POLICE FORCES (ASSTT. COMMANDANTS) EXAMINATION 2010 MERIT ORDER FINAL RESULT


GOVERNMENT OF INDIA
PRESS INFORMATION BUREAU
PRESS NOTE

Based on the result of the Central Police Forces (Assistant Commandants) Written
Examination, 2010, held by the Union Public Service Commission on 24
and the Personality Test held in August-September, 2011, the following is the list, in order
of merit, of candidates who have been recommended for appointment to:-
(i) Border Security Force;
(ii) Central Reserve Police Force;
(iii) Indo-Tibetan Border Police;
(iv) Sashastra Seema Bal.
(v) Central Industrial Security Force; and
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UPSC DEPUTY CENTRAL INTELLIGENCE OFFICER (TECHNICAL)

UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION (UPSC)
DHOLPUR HOUSE, SHAHJAHAN ROAD
NEW DELHI-110 069.

NOTICE
UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION ADVERTISED 07 POSTS OF DEPUTY CENTRAL INTELLIGENCE OFFICER (TECHNICAL) IN INTELLIGENCE BUREAU, MINISTRY OF HOME AFFAIRS
(FORENOON).
 ON THE BASIS OF THE RECRUITMENT TEST, THE COMMISSION HAVE SHORTLISTED THE FOLLOWING CANDIDATES FOR INTERVIEW “PROVISIONALLY”:
VIDE ADVERTISEMENT NO. 21/2010 ITEM NO.05 DATED 13.11.2010. THE COMMISSION CONDUCTED A RECRUITMENT TEST ON 07.08.2011
000127 000247 000378 000383 000734 001597 001607
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UPSC GDMO RESULT

N O T I C E
UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION ADVERTISED 92
POSTS OF GENERAL DUTY MEDICAL OFFICERS (GDMO) IN THE
HEALTH DEPARTMENT, GOVT. OF PUDUCHERRY VIDE
ADVERTISEMENT NO. 24, ITEM NO. 03 DATED 25.12.2010. THE
COMMISSION CONDUCTED RECRUITMENT TEST ON 07.08.2011.
ON THE BASIS OF THE RECRUITMENT TEST, THE COMMISSION
HAVE SHORTLISTED THE FOLLOWING ROLL NOS. FOR
INTERVIEW “PROVISIONALLY’.

011004 011006 011008 011010 011015 010019
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Friday, October 21, 2011

आरटीई के तहत फ्री शिक्षा देने की मांग

आरटीई के तहत फ्री शिक्षा देने की मांग (Free education sought under RTE Act)

दिल्ली हाई कोर्ट में एक एनजीओ की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि दिल्ली सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए नियम बनाएं और इस बाबत नोटिफिकेशन जारी करे। इस याचिका में दिल्ली सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने याचिका दायर कर कहा है कि प्रतिवादी इस नियम के प्रति गंभीर नहीं है। राजधानी में प्रत्येक साल लाखों स्टूडेंट इस अधिकार से वंचित हो रहे हैं। इस मामले में सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह इस मामले में एक तय सीमा के अंदर नोटिफिकेशन जारी करे। आरटीई एक्ट 2009 में आया, लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार इस मामले में नियम तय नहीं कर पाई है इस कारण बच्चे अपने अधिकार से वंचित हो रहे हैं।

आरटीई के तहत सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा की सुविधा मुहैया कराएं। याचिका में कहा गया है कि हाई कोट ने 8 अगस्त को ऐसे ही एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि अदालत उम्मीद करती है कि इस मामले में नियम जल्दी ही लागू किया जाएगा। याचिकाकर्ता का कहना है कि दो महीने बीतने के बावजूद अभी तक सरकार ने इस मामले में कोई नियम नहीं बनाया और न ही कोई नोटिफिकेशन जारी किया है। जबकि सरकार की ओर से तब हाई कोर्ट में कहा गया था कि नियम संबंधी ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और जल्दी ही उसे कैबिनेट के सामने एप्रूवल के लिए रखा जाएगा। सरकार इस मामले में नियम के नोटिफिकेशन में देरी कर रही है और इस कारण बच्चे सफर कर रहे हैं।
News Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/-/----/articleshow/10317657.cms

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आरटीई से बाहर रहेंगे नवोदय विद्यालय

आरटीई से बाहर रहेंगे नवोदय विद्यालय (RTE will be out of Navodaya Vidyalaya)


नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के चलते दाखिलों को लेकर मुश्किलों से जूझ रहे देश के लगभग छह सौ नवोदय विद्यालय अब राहत की सांस ले सकते हैं। लगभग नौ महीने की कोशिश के बाद कानून मंत्रालय ने दूसरों स्कूलों से बिल्कुल अलग इन आवासीय विद्यालयों को आरटीई के दायरे से बाहर रखने पर रजामंदी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तर्को और अटार्नी जनरल की फिर से राय लेने के बाद कानून मंत्रालय अंतत: नवोदय विद्यालयों को आरटीई की परिधि से बाहर रखने पर सहमत हो गया है। अलबत्ता उसने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसके लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए कानूनी प्रावधानों की रोशनी में स्पष्टीकरण की अधिसूचना जारी की जा सकती है, लेकिन शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन की बाबत एक विधेयक संसद में लंबित होने के कारण यह अभी संभव नहीं है। उस संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद इस बाबत जारी अधिसूचना में उसे पिछली तारीख से लागू करने का प्रावधान किया जा सकता है। गौरतलब है कि नवोदय विद्यालयों में दाखिले के लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा हर साल फरवरी में होती है। नया शैक्षिक सत्र जुलाई में होना है, लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते प्रवेश परीक्षा अभी नहीं हो सकी है। सूत्र बताते हैं कि कानून मंत्रालय की हरी झंडी मिलने के बाद अब जुलाई में ही प्रवेश परीक्षा कराने की तैयारी है। कोशिश है कि जुलाई के अंत तक दाखिला प्रक्रिया पूरी कर ली जाए, ताकि शैक्षिक सत्र शुरू होने में ज्यादा विलंब हो। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत किसी भी स्कूल में दाखिले के लिए बच्चे या उसके माता-पिता का स्क्रीनिंग टेस्ट (प्रवेश परीक्षा आदि) नहीं लिया जा सकता। साथ ही हर स्कूल में कमजोर वर्गो के छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी। चूंकि नवोदय विद्यालयों में दाखिले के लिए चयन का आधार प्रवेश परीक्षा है। इसलिए यह दिक्कत है। ऐसा न करने के कारण ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नवोदय विद्यालयों को पिछले साल इस प्रक्रिया से हुए दाखिले को निरस्त करने का नोटिस दे दिया था।

News Source : http://in.jagran.yahoo.com/epaper/article/index.php?page=article&choice=print_article&location=10&category=&articleid=111714588872043160
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आरटीई का सम्पूर्णता में लागू नहीं होना ऐतिहासिक विफलता होगी: सिब्बल

आरटीई का सम्पूर्णता में लागू नहीं होना ऐतिहासिक विफलता होगी: सिब्बल
If RTE not apply entirely then it is historic failure : Kapil Sibbal

देश के बड़े राज्यों में छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) ठीक ढंग से लागू नहीं किये जाने पर चिंता प्रकट करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर यह कानून पूरे देश में उचित तरीके से सम्पूर्णता में लागू नहीं होता तो यह एक ऐतिहासिक विफलता होगी.
आरटीई पर एक समारोह को संबोधित करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘अगर यह कानून सम्पूर्णता में लागू नहीं होता तो यह ऐतिहासिक विफलता होगी.’ अभी तक 18 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों ने आरटीई कानून को अधिसूचित किया है, जबकि तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल समेत कुछ बड़े राज्यों ने इन नियमों को अधिसूचित नहीं किया है.
सिब्बल राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को सबोधित कर रहे थे, जिसमें पूरे देश में आरटीई के बारे में सामुदायिक जागरूकता फैलाने के बारे में चर्चा की जा रही है.
मंत्री ने कहा कि इस महत्वपूर्ण कानून के विभिन्न पहलुओं के बारे में सामुदायिक जन जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्णय किया गया है.
‘शिक्षा का हक’ नामक यह अभियान राजस्थान के मेवात से 11 नवंबर से शुरू होगा.
मंत्रालय का मानना है कि इस अभियान से शिक्षा के अधिकार के बारे में लोगों के बीच सामुदायिक स्तर पर रूचि बढ़ेगी. इसके तहत एक वर्ष में अनुमानित 13 लाख स्कूलों में गतिविधियां आयोजित किये जाने की योजना है. इस विषय पर राज्यों को भी शामिल किया गया है जिसे अंतिम रूप देने की दिशा में काम किया जा रहा है.
गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार कानून को लागू हुए एक वर्ष से अधिक समय गुजर चुका है, लेकिन अभी तक देश में 18 राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों ने ही इस कानून को अधिसूचित किया है जबकि 11 राज्यों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण परिषद का गठन किया जा सका है.
ताजा जनगणना के अनुसार पिछले 10 वर्ष में महिला साक्षरता दर 11.8 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 6.9 फीसदी की दर से बढ़ी है, हालांकि महत्वाकांक्षी सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसए के तहत आरटीई लागू होने का एक वर्ष गुजरने के बाद देश में अभी भी 81 लाख 50 हजार 619 बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है, 41 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है और 49 प्रतिशत स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है.
प्राथमिक स्कूलों में दाखिल छात्रों की संख्या 13,34,05,581 है जबकि उच्च प्राथमिक स्कूलों में नामांकन प्राप्त 5,44,67,415 छात्र हैं. साल 2020 तक सकल नामांकन दर को वर्तमान 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है लेकिन सर्व शिक्षा अभियान के 2009.10 के आंकड़ों के अनुसार, बड़ी संख्या में छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे में लाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश में अभी कुल 44,77,429 शिक्षक ही हैं.
सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़ों के अनुसार, शैक्षणिक वर्ष 2009.10 में प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.46 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक स्तर पर बालिका नामांकन दर 48.12 प्रतिशत है. अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चों की नामांकन दर 19.81 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों की नामांकन दर महज 10.93 प्रतिशत दर्ज की गई.
ताजा जनगणना के अनुसार पिछले 10 वर्ष में महिला साक्षरता दर 11.8 फीसदी और पुरुष साक्षरता दर 6.9 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है, हालांकि महत्वाकांक्षी सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के आंकड़ों पर गौर करें तो एसएसए के तहत आरटीई लागू होने के एक वर्ष बाद देश में अभी भी 81 लाख 50 हजार 619 बच्चे स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर है, 41 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं हैं और 49 प्रतिशत स्कूलों में खेल के मैदान नहीं है.

News Source : http://aajtak.intoday.in/story.php/content/view/66314/13/0
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दिल्ली वालों को नौकरी में तरजीह देने पर उभरे मतभेद


Differences emerged on preference in the job for  Delhiites/ Delhi Candidates
एमसीडी में ‘दिल्ली फस्र्ट’ को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने किया खारिज 
नई दिल्ली. दिल्ली नगर निगम में बाहरी राज्यों के लोगों को नौकरी में प्राथमिकता नहीं दिए जाने के प्रस्ताव को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के पार्षदों ने प्रदेश भाजपा नेतृत्व को बगैर भरोसे में लिए प्रस्ताव पेेश किया है। वे गुरुवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है, जिसके तहत पड़ोसी राज्यों के लोगों को एमसीडी में नौकरी के लिए आवेदन करने से रोका जाए। ज्ञात हो कि बीते सोमवार को एमसीडी में सदन की बैठक के दौरान ‘दिल्ली के अधिवासी निवासियों को एमसीडी में भर्ती के लिए नौकरी हेतु प्राथमिकता’ के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई। नए नियम के तहत अनारक्षित पदों पर केवल दिल्ली के अधिवासी उम्मीदवारों को ही एमसीडी में भर्ती किया जाएगा।

इसके अलावा तृतीय श्रेणी के पदों पर भी 85 फीसदी सीटों पर केवल दिल्लीवालों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। 



दिल्ली वालों को नौकरी में तरजीह देने पर उभरे मतभेद
नगर निगम की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 85 फीसद आरक्षण देने का प्रस्ताव पास किया गया था
नई दिल्ली (एसएनबी)। नगर निगम की नौकरियों में दिल्ली वालों की तरजीह देने के निर्णय पर भाजपा में उभरे मतभेद आज खुलकर सामने आ गये। प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आज साफ कर दिया कि इस मामले में पार्टी का कोई निर्णय लिया है। साथ ही यह भी कहा कि फिलहाल यह मामला केवल चर्चा के स्तर तक ही सीमित है। दरअसल नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा ने बीते 17 अक्टूबर को निगम की बैठक में एक प्रस्ताव पास किया है। जिसमें कहा गया है कि नगर निगम की तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 85 फीसद आरक्षण दिया जायेगा। यह प्रस्ताव भाजपा पाषर्द विजय प्रकाश पाण्डेय और गुलशन भटिया के अलावा नेता विपक्ष जयकिशन शर्मा की ओर से लाया गया था। प्रस्ताव पास करने के बाद से ही प्रदेश भाजपा में इस मुद्दे पर विरोध उभर रहा था। इस मामले में सवाल करने पर प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने साफ कहा कि इसमें पार्टी का कोई निर्णय नहीं है। यह पाषर्दों की व्यक्तिगत इच्छा हो सकती है। साथ ही यह भी जोड़ा कि यह मामला एक चर्चा के अलावा कुछ भी नहीं है। इसके साथ ही प्रदेश सह- प्रभारी रामेर चौरसिया ने रुख बदलते हुए कहा कि जो दिल्ली में रह रहा है वह दिल्ली का ही निवासी है। इसलिए नौकरियों में उसे ही मौका मिलेगा। सूत्रों का कहना है कि पाषर्दों के इस प्रस्ताव से पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है। प्रदेश प्रभारी ने उन पाषर्दों को तलब किया था। जिन पाषर्दों के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर थे। प्रभारी ने पाषर्दों को डांटते हुए कहा कि इस तरह की हरकतें बंद की जायें। साथ ही प्रदेश नेतृत्व को भी मशविरा दिया है कि पाषर्दों को समझाया जाये कि इस तरह के प्रस्ताव भविष्य में न लाने से बचा जाये। प्रभारी ने तर्क दिया कि दिल्ली में भाजपा के सभी वर्गो में वोट हैं। उधर इस मामले में निगम के एक पदाधिकारी ने बात को टालते हुए कहा कि गलती से प्रस्ताव लग गया था।
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Delhi MCD Teacher Recruitment Final Result

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Delhi MCD Contract Teacher Recruitment - Primary Teachers and Education Department of Municipal Corporation of Delhi

Many Candidates are searching there result for selection for there online application filled in August month.

Please see news for the same -

गत महीने अनुबंध आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली की शिकायतें जिस तरह मिली इस बार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में आवेदन के साथ 100 रुपये पंजीकरण शुल्क रखा जाएगा। ताकि गंभीर आवेदक ही आवेदन कर सकें
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Another News -
एमसीडी ने अपने स्कूलों के लिए अनुबंध के आधार पर 1300 शिक्षकों की ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया में फर्जी जानकारी देने वाले अभ्यार्थियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इसके तहत विभिन्न जोनों के शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है कि वे आवेदकों के प्रमाण पत्रों की गंभीरता से जांच करें और फर्जी प्रमाण पत्र वाले अभ्यार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं।

दरअसल, इस भर्ती प्रक्रिया के लिए लगभग 48 हजार अभ्यार्थियों ने आवेदन किया था। इनमें से मेरिट लिस्ट में 2042 छात्रों की सूची तैयार की गई, लेकिन जांच के दौरान महज 1393 अभ्यर्थी ही एमसीडी कार्यालय में पहुंचे। माना जा रहा है कि जो अभ्यर्थी अपने प्रमाण पत्रों की जांच के लिए नहीं पहुंचे, उनमें से अधिकांश ने फर्जी तरीके से आवेदन किया था और एमसीडी की वेबसाइट पर गलत जानकारी उपलब्ध कराई थी।

एमसीडी में शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नागपाल के मुताबिक मेरिट लिस्ट में शामिल होने वाले अभ्यार्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच के लिए एमसीडी के कर्मचारी अन्य राज्यों में भी गए हैं। फर्जी प्रमाण पत्र का मामला सही साबित होने पर संबंधित अभ्यार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

बताया जा रहा है कि सामान्य वर्ग में 1034 अभ्यार्थियों में से 358 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहें, वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग के 504 में से 123, अनुसूचित जाति वर्ग के पदों के लिए 308 अभ्यार्थियों में से 91 और अनुसूचित जनजाति के 154 अभ्यार्थियों में से महज 92 लोग ही उपस्थित हुए।

News source : http://www.bhaskar.com/article/DEL-case-will-be-filed-against-bogus-applicants-2497985.html
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दिल्ली नगर निगम में अध्यापक बनेंगी कैटरीना कैफ

नई दिल्ली। क्या बॉलिवुड की टॉप अभिनेत्री कैटरीना कैफ दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में टीचर की नौकरी करेंगी। एमसीडी के एजुकेशन डिपार्टमेंट को इस बारे में आवेदन मिला है। फिल्मी दुनिया के पर्दे पर धमाल मचा रहीं इस खूबसूरत अभिनेत्री की नई ख्वाहिश से एमसीडी के तमाम अधिकारी हैरान हैं, तो कुछ अभी से ही उनकी एक झलक पाने को बेताब नजर आ रहे हैं। हालांकि, एमसीडी में टीचर पद के आवेदन करने वाली कैटरीना असली है या नकली इस तथ्य की जांच में एमसीडी का पूरा महकमा जुटा हुआ है। एमसीडी एजुकेशन डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए मिले आवेदन की जब लिस्ट देखी तो वह हैरान रह गए। उन्हें पहचानना मुश्किल नहीं था। नाम के साथ फोटो देखते ही सभी पहचान गए। इसके बाद संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में बताया गया। उन्होंने भी देखा तो फोटो और नाम तो कैटरीना कैफ का ही था, लेकिन उसमें दिया गया पता हरियाणा का है। इसी से संदेह हुआ। अधिकारियों ने बाकी बचे आवेदनों की भी जांच की तो उनके सामने और भी हैरान करने वाले तथ्य सामने आए। मसलन, कई आवेदन फॉर्म में आवेदन करने वाले कैंडिडेट की तस्वीर की जगह, कुत्ते, बिल्ली, गाय की तस्वीरें लगी हुई थीं। कई ने तो अधिकतम मॉर्क्स से दुगना मार्क्स हासिल करने वाली जानकारी दी है। उदाहरण के तौर पर एक आवेदन में अधिकतम 600 अंक में से 1200 अंक हासिल करने का दावा किया है। अधिकारियों का कहना है कि ऎसे भी कई कैंडिडेट्स हैं, जिन्होंने कई-कई आवेदन किए हैं। एमसीडी की एजुकेशन कमेटी के चेयरमैन डॉ. महेंद नागपाल ने स्वीकार किया है कि अभिनेत्री कैटरीना कैफ की तस्वीर के साथ आवेदन मिला है। वैरीफिकेशन का काम शुरू कर दिया गया है। अगले 10-15 दिनों में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि इस महीने चुने गए शिक्षकों की बहाली कर दी जाएगी।
News Source : http://www.khaskhabar.com/katreena-kaif-102011011238011141.html
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जांच की आंच से घबराकर नहीं आए गुरुजी

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में अनुबंध आधार पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं का खुलासा होने के बाद चयनित आवेदकों में से करीब एक तिहाई चोरी पकड़े जाने के डर से प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराने पहुंचे ही नहीं। ऐसे में शिक्षा विभाग के समक्ष अनुबंध आधार पर शिक्षकों के खाली 1600 पदों को भरना चुनौती बन गया है। शिक्षकों की भर्ती के लिए अगस्त महीने में आवेदन मंगाए गए थे। 59,015 प्राप्त ऑनलाइन आवेदन में से गत 20 व 24 सितंबर को क्रमश: नर्सरी व प्राथमिक शिक्षकों के लिए चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई। अभ्यर्थियों को अपने प्रमाणपत्र की जांच कराने के लिए एमसीडी के संबंधित जोनल कार्यालय में गत सप्ताह बुलाया गया था। जिसमें से करीब एक तिहाई आवेदक नहीं आए। चयनित अभ्यर्थियों की सूची में जिस तरह कई तरह की अनियमितता सामने आई और इसे देखते हुए गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ एमसीडी प्रशासन ने मुकदमा दर्ज कराने की बात पहले ही कह दी है। वह आवेदक जिन्होंने गलती से या फिर जानबूझ कर शैक्षणिक योग्यता तथा अनुभव आदि के बारे में गलत जानकारी आवेदन में दी थी, वह जोनल कार्यालय में सत्यापन के लिए पहुंचे ही नहीं। नौ जोन में सत्यापन का काम पूरा हो चुका है। चयनित 1767 अभ्यर्थियों को प्रमाण पत्र की जांच के लिए बुलाया गया तो हाजिर हुए सिर्फ 1195 अभ्यर्थी। बाकी 572 सत्यापन के लिए नहीं पहुंचे। एमसीडी की शिक्षा समिति के चेयरमैन महेंद्र नागपाल के अनुसार एमसीडी के 12 में से नौ जोन में सत्यापन का काम पूरा हो चुका है। बाकी तीन जोन में प्रमाण पत्रों के सत्यापन का काम अगले सप्ताह शुरू होगा। इसके बाद भी अगर रिक्त पद रह जाएंगे तो उन्हें भरने के लिए दोबारा विचार किया जाएगा। नागपाल कहते हैं कि पहली बार ऑनलाइन चयन प्रक्रिया होने से कुछ अनियमितताएं की शिकायत आईं है। मगर यह भी साफ है कि जिन्होंने गड़बड़ी की वह बचेंगे नहीं। मालूम हो कि अनुबंध के आधार पर नर्सरी व प्राथमिक अध्यापकों की भर्ती के लिए जारी प्रक्रिया के दौरान अनियमितता का मामला सामने आया था। दैनिक जागरण ने जब एमसीडी द्वारा जारी सूची की पड़ताल की तो तमाम ऐसे तथ्य सामने आए जिससे कई आवेदक प्रथमदृष्टया ही फर्जी साबित हो रहे थे। जारी सूची में ऐसे लोगों के नाम शामिल हैं जिन्होंने एक से अधिक आवेदन किए और चयनित अभ्यर्थियों की सूची में भी एक से अधिक बार उनके नाम भी शामिल कर लिए गए। इसके अतिरिक्त बड़ी तादाद में ऐसे आवेदक भी हैं जिन्होंने हाईस्कूल से लेकर बीएड, बीएलएड, ईटीई, एनटीटी जैसी अर्हता परीक्षाओं में से एक से अधिक परीक्षाएं एक ही वर्ष में पास की हैं। उनका नाम भी चयनित लोगों की सूची में है। इतना ही नहीं अर्हता परीक्षा में भी अधिकतम अंक को घटाकर बताया गया जिससे उनके प्राप्तांक अपने आप ज्यादा हो गए। ऐसे लोगों को सूची में टॉपर्स के साथ रखा गया है।
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Thursday, October 20, 2011

अनुमान से ज्यादा मिले टीईटी आवेदन

अनुमान से ज्यादा मिले टीईटी आवेदन (Applications received more than anticipated TET Exam)

झांसी। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय में झांसी व चित्रकूट मंडल के चौंसठ हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। फार्मों की यह संख्या माध्यमिक शिक्षा महकमे के अनुमान से कहीं अधिक है। इसे देखते हुए विभाग ने फार्मों को सूचीबद्ध करने के काम पर एक दर्जन कर्मचारियों को और लगा दिया है।
प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक बनने की पात्रता हासिल करने के लिए टीईटी पास होना अनिवार्य कर दिया गया है। बीएड डिग्रीधारियों के लिए प्रदेश में यह परीक्षा पहली बार आयोजित की जा रही है। इसकी जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा विभाग को सौंपी गई है। अंतिम तिथि 18 अक्तूबर तक विभाग को झांसी व चित्रकूट मंडल के सभी जनपदों के चौंसठ हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं। जबकि, विभाग का अनुमान पचास हजार के इर्दगिर्द था तथा इसी हिसाब से दो दर्जन कर्मचारियों व शिक्षकों के अतिरिक्त स्टाफ को प्राप्त आवेदन पत्रों को सूचीबद्ध करने के काम पर लगाया था। लेकिन, आवेदन पत्रों की संख्या बढ़ने पर विभाग ने एक दर्जन का स्टाफ और बढ़ा दिया है। संयुक्त शिक्षा निदेशक मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि यह काम तेइस अक्तूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद अगला कार्यक्रम बोर्ड द्वारा भेजा जाएगा।
News Source: http://www.amarujala.com/city/Jhansi/Jhansi-15351-24.html
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टीईटी में संस्कृत की उपेक्षा पर जताया आक्रोश

टीईटी में संस्कृत की उपेक्षा पर जताया आक्रोश 
 ( Anger over neglecting Sanskrit subject in TET Exam )

सुखपुरा (बलिया) : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में संस्कृत को शामिल नहीं किये जाने व बेसिक शिक्षा विभाग के संस्कृत को शामिल करने के प्रस्ताव पर अभी तक शासन की सहमति नहीं मिलने से संस्कृत स्नातकों में शासन के प्रति तीव्र आक्रोश है। श्री राधा कृष्ण आदर्श संस्कृत महाविद्यालय सुखपुरा परिसर में प्राचार्य बरमेश्वर नाथ पांडेय की अध्यक्षता में संस्कृत स्नातकों की बैठक में प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत की उपेक्षा पर गहरी नाराजगी व्यक्त की गयी। वक्ताओं ने कहा कि जब हिन्दी के अलावा अंग्रेजी व उर्दू को शामिल किया गया है तो संस्कृत के साथ सौतेला व्यवहार क्यों। वक्ताओं ने कहा कि बिहार ने भी टीईटी परीक्षा में संस्कृत को शामिल किया था। क्या बिहार सरकार से यह सरकार सबक नहीं ले सकती। कहा कि संस्कृत स्नातकों के तीव्र विरोध के कारण बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश सरकार को टीईटी परीक्षा में संस्कृत को शामिल करने का एक प्रस्ताव एक हफ्ता भर पूर्व भेजा भी था बावजूद इसके प्रदेश सरकार ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। शासन की इस उदासीनता के कारण हजारों संस्कृत स्नातक परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो जाएंगे और उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ेगा। बैठक को पिंटू पांडेय, आचार्य लालबुची यादव, राजेश शास्त्री ने भी संबोधित किया। संचालन केपी चमन ने किया।
News Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_8375498.html
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Haryana Teacher/PGT/Principal Recruitment 2011 Last Date:28-Oct-2011

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Haryana Teacher Recruitment 2011

HIRING OF TEACHING STAFF FOR AAROHI MODEL SCHOOLS IN HARYANA
Last Date : 28-October-2011 (Apply Online)
The state of Haryana has set up 36 Special Schools called AAROHI MODEL SCHOOLS in the Educationally Backward Blocks (EBB) of the state. These are progressive, secular, child centered co-educational schools committed to providing quality education. These schools have been setup under the Central Govt. Scheme of Creation of 6000 Model Schools in EBB’s/

Applications are invited for the post of one Principal each for all schools and various teaching posts of Post Graduate Teacher (PGT) in each school as per the details below -

SCERT (State Council of Educational Research and Training) Haryana will conduct the selection process for the recruitment of Post Graduate Teachers (PGT) and Principal in AAROHI Model Schools at its official address given below:
SCERT, Opposite Panchayat Bhawan, Sohna Road, Gurgaon, 122001
Selection process will start from 10 AM onwards according to the following date sheet :
October 31- Hindi, Physics, Chemistry, Commerce and Political Science.
November 1- Computer Science, Mathematics, Geography, Music, Urdu and Punjabi.
November 2- English, Economics, Fine Arts, Sanskrit, History, Biology and Physical Education.
Eligibility Requirements for these posts are following:
Principal
  • First class in graduation and at least 55 percent in Post Graduation.
  • B Ed. with 55 percent
  • Matric with Hindi/ Sanskrit or must have studied Hindi in 10+2/ BA/ MA.
  • Fluency in English.
  • Teaching Experience of 10 to 15 years in a government school / recognized school with 5 years of proven experience in administrative capacity.
Age Limit- 21 to 45 years
Salary: Rs. 21600
Post Graduate Teacher
  • First class in graduation and at least 55 percent in Post Graduation in the concerned subject.
  • B Ed. with 55 percent recruitment.
  • Matric with Hindi/ Sanskrit or must have studied Hindi in 10+2/ BA/ MA.
  • Teaching Experience of 2 years
  • Fluency in English
  • Must have qualified TET in the concerned subject.
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Haryana Teacher/PGT/Principal Recruitment 2011 Last Date:28-Oct-2011

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HIRING OF TEACHING STAFF FOR AAROHI MODEL SCHOOLS IN HARYANA
Last Date : 28-October-2011 (Apply Online)
The state of Haryana has set up 36 Special Schools called AAROHI MODEL SCHOOLS in the Educationally Backward Blocks (EBB) of the state. These are progressive, secular, child centered co-educational schools committed to providing quality education. These schools have been setup under the Central Govt. Scheme of Creation of 6000 Model Schools in EBB’s/

Applications are invited for the post of one Principal each for all schools and various teaching posts of Post Graduate Teacher (PGT) in each school as per the details below -

SCERT (State Council of Educational Research and Training) Haryana will conduct the selection process for the recruitment of Post Graduate Teachers (PGT) and Principal in AAROHI Model Schools at its official address given below:
SCERT, Opposite Panchayat Bhawan, Sohna Road, Gurgaon, 122001
Selection process will start from 10 AM onwards according to the following date sheet :
October 31- Hindi, Physics, Chemistry, Commerce and Political Science.
November 1- Computer Science, Mathematics, Geography, Music, Urdu and Punjabi.
November 2- English, Economics, Fine Arts, Sanskrit, History, Biology and Physical Education.
Eligibility Requirements for these posts are following:
Principal
  • First class in graduation and at least 55 percent in Post Graduation.
  • B Ed. with 55 percent
  • Matric with Hindi/ Sanskrit or must have studied Hindi in 10+2/ BA/ MA.
  • Fluency in English.
  • Teaching Experience of 10 to 15 years in a government school / recognized school with 5 years of proven experience in administrative capacity.
Age Limit- 21 to 45 years
Salary: Rs. 21600
Post Graduate Teacher
  • First class in graduation and at least 55 percent in Post Graduation in the concerned subject.
  • B Ed. with 55 percent recruitment.
  • Matric with Hindi/ Sanskrit or must have studied Hindi in 10+2/ BA/ MA.
  • Teaching Experience of 2 years
  • Fluency in English
  • Must have qualified TET in the concerned subject.

Age Limit- 21 to 40 years.
Salary: Rs. 16890
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Wednesday, October 19, 2011

हिंदी वालों के खिलाफ षड्यंत्र – सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट

हिंदी वालों के खिलाफ षड्यंत्र – सिविल सर्विस एप्टीट्यूड टेस्ट
(Conspiracy in Civil Service Test for Hindi Language Candidates)

सिविल सेवा परीक्षा प्रणाली के लिए संघ लोक सेवा आयोग ने सन 2000 में वाईके अलघ के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई थी, जिसने अक्टूबर 2001 में अपनी रिपोर्ट यूपीएससी को सौंपी थी। अलघ कमेटी ने प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में कुछ परिवर्तन सुझाए थे। इन सुझावों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए सरकार ने 2011 की प्रारंभिक परीक्षा के स्वरूप में बदलाव की घोषणा की है। फिलहाल मुख्य परीक्षा को नहीं छेड़ा गया है। प्रारंभिक परीक्षा के दूसरे प्रश्नपत्र के रूप में जहां परीक्षार्थी को किसी एक विषय का चुनाव करना पड़ता था, वहीं अब उसकी जगह सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट देना होगा। इस पेपर को शामिल किए जाने के पक्ष में एक सामान्य तर्क तो यही है कि इससे परीक्षार्थियों के चरित्र, निर्णय लेने की क्षमता, तार्किक क्षमता, समस्याओं के समाधान, मानसिक योग्यता व दृढ़ता, कम्यूनिकेशन स्किल्स, सामान्य समझ तथा गणित की सामान्य योग्यता आदि की जांच की जा सकेगी। यह पेपर बहुत कुछ ‘कैट’ की परीक्षा जैसा ही है।


इस प्रश्नपत्र को लागू किए जाने के पीछे मुख्य कारण यह है कि वैकल्पिक पेपर में स्केलिग की पद्धति लागू की जाती थी, ताकि किसी विषय विशेष के विद्यार्थी को न तो अतिरिक्त लाभ मिल सके और न ही किसी को कोई नुकसान उठाना पड़े। सूचना के अधिकार के तहत यूपीएससी से उसकी स्केलिग पद्धति की जानकारी मागी गई थी, जो वह अभी तक नहीं दे सकी है। निश्चित रूप से इससे आयोग की स्केलिंग पद्धति सदेह के घेरे में आ जाती है। अब प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय को ही समाप्त करके इस संदेह से हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति पाने का प्रयास किया गया है। लेकिन यह सदेह तब तक पूरी तरह खत्म नहीं होगा जब तक कि सरकार इसकी मुख्य परीक्षा में भी अलघ कमेटी के सुझाव को लागू न करे, क्योंकि उसमें जब तक वैकल्पिक विषय रहेंगे, तब तक स्केलिग पद्धति रहेगी और जब तक यह पद्धति रहेगी तब तक सदेह भी बना रहेगा।


मैं सिविल सर्विस एप्टीट्यूट टेस्ट में शामिल उस खतरनाक तथ्य की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा, जो हमें एक बार फिर से लार्ड मैकाले की याद दिलाता है। इस एप्टीट्यूट टेस्ट के सात मुख्य बिंदु हैं। इनमें अंतिम और सातवां बिंदु है-इंग्लिश लैंग्वेज कम्प्रीहेसिव स्किल्स। सामान्यतया प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में वस्तुनिष्ठ किस्म के 150 प्रश्न पूछे जाते हैं। इस पेपर में प्रत्येक बिंदु से औसतन 20 प्रश्न पूछे जाएंगे। इस परीक्षा के जानकार लोगों को अच्छी तरह मालूम है कि जिस परीक्षा में हर साल लगभग चार लाख विद्यार्थी बैठते हों और जिसमें औसतन बारह हजार विद्यार्थियों का चयन होता हो, वहां एक-एक नंबर का अंतर कितना मायने रखता है। इस पेपर का एक प्रश्न दो नंबर का होता है। इस तरह यदि किसी विद्यार्थी की अंग्रेजी अच्छी नहीं है उसके चालीस नंबर पहले ही खत्म हो चुके होंगे। यहां मुद्दा यही है कि अच्छी अंग्रेजी न जानने वाले विद्यार्थी के चयन की सभावना बची ही नहीं रह जाएगी।


एप्टीट्यूट टेस्ट के समर्थकों का कहना है कि इसके लिए अंग्रेजी ज्ञान का स्तर केवल दसवीं कक्षा तक का है। यह सही नहीं है। जिस व्यक्ति को बहुत अच्छी अंग्रेजी नहीं आती, उसके लिए इसे हल कर पाना सभव नहीं है। अंग्रेजी के समर्थकों का यह भी कहना है कि अंग्रेजी जाने बिना केंद्र और राज्य का पत्राचार मुश्किल है। इस दलील में भी दम नहीं है। अपने 26 वर्ष के प्रशासकीय जीवन में मैंने 17 साल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति भवन जैसी सर्वोच्च सस्थाओं में बिताए है और मुझे यह कहने में गर्व व आत्मसतोष का अनुभव हो रहा है कि अंग्रेजी ज्ञान का अभाव मेरे रास्ते में कोई बाधा खड़ा नहीं कर सका। इस संबंध में प्रशासनिक चिंतक फ्रेडरिक रिग्स के विचारों को जानना जरूरी है। उन्होंने प्रशासन के सबध में पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण की बात कही थी और जिसे पूरी दुनिया ने विशेषकर विकासशील देशों ने खूब सराहा और लागू भी किया। रिग्स के अनुसार किसी भी देश की प्रशासनिक प्रणाली वहां की सामाजिक और सास्कृतिक परिस्थितियों से पैदा होनी चाहिए। इसलिए उन्होंने स्पष्ट रूप से बताया कि विकसित देशों का प्रशासनिक स्वरूप विकासशील देशों के लायक नहीं हो सकता। अंग्रेजी का ज्ञान और प्रशासन की योग्यता के समानुपातिक संबंध का सिद्धांत न केवल मूर्खतापूर्ण है, बल्कि घोर षड्यत्रकारी भी है।


सन 1979 से सिविल सेवा परीक्षा के दरवाजे हिंदी एव भारतीय भाषाओं के लिए खोल दिए गए थे। 2008 की मुख्य परीक्षा के आकड़ों पर दृष्टिपात करने पर पता चलता है कि सभी के लिए अनिवार्य विषय सामान्य ज्ञान के प्रश्नपत्र में कुल 11,320 विद्यार्थी बैठे थे। इनमें से 5,117 विद्यार्थी हिंदी माध्यम के थे, 5,822 विद्यार्थी अंग्रेजी माध्यम के थे और शेष विद्यार्थी अन्य भाषाओं के थे। ये आकड़े बताते हैं कि अब हिंदी एव अन्य भारतीय भाषाओं के माध्यम से परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों की सख्या आधे से अधिक हो गई है। अंतिम रूप से चयनित विद्यार्थियों का अनुपात भी यही है।


स्पष्ट है कि अब जो एप्टीट्यूट टेस्ट लागू किया जा रहा है, उसमें इंग्लिश लैंग्वेज कम्प्रीहेसिव स्किल को चुपचाप बड़े खूबसूरत तरीके से शामिल कर इन पचास प्रतिशत विद्यार्थियों को हमेशा-हमेशा के लिए बाहर कर देने का एक बौद्धिक षड्यत्र रचा गया है। सरकार को अपने इस निर्णय पर फिर से विचार करना चाहिए ताकि भारतीय प्रशासन का स्वरूप न बिगड़ जाए और भारतीय प्रशासन भारतीयों के द्वारा और भारतीयों के लिए ही रहे।


सिविल सेवा परीक्षा प्रणाली में संशोधन के कारण गैरअंग्रेजी भाषी छात्रों की असफलता सुनिश्चित मान रहे है डॉ. विजय अग्रवाल

News / Article Source : http://competitiontalkies.jagranjunction.com/2010/12/03/upsc-examination/
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माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड में सदस्यों ने चलाये लात घूसे...

माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड में सदस्यों ने चलाये लात घूसे...

इलाहाबाद। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी की चाहत ने दो सदस्यों को एक-दूसरे का दुश्मन बना दिया। कुर्सी के प्रबल दावेदार दो सदस्यों में शनिवार को पहले तूतू-मैंमैं हुई, फिर गालियां का दौर चला और बाद में लात घूंसे चले। इतने पर भी सदस्यों का जी नहीं भरा तो उन्होंने एक-दूसरे पर कुर्सियां फेंकी। जिस वक्त सदस्य गरिमा को तार-तार करने में लगे थे, 50 मीटर की दूरी पर सीमैट के सभागार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र शिक्षा अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। बवाल की सूचना पर वे बैठक बीच में ही छोड़कर सर्किट हाउस चले गए। चयन बोर्ड के अध्यक्ष समेत सारे सदस्यों को उन्होंने तलब किया गया। बंद कमरे में उन्होंने सदस्यों को जमकर फटकार लगाई।

चयन बोर्ड के अध्यक्ष चैनसुख भारती अगले महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनके हटने के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष कौन बनेगा, इस बात को लेकर बोर्ड में चर्चाओं का बाजार गर्म है। हर सदस्य खुद को प्रबल दावेदार बता रहा है। इसी बात को लेकर दो सदस्यों में तनातनी लंबे समय से चल रही है। शनिवार को साक्षात्कार चल रहा था। दोनों सदस्य आमने-सामने थे। एक सदस्य ने दूसरे पर कई गंभीर आरोप लगाए। फिर क्या था, दोनों आपस में भिड़ गए। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है दो वरिष्ठ सदस्यों के इस व्यवहार से वहां मौजूद हर व्यक्ति सकते में आ गया। बीचबचाव पर भी मामला शांत नहीं हुआ। इसी बीच किसी ने लखनऊ तक यह बात पहुंचा दी। लखनऊ से माध्यमिक शिक्षा मंत्री और निदेशक संजय मोहन के पास फोन आया। दोनों ने चयन बोर्ड के अध्यक्ष से बात की और सारे सदस्यों को सर्किट हाउस पहुंचने का निर्देश दिया। यहां करीब एक घंटे बंद कमरे में आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। सदस्यों ने नियुक्ति में धांधली से लेकर आर्थिक अनियमितता के आरोप भी एक दूसरे पर लगाए। बाद में मंत्री ने दोनों सदस्यों के बीच समझौता कराया। दोनों ने गले मिलकर एक-दूसरे से माफी मांगी। सूत्रों का कहना है कि मामला अभी शांत नहीं हुआ है। दोनों सदस्य एक दूसरे के खिलाफ सुबूत जुटा रहे हैं। यह लड़ाई और दिलचस्प हो सकती है।

News Source  : http://www.newsmitr.com/news_detail.php?id=722

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शिक्षक भर्ती हुए कम तैनाती में निकले ज्यादा

शिक्षक भर्ती हुए कम तैनाती में निकले ज्यादा - यह है आर टी आई   का दम ( Advertised requirement for teachers is less, But Selected are more, How ?
- what a a power of RTI Act (Right To Information)

चयन से अधिक अध्यापकों की तैनाती दिल्ली के सरकारी स्कूलों में हुई है। ये शिक्षक दिल्ली सरकार व एमसीडी के स्कूलों में तैनात किए गए थे। इन विद्यालयों में अध्यापकों की कथित धांधली सूचना के अधिकार के तहत सामने आई है। सूचना के अधिकार के तहत दिल्ली सेवा चयन बोर्ड, शिक्षा निदेशालय व एमसीडी से जवाब मांगा गया था। प्रधानमंत्री कार्यालय से मिले आदेशों के बाद अब दिल्ली सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

इन तीनों विभागों से मिली रिपोर्ट एक दूसरे से मेल नहीं खाती और अधिक शिक्षकों की तैनाती होने का प्रमाण दे रही हैं। सूचना के अधिकार के तहत दिल्ली के बरवाला गांव में रहने वाले धर्मवीर सिंह ने इस संबंध में सरकारी एजेंसियों से जवाब मांगा था। इनका बेटा पिछले चार वर्षों से अध्यापक की नौकरी पाने के लिए डीएसएसएसबी की परीक्षा दे रहा है। उन्होंने आरटीआई द्वारा एक जनवरी 2005 से एक जनवरी 2010 तक डीएसएसएसबी द्वारा अध्यापकों के किए गए चयन का विवरण मांगा था। डीएसएसएसबी ने दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित प्राइमरी स्कूलों के लिए पोस्ट कोड संख्या 165/07 पर 25 सितंबर 2008 से 12 जुलाई 2010 के बीच अलग-अलग तिथियों में करीब 3069 अध्यापकों का चयन किया, जबकि दिल्ली नगर निगम ने इसी पोस्ट कोड पर 31 अक्टूबर 2008 से 2 अगस्त 2010 के बीच करीब 3093 अध्यापकों को नियुक्त किया, जो कि चयनित अध्यापकों की संख्या से करीब 24 अध्यापक ज्यादा है। इसी तरह डीएसएसएसबी ने वर्ष 2006-07 में शिक्षा निदेशालय दिल्ली के लिए पोस्ट कोड संख्या 57/06 पर 663 अध्यापकों का चयन किया। जबकि शिक्षा निदेशालय ने उसी पोस्ट कोड पर 665 अध्यापकों की नियुक्त कर दी, जिसमें दो नियुक्तियां ज्यादा हैं। धर्मवीर ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री से की है।
News Source : http://www.livehindustan.com/news/edu/news/article1-story-269-269-165177.html
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एचबीटीआई में चयन में धांधली उजागर

एचबीटीआई में चयन में धांधली उजागर ( HBTI Faculty Jobs Selection under Corruption / Bungling)

कम अंक पर चयन, ज्यादा वाले साक्षात्कार से बाहर
तत्कालीन मंडलायुक्त की जांच में गोलमाल उजागर

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कानपुर। एचबीटीआई में शिक्षकों के साक्षात्कार और चयन में बड़ी धांधली हुई है। असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर पद पर कई ऐसे अभ्यर्थियों का चयन किया गया है, जिन्हें शैक्षिक प्रमाण पत्र, साक्षात्कार में कम अंक मिले थे। ज्यादा अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार सूची से बाहर कर दिया गया है। तत्कालीन मंडलायुक्त की जांच में यह खुलासा हुआ। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है।
एचबीटीआई में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया मार्च 2011 में शुरू हुई। विभिन्न विभागों में प्रोफेसर के छह पद, एसोसिएट प्रोफेसर के 15 पद और असिस्टेंट प्रोफेसर के सात पदों के आवेदन मांगे गए। इनके साक्षात्कार हुए और कुछ पदों पर चयन कर लिया गया। इसमें धांधली की शिकायत शिक्षक विधायक राजबहादुर चंदेल सहित कई लोगों ने की। इसी आधार पर 9 जून 2011 को तत्कालीन मंडलायुक्त पीके महंति ने मामले की जांच सौंपी गई। उनकी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि केमिकल इंजीनियरिंग में असिस्टेंट प्रोफेसर के दो अनारक्षित पद के लिए 18 आवेदन आए थे। इसमें से सुधीर कुमार सिंह (65 अंक), दिव्या श्रीवास्तव (65 अंक) और संतोष कुमार लोधी (55अंक) को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, जबकि आशीष मिश्रा (85 अंक), पंकज कुमार लोधी (65 अंक), विभव कुमार राय (65अंक), शैलेंद्र कुमार पांडेय (60 अंक), जितेंद्र कुमार (65 अंक) और मंजू वर्मा (65 अंक) को नहीं बुलाया गया, जो अनियमिता है। साक्षात्कार की सूची में अमित कुमार नाम के दो अभ्यर्थी हैं, जिनके पिता का नाम नहीं दर्ज है। एक पद पर अमित कुमार का चयन हुआ है, जो रामधनी गुप्ता के पुत्र हैं। अंक प्रदान किए जाने वाली सूची में पिता का नाम न दर्ज होने से संदेह है। यह पता नहीं चला है कि चयन 80 अंक या 75 अंक वाले अभ्यर्थी का हुआ है। आठ वर्ष 4 महीने के अध्यापन अनुभव पर राम आशीष मिश्रा को 20 अंक दिए गए हैं, जबकि प्रवीन भाई पटेल को आठ वर्ष के अध्यापन अनुभव पर 25 अंक दिए गए हैं। यह गलत है। साक्षात्कार में किस अभ्यर्थी को कितने अंक मिले हैं, यह ब्योरा तकनीकी संस्थान प्रशासन नहीं उपलब्ध करा सका है।
प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर सुरेंद्र प्रसाद पाल का चयन हुआ है, जिन्हें कि 95 अंक मिले थे। 100 अंक पाने वाले दीपक कुमार का चयन क्यों नहीं हुआ, यह चयन समिति की आख्या से स्पष्ट नहीं है। बायोकेमिकल इंजीनियरिंग में प्रोफेसर पद के लिए डा. टीके घोष और डा. एएस विद्यार्थी को 100-100 अंक मिले थे, लेकिन डा. विद्यार्थी को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया और डा. घोष का चयन कर लिया गया है। कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर डा. विपिन कुमार त्रिपाठी का चयन हुआ है, जिन्हें 95 अंक मिले थे। 100 अंक पाने वाले नीलेंद्र बादल का चयन क्यों नहीं हुआ, चयन समिति की आख्या से स्पष्ट नहीं है। फूड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर सिविल इंजीनियरिंग, एसोसिएट प्रोफेसर मेकेनिकल इंजीनियरिंग, असिस्टेंट प्रोफेसर मेकेनिकल इंजीनियरिंग के चयन में खिलवाड़ किया गया है। यही नहीं पुस्तकालयाध्यक्ष पद पर हुई नियुक्ति अनियमित है
News Source : http://www2.amarujala.com/state/Utter-pradesh/34964-1.html
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एमपी-पीएससी प्राध्यापक चयन प्रक्रिया में घोटाला

एमपी-पीएससी प्राध्यापक चयन प्रक्रिया में घोटाला

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जबलपुर. एमपी-पीएससी द्वारा प्राध्यापकों की सीधी भर्ती प्रक्रिया में एपीआई (एकेडमिक परफॉरमेंस इन्डेक्स) का खुला उल्लघंन हुआ है। जबकि यह इन्डेक्स यूजीसी ने देश के समस्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में प्राध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए लागू किया है। भर्ती प्रक्रिया में धांधली होने से वंचित रह गए योग्य शिक्षक अब यह सोचने मजबूर हैं कि वह यह चयन प्रक्रिया प्राध्यापकों की भर्ती के लिए है या फिर सहायक प्राध्यापकों के लिए। फिलहाल सभी को न्याय की आस है।


गौरतलब है कि मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा कई दिनों से प्राध्यापक भर्ती प्रक्रिया चल रही है, जिससे समूचे प्राध्यापकों में रोष है। नाराज प्राध्यापकों का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया में प्रोफेसर बनने के लिए आवश्यक एपीआई सिस्टम की अर्हताओं को नजरअंदाज किया गया है। इस सिस्टम में शिक्षक के समस्त शैक्षणिक कार्यो को श्रेणीवार निर्धारित अंक प्रदान किये जाते हैं। इन अंकों के सकल योग से शिक्षक का एपीआई निर्धारित किया जाता है। निर्धारित की गई श्रेणियों में शिक्षक का रिफ्रेशर/ओरिएन्टेशन/मेथिडोलॉजी में भाग, शोध पत्र प्रकाशन, बुक प्रकाशन, प्रोजेक्ट, गाइड के रूप में शोध उपाधियों की संख्या, ट्रेनिंग कोर्स, आमंत्रित व्याख्यान व सलाहकार के रूप में कार्य आदि निर्धारित है।


उपरोक्त सभी श्रेणियों को उपश्रेणी में विभक्त किया गया है तथा यूजीसी के द्वारा उपश्रेणी में शिक्षक के शैक्षणिक कार्य को रख कर उन्हें निर्धारित अंक प्रदान किये जाते हैं। इन अंकों का सकल योग शिक्षक का एपीआई निर्धारित करता है, जो कि शिक्षक की योग्यता का मापक होता है, परंतु चयन प्रक्रिया में यूजीसी के नियमों को दरकिनार कर अपनों को उपकृत किया गया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रक्रिया में चयनित कोई भी प्राध्यापक उक्त सभी अर्हताओं को पूरा नहीं करता है।


News Source : http://www.bhaskar.com/article/MP-OTH-mp---psc-professor-scandal-in-the-selection-process-2480377.html
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आसींद में नियुक्तियां रद्द, कोटड़ी में हंगामा

आसींद में नियुक्तियां रद्द, कोटड़ी में हंगामा

सर्व शिक्षा अभियान के तहत संघनित पाठ्यक्रम में संदर्भ शिक्षकों के चयन में धांधली के बाद कलेक्टर ओंकारसिंह ने आसींद ब्लॉक की सभी 55 नियुक्तियां निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। आसींद तहसीलदार ने चयन संबंधी रिकॉर्ड सीज कर ट्रेनिंग रोक दी है। उधर, कोटड़ी ब्लॉक में सोमवार को आक्रोशित अभ्यर्थियों ने हंगामा किया। सुवाणा ब्लॉक में भी गंभीर अनियमितता पर कलेक्टर ने रिपोर्ट मांग रखी है, लेकिन वहां ट्रेनिंग जारी है। गौरतलब है कि एसएसए अधिकारियों ने नियम विरुद्ध अपने चहेतों का चयन कर लिया। रिटायर्ड शिक्षकों को प्राथमिकता दिए बिना सिफारिशों पर चयन सूचियां बना ली। बनेड़ा बीईईओ ने तो कोर्स को ही आधारहीन बताते हुए चयन सूची नहीं भेजी। सोमवार को आसींद ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष छोगालाल गुर्जर, उपप्रधान नौरतमल जैन, केवीएसएस अध्यक्ष प्रदीप व्यास, सरपंच संघ के ब्लॉक अध्यक्ष फतेहसिंह चारण, पंस सदस्य तेजमल गुर्जर ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर बताया कि सेंटर का भौतिक सत्यापन नहीं हुआ। स्कूल प्रबंध समिति द्वारा चयन करना था, लेकिन एसएसए अधिकारियों ने मनमर्जी से चयन कर लिया। आसींद संवाददाता के अनुसार एसडीएम हरिसिंह लंबोरा के निर्देश पर तहसीलदार रामबाबू वर्मा ने एसएसए कार्यालय पहुंचकर रिकॉर्ड सीज किया। आसींद में 430 आवेदन आए थे, इनमें से 55 संदर्भ शिक्षकों का चयन किया।
॥जिन बच्चों को उम्र के आधार पर एडमिशन दिया उनमें से अधिकांश फैक्ट्रियों में नौकरी करते हैं। मैंने सूची इसलिए नहीं भेजी, क्योंकि जब बच्चे ही नहीं हैं तो शिक्षक किसे पढ़ाएंगे। इसके अलावा जब स्कूल समय में ही पढ़ाना है तो हमारे शिक्षक ही पढ़ा लेंगे।
श्यामलाल विजयवर्गीय, बीईईओ, बनेड़ा
॥ये विद्यार्थी मित्र जैसी नौकरी नहीं है। फिलहाल तीन माह के लिए ही है। इसमें भी आधा मानदेय देंगे। 20 बच्चों पर एक आईवी लगाया है। निरीक्षण में पूरे बच्चे नहीं मिलेंगे तो मानदेय कटेगा। इसके अलावा कोर्स समाप्त होने पर टेस्ट होगा, इसमें सफल रहने पर ही बाकी मानदेय देंगे। रिटायर्ड शिक्षकों के आवेदन नहीं आए, इसलिए इनका चयन किया गया। धांधली जैसी कोई बात नहीं, हम चयन सूचियों की जांच भी करा रहे हैं।
कैलाश तिवाड़ी, एडीपीसी, एसएसए
आधा पैसा, तीन माह की नौकरी
इन चयनित शिक्षकों को साढ़े चार हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय निर्धारित है। लेकिन शुरूआत में आधे पैसे देंगे। कोर्स समाप्त होने पर इन बच्चों का बाहर की टीम टेस्ट लेगी, इसमें शत प्रतिशत सफल होने पर बाकी मानदेय मिलेगा। इसके अलावा निरीक्षण में बच्चे अनुपस्थित मिलेंगे तो मानदेय कटेगा।
ये हुई अनियमितताएं
ञ्चस्कूल प्रबंधन समिति को चयन करना था, लेकिन उन्हें पता नहीं है।
ञ्चरिटायर्ड शिक्षकों को प्राथमिकता देनी थी, लेकिन उनके आवेदन ही नहीं लिए।
ञ्चअधिक आवेदन होने पर महिला को प्राथमिकता थी, लेकिन चहेतों को ले लिया।
ञ्चब्लॉकों ने सूचियां ही जारी नहीं की, सबको फोन पर ट्रेनिंग में बुला लिया।
News Source : http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1591771-2507691.html
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शिक्षकों के चयन में धांधली

शिक्षकों के चयन में धांधली ( Bungling / Corruption in Teachers Selection / Recruitment)


जौनपुर। प्राथमिक शिक्षा में एक और गोरखधंधा सामने आया है। अब कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों की वार्डेन, शिक्षिका तथा विषय विशेषज्ञों के चयन में धांधली उजागर हुई है। दो आजमगढ़ और दो मऊ के आवेदकों ने फर्जी अंकपत्र लगाकर चयन करा लिया। जांच में धांधली उजागर होने के बाद बीएसए धीरेंद्र नाथ सिंह ने लाइन बाजार पुलिस को तहरीर दी है। डीएम गौरव दयाल ने भी लाइन बाजार थानेदार को एफआईआर दर्ज कर अवगत कराने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि इनमें से दो अभ्यर्थी एक शिक्षाधिकारी के रिश्तेदार हैं और रिश्ते में देवरानी जेठानी भी हैं। जांच सिर्फ चार की ही हुई है। अभी और भी मामले फाइलों में दबे हुए हैं। सत्यापन ठीक से कराया गया तो यह संख्या एक दर्जन से कम नहीं होगी।
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में वार्डेन कम शिक्षिका के पदों की भर्ती शुरू से सवालों के घेरे में रही। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद डीएम ने नगर मजिस्ट्रेट की निगरानी में इंटरव्यू कराए तथा मेरिट सूची तैयार कराई। कई दिनों तक नगर मजिस्ट्रेट दफ्तर में साक्षात्कार होता रहा। चयन सूची जारी की गई लेकिन आवेदकों को चयन के बारे में सूचना नहीं दी गई। कई आवेदकों से फोन कर चयन के नाम पर सौदेबाजी शुरू हो गई। नतीजतन नगर मजिस्ट्रेट बाल मयंक मिश्र ने सफाई दी कि चयन सूची जारी हो चुकी है और कोई भी उनके कार्यालय से चयन के बारे में जानकारी ले सकता है। चयन हो गया और नियुक्ति पत्र भी जारी हो गए। इस बीच डीएम को शिकायत मिली कि चार चयनित अभ्यर्थियों ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के फर्जी अंकपत्र लगाकर चयन करा लिया। डीएम ने फिर सिटी मजिस्ट्रेट को जांच के आदेश दिए। सिटी मजिस्ट्रेट ने स्पेशल मैसेंजर भेजकर बोर्ड दफ्तर से जब चयनित चार अभ्यर्थियों के अंकपत्रों की जांच कराई तो कलई खुल गई। बीएसए ने पुलिस को दी गई तहरीर में कहा है कि कुमारी वंदना सिंह पुत्री भानु प्रताप सिंह पत्नी चंद्रशेखर सिंह निवासी रदोपुर नई कालोनी न्यायमार्ग आजमगढ़, कु. अमृता सिंह पुत्री अजीत कुमार सिंह निवासी रदोपुर नई कालोनी आजमगढ़, साधना सिंह पुत्री बब्बन सिंह निवासी शिव मंदिर भीठी चौक मऊ, रंजय कुमार सिंह पुत्र पारसमुनी सिंह निवासी भीठी मऊनाथ भंजन मऊ ने कूट रचित अंकपत्रों के जरिए चयन कराने में सफल हो गए। अभिलेखों में छेड़छाड़, धोखाधड़ी तथा षड़यंत्र की श्रेणी में आता है। डीएम ने भी बीएसए की तहरीर पर लाइन बाजार थानेदार को एफआईआर दर्ज कर अवगत कराने का आदेश दिया है।
News Source : http://www.amarujala.com/city/jaunpur/Jaunpur-31788-60.html
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भ्रष्टाचार पर वार: डेढ़ सौ डीजीएम की नियुक्ति रद्द

भ्रष्टाचार पर वार: डेढ़ सौ डीजीएम की नियुक्ति रद्द
(Selection cancelled for 150 Deputy General Managers in NHAI)

भ्रष्टाचार के दाग मिटाने के लिए केंद्र सरकार ने अपने भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके तहत केंद्रीय परिवहन व राजमार्ग मंत्री सी.पी. जोशी ने एनएचएआई के 150 उप महाप्रबंधकों (डीजीएम) की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है।

नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली के चलते यह फैसला किया गया। पिछले साल विभाग में हुई मुख्य महाप्रबंधकों (सीजीएम), महाप्रबंधकों (जीएम) व प्रबंधकों की नियुक्तियों में भी गड़बड़ी के आरोप लगे थे, ऐसे में इनकी जांच भी करवाई जा सकती है।

सूत्रों के मुताबिक, सी.पी. जोशी ने गत बुधवार को इस बाबत आदेश जारी किए हैं, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि मार्च 2010 में एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) में हुई 150 उप महाप्रबंधकों की नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से रद्द की जाती हैं। हैरत की बात है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को नौकरी दे दी गई, जो इंटरव्यू में शामिल ही नहीं हुए थे। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव व मुख्य सतर्कता अधिकारी एस.के. दास ने माना कि उप महाप्रबंधकों की नियुक्त रद्द हो गई है।
News Source : http://www.livehindustan.com/news/desh/today-news/article1-story-39-329-174590.html
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एनआरएचएम के तहत हुई भर्ती में धांधली का आरोप

एनआरएचएम के तहत हुई भर्ती में धांधली का आरोप (Allegations of bungling/ corruption in NHRM Selection/Recruitment)

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) में की गई एएनएम की भर्ती के दौरान धांधली का मामला सामने आया है, जबकि अधिकारियों का कहना है कि भर्ती पूरी तरह से नियमों को ध्यान में रखकर की गई है। गुरदासपुर निवासी शुभदीप कौर पत्नी अमरजीत सिंह ने बताया कि उसने एएनएम पदों की भर्ती के लिए आनलाइन जनरल कैटेगरी में आवेदन किया था।
उसकी लिखित परीक्षा 16 जनवरी को अमृतसर में हुई थी। इसमें उसका रजिस्टे्रशन नंबर 910131 तथा रोल नंबर-88104595 है। उसके परीक्षा में 61 अंक आए और उसका रैंक सातवां था। 19 मार्च 2011 को सिविल सर्जन कार्यालय में कमेटी के सदस्यों द्वारा उसकी इंटरव्यू ली गई। इसमें केवल असली प्रमाण पत्र चेक किए गए और उसका चुनाव कर उसे सुजानपुर सेंटर अलाट किया गया। उसे छह अप्रैल को नियुक्ति पत्र लेने के लिए बुलाया गया, परंतु जब वह छह अप्रैल को नियुक्ति पत्र लेने के लिए गईं तो उसे पता चला कि उसका नाम वेटिंग सूची में डाल दिया गया है। पता चला है कि उसके बाद जो लड़की आई थी, उसे रख लिया गया है। उसने आरोप लगाया कि उसके साथ बेइंसाफी हुई है।
सिविल सर्जन डाक्टर दलीप कुमार ने कहा कि जो भर्ती की गई है, वो नियमों के ध्यान में रखकर ही की गई है तथा किसी के भी साथ बेइंसाफी नहीं की गई।

News Source : http://www7.bhaskar.com/article/PUN-OTH-1330738-2031000.html
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नियुक्तियों में भयंकर धांधलियां और मनमानी

नियुक्तियों में भयंकर धांधलियां और मनमानी  (High Bungling in Recruitment and Arbitrary Selection)

देश में सरकारी और अर्द्ध सरकारी उपक्रमों सहित बेंकों वगेरा में नियुक्तियों में भयंकर धांधलियां और मनमानी हे इस मामले में केन्द्रीय सतर्कता समिति ने अपनी रिपोर्ट में गम्भीर टिप्पणियाँ की हे समिति ने कहा हे के इन संस्थाओं में नियुक्तियों के नाम पर भी कायदे कानून ताक में रख कर मनमानी की जाती हे और भयंकर भ्रस्ताचार होता हे भ्रस्ताचार के गंभीर हालातों पर भी समिति ने टिप्पणी की हे समिति ने कहा हे के यह उपक्रम अपनी प्रकाशित वार्षिक रिपोर्टों में भी झूंठे और मन गढंत आंकड़े प्रकाशित कर लोगों को और सरकार को भ्रमित करते हें , केन्द्रीय सतर्कता समिति की कहने को तो यह सामान्य रिपोर्ट हे लेकिन देश के ५ फीसदी केन्द्रीय सरकार के उपक्रम और अर्धसरकारी उपक्रमों के इस हाल पर केवल आंसू बहाने से कम नहीं चलेगा ना ही चिंता जताकर खामोश बेठने से काम चलेगा देश के पैसों और गरीबों के हक को किस तरह से तबाह और बर्बाद किया जा रहा हे इसका पता लगा कर दोषी लोगों को दंडित करना और जिन लगों ने गलत चेनल का रास्ता अपना कर लाभ उठाया हे उसे सुधारना अब सरकार की ज़िम्मेदारी बन गया हे लेकिन भाइयों सरकार के लियें तो यह उजागर भ्रस्ताचार तुच्छ प्रक्रति का भ्रस्ताचार हे इसलियें आप को हमें और हमारे बहियों को मिल जुल कर एक आग पैदा करना होगी एक अलख जगाना होगी एक माहोल तयार करना होगा ताके सरकार खुद इस मामले सहित भ्रस्ताचार के सभी मामले में कार्यवाही करने को मजबूर हो जाये ।
News Source : http://www.thenetpress.com/2010/12/blog-post_5824.html
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मास्टर डिग्री हाथ में आए चपरासी बनने

मास्टर डिग्री हाथ में आए चपरासी बनने ( Highly Qualified Candidates are giving Interview for Peon / Office Boy)

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चंडीगढ़। एमएससी की डिग्री हाथ में लेकर जब एक युवक चपरासी के लिए इंटरव्यू देने पहुंचा तो इंटरव्यू कमेटी भी उस युवक की ओर देखती रह गए। यह कोई एक केस नहीं। पीयू में चपरासी, क्लर्क, लाइब्रेरी असिस्टेंट, क्लनीर और सिक्योरिटी गार्ड के लिए वॉक इन इंटरव्यू में पढ़े लिखे बेरोजगारों की फौज देखने को मिल रही है।
सोमवार को पीयू के लॉ ऑडिटोरियम में चपरासी के आठ पदों के लिए इंटरव्यू का दौर शुरू हुआ। सुबह छह बजे से पहले ही ट्राइसिटी और साथ लगते राज्यों के 1200 से अधिक युवा पीयू कैंपस पहुंच गए। चपरासी के लिए पीयू ने आठवीं पास अनिवार्य योग्यता रखी है, लेकिन यह देखकर कमेटी भी हैरान थी कि इंटरव्यू के लिए पहुंचे साठ फीसदी युवक ग्रेजुएट थे। कमेटी मेंबर ने बताया कि कई ने इंजीनियरिंग डिप्लोमा और डिग्री तक कर रखी थी। मोगा से इंटरव्यू देने पहुंचे सिमरनजीत सिंह ने कहा वह बीए के साथ कंप्यूटर, टाइपिंग कोर्स कर चुका है, लेकिन अच्छा सैलरी पैकेज होने के कारण वह भी इंटरव्यू देने पहुंच गया। 11 बजे तक लॉ ऑडिटोरियम अभ्यर्थियों से खचाखच भर चुका था। क्लीनर के आठ पदों और सिक्योरिटी गार्ड के 12 के लिए भी काफी संख्या में युवक इंटरव्यू देने पहुंचे।
एक मिनट में इंटरव्यू
पीयू से एफिलिएटेड चार कालेजों के लिए चल रही कर्मचारियों की भरती प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग रहे हैं। इंटरव्यू देने पहुंच रहे कई अभ्यर्थियों ने बताया कि इंटरव्यू तो सिर्फ दिखावा है। कैंडीडेट का एक मिनट से भी कम समय में इंटरव्यू हो रहा है। उम्मीदवार से कमेटी मेंबर सिर्फ नाम, पढ़ाई पूछकर चले जाने को कह देते हैं। सभी कमेटी मेंबर पेंसिल से ही नंबर दे रहे हैं। इससे धांधली के पूरे चांस रहते हैं
News Source : http://www.amarujala.com/state/Punjab/24535-6.html
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